Surah Al Mu’minun Quran ki 23vi Surah hai. Is Surah me 118 ayat hain aur yeh Makki Surah hai, yani yeh Makkah me nazil hui thi. Surah ka naam “Al Mu’minun” ka matlab hai “Momin” ya “Imandar Log.” Is Surah me Allah Ta’ala ne mominon ki khaslaton aur unki achhi sifat ko bayan kiya hai.
Surah ke aghaz me mominon ki kamyabi aur unki sifat ko bayan kiya gaya hai, jaise ki:
- Namaz me khushu aur khazu
- Lagv baaton se bachna
- Zakat ada karna
- Apni private parts ki hifazat karna
- Amanat aur ehad ko poora karna
Iske baad Allah Ta’ala ne apne qudrat ke kuch nishaniyon ka zikar kiya, jaise insaan ka paidaish aur uski tarbiyat. Yeh Surah insaan ko akhiraat ke ahemiyat aur duniya ke fitrati zindagi ko samajhne ka darakht deti hai.
सूरह अल मोमिनून हिंदी में पढ़ें
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।
قَدْ أَفْلَحَ ٱلْمُؤْمِنُونَ
कद् अफ़्ल-हल मुअ्मिनून
अलबत्ता वह इमान लाने वाले रस्तगार हुए।
ٱلَّذِينَ هُمْ فِى صَلَاتِهِمْ خَـٰشِعُونَ
अल्लज़ी-न हुम् फ़ी सलातिहिम् ख़ाशिअून
जो अपनी नमाज़ों में (अल्लाह के सामने) गिड़गिड़ाते हैं।
وَٱلَّذِينَ هُمْ عَنِ ٱللَّغْوِ مُعْرِضُونَ
वल्लज़ी-न हुम् अ़निल्लग्वि मुअ्-रिजून
और जो बेहूदा बातों से मुँह फेरे रहते हैं।
وَٱلَّذِينَ هُمْ لِلزَّكَوٰةِ فَـٰعِلُونَ
वल्लज़ी न हुम् लिज़्ज़काति फ़ाअिलून
और जो ज़कात (अदा) किया करते हैं।
وَٱلَّذِينَ هُمْ لِفُرُوجِهِمْ حَـٰفِظُونَ
वल्लज़ी-न हुम् लिफुरूजिहिम् हाफिजून
और जो (अपनी) शर्मगाहों को (हराम से) बचाते हैं।
إِلَّا عَلَىٰٓ أَزْوَٰجِهِمْ أَوْ مَا مَلَكَتْ أَيْمَـٰنُهُمْ فَإِنَّهُمْ غَيْرُ مَلُومِينَ
इल्ला अ़ला अज़्वाजिहिम् औ मा म-लकत् ऐमानुहुम् फ़-इन्नहुम् ग़ैरू मलूमीन
मगर अपनी बीबियों से या अपनी ज़र ख़रीद लौनडियों से कि उन पर हरगिज़ इल्ज़ाम नहीं हो सकता।
فَمَنِ ٱبْتَغَىٰ وَرَآءَ ذَٰلِكَ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْعَادُونَ
फ़ मनिब्तग़ा वरा अ ज़ालि क फ़-उलाइ-क हुमुल् आ़दून
पस जो शख़्स उसके सिवा किसी और तरीके़ से शहवत परस्ती की तमन्ना करे तो ऐसे ही लोग हद से बढ़ जाने वाले हैं।
وَٱلَّذِينَ هُمْ لِأَمَـٰنَـٰتِهِمْ وَعَهْدِهِمْ رَٰعُونَ
वल्लज़ी-न हुम् लि- अमानातिहिम् व अ़दिहिम् राअून
और जो अपनी अमानतों और अपने एहद का लिहाज़ रखते हैं।
وَٱلَّذِينَ هُمْ عَلَىٰ صَلَوَٰتِهِمْ يُحَافِظُونَ
वल्लज़ी-न हुम् अ़ला स-लवातिहिम् युहाफ़िजून
और जो अपनी नमाज़ों की पाबन्दी करते हैं।
أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْوَٰرِثُونَ
उलाइ-क हुमुल्-वारिसून
(आदमी की औलाद में) यही लोग सच्चे वारिस है।
ٱلَّذِينَ يَرِثُونَ ٱلْفِرْدَوْسَ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ
अल्लज़ी-न यरिसूनल् फ़िरदौ-स हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
जो बेहिश्त बरीं का हिस्सा लेगें (और) यही लोग इसमें हमेशा(जिन्दा) रहेंगे।
وَلَقَدْ خَلَقْنَا ٱلْإِنسَـٰنَ مِن سُلَـٰلَةٍۢ مِّن طِينٍۢ
व ल-क़द् ख़लक़्नल्-इन्सा-न मिन सुलालतिम्-मिन् तीन
और हमने आदमी को गीली मिट्टी के जौहर से पैदा किया।
ثُمَّ جَعَلْنَـٰهُ نُطْفَةًۭ فِى قَرَارٍۢ مَّكِينٍۢ
सुम्-म जअ़ल्नाहु नुत्फ़-तन् फ़ी क़रारिम्-मकीन
फिर हमने उसको एक महफूज़ जगह (औरत के रहम में) नुत्फ़ा बना कर रखा।
ثُمَّ خَلَقْنَا ٱلنُّطْفَةَ عَلَقَةًۭ فَخَلَقْنَا ٱلْعَلَقَةَ مُضْغَةًۭ فَخَلَقْنَا ٱلْمُضْغَةَ عِظَـٰمًۭا فَكَسَوْنَا ٱلْعِظَـٰمَ لَحْمًۭا ثُمَّ أَنشَأْنَـٰهُ خَلْقًا ءَاخَرَ ۚ فَتَبَارَكَ ٱللَّهُ أَحْسَنُ ٱلْخَـٰلِقِينَ
सुम्-म ख़लक़्नन्-नुत्फ़-त अ़-ल क़तन् फ़-ख लक़्नल् अ-ल-क त मुज्-ग़तन् फ़ ख़लक्नल् मुज़्ग़ त अिज़ामन् फ़- कसौनल्-अिज़ा-म लह़्मन्, सुम्-म अन्शअ्नाहु ख़ल्क़न् आख-र, फ़-तबा-रकल्लाहु अहसनुल् ख़ालिक़ीन
फिर हम ही ने नुतफ़े को जमा हुआ ख़ून बनाया फिर हम ही ने मुनजमिद खू़न को गोश्त का लोथड़ा बनाया हम ही ने लोथडे़ की हड्डियाँ बनायीं फिर हम ही ने हड्डियों पर गोश्त चढ़ाया फिर हम ही ने उसको (रुह डालकर) एक दूसरी सूरत में पैदा किया तो (सुबहान अल्लाह) अल्लाह बा बरकत है जो सब बनाने वालो से बेहतर है।
ثُمَّ إِنَّكُم بَعْدَ ذَٰلِكَ لَمَيِّتُونَ
सुम्-म इन्नकुम् बअ्-द ज़ालि-क ल-मय्यितून
फिर इसके बाद यक़ीनन तुम सब लोगों को (एक न एक दिन) मरना है।
ثُمَّ إِنَّكُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ تُبْعَثُونَ
सुम् – म इन्नकुम् यौमल् – कियामति तुब्अ़सून
इसके बाद क़यामत के दिन तुम सब के सब कब्रों से उठाए जाओगे।
وَلَقَدْ خَلَقْنَا فَوْقَكُمْ سَبْعَ طَرَآئِقَ وَمَا كُنَّا عَنِ ٱلْخَلْقِ غَـٰفِلِينَ
व ल – क़द्ख़लकना फ़ौक़कुम् सब् – अ तराइ क़ व मा कुन्ना अ़निल् – ख़ल्कि ग़ाफ़िलीन
और हम ही ने तुम्हारे ऊपर तह ब तह आसमान बनाए और हम मख़लूक़ात से बेख़बर नही है
وَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۢ بِقَدَرٍۢ فَأَسْكَنَّـٰهُ فِى ٱلْأَرْضِ ۖ وَإِنَّا عَلَىٰ ذَهَابٍۭ بِهِۦ لَقَـٰدِرُونَ
व अन्ज़ल्ना मिनस्समा-इ मा-अम् बि-क़-दरिन् फ-अस्कन्नाहु फिल्अर्जि व इन्ना अ़ला ज़हाबिम् बिही लकादिरून
और हमने आसमान से एक अन्दाजे़ के साथ पानी बरसाया फिर उसको ज़मीन में (हसब मसलहत) ठहराए रखा और हम तो यक़ीनन उसके ग़ाएब कर देने पर भी क़ाबू रखते है।
فَأَنشَأْنَا لَكُم بِهِۦ جَنَّـٰتٍۢ مِّن نَّخِيلٍۢ وَأَعْنَـٰبٍۢ لَّكُمْ فِيهَا فَوَٰكِهُ كَثِيرَةٌۭ وَمِنْهَا تَأْكُلُونَ
फ़- अन्शअ्ना लकुम् बिही जन्नातिम् मिन् नख़ीलिंव् – व अअ्नाबिन् • लकुम् फ़ीहा फ़वाकिहु कसीरतुंव् – व मिन्हा तअ्कुलून
फिर हमने उस पानी से तुम्हारे वास्ते खजूरों और अँगूरों के बाग़ात बनाए कि उनमें तुम्हारे वास्ते (तरह तरह के) बहुतेरे मेवे (पैदा होते) हैं उनमें से बाज़ को तुम खाते हो।
وَشَجَرَةًۭ تَخْرُجُ مِن طُورِ سَيْنَآءَ تَنۢبُتُ بِٱلدُّهْنِ وَصِبْغٍۢ لِّلْـَٔاكِلِينَ
व श-ज-रतन् तख़्रुजु मिन् तूरि सैना – अ तम्बुतु बिद्दुह़्नि व सिब्गिल् लिल् आकिलीन
और (हम ही ने ज़ैतून का) दरख़्त (पैदा किया) जो तूरे सीना (पहाड़) में (कसरत से) पैदा होता है जिससे तेल भी निकलता है और खाने वालों के लिए सालन भी है।
وَإِنَّ لَكُمْ فِى ٱلْأَنْعَـٰمِ لَعِبْرَةًۭ ۖ نُّسْقِيكُم مِّمَّا فِى بُطُونِهَا وَلَكُمْ فِيهَا مَنَـٰفِعُ كَثِيرَةٌۭ وَمِنْهَا تَأْكُلُونَ
व इन् – न लकुम् फ़िल् – अन्आ़मि ल – अिब् – रतन्, नुस्क़ीकुम् मिम्मा फ़ी बुतूनिहा व लकुम् फ़ीहा मनाफ़िअु कसी – रतुंव् – व मिन्हा तअ्कुलून
और उसमें भी शक नहीं कि तुम्हारे वास्ते चैपायों में भी इबरत की जगह है और (ख़ाक बला) जो कुछ उनके पेट में है उससे हम तुमको दूध पिलाते हैं और जानवरों में तो तुम्हारे और भी बहुत से फायदे हैं और उन्हीं में से बाज़ तुम खाते हो।
وَعَلَيْهَا وَعَلَى ٱلْفُلْكِ تُحْمَلُونَ
व अ़लैहा व अ़लल्-फुल्कि तुह्मलून
और उन्हें जानवरों और कश्तियों पर चढे़ चढ़े फिरते भी हो।
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَىٰ قَوْمِهِۦ فَقَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥٓ ۖ أَفَلَا تَتَّقُونَ
व ल – क़द् अरसल्ना नूहन् इला क़ौमिही फ़का – ल या क़ौमि अ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, अ-फ़ला तत्तकून
और हमने नूह को उनकी क़ौम के पास पैग़म्बर बनाकर भेजा तो नूह ने (उनसे) कहा ऐ मेरी क़ौम अल्लाह ही की इबादत करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तो क्या तुम (उससे) डरते नहीं हो।
فَقَالَ ٱلْمَلَؤُا۟ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن قَوْمِهِۦ مَا هَـٰذَآ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُكُمْ يُرِيدُ أَن يَتَفَضَّلَ عَلَيْكُمْ وَلَوْ شَآءَ ٱللَّهُ لَأَنزَلَ مَلَـٰٓئِكَةًۭ مَّا سَمِعْنَا بِهَـٰذَا فِىٓ ءَابَآئِنَا ٱلْأَوَّلِينَ
फ़कालल् म-लउल्लज़ी-न क-फरू मिन् क़ौमिही मा हाज़ा इल्ला ब-शरूम्-मिस्लुकुम् युरीदु अंय्य तफ़ज़्ज़ल अ़लैकुम्, व लौ शा-अल्लाहु ल -अन्ज़-ल मलाइ कतम् मा समिअ्ना बिहाज़ा फी आबाइनल् – अव्वलीन
तो उनकी क़ौम के सरदारों ने जो काफ़िर थे कहा कि ये भी तो बस (आखि़र) तुम्हारे ही सा आदमी है (मगर) इसकी तमन्ना ये है कि तुम पर बुज़ुर्गी हासिल करे और अगर अल्लाह (पैग़म्बर ही न भेजना) चाहता तो फरिश्तों को नाजि़ल करता हम ने तो (भाई) ऐसी बात अपने अगले बाप दादाओं में (भी होती) नहीं सुनी।
إِنْ هُوَ إِلَّا رَجُلٌۢ بِهِۦ جِنَّةٌۭ فَتَرَبَّصُوا۟ بِهِۦ حَتَّىٰ حِينٍۢ
इन् हु-व इल्ला रजुलुम्-बिही जिन्नतुन् फ़-तरब्बसू बिही हत्ता हीन
हो न हों बस ये एक आदमी है जिसे जुनून हो गया है ग़रज़ तुम लोग एक (ख़ास) वक़्त तक (इसके अन्जाम का) इन्तेज़ार देखो।
قَالَ رَبِّ ٱنصُرْنِى بِمَا كَذَّبُونِ
का-ल रब्बिन्सुरनी बिमा कज़्ज़बून
नूह ने (ये बातें सुनकर) दुआ की ऐ मेरे पलने वाले मेरी मदद कर।
فَأَوْحَيْنَآ إِلَيْهِ أَنِ ٱصْنَعِ ٱلْفُلْكَ بِأَعْيُنِنَا وَوَحْيِنَا فَإِذَا جَآءَ أَمْرُنَا وَفَارَ ٱلتَّنُّورُ ۙ فَٱسْلُكْ فِيهَا مِن كُلٍّۢ زَوْجَيْنِ ٱثْنَيْنِ وَأَهْلَكَ إِلَّا مَن سَبَقَ عَلَيْهِ ٱلْقَوْلُ مِنْهُمْ ۖ وَلَا تُخَـٰطِبْنِى فِى ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓا۟ ۖ إِنَّهُم مُّغْرَقُونَ
फ – औहैना इलैहि अनिस्नअिल् – फुल् क बि – अअ्युनिना व वह्यिना फ़-इज़ा जा-अ अम्रुना व फ़ारत्तन्नूरू फ़स्लुक् फ़ीहा मिन् कुल्लिन् ज़ौजैनिस्नैनि व अह़्ल- क इल्ला मन् स-ब-क़ अ़लैहिल् कौलु मिन्हुम् व ला तुख़ातिब्नी फ़िल्लज़ी न ज़ – लमू इन्नहुम् मुग् रकून
इस वजह से कि उन लोगों ने मुझे झुठला दिया तो हमने नूह के पास ‘वही’ भेजी कि तुम हमारे सामने हमारे हुक्म के मुताबिक़ कश्ती बनाना शुरु करो फिर जब कल हमारा अज़ाब आ जाए और तनूर (से पानी) उबलने लगे तो तुम उसमें हर किस्म (के जानवरों में) से (नर व मादा) दो दो का जोड़ा और अपने लड़के बालों को बिठा लो मगर उन में से जिसकी निस्बत (ग़रक़ होने का) पहले से हमारा हुक्म हो चुका है (उन्हें छोड़ दो) और जिन लोगों ने (हमारे हुकम से) सरकशी की है उनके बारे में मुझसे कुछ कहना (सुनना) नहीं क्योंकि ये लोग यक़ीनन डूबने वाले है।
فَإِذَا ٱسْتَوَيْتَ أَنتَ وَمَن مَّعَكَ عَلَى ٱلْفُلْكِ فَقُلِ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِى نَجَّىٰنَا مِنَ ٱلْقَوْمِ ٱلظَّـٰلِمِينَ
फ़-इज़ स्तवै-त अन्-त व मम्म-अ-क अलल् – फुल्कि फ़कुलिल् – हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी नज्जाना मिनल् – कौमिज़्ज़ालिमीन
ग़रज़ जब तुम अपने हमराहियों के साथ कश्ती पर दुरुस्त बैठो तो कहो तमाम हम्द व सना का सज़ावार अल्लाह ही है जिसने हमको ज़ालिम लोगों से नजात दी।
وَقُل رَّبِّ أَنزِلْنِى مُنزَلًۭا مُّبَارَكًۭا وَأَنتَ خَيْرُ ٱلْمُنزِلِينَ
व कुर्रब्बि अन्ज़िल्नी मुन्ज़ लम् मुबा-रकव् – व अन् – त ख़ैरूल् – मुन्ज़िलीन
और दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले तू मुझको (दरख़्त के पानी की) बा बरकत जगह में उतारना और तू तो सब उतारने वालो से बेहतर है।
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ وَإِن كُنَّا لَمُبْتَلِينَ
इन् – न फ़ी ज़ालि – क लआयातिंव् – व इन् कुन्ना लमुब्तलीन
इसमें शक नहीं कि उसमे (हमारी क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं और हमको तो बस उनका इम्तिहान लेना मंज़ूर था।
ثُمَّ أَنشَأْنَا مِنۢ بَعْدِهِمْ قَرْنًا ءَاخَرِينَ
सुम् – म अन्शअ्ना मिम्-बअ्दिहिम् कर्नन् आख़रीन
फिर हमने उनके बाद एक और क़ौम को (समूद) को पैदा किया।
فَأَرْسَلْنَا فِيهِمْ رَسُولًۭا مِّنْهُمْ أَنِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥٓ ۖ أَفَلَا تَتَّقُونَ
फ़- अरसल्ना फ़ीहिम् रसूलम् मिन्हुम् अनिअ्बुदुल्ला – ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, अ-फ़ला तत्तकून
और हमने उनही में से (एक आदमी सालेह को) रसूल बनाकर उन लोगों में भेजा (और उन्होंने अपनी क़ौम से कहा) कि अल्लाह की इबादत करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तो क्या तुम (उससे डरते नही हो)।
وَقَالَ ٱلْمَلَأُ مِن قَوْمِهِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَكَذَّبُوا۟ بِلِقَآءِ ٱلْـَٔاخِرَةِ وَأَتْرَفْنَـٰهُمْ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا مَا هَـٰذَآ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُكُمْ يَأْكُلُ مِمَّا تَأْكُلُونَ مِنْهُ وَيَشْرَبُ مِمَّا تَشْرَبُونَ
व कालल् – मल- उ मिन् क़ौमिहिल्लज़ी – न क फ़रू व कज़्ज़बू बिलिक़ाइल – आख़िरति व अतरफ़्नाहुम् फ़िल् हयातिद्दुन्या मा हाज़ा इल्ला ब – शरूम् – मिस्लुकुम् यअ्कुलु मिम्मा तअ्कुलू – न मिन्हु व यश्रबू मिम्मा तश्रबून
और उनकी क़ौम के चन्द सरदारों ने जो काफिर थे और (रोज़) आखि़रत की हाजि़री को भी झुठलाते थे और दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी में हमने उन्हें सरवत भी दे रखी थी आपस में कहने लगे (अरे) ये तो बस तुम्हारा ही सा आदमी है जो चीज़े तुम खाते वही ये भी खाता है और जो चीज़े तुम पीते हो उन्हीं में से ये भी पीता है।
وَلَئِنْ أَطَعْتُم بَشَرًۭا مِّثْلَكُمْ إِنَّكُمْ إِذًۭا لَّخَـٰسِرُونَ
वल – इन् अ- तअ्तुम् ब – शरम् मिस् – लकुम् इन्नकुम् इज़ल् – लख़ासिरून
और अगर कहीं तुम लोगों ने अपने ही से आदमी की इताअत कर ली तो तुम ज़रुर घाटे में रहोगे।
أَيَعِدُكُمْ أَنَّكُمْ إِذَا مِتُّمْ وَكُنتُمْ تُرَابًۭا وَعِظَـٰمًا أَنَّكُم مُّخْرَجُونَ
अ-यअिदुकुम् अन्नकुम् इज़ा मित्तुम् व कुन्तुम् तुराबंव् – व अिज़ामन् अन्नकुम् मुखरजून
क्या ये शख़्स तुमसे वायदा करता है कि जब तुम मर जाओगे और (मर कर) सिर्फ़ मिट्टी और हड्डियाँ (बनकर) रह जाओगे तो तुम दुबारा जि़न्दा करके क़ब्रो में से निकाले जाओगे (है है अरे) जिसका तुमसे वायदा किया जाता है।
۞ هَيْهَاتَ هَيْهَاتَ لِمَا تُوعَدُونَ
हैहा – त हैहा – त लिमा तूअ़दून
बिल्कुल (अक़्ल से) दूर और क़यास से बईद है (दो बार जि़न्दा होना कैसा) बस यही तुम्हारी दुनिया की जि़न्दगी है।
إِنْ هِىَ إِلَّا حَيَاتُنَا ٱلدُّنْيَا نَمُوتُ وَنَحْيَا وَمَا نَحْنُ بِمَبْعُوثِينَ
इन् हि – य इल्ला हयातुनद्दुन्या नमूतु व नह़्या व मा नह्नु बिमब्अूसीन
कि हम मरते भी हैं और जीते भी हैं और हम तो फिर (दुबारा) उठाए नहीं जाएँगे हो न हो ये (सालेह) वह शख़्स है जिसने अल्लाह पर झूठ मूठ बोहतान बाँधा है।
إِنْ هُوَ إِلَّا رَجُلٌ ٱفْتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًۭا وَمَا نَحْنُ لَهُۥ بِمُؤْمِنِينَ
इन् हु-व इल्ला रजुलु – निफ़्तरा अ़लल्लाहि कज़िबंव्व मा नह्नु लहू बिमुअ्मिनीन
और हम तो कभी उस पर इमान लाने वाले नहीं (ये हालत देखकर) सालेह ने दुआ की ऐ मेरे पालने वाले चूँकि इन लोगों ने मुझे झुठला दिया।
قَالَ رَبِّ ٱنصُرْنِى بِمَا كَذَّبُونِ
का – ल रब्बिन्सुर्नी बिमा कज़्ज़बून
तू मेरी मदद कर अल्लाह ने फरमाया (एक ज़रा ठहर जाओ)।
قَالَ عَمَّا قَلِيلٍۢ لَّيُصْبِحُنَّ نَـٰدِمِينَ
का-ल अ़म्मा क़लीलिल् – लयुस्बिहुन् – न नादिमीन
अनक़रीब ही ये लोग नादिम व परेशान हो जाएँगे।
فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّيْحَةُ بِٱلْحَقِّ فَجَعَلْنَـٰهُمْ غُثَآءًۭ ۚ فَبُعْدًۭا لِّلْقَوْمِ ٱلظَّـٰلِمِينَ
फ़ अ – ख़ज़त्हुमुस्सै हतु बिल्हक्कि फ़ – जअ़ल्नाहुम् गुसा – अन् फ़बुअ्दल् – लिल्क़ौमिज़्ज़ालिमीन
ग़रज़ उन्हें यक़ीनन एक सख़्त चिंघाड़ ने ले डाला तो हमने उन्हें कूडे़ करकट (का ढे़र) बना छोड़ा पस ज़ालिमों पर (अल्लाह की) लानत है।
ثُمَّ أَنشَأْنَا مِنۢ بَعْدِهِمْ قُرُونًا ءَاخَرِينَ
सुम् – म अन्शअ्ना मिम् – बअ्दिहिम् कुरूनन् आ – ख़रीन
फिर हमने उनके बाद दूसरी क़ौमों को पैदा किया।
مَا تَسْبِقُ مِنْ أُمَّةٍ أَجَلَهَا وَمَا يَسْتَـْٔخِرُونَ
मा तस्बिकु मिन् उम्मतिन् अ-ज-लहा व मा यस्तअ्खिरून
कोई उम्मत अपने वक़्त मुर्क़रर से न आगे बढ़ सकती है न (उससे) पीछे हट सकती है।
ثُمَّ أَرْسَلْنَا رُسُلَنَا تَتْرَا ۖ كُلَّ مَا جَآءَ أُمَّةًۭ رَّسُولُهَا كَذَّبُوهُ ۚ فَأَتْبَعْنَا بَعْضَهُم بَعْضًۭا وَجَعَلْنَـٰهُمْ أَحَادِيثَ ۚ فَبُعْدًۭا لِّقَوْمٍۢ لَّا يُؤْمِنُونَ
सूम-म अरसल्ना रूसु – लना ततरा कुल्लमा जा- अ उम्मतर्रसूलुहा कज़्ज़बूहु फ़ – अत्बअ्ना बअ् – ज़हुम् बअ्ज़ंव् – व जअ़ल्नाहुम् अहादी-स फ़बुअ्दल् – लिकौमिल् ला युअ्मिनून
फिर हमने लगातार बहुत से पैग़म्बर भेजे (मगर) जब जब किसी उम्मत का पैग़म्बर उन के पास आता तो ये लोग उसको झुठलाते थे तो हम भी (आगे पीछे) एक को दूसरे के बाद (हलाक) करते गए और हमने उन्हें (नेस्त व नाबूद करके) अफ़साना बना दिया तो इमान न लाने वालो पर अल्लाह की लानत है।
ثُمَّ أَرْسَلْنَا مُوسَىٰ وَأَخَاهُ هَـٰرُونَ بِـَٔايَـٰتِنَا وَسُلْطَـٰنٍۢ مُّبِينٍ
सुम्म अरसल्ना मूसा व अख़ाहु हारू-न बिआयातिना व सुल्तानिम् मुबीन
फिर हमने मूसा और उनके भाई हारुन को अपनी निशानियों और वाज़ेए व रौशन दलील के साथ फ़िरऔन और उसके दरबार के उमराओं के पास रसूल बना कर भेजा।
إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَإِي۟هِۦ فَٱسْتَكْبَرُوا۟ وَكَانُوا۟ قَوْمًا عَالِينَ
इला फिरऔ-न व म-लइही फ़स्तक्बरू व कानू क़ौमन आ़लीन
तो उन लोगो ने शेख़ी की और वह थे ही बड़े सरकश लोग।
فَقَالُوٓا۟ أَنُؤْمِنُ لِبَشَرَيْنِ مِثْلِنَا وَقَوْمُهُمَا لَنَا عَـٰبِدُونَ
फ़क़ालू अनुअ्मिनु लि – ब शरैनि मिस्लिना व क़ौमूहुमा लना आ़बिदून
आपस मे कहने लगे क्या हम अपने ही ऐसे दो आदमियों पर इमान ले आएँ हालाँकि इन दोनों की (क़ौम की) क़ौम हमारी खि़दमत गारी करती है।
فَكَذَّبُوهُمَا فَكَانُوا۟ مِنَ ٱلْمُهْلَكِينَ
फ़- कज़्ज़बूहुमा फ़कानू मिनल् – मुह़्लकीन
गरज़ उन लोगों ने इन दोनों को झुठलाया तो आखि़र ये सब के सब हलाक कर डाले गए।
وَلَقَدْ ءَاتَيْنَا مُوسَى ٱلْكِتَـٰبَ لَعَلَّهُمْ يَهْتَدُونَ
व ल कद आतैना मूसल किता-ब लअ़ल्लहुम् यह्तदून
और हमने मूसा को किताब (तौरैत) इसलिए अता की थी कि ये लोग हिदायत पाएँ।
وَجَعَلْنَا ٱبْنَ مَرْيَمَ وَأُمَّهُۥٓ ءَايَةًۭ وَءَاوَيْنَـٰهُمَآ إِلَىٰ رَبْوَةٍۢ ذَاتِ قَرَارٍۢ وَمَعِينٍۢ
व जअ़ल्नब् – न मर्य-म व उम्महू आ-यतंव् – व आवैनाहुमा इला रब्वतिन् ज़ाति करारिंव् – व मईन
और हमने मरियम के बेटे (ईसा) और उनकी माँ को (अपनी क़ुदरत की निशानी बनाया था) और उन दोनों को हमने एक ऊँची हमवार ठहरने के क़ाबिल चश्मे वाली ज़मीन पर (रहने की) जगह दी।
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلرُّسُلُ كُلُوا۟ مِنَ ٱلطَّيِّبَـٰتِ وَٱعْمَلُوا۟ صَـٰلِحًا ۖ إِنِّى بِمَا تَعْمَلُونَ عَلِيمٌۭ
या अय्युहर्रूसुलु कुलू मिनत्तय्यिबाति वअ्मलू सालिहन्, इन्नी बिमा तअ्मलू-न अ़लीम
और मेरा आम हुक्म था कि ऐ (मेरे पैग़म्बर) पाक व पाकीज़ा चीज़ें खाओ और अच्छे अच्छे काम करो (क्योंकि) तुम जो कुछ करते हो मैं उससे बख़ूबी वाकि़फ हूँ।
وَإِنَّ هَـٰذِهِۦٓ أُمَّتُكُمْ أُمَّةًۭ وَٰحِدَةًۭ وَأَنَا۠ رَبُّكُمْ فَٱتَّقُونِ
व इन् – न हाज़िही उम्मतुकुम् उम्मतंव्वाहि- दतंव् – व अ-न रब्बुकुम् फत्तकून
(लोगों ये दीन इस्लाम) तुम सबका मज़हब एक ही मज़हब है और मै तुम लोगों का परवरदिगार हूँ।
فَتَقَطَّعُوٓا۟ أَمْرَهُم بَيْنَهُمْ زُبُرًۭا ۖ كُلُّ حِزْبٍۭ بِمَا لَدَيْهِمْ فَرِحُونَ
फ़- तक़त्तअू अमरहुम बैनहुम् जुबुरन्, कुल्लु हिज़्बिम् – बिमा लदैहिम् फ़रिहून
तो बस मुझी से डरते रहो फिर लोगों ने अपने काम (में एख़तिलाफ करके उस) को टुकड़े टुकड़े कर डाला हर गिरोह जो कुछ उसके पास है उसी में नेहाल नेहाल है।
فَذَرْهُمْ فِى غَمْرَتِهِمْ حَتَّىٰ حِينٍ
फ़ ज़रहुम फ़ी – ग़म् – रतिहिम् हत्ता हीन
तो (ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उन की ग़फलत में एक ख़ास वक़्त तक (पड़ा) छोड़ दो।
أَيَحْسَبُونَ أَنَّمَا نُمِدُّهُم بِهِۦ مِن مَّالٍۢ وَبَنِينَ
अ – यह्सबू – न अन्नमा नुमिद्दुहुम्’ बिही मिम् – मालिंव् – व बनीन
क्या ये लोग ये ख़्याल करते है कि हम जो उन्हें माल और औलाद में तरक़्क़ी दे रहे है तो हम उनके साथ भलाईयाँ करने में जल्दी कर रहे है।
نُسَارِعُ لَهُمْ فِى ٱلْخَيْرَٰتِ ۚ بَل لَّا يَشْعُرُونَ
नुसारिअु लहुम् फ़िल-ख़ैराति, बल् ला यश्अुरून
(ऐसा नहीं) बल्कि ये लोग समझते नहीं।
إِنَّ ٱلَّذِينَ هُم مِّنْ خَشْيَةِ رَبِّهِم مُّشْفِقُونَ
इन्नल्लज़ी – न हुम् मिन् ख़श्यति रब्बिहिम् मुश्फ़िकून
उसमें शक नहीं कि जो लोग अपने परवरदिगार की दहशत से लरज़ रहे है।
وَٱلَّذِينَ هُم بِـَٔايَـٰتِ رَبِّهِمْ يُؤْمِنُونَ
वल्लज़ी – न हुम् बिआयाति रब्बिहिम् युअ्मिनून
और जो लोग अपने परवरदिगार की (क़ुदरत की) निशानियों पर इमान रखते हैं।
وَٱلَّذِينَ هُم بِرَبِّهِمْ لَا يُشْرِكُونَ
वल्लज़ी – न हुम् बिरब्बिहिम् ला युश्रिकून
और अपने परवरदिगार का किसी को शरीक नही बनाते।
وَٱلَّذِينَ يُؤْتُونَ مَآ ءَاتَوا۟ وَّقُلُوبُهُمْ وَجِلَةٌ أَنَّهُمْ إِلَىٰ رَبِّهِمْ رَٰجِعُونَ
वल्लज़ी – न युअ्तू – न मा आतौ व कुलूबुहुम् वजि – लतुन् अन्नहुम् इला रब्बिहिम् राजिअून
और जो लोग (अल्लाह की राह में) जो कुछ बन पड़ता है देते हैं और फिर उनके दिल को इस बात का खटका लगा हुआ है कि उन्हें अपने परवरदिगार के सामने लौट कर जाना है।
أُو۟لَـٰٓئِكَ يُسَـٰرِعُونَ فِى ٱلْخَيْرَٰتِ وَهُمْ لَهَا سَـٰبِقُونَ
उलाइ-क युसारिअू-न फ़िल्-ख़ैराति व हुम् लहा साबिकून
(देखिये क्या होता है) यही लोग अलबत्ता नेकियों में जल्दी करते हैं और भलाई की तरफ (दूसरों से) लपक के आगे बढ़ जाते हैं।
وَلَا نُكَلِّفُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۖ وَلَدَيْنَا كِتَـٰبٌۭ يَنطِقُ بِٱلْحَقِّ ۚ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ
व ला नुकल्लिफु नफ़्सन् इल्ला वुस्अहा व लदैना किताबुंय्यन्तिकु बिल्हक्कि व हुम् ला युज़्लमून
और हम तो किसी शख़्स को उसकी क़ूवत से बढ़के तकलीफ देते ही नहीं और हमारे पास तो (लोगों के आमाल की) किताब है जो बिल्कुल ठीक (हाल बताती है) और उन लोगों की (ज़र्रा बराबर) हक़ तलफी नहीं की जाएगी।
بَلْ قُلُوبُهُمْ فِى غَمْرَةٍۢ مِّنْ هَـٰذَا وَلَهُمْ أَعْمَـٰلٌۭ مِّن دُونِ ذَٰلِكَ هُمْ لَهَا عَـٰمِلُونَ
बल कुलूबुहुम् फी गम्रतिम् – मिन् हाज़ा व लहुम् अअ्मालुम् – मिन् दूनि ज़ालि-क हुम् लहा आ़मिलून
उनके दिल उसकी तरफ से ग़फलत में पडे़ हैं इसके अलावा उन के बहुत से आमाल हैं जिन्हें ये (बराबर किया करते है) और बाज़ नहीं आते।
حَتَّىٰٓ إِذَآ أَخَذْنَا مُتْرَفِيهِم بِٱلْعَذَابِ إِذَا هُمْ يَجْـَٔرُونَ
हत्ता इज़ा अख़ज्ना मुत्रफ़ीहिम् बिल् – अज़ाबि इज़ा हुम् यज्अरून
यहाँ तक कि जब हम उनके मालदारों को अज़ाब में गिरफ्तार करेंगे तो ये लोग वावैला करने लगेंगें।
لَا تَجْـَٔرُوا۟ ٱلْيَوْمَ ۖ إِنَّكُم مِّنَّا لَا تُنصَرُونَ
ला तज्अरूल् यौ-म इन्नकुम् मिन्ना ला तुन्सरून
(उस वक़्त कहा जाएगा) आज वावैला मत करों तुमको अब हमारी तरफ से मदद नहीं मिल सकती।
قَدْ كَانَتْ ءَايَـٰتِى تُتْلَىٰ عَلَيْكُمْ فَكُنتُمْ عَلَىٰٓ أَعْقَـٰبِكُمْ تَنكِصُونَ
कद् कानत् आयाती तुत्ला अ़लैकुम् फ़कुन्तुम् अ़ला अअ्क़ाबिकुम् तन्किसून
(जब) हमारी आयतें तुम्हारे सामने पढ़ी जाती थीं तो तुम अकड़ते किस्सा कहते बकते हुए उन से उलटे पाँव फिर जाते।
مُسْتَكْبِرِينَ بِهِۦ سَـٰمِرًۭا تَهْجُرُونَ
मुस्तक्बिरी न बिही सामिरन् तह्जुरून
तो क्या उन लोगों ने (हमारी) बात (कु़रआन) पर ग़ौर नहीं किया।
أَفَلَمْ يَدَّبَّرُوا۟ ٱلْقَوْلَ أَمْ جَآءَهُم مَّا لَمْ يَأْتِ ءَابَآءَهُمُ ٱلْأَوَّلِينَ
अ-फ़लम् यद्दब्बरूल् – क़ौल अम् जा अहुम् मा लम् यअ्ति आबा – अहुमुल अव्वलीन
उनके पास कोई ऐसी नयी चीज़ आयी जो उनके अगले बाप दादाओं के पास नहीं आयी थी।
أَمْ لَمْ يَعْرِفُوا۟ رَسُولَهُمْ فَهُمْ لَهُۥ مُنكِرُونَ
अम् लम् यअ् रिफू रसूलहुम् फहुम् लहू मुन्किरून
या उन लोगों ने अपने रसूल ही को नहीं पहचाना तो इस वजह से इन्कार कर बैठे।
أَمْ يَقُولُونَ بِهِۦ جِنَّةٌۢ ۚ بَلْ جَآءَهُم بِٱلْحَقِّ وَأَكْثَرُهُمْ لِلْحَقِّ كَـٰرِهُونَ
अम् यकूलू – न बिही जिन्नतुन्, बल जा – अहुम् बिल्हक्कि व अक्सरूहुम् लिल्हक्कि कारिहून
या कहते हैं कि इसको जुनून हो गया है (हरगिज़ उसे जुनून नहीं) बल्कि वह तो उनके पास हक़ बात लेकर आया है और उनमें के अक्सर हक़ बात से नफ़रत रखते हैं।
وَلَوِ ٱتَّبَعَ ٱلْحَقُّ أَهْوَآءَهُمْ لَفَسَدَتِ ٱلسَّمَـٰوَٰتُ وَٱلْأَرْضُ وَمَن فِيهِنَّ ۚ بَلْ أَتَيْنَـٰهُم بِذِكْرِهِمْ فَهُمْ عَن ذِكْرِهِم مُّعْرِضُونَ
व लवित्त – बअ़ल्- हक़्कु अह़्वा अहुम् ल-फ-स दतिस्- समावातु वल्अर्जु व मन् फ़ीहिन् – न, बल् अतैनाहुम् बिज़िकरिहिम् फ़हुम् अ़न् जिकरिहिम् मुअ्-रिजून
और अगर कहीं हक़ उनकी नफ़सियानी ख़्वाहिश की पैरवी करता है तो सारे आसमान व ज़मीन और जो लोग उनमें हैं (सबके सब) बरबाद हो जाते बल्कि हम तो उन्हीं के तज़किरे (जिब्राईल के वास्ते से) उनके पास लेकर आए तो यह लोग अपने ही तज़किरे से मुँह मोड़तें हैं।
أَمْ تَسْـَٔلُهُمْ خَرْجًۭا فَخَرَاجُ رَبِّكَ خَيْرٌۭ ۖ وَهُوَ خَيْرُ ٱلرَّٰزِقِينَ
व लवित्त – बअ़ल्- हक़्कु अह़्वा अहुम् ल-फ-स दतिस्- समावातु वल्अर्जु व मन् फ़ीहिन् – न, बल् अतैनाहुम् बिज़िकरिहिम् फ़हुम् अ़न् जिकरिहिम् मुअ्-रिजून
(ऐ रसूल!) क्या तुम उनसे (अपनी रिसालत की) कुछ उजरत माँगतें हों तो तुम्हारे परवरदिगार की उजरत उससे कही बेहतर है और वह तो सबसे बेहतर रोज़ी देने वाला है।
وَإِنَّكَ لَتَدْعُوهُمْ إِلَىٰ صِرَٰطٍۢ مُّسْتَقِيمٍۢ
व इन्न – क ल – तद्अूहुम इला सिरातिम् – मुस्तकीम
और तुम तो यक़ीनन उनको सीधी राह की तरफ़ बुलाते हो।
وَإِنَّ ٱلَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِٱلْـَٔاخِرَةِ عَنِ ٱلصِّرَٰطِ لَنَـٰكِبُونَ
व इन्नल्लज़ी – न ला युअ्मिनू – न बिल – आखिरति अनिस्सिराति लनाकिबून
और इसमें शक नहीं कि जो लोग आखि़रत पर इमान नहीं रखते वह सीधी राह से हटे हुए हैं।
۞ وَلَوْ رَحِمْنَـٰهُمْ وَكَشَفْنَا مَا بِهِم مِّن ضُرٍّۢ لَّلَجُّوا۟ فِى طُغْيَـٰنِهِمْ يَعْمَهُونَ
व लौ रहिम्नाहुम् व कशफ़्ना मा बिहिम् मिन् जुर्रिल ल – लज्जू फ़ी तुग्यानिहिम् यअ्महून
और अगर हम उन पर तरस खायें और जो तकलीफें उनको (कुफ्र की वजह से) पहुँच रही हैं उन को दफ़ा कर दें तो यक़ीनन ये लोग (और भी) अपनी सरकशी पर अड़ जाए और भटकते फिरें।
وَلَقَدْ أَخَذْنَـٰهُم بِٱلْعَذَابِ فَمَا ٱسْتَكَانُوا۟ لِرَبِّهِمْ وَمَا يَتَضَرَّعُونَ
व ल – क़द् अख़ज़्नाहुम् बिल् अ़ज़ाबि फ़मस्तकानू लिरब्बिहिम् व मा य तज़र्रअून
और हमने उनको अज़ाब में गिरफ्तार किया तो भी वे लोग न तो अपने परवरदिगार के सामने झुके और गिड़गिड़ाएँ।
حَتَّىٰٓ إِذَا فَتَحْنَا عَلَيْهِم بَابًۭا ذَا عَذَابٍۢ شَدِيدٍ إِذَا هُمْ فِيهِ مُبْلِسُونَ
हत्ता इज़ा फ़तह़्ना अ़लैहिम् बाबन् जा अ़ज़ाबिन शदीदिन् इज़ा हुम् फ़ीहि मुब्लिसून
यहाँ तक कि जब हमने उनके सामने एक सख़्त अज़ाब का दरवाज़ा खोल दिया तो उस वक़्त फ़ौरन ये लोग बेआस होकर बैठ रहे।
وَهُوَ ٱلَّذِىٓ أَنشَأَ لَكُمُ ٱلسَّمْعَ وَٱلْأَبْصَـٰرَ وَٱلْأَفْـِٔدَةَ ۚ قَلِيلًۭا مَّا تَشْكُرُونَ
व हुवल्लज़ी अनश – अ लकुमुस्सम् – अ वलअब्सा – र वल्- अफ़इ – द – त, क़लीलम् – मा तश्कुरून
हालाँकि वही वह (मेहरबान अल्लाह) है जिसने तुम्हारे लिए कान और आँखें और दिल पैदा किये (मगर) तुम लोग हो ही बहुत कम शुक्र करने वाले।
وَهُوَ ٱلَّذِى ذَرَأَكُمْ فِى ٱلْأَرْضِ وَإِلَيْهِ تُحْشَرُونَ
व हुवल्लज़ीज़-र अकुम् फ़िल्अर्ज़ि व इलैहि तुह्शरून
और वह वही (अल्लाह) है जिसने तुम को रुए ज़मीन में (हर तरफ़) फैला दिया और फिर (एक दिन) सब के सब उसी के सामने इकट्ठे किये जाओगे।
وَهُوَ ٱلَّذِى يُحْىِۦ وَيُمِيتُ وَلَهُ ٱخْتِلَـٰفُ ٱلَّيْلِ وَٱلنَّهَارِ ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
व हुवल्लज़ी युह़्यी व युमीतु व लहुख्तिलाफुल – लैलि वन्नहारि, अ – फ़ला तअ्किलून
और वही वह (अल्लाह) है जो जिलाता और मारता है कि और रात दिन का फेर बदल भी उसी के एख़्तियार में है तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते।
بَلْ قَالُوا۟ مِثْلَ مَا قَالَ ٱلْأَوَّلُونَ
बल् कालू मिस् – ल मा कालल् – अव्वलून
(इन बातों को समझें ख़ाक नहीं) बल्कि जो अगले लोग कहते आए वैसी ही बात ये भी कहने लगे।
قَالُوٓا۟ أَءِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًۭا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَبْعُوثُونَ
कालू अ – इज़ा मित्ना व कुन्ना तुराबंव् – व अिज़ामन् अ- इन्ना लमब् अूसून
कि जब हम मर जाएँगें और (मरकर) मिट्टी (का ढ़ेर) और हड्डियाँ हो जाएँगें तो क्या हम फिर दोबारा (क्रबों से जि़न्दा करके) निकाले जाएँगे।
لَقَدْ وُعِدْنَا نَحْنُ وَءَابَآؤُنَا هَـٰذَا مِن قَبْلُ إِنْ هَـٰذَآ إِلَّآ أَسَـٰطِيرُ ٱلْأَوَّلِينَ
ल – क़द् वुअिदना नह्नु व आबाउना हाज़ा मिन् क़ब्लु इन् हाजा इल्ला असातीरूल – अव्वलीन
इसका वायदा तो हमसे और हमसे पहले हमारे बाप दादाओं से भी (बार हा) किया जा चुका है ये तो बस सिर्फ़ अगले लोगों के ढकोसले हैं।
قُل لِّمَنِ ٱلْأَرْضُ وَمَن فِيهَآ إِن كُنتُمْ تَعْلَمُونَ
कुल लि-मनिल् अर्जु व मन् फ़ीहा इन् कुन्तुम् तअ्लमून
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि भला अगर तुम लोग कुछ जानते हो (तो बताओ) ये ज़मीन और जो लोग इसमें हैं किस के हैं वह फ़ौरन जवाब देगें अल्लाह के।
سَيَقُولُونَ لِلَّهِ ۚ قُلْ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ
स- यकूलू – न लिल्लाहि, कुल अ- फ़ला तज़क्करून
तुम कह दो कि तो क्या तुम अब भी ग़ौर न करोगे।
قُلْ مَن رَّبُّ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ ٱلسَّبْعِ وَرَبُّ ٱلْعَرْشِ ٱلْعَظِيمِ
कुल मर्रब्बुस्समावातिस्- सब्अि व रब्बुल्-अ़र्शिल-अ़ज़ीम
(ऐ रसूल!) तुम उनसे पूछो तो कि सातों आसमानों का मालिक और (इतने) बड़े अर्श का मालिक कौन है तो फ़ौरन जवाब देगें कि (सब कुछ) अल्लाह ही का है।
سَيَقُولُونَ لِلَّهِ ۚ قُلْ أَفَلَا تَتَّقُونَ
स- यकूलू – न लिल्लाहि, कुल अ फ़ला तत्तकून
अब तुम कहो तो क्या तुम अब भी (उससे) नहीं डरोगे।
قُلْ مَنۢ بِيَدِهِۦ مَلَكُوتُ كُلِّ شَىْءٍۢ وَهُوَ يُجِيرُ وَلَا يُجَارُ عَلَيْهِ إِن كُنتُمْ تَعْلَمُونَ
कुल मम् – बि- यदिही म – लकूतु कुल्लि शैइंव्व हु – व युजीरू व ला युजारू अ़लैहि इन् कुन्तुम् तअ्लमून
(ऐ रसूल!) तुम उनसे पूछो कि भला अगर तुम कुछ जानते हो (तो बताओ) कि वह कौन शख़्स है- जिसके एख़्तेयार में हर चीज़ की बादशाहत है वह (जिसे चाहता है) पनाह देता है और उस (के अज़ाब) से पनाह नहीं दी जा सकती।
سَيَقُولُونَ لِلَّهِ ۚ قُلْ فَأَنَّىٰ تُسْحَرُونَ
स- यकूलू – न लिल्लाहि, कुल फ़-अन्ना तुस्हरून
तो ये लोग फ़ौरन बोल उठेंगे कि (सब एख़्तेयार) अल्लाह ही को है- अब तुम कह दो कि तुम पर जादू कहाँ किया जाता है।
بَلْ أَتَيْنَـٰهُم بِٱلْحَقِّ وَإِنَّهُمْ لَكَـٰذِبُونَ
बल् अतैनाहुम् बिल्हक्कि व इन्नहुम् लकाज़िबून
बात ये है कि हमने उनके पास हक़ बात पहुँचा दी और ये लोग यक़ीनन झूठे हैं।
مَا ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ مِن وَلَدٍۢ وَمَا كَانَ مَعَهُۥ مِنْ إِلَـٰهٍ ۚ إِذًۭا لَّذَهَبَ كُلُّ إِلَـٰهٍۭ بِمَا خَلَقَ وَلَعَلَا بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍۢ ۚ سُبْحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ
मत्त – ख़ज़ल्लाहु मिंव्व – लदिंव् व मा का-न म-अ़हू मिन् इलाहिन् इज़ल् ल-ज़-ह-ब कुल्लु इलाहिम् – बिमा ख़-ल-क़ व ल – अ़ला बअ्जुहुम् अ़ला बअ्जिन, सुब्हानल्लाहि अ़म्मा यसिफून
न तो अल्लाह ने किसी को (अपना) बेटा बनाया है और न उसके साथ कोई और अल्लाह है (अगर ऐसा होता) उस वक़्त हर अल्लाह अपने अपने मख़लूक़ को लिए लिए फिरता और यक़ीनन एक दूसरे पर चढ़ाई करता।
عَـٰلِمِ ٱلْغَيْبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِ فَتَعَـٰلَىٰ عَمَّا يُشْرِكُونَ
आ़लिमिल्-ग़ैबि वश्शहा दति फ़ तआ़ला अ़म्मा युश्रिकून
(और ख़ूब जंग होती) जो जो बाते ये लोग (अल्लाह की निस्बत) बयान करते हैं उस से अल्लाह पाक व पाकीज़ा है वह पोशीदा और हाजि़र (सबसे) अल्लाह वाकि़फ है ग़रज़ वह उनके शिर्क से (बिल्कुल पाक और) बालातर है।
قُل رَّبِّ إِمَّا تُرِيَنِّى مَا يُوعَدُونَ
कुर्रब्बि इम्मा तुरियन्नी मा यूअ़दून
(ऐ रसूल!) तुम दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले जिस (अज़ाब) का तूने उनसे वायदा किया है अगर शायद तू मुझे दिखाए।
رَبِّ فَلَا تَجْعَلْنِى فِى ٱلْقَوْمِ ٱلظَّـٰلِمِينَ
रब्बि फ़ला तज्अ़ल्नी फ़िल्- क़ौमिज़्ज़ालिमीन
तो परवरदिगार मुझे उन ज़ालिम लोगों के हमराह न करना।
وَإِنَّا عَلَىٰٓ أَن نُّرِيَكَ مَا نَعِدُهُمْ لَقَـٰدِرُونَ
व इन्ना अ़ला अन् नुरि-य-क मा नअिदुहुम् लकादिरून
और (ऐ रसूल) हम यक़ीनन इस पर क़ादिर हैं कि जिस (अज़ाब) का हम उनसे वायदा करते हैं तुम्हें दिखा दें।
ٱدْفَعْ بِٱلَّتِى هِىَ أَحْسَنُ ٱلسَّيِّئَةَ ۚ نَحْنُ أَعْلَمُ بِمَا يَصِفُونَ
इद् फ़अ् बिल्लती हि – य अह्सनुस्सय्यि अ-त, नह्नु अअ्लमु बिमा यसिफून
और बुरी बात के जवाब में ऐसी बात कहो जो निहायत अच्छी हो जो कुछ ये लोग (तुम्हारी निस्बत) बयान करते हैं उससे हम ख़ूब वाकि़फ हैं।
وَقُل رَّبِّ أَعُوذُ بِكَ مِنْ هَمَزَٰتِ ٱلشَّيَـٰطِينِ
व कुर्रब्बि अअूजु बि-क मिन् ह-मज़ातिश् शयातीन
और (ये भी) दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले मै शैतान के वसवसों से तेरी पनाह माँगता हूँ।
وَأَعُوذُ بِكَ رَبِّ أَن يَحْضُرُونِ
व अअूजु बि-क रब्बि अंय्यह्जुरून
और ऐ मेरे परवरदिगार इससे भी तेरी पनाह माँगता हूँ कि शयातीन मेरे पास आएँ।
حَتَّىٰٓ إِذَا جَآءَ أَحَدَهُمُ ٱلْمَوْتُ قَالَ رَبِّ ٱرْجِعُونِ
हत्ता इज़ा जा-अ अ-ह दहुमुल् मौतु का-ल रब्बिरजिअून
(और कुफ़्फ़ार तो मानेगें नहीं) यहाँ तक कि जब उनमें से किसी को मौत आयी तो कहने लगे परवरदिगार तू मुझे एक बार उस मुक़ाम (दुनिया) में छोड़ आया हूँ फिर वापस कर दे ताकि मै (अपकी दफ़ा) अच्छे अच्छे काम करूं।
لَعَلِّىٓ أَعْمَلُ صَـٰلِحًۭا فِيمَا تَرَكْتُ ۚ كَلَّآ ۚ إِنَّهَا كَلِمَةٌ هُوَ قَآئِلُهَا ۖ وَمِن وَرَآئِهِم بَرْزَخٌ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ
लअ़ल्ली अअ्मलु सालिहन् फ़ीमा तरक्तु कल्ला, इन्नहा कलि – मतुन् हु-व क़ाइलुहा व मिंव्वरा – इहिम् बर् – ज़खुन् इला यौमि युब्अ़सून
(जवाब दिया जाएगा) हरगिज़ नहीं ये एक लग़ो बात है- जिसे वह बक रहा और उनके (मरने के) बाद (आलमे) बरज़ख़ है।
فَإِذَا نُفِخَ فِى ٱلصُّورِ فَلَآ أَنسَابَ بَيْنَهُمْ يَوْمَئِذٍۢ وَلَا يَتَسَآءَلُونَ
फ़-इज़ा नुफ़ि-ख़ फ़िस्सूरि फ़ला अन्सा – ब बैनहुन् यौमइजिंव् – व ला य – तसा – अलून
(जहाँ) क़ब्रों से उठाए जाएँगें (रहना होगा) फिर जिस वक़्त सूर फूँका जाएगा तो उस दिन न लोगों में क़राबत दारियाँ रहेगी और न एक दूसरे की बात पूछेंगे।
فَمَن ثَقُلَتْ مَوَٰزِينُهُۥ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ
फ़- मन् सकुलत् मवाजीनुहू फ़-उलाइ-क हुमुल् – मुफ्लिहून
फिर जिन (के नेकियों) के पल्लें भारी होगें तो यही लोग कामयाब होंगे।
وَمَنْ خَفَّتْ مَوَٰزِينُهُۥ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ خَسِرُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ فِى جَهَنَّمَ خَـٰلِدُونَ
व मन् ख़फ़्फ़त् मवाज़ीनुहू फ़-उलाइ-कल्लज़ी-न ख़सिरू अन्फु-सहुम् फ़ी जहन्न-म ख़ालिदून
और जिन (के नेकियों) के पल्लें हल्के होंगें तो यही लोग है जिन्होंने अपना नुक़सान किया कि हमेशा जहन्नुम में रहेंगे।
تَلْفَحُ وُجُوهَهُمُ ٱلنَّارُ وَهُمْ فِيهَا كَـٰلِحُونَ
तल्फ़हु वुजू- हहुमुन्नारु व हुम् फीहा कालिहून
और (उनकी ये हालत होगी कि) जहन्नुम की आग उनके मुँह को झुलसा देगी और लोग मुँह बनाए हुए होगें।
أَلَمْ تَكُنْ ءَايَـٰتِى تُتْلَىٰ عَلَيْكُمْ فَكُنتُم بِهَا تُكَذِّبُونَ
अलम् तकुन् आयाती तुत्ला अ़लैकुम् फ़कुन्तुम् बिहा तुकज्ज़िबून
(उस वक़्त हम पूछेंगें) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें न पढ़ी गयीं थीं (ज़रुर पढ़ी गयी थीं) तो तुम उन्हें झुठलाया करते थे।
قَالُوا۟ رَبَّنَا غَلَبَتْ عَلَيْنَا شِقْوَتُنَا وَكُنَّا قَوْمًۭا ضَآلِّينَ
कालू रब्बना ग-लबत् अ़लैना शिक्वतुना व कुन्ना क़ौमन् ज़ाल्लीन
वह जवाब देगें ऐ हमारे परवरदिगार हमको हमारी कम्बख़्ती ने आज़माया और हम गुमराह लोग थे।
رَبَّنَآ أَخْرِجْنَا مِنْهَا فَإِنْ عُدْنَا فَإِنَّا ظَـٰلِمُونَ
रब्बना अख़रिज्ना मिन्हा फ़-इन् अुद्ना फ़-इन्ना ज़ालिमून
परवरदिगार हमको (अबकी दफ़ा ) किसी तरह इस जहन्नुम से निकाल दे फिर अगर दोबारा हम ऐसा करें तो अलबत्ता हम कुसूरवार हैं।
قَالَ ٱخْسَـُٔوا۟ فِيهَا وَلَا تُكَلِّمُونِ
कालख़्सऊ फ़ीहा व ला तुकल्लिमून
अल्लाह फरमाएगा दूर हो इसी में (तुम को रहना होगा) और (बस) मुझ से बात न करो।
إِنَّهُۥ كَانَ فَرِيقٌۭ مِّنْ عِبَادِى يَقُولُونَ رَبَّنَآ ءَامَنَّا فَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَا وَأَنتَ خَيْرُ ٱلرَّٰحِمِينَ
कालख़्सऊ फ़ीहा व ला तुकल्लिमून
मेरे बन्दों में से एक गिरोह ऐसा भी था जो (बराबर) ये दुआ करता था कि ऐ हमारे पालने वाले हम इमान लाए तो तू हमको बक्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है।
فَٱتَّخَذْتُمُوهُمْ سِخْرِيًّا حَتَّىٰٓ أَنسَوْكُمْ ذِكْرِى وَكُنتُم مِّنْهُمْ تَضْحَكُونَ
फ़त्त – ख़ज्तुमूहुम् सिख़रिय्यन् हत्ता अन्सौकुम् ज़िक्री व कुन्तुम् मिन्हुम् तज़्हकून
तो तुम लोगों ने उन्हें मसख़रा बना लिया-यहाँ तक कि (गोया) उन लोगों ने तुम से मेरी याद भुला दी और तुम उन पर (बराबर) हँसते रहे।
إِنِّى جَزَيْتُهُمُ ٱلْيَوْمَ بِمَا صَبَرُوٓا۟ أَنَّهُمْ هُمُ ٱلْفَآئِزُونَ
इन्नी जज़ैतुहुमुल-यौ-म बिमा स-बरू अन्नहुम् हुमुल् – फ़ाइजून
मैने आज उनको उनके सब्र का अच्छा बदला दिया कि यही लोग अपनी(क़ातिर ख़्वाह) मुराद को पहुँचने वाले हैं।
قَـٰلَ كَمْ لَبِثْتُمْ فِى ٱلْأَرْضِ عَدَدَ سِنِينَ
इन्नी जज़ैतुहुमुल-यौ-म बिमा स-बरू अन्नहुम् हुमुल् – फ़ाइजून
(फिर उनसे) अल्लाह पूछेगा कि (आखि़र) तुम ज़मीन पर कितने बरस रहे।
قَالُوا۟ لَبِثْنَا يَوْمًا أَوْ بَعْضَ يَوْمٍۢ فَسْـَٔلِ ٱلْعَآدِّينَ
क़ालू लबिस्ना यौमन् औ बअू – ज़ यौमिन् फ़स्अलिल्-आ़द्दीन
वह कहेंगें (बरस कैसा) हम तो बस पूरा एक दिन रहे या एक दिन से भी कम।
قَـٰلَ إِن لَّبِثْتُمْ إِلَّا قَلِيلًۭا ۖ لَّوْ أَنَّكُمْ كُنتُمْ تَعْلَمُونَ
क़ा-ल इल्लबिस्तुम् इल्ला कलीलल्-लौ अन्नकुम् कुन्तुम् तअ्लमून
तो तुम शुमार करने वालों से पूछ लो अल्लाह फरमाएगा बेशक तुम (ज़मीन में) बहुत ही कम ठहरे काश तुम (इतनी बात भी दुनिया में) समझे होते।
أَفَحَسِبْتُمْ أَنَّمَا خَلَقْنَـٰكُمْ عَبَثًۭا وَأَنَّكُمْ إِلَيْنَا لَا تُرْجَعُونَ
अ-फ़-हसिब्तुम् अन्नमा ख़लक़्नाकुम् अ़-बसंव् – व अन्नकुम् इलैना ला तुर्जअून
तो क्या तुम ये ख़्याल करते हो कि हमने तुमको (यूँ ही) बेकार पैदा किया और ये कि तुम हमारे हुज़ूर में लौटा कर न लाए जाओगे।
فَتَعَـٰلَى ٱللَّهُ ٱلْمَلِكُ ٱلْحَقُّ ۖ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ ٱلْعَرْشِ ٱلْكَرِيمِ
फ़-तआ़लल्लाहुल् -मलिकुल- हक़्कु ला इला-ह इल्ला हु-व रब्बुल अ़र्शिल् – करीम
तो अल्लाह जो सच्चा बादशाह (हर चीज़ से) बरतर व आला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वहीं) अर्शे बुज़ुर्ग का मालिक है।
وَمَن يَدْعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ لَا بُرْهَـٰنَ لَهُۥ بِهِۦ فَإِنَّمَا حِسَابُهُۥ عِندَ رَبِّهِۦٓ ۚ إِنَّهُۥ لَا يُفْلِحُ ٱلْكَـٰفِرُونَ
व मंय्यद्अु मअ़ल्लाहि इलाहन् आख़-र ला बुरहा-न लहू बिही फ़ इन्नमा हिसाबुहू अिन् – द रब्बिही, इन्नहू ला युफ्लिहुल्-काफ़िरून
और जो शख़्स अल्लाह के साथ दूसरे माबूद की भी परसतिश करेगा उसके पास इस शिर्क की कोई दलील तो है नहीं तो बस उसका हिसाब (किताब) उसके परवरदिगार ही के पास होगा (मगर याद रहे कि कुफ़्फ़ार हरगिज़ फलाह पाने वाले नहीं)।
وَقُل رَّبِّ ٱغْفِرْ وَٱرْحَمْ وَأَنتَ خَيْرُ ٱلرَّٰحِمِينَ
व कुर्रब्बिग्फिर वरहम् व अन् त ख़ैरुर् राहिमीन
और (ऐ रसूल!) तुम कह दो परवरदिगार तू (मेरी उम्मत को) बक्श दे और तरस खा और तू तो सब रहम करने वालों से बेहतर है।