Surah Ash-Shu’ara In Hindi [26:1 – 26:227]

Surah Ash-Shu'ara

सूरह अश-शुअरा कुरान का 26वाँ सूरा है और यह मक्की सूरा है, यानी यह पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर मक्का में नाजिल हुआ था।

इस सूरा का नाम क्यों रखा गया?

इस सूरा का नाम “शुअरा” इसलिए रखा गया क्योंकि इसमें कवियों के बारे में बात की गई है और उन्हें झूठ फैलाने से सावधान किया गया है।

इस सूरा में क्या बताया गया है?

  • अल्लाह की एकता और उसकी शक्ति: इस सूरा में अल्लाह की एकता और उसकी शक्ति पर जोर दिया गया है। अल्लाह को सब कुछ जानने वाला और सब कुछ करने वाला बताया गया है।
  • पैगंबरों की कहानियां: इस सूरा में कई पैगंबरों की कहानियां बताई गई हैं, जैसे कि नूह, हुद, सालेह और इब्राहीम। इन कहानियों के माध्यम से लोगों को अल्लाह पर विश्वास करने और उसके आदेशों का पालन करने की शिक्षा दी गई है।
  • कवियों की चेतावनी: इस सूरा में कवियों को चेतावनी दी गई है कि वे झूठ फैलाकर लोगों को गुमराह न करें।
  • कियामत का दिन: इस सूरा में कियामत के दिन के बारे में भी बताया गया है और लोगों को उसके लिए तैयार रहने की नसीहत दी गई है।

क्यों पढ़ें सूरह अश-शुअरा?

कियामत के दिन के लिए तैयार रहने के लिए: यह सूरा हमें कियामत के दिन के लिए तैयार रहने की याद दिलाता है।

अल्लाह की एकता और शक्ति को समझने के लिए: यह सूरा हमें अल्लाह की एकता और उसकी शक्ति को समझने में मदद करता है।

पैगंबरों की जिंदगी से सीखने के लिए: इस सूरा में बताई गई पैगंबरों की कहानियों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।

सूरह अश-शूरा हिंदी में पढ़ें

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

26:1

طسٓمٓ

ता-सीम्-मीम्
ता सीन मीम।

26:2

تِلْكَ ءَايَـٰتُ ٱلْكِتَـٰبِ ٱلْمُبِينِ

तिल् क आयातुल् किताबिल्-मुबीन
ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं।

26:3

لَعَلَّكَ بَـٰخِعٌۭ نَّفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا۟ مُؤْمِنِينَ

लअ़ल्ल-क बाखिअुन्-नफ़्स क अल् ला यकूनू मुअ्मिनीन
(ऐ रसूल) शायद तुम (इस फिक्र में)अपनी जान हलाक कर डालोगे कि ये (कुफ्फार) मोमिन क्यो नहीं हो जाते।

26:4

إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ ءَايَةًۭ فَظَلَّتْ أَعْنَـٰقُهُمْ لَهَا خَـٰضِعِينَ

इन् न-शअ् नुनज़्ज़िल् अ़लैहिम् मिनस्समा-इ आ-यतन् फ़-ज़ल्लत अअ्नाकुहुम् लहा ख़ाज़िईन
अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाजि़ल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ।

26:5

وَمَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍۢ مِّنَ ٱلرَّحْمَـٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا۟ عَنْهُ مُعْرِضِينَ

इन् न-शअ् नुनज़्ज़िल् अ़लैहिम् मिनस्समा-इ आ – यतन् फ़- ज़ल्लत अअ्नाकुहुम् लहा ख़ाज़िईन
और (लोगों का क़ायदा है कि) जब उनके पास कोई कोई नसीहत की बात अल्लाह की तरफ़ से आयी तो ये लोग उससे मुँह फेरे बगै़र नहीं रहे।

26:6

فَقَدْ كَذَّبُوا۟ فَسَيَأْتِيهِمْ أَنۢبَـٰٓؤُا۟ مَا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ

फ़-क़द् कज़्ज़बू फ़-सयअ्तीहिम् अम्बा-उ मा कानू बिही यस्तह्ज़िऊन
उन लोगों ने झुठलाया ज़रुर तो अनक़रीब ही (उन्हें) इस (अज़ाब) की हक़ीकत मालूम हो जाएगी जिसकी ये लोग हँसी उड़ाया करते थे।

26:7

أَوَلَمْ يَرَوْا۟ إِلَى ٱلْأَرْضِ كَمْ أَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍۢ كَرِيمٍ

अ – व लम् यरौ इलल् – अर्ज़ि कम् अम्बतना फ़ीहा मिन् कुल्लि ज़ौजिन् करीम
क्या इन लोगों ने ज़मीन की तरफ़ भी (ग़ौर से) नहीं देखा कि हमने हर रंग की उम्दा उम्दा चीजे़ं उसमें किस कसरत से उगायी हैं।

26:8

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

इन् – न फ़ी ज़ालि- क लआ यतन्, व मा का-न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) अल्लाह की एक बड़ी निशानी है मगर उनमें से अक्सर इमान लाने वाले ही नहीं।

26:9

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन् – न रब्ब-क लहुवल अज़ीजुर्रहीम
और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार यक़ीनन (हर चीज़ पर) ग़ालिब (और) मेहरबान है।

26:10

وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱئْتِ ٱلْقَوْمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

व इज् नादा रब्बु-क मूसा अनिअ्तिल् क़ौमज़्ज़ालिमीन
(ऐ रसूल वह वक़्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने मूसा को आवाज़ दी कि (इन) ज़ालिमों फिरौनयों की क़ौम के पास जाओ (हिदायत करो)।

26:11

قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ

क़ौ-म फिरऔन-न, अला यत्तकून
क्या ये लोग (मेरे ग़ज़ब से) डरते नहीं है।

26:12

قَالَ رَبِّ إِنِّىٓ أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ

का – ल रब्बि इन्नी अख़ाफु अंय्यु कज़्ज़िबून
मूसा ने अर्ज़ कि परवरदिगार मैं डरता हूँ कि (मुबादा) वह लोग मुझे झुठला दे।

26:13

وَيَضِيقُ صَدْرِى وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِى فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَـٰرُونَ

व यज़ीकु सद्री व ला यन्तलिकु लिसानी फ़ – अर्सिल् इला हारून
और (उनके झुठलाने से) मेरा दम रुक जाए और मेरी ज़बान (अच्छी तरह) न चले तो हारुन के पास पैग़ाम भेज दे (कि मेरा साथ दे)।

26:14

وَلَهُمْ عَلَىَّ ذَنۢبٌۭ فَأَخَافُ أَن يَقْتُلُونِ

व लहुम् अ़लय्-य ज़म्बुन् फ़ अख़ाफु अंय्यक्तुलून
(और इसके अलावा) उनका मेरे सर एक जुर्म भी है (कि मैने एक शख़्स को मार डाला था)।

26:15

قَالَ كَلَّا ۖ فَٱذْهَبَا بِـَٔايَـٰتِنَآ ۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسْتَمِعُونَ

का – ल कल्ला फ़ज़्हबा बिआयातिना इन्ना म-अ़कुम् मुस्तमिअन
तो मैं डरता हूँ कि (शायद) मुझे ये लाग मार डालें अल्लाह ने कहा हरगिज़ नहीं अच्छा तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ हम तुम्हारे साथ हैं।

26:16

فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

फ़अ्तिया फिरऔन न फ़कूला इन्ना रसूलु रब्बिल्-आ़लमीन
और (सारी गुफ्तगू) अच्छी तरह सुनते हैं ग़रज़ तुम दोनों फिरौन के पास जाओ और कह दो कि हम सारे जहाँन के परवरदिगार के रसूल हैं (और पैग़ाम लाएँ हैं)।

26:17

أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ

अन् अर्सिल् म अ़ना बनी इस्राईल
कि आप बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए।

26:18

قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًۭا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ

का-ल अलम् नुरब्बि – क फ़ीना वलीदंव् – व लबिस् त फ़ीना मिन् अमुरि क सिनीन
(चुनान्चे मूसा गए और कहा) फिरौन बोला (मूसा) क्या हमने तुम्हें यहाँ रख कर बचपने में तुम्हारी परवरिश नहीं की और तुम अपनी उम्र से बरसों हम मे रह सह चुके हो।

26:19

وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ ٱلَّتِى فَعَلْتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلْكَـٰفِرِينَ

व फ़अ़ल्-त फ़अ्-ल-तकल्लती फ़अ़ल्-त व अन्-त मिनल्-काफ़िरीन
और तुम अपना वह काम (ख़ून कि़ब्ती) जो कर गए और तुम (बड़े) नाशुक्रे हो।

26:20

قَالَ فَعَلْتُهَآ إِذًۭا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ

का-ल फ़अ़ल्तुहा इजंव्-व अ-न मिनज़्ज़ाल्लीन
मूसा ने कहा (हाँ) मैने उस वक़्त उस काम को किया जब मै हालते ग़फलत में था।

26:21

فَفَرَرْتُ مِنكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِى رَبِّى حُكْمًۭا وَجَعَلَنِى مِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ

फ़-फ़र्रतु मिन्कुम् लम्मा ख़िफ़्तुकुम् फ़-व-ह ब ली रब्बी हुक्मंव् -व-ज-अ़-लनी मिनल्-मुर्सलीन
फिर जब मै आप लोगों से डरा तो भाग खड़ा हुआ फिर (कुछ अरसे के बाद) मेरे परवरदिगार ने मुझे नुबूवत अता फरमायी और मुझे भी एक पैग़म्बर बनाया।

26:22

وَتِلْكَ نِعْمَةٌۭ تَمُنُّهَا عَلَىَّ أَنْ عَبَّدتَّ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ

व तिल्-क निअ्-मतुन् तमुन्नुहा अ़लय् य अन् अ़ब्बत्-त बनी इस्राईल
और ये भी कोई एहसान हे जिसे आप मुझ पर जता रहे है कि आप ने बनी इसराईल को ग़ुलाम बना रखा है।

26:23

قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

का-ल फ़िरऔनु व मा रब्बुल आलमीन
फिरौन ने पूछा (अच्छा ये तो बताओ) रब्बुल आलमीन क्या चीज़ है।

26:24

قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ

का-ल रब्बुस्समावाति वल्अर्ज़ि व मा बैनहुमा, इन् कुन्तुम् मूकिनीन
मूसा ने कहाँ सारे आसमान व ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरम्यिान है (सबका) मालिक अगर आप लोग यक़ीन कीजिए (तो काफी है)।

26:25

قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُۥٓ أَلَا تَسْتَمِعُونَ

का-ल लिमन् हौलहू अला तस्तमिअून
फिरौन ने उन लोगो से जो उसके इर्द गिर्द (बैठे) थे कहा क्या तुम लोग नहीं सुनते हो।

26:26

قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلْأَوَّلِينَ

का-ल रब्बुकुम् व रब्बु आबाइकुमुल्-अव्वलीन
मूसा ने कहा (वही अल्लाह जो कि) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे बाप दादाओं का परवरदिगार है।

26:27

قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِىٓ أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌۭ

का-ल इन्-न रसूलकुमुल्लज़ी उर्सि-ल इलैकुम् ल – मज्नून
फिरौन ने कहा (लोगों) ये रसूल जो तुम्हारे पास भेजा गया है हो न हो दीवाना है।

26:28

قَالَ رَبُّ ٱلْمَشْرِقِ وَٱلْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ

का-ल रब्बुल म श्रिकि वल्-मग्रिबि व मा बैनहुमा, इन् कुन्तुम् तअ्किलून
मूसा ने कहा (वह अल्लाह जो) पूरब पच्छिम और जो कुछ इन दोनों के दरम्यिान (सबका) मालिक है अगर तुम समझते हो (तो यही काफी है)।

26:29

قَالَ لَئِنِ ٱتَّخَذْتَ إِلَـٰهًا غَيْرِى لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ ٱلْمَسْجُونِينَ

का-ल ल-इनित्त ख़ज् त इलाहन् ग़ैरि ल-अज्अ़ लन्न क मिनल्-मस्जूनीन
फिरौन ने कहा अगर तुम मेरे सिवा किसी और को (अपना) अल्लाह बनाया है तो मै ज़रुर तुम्हे कै़दी बनाऊँगा।

26:30

قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَىْءٍۢ مُّبِينٍۢ

का-ल अ-व लौ जिअ्तु-क बिशैइम्-मुबीन
मूसा ने कहा अगरचे मैं आपको एक वाजे़ए व रौशन मौजिज़ा भी दिखाऊं (तो भी)।

26:31

قَالَ فَأْتِ بِهِۦٓ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

का-ल फ़अ्ति बिही इन् कुन्-त मिनस्सादिक़ीन
फिरौन ने कहा (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो ला दिखाओ।

26:32

فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ ثُعْبَانٌۭ مُّبِينٌۭ

फ़-अल्का अ़साहु फ़-इज़ा हि-य सुअ्बानुम्-मुबीन
बस (ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी फिर तो यकायक वह एक सरीही अज़दहा बन गया।

26:33

وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِىَ بَيْضَآءُ لِلنَّـٰظِرِينَ

वन-ज़-अ़ य-दहू फ़-इज़ा हि-य बैज़ा-उ लिन्नाज़िरीन
और (जेब से) अपना हाथ बाहर निकाला तो यकायक देखने वालों के वास्ते बहुत सफेद चमकदार था।

26:34

قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُۥٓ إِنَّ هَـٰذَا لَسَـٰحِرٌ عَلِيمٌۭ

का-ल लिल्म-लइ हौलहू इन्-न हाज़ा लसाहिरून् अलीम
(इस पर) फिरौन अपने दरबारियों से जो उसके गिर्द (बैठे) थे कहने लगा।

26:35

يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِۦ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ

युरीदु अंय्युख़ि-जकुम् मिन् अरजिकुम् बिसिहरिही फ़ – माज़ा तअ्मुरून
कि ये तो यक़ीनी बड़ा खिलाड़ी जादूगर है ये तो चाहता है कि अपने जादू के ज़ोर से तुम्हें तुम्हारे मुल्क से बाहर निकाल दे तो तुम लोग क्या हुक्म लगाते हो।

26:36

قَالُوٓا۟ أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَٱبْعَثْ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَـٰشِرِينَ

कालू अर्जिह् व अख़ाहु वब्अ़स् फ़िल्मदाइनि हाशिरीन
दरबारियों ने कहा अभी इसको और इसके भाई को (चन्द) मोहलत दीजिए।

26:37

يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍۢ

यअतू-क बिकुल्लि सह्हारिन् अ़लीम
और तमाम शहरों में जादूगरों के जमा करने को हरकारे रवाना कीजिए कि वह लोग तमाम बड़े बड़े खिलाड़ी जादूगरों को आपके सामने ला हाजि़र करें।

26:38

فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِيقَـٰتِ يَوْمٍۢ مَّعْلُومٍۢ

फ़जुमिअ़स्स ह-रतु लिमीक़ाति यौमिम्-मअ्लूम
ग़रज़ वक़्त मुक़र्रर हुआ सब जादूगर उस मुक़र्रर वक़्त के वायदे पर जमा किए गए।

26:39

وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنتُم مُّجْتَمِعُونَ

व की-ल लिन्नासि हल् अन्तुम् मुज्तमिअून
और लोगों में मुनादी करा दी गयी कि तुम लोग अब भी जमा होगे।

26:40

لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُوا۟ هُمُ ٱلْغَـٰلِبِينَ

लअ़ल्लना नत्तबिअुस्स-ह-र-त इन् कानू हुमुल् – ग़ालिबीन
या नहीं ताकि अगर जादूगर ग़ालिब और वर है तो हम लोग उनकी पैरवी करें।

26:41

فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُوا۟ لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ ٱلْغَـٰلِبِينَ

फ-लम्मा जाअस्स ह-रतु कालू लिफिरऔ-न अ-इन्- न लना ल-अज्रन् इन् कुन्ना नह्नुल – ग़ालिबीन
अलग़रज जब सब जादूगर आ गये तो जादूगरों ने फिरौन से कहा कि अगर हम ग़ालिब आ गए तो हमको यक़ीनन कुछ इनाम (सरकार से) मिलेगा।

26:42

قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًۭا لَّمِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ

का-ल न-अ़म् व इन्नकुम् इज़ल् लमिनल्-मुक़र्रबीन
फिरौन ने कहा हाँ (ज़रुर मिलेगा) और (इनाम क्या चीज़ है) तुम उस वक़्त (मेरे) मुक़र्रेबीन (बारगाह) से हो गए।

26:43

قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلْقُوا۟ مَآ أَنتُم مُّلْقُونَ

का-ल लहुम् मूसा अल्कू मा अन्तुम् मुल्कून
मूसा ने जादूगरों से कहा (मंत्र व तंत्र) जो कुछ तुम्हें फेंकना हो फेंको।

26:44

فَأَلْقَوْا۟ حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا۟ بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ ٱلْغَـٰلِبُونَ

फ़-अल्क़ौ हिबा-लहुम् व अिसिय्यहुम् व क़ालू बिअिज्जति फ़िरऔं-न इन्ना ल-नह्नुल-ग़ालिबून
इस पर जादूगरों ने अपनी रस्सियाँ और अपनी छडि़याँ (मैदान में) डाल दी और कहने लगे फिरौन के जलाल की क़सम हम ही ज़रुर ग़ालिब रहेंगे।

26:45

فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ

फ़-अल्का मूसा अ़साहु फ़-इज़ा हि-य तल्क़फु मा यअ्फिकून
तब मूसा ने अपनी छड़ी डाली तो जादूगरों ने जो कुछ (शोबदे) बनाए थे उसको वह निगलने लगी।

26:46

فَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سَـٰجِدِينَ

फ़ उल्कियस्स ह-रतु साजिदीन
ये देखते ही जादूगर लोग सजदे में (मूसा के सामने) गिर पडे़।

26:47

قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

कालू आमन्ना बिरब्बिल् आलमीन
और कहने लगे हम सारे जहाँ के परवरदिगार पर इमान लाए।

26:48

رَبِّ مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ

रब्बि मूसा व हारून
जो मूसा और हारुन का परवरदिगार है।

26:49

قَالَ ءَامَنتُمْ لَهُۥ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِى عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَـٰفٍۢ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ

काल आमन्तुम् लहू कब्-ल अन् आज़ न लकुम् इन्नहू लकबीरु कुमुल्लज़ी अ़ल्ल-मकुमुस्- सिह्-र फ़-लसौ फ़ तअ्लमू-न, ल उक़त्ति अ़न् न ऐदि-यकुम् व अर्जु-लकुम् मिन् खिलाफिंव्-व ल-उसल्लिबन्नकुम् अज्मईन
फिरौन ने कहा (हाए) क़ब्ल इसके कि मै तुम्हें इजाज़त दूँ तुम इस पर इमान ले आए बेशक ये तुम्हारा बड़ा (गुरु है जिसने तुम सबको जादू सिखाया है तो ख़ैर) अभी तुम लोगों को (इसका नतीजा) मालूम हो जाएगा कि हम यक़ीनन तुम्हारे एक तरफ़ के हाथ और दूसरी तरफ़ के पाँव काट डालेगें और तुम सब के सब को सूली देगें।

26:50

قَالُوا۟ لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ

क़ालू ला ज़ै-र इन्ना इला रब्बिना मुन्क़लिबून
वह बोले कुछ परवाह नही हमको तो बहरहाल अपने परवरदिगार की तरफ़ लौट कर जाना है।

26:51

إِنَّا نَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَـٰيَـٰنَآ أَن كُنَّآ أَوَّلَ ٱلْمُؤْمِنِينَ

इन्ना नत्मअु अंय्यग्फ़ि-र लना रब्बुना ख़तायाना अन् कुन्ना अव्वलल्-मुअ्मिनीन
हम चूँकि सबसे पहले इमान लाए है इसलिए ये उम्मीद रखते हैं कि हमारा परवरदिगार हमारी ख़ताएँ माफ़ कर देगा।

26:52

۞ وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِىٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ

व औहैना इला मूसा अन् असि बिअिबादी इन्नकुम मुत्त बअून
और हमने मूसा के पास वही भेजी कि तुम मेरे बन्दों को लेकर रातों रात निकल जाओ क्योंकि तुम्हारा पीछा किया जाएगा।

26:53

فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَـٰشِرِينَ

फ़- अर्स ल फ़िरऔनु फ़िल्मदाइनि हाशिरीन
तब फिरआऊन ने (लश्कर जमा करने के ख़्याल से) तमाम शहरों में (धड़ा धड़) हरकारे रवाना किए।

26:54

إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَشِرْذِمَةٌۭ قَلِيلُونَ

इन् – न हाउला – इ लशिरज़ि – मतुन् क़लीलून
(और कहा) कि ये लोग मूसा के साथ बनी इसराइल थोड़ी सी (मुट्ठी भर की) जमाअत हैं।

26:55

وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَآئِظُونَ

व इन्नहुम् लना लग़ाइजून
और उन लोगों ने हमें सख़्त गुस्सा दिलाया है।

26:56

وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَـٰذِرُونَ

व इन्ना ल- जमीअुन् हाज़िरून
और हम सबके सब बा साज़ों सामान हैं।

26:57

فَأَخْرَجْنَـٰهُم مِّن جَنَّـٰتٍۢ وَعُيُونٍۢ

फ़- अख़्रज्नाहुम् मिन् जन्नातिंव व अुयून
(तुम भी आ जाओ कि सब मिलकर ताअककुब (पीछा) करें)।

26:58

وَكُنُوزٍۢ وَمَقَامٍۢ كَرِيمٍۢ

व कुनूजिंव – व मक़ामिन् करीम
ग़रज़ हमने इन लोगों को (मिस्र के) बाग़ों और चश्मों और खज़ानों और इज़्ज़त की जगह से (यूँ) निकाल बाहर किया।

26:59

كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَـٰهَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ

कज़ालि-क, व औरस्नाहा बनी इस्राईल
(और जो नाफ़रमानी करे) इसी तरह सज़ा होगी और आखि़र हमने उन्हीं चीज़ों का मालिक बनी इसराइल को बनाया।

26:60

فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ

फ़-अत्ब अू हुम् मुश्रिकीन
ग़रज़ (मूसा) तो रात ही को चले गए।

26:61

فَلَمَّا تَرَٰٓءَا ٱلْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَـٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ

फ़-लम्मा तरा-अल्-जम्आनि का ल अस्हाबु मूसा इन्ना लमुद्-रकून्
और उन लोगों ने सूरज निकलते उनका पीछा किया तो जब दोनों जमाअतें (इतनी करीब हुयीं कि) एक दूसरे को देखने लगी तो मूसा के साथी (हैरान होकर) कहने लगे।

26:62

قَالَ كَلَّآ ۖ إِنَّ مَعِىَ رَبِّى سَيَهْدِينِ

का-ल कल्ला इन्-न मअि-य रब्बी स-यह्दीन
कि अब तो पकड़े गए मूसा ने कहा हरगिज़ नहीं क्योंकि मेरे साथ मेरा परवरदिगार है।

26:63

فَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضْرِب بِّعَصَاكَ ٱلْبَحْرَ ۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍۢ كَٱلطَّوْدِ ٱلْعَظِيمِ

फ़-औहैना इला मूसा अनिज्रिब बिअसाकल्-बह्-र, फ़न्फ़-ल-क फका-न कुल्लु फिरकिन् कत्तौदिल् – अ़ज़ीम
वह फौरन मुझे कोई (मुखलिसी का) रास्ता बता देगा तो हमने मूसा के पास वही भेजी कि अपनी छड़ी दरिया पर मारो (मारना था कि) फौरन दरिया फूट के टुकड़े टुकड़े हो गया तो गोया हर टुकड़ा एक बड़ा ऊँचा पहाड़ था।

26:64

وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ ٱلْـَٔاخَرِينَ

फ़-औहैना इला मूसा अनिज्रिब बिअसाकल्-बह्-र, फ़न्फ़-ल-क फका- न कुल्लु फिरकिन् कत्तौदिल्- अ़ज़ीम
और हमने उसी जगह दूसरे फरीक (फिरौन के साथी) को क़रीब कर दिया।

26:65

وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجْمَعِينَ

व अन्जैना मूसा व मम्-म-अ़हू अज्मईन
और मूसा और उसके साथियों को हमने (डूबने से) बचा लिया।

26:66

ثُمَّ أَغْرَقْنَا ٱلْـَٔاخَرِينَ

सुम् – म अग्ररक़्नल् – आ-ख़रीन
फिर दूसरे फरीक़ (फिरौन और उसके साथियों) को डुबोकर हलाक़ कर दिया।

26:67

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

इन् – न फ़ी ज़ालि-क लआ यतन्, व मा का- न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और उनमें अक्सर इमान लाने वाले ही न थे।

26:68

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन-न रब्ब – क लहुवल अज़ीजुर्रहीम
और इसमें तो शक ही न था कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है।

26:69

وَٱتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَٰهِيمَ

वत्लु अ़लैहिम् न-ब-अ इब्राही-म
और (ऐ रसूल!) उन लोगों के सामने इबराहीम का क़िस्सा बयान करों।

26:70

إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِۦ مَا تَعْبُدُونَ

इज् का-ल लि – अबीहि व क़ौमिही मा तअ्बुदून
जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा।

26:71

قَالُوا۟ نَعْبُدُ أَصْنَامًۭا فَنَظَلُّ لَهَا عَـٰكِفِينَ

कालू नअ्बुदु असनामन् फ़-नज़ल्लु लहा आकिफ़ीन
कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो तो वह बोले हम बुतों की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं।

26:72

قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ

का – ल हल् यस्मअूनकुम् इज् तद्अून
इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं।

26:73

أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ

औ यन्फअूनकुम् औ यजुर्रून
या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं।

26:74

قَالُوا۟ بَلْ وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ

कालू बल् वजद्ना आबा अना कज़ालि क यफ्अलून
कहने लगे (कि ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि हमने अपने बाप दादाओं को ऐसा ही करते पाया है।

26:75

قَالَ أَفَرَءَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ

क़ा-ल अ-फ रऐतुम् मा कुन्तुम् तअ्बुदून
इबराहीम ने कहा क्या तुमने देखा भी कि जिन चीज़ों की तुम परसतिश करते हो।

26:76

أَنتُمْ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلْأَقْدَمُونَ

अन्तुम् व आबाउकुमुल्अक़्दमून
या तुम्हारे अगले बाप दादा (करते थे) ये सब मेरे यक़ीनी दुश्मन हैं।

26:77

فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّۭ لِّىٓ إِلَّا رَبَّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

फ़- इन्नहुम् अ़दुव्वुल-ली इल्ला रब्बल् आ़लमीन
मगर सारे जहाँ का पालने वाला जिसने मुझे पैदा किया (वही मेरा दोस्त है)।

26:78

ٱلَّذِى خَلَقَنِى فَهُوَ يَهْدِينِ

अल्लज़ी ख़-ल-कनी फहु व यह्दीन
फिर वही मेरी हिदायत करता है।

26:79

وَٱلَّذِى هُوَ يُطْعِمُنِى وَيَسْقِينِ

वल्लज़ी हु-व युत्अिमुनी व यस्कीन
और वह शख़्स जो मुझे (खाना) खिलाता है और मुझे (पानी) पिलाता है।

26:80

وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ

व इज़ा मरिज्तु फ़हु व यश्फ़ीन
और जब बीमार पड़ता हूँ तो वही मुझे शिफ़ा इनायत फरमाता है।

26:81

وَٱلَّذِى يُمِيتُنِى ثُمَّ يُحْيِينِ

वल्लज़ी युमीतुनी सुम्-म युह़्यीन
और वह वही हे जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे जि़न्दा करेगा।

26:82

وَٱلَّذِىٓ أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِى خَطِيٓـَٔتِى يَوْمَ ٱلدِّينِ

वल्लज़ी अत्मअु अंय्यग्फि-र ली खती-अती यौमद्दीन
और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा।

26:83

رَبِّ هَبْ لِى حُكْمًۭا وَأَلْحِقْنِى بِٱلصَّـٰلِحِينَ

रब्बि हब् ली हुक्मंव्-व अल्हिक्नी बिस्सालिहीन
परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर।

26:84

وَٱجْعَل لِّى لِسَانَ صِدْقٍۢ فِى ٱلْـَٔاخِرِينَ

वज्अ़ल्ली लिसा-न सिद्किन् फ़िल-आख़िरीन
और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा जि़क्रे ख़ैर क़ायम रख।

26:85

وَٱجْعَلْنِى مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ

वज्अ़ल्नी मिंव्व-र सति जन्नतिन्-नईम
और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहेश्त) के वारिसों में से बना।

26:86

وَٱغْفِرْ لِأَبِىٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ

वग़्फिर् लि-अबी इन्नहू का-न मिनज़्ज़ाल्लीन
और मेरे (मुँह बोले) बाप (चचा आज़र) को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है।

26:87

وَلَا تُخْزِنِى يَوْمَ يُبْعَثُونَ

व ला तुख़्जिनी यौ-म युबअ़सून
और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना।

26:88

يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌۭ وَلَا بَنُونَ

यौ-म ला यन्फअु मालुंव्-व ला बनून
जिस दिन न तो माल ही कुछ काम आएगा और न लड़के बाले।

26:89

إِلَّا مَنْ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلْبٍۢ سَلِيمٍۢ

इल्ला मन् अतल्ला-ह बि-कल्बिन सलीम
मगर जो शख़्स अल्लाह के सामने (गुनाहों से) पाक दिल लिए हुए हाजि़र होगा (वह फायदे में रहेगा)।

26:90

وَأُزْلِفَتِ ٱلْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ

व उज्लि – फ़तिल् – जन्नतु लिल्मुत्तक़ीन
और बेहेश्त परहेज़ गारों के क़रीब कर दी जाएगी।

26:91

وَبُرِّزَتِ ٱلْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ

व बुर्रि – ज़तिल् – जहीमु लिल्ग़ावीन
और दोज़ख़ गुमराहों के सामने ज़ाहिर कर दी जाएगी।

26:92

وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ

व की – ल लहुम् ऐ-नमा कुन्तुम् तअ्बुदून
और उन लोगों (एहले जहन्नुम) से पूछा जाएगा कि अल्लाह को छोड़कर जिनकी तुम परसतिश करते थे (आज) वह कहाँ हैं।

26:93

مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلْ يَنصُرُونَكُمْ أَوْ يَنتَصِرُونَ

मिन् दूनिल्लाहि, हल् यन्सुरूनकुम् औ यन्तसिरून
क्या वह तुम्हारी कुछ मदद कर सकते हैं या वह ख़ुद अपनी आप बाहम मदद कर सकते हैं।

26:94

فَكُبْكِبُوا۟ فِيهَا هُمْ وَٱلْغَاوُۥنَ

फ़कुब्किबू फ़ीहा हुम् वल्ग़ावून
फिर वह (माबूद) और गुमराह लोग और शैतान का लशकर।

26:95

وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ

व जुनूदु इब्ली-स अज्मअून
(ग़रज़ सबके सब) जहन्नुम में औधें मुँह ढकेल दिए जाएँगे।

26:96

قَالُوا۟ وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ

कालू व हुम् फ़ीहा यख़्तसिमून
और ये लोग जहन्नुम में बाहम झगड़ा करेंगे और अपने माबूद से कहेंगे।

26:97

تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِى ضَلَـٰلٍۢ مُّبِينٍ

तल्लाहि इन् कुन्ना लफ़ी ज़लालिम् मुबीन
अल्लाह की क़सम हम लोग तो यक़ीनन सरीही गुमराही में थे।

26:98

إِذْ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

इज् नुसव्वीकुम् बिरब्बिल् आलमीन
कि हम तुम को सारे जहाँन के पालने वाले (अल्लाह) के बराबर समझते रहे।

26:99

وَمَآ أَضَلَّنَآ إِلَّا ٱلْمُجْرِمُونَ

व मा अज़ल्लना इल्लल्-मुज्रिमून
और हमको बस (उन) गुनाहगारों ने (जो मुझसे पहले हुए) गुमराह किया।

26:100

فَمَا لَنَا مِن شَـٰفِعِينَ

फ़मा लना मिन् शाफिईन
तो अब तो न कोई (साहब) मेरी सिफारिश करने वाले हैं।

26:101

وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍۢ

व ला सदीकिन् हमीम
व ला सदीकिन् हमीम

26:102

فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةًۭ فَنَكُونَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ

फलौ अन्-न लना कर्र तन् फ-नकू-न मिनल्-मुअ्मिनीन
तो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) इमान वालों से होते।

26:103

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

इन्-न फ़ी ज़ालि क लआ-यतन्, व मा का-न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
इबराहीम के इस किस्से में भी यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें से अक्सर इमान लाने वाले थे भी नहीं।

26:104

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन्-न रब्ब-क लहुवल अ़ज़ीजुर्रहीम
और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है।

26:105

كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ ٱلْمُرْسَلِينَ

कज़्ज़बत् क़ौमु नूहि-निल्-मुर्सलीन
(यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया।

26:106

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ

इज् का-ल लहुम् अखूहुम् नूहुन् अला तत्तकून
कि जब उनसे उन के भाई नूह ने कहा कि तुम लोग (अल्लाह से) क्यों नहीं डरते मै तो तुम्हारा यक़ीनी अमानत दार पैग़म्बर हूँ।

26:107

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ

इन्नी लकुम् रसूलुन् अमीन
तुम अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो।

26:108

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फ़त्तकुल्ला-ह व अतीअून
और मैं इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ उजरत तो माँगता नहीं।

26:109

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

व मा अस्अलुकुम् अ़लैहि मिन् अज्रिन् इन् अज्रि-य इल्ला अ़ला रब्बिल्-आ़लमीन
मेरी उजरत तो बस सारे जहाँ के पालने वाले अल्लाह पर है।

26:110

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फत्तकुल्ला-ह व अतीअून
तो अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो वह लोग बोले जब कमीनो मज़दूरों वग़ैरह ने (लालच से) तुम्हारी पैरवी कर ली है।

26:111

۞ قَالُوٓا۟ أَنُؤْمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلْأَرْذَلُونَ

काल अनुअ्मिनु ल क वत्त-ब अ़कल् अर् ज़लून
तो हम तुम पर क्या इमान लाए।

26:112

قَالَ وَمَا عِلْمِى بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

का-ल व मा ज़िल्मी बिमा कानू यअ्मलून
नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़)।

26:113

إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّى ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ

इन् हिसाबुहुम् इल्ला अ़ला रब्बी लौ तश्अुरून
इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के जि़म्मे है।

26:114

وَمَآ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلْمُؤْمِنِينَ

व मा अ-न बितारिदिल्-मुअ्मिनीन
काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो इमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं।

26:115

إِنْ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٌۭ مُّبِينٌۭ

इन् अ-न इल्ला नज़ीरूम्-मुबीन
मै तो सिर्फ़ (अज़ाबे अल्लाह से) साफ़ साफ़ डराने वाला हूँ।

26:116

قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَـٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمَرْجُومِينَ

कालू ल-इल्लम् तन्तहि या नूहु ल-तकूनन्-न मिनल्- मरजूमीन
वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे।

26:117

قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِى كَذَّبُونِ

का-ल रब्बि इन्-न क़ौमी कज्ज़बून
नूह ने अर्ज़की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया।

26:118

فَٱفْتَحْ بَيْنِى وَبَيْنَهُمْ فَتْحًۭا وَنَجِّنِى وَمَن مَّعِىَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ

फ़फ़्तह् बैनी व बैनहुम् फ़त्हंव्-व नज्जिनी व मम्-मअि-य मिनल्-मुअ्मिनीन
तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरम्यिान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे।

26:119

فَأَنجَيْنَـٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِى ٱلْفُلْكِ ٱلْمَشْحُونِ

फ़- अन्जैनाहु व मम्-म-अ़हू फ़िल्फुल्किल् मश्हून
ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुयी कश्ती में थे नजात दी।

26:120

ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ ٱلْبَاقِينَ

सुम्म अग्ररक़्ना बअ्दुल् – बाक़ीन
फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रख़ कर दिया।

26:121

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

इन्-न फ़ी ज़ालि क लआ-यतन् व मा का-न अक्सरुहुम्-मुअ्मिनीन
बेशक इसमे भी यक़ीनन बड़ी इबरत है और उनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे।

26:122

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन्-न रब्ब-क लहुवल अ़ज़ीजुर्रहीम
और इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब मेहरबान है।

26:123

كَذَّبَتْ عَادٌ ٱلْمُرْسَلِينَ

कज़्ज़-बत् आ़दु-निल् मुर्सलीन
(इसी तरह क़ौम) आद ने पैग़म्बरों को झुठलाया।

26:124

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ

इज् का-ल लहुम् अखूहुम् हूदुन् अला तत्तकून
जब उनके भाई हूद ने उनसे कहा कि तुम अल्लाह से क्यों नही डरते।

26:125

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ

इन्नी लकुम् रसूलुन् अमीन
मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ।

26:126

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फ़त्तकुल्ला-ह व अतीअून
तो अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो।

26:127

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

व मा अस् अ़लुकुम् अ़लैहि मिन् अज्रिन् इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल् आ़लमीन
मै तो तुम से इस (तबलीग़े़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी उजरत तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (अल्लाह) पर है।

26:128

أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ ءَايَةًۭ تَعْبَثُونَ

अ-तबनू – न बिकुल्लि रीअिन् आ-यतन् तअ्-बसून
तो क्या तुम ऊँची जगह पर बेकार यादगारे बनाते फिरते हो।

26:129

وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ

व तत्तखिजू – न मसानि – अ़ लअ़ल्लकुम् तख़्लुदून
और बड़े बड़े महल तामीर करते हो गोया तुम हमेशा (यहीं) रहोगे।

26:130

وَإِذَا بَطَشْتُم بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ

व इज़ा ब – तश्तुम् ब – तश्तुम् जब्बारीन
और जब तुम (किसी पर) हाथ डालते हो तो सरकशी से हाथ डालते हो।

26:131

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फ़त्तकुल्ला-ह व अतीअून
तो तुम अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो।

26:132

وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِىٓ أَمَدَّكُم بِمَا تَعْلَمُونَ

वत्तकुल्लज़ी अ – मद्दकुम् बिमा तअ्लमून
और उस शख़्स से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खू़ब जानते हो।

26:133

أَمَدَّكُم بِأَنْعَـٰمٍۢ وَبَنِينَ

अ – मद्दकुम बिअन् आ़मिंव् – व बनीन
अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चश्मों से मदद की।

26:134

وَجَنَّـٰتٍۢ وَعُيُونٍ

व जन्नातिंव् – व अुयून
मै तो यक़ीनन तुम पर।

26:135

إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ

इन्नी अख़ाफु अ़लैकुम् अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
एक बड़े (सख़्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ।

26:136

قَالُوا۟ سَوَآءٌ عَلَيْنَآ أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُن مِّنَ ٱلْوَٰعِظِينَ

इन्नी अख़ाफु अ़लैकुम् अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है।

26:137

إِنْ هَـٰذَآ إِلَّا خُلُقُ ٱلْأَوَّلِينَ

इन् हाज़ा इल्ला खुलुकुल अव्वलीन
ये (डराना) तो बस अगले लोगों की आदत है।

26:138

وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ

व मा नह्नु बिमु अ़ज़्ज़बीन
हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा।

26:139

فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَـٰهُمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

फ़- कज़्ज़बूहु फ़-अह़्लक्नाहुम्, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआ-यतन्, व मा का-न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाकि़ये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले भी न थे।

26:140

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन्-न रब्ब-क लहुवल अ़ज़ीजुर्रहीम
और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है।

26:141

كَذَّبَتْ ثَمُودُ ٱلْمُرْسَلِينَ

कज्ज-बत् समूदुल मुर्सलीन
(इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया।

26:142

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَـٰلِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ

इज् का – ल लहुम् अखूहुम् सालिहुन् अला तत्तकून
जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (अल्लाह से) क्यो नहीं डरते।

26:143

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ

इज् का – ल लहुम् अखूहुम् सालिहुन् अला तत्तकून
मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ।

26:144

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फत्तकुल्ला – ह व अतीअून
तो अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो।

26:145

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

व मा अस्अलुकुम अ़लैहिमिन् अज्रिन इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल् -आ़लमीन
और मै तो तुमसे इस (तबलीगे़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (अल्लाह पर है)।

26:146

أَتُتْرَكُونَ فِى مَا هَـٰهُنَآ ءَامِنِينَ

अ-तुत्रकू-न फ़ी मा हाहुना आमिनीन
क्या जो चीजे़ं यहाँ (दुनिया में) मौजूद है।

26:147

فِى جَنَّـٰتٍۢ وَعُيُونٍۢ

फ़ी जन्नातिंव व अुयून
बाग़ और चश्मे और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है।

26:148

وَزُرُوعٍۢ وَنَخْلٍۢ طَلْعُهَا هَضِيمٌۭ

व जुरूअिव् व नख्लिन् तल् अुहा हज़ीम
उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे।

26:149

وَتَنْحِتُونَ مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًۭا فَـٰرِهِينَ

व तन्हितू – न मिनल्- जिबालि बुयूतन् फ़ारिहीन
और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ़ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो।

26:150

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फ़त्तकुल्ला – ह व अतीअून
तो अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो।

26:151

وَلَا تُطِيعُوٓا۟ أَمْرَ ٱلْمُسْرِفِينَ

व ला तुतीअू अमरल मुस्रिफ़ीन
और ज़्यादती करने वालों का कहा न मानों।

26:152

ٱلَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ

अल्लज़ी – न युफ़्सिदू – न फिल्अर्ज़ि व ला युस्लिहून
जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते।

26:153

قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ

कालू इन्नमा अन् – त मिनल्- मुसह्हरीन
वह लोग बोले कि तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हो)।

26:154

مَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا فَأْتِ بِـَٔايَةٍ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

मा अन् – त इल्ला ब – शरुम् मिस्लुना फअ्ति बिआ यतिन् इन् – कुन्-त मिनस्सादिक़ीन
तुम भी तो आखि़र हमारे ही ऐसे आदमी हो पस अगर तुम सच्चे हो तो कोई मौजिज़ा हमारे पास ला (दिखाओ)।

26:155

قَالَ هَـٰذِهِۦ نَاقَةٌۭ لَّهَا شِرْبٌۭ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍۢ مَّعْلُومٍۢ

का – ल हाज़िही ना कतुल् – लहा शिरबुंव् – व लकुम् शिरबु यौमिम् – मअलूम
सालेह ने कहा- यही ऊँटनी (मौजिज़ा) है एक बारी इसके पानी पीने की है और एक मुक़र्रर दिन तुम्हारे पीने का।

26:156

وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوٓءٍۢ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ

व ला तमस्सूहा बिसूइन् फ़-यअ्खु-ज़कुम् अ़ज़ाबु यौमिन् अ़ज़ीम
और इसको कोई तकलीफ़ न पहुँचाना वरना एक बड़े (सख़्त) ज़ोर का अज़ाब तुम्हे ले डालेगा।

26:157

فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا۟ نَـٰدِمِينَ

फ़- अ – क़रूहा फ़ – अस्बहू नादिमीन
इस पर भी उन लोगों ने उसके पाँव काट डाले और (उसको मार डाला) फिर ख़़ुद पशेमान हुए।

26:158

فَأَخَذَهُمُ ٱلْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

फ़-अ-ख़-ज़हुमुल अ़ज़ाबु, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआ-यतन्, व मा का-न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
फिर उन्हें अज़ाब ने ले डाला-बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले भी न थे।

26:159

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन् – न रब्ब – क लहुवल अ़ज़ीजुर्रहीम
और इसमें शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और मेहरबान है।

26:160

كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ ٱلْمُرْسَلِينَ

कज़्ज़ बत् कौमु लूति – निल् – मुर्सलीन
इसी तरह लूत की क़ौम ने पैग़म्बरों को झुठलाया।

26:161

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ

इज् का – ल लहुम् अख़ूहुम् लूतुन् अला तत्तकून
जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि तुम (अल्लाह से) क्यों नहीं डरते।

26:162

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ

इन्नी लकुम् रसूलुन् अमीन
मै तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ तो अल्लाह से डरो।

26:163

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फत्तकुल्ला-ह व अतीअून
और मेरी इताअत करो।

26:164

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

व मा अस् अलुकुम् अ़लैहि मिन् अज्रिन् इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल्-आ़लमीन
और मै तो तुमसे इस (तबलीगे़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (अल्लाह) पर है।

26:165

أَتَأْتُونَ ٱلذُّكْرَانَ مِنَ ٱلْعَـٰلَمِينَ

अ -तअ्तूनज्जु क्रा-न मिनल् -आ़लमीन
क्या तुम लोग (शहवत परस्ती के लिए) सारे जहाँ के लोगों में मर्दों ही के पास जाते हो।

26:166

وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُم مِّنْ أَزْوَٰجِكُم ۚ بَلْ أَنتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ

वत ज़रू-न मा ख़-ल-क लकुम् रब्बुकुम् मिन् अज़्वाजिकुम्, बल् अन्तुम् क़ौमुन् आदून
और तुम्हारे वास्ते जो बीवियाँ तुम्हारे परवरदिगार ने पैदा की है उन्हें छोड़ देते हो (ये कुछ नहीं) बल्कि तुम लोग हद से गुज़र जाने वाले आदमी हो।

26:167

قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَـٰلُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُخْرَجِينَ

क़ालू ल – इल्लम् तन्तहि या लूतु ल-तकूनन् – न मिनल् मुख़्रजीन
उन लोगों ने कहा ऐ लूत अगर तुम बाज़ न आओगे तो तुम ज़रुर निकाल बाहर कर दिए जाओगे।

26:168

قَالَ إِنِّى لِعَمَلِكُم مِّنَ ٱلْقَالِينَ

का-ल इन्नी लि-अ मलिकुम् मिनल्-कालीन
लूत ने कहा मै यक़ीनन तुम्हारी (नाशाइसता) हरकत से बेज़ार हूँ।

26:169

رَبِّ نَجِّنِى وَأَهْلِى مِمَّا يَعْمَلُونَ

रब्बि नज्जिनी व अह़्ली मिम्मा यअ्मलून
(और दुआ की) परवरदिगार जो कुछ ये लोग करते है उससे मुझे और मेरे लड़कों को नजात दे।

26:170

فَنَجَّيْنَـٰهُ وَأَهْلَهُۥٓ أَجْمَعِينَ

फ़ – नज्जैनाहु व अह़्लहू अज्मईन
तो हमने उनको और उनके सब लड़कों को नजात दी।

26:171

إِلَّا عَجُوزًۭا فِى ٱلْغَـٰبِرِينَ

इल्ला अ़जूज़न फ़िल्-ग़ाबिरीन
मगर (लूत की) बूढ़ी औरत कि वह पीछे रह गयी।

26:172

ثُمَّ دَمَّرْنَا ٱلْـَٔاخَرِينَ

सुम्-म दम्मर्नल आख़रीन
(और हलाक हो गयी) फिर हमने उन लोगों को हलाक कर डाला।

26:173

وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِم مَّطَرًۭا ۖ فَسَآءَ مَطَرُ ٱلْمُنذَرِينَ

व अम्तरना अ़लैहिम् म-तरन् फ़सा-अ म-तरुल् – मुन्ज़रीन
और उन पर हमने (पत्थरों का) मेंह बरसाया तो जिन लोगों को (अज़ाबे अल्लाह से) डराया गया था।

26:174

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

इन्-न फी ज़ालि – क लआ-यतन् व मा का-न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
न पर क्या बड़ी बारिश हुयी इस वाकि़ये में भी एक बड़ी इबरत है और इनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे।

26:175

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन्-न रब्ब-क लहुवल् अ़ज़ीजुर रहीम
और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सब पर ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है।

26:176

كَذَّبَ أَصْحَـٰبُ لْـَٔيْكَةِ ٱلْمُرْسَلِينَ

कज़्ज़-ब अस्हाबुल-ऐ-कतिल् मुर्सलीन
इसी तरह जंगल के रहने वालों ने (मेरे) पैग़म्बरों को झुठलाया।

26:177

إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ

इज् का – ल लहुम् शुऐबुन् अला तत्तकून
जब शुएब ने उनसे कहा कि तुम (अल्लाह से) क्यों नहीं डरते।

26:178

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ

इन्नी लकुम् रसूलुन् अमीन
मै तो बिला शुबाह तुम्हारा अमानदार हूँ।

26:179

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

फत्तकुल्ला – ह व अतीअून
तो अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो।

26:180

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

व मा अस् अलुकुम् अ़लैहि मिन् अज्रिन् इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल्-आ़लमीन
मै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (अल्लाह) के जि़म्मे है।

26:181

۞ أَوْفُوا۟ ٱلْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا۟ مِنَ ٱلْمُخْسِرِينَ

औ फुल्कै – ल व ला तकूनू मिनल्- मुख्सिरीन
तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो।

26:182

وَزِنُوا۟ بِٱلْقِسْطَاسِ ٱلْمُسْتَقِيمِ

व ज़िनू बिल – किस्तासिल् – मुस्तक़ीम
और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो।

26:183

وَلَا تَبْخَسُوا۟ ٱلنَّاسَ أَشْيَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا۟ فِى ٱلْأَرْضِ مُفْسِدِينَ

व ला तब्ख़सुन्ना स अश्या अहुम् व ला तअ्सौ फ़िलअर्ज़ि मुफ़्सिदीन
और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज़्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो।

26:184

وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلْجِبِلَّةَ ٱلْأَوَّلِينَ

वत्तकुल्लज़ी ख-ल-क कुम् वल् – जिबिल्ल तल अव्वलीन
और उस (अल्लाह) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलक़त को पैदा किया।

26:185

قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ

कालू इन्नमा अन् – त मिनल् – मुसह्हरीन
वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों)।

26:186

وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلْكَـٰذِبِينَ

व मा अन् – त इल्ला ब – शरुम्-मिस्लुना व इन् नजुन्नु – क लमिनल-काज़िबीन
और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं।

26:187

فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًۭا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

फ – अस्कित् अ़लैना कि- सफम् – मिनस्समा इ इन् कुन् – त मिनस्सादिक़ीन
तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो।

26:188

قَالَ رَبِّىٓ أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ

का – ल रब्बी अअ्लमु बिमा तअ्मलून
और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है।

26:189

فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ ٱلظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ

फ़ – कज़्ज़बूहु फ़ – अ – ख़ – ज़हुम् अ़ज़ाबु यौमिज़्ज़ुल्लति इन्नहू का-न अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख़्त) दिन का अज़ाब था।

26:190

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ

इन् – न फ़ी ज़ालि – क लआ यतन्, व मा का-न अक्सरुहुम् मुअमिनीन
इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे।

26:191

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

व इन् – न रब्ब – क लहुवल अ़ज़ीजुर रहीम
और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है।

26:192

وَإِنَّهُۥ لَتَنزِيلُ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

व इन्नहू ल – तन्ज़ीलु रब्बिल् – आलमीन
और (ऐ रसूल) बेशक ये (क़़ुरआन) सारी ख़़ुदायी के पालने वाले (अल्लाह) का उतारा हुआ है।

26:193

نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلْأَمِينُ

न-ज़-ल बिहिर-रूहुल-अमीन
जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) साफ़ अरबी ज़बान में लेकर तुम्हारे दिल पर नाजि़ल हुए है।

26:194

عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلْمُنذِرِينَ

अ़ला कल्बि-क लि-तकू न मिनल्-मुन्ज़िरीन
ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह।

26:195

بِلِسَانٍ عَرَبِىٍّۢ مُّبِينٍۢ

अ़ला कल्बि – क लि – तकू न मिनल् – मुन्ज़िरीन
लोगों को अज़ाबे अल्लाह से डराओ।

26:196

وَإِنَّهُۥ لَفِى زُبُرِ ٱلْأَوَّلِينَ

व इत्तहू लफ़ी जुबुरिल् – अव्वलीन
और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है।

26:197

أَوَلَمْ يَكُن لَّهُمْ ءَايَةً أَن يَعْلَمَهُۥ عُلَمَـٰٓؤُا۟ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ

अ-व लम् यकुल्लहुम् आ यतन् अंय्यअ्-ल-महू अु-लमा-उ बनी इस्राईल
क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं।

26:198

وَلَوْ نَزَّلْنَـٰهُ عَلَىٰ بَعْضِ ٱلْأَعْجَمِينَ

व लौ नज्ज़ल्नाहु अ़ला बअ्जिल-अअ्-जमीन
और अगर हम इस क़़ुरआन को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाजि़ल करते।

26:199

فَقَرَأَهُۥ عَلَيْهِم مَّا كَانُوا۟ بِهِۦ مُؤْمِنِينَ

फ़-क-र अहू अ़लैहिम् मा कानू बिही मुअ्मिनीन
और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर इमान लाने वाले न थे।

26:200

كَذَٰلِكَ سَلَكْنَـٰهُ فِى قُلُوبِ ٱلْمُجْرِمِينَ

कज़ालि – क सलक्नाहु फ़ी कुलूबिल्-मुज्रिमीन
इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी।

26:201

لَا يُؤْمِنُونَ بِهِۦ حَتَّىٰ يَرَوُا۟ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ

ला युअ्मिनू – न बिही हत्ता य-रवुल अ़ज़ाबल् – अलीम
ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर इमान न लाएँगे।

26:202

فَيَأْتِيَهُم بَغْتَةًۭ وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ

फ़- यअ्ति-यहुम् बग्त-तंव्-व हुम् ला यश्अुरून
कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडे़गा कि उन्हें ख़बर भी न होगी।

26:203

فَيَقُولُوا۟ هَلْ نَحْنُ مُنظَرُونَ

फ़- यकूलू हल् नह्नु मुन्ज़रून
(मगर जब अज़ाब नाजि़ल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक़्त कुछ) मोहलत मिल सकती है।

26:204

أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ

अ फ़बि अ़ज़ाबिना यस्तअ्जिलून
तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं।

26:205

أَفَرَءَيْتَ إِن مَّتَّعْنَـٰهُمْ سِنِينَ

अ-फ-रऐ – त इम् मत्तअ्नाहुम् सिनीन
तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे।

26:206

ثُمَّ جَآءَهُم مَّا كَانُوا۟ يُوعَدُونَ

सुम- म जा- अहुम् मा कानू यू-अ़दून
उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे।

26:207

مَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يُمَتَّعُونَ

मा अ़ग्ना अ़न्हुम् मा कानू युमत्तअून
तो जिन चीज़ों से ये लोग चैन किया करते थे कुछ भी काम न आएँगी।

26:208

وَمَآ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ

व मा अह़्लक्ना मिन् क़र् – यतिन् इल्ला लहा मुन्ज़िरून
और हमने किसी बस्ती को बग़ैर उसके हलाक़ नहीं किया कि उसके समझाने को (पहले से) डराने वाले (पैग़म्बर भेज दिए) थे।

26:209

ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَـٰلِمِينَ

ज़िक्रा व मा कुन्ना ज़ालिमीन
और हम ज़ालिम नहीं है।

26:210

وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ ٱلشَّيَـٰطِينُ

व मा तनज़्ज़ – लत् बिहिश्शयातीन
और इस क़़ुरआन को शयातीन लेकर नाजि़ल नही हुए।

26:211

وَمَا يَنۢبَغِى لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ

व मा यम्बग़ी लहुम व मा यस्तती अून
और ये काम न तो उनके लिए मुनासिब था और न वह कर सकते थे।

26:212

إِنَّهُمْ عَنِ ٱلسَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ

इन्नहुम् अ़निस्सम्अिल- मअ्जूलून
बल्कि वह तो (वही के) सुनने से महरुम हैं।

26:213

فَلَا تَدْعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ فَتَكُونَ مِنَ ٱلْمُعَذَّبِينَ

फ़ला तद्अु मअ़ल्लाहि इलाहन् आ – ख़-र फ़-तकू-न मिनल् – मुअ़ज़्ज़बीन
(ऐ रसूल!) तुम ख़़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे।

26:214

وَأَنذِرْ عَشِيرَتَكَ ٱلْأَقْرَبِينَ

व अन्जिर अ़शी-र-तकल् अक्रबीन
और (ऐ रसूल) तुम अपने क़रीबी रिश्तेदारों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराओ।

26:215

وَٱخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ

वख़्फ़िज़् जना – ह – क लि मनित्त ब-अ़-क मिनल् मुअ्मिनीन
और जो मोमिनीन तुम्हारे पैरो हो गए हैं उनके सामने अपना बाजू़ झुकाओ।

26:216

فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّى بَرِىٓءٌۭ مِّمَّا تَعْمَلُونَ

फ़ – इन् अ़सौ – क फ़कुल इन्नी बरीउम्-मिम्मा त अ्मलून
(तो वाज़ेए करो) पस अगर लोग तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो तुम (साफ़ साफ़) कह दो कि मैं तुम्हारे करतूतों से बरी उज़ ज़िम्मा हूँ।

26:217

وَتَوَكَّلْ عَلَى ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ

व त – वक्कल् अलल् – अज़ीज़र्रहीम
और तुम उस (ख़ुदा) पर जो सबसे (ग़ालिब और) मेहरबान है।

26:218

ٱلَّذِى يَرَىٰكَ حِينَ تَقُومُ

अल्लज़ी यरा-क ही-न तकूम
भरोसा रखो कि जब तुम (नमाजे़ तहज्जुद में) खड़े होते हो।

26:219

وَتَقَلُّبَكَ فِى ٱلسَّـٰجِدِينَ

व तक़ल्लु – ब-क फिस्साजिदीन
और सजदा।

26:220

إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ

इन्नहू हुवस्समीअुल्-अ़लीम
करने वालों (की जमाअत) में तुम्हारा फिरना (उठना बैठना सजदा रुकूउ वगै़रह सब) देखता है।

26:221

هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ ٱلشَّيَـٰطِينُ

हल् उनब्बिउकुम् अला मन् तनज़्ज़लुश्शयातीन
बेशक वह बड़ा सुनने वाला वाकि़फ़कार है क्या मै तुम्हें बता दूँ कि शयातीन किन लोगों पर नाजि़ल हुआ करते हैं।

26:222

تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍۢ

तनज़्ज़लु अ़ला कुल्लि अफ्फ़ाकिन् असीम
(लो सुनो) ये लोग झूठे बद किरदार पर नाजि़ल हुआ करते हैं।

26:223

يُلْقُونَ ٱلسَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَـٰذِبُونَ

युल्कू नस्सम्-अ़ व अक्सरुहुम् काज़िबून
जो (फ़रिश्तों की बातों पर कान लगाए रहते हैं) कि कुछ सुन पाएँ।

26:224

وَٱلشُّعَرَآءُ يَتَّبِعُهُمُ ٱلْغَاوُۥنَ

वश्शु-अ़रा-उ यत्तबिअुहुमुल्-गावून
हालाँकि उनमें के अक्सर तो (बिल्कुल) झूठे हैं और शायरों की पैरवी तो गुमराह लोग किया करते हैं।

26:225

أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِى كُلِّ وَادٍۢ يَهِيمُونَ

अलम् त – र अन्नहुम् फ़ी कुल्लि वादिंय् – यहीमून
क्या तुम नहीं देखते कि ये लोग जंगल जंगल सरगिरदा मारे मारे फिरते हैं।

26:226

وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ

व अन्नहुम् यकूलू – न मा ला यफ्अ़लून
और ये लोग ऐसी बाते कहते हैं जो कभी करते नहीं।

26:227

إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَذَكَرُوا۟ ٱللَّهَ كَثِيرًۭا وَٱنتَصَرُوا۟ مِنۢ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا۟ ۗ وَسَيَعْلَمُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓا۟ أَىَّ مُنقَلَبٍۢ يَنقَلِبُونَ

इल्लल्लज़ी – न आमनू व अ़मिलुस् – सालिहाति व ज़ करुल्ला – ह कसीरंव् – वन्त – सरू मिम् – बअ्दि मा जुलिमू, व स-यअ् – लमुल्लज़ी – न ज़ – लमू अय् – य मुन्क़ – लबिंय् – यन्क़लिबून
मगर (हाँ) जिन लोगों ने इमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और क़सरत से ख़़ुदा का जि़क्र किया करते हैं और जब उन पर ज़़ुल्म किया जा चुका उसके बाद उन्होंनें बदला लिया और जिन लोगों ने ज़ु़ल्म किया है उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि वह किस जगह लौटाए जाएँगें।

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