Surah Yunus In Hindi [10:1-10:109]

Surah Yunus, Quran Kareem ki 10veen Surah Hai, ek behad aham Surah hai. Iska naam Hazrat Yunus (alai’his’salam) ke naam par rakha gaya hai, jinki kahaani is mein zikr ki gayi hai. Yeh Surah kaafiron ko hidayat ki taraf bulaati hai aur Musalmano ko Allah ki ibadat aur uskee touheed par qaaim rehne ki taalimaat deti hai.

Is Surah ka markazi viza Tauheed aur Allah ki Qudrat-e-Baari hai. Yeh samajhaati hai ki Allah hi sab kuchh ka Khaaliq hai aur Uske siva kisi aur ki ibadat karna jaayaz nahin. Surah ne Allah ki niamaton par dhyaan dilaaya gaya hai aur logon ko un par shukr adaa karne ki tarhib di gayi hai.

Saath hi, Hazrat Yunus (as) ki kahaani bayaan karke, taubah karne aur Allah par bharosa rakhne ki sikhaa di gayi hai. Ek aur aham pahal, Hazrat Muhammad (saws) ko taalimaat di gayi hain ki kaafiron ke zulm aur tanaon ka saamna kaise karna hai.

Is tarah, Surah Yunus mein imaanon ko mazbut karne, shirk se baaz aane, aur Allah par puraa bharosa rakhne ki talqeen ki gayi hai.

सूरह यूनुस को हिंदी में पढ़ें

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

10:1

الٓر ۚ تِلْكَ ءَايَـٰتُ ٱلْكِتَـٰبِ ٱلْحَكِيمِ

अलिफ्-लाम्-रा, तिल-क आयातुल् किताबिल्-हकीम
अलिफ़ लाम रा। ये तत्वज्ञता से परिपूर्ण पुस्तक (कुरान) की आयतें हैं।

10:2

أَكَانَ لِلنَّاسِ عَجَبًا أَنْ أَوْحَيْنَآ إِلَىٰ رَجُلٍۢ مِّنْهُمْ أَنْ أَنذِرِ ٱلنَّاسَ وَبَشِّرِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ أَنَّ لَهُمْ قَدَمَ صِدْقٍ عِندَ رَبِّهِمْ ۗ قَالَ ٱلْكَـٰفِرُونَ إِنَّ هَـٰذَا لَسَـٰحِرٌۭ مُّبِينٌ

अका-न लिन्नासि अ-जबन् अन् औहैना इला रजुलिम्- मिन्हुम् अन् अन्ज़िरिन्ना-स व बश्शिरिल्लज़ी-न आमनू अन्-न लहुम् क़-द-म सिद्क़िन् अिन्-द रब्बिहिम्, क़ालल काफ़िरू-न इन्-न हाज़ा लसाहिरूम्-मुबीन
क्या लोगों को इस बात से बड़ा ताज्जुब हुआ कि हमने उन्हीं लोगों में से एक आदमी के पास वही भेजी कि (बे ईमान) लोगों को डराओ और ईमानदारो को इसकी ख़ुश ख़बरी सुना दो कि उनके लिए उनके परवरदिगार के पास शाश्वत सच्चा उन्नत स्थान है। (मगर) इनकार करनेवाले (उन आयतों को सुनकर) कहने लगे कि ये (शख़्स तो निस्संदेह खुला जादूगर) है।

10:3

إِنَّ رَبَّكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ فِى سِتَّةِ أَيَّامٍۢ ثُمَّ ٱسْتَوَىٰ عَلَى ٱلْعَرْشِ ۖ يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ ۖ مَا مِن شَفِيعٍ إِلَّا مِنۢ بَعْدِ إِذْنِهِۦ ۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمْ فَٱعْبُدُوهُ ۚ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ

इन्-न रब्बकुमुल्लाहुल्लज़ी ख़-लक़स्समावाति वल् अर्-ज़ फ़ी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्-अ़र्शि युदब्बिरूल्-अम्-र, मा मिन् शफ़ीअिन् इल्ला मिम्-बअ्दि इज्निही, ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बुकुम् फ़अ्बुदूहु, अ-फ़ला तज़क्करून
इसमें तो शक ही नहीं कि तुमरा परवरदिगार वही अल्लाह है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया फिर अर्श (राज सिंहासन) पर स्थिर हो गया। वही हर काम का इन्तज़ाम करता है (उसके सामने) कोई (किसी का) सिफारिशी नहीं हो सकता मगर उसकी इजाज़त के बाद, वही अल्लाह तो तुम्हारा परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो तो क्या तुम अब भी ग़ौर नही करते।

10:4

إِلَيْهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِيعًۭا ۖ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقًّا ۚ إِنَّهُۥ يَبْدَؤُا۟ ٱلْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥ لِيَجْزِىَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ بِٱلْقِسْطِ ۚ وَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَهُمْ شَرَابٌۭ مِّنْ حَمِيمٍۢ وَعَذَابٌ أَلِيمٌۢ بِمَا كَانُوا۟ يَكْفُرُونَ

इलैहि मर्जिअुकुम् जमीअ़न्, वअ्दल्लाहि हक़्क़न्, इन्नहू यब्दउल्-ख़ल्-क़ सुम्-म युईदुहू लियज्ज़ियल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति बिल्क़िस्ति, वल्लज़ी-न क-फरू लहुम् शराबुम्-मिन् हमीमिंव व अज़ाबुन् अलीमुम्-बिमा कानू यक्फुरून
तुम सबको (आख़िर) उसी की तरफ लौटना है। अल्लाह का वायदा सच्चा है। वही यक़ीनन जीवों को पहली बार पैदा करता है फिर (मरने के बाद) वही दुबारा जिन्दा करेगा ताकि जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए उनको इन्साफ के साथ प्रतिफल प्रदान करे। और जिन लोगों ने इनकार किया उन के लिए उनके कुफ्र की सज़ा में पीने को खौलता हुआ पानी और दर्दनाक यातना होगी।

10:5

هُوَ ٱلَّذِى جَعَلَ ٱلشَّمْسَ ضِيَآءًۭ وَٱلْقَمَرَ نُورًۭا وَقَدَّرَهُۥ مَنَازِلَ لِتَعْلَمُوا۟ عَدَدَ ٱلسِّنِينَ وَٱلْحِسَابَ ۚ مَا خَلَقَ ٱللَّهُ ذَٰلِكَ إِلَّا بِٱلْحَقِّ ۚ يُفَصِّلُ ٱلْـَٔايَـٰتِ لِقَوْمٍۢ يَعْلَمُونَ

हुवल्लज़ी-ज अलश्शम् स ज़ियाअंव्-वल्क़-म र नूरंव् व क़द्द-रहू मनाज़ि-ल लितअ्लमू अ़-ददस्सिनी-न वल्हिसा-ब, मा ख़-लक़ल्लाहु ज़ालि-क इल्ला बिल्हक़्क़ि, युफस्सिलुल्-आयाति लिक़ौमिंय्यअ्लमून
वही है जिसने सूर्य को चमकदार और चन्द्रमा को रौशन बनाया और उसकी मंजि़लें निश्चित कीं ताकि तुम लोग बरसों की गिनती और हिसाब मालूम करो। अल्लाह ने उसे हिकमत व सप्रयोजन से बनाया है। वह उन लोगों के लिए निशानियों का वर्णन कर रहा है, जो ज्ञान रखते हों।

10:6

إِنَّ فِى ٱخْتِلَـٰفِ ٱلَّيْلِ وَٱلنَّهَارِ وَمَا خَلَقَ ٱللَّهُ فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّقَوْمٍۢ يَتَّقُونَ

इन्-न फ़िख़् तिलाफ़िल्लैलि वन्नहारि व मा ख़-लक़ल्लाहु फ़िस्समावाति वल्अर्ज़ि लआयातिल् लिक़ौमिय्यत्तक़ून
इसमें ज़रा भी शक नहीं कि रात दिन के उलट फेर में और जो कुछ अल्लाह ने आसमानों और ज़मीन में बनाया है, उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं, जो अल्लाह से डरते हों।

10:7

إِنَّ ٱلَّذِينَ لَا يَرْجُونَ لِقَآءَنَا وَرَضُوا۟ بِٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَٱطْمَأَنُّوا۟ بِهَا وَٱلَّذِينَ هُمْ عَنْ ءَايَـٰتِنَا غَـٰفِلُونَ

इन्नल्लज़ी-न ला यर्जू-न लिक़ा-अना व रज़ू बिल्हयातिद्दुन्या वत्म-अन्नू बिहा वल्लज़ी-न हुम् अन् आयातिना ग़ाफ़िलून
इसमें भी शक नहीं कि जो लोग (प्रलय के दिन) हमसे मिलने की आशा नहीं रखते और दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी से निहाल हो गए और उसी से संतुष्ट हैं और जो लोग हमारी आयतों से असावधान हैं।

10:8

أُو۟لَـٰٓئِكَ مَأْوَىٰهُمُ ٱلنَّارُ بِمَا كَانُوا۟ يَكْسِبُونَ

उलाइ-क मअ्वाहुमुन्नारू बिमा कानू यक्सिबून
यही वह लोग हैं जिनका ठिकाना उसके बदले में, जो वे कमाते रहे, जहन्नुम है।

10:9

إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ يَهْدِيهِمْ رَبُّهُم بِإِيمَـٰنِهِمْ ۖ تَجْرِى مِن تَحْتِهِمُ ٱلْأَنْهَـٰرُ فِى جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ

इन्नल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति यह़्दीहिम् रब्बुहुम् बिईमानिहिम्, तज्री मिन् तह़्तिहिमुल-अन्हारू फ़ी जन्नातिन्-नईम
बेशक जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए, उन्हें उनका परवरदिगार उनके ईमान के कारण (स्वर्ग की) राह दर्शा देगा कि सुख के बाग़ों में (रहेगें) और उन के नीचे नहरें जारी होगी।

10:10

دَعْوَىٰهُمْ فِيهَا سُبْحَـٰنَكَ ٱللَّهُمَّ وَتَحِيَّتُهُمْ فِيهَا سَلَـٰمٌۭ ۚ وَءَاخِرُ دَعْوَىٰهُمْ أَنِ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

दअ्वाहुम् फीहा सुब्हान-कल्लाहुम्-म व तहिय्यतुहुम् फ़ीहा सलामुन, व आख़िरू दअ्वाहुम् अनिल-हम्दु लिल्लाहि रब्बिल्-आलमीन
वहाँ उनकी पुकार यह होगी: ऐ अल्लाह! तू पवित्र है और उनका पारस्परिक अभिवादन “सलाम” होगा। और उनकी आखि़री पुकार ये होगी कि “सब तारीफ अल्लाह ही के लिए है जो सारे संसार का पालने वाला है।

10:11

۞ وَلَوْ يُعَجِّلُ ٱللَّهُ لِلنَّاسِ ٱلشَّرَّ ٱسْتِعْجَالَهُم بِٱلْخَيْرِ لَقُضِىَ إِلَيْهِمْ أَجَلُهُمْ ۖ فَنَذَرُ ٱلَّذِينَ لَا يَرْجُونَ لِقَآءَنَا فِى طُغْيَـٰنِهِمْ يَعْمَهُونَ

व लौ युअ़ज्जिलुल्लाहु लिन्नासिश शर्रसतिअ्जा-लहुम बिल्ख़ैरि लक़ुज़ि-य इलैहिम् अ-जलुहुम्, फ़-न- ज़रूल्लज़ी-न ला यरजू-न लिक़ा-अना फी तुग़्यानिहिम् यअ्महून
और यदि अल्लाह, लोगों को तुरन्त बुराई का (बदला) दे देता, जैसे वे तुरन्त (सांसारिक) भलाई चाहते हैं, तो उनका समय कभी पूरा हो चुका होता! किन्तु हम उन लोगों को जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते उनकी अपनी कुकर्मों में बहकने के लिए छोड़ देते हैं।

10:12

وَإِذَا مَسَّ ٱلْإِنسَـٰنَ ٱلضُّرُّ دَعَانَا لِجَنۢبِهِۦٓ أَوْ قَاعِدًا أَوْ قَآئِمًۭا فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُ ضُرَّهُۥ مَرَّ كَأَن لَّمْ يَدْعُنَآ إِلَىٰ ضُرٍّۢ مَّسَّهُۥ ۚ كَذَٰلِكَ زُيِّنَ لِلْمُسْرِفِينَ مَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

व इज़ा मस्सल् इन्सान्ज़्-ज़ुर्रू दआ़ना लिजम्बिही औ क़ाअिदन् औ क़ाइमन्, फ़-लम्मा कशफ़्ना अन्हु ज़ुर् -रहू मर्-र क-अल्लम् यद्अुना इला जुर्रिंम्-मस्सहू, कज़ालि क ज़ुय्यि-न लिल्मुस्रिफ़ी-न मा कानू यअ्मलून
और इन्सान को जब कोई दुःख पहुँचता है, तो हमें लेटे, बैठे या खड़े होकर पुकारता है। फिर जब हम उससे उसकी तकलीफ को दूर कर देते है तो ऐसा खिसक जाता है जैसे उसने तकलीफ के लिए जो उसको पहुँचती थी हमको पुकारा ही न था! जो लोग ज़्यादती करते हैं उनकी करतूत यूँ ही उन्हें अच्छी कर दिखाई गई हैं।

10:13

وَلَقَدْ أَهْلَكْنَا ٱلْقُرُونَ مِن قَبْلِكُمْ لَمَّا ظَلَمُوا۟ ۙ وَجَآءَتْهُمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ وَمَا كَانُوا۟ لِيُؤْمِنُوا۟ ۚ كَذَٰلِكَ نَجْزِى ٱلْقَوْمَ ٱلْمُجْرِمِينَ

व ल-क़द् अह़्लक्नल्-क़ुरू-न मिन् क़ब्लिकुम् लम्मा ज़-लमू, व जाअत्हुम् रूसुलुहुम् बिल्बय्यिनाति व मा कानू लियुअ्मिनू, कज़ालि-क नज्ज़िल् क़ौमल्-मुज्रिमीन
और तुमसे पहली नस्लों को जब उन्होंने शरारत की तो हम ने उन्हें ज़रुर ध्वस्त कर डाला हालाकि उनके (वक़्त के) रसूल खुले तर्क (प्रमाण) लाये थे और वह लोग ईमान (न लाना था) न लाए हम गुनेहगार लोगों की यूँ ही सज़ा दिया करते हैं। 

10:14

ثُمَّ جَعَلْنَـٰكُمْ خَلَـٰٓئِفَ فِى ٱلْأَرْضِ مِنۢ بَعْدِهِمْ لِنَنظُرَ كَيْفَ تَعْمَلُونَ

सुम्-म जअल्नाकुम् ख़लाइ-फ़ फ़िल्अर्ज़ि मिम्-बअ्दिहिम् लिनन्ज़ु-र कै-फ़ तअ्मलून
फिर हमने उनके बाद तुमको ज़मीन में (उनका) स्थान दिया, ताकि हम (भी) देखें कि तुम्हारे कर्म कैसे होते हैं?

10:15

وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ ءَايَاتُنَا بَيِّنَـٰتٍۢ ۙ قَالَ ٱلَّذِينَ لَا يَرْجُونَ لِقَآءَنَا ٱئْتِ بِقُرْءَانٍ غَيْرِ هَـٰذَآ أَوْ بَدِّلْهُ ۚ قُلْ مَا يَكُونُ لِىٓ أَنْ أُبَدِّلَهُۥ مِن تِلْقَآئِ نَفْسِىٓ ۖ إِنْ أَتَّبِعُ إِلَّا مَا يُوحَىٰٓ إِلَىَّ ۖ إِنِّىٓ أَخَافُ إِنْ عَصَيْتُ رَبِّى عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ

व इज़ा तुत्ला अ़लैहिम् आयातुना बय्यिनातिन्, क़ालल्लज़ी-न ला यर्जू न लिक़ा-अनअ्ति बिक़ुर् आनिन् ग़ैरि हाज़ा औ बद्दिल्हु, क़ुल् मा यकूनु ली अन् उबद्दि-लहू मिन् तिल्क़ा-इ नफ्सी, इन् अत्तबिअु इल्ला मा यूहा इलय्-य, इन्नी अख़ाफु इन् अ़सैतु रब्बी अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
और जब उन लोगों के सामने हमारी रौशन आयते पढ़ीं जाती हैं तो जिन लोगों को (मरने के बाद) हमसे मिलने की आशा नहीं रखते, वह कहते है कि हमारे सामने इसके अलावा कोई दूसरा कुरान लाओ या इसमें परिवर्तन कर दो। (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि मेरे बस में ये नहीं है कि मै उसे अपनी ओर से बदल डालूँ। मैं तो बस उसका अनुपालन करता हूँ, जो मेरी तरफ वही की गई है मै तो अगर अपने प्रभु की नाफरमानी करु तो बड़े (कठिन) दिन की यातना से डरता हूँ।

10:16

قُل لَّوْ شَآءَ ٱللَّهُ مَا تَلَوْتُهُۥ عَلَيْكُمْ وَلَآ أَدْرَىٰكُم بِهِۦ ۖ فَقَدْ لَبِثْتُ فِيكُمْ عُمُرًۭا مِّن قَبْلِهِۦٓ ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ

क़ुल् लौ शा-अल्लाहु मा तलौतुहू अलैकुम् व ला अद्राकुम बिही, फ़-क़द् लबिस्तु फ़ीकुम् अुमुरम्-मिन् क़ब्लिही, अ-फ़ला तअ्क़िलून
(ऐ रसूल!) कह दो कि अल्लाह चाहता तो मै न तुम्हारे सामने इसको पढ़ता और न वह तुम्हें इससे अवगत कराता। क्योंकि फिर मैं इससे पहले तुम्हारे बीच एक आयु व्यतीत कर चुका हूँ। तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते।

10:17

فَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّنِ ٱفْتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًا أَوْ كَذَّبَ بِـَٔايَـٰتِهِۦٓ ۚ إِنَّهُۥ لَا يُفْلِحُ ٱلْمُجْرِمُونَ

फ़-मन् अज़्लमु मिम् मनिफ्तरा अ़लल्लाहि कज़िबन् औ कज़्ज़-ब बिआयातिही, इन्नहू ला युफ्लिहुल मुज्रिमून
तो जो शख़्स अल्लाह पर झूठ बोहतान बाधे या उसकी आयतो को झुठलाए उससे बढ़ कर और अत्याचारी कौन होगा इसमें शक नहीं कि (ऐसे) गुनाहगार कामयाब नहीं हुआ करते।

10:18

وَيَعْبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا يَضُرُّهُمْ وَلَا يَنفَعُهُمْ وَيَقُولُونَ هَـٰٓؤُلَآءِ شُفَعَـٰٓؤُنَا عِندَ ٱللَّهِ ۚ قُلْ أَتُنَبِّـُٔونَ ٱللَّهَ بِمَا لَا يَعْلَمُ فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَلَا فِى ٱلْأَرْضِ ۚ سُبْحَـٰنَهُۥ وَتَعَـٰلَىٰ عَمَّا يُشْرِكُونَ

व यअ्बुदू-न मिन् दूनिल्लाहि मा ला यज़ुर्रूहुम् व ला यन्फ़अुहुम् व यक़ूलू-न हा-उला-इ शु-फ़आ़उना अिन्दल्लाहि, क़ुल अतुनब्बिऊनल्ला-ह बिमा ला यअ्लमु फिस्समावाति व ला फ़िल्अर्ज़ि, सुब्हानहू व तआला अम्मा युश्रिकून
या लोग अल्लाह को छोड़ कर ऐसी चीज़ की वंदना करते है, जो न उनको नुकसान ही पहुँचा सकती है न कोई लाभ और कहते हैं कि अल्लाह के यहाँ यही लोग हमारे सिफारिशी होगे (ऐ रसूल!) तुम (इनसे) कहो तो क्या तुम अल्लाह को ऐसी चीज़ की ख़बर देते हो जिसको वह न तो आसमानों में (कहीं) पाता है और न ज़मीन में? ये लोग जिस चीज़ को उसका शरीक बनाते है। उससे वह पाक साफ और उच्च है।

10:19

وَمَا كَانَ ٱلنَّاسُ إِلَّآ أُمَّةًۭ وَٰحِدَةًۭ فَٱخْتَلَفُوا۟ ۚ وَلَوْلَا كَلِمَةٌۭ سَبَقَتْ مِن رَّبِّكَ لَقُضِىَ بَيْنَهُمْ فِيمَا فِيهِ يَخْتَلِفُونَ

व मा कानन्नासु इल्ला उम्मतंव्वाहि-दतन् फ़ख़्त-लफु, व लौ ला कलि-मतुन् स-बक़त् मिर्रब्बि-क लकुज़ि-य बैनहुम् फ़ीमा फ़ीहि यख़्तलिफून
और सब लोग तो (पहले) एक ही समुदाय थे और (ऐ रसूल!) अगर तुम्हारे रब की तरफ से एक बात (क़यामत का वायदा) पहले न हो चुकी होती जिसमें ये लोग मतभेद कर रहे हैं, तो उनके बीच उसका (संसार ही में) निर्णय कर दिया जाता।

10:20

وَيَقُولُونَ لَوْلَآ أُنزِلَ عَلَيْهِ ءَايَةٌۭ مِّن رَّبِّهِۦ ۖ فَقُلْ إِنَّمَا ٱلْغَيْبُ لِلَّهِ فَٱنتَظِرُوٓا۟ إِنِّى مَعَكُم مِّنَ ٱلْمُنتَظِرِينَ

व यक़ूलू-न लौ ला उन्ज़ि-ल अलैहि आयतुम्- मिर्रब्बिही, फक़ुल इन्नमल्-ग़ैबु लिल्लाहि फ़न्तज़िरू, इन्नी म-अ़कुम् मिनल् मुन्तज़िरीन
और कहते हैं कि उस पैग़म्बर पर कोई मोजिज़ा (हमारी इच्छा के अनुसार) क्यों नहीं उतारा गया तो (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि परोक्ष तो सिर्फ अल्लाह के लिए ख़ास है। तो तुम भी इन्तज़ार करो और तुम्हारे साथ मै (भी) यक़ीनन इन्तज़ार करने वालों में हूँ।

10:21

وَإِذَآ أَذَقْنَا ٱلنَّاسَ رَحْمَةًۭ مِّنۢ بَعْدِ ضَرَّآءَ مَسَّتْهُمْ إِذَا لَهُم مَّكْرٌۭ فِىٓ ءَايَاتِنَا ۚ قُلِ ٱللَّهُ أَسْرَعُ مَكْرًا ۚ إِنَّ رُسُلَنَا يَكْتُبُونَ مَا تَمْكُرُونَ

व इज़ा अज़क़्नन्ना-स रह्-म तम् मिम् बअ्दि ज़र्रा-अ मस्सत्हुम् इज़ा लहुम् मक्रुन् फी आयातिना, क़ुलिल्लाहु अस्रअु मक्रन, इन्-न रूसुलना यक्तुबू-न मा तम्कुरून
और जब हम, लोगों को दुःख पहुँचने के पश्चात्, दया (का स्वाद) चखाते हैं, तो तुरन्त हमारी आयतों (निशानियों) के बारे में षड्यंत्र रचने लगते हैं। (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि चाल में अल्लाह सब से ज़्यादा तेज़ है तुम जो कुछ मक्कारी करते हो वह हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) लिखते जाते हैं।

10:22

هُوَ ٱلَّذِى يُسَيِّرُكُمْ فِى ٱلْبَرِّ وَٱلْبَحْرِ ۖ حَتَّىٰٓ إِذَا كُنتُمْ فِى ٱلْفُلْكِ وَجَرَيْنَ بِهِم بِرِيحٍۢ طَيِّبَةٍۢ وَفَرِحُوا۟ بِهَا جَآءَتْهَا رِيحٌ عَاصِفٌۭ وَجَآءَهُمُ ٱلْمَوْجُ مِن كُلِّ مَكَانٍۢ وَظَنُّوٓا۟ أَنَّهُمْ أُحِيطَ بِهِمْ ۙ دَعَوُا۟ ٱللَّهَ مُخْلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ لَئِنْ أَنجَيْتَنَا مِنْ هَـٰذِهِۦ لَنَكُونَنَّ مِنَ ٱلشَّـٰكِرِينَ

हुवल्लज़ी युसय्यिरूकुम् फ़िल्बर्रि वल्बह़रि, हत्ता इज़ा कुन्तुम् फ़िल्फुल्कि, व जरै-न बिहिम् बिरीहिन् तय्यि- बतिंव्-व फ़रिहू बिहा जाअत्हा रीहुन् आसिफुंव्-व जा-अहुमुल मौजु मिन् कुल्लि मकानिंव्-व ज़न्नू अन्नहुम् उही-त बिहिम्, द-अ़वुल्ला-ह मुख़्लिसी-न लहुद्दी-न, ल-इन् अन्जैतना मिन् हाज़िही ल-नकूनन्-न मिनश्शाकिरीन
वह वही अल्लाह है जो तुम्हें थल और जल में चलाता है यहाँ तक कि जब (कभी) तुम नौकाओं पर सवार होते हो और वह उन लोगों को बाद अनुकूल (हवा के धारे) की मदद से लेकर चली और लोग उस (की रफ्तार) से ख़ुश हुए। (यकायक) कश्ती पर हवा का एक झोंका आ पड़ा और (आना था कि) हर तरफ से उस पर लहरें (बढ़ी चली) आ रही हैं और उन लोगों ने समझ लिया कि अब घिर गए (और जान न बचेगी) उस समय वे अल्लाह ही को, केवल उसी पर आस्था रखकर पुकारने लगते हैं, कि (ख़ुदाया) अगर तूने इस (मुसीबत) से हमें बचा लिया, तो हम ज़रुर आभारी होंगें।

10:23

فَلَمَّآ أَنجَىٰهُمْ إِذَا هُمْ يَبْغُونَ فِى ٱلْأَرْضِ بِغَيْرِ ٱلْحَقِّ ۗ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّمَا بَغْيُكُمْ عَلَىٰٓ أَنفُسِكُم ۖ مَّتَـٰعَ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ ثُمَّ إِلَيْنَا مَرْجِعُكُمْ فَنُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ

फ़-लम्मा अन्जाहुम् इज़ा हुम् यब्ग़ू-न फ़िल्अर्ज़ि बिग़ैरिल्-हक़्क़ि, या अय्युहन्नासु इन्नमा बग़्युकुम् अला अन्फुसिकुम्, मताअ़ल् हयातिद्दुन्या, सुम्-म इलैना मर्जिअुकुम् फ़नुनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् तअ्मलून
फिर जब अल्लाह उनको बचा लेता है, तो वह लोग ज़मीन पर (कदम रखते ही) फौरन नाहक़ सरकशी करने लगते हैं ऐ लोगो! तुम्हारी सरकशी तुम्हारे अपने ही विरुद्ध है। (ये भी) दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी का फायदा है फिर आख़िर हमारी (ही) तरफ तुमको लौटकर आना है तो (उस वक़्त) हम तुमको जो कुछ (दुनिया में) करते थे, बता देगे।

10:24

إِنَّمَا مَثَلُ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا كَمَآءٍ أَنزَلْنَـٰهُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ فَٱخْتَلَطَ بِهِۦ نَبَاتُ ٱلْأَرْضِ مِمَّا يَأْكُلُ ٱلنَّاسُ وَٱلْأَنْعَـٰمُ حَتَّىٰٓ إِذَآ أَخَذَتِ ٱلْأَرْضُ زُخْرُفَهَا وَٱزَّيَّنَتْ وَظَنَّ أَهْلُهَآ أَنَّهُمْ قَـٰدِرُونَ عَلَيْهَآ أَتَىٰهَآ أَمْرُنَا لَيْلًا أَوْ نَهَارًۭا فَجَعَلْنَـٰهَا حَصِيدًۭا كَأَن لَّمْ تَغْنَ بِٱلْأَمْسِ ۚ كَذَٰلِكَ نُفَصِّلُ ٱلْـَٔايَـٰتِ لِقَوْمٍۢ يَتَفَكَّرُونَ

इन्नमा म-सलुल्-हयातिद्दुन्या कमा-इन् अन्ज़ल्नाहु मिनस्समा-इ फ़ख़्त-ल त बिही नबातुल-अर्ज़ि मिम्मा यअ्कुलुन्नासु वल्-अन्आमु, हत्ता इज़ा अ-ख़ ज़तिल्-अर्-ज़ु जुख़्रु-फ़हा वज़्ज़य्यनत् व ज़न्-न अह़्लुहा अन्नहुम् क़ादिरू-न अ़लैहा, अताहा अम्रुना लैलन् औ नहारन् फ़-जअल्नाहा हसीदन् क-अल्लम् तग़्-न बिल् अम्सि, कज़ालि-क नुफस्सिलुल-आयाति लिक़ौमिंय्-य तफ़क्करून
सांसारिक जीवन की उपमा तो बस पानी की सी है कि हमने उसको आसमान से बरसाया, तो उसके कारण धरती से उगनेवाली चीज़ें, जिनको मनुष्य और चौपाये सभी खाते हैं, घनी हो गईं, यहाँ तक कि जब धरती ने अपना ऋंगार कर लिया और सँवर गई और उसके मालिक समझने लगे कि उन्हें उसपर पूरा अधिकार प्राप्त है, तो अकस्मात् रात या दिन में हमारा आदेश आ गया तो हमने उस खेत को ऐसा साफ कटा हुआ बना दिया कि जैसे कुल उसमें कुछ था ही नहीं। जो लोग ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके वास्ते हम आयतों को यूँ तफसीलदार बयान करते है।

10:25

وَٱللَّهُ يَدْعُوٓا۟ إِلَىٰ دَارِ ٱلسَّلَـٰمِ وَيَهْدِى مَن يَشَآءُ إِلَىٰ صِرَٰطٍۢ مُّسْتَقِيمٍۢ

वल्लाहु यद्अू इला दारिस्सलामि, व यह़्दी मंय्यशा-उ इला सिरातिम्-मुस्तक़ीम
और अल्लाह तो आराम के घर (स्वर्ग) की तरफ बुलाता है और जिसको चाहता है सीधी राह चलाता है;

10:26

۞ لِّلَّذِينَ أَحْسَنُوا۟ ٱلْحُسْنَىٰ وَزِيَادَةٌۭ ۖ وَلَا يَرْهَقُ وُجُوهَهُمْ قَتَرٌۭ وَلَا ذِلَّةٌ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ أَصْحَـٰبُ ٱلْجَنَّةِ ۖ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ

लिल्लज़ी-न अह़्सनुल-हुस्ना व ज़िया-दतु, व ला यरहक़ु वुजू-हहुम् क़-तरूंव्-व ला ज़िल्लतुन्, उलाइ-क अस्हाबुल्-जन्नति, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
जिन लोगों ने दुनिया में भलाई की उनके लिए (आख़िरत में भी) भलाई है (बल्कि) और कुछ बढ़कर और न (गुनहगारों की तरह) उनके चेहरों पर कालिक लगी हुयी होगी और न (उन्हें) ज़िल्लत होगी यही लोग जन्नती हैं कि उसमें हमेशा रहा करेंगे।

10:27

وَٱلَّذِينَ كَسَبُوا۟ ٱلسَّيِّـَٔاتِ جَزَآءُ سَيِّئَةٍۭ بِمِثْلِهَا وَتَرْهَقُهُمْ ذِلَّةٌۭ ۖ مَّا لَهُم مِّنَ ٱللَّهِ مِنْ عَاصِمٍۢ ۖ كَأَنَّمَآ أُغْشِيَتْ وُجُوهُهُمْ قِطَعًۭا مِّنَ ٱلَّيْلِ مُظْلِمًا ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ أَصْحَـٰبُ ٱلنَّارِ ۖ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ

वल्लज़ी-न क सबुस्सय्यिआति जज़ा-उ सय्यि-अतिम् बिमिस्लिहा, व तर्हक़ुहुम् ज़िल्लतुन्, मा लहुम् मिनल्लाहि मिन् आसिमिन्, क-अन्नमा उग़्शियत् वुजूहुहुम् क़ि-तअ़म् मिनल्लैलि मुज़्लिमन्, उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
और जिन लोगों ने बुरे काम किए हैं , तो बुराई का बदला उसी जैसा होगा; और उन पर अपमान छाया होगा और अल्लाह (के अज़ाब) से उनका कोई बचाने वाला न होगा। उनके मुह ऐसे काले होंगे, जैसे उनके चेहरे यबों यज़ूर (अंधेरी रात) के टुकड़े से ढक दिए गए हैं यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये उसमें हमेशा रहेंगे।

10:28

وَيَوْمَ نَحْشُرُهُمْ جَمِيعًۭا ثُمَّ نَقُولُ لِلَّذِينَ أَشْرَكُوا۟ مَكَانَكُمْ أَنتُمْ وَشُرَكَآؤُكُمْ ۚ فَزَيَّلْنَا بَيْنَهُمْ ۖ وَقَالَ شُرَكَآؤُهُم مَّا كُنتُمْ إِيَّانَا تَعْبُدُونَ

व यौ-म नहशुरूहुम् जमीअ़न् सुम्-म नक़ूलु लिल्लज़ी-न अश्रकू मकानकुम् अन्तुम् व शु-रकाउकुम्, फ़ ज़य्यल्ना बैनहुम् व क़ा-ल शु-रकाउहुम् मा कुन्तुम् इय्याना तअ्बुदून
(ऐ रसूल! उस दिन से डराओ) जिस दिन सब को इकट्ठा करेगें, फिर उन लोगों से, जिन्होंने शिर्क किया होगा, कि तुम और तुम्हारे (बनाए हुए अल्लाह के) साझीदार ज़रा अपनी जगह ठहरो। फिर हम उनके बीच अलगाव पैदा कर देंगे, और उनके साझीदार उनसे कहेंगे कि तुम तो हमारी वंदना करते न थे।

10:29

فَكَفَىٰ بِٱللَّهِ شَهِيدًۢا بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ إِن كُنَّا عَنْ عِبَادَتِكُمْ لَغَـٰفِلِينَ

फ़-कफ़ा बिल्लाहि शहीदम् बैनना व बैनकुम् इन् कुन्ना अन् अिबादतिकुम् लगाफ़िलीन
तो (अब) हमारे और तुम्हारे बीच गवाही के वास्ते अल्लाह ही काफी है हम को तुम्हारी वंदना की ख़बर ही न थी।

10:30

هُنَالِكَ تَبْلُوا۟ كُلُّ نَفْسٍۢ مَّآ أَسْلَفَتْ ۚ وَرُدُّوٓا۟ إِلَى ٱللَّهِ مَوْلَىٰهُمُ ٱلْحَقِّ ۖ وَضَلَّ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يَفْتَرُونَ

हुनालि-क तब्लू कुल्लु नफ्सिम् मा अस्ल-फत् व रूद्दू इलल्लाहि मौलाहुमुल्-हक़्क़ि व ज़ल्-ल अन्हुम् मा कानू यफ़्तरून
(मतलब) वहाँ हर शख़्स, जो कुछ जिसने पहले (दुनिया में) किया है, जाँच लेगा और वह सब के सब अपने सच्चे मालिक अल्लाह की ओर लौटकर लाए जाएँगें और (दुनिया में) जो कुछ मिथ्या बातें बना रहे थे, वह सब उनसे गुम होकर रह जाएगा।

10:31

قُلْ مَن يَرْزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ أَمَّن يَمْلِكُ ٱلسَّمْعَ وَٱلْأَبْصَـٰرَ وَمَن يُخْرِجُ ٱلْحَىَّ مِنَ ٱلْمَيِّتِ وَيُخْرِجُ ٱلْمَيِّتَ مِنَ ٱلْحَىِّ وَمَن يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ ۚ فَسَيَقُولُونَ ٱللَّهُ ۚ فَقُلْ أَفَلَا تَتَّقُونَ

क़ुल मंय्यर्ज़ुक़ुकुम मिनस्समा-इ वल्अर्ज़ि अम्- मंय्यम्लिकुस्सम्-अ वल् अब्सा-र व मंय्युख़्रिजुल्- हय्-य मिनल्मय्यिति व युख़्रिजुल्-मय्यि-त मिनल्-हय्यि व मंय्युदब्बिरूल-अम्-र, फ़-स-यक़ूलूनल्लाहु, फ़क़ुल् अ-फ़ला तत्तक़ून
ऐ रसूल! तुम उने ज़रा पूछो तो कि तुम्हें आसमान व ज़मीन से कौन जीविका देता है या (तुम्हारे) कान और (तुम्हारी) आँखों का कौन मालिक है और कौन शख़्स मुर्दे से ज़िन्दा को निकालता है और ज़िन्दा से मुर्दे को निकालता है और हर काम की व्यवस्था कौन करता है तो फौरन बोल उठेंगे कि अल्लाह (ऐ रसूल!) तुम कहो तो क्या तुम इस पर भी (उससे) नहीं डरते हो।

10:32

فَذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمُ ٱلْحَقُّ ۖ فَمَاذَا بَعْدَ ٱلْحَقِّ إِلَّا ٱلضَّلَـٰلُ ۖ فَأَنَّىٰ تُصْرَفُونَ

फ़ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बुकुमुल्-हक़्क़ु, फ़-माज़ा बअ्दल्-हक़्क़ि इल्लज़्ज़लालु, फ़-अन्ना तुस्रफून
फिर वही अल्लाह तो तुम्हारा सच्चा रब है फिर सत्य बात के बाद असत्य के सिवा और क्या है फिर तुम कहाँ फिरे चले जा रहे हो।

10:33

كَذَٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى ٱلَّذِينَ فَسَقُوٓا۟ أَنَّهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ

कज़ालि-क हक़्क़त् कलि-मतु रब्बि-क अ़लल्लज़ी-न फ़-सक़ू अन्नहुम् ला युअ्मिनून
ये तुम्हारे परवरदिगार की बात अवज्ञाकारी लोगों पर साबित होकर रही कि ये लोग हरगिज़ ईमान न लाएँगें।

10:34

قُلْ هَلْ مِن شُرَكَآئِكُم مَّن يَبْدَؤُا۟ ٱلْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥ ۚ قُلِ ٱللَّهُ يَبْدَؤُا۟ ٱلْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥ ۖ فَأَنَّىٰ تُؤْفَكُونَ

क़ुल हल् मिन् शु-रकाइकुम् मंय्यब्दउल्-ख़ल्-क़ सुम् -म युअीदुहू, क़ुलिल्लाहु यब्दउल्ख़ल्क़ सुम्-म युईदुहू फ़-अन्ना तुअ्फ़कून
(ऐ रसूल!) उनसे पूछो तो कि तुम ने जिन लोगों को (अल्लाह का) साझी बनाया है कोई भी ऐसा है जो सृष्टि का आरम्भ भी करता हो, फिर उसकी पुनरावृत्ति भी करे? (तो क्या जवाब देगें) तुम्ही कहो कि अल्लाह ही पहले भी पैदा करता है फिर वही दोबारा ज़िन्दा करता है तो किधर तुम उल्टे जा रहे हो।

10:35

قُلْ هَلْ مِن شُرَكَآئِكُم مَّن يَهْدِىٓ إِلَى ٱلْحَقِّ ۚ قُلِ ٱللَّهُ يَهْدِى لِلْحَقِّ ۗ أَفَمَن يَهْدِىٓ إِلَى ٱلْحَقِّ أَحَقُّ أَن يُتَّبَعَ أَمَّن لَّا يَهِدِّىٓ إِلَّآ أَن يُهْدَىٰ ۖ فَمَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ

क़ुल हल् मिन् शु-रकाइकुम् मंय्यह्दी इलल्-हक़्क़ि, क़ुलिल्लाहु यह्दी लिल्हक़्क़ि, अ-फ़मंय्यह्दी इलल्हक़्क़ि अ-हक़्कु अंय्युत्त-ब-अ अम्-मल्ला यहिद्दी इल्ला अंय्युह्दा, फ़मा लकुम्, कै-फ़ तह़्कुमून
(ऐ रसूल! उनसे) कहो तो कि तुम्हारे (बनाए हुए) साझीदारों में से कोई ऐसा भी है जो तुम्हें (दीन) सत्य की राह दिखा सके। तुम ही कह दो कि (अल्लाह) दीन की राह दिखाता है। तो जो तुम्हे सत्य की राह दिखाता है। क्या वह ज़्यादा हक़दार है कि उसके हुक्म का अनुसरण किया जाए या वह शख़्स जो (दूसरे) की हिदायत तो दर किनार खुद ही जब तक दूसरा उसको राह न दिखाए, राह नही देख पाता। तो तुम लोगों को क्या हो गया है, तुम कैसे फ़ैसले कर रहे हो?

10:36

وَمَا يَتَّبِعُ أَكْثَرُهُمْ إِلَّا ظَنًّا ۚ إِنَّ ٱلظَّنَّ لَا يُغْنِى مِنَ ٱلْحَقِّ شَيْـًٔا ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌۢ بِمَا يَفْعَلُونَ

व मा यत्तबिअु अक्सरूहुम् इल्ला ज़न्नन्, इन्नज़्ज़न्-न ला युग़्नी मिनल्-हक़्क़ि शैअन्, इन्नल्ला-ह अलीमुम्-बिमा यफ्अलून
और उनमें के अक्सर तो बस अपने अनुमान पर चलते हैं।(हालाकि) अनुमान सत्य के मुक़ाबले में हरगिज़ कुछ भी काम नहीं आ सकता। वास्तव में, वह लोग जो कुछ (भी) कर रहे हैं अल्लाह उसे खूब जानता है।

10:37

وَمَا كَانَ هَـٰذَا ٱلْقُرْءَانُ أَن يُفْتَرَىٰ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلَـٰكِن تَصْدِيقَ ٱلَّذِى بَيْنَ يَدَيْهِ وَتَفْصِيلَ ٱلْكِتَـٰبِ لَا رَيْبَ فِيهِ مِن رَّبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

व मा का-न हाज़ल-क़ुरआनु अंय्युफ्तरा मिन् दूनिल्लाहि व लाकिन् तस्दीक़ल्लज़ी बै-न यदैहि व तफ्सीलल्-किताबि
 ला रै-ब फ़ीहि मिर्रब्बिल-आलमीन
और ये कुरान ऐसा नहीं कि अल्लाह के सिवा कोई और अपनी तरफ से झूठ मूठ बना डाले बल्कि (ये तो) जो (किताबें) पहले की उसके सामने मौजूद हैं उसकी पुष्टि और (उन) किताबों का विवरण है। उसमें कुछ भी शक नहीं कि ये सारे जहाँन के पालनहार की तरफ से है।

10:38

أَمْ يَقُولُونَ ٱفْتَرَىٰهُ ۖ قُلْ فَأْتُوا۟ بِسُورَةٍۢ مِّثْلِهِۦ وَٱدْعُوا۟ مَنِ ٱسْتَطَعْتُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ

अम् यक़ूलूनफ्तराहु, क़ुल् फ़अतू बिसूरतिम्-मिस्लिही वद्अु मनिस्त-तअ्तुम् मिन् दूनिल्लाहि इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
क्या ये लोग कहते हैं कि इसको रसूल ने स्वयं बना लिया है (ऐ रसूल!) तुम कहो कि (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (भला) एक ही सूरह उसके बराबर का बना लाओ और अल्लाह के सिवा जिसको तुम्हें (मदद के वास्ते) बुला सकते हो, बुला लो।

10:39

بَلْ كَذَّبُوا۟ بِمَا لَمْ يُحِيطُوا۟ بِعِلْمِهِۦ وَلَمَّا يَأْتِهِمْ تَأْوِيلُهُۥ ۚ كَذَٰلِكَ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۖ فَٱنظُرْ كَيْفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلظَّـٰلِمِينَ

बल् कज़्ज़बू बिमा लम् युहीतू बिअिल्मिही व लम्मा यअ्तिहिम् तअ्वीलुहू, कज़ालि-क कज़्ज़बल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिहिम् फन्ज़ुर् कै-फ़ का-न आक़ि बतुज़्ज़ालिमीन
बल्कि बात यह है कि जिस चीज़ के ज्ञान पर वे हावी न हो सके, उसे उन्होंने झुठला दिया हालाकि अभी तक उनके जे़हन में उसका परिणाम नहीं आए इसी तरह उन लोगों ने भी झुठलाया था जो उनसे पहले थे-तब ज़रा ग़ौर तो करो कि (उन) ज़ालिमों का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ।

10:40

وَمِنْهُم مَّن يُؤْمِنُ بِهِۦ وَمِنْهُم مَّن لَّا يُؤْمِنُ بِهِۦ ۚ وَرَبُّكَ أَعْلَمُ بِٱلْمُفْسِدِينَ

व मिन्हुम् मंय्युअ्मिनु बिहीं व मिन्हुम् मल्ला युअ्मिनु बिही, व रब्बु-क अअ्लमु बिल्मुफ्सिदीन
और उनमें से बाज़ तो ऐसे है कि इस कु़रान पर आइन्दा ईमान लाएगें और बाज़ ऐसे हैं जो ईमान लाएगें ही नहीं। और (ऐ रसूल!) तुम्हारा पालनहार उपद्रवकारियों को खूब जानता है।

10:41

وَإِن كَذَّبُوكَ فَقُل لِّى عَمَلِى وَلَكُمْ عَمَلُكُمْ ۖ أَنتُم بَرِيٓـُٔونَ مِمَّآ أَعْمَلُ وَأَنَا۠ بَرِىٓءٌۭ مِّمَّا تَعْمَلُونَ

व इन् कज़्ज़बू-क फ़क़ुल ली अ-मली व लकुम् अ-मलुकुम्, अन्तुम् बरीऊ-न मिम्मा अअ्मलु व अ-ना बरीउम्-मिम्मा तअ्मलून
और अगर वह तुम्हे झुठलाए तो तुम कह दो कि मेरे लिए मेरा कर्म है और तुम्हारे लिए तुम्हारा कर्म। जो कुछ मै करता हूँ उसके तुम जिम्मेदार नहीं। और जो कुछ तुम करते हो उससे मै बरी हूँ।

10:42

وَمِنْهُم مَّن يَسْتَمِعُونَ إِلَيْكَ ۚ أَفَأَنتَ تُسْمِعُ ٱلصُّمَّ وَلَوْ كَانُوا۟ لَا يَعْقِلُونَ

व मिन्हुम् मंय्यस्तमिअू-न इलै-क, अ-फ़ अन्-त तुस्मिअुस्सुम्-म व लौ कानू ला यअ्किलून
और उनमें से कुछ ऐसे हैं कि तुम्हारी ज़बानों की तरफ कान लगाए रहते हैं तो (क्या) वह तुम्हारी सुन लेगें? हरगिज़ नहीं। किन्तु वह कुछ समझ भी न सकते हो तुम कही बहरों को कुछ सुना सकते हो?

10:43

وَمِنْهُم مَّن يَنظُرُ إِلَيْكَ ۚ أَفَأَنتَ تَهْدِى ٱلْعُمْىَ وَلَوْ كَانُوا۟ لَا يُبْصِرُونَ

व मिन्हुम मंय्यन्ज़ु रू इलै-क, अ-फ़अन् त तह्दिल -अुम्-य व लौ कानू ला युब्सिरून
और कुछ उनमें से ऐसे हैं जो तुम्हारी तरफ (टकटकी बाँधे) देखते हैं तो (क्या वह इमान लाएँगें हरगिज़ नहीं) किन्तु उन्हें कुछ न सूझता हो तो तुम अन्धे को राह दिखा दोगे।

10:44

إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَظْلِمُ ٱلنَّاسَ شَيْـًۭٔا وَلَـٰكِنَّ ٱلنَّاسَ أَنفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ

इन्नल्ला-ह ला यज़्लिमुन्ना-स शैअंव्-व लाकिन्नन्-ना – स अन्फु-सहुम् यज़्लिमून
अल्लाह तो बिलकुल लोगों पर कुछ भी अत्याचार नहीं करता, मगर लोग खुद अपने ऊपर (अपनी करतूत से) अत्याचार किया करते है।

10:45

وَيَوْمَ يَحْشُرُهُمْ كَأَن لَّمْ يَلْبَثُوٓا۟ إِلَّا سَاعَةًۭ مِّنَ ٱلنَّهَارِ يَتَعَارَفُونَ بَيْنَهُمْ ۚ قَدْ خَسِرَ ٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِلِقَآءِ ٱللَّهِ وَمَا كَانُوا۟ مُهْتَدِينَ

व यौ-म यह़्शुरूहुम् क-अल्लम् यल्बसू इल्ला सा- अतम् मिनन्नहारि य तआरफू-न बैनहुम्, क़द् ख़सिरल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिलिक़ा-इल्लाहि व मा कानू मुह्तदीन
और जिस दिन अल्लाह इन लोगों को (अपने दरबार में) जमा करेगा तो जैसे ये लोग (समझेगें कि दुनिया में) बस एक घड़ी भर ठहरे थे। और आपस में एक दूसरे को पहचानेंगे। जिन लोगों ने अल्लाह से मिलने को झुठलाया वह ज़रुर घाटे में हैं और वे मार्ग न पा सके।

10:46

وَإِمَّا نُرِيَنَّكَ بَعْضَ ٱلَّذِى نَعِدُهُمْ أَوْ نَتَوَفَّيَنَّكَ فَإِلَيْنَا مَرْجِعُهُمْ ثُمَّ ٱللَّهُ شَهِيدٌ عَلَىٰ مَا يَفْعَلُونَ

व इम्मा नुरियन्न-क बअ्ज़ल्लज़ी नअिदुहुम् औ न-तवफ़्फ़ यन्न-क फ़-इलैना मर्जिअुहुम् सुम्मल्लाहु शहीदुन् अला मा यफ़अलून
ऐ रसूल! हम जिस (यातना) का उनसे वायदा कर चुके हैं उनमें से कुछ तुम्हें दिखा दें या तुमको (पहले ही दुनिया से) उठा ले। फिर (आखि़र) तो उन सबको हमारी तरफ लौटना ही है। फिर जो कुछ ये लोग कर रहे हैं अल्लाह तो उस पर गवाह ही है।

10:47

وَلِكُلِّ أُمَّةٍۢ رَّسُولٌۭ ۖ فَإِذَا جَآءَ رَسُولُهُمْ قُضِىَ بَيْنَهُم بِٱلْقِسْطِ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ

व लिकुल्लि उम्मतिर्रसूलुन, फ़-इज़ा जा-अ रसूलुहुम् क़ुज़ि-य बैनहुम् बिल्क़िस्ति व हुम् ला युज़्लमून
और हर उम्मत का ख़ास (एक) एक रसूल हुआ है फिर जब उनका रसूल आएगा तो उनके बीच इन्साफ़ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर कुछ भी ज़़ुल्म न किया जाएगा।

10:48

وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَـٰذَا ٱلْوَعْدُ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ

व यक़ूलू-न मता हाज़ल-वअ्दु इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
ये लोग कहा करते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आख़िर) ये (अज़ाब का वायदा) कब पूरा होगा।

10:49

قُل لَّآ أَمْلِكُ لِنَفْسِى ضَرًّۭا وَلَا نَفْعًا إِلَّا مَا شَآءَ ٱللَّهُ ۗ لِكُلِّ أُمَّةٍ أَجَلٌ ۚ إِذَا جَآءَ أَجَلُهُمْ فَلَا يَسْتَـْٔخِرُونَ سَاعَةًۭ ۖ وَلَا يَسْتَقْدِمُونَ

क़ुल् ला अम्लिकु लिनफ़्सी ज़र्रव्-व ला नफ्अन् इल्ला मा शा-अल्लाहु, लिकुल्लि उम्मतिन् अ-जलुन्, इज़ा जा-अ अ-जलुहुम् फला यस्तअ्ख़िरू-न सा अ़तंव्-व ला यस्तक़्दिमून
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि मैं स्वयं अपने लाभ तथा हानि का अधिकार नहीं रखता। मगर जो अल्लाह चाहे, हर उम्मत (के रहने) का (उसके इल्म में) एक समय निर्धारित है। जब उन का वक़्त आ जाता है तो न एक क्षण पीछे हट सकती हैं और न आगे बढ़ सकते हैं।

10:50

قُلْ أَرَءَيْتُمْ إِنْ أَتَىٰكُمْ عَذَابُهُۥ بَيَـٰتًا أَوْ نَهَارًۭا مَّاذَا يَسْتَعْجِلُ مِنْهُ ٱلْمُجْرِمُونَ

क़ुल अ-रऐतुम् इन् अताकुम् अ़ज़ाबुहू बयातन् औ नहारम् माज़ा यस्तअ्जिलु मिन्हुल मुज्रिमून
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि क्या तुम समझते हो कि अगर उसका अज़ाब तुम पर रात को या दिन को आ जाए तो (तुम क्या करोगे) फिर गुनाहगार लोग आख़िर काहे की जल्दी मचा रहे हैं।

10:51

أَثُمَّ إِذَا مَا وَقَعَ ءَامَنتُم بِهِۦٓ ۚ ءَآلْـَٔـٰنَ وَقَدْ كُنتُم بِهِۦ تَسْتَعْجِلُونَ

अ-सुम्-म इज़ा मा व-क़-अ आमन्तुम् बिही, आल्आ-न व क़द् कुन्तुम् बिही तस्तअ़जिलून
फिर क्या जब (तुम पर) आ चुकेगा तब उस पर ईमान लाओगे (आहा) क्या अब (ईमान लाए) हालाकि तुम तो इसकी जल्दी मचाया करते थे।

10:52

ثُمَّ قِيلَ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ ذُوقُوا۟ عَذَابَ ٱلْخُلْدِ هَلْ تُجْزَوْنَ إِلَّا بِمَا كُنتُمْ تَكْسِبُونَ

सुम्-म क़ी-ल लिल्लज़ी-न ज़-लमू ज़ूक़ू अ़ज़ाबल्-ख़ुल्दि हल तुज्ज़ौ-न इल्ला बिमा कुन्तुम् तक्सिबून
फिर (क़यामत के दिन) ज़ालिम लोगों से कहा जाएगा कि (अब सदा की यातना के मजे़ चखो (दुनिया में) जैसी तुम्हारी करतूतें तुम्हें (आख़िरत में) वैसा ही बदला दिया जाएगा।

10:53

۞ وَيَسْتَنۢبِـُٔونَكَ أَحَقٌّ هُوَ ۖ قُلْ إِى وَرَبِّىٓ إِنَّهُۥ لَحَقٌّۭ ۖ وَمَآ أَنتُم بِمُعْجِزِينَ

व यस्तम्बिऊन-क अ-हक़्क़ुन् हु-व, क़ुल ई व रब्बी इन्नहू ल-हक़्क़ुन्, व मा अन्तुम् बिमुअ्जिज़ीन
(ऐ रसूल!) तुम से लोग पूछतें हैं कि क्या (जो कुछ तुम कहते हो) वह सब ठीक है? तुम कह दो (हाँ) अपने परवरदिगार की कसम ठीक है। और तुम (अल्लाह को) हरा नहीं सकते।

10:54

وَلَوْ أَنَّ لِكُلِّ نَفْسٍۢ ظَلَمَتْ مَا فِى ٱلْأَرْضِ لَٱفْتَدَتْ بِهِۦ ۗ وَأَسَرُّوا۟ ٱلنَّدَامَةَ لَمَّا رَأَوُا۟ ٱلْعَذَابَ ۖ وَقُضِىَ بَيْنَهُم بِٱلْقِسْطِ ۚ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ

व लौ अन्-न लिकुल्लि नफ्सिन् ज़-लमत् मा फ़िल्अर्ज़ि लफ़्त-दत् बिही, व अ-सर्रून्नदाम-त लम्मा र-अवुल्-अ़ज़ा-ब, व क़ुज़ि-य बैनहुम् बिल्क़िस्ति व हुम् ला युज़्लमून
और (दुनिया में) जिस जिसने (हमारी नाफरमानी कर के) ज़ुल्म किया है (क़यामत के दिन) अगर तमाम ख़ज़ाने जो जमीन में हैं उसे मिल जाएँ तो अपने गुनाह के बदले ज़रुर अर्थदंड दे निकले और जब वह लोग अज़ाब को देखेगें तो शर्मिंदा होंगें और उनमें न्यायपूर्वक इन्साफ़ के साथ हुक्म दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा बराबर ज़ुल्म न किया जाएगा।

10:55

أَلَآ إِنَّ لِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۗ أَلَآ إِنَّ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقٌّۭ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ

अला इन्-न लिल्लाहि मा फिस्समावाति वल्अर्ज़ि, अला इन्-न वअ्दल्लाहि हक़्कुंव्-व लाकिन्-न अक्स-रहुम् ला यअ्लमून
सुन लो, कि जो कुछ आसमानों में और ज़मीन में है (सब कुछ) अल्लाह ही का है आग़ाह रहे कि अल्लाह का वायदा निस्संदेह ठीक है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं।

10:56

هُوَ يُحْىِۦ وَيُمِيتُ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ

हु-व युह़्यी व युमीतु व इलैहि तुर्जअन
वही ज़िन्दा करता है और वही मारता है और तुम सब के सब, उसी की तरफ लौटाए जाओगें।

10:57

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ قَدْ جَآءَتْكُم مَّوْعِظَةٌۭ مِّن رَّبِّكُمْ وَشِفَآءٌۭ لِّمَا فِى ٱلصُّدُورِ وَهُدًۭى وَرَحْمَةٌۭ لِّلْمُؤْمِنِينَ

या अय्युहन्नासु क़द् जाअत्कुम् मौअि-ज़तुम्- मिर्रब्बिकुम् व शिफाउल्लिमा फिस्सुदूरि, व हुदंव् व रह़्मतुल् लिल्मुअ्मिनीन
लोगों तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से उपदेश (किताबे अल्लाह) आ चुकी और जो (रोग शिर्क वगै़रह) दिल में हैं उनकी दवा और ईमान वालों के लिए हिदायत और रहमत हैं।

10:58

قُلْ بِفَضْلِ ٱللَّهِ وَبِرَحْمَتِهِۦ فَبِذَٰلِكَ فَلْيَفْرَحُوا۟ هُوَ خَيْرٌۭ مِّمَّا يَجْمَعُونَ

क़ुल् बिफ़ज़्लिल्लाहि व बिरह् मतिही फ़बिज़ालि-क फल्यफ्रहू, हु-व खैरूम्-मिम्मा यज्मअून
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि (ये क़ुरान) अल्लाह के फज़ल व करम और उसकी रहमत से तुमको मिला है (ही) तो उन लोगों को इस पर खुश होना चाहिए और जो कुछ वह इकट्ठा कर रहे हैं उससे कहीं उत्तम है।

10:59

قُلْ أَرَءَيْتُم مَّآ أَنزَلَ ٱللَّهُ لَكُم مِّن رِّزْقٍۢ فَجَعَلْتُم مِّنْهُ حَرَامًۭا وَحَلَـٰلًۭا قُلْ ءَآللَّهُ أَذِنَ لَكُمْ ۖ أَمْ عَلَى ٱللَّهِ تَفْتَرُونَ

क़ुल् अ-रऐतुम् मा अन्ज़लल्लाहु लकुम् मिर्रिज़्क़िन् फ़-जअ़ल्तुम् मिन्हु हरामंव्-व हलालन्, क़ुल् आल्लाहु अज़ि-न लकुम् अम् अ़लल्लाहि तफ्तरून
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि तुम्हारा क्या ख़्याल है कि अल्लाह ने तुम पर जीविका उतारी है, तो अब उसमें से कुछ को हराम कुछ को हलाल बनाने लगे (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि क्या अल्लाह ने तुम्हें इजाज़त दी है या तुम अल्लाह पर आरोप लगा रहे हो।

10:60

وَمَا ظَنُّ ٱلَّذِينَ يَفْتَرُونَ عَلَى ٱللَّهِ ٱلْكَذِبَ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَذُو فَضْلٍ عَلَى ٱلنَّاسِ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَشْكُرُونَ

व मा जन्नुल्लज़ी-न यफ्तरू-न अलल्लाहिल-कज़ि-ब यौमल्-क़ियामति, इन्नल्ला-ह लज़ू फ़ज़्लिन् अलन्नासि व लाकिन-न अक्स-रहुम् ला यश्कुरून
और जो लोग, अल्लाह पर मिथ्या आरोप लगा रहे हैं, प्रलय के दिन का क्या ख़्याल करते हैं? उसमें शक नहीं कि अल्लाह तो लोगों पर बड़ा दयाशील है। मगर उनमें से अधिकतर कृतज्ञ नहीं हैं

10:61

وَمَا تَكُونُ فِى شَأْنٍۢ وَمَا تَتْلُوا۟ مِنْهُ مِن قُرْءَانٍۢ وَلَا تَعْمَلُونَ مِنْ عَمَلٍ إِلَّا كُنَّا عَلَيْكُمْ شُهُودًا إِذْ تُفِيضُونَ فِيهِ ۚ وَمَا يَعْزُبُ عَن رَّبِّكَ مِن مِّثْقَالِ ذَرَّةٍۢ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا فِى ٱلسَّمَآءِ وَلَآ أَصْغَرَ مِن ذَٰلِكَ وَلَآ أَكْبَرَ إِلَّا فِى كِتَـٰبٍۢ مُّبِينٍ

व मा तकूनु फ़ी शअ्निंव्-व मा तत्लू मिन्हु मिन् क़ुरआनिंव्-व ला तअ्मलू-न मिन् अ-मलिन् इल्ला कुन्ना अलैकुम् शुहूदन् इज़् तुफ़ीज़ू-न फ़ीहि, व मा यअ्ज़ुबु अर्रब्बि-क मिम्-मिस्क़ालि ज़र्रतिन् फ़िल्अर्ज़ि व ला फिस्समा-इ व ला अस्ग़-र मिन् ज़ालि क व ला अक्ब-र इल्ला फ़ी किताबिम् मुबीन
(और ऐ रसूल!) तुम (चाहे) किसी हाल में हो और क़ुरान की कोई सी भी आयत सुनाते हों और (लोगों) तुम कोई सा भी कर्म कर रहे हो, जब तुम उस काम में मशगूल होते हो हम तुम को देखते रहते हैं और तुम्हारे पालनहार से कण-भर भी कोई चीज़ ग़ायब नहीं रह सकती न ज़मीन में और न आसमान में और न कोई चीज़ ज़र्रे से छोटी है और न उससे बढ़ी, चीज़ मगर वह स्पष्ट किताब लौहे महफूज़ में ज़रुर है।

10:62

أَلَآ إِنَّ أَوْلِيَآءَ ٱللَّهِ لَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ

अला इन्-न औलिया-अल्लाहि ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह़्ज़नून
सुन लो, इसमें शक नहीं कि अल्लाह के मित्रों को (क़यामत में) न तो कोई डर होगा और न वह शोकाकुल ख़ातिर होगे।

10:63

ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَكَانُوا۟ يَتَّقُونَ

अल्लज़ी-न आमनू व कानू यत्तक़ून
ये वह लोग हैं जो ईमान लाए और (अल्लाह से) डरते थे।

10:64

لَهُمُ ٱلْبُشْرَىٰ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَفِى ٱلْـَٔاخِرَةِ ۚ لَا تَبْدِيلَ لِكَلِمَـٰتِ ٱللَّهِ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلْفَوْزُ ٱلْعَظِيمُ

लहुमुल्बुश्रा फ़िल्हयातिद्दुन्या व फ़िल्-आख़िरति, ला तब्दी-ल लि-कलिमातिल्लाहि, ज़ालि-क हुवल् फ़ौज़ुल अज़ीम
उन्हीं लोगों के वास्ते सांसारिक जीवन में भी और परलोक में (भी) ख़ुशख़बरी है। अल्लाह की बातों में कोई परिवर्तन  नहीं हुआ करता यही तो बड़ी कामयाबी है।

10:65

وَلَا يَحْزُنكَ قَوْلُهُمْ ۘ إِنَّ ٱلْعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًا ۚ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ

व ला यह्ज़ुन्-क क़ौलुहुम्, इन्नल्-अिज़्ज़-त लिल्लाहि जमीअन्, हुवस्समीअुल-अलीम
और (ऐ नबी!) उन (कुफ़्फ़ार) की बात तुम्हें दुखी न करे, इसमें तो शक नहीं कि सारी प्रभुत्व तो सिर्फ अल्लाह ही के लिए है और वह सब कुछ सुनने जानने-वाला है।

10:66

أَلَآ إِنَّ لِلَّهِ مَن فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَن فِى ٱلْأَرْضِ ۗ وَمَا يَتَّبِعُ ٱلَّذِينَ يَدْعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ شُرَكَآءَ ۚ إِن يَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّ وَإِنْ هُمْ إِلَّا يَخْرُصُونَ

अला इन्-न लिल्लाहि मन् फ़िस्समावाति व मन् फ़िलअर्जि, व मा यत्तबिअुल्लज़ी-न यद्अून मिन् दुनिल्लाहि शु-रका-अ, इंय्यत्तबिअू-न इल्लज़्ज़न्-न व इन् हुम् इल्ला यख़्रुसून
जान रखो! इसमें शक नहीं कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में है (सब कुछ) अल्लाह ही के लिए है और जो लोग अल्लाह को छोड़कर (दूसरों को) पुकारते हैं वह तो (अल्लाह के फर्ज) शरीकों की राह पर भी नहीं चलते बल्कि वह तो सिर्फ अपनी अटकल पर चलते हैं और वह सिर्फ वहमी और ख़्याली बातें किया करते हैं।

10:67

هُوَ ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلَّيْلَ لِتَسْكُنُوا۟ فِيهِ وَٱلنَّهَارَ مُبْصِرًا ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّقَوْمٍۢ يَسْمَعُونَ

हुवल्लज़ी ज-अ-ल लकुमुल्लै-ल लितस्कुनू फ़ीहि वन्नहा-र मुब्सिरन्, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआयातिल् लिक़ौमिंय्यस्मअून
वही है जिसने तुम्हारे नफा के वास्ते रात को बनाया ताकि तुम इसमें सुख पाओ और दिन को (बनाया) कि उसकी रौशनी में देखो। निःसंदेह उसमें शक नहीं जो लोग सुन लेते हैं उनके लिए इसमें (कुदरत की बहुतेरी) निशानियाँ हैं)।

10:68

قَالُوا۟ ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ وَلَدًۭا ۗ سُبْحَـٰنَهُۥ ۖ هُوَ ٱلْغَنِىُّ ۖ لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۚ إِنْ عِندَكُم مِّن سُلْطَـٰنٍۭ بِهَـٰذَآ ۚ أَتَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ

क़ालुत्त-ख़ज़ल्लाहु व लदन् सुब्हानहू, हुवल्-ग़निय्यु, लहू मा फ़िस्समावाति व मा फ़िलअर्ज़ि, इन् अिन्दकुम् मिन् सुल्तानिम्-बिहाज़ा, अ तक़ूलू-न अ़लल्लाहि मा ला तअ्लमून
लोगों ने तो कह दिया कि “अल्लाह ने बेटा बना लिया।” वह पवित्र है। वह निस्पृह है। वही स्वामी है उसका, जो अकाशों में तथा धरती में है। तुम्हारे पास इसका कोई प्रमाण नहीं। क्या तुम अल्लाह से जोड़कर वह बात कहते हो, जिसका तुम्हें ज्ञान नहीं?

10:69

قُلْ إِنَّ ٱلَّذِينَ يَفْتَرُونَ عَلَى ٱللَّهِ ٱلْكَذِبَ لَا يُفْلِحُونَ

क़ुल इन्नल्लज़ी न यफ्तरू-न अलल्लाहिल्-कज़ि-ब ला युफ्लिहून
ऐ रसूल! तुम कह दो कि बेशक जो लोग झूठ मूठ अल्लाह पर झूठ घड़ते हैं, वह कभी कामयाब न होगें।

10:70

مَتَـٰعٌۭ فِى ٱلدُّنْيَا ثُمَّ إِلَيْنَا مَرْجِعُهُمْ ثُمَّ نُذِيقُهُمُ ٱلْعَذَابَ ٱلشَّدِيدَ بِمَا كَانُوا۟ يَكْفُرُونَ

मताअुन् फ़िद्दुन्या सुम्-म इलैना मर्जिअुहुम् सुम्-म नुज़ीक़ुहुमुल् अ़ज़ाबश्शदी-द बिमा कानू यक्फुरून
यह तो सांसारिक सुख है। फिर तो आख़िर हमारी ही तरफ लौट कर आना है तब उनके अविश्वास की सज़ा में हम उनको घोर यातना के मज़े चखाएँगें।

10:71

۞ وَٱتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ نُوحٍ إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِۦ يَـٰقَوْمِ إِن كَانَ كَبُرَ عَلَيْكُم مَّقَامِى وَتَذْكِيرِى بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ فَعَلَى ٱللَّهِ تَوَكَّلْتُ فَأَجْمِعُوٓا۟ أَمْرَكُمْ وَشُرَكَآءَكُمْ ثُمَّ لَا يَكُنْ أَمْرُكُمْ عَلَيْكُمْ غُمَّةًۭ ثُمَّ ٱقْضُوٓا۟ إِلَىَّ وَلَا تُنظِرُونِ

वत्लु अलैहिम न-ब-अ नूहिन • इज़ क़ा-ल लिक़ौमिही या क़ौमि इन् का-न कबु-र अ़लैकुम् मक़ामी व तज़्कीरी बिआयातिल्लाहि फ़-अ़लल्लाहि तवक्कल्तु फ़-अज्मिअू अम्रकुम् व शु-रका-अकुम् सुम्-म ला यकुन् अम्रूकुम् अलैकुम् ग़ुम्म-तन् सुम्मक़्ज़ू इलय्-य वला तुन्ज़िरून
और (ऐ रसूल!) तुम उनके सामने नूह का वृत्तान्त पढ़ दो जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा, “ऐ मेरी क़ौम अगर मेरा ठहरना और अल्लाह की आयतों का चर्चा करना तुम्हें भारी हो गया है तो मैं सिर्फ अल्लाह ही पर भरोसा रखता हूँ। तो तुम और तुम्हारे साझीदार सब मिलकर अपना काम ठीक कर लो फिर तुम्हारी बात तुम (में से किसी) पर महज़ (छुपी) न रहे; फिर मेरे साथ जो कुछ करना है, कर डालो और गुझे (दम मारने का भी) अवसर न दो।

10:72

فَإِن تَوَلَّيْتُمْ فَمَا سَأَلْتُكُم مِّنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَى ٱللَّهِ ۖ وَأُمِرْتُ أَنْ أَكُونَ مِنَ ٱلْمُسْلِمِينَ

फ़- इन् तवल्लैतुम् फ़मा सअल्तुकुम् मिन् अज्रिन्, इन् अज्रि-य इल्ला अ़लल्लाहि, व उमिरतु अन् अकू-न मिनल्-मुस्लिमीन
फिर भी अगर तुम ने (मेरी नसीहत से) मुँह मोड़ा तो मैने तुम से कुछ मज़दूरी तो न माँगी थी-मेरी मज़दूरी तो सिर्फ अल्लाह ही पर है और (उसी की तरफ से) मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं उसके आज्ञाकारी बन्दों में से हो जाऊँ।

10:73

فَكَذَّبُوهُ فَنَجَّيْنَـٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِى ٱلْفُلْكِ وَجَعَلْنَـٰهُمْ خَلَـٰٓئِفَ وَأَغْرَقْنَا ٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا ۖ فَٱنظُرْ كَيْفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلْمُنذَرِينَ

फ़-कज़्ज़बूहु फ़-नज्जैनाहु व मम्-म अ़हू फ़िल्फुल्कि व जअ़ल्नाहुम् ख़लाइ-फ़ व अग़्रक़्नल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना, फ़न्ज़ुर् कै-फ़ का-न आ़कि-बतुल् मुन्ज़रीन
उस पर भी उन लोगों ने उनको झुठलाया तो हमने उनको और जो लोग उनके साथ नौका में (सवार) थे (उनको) बचा लिया और उनको (अगलों का) उत्तराधिकारी बनाया, और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था उनको डुबो मारा। फिर ज़रा ग़ौर तो करो कि जो (अज़ाब से) डराए जा चुके थे उनका क्या (ख़राब) परिणाम हुआ।

10:74

ثُمَّ بَعَثْنَا مِنۢ بَعْدِهِۦ رُسُلًا إِلَىٰ قَوْمِهِمْ فَجَآءُوهُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ فَمَا كَانُوا۟ لِيُؤْمِنُوا۟ بِمَا كَذَّبُوا۟ بِهِۦ مِن قَبْلُ ۚ كَذَٰلِكَ نَطْبَعُ عَلَىٰ قُلُوبِ ٱلْمُعْتَدِينَ

सुम्-म बअ़स्-ना मिम्-बअ्दिही रूसुलन् इला क़ौमिहिम् फ़जाऊहुम् बिल्बय्यिनाति फ़मा कानू लियुअ्मिनू बिमा कज़्ज़बू बिही मिन् क़ब्लु, कज़ालि-क नत्बअु अ़ला क़ुलूबिल्-मुअ्तदीन
फिर हमने नूह के बाद और रसूलों को अपनी जाति के पास भेजा, तो वह पैग़म्बर उनके पास खुली निशानियाँ (तर्क) लेकर आए इस पर भी जिस चीज़ को ये लोग पहले झुठला चुके थे उस पर ईमान (न लाना था) न लाए। हम यू ही हद से गुज़र जाने वालों के दिलों पर खुद मुहर कर देते हैं।

10:75

ثُمَّ بَعَثْنَا مِنۢ بَعْدِهِم مُّوسَىٰ وَهَـٰرُونَ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَإِي۟هِۦ بِـَٔايَـٰتِنَا فَٱسْتَكْبَرُوا۟ وَكَانُوا۟ قَوْمًۭا مُّجْرِمِينَ

सुम्-म ब अ़स्-ना मिम्बअ्दिहिम् मूसा व हारू-न इला फ़िरऔ-न व म-लइही बिआयातिना फ़स्तक्बरू व कानू क़ौमम्-मुज्रिमीन
फिर हमने इन पैग़म्बरों के बाद मूसा व हारुन को अपनी निशानियाँ (मौजिज़े) लेकर फिरौन और उस (की क़ौम) के सरदारों के पास भेजा तो उन्होंने अभिमान किया और ये लोग थे ही कुसूरवार।

10:76

فَلَمَّا جَآءَهُمُ ٱلْحَقُّ مِنْ عِندِنَا قَالُوٓا۟ إِنَّ هَـٰذَا لَسِحْرٌۭ مُّبِينٌۭ

फ़-लम्मा जा-अहुमुल्-हक़्क़ु मिन् अिन्दिना क़ालू इन्- न हाज़ा लसिह्-रूम् मुबीन
फिर जब उनके पास हमारी तरफ से हक़ बात (सत्य) आ गया, तो कहने लगे कि ये तो वास्तव में खुला  जादू है।

10:77

قَالَ مُوسَىٰٓ أَتَقُولُونَ لِلْحَقِّ لَمَّا جَآءَكُمْ ۖ أَسِحْرٌ هَـٰذَا وَلَا يُفْلِحُ ٱلسَّـٰحِرُونَ

क़ा-ल मूसा अ-तक़ूलू-न लिल्हक़्क़ि लम्मा जा-अकुम्, असिह्-रून् हाज़ा, व ला युफ्लिहुस्साहिरून
मूसा ने कहा: क्या जब (सत्य) तुम्हारे पास आया तो उसके बारे में कहते हो कि क्या ये जादू है? और जादूगर लोग कभी कामयाब न होगें।

10:78

قَالُوٓا۟ أَجِئْتَنَا لِتَلْفِتَنَا عَمَّا وَجَدْنَا عَلَيْهِ ءَابَآءَنَا وَتَكُونَ لَكُمَا ٱلْكِبْرِيَآءُ فِى ٱلْأَرْضِ وَمَا نَحْنُ لَكُمَا بِمُؤْمِنِينَ

क़ालू अजिअ्-तना लितल्फ़ि-तना अ़म्मा वजद्-ना अ़लैहि आबा-अना व तकू-न लकुमल्-किब्रिया-उ फ़िल्अर्ज़ि, व मा नह्नु लकुमा बिमुअ्मिनीन
वह लोग कहने लगे कि (ऐ मूसा!) क्यों तुम हमारे पास उस वास्ते आए हो कि जिस दीन पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया उससे तुम हमे बहका दो और सारी ज़मीन में ही तुम दोनों की बढ़ाई स्थापित हो जाए? और ये लोग तुम दोनों पर ईमान लाने वाले नहीं।

10:79

وَقَالَ فِرْعَوْنُ ٱئْتُونِى بِكُلِّ سَـٰحِرٍ عَلِيمٍۢ

व क़ा-ल फिरऔनुअ्तूनी बिकुल्लि साहिरिन् अ़लीम
और फिरौन ने हुक्म दिया, “हर कुशल जादूगर को मेरे पास लाओ।

10:80

فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلْقُوا۟ مَآ أَنتُم مُّلْقُونَ

फ़-लम्मा जाअस्स-ह-रतु क़ा-ल लहुम् मूसा अल्क़ू मा अनतुम्-मुल्क़ून
फिर जब जादूगर लोग (मैदान में) आ मौजूद हुए तो मूसा ने उनसे कहा कि तुमको जो कुछ फेंकना हो फेंको।

10:81

فَلَمَّآ أَلْقَوْا۟ قَالَ مُوسَىٰ مَا جِئْتُم بِهِ ٱلسِّحْرُ ۖ إِنَّ ٱللَّهَ سَيُبْطِلُهُۥٓ ۖ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُصْلِحُ عَمَلَ ٱلْمُفْسِدِينَ

फ़-लम्मा अल्क़ौ क़ा-ल मूसा मा जिअ्तुम् बिहिस् – सिहरू, इन्नल्ला-ह सयुब्तिलुहू, इन्नल्ला-ह ला युस्लिहु अ-मलल्-मुफ़्सिदीन
फिर जब वह लोग (रस्सियों को साँप बनाकर) डाल चुके तो मूसा ने कहा, जो कुछ तुम (बनाकर) लाए हो (वह तो सब) जादू है-इसमें तो शक ही नहीं कि अल्लाह उसे फौरन मिटियामेट कर देगा (क्योंकर) अल्लाह तो हरगिज़ बिगाड़ पैदा करनेवालों के काम फलीभूत नहीं होने देता।

10:82

وَيُحِقُّ ٱللَّهُ ٱلْحَقَّ بِكَلِمَـٰتِهِۦ وَلَوْ كَرِهَ ٱلْمُجْرِمُونَ

व युहिक़्क़ुल्लाहुल्-हक़्-क़ बि-कलिमातिही व लौ करिहल्-मुज्रिमून
और अल्लाह सत्य को, अपने आदेशों के अनुसार, सत्य कर दिखायेगा। यद्यपि अपराधियों को बुरा लगे।

10:83

فَمَآ ءَامَنَ لِمُوسَىٰٓ إِلَّا ذُرِّيَّةٌۭ مِّن قَوْمِهِۦ عَلَىٰ خَوْفٍۢ مِّن فِرْعَوْنَ وَمَلَإِي۟هِمْ أَن يَفْتِنَهُمْ ۚ وَإِنَّ فِرْعَوْنَ لَعَالٍۢ فِى ٱلْأَرْضِ وَإِنَّهُۥ لَمِنَ ٱلْمُسْرِفِينَ

फ़मा आम-न लिमूसा इल्ला ज़ुर्रिय्यतुम्-मिन् क़ौमिही अ़ला ख़ौफ़िम् मिन् फिरऔ-न व म-लइहिम् अंय्यफ्ति-नहुम, व इन्-न फ़िरऔ-न लआ़लिन् फ़िल्अर्ज़ि, व इन्नहू लमिनल् मुस्रिफ़ीन
फिर मूसा पर उनकी क़ौम की नस्ल के चन्द आदमियों के सिवा, फिरौन और उसके सरदारों के इस ख़ौफ से कि उन पर कोई मुसीबत डाल दे, कोई ईमान न लाया। वास्तव में, फिरौन का धरती में बड़ा प्रभुत्व था और इसमें शक नहीं कि वह यक़ीनन ज़्यादती करने वालों में से था।

10:84

وَقَالَ مُوسَىٰ يَـٰقَوْمِ إِن كُنتُمْ ءَامَنتُم بِٱللَّهِ فَعَلَيْهِ تَوَكَّلُوٓا۟ إِن كُنتُم مُّسْلِمِينَ

व क़ा-ल मूसा या क़ौमि इन् कुन्तुम् आमन्तुम् बिल्लाहि फ़-अ़लैहि तवक्कलू इन् कुन्तुम् मुस्लिमीन
और मूसा ने कहा, ऐ मेरी क़ौम! अगर तुम (सच्चे दिल से) अल्लाह पर ईमान ला चुके तो अगर तुम आज्ञाकारी हो तो बस उसी पर भरोसा करो।

10:85

فَقَالُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ تَوَكَّلْنَا رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا فِتْنَةًۭ لِّلْقَوْمِ ٱلظَّـٰلِمِينَ

फ़क़ालू अ़लल्लाहि तवक्कल्ना, रब्बना ला तज्अल्ना फित्-न तल् लिल्फ़ौमिज़्ज़ालिमीन
इसपर वे बोले, हमने तो अल्लाह ही पर भरोसा कर लिया है और दुआ की कि ऐ हमारे पालने वाले! तू हमें अत्याचारी के लिए परीक्षा का साधन न बना।

10:86

وَنَجِّنَا بِرَحْمَتِكَ مِنَ ٱلْقَوْمِ ٱلْكَـٰفِرِينَ

व नज्जिना बिरह् मति-क मिनल् क़ौमिल् काफ़िरीन
और अपनी दया से हमें इन काफिर लोगों से बचा ले।

10:87

وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰ وَأَخِيهِ أَن تَبَوَّءَا لِقَوْمِكُمَا بِمِصْرَ بُيُوتًۭا وَٱجْعَلُوا۟ بُيُوتَكُمْ قِبْلَةًۭ وَأَقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ ۗ وَبَشِّرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ

व औहैना इला मूसा व अख़ीहि अन् तबव्वआ लिक़ौमिकुमा बिमिस्-र बुयूतंव्वज्अ़लू बुयू-तकुम क़िब्लतंव्-व अक़ीमुस्सला-त, व बश्शिरिल मुअ्मिनीन
और हमने मूसा और उनके भाई (हारुन) के पास ‘वही’ भेजी कि मिस्र में अपनी जाति के लिए घर बनाओ और अपने घरों को क़िब्ला बना लो (“क़िब्ला” उस दिशा को कहा जाता है जिस की ओर मुख कर के नमाज़ पढ़ी जाती है।) और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ों और ईमान वालों को (मोक्ष की) खुशख़बरी दे दो।

10:88

وَقَالَ مُوسَىٰ رَبَّنَآ إِنَّكَ ءَاتَيْتَ فِرْعَوْنَ وَمَلَأَهُۥ زِينَةًۭ وَأَمْوَٰلًۭا فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا رَبَّنَا لِيُضِلُّوا۟ عَن سَبِيلِكَ ۖ رَبَّنَا ٱطْمِسْ عَلَىٰٓ أَمْوَٰلِهِمْ وَٱشْدُدْ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ فَلَا يُؤْمِنُوا۟ حَتَّىٰ يَرَوُا۟ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ

व क़ा-ल मूसा रब्बना इन्न-क आतै-त फ़िरऔ-न व म-ल-अहू ज़ीनतंव्-व अम्वालन् फ़िल्हयातिद्दुन्या, रब्बना लियुज़िल्लू अन् सबीलि-क, रब्बनत्मिस् अ़ला अम्वालिहिम् वश्दुद् अला क़ुलूबिहिम् फला युअ्मिनू हत्ता-य-र-वुल् अ़ज़ाबल्-अलीम
और मूसा ने कहा, ऐ हमारे पालने वाले! तूने फिरौन और उसके सरदारों को दुनिया की ज़िन्दगी में (बड़ी) शोभा-सामग्री और दौलत दे रखी है (क्या तूने ये सामान इस लिए अता किया है) ताकि ये लोग तेरे रास्तें से लोगों को भटकाएँ। परवरदिगार! तू उनके दौलत को बरबाद कर दे और उनके दिलों पर सख़्ती कर (क्योंकि) जब तक ये लोग दुःखदायी यातना न देख लेगें ईमान न लाएगें।

10:89

قَالَ قَدْ أُجِيبَت دَّعْوَتُكُمَا فَٱسْتَقِيمَا وَلَا تَتَّبِعَآنِّ سَبِيلَ ٱلَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ

क़ा-ल क़द् उजीबद्-दअ्वतुकुमा फ़स्तक़ीमा व ला तत्तबिआन्नि सबीलल्लज़ी-न ला यअ्लमून
(अल्लाह ने) कहाः तुम दोनों की दुआ स्वीकार कर ली गयी तो तुम दोनों अडिग रहो और नादानों की राह पर न चलो।

10:90

۞ وَجَـٰوَزْنَا بِبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٱلْبَحْرَ فَأَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ وَجُنُودُهُۥ بَغْيًۭا وَعَدْوًا ۖ حَتَّىٰٓ إِذَآ أَدْرَكَهُ ٱلْغَرَقُ قَالَ ءَامَنتُ أَنَّهُۥ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا ٱلَّذِىٓ ءَامَنَتْ بِهِۦ بَنُوٓا۟ إِسْرَٰٓءِيلَ وَأَنَا۠ مِنَ ٱلْمُسْلِمِينَ

व जावज़् ना, बि-बनी इस्राईलल्-बह्-रफ़अत्ब-अ़हुम् फ़िरऔनु व जुनूदुहू बग़्यंव्-व अद्-वन्, हत्ता इज़ा अद्र कहुल-ग़-रक़ु, क़ा-ल आमन्तु अन्नहू ला इला-ह इल्लल्लज़ी आ-मनत् बिही बनू इस्राई-ल व अ-ना
 मिनल्-मुस्लिमीन
और हमने इसराईलियों को समुद्र पार करा दिया फिर फिरौन और उसके लश्कर ने सरकशी की और ज़्यादती से उनका पीछा किया, यहाँ तक कि जब वह डूबने लगा तो कहने लगा कि जिस अल्लाह पर बनी इसराइल ईमान लाए हैं, मै भी उस पर ईमान लाता हूँ उससे सिवा कोई माबूद नहीं, और मैं फरमाबरदार बन्दों से हूँ।

10:91

ءَآلْـَٔـٰنَ وَقَدْ عَصَيْتَ قَبْلُ وَكُنتَ مِنَ ٱلْمُفْسِدِينَ

आल्आ-न व क़द् असै-त क़ब्लु व कुन्-त मिनल्- मुफ्सिदीन
अब (मरने) के वक़्त ईमान लाता है हालाकि इससे पहले तो अवज्ञा करता रहा और तू तो उपद्रवियों में से था।

10:92

فَٱلْيَوْمَ نُنَجِّيكَ بِبَدَنِكَ لِتَكُونَ لِمَنْ خَلْفَكَ ءَايَةًۭ ۚ وَإِنَّ كَثِيرًۭا مِّنَ ٱلنَّاسِ عَنْ ءَايَـٰتِنَا لَغَـٰفِلُونَ

फ़ल्यौ-म नुनज्जी-क बि-ब-दनि-क लितकू-न लिमन् ख़ल्फ़-क आयतन्, व इन्-न कसीरम् मिनन्नासि अ़न् आयातिना लग़ाफ़िलून
अतः आज हम तेरे शव को बचा लेगें, ताकि तू उनके लिए, जो तेरे पश्चात होंगे, एक (शिक्षाप्रद) निशानी हो जाए। और इसमें तो शक नहीं कि तेरे लोग हमारी निशानियों से यक़ीनन असावधान हैं।

10:93

وَلَقَدْ بَوَّأْنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ مُبَوَّأَ صِدْقٍۢ وَرَزَقْنَـٰهُم مِّنَ ٱلطَّيِّبَـٰتِ فَمَا ٱخْتَلَفُوا۟ حَتَّىٰ جَآءَهُمُ ٱلْعِلْمُ ۚ إِنَّ رَبَّكَ يَقْضِى بَيْنَهُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ فِيمَا كَانُوا۟ فِيهِ يَخْتَلِفُونَ

व ल-क़द् बव्वअ्ना बनी इस्राई-ल मुबव्व-अ सिद्किंव्-व रज़क़्नाहुम् मिनत्तय्यिबाति, फ़मख़्त लफू हत्ता जा-अहुमुल्-अिल्मु, इन्-न रब्ब-क यक़्ज़ी बैनहुम् यौमल्-क़ियामति फीमा कानू फीहि यख़्तलिफून
और हमने बनी इसराइल को (मिस्र और शाम में) बहुत अच्छी जगह बसाया और उन्हें अच्छी अच्छी चीज़ें खाने को दी तो उन लोगों के पास जब तक इल्म (न) आ चुका उन लोगों ने परस्पर विभेद नहीं किया। इसमें तो शक ही नहीं जिन बातों में ये (दुनिया में) आपस में झगड़ रहे है, प्रलय के दिन अल्लाह इसमें फैसला कर देगा।

10:94

فَإِن كُنتَ فِى شَكٍّۢ مِّمَّآ أَنزَلْنَآ إِلَيْكَ فَسْـَٔلِ ٱلَّذِينَ يَقْرَءُونَ ٱلْكِتَـٰبَ مِن قَبْلِكَ ۚ لَقَدْ جَآءَكَ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكَ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُمْتَرِينَ

फ़-इन् कुन्-त फी शक्किम् मिम्मा अन्ज़ल्ना इलै-क फ़स् अलिल्लज़ी-न यक़्रऊनल्-किता-ब मिन् क़ब्लि -क, ल-क़द् जा-अकल हक़्क़ु मिर्रब्बि-क फ़ला तकूनन्-न मिनल्-मुम्तरीन
अतः जो कु़रान हमने तुम्हारी तरफ उतारा है अगर उसके बारे में तुम को कुछ शक हो तो जो लोग तुम से पहले से किताब (अल्लाह) पढ़ा करते हैं उन से पूछ के देखों।आपके पास, आपके पालनहार की ओर से सत्य आ गया है। अतः आप, कदापि संदेह करने वालों में न हों।

10:95

وَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ فَتَكُونَ مِنَ ٱلْخَـٰسِرِينَ

व ला तकूनन्-न मिनल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिल्लाहि फ़-तकू-न मिनल्ख़ासिरीन
और आप कदापि उनमें से न हों, जिन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया (वरना) तुम भी घाटा उठाने वालों से हो जाओगे।

10:96

إِنَّ ٱلَّذِينَ حَقَّتْ عَلَيْهِمْ كَلِمَتُ رَبِّكَ لَا يُؤْمِنُونَ

इन्नल्लज़ी-न हक़्क़त् अ़लैहिम् कलि-मतु रब्बि-क ला युअ्मिनून
(ऐ रसूल!) इसमें शक नहीं कि जिन लोगों के विषय में तुम्हारे रब की बात सच्ची होकर रही वे ईमान नहीं लाएँगे

10:97

وَلَوْ جَآءَتْهُمْ كُلُّ ءَايَةٍ حَتَّىٰ يَرَوُا۟ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ

व लौ जाअत्हुम् कुल्लु आयतिन् हत्ता य-रवुल अ़ज़ाबल्-अलीम
वह लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब देख (न) लेगें ईमान न लाएगें चाहे इनके सामने सारी (दैवी) निशानियाँ आ जायें।

10:98

فَلَوْلَا كَانَتْ قَرْيَةٌ ءَامَنَتْ فَنَفَعَهَآ إِيمَـٰنُهَآ إِلَّا قَوْمَ يُونُسَ لَمَّآ ءَامَنُوا۟ كَشَفْنَا عَنْهُمْ عَذَابَ ٱلْخِزْىِ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَمَتَّعْنَـٰهُمْ إِلَىٰ حِينٍۢ

फ़लौ ला कानत् क़र्यतुन् आम-नत् फ़-न-फ़-अ़हा ईमानुहा इल्ला क़ौ-म यूनु-स, लम्मा आमनू कशफ़्ना अन्हुम् अ़ज़ाबल्-ख़िज़्यि फ़िल्हयातिद्दुन्या व मत्तअ्नाहुम् इला हीन
कोई बस्ती ऐसी क्यों न हुयी कि ईमान क़ुबूल करती तो उसको उसका ईमान फायदे मन्द होता, हाँ यूनूस की जाति जब (अज़ाब देख कर) ईमान लाई तो हमने दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में उनसे अपमानजनक यातना दूर कर दिया और हमने उन्हें एक अवधि तक सुखोपभोग का अवसर प्रदान किया।

10:99

وَلَوْ شَآءَ رَبُّكَ لَـَٔامَنَ مَن فِى ٱلْأَرْضِ كُلُّهُمْ جَمِيعًا ۚ أَفَأَنتَ تُكْرِهُ ٱلنَّاسَ حَتَّىٰ يَكُونُوا۟ مُؤْمِنِينَ

व लौ शा-अ रब्बु-क लआम-न मन् फ़िल्अर्ज़ि कुल्लुहुम् जमीअ़न्, अ-फ़अन् त तुक्रिहुन्ना-स हत्ता यकूनू मुअ्मिनीन
और (ऐ पैग़म्बर!) अगर तेरा पालनहार चाहता तो जितने लोग धरती पर हैं, सबके सब ईमान ले आते तो क्या तुम लोगों पर ज़बरदस्ती करना चाहते हो ताकि सबके सब ईमानदार हो जाएँ, हालाकि किसी शख़्स को ये एख़्तेयार नहीं।

10:100

وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ أَن تُؤْمِنَ إِلَّا بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۚ وَيَجْعَلُ ٱلرِّجْسَ عَلَى ٱلَّذِينَ لَا يَعْقِلُونَ

व मा का-न लिनफ्सिन् अन् तुअ्मि-न इल्ला बि-इज़्निल्लाहि, व यज्अलुर्रिज्-स अलल्लज़ी-न ला यअ्क़िलून
हालाँकि किसी व्यक्ति के लिए यह सम्भव नहीं कि अल्लाह की अनुज्ञा के बिना कोई व्यक्ति ईमान लाए। और जो लोग (दीन में) अक़ल से काम नहीं लेते उन्हीं लोगे पर अल्लाह (कुफ्र) की गन्दगी डाल देता है।

10:101

قُلِ ٱنظُرُوا۟ مَاذَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۚ وَمَا تُغْنِى ٱلْـَٔايَـٰتُ وَٱلنُّذُرُ عَن قَوْمٍۢ لَّا يُؤْمِنُونَ

क़ुलिन्ज़ुरू माज़ा फिस्समावाति वल्अर्ज़ि, व मा तुग़्निल् आयातु वन्नुज़ुरू अन् क़ौमिल् ला युअ्मिनून
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि ज़रा देखों तो सही कि आसमानों और ज़मीन में (अल्लाह की निशानियाँ क्या) क्या कुछ हैं (मगर सच तो ये है) और जो लोग ईमान नहीं क़़ुबूल करते उनको हमारी निशानियाँ और चेतावनियाँ कुछ भी काम नहीं आती।

10:102

فَهَلْ يَنتَظِرُونَ إِلَّا مِثْلَ أَيَّامِ ٱلَّذِينَ خَلَوْا۟ مِن قَبْلِهِمْ ۚ قُلْ فَٱنتَظِرُوٓا۟ إِنِّى مَعَكُم مِّنَ ٱلْمُنتَظِرِينَ

फ़-हल् यन्तज़िरून इल्ला मिस्-ल अय्यामिल्लज़ी-न ख़लौ मिन् क़ब्लिहिम्, क़ुल् फ़न्तज़िरू इन्नी म-अ़कुम् मिनल्-मुन्तज़िरीन
तो ये लोग भी उन्हीं सज़ाओं के इन्तजार में हैं जो उनसे पहले वालो पर आ चुकी हैं (ऐ रसूल! उनसे) कह दो कि अच्छा तुम भी इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ यक़ीनन इन्तज़ार करता हूँ।

10:103

ثُمَّ نُنَجِّى رُسُلَنَا وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ۚ كَذَٰلِكَ حَقًّا عَلَيْنَا نُنجِ ٱلْمُؤْمِنِينَ

सुम्-म नुनज्जी रूसु-लना वल्लज़ी-न-आमनू कज़ालि-क, हक़्कन् अ़लैना नुन्जिल्-मुअ्मिनीन
फिर (अज़ाब के वक़्त) हम अपने रसूलों को और जो लोग ईमान लाए उनको (अज़ाब से) बचा लेते हैं। यूँ ही हम पर अपरिहार्य है कि हम ईमान लाने वालों को भी बचा लें।

10:104

قُلْ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِن كُنتُمْ فِى شَكٍّۢ مِّن دِينِى فَلَآ أَعْبُدُ ٱلَّذِينَ تَعْبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلَـٰكِنْ أَعْبُدُ ٱللَّهَ ٱلَّذِى يَتَوَفَّىٰكُمْ ۖ وَأُمِرْتُ أَنْ أَكُونَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ

क़ुल या अय्युहन्नासु इन् कुन्तुम् फी शक्किम् मिन् दीनी फला अअ्बुदुल्लज़ी-न तअ्बुदू-न मिन् दूनिल्लाहि व लाकिन् अअ्बुदुल्लाहल्लज़ी य-तवफ़्फाकुम्, व उमिर्तु अन् अकू-न मिनल्-मुअ्मिनीन
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि अगर तुम लोग मेरे दीन के बारे में शक में पड़े हो तो (मैं भी तुमसे साफ कहें देता हूँ) अल्लाह के सिवा तुम भी जिन लेागों की परसतिश करते हो मै तो उनकी परसतिश नहीं करने का मगर (हाँ) मै उस अल्लाह की इबादत करता हूँ जो तुम्हें (अपनी कुदरत से दुनिया से) उठा लेगा और मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि ईमान वालों में रहूँ।

10:105

وَأَنْ أَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّينِ حَنِيفًۭا وَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ

व अन् अक़िम् वज्ह-क लिद्दीनि हनीफन्, वला तकूनन्-न मिनल्-मुश्रिकीन
और यह कि हर ओर से एकाग्र होकर अपना रुख़ इस धर्म की ओर कर लो और मुशरिकों में कदापि सम्मिलित न हो

10:106

وَلَا تَدْعُ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا يَنفَعُكَ وَلَا يَضُرُّكَ ۖ فَإِن فَعَلْتَ فَإِنَّكَ إِذًۭا مِّنَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

व ला तद्अु मिन् दूनिल्लाहि मा ला यन्फ़अु-क व ला यज़ुर्रू-क, फ़-इन् फ़ अल्-त फ़-इन्न-क इज़म् मिनज़्ज़ालिमीन
और अल्लाह को छोड़ ऐसी चीज़ को पुकारना जो न तुझे लाभ ही पहुँचा सकती हैं न नुक़सान ही पहुँचा सकती है तो अगर तुमने (कहीं ऐसा) किया तो उस वक़्त आप भी अत्याचारियों में हो जायेंगे।

10:107

وَإِن يَمْسَسْكَ ٱللَّهُ بِضُرٍّۢ فَلَا كَاشِفَ لَهُۥٓ إِلَّا هُوَ ۖ وَإِن يُرِدْكَ بِخَيْرٍۢ فَلَا رَآدَّ لِفَضْلِهِۦ ۚ يُصِيبُ بِهِۦ مَن يَشَآءُ مِنْ عِبَادِهِۦ ۚ وَهُوَ ٱلْغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ

व इंय्यम्सस्कल्लाहु बिज़ुर्रिन् फ़ला काशि-फ़ लहू इल्ला हु-व, व इंय्युरिद्-क बिख़ैरिन् फ़ला राद्-द लिफ़ज़्लिही, युसीबु बिही मंय्यशा-उ मिन् अिबादिही, व हुवल् ग़फूरुर्रहीम
और (याद रखो कि) अगर अल्लाह की तरफ से तुम्हें कोई बुराई छू भी गई तो फिर उसके सिवा कोई उसको दूर करने वाला नहीं होगा और अगर तुम्हारे साथ भलाई का इरादा करे , तो कोई उसकी भलाई को रोकने वाला नहीं। वह अपने भक्तों में से जिसको चाहे फायदा पहुँचाएँ और वह बड़ा क्षमाशील दयावान है।

10:108

قُلْ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ قَدْ جَآءَكُمُ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكُمْ ۖ فَمَنِ ٱهْتَدَىٰ فَإِنَّمَا يَهْتَدِى لِنَفْسِهِۦ ۖ وَمَن ضَلَّ فَإِنَّمَا يَضِلُّ عَلَيْهَا ۖ وَمَآ أَنَا۠ عَلَيْكُم بِوَكِيلٍۢ

क़ुल या अय्यु हन्नासु क़द् जा-अकुमुल्-हक़्क़ु मिर्रब्बिकुम्, फ़-मनिह़्तदा फ़-इन्नमा यह़्तदी लिनफ्सिही, व मन् ज़ल्-ल फ़-इन्नमा यज़िल्लु अलैहा, व मा अ-ना अलैकुम् बि-वकील
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि ऐ लोगों! तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास सत्य (क़ुरान) आ चुका फिर जो शख़्स सीधी राह पर चलेगा, तो उसी के लिए लाभदायक है और जो कोई पथभ्रष्ट होगा, तो उसका कुपथ उसी के लिए नाशकारी है और मैं कुछ तुम्हारा जिम्मेदार नहीं हूँ।

10:109

وَٱتَّبِعْ مَا يُوحَىٰٓ إِلَيْكَ وَٱصْبِرْ حَتَّىٰ يَحْكُمَ ٱللَّهُ ۚ وَهُوَ خَيْرُ ٱلْحَـٰكِمِينَ

वत्तबिअ् मा यूहा इलै-क वस्बिर् हत्ता यह़्कुमल्लाहु, व हु-व ख़ैरूल्-हाकिमीन
और (ऐ रसूल!) तुम्हारे पास जो ‘वही’ भेजी जाती है तुम बस उसी का अनुसरण करो और सब्र करो यहाँ तक कि अल्लाह तुम्हारे और काफिरों के बीच फैसला फरमाए और वह तो तमाम फैसला करने वालों से बेहतर है।

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