Surah Al Kahf In Hindi [18:1-18:110]

Yeh Quran ki 18veen surah hai. Iska arth hai “Gufa”. Is surah mein 110 aayatein hain.

Yeh surah chaar mukhya kahaniyon par kendrit hai:

  1. Ashab-e-Kahf (Gufa ke log)
  2. Baag ke do maalik
  3. Musa aur Khidr ki mulaqaat
  4. Zulqarnain ki kahani

Surah Al Kahf imaan, sabar, aur Allah par bharosa rakhne ki shiksha deti hai. Yeh duniyavi cheezon ke moh se bachne aur akhirat par dhyaan dene ki naseehat deti hai.

Musalmaan is surah ko har Juma (shukravaar) ko padhne ki koshish karte hain, kyunki isse padhne ka bahut sawab maana jaata hai.

Kya aap chahenge ki main kisi vishesh kahani ya shiksha par aur vistaar se baat karoon?

सूरह कहफ़ हिंदी में पढ़ें

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

18:1

ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِىٓ أَنزَلَ عَلَىٰ عَبْدِهِ ٱلْكِتَـٰبَ وَلَمْ يَجْعَل لَّهُۥ عِوَجَاۜ

अल हम्दुलिल लाहिल लज़ी अन्ज़ला अला अब दिहिल किताबा वलम यज अल लहू इवाजा
सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने अपने भक्त पर ये पुस्तक उतारी और उसमें कोई टेढ़ी बात नहीं रखी।

18:2

قَيِّمًۭا لِّيُنذِرَ بَأْسًۭا شَدِيدًۭا مِّن لَّدُنْهُ وَيُبَشِّرَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ٱلَّذِينَ يَعْمَلُونَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ أَنَّ لَهُمْ أَجْرًا حَسَنًۭا

क़य्यिमल लियुन्ज़िरा बअ’सन शदीदम मिल लदुन्हु व युबश शिरल मुअ’मिनीनल लज़ीना यअ मलूनस सालिहाति अन्न लहुम अजरं हसना
अति सीधी (पुस्तक), ताकि वह अपने पास की कड़ी यातना से सावधान कर दे और ईमान वालों को जो सदाचार करते हों, शुभ सूचना सुना दे कि उन्हीं के लिए अच्छा बदला है।

18:3

مَّـٰكِثِينَ فِيهِ أَبَدًۭا

मा किसीन फीहि अबदा
जिसमें वे नित्य सदावासी होंगे।

18:4

وَيُنذِرَ ٱلَّذِينَ قَالُوا۟ ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ وَلَدًۭا

व युनज़िरल लज़ीना क़ालुत तखज़ल लाहू वलदा
और उन्हें सावधान करे, जिन्होंने कहा कि अल्लाह ने अपने लिए कोई संतान बना ली है।

18:5

مَّا لَهُم بِهِۦ مِنْ عِلْمٍۢ وَلَا لِـَٔابَآئِهِمْ ۚ كَبُرَتْ كَلِمَةًۭ تَخْرُجُ مِنْ أَفْوَٰهِهِمْ ۚ إِن يَقُولُونَ إِلَّا كَذِبًۭا

मा लहुम बिही मिन इलमिव वला लिआबा इहिम कबुरत कलिमतन तखरुजू मिन अफ्वा हिहिम इय यक़ूलूना इल्ला कज़िबा
उन्हें इसका कुछ ज्ञान है और न उनके पूर्वजों को। बहुत बड़ी बात है, जो उनके मुखों से निकल रही है, वे सरासर झूठ ही बोल रहे हैं।

18:6

فَلَعَلَّكَ بَـٰخِعٌۭ نَّفْسَكَ عَلَىٰٓ ءَاثَـٰرِهِمْ إِن لَّمْ يُؤْمِنُوا۟ بِهَـٰذَا ٱلْحَدِيثِ أَسَفًا

फ़ला अल्लका बाखिउन नफ्सका अला आसारिहिम इल लम युअ’मिनू बिहाज़ल हदीसि असफा
तो संभवतः आप इसके पीछे अपना प्राण खो देंगे, संताप के कारण, यदि वे इस ह़दीस (क़ुर्आन) पर ईमान न लायें।

18:7

إِنَّا جَعَلْنَا مَا عَلَى ٱلْأَرْضِ زِينَةًۭ لَّهَا لِنَبْلُوَهُمْ أَيُّهُمْ أَحْسَنُ عَمَلًۭا

इन्ना जअल्ना मा अलल अरदि जीनतल लहा लिनब लुवहुम अय्युहुम अहसनु अमला
वास्तव में, जो कुछ धरती के ऊपर है, उसे हमने उसके लिए शोभा बनाया है, ताकि उनकी परीक्षा लें कि उनमें कौन कर्म में सबसे अच्छा है?

18:8

وَإِنَّا لَجَـٰعِلُونَ مَا عَلَيْهَا صَعِيدًۭا جُرُزًا

व इन्ना लजाइलूना मा अलैहा सईदन जुरुज़ा
और निश्चय हम कर देने[1] वाले हैं, जो उस (धरती) के ऊपर है, उसे (बंजर) धूल।

18:9

أَمْ حَسِبْتَ أَنَّ أَصْحَـٰبَ ٱلْكَهْفِ وَٱلرَّقِيمِ كَانُوا۟ مِنْ ءَايَـٰتِنَا عَجَبًا

अम हसिब्ता अन्न अस्हाबल कह्फि वर रक़ीमि कानू मिन आयातिना अजबा
(हे नबी!) क्या आपने समझा है कि गुफा तथा शिला लेख वाले[1], हमारे अद्भुत लक्षणों (निशानियों) में से थे[2]?

18:10

إِذْ أَوَى ٱلْفِتْيَةُ إِلَى ٱلْكَهْفِ فَقَالُوا۟ رَبَّنَآ ءَاتِنَا مِن لَّدُنكَ رَحْمَةًۭ وَهَيِّئْ لَنَا مِنْ أَمْرِنَا رَشَدًۭا

इज़ अवल फित्यतु इलल कह्फि फक़ालू रब्बना आतिना मिल लदुन्का रहमतव व हय्यिअ लना मिन अमरिना रशदा
जब नवयुवकों ने गुफा की ओर शरण ली[1] और प्रार्थना कीः हे हमारे पालनहार! हमें अपनी विशेष दया प्रदान कर और हमारे लिए प्रबंध कर दे हमारे विषय के सुधार का।

18:11

فَضَرَبْنَا عَلَىٰٓ ءَاذَانِهِمْ فِى ٱلْكَهْفِ سِنِينَ عَدَدًۭا

फ़दरब्ना अला आजानिहिम फ़िल कह्फि सिनीना अददा
तो हमने उन्हें गुफा में सुला दिया कई वर्षों तक।

18:12

ثُمَّ بَعَثْنَـٰهُمْ لِنَعْلَمَ أَىُّ ٱلْحِزْبَيْنِ أَحْصَىٰ لِمَا لَبِثُوٓا۟ أَمَدًۭا

सुम्मा बअस्नाहुम लिनअ’लमा अय्युल हिज्बैनी अहसा लिमा लबिसू अमदा
फिर हमने उन्हें जगा दिया, ताकि हम ये जान लें कि दो समुदायों में से किसने उनके ठहरे रहने की अवधि को अधिक याद रखा है?

18:13

نَّحْنُ نَقُصُّ عَلَيْكَ نَبَأَهُم بِٱلْحَقِّ ۚ إِنَّهُمْ فِتْيَةٌ ءَامَنُوا۟ بِرَبِّهِمْ وَزِدْنَـٰهُمْ هُدًۭى

नहनु नकुस्सु अलैका नबा अहुम बिल हक्क़, इन्नहुम फित्यतुन आमनू बिरब बिहिम व ज़िदनाहुम हुदा
हम आपको उनकी सत्य कथा सुना रहे हैं। वास्तव में, वे कुछ नवयुवक थे, जो अपने पालनहार पर ईमान लाये और हमने उन्हें मार्गदर्शन में अधिक कर दिया।

18:14

وَرَبَطْنَا عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ إِذْ قَامُوا۟ فَقَالُوا۟ رَبُّنَا رَبُّ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ لَن نَّدْعُوَا۟ مِن دُونِهِۦٓ إِلَـٰهًۭا ۖ لَّقَدْ قُلْنَآ إِذًۭا شَطَطًا

व रबतना अला क़ुलूबिहिम इज़ क़ामू फ़क़ालू रब्बुना रब्बुस समावाति वल अर्द, लन नदउवा मिन दूनिही इलाहल लक़द कुल्ना इजन शतता
और हमने उनके दिलों को सुदृढ़ कर दिया, जब वे खड़े हुए, फिर कहाः हमारा पालनहार वही है, जो आकाशों तथा धरती का पालनहार है। हम उसके सिवा कदापि किसी पूज्य को नहीं पुकारेंगे। (यदि हमने ऐसा किया) तो (सत्य से) दूर की बात होगी।

18:15

هَـٰٓؤُلَآءِ قَوْمُنَا ٱتَّخَذُوا۟ مِن دُونِهِۦٓ ءَالِهَةًۭ ۖ لَّوْلَا يَأْتُونَ عَلَيْهِم بِسُلْطَـٰنٍۭ بَيِّنٍۢ ۖ فَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّنِ ٱفْتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًۭا

हाउलाइ कौमुनत तख़जू मिन दूनिही आलिहह, लौला यअ’तूना अलैहिम बिसुल्तानिम बय्यिन, फ़मन अज्लमु मिम मनिफ तरा अलल लाहि कज़िबा
ये हमारी जाति है, जिसने अल्लाह के सिवा बहुत-से पूज्य बना लिए। क्यों वे उनपर कोई खुला प्रमाण प्रस्तुत नहीं करते? उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर मिथ्या बात बनाये?

18:16

وَإِذِ ٱعْتَزَلْتُمُوهُمْ وَمَا يَعْبُدُونَ إِلَّا ٱللَّهَ فَأْوُۥٓا۟ إِلَى ٱلْكَهْفِ يَنشُرْ لَكُمْ رَبُّكُم مِّن رَّحْمَتِهِۦ وَيُهَيِّئْ لَكُم مِّنْ أَمْرِكُم مِّرْفَقًۭا

व इज़िअ तज़ल तुमूहुम वमा यअ’बुदूना इल्लल लाहा फ़अवू इलल कहफि यन्शुर लकुम रब्बुकुम मिर रहमतिही व युहययिअ लकुम मिन अमरिकुम मिरफका
और जब तुम उनसे विलग हो गये तथा अल्लाह के अतिरिक्त उनके पूज्यों से, तो अब अमुक गुफा की ओर शरण लो, अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी दया फैला देगा तथा तुम्हारे लिए तुम्हारे विषय में जीवन के साधनों का प्रबंध करेगा।

18:17

۞ وَتَرَى ٱلشَّمْسَ إِذَا طَلَعَت تَّزَٰوَرُ عَن كَهْفِهِمْ ذَاتَ ٱلْيَمِينِ وَإِذَا غَرَبَت تَّقْرِضُهُمْ ذَاتَ ٱلشِّمَالِ وَهُمْ فِى فَجْوَةٍۢ مِّنْهُ ۚ ذَٰلِكَ مِنْ ءَايَـٰتِ ٱللَّهِ ۗ مَن يَهْدِ ٱللَّهُ فَهُوَ ٱلْمُهْتَدِ ۖ وَمَن يُضْلِلْ فَلَن تَجِدَ لَهُۥ وَلِيًّۭا مُّرْشِدًۭا

व तरश शमसा इज़ा तलअत तज़ावरू अन कहफ़िहिम जातल यमीनि व इज़ा गरबत तक़रिज़ुहुम ज़ातश शिमालि व हुम फ़ी फज्वतिम मिन्हु, ज़ालिका मिन आयातिल लाह, मै यह्दिल लाहु फहुवल मुह्तद, वमै युद्लिल फलन तजिदा लहू वलिय यम मुरशिदा
और तुम सूर्य को देखोगे कि जब निकलता है, तो उनकी गूफा से दायें झुक जाता है और जब डूबता है, तो उनसे बायें कतरा जाता है और वे उस (गुफा) के एक विस्तृत स्थान में हैं। ये अल्लाह की निशानियों में से है और जिसे अल्लाह मार्ग दिखा दे, वही सुपथ पाने वाला है और जिसे कुपथ कर दे, तो तुम कदापि उसके लिए कोई सहायक मार्गदर्शक नहीं पाओगे।

18:18

وَتَحْسَبُهُمْ أَيْقَاظًۭا وَهُمْ رُقُودٌۭ ۚ وَنُقَلِّبُهُمْ ذَاتَ ٱلْيَمِينِ وَذَاتَ ٱلشِّمَالِ ۖ وَكَلْبُهُم بَـٰسِطٌۭ ذِرَاعَيْهِ بِٱلْوَصِيدِ ۚ لَوِ ٱطَّلَعْتَ عَلَيْهِمْ لَوَلَّيْتَ مِنْهُمْ فِرَارًۭا وَلَمُلِئْتَ مِنْهُمْ رُعْبًۭا

व तहसबुहुम अय्काज़व वहुम रुकूद, व नुक़ल लिबुहुम जातल यामीनि व ज़ातश शिमालि व कल्बुहुम बासितुन ज़िरा ऐहि बिलवसीद, लवित तलअ’ता अलैहिम लवल लैता मिन्हुम फिरारव वला मुलिअ’ता मिन्हुम रुअबा
और तुम[1] उन्हें समझोगे कि जाग रहे हैं, जबकि वे सोये हुए हैं और हम उन्हें दायें तथा बायें पार्शव पर फिराते रहते हैं और उनका कुत्ता गुफा के द्वार पर अपनी दोनों बाहें फैलाये पड़ा है। यदि तुम झाँककर देख लेते, तो पीठ फेरकर भाग जाते और उनसे भयपूर्ण हो जाते।

18:19

وَكَذَٰلِكَ بَعَثْنَـٰهُمْ لِيَتَسَآءَلُوا۟ بَيْنَهُمْ ۚ قَالَ قَآئِلٌۭ مِّنْهُمْ كَمْ لَبِثْتُمْ ۖ قَالُوا۟ لَبِثْنَا يَوْمًا أَوْ بَعْضَ يَوْمٍۢ ۚ قَالُوا۟ رَبُّكُمْ أَعْلَمُ بِمَا لَبِثْتُمْ فَٱبْعَثُوٓا۟ أَحَدَكُم بِوَرِقِكُمْ هَـٰذِهِۦٓ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ فَلْيَنظُرْ أَيُّهَآ أَزْكَىٰ طَعَامًۭا فَلْيَأْتِكُم بِرِزْقٍۢ مِّنْهُ وَلْيَتَلَطَّفْ وَلَا يُشْعِرَنَّ بِكُمْ أَحَدًا

व कज़ालिका बअस्नाहुम लियतसा अलू बैनहुम, क़ाला क़ाइलुम मिन्हुम कम लबिस्तुम, क़ालू लबिस्ना यौमन औ ब’अदा यौम, कालू रब्बुकुम अ’अलमु बिमा लबिस्तुम, फब असू अहदकुम बिवारि किकुम हाज़िही इलल मदीनति फ़ल यनजुर अय्युहा अज्का तआमन फ़ल यअ’तिकुम बिरिज्किम मिन्हु, वल यतालत तफ वला यूश इरन्ना बिकुम अहदा
और (जिस तरह अपनी कुदरत से उनको सुलाया) उसी तरह (अपनी कुदरत से) उनको (जगा) उठाया ताकि आपस में कुछ पूछ गछ करें (ग़रज़) उनमें एक बोलने वाला बोल उठा कि (भई आख़िर इस ग़ार में) तुम कितनी मुद्दत ठहरे कहने लगे (अरे ठहरे क्या बस) एक दिन से भी कम उसके बाद कहने लगे कि जितनी देर तुम ग़ार में ठहरे उसको तुम्हारे परवरदिगार ही (कुछ तुम से) बेहतर जानता है (अच्छा) तो अब अपने में से किसी को अपना ये रुपया देकर शहर की तरफ भेजो तो वह (जाकर) देखभाल ले कि वहाँ कौन सा खाना बहुत अच्छा है फिर उसमें से (ज़रुरत भर) खाना तुम्हारे वास्ते ले आए और उसे चाहिए कि वह आहिस्ता चुपके से आ जाए और किसी को तुम्हारी ख़बर न होने दे।

18:20

إِنَّهُمْ إِن يَظْهَرُوا۟ عَلَيْكُمْ يَرْجُمُوكُمْ أَوْ يُعِيدُوكُمْ فِى مِلَّتِهِمْ وَلَن تُفْلِحُوٓا۟ إِذًا أَبَدًۭا

इन्नहुम् इंय्यज़्हरू अ़लैकुम् यर्जुमूकुम् औ युअ़ीदूकुम् फ़ी मिल्लतिहिम् व लन् तुफ़लिहू इज़न् अ-बदा
इसमें शक़ नहीं कि अगर उन लोगों को तुम्हारी इत्तेलाअ हो गई तो बस फिर तुम को संगसार ही कर देंगें या फिर तुम को अपने दीन की तरफ फेर कर ले जाएँगे और अगर ऐसा हुआ तो फिर तुम कभी कामयाब न होगे।

18:21

وَكَذَٰلِكَ أَعْثَرْنَا عَلَيْهِمْ لِيَعْلَمُوٓا۟ أَنَّ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقٌّۭ وَأَنَّ ٱلسَّاعَةَ لَا رَيْبَ فِيهَآ إِذْ يَتَنَـٰزَعُونَ بَيْنَهُمْ أَمْرَهُمْ ۖ فَقَالُوا۟ ٱبْنُوا۟ عَلَيْهِم بُنْيَـٰنًۭا ۖ رَّبُّهُمْ أَعْلَمُ بِهِمْ ۚ قَالَ ٱلَّذِينَ غَلَبُوا۟ عَلَىٰٓ أَمْرِهِمْ لَنَتَّخِذَنَّ عَلَيْهِم مَّسْجِدًۭا

व कज़ालि-क अअ्सर्ना अ़लैहिम् लि-यअ्लमू अन्-न वअ्दल्लाहि हक़्कुंव्-व अन्नस्साअ़-त ला रै-ब फ़ीहा, इज़् य-तना-ज़अू-न बैनहुम् अम्रहुम् फ़क़ालुब्नू अलैहिम् बुन्यानन्, रब्बुहुम् अअ्लमु बिहिम्, क़ालल्लज़ी-न ग़-लबू अ़ला अम्रिहिम् ल-नत्तख़िज़न्-न अ़लैहिम् मस्जिदा
और हमने यूँ उनकी क़ौम के लोगों को उनकी हालत पर इत्तेलाअ (ख़बर) कराई ताकि वह लोग देख लें कि अल्लाह को वायदा यक़ीनन सच्चा है और ये (भी समझ लें) कि क़यामत (के आने) में कुछ भी शुबहा नहीं अब (इत्तिलाआ होने के बाद) उनके बारे में लोग बाहम झगड़ने लगे तो कुछ लोगों ने कहा कि उनके (ग़ार) पर (बतौर यादगार) कोई इमारत बना दो उनका परवरदिगार तो उनके हाल से खूब वाक़िफ है ही और उनके बारे में जिन (मोमिनीन) की राए ग़ालिब रही उन्होंने कहा कि हम तो उन (के ग़ार) पर एक मस्जिद बनाएँगें।

18:22

سَيَقُولُونَ ثَلَـٰثَةٌۭ رَّابِعُهُمْ كَلْبُهُمْ وَيَقُولُونَ خَمْسَةٌۭ سَادِسُهُمْ كَلْبُهُمْ رَجْمًۢا بِٱلْغَيْبِ ۖ وَيَقُولُونَ سَبْعَةٌۭ وَثَامِنُهُمْ كَلْبُهُمْ ۚ قُل رَّبِّىٓ أَعْلَمُ بِعِدَّتِهِم مَّا يَعْلَمُهُمْ إِلَّا قَلِيلٌۭ ۗ فَلَا تُمَارِ فِيهِمْ إِلَّا مِرَآءًۭ ظَـٰهِرًۭا وَلَا تَسْتَفْتِ فِيهِم مِّنْهُمْ أَحَدًۭا

स-यक़ूलू-न सला-सतुर्-राबिअुहुम् कल्बुहुम्, व यक़ूलू-न ख़म्सतुन् सादिसुहुम् कल्बुहुम् रज्मम्-बिल्गै़बि, व यक़ूलू-न सब्अ़तुंव्-व सामिनुहुम् कल्बुहुम्, क़ुर्रब्बी अअ्लमु बिअिद्दतिहिम् मा यअ्लमुहुम् इल्ला क़लीलुन्, फ़ला तुमारि फ़ीहिम् इल्ला मिराअन् ज़ाहिरंव्-व ला तस्तफ्ति फ़ीहिम् मिन्हुम् अ-हदा
क़रीब है कि लोग (नुसैरे नज़रान) कहेगें कि वह तीन आदमी थे चौथा उनका कुत्ता (क़तमीर) है और कुछ लोग (आक़िब वग़ैरह) कहते हैं कि वह पाँच आदमी थे छठा उनका कुत्ता है (ये सब) ग़ैब में अटकल लगाते हैं और कुछ लोग कहते हैं कि सात आदमी हैं और आठवाँ उनका कुत्ता है (ऐ रसूल) तुम कह दो की उनका सुमार मेरा परवरदिगार ही खूब जानता है उन (की गिनती) के थोडे ही लोग जानते हैं तो (ऐ रसूल) तुम (उन लोगों से) असहाब कहफ के बारे में सरसरी गुफ्तगू के सिवा (ज्यादा) न झगड़ों और उनके बारे में उन लोगों से किसी से कुछ पूछ ताछ नहीं।

18:23

وَلَا تَقُولَنَّ لِشَا۟ىْءٍ إِنِّى فَاعِلٌۭ ذَٰلِكَ غَدًا

व ला तक़ूलन्-न लिशैइन् इन्नी फ़ाअिलुन् ज़ालि-क ग़दा
और किसी काम की निस्बत न कहा करो कि मै इसको कल करुँगा।

18:24

إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُ ۚ وَٱذْكُر رَّبَّكَ إِذَا نَسِيتَ وَقُلْ عَسَىٰٓ أَن يَهْدِيَنِ رَبِّى لِأَقْرَبَ مِنْ هَـٰذَا رَشَدًۭا

इल्ला अंय्यशा-अल्लाहु, वज़्कुर-रब्ब-क इज़ा नसी-त व क़ुल अ़सा अंय्यह्दि-यनि रब्बी लिअक़्र-ब मिन् हाज़ा र-शदा
मगर इन्शा अल्लाह कह कर और अगर (इन्शा अल्लाह कहना) भूल जाओ तो (जब याद आए) अपने परवरदिगार को याद कर लो (इन्शा अल्लाह कह लो) और कहो कि उम्मीद है कि मेरा परवरदिगार मुझे ऐसी बात की हिदायत फरमाए जो रहनुमाई में उससे भी ज्यादा क़रीब हो।

18:25

وَلَبِثُوا۟ فِى كَهْفِهِمْ ثَلَـٰثَ مِا۟ئَةٍۢ سِنِينَ وَٱزْدَادُوا۟ تِسْعًۭا

व लबिसू फ़ी कह्फ़िहिम् सला-स मि-अतिन् सिनी-न वज़्दादू तिस्आ़
और असहाब कहफ अपने ग़ार में नौ ऊपर तीन सौ बरस रहे।

18:26

قُلِ ٱللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا لَبِثُوا۟ ۖ لَهُۥ غَيْبُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ أَبْصِرْ بِهِۦ وَأَسْمِعْ ۚ مَا لَهُم مِّن دُونِهِۦ مِن وَلِىٍّۢ وَلَا يُشْرِكُ فِى حُكْمِهِۦٓ أَحَدًۭا

क़ुलिल्लाहु अअ्लमु बिमा लबिसू, लहू गै़बुस्समावाति वल्अर्ज़ि, अब्सिर् बिही व अस्मिअ्, मा लहुम् मिन् दूनिही मिंव्वलिय्यिंव-व ला युश्रिकु फ़ी हुक्मिही अ-हदा
(ऐ रसूल!) अगर वह लोग इस पर भी न मानें तो तुम कह दो कि अल्लाह उनके ठहरने की मुद्दत से बखूबी वाक़िफ है सारे आसमान और ज़मीन का ग़ैब उसी के वास्ते ख़ास है (अल्लाह हो अकबर) वो कैसा देखने वाला क्या ही सुनने वाला है उसके सिवा उन लोगों का कोई सरपरस्त नहीं और वह अपने हुक्म में किसी को अपना दख़ील (शरीक) नहीं बनाता।

18:27

وَٱتْلُ مَآ أُوحِىَ إِلَيْكَ مِن كِتَابِ رَبِّكَ ۖ لَا مُبَدِّلَ لِكَلِمَـٰتِهِۦ وَلَن تَجِدَ مِن دُونِهِۦ مُلْتَحَدًۭا

वत्लु मा ऊहि-य इलै-क मिन् किताबि रब्बि-क, ला मुबद्दि-ल लि-कलिमातिही, व लन् तजि-द मिन् दुनिही मुल्त-हदा
और (ऐ रसूल!) जो किताब तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वही के ज़रिए से नाज़िल हुईहै उसको पढ़ा करो उसकी बातों को कोई बदल नहीं सकता और तुम उसके सिवा कहीं कोई हरगिज़ पनाह की जगह (भी) न पाओगे।

18:28

وَٱصْبِرْ نَفْسَكَ مَعَ ٱلَّذِينَ يَدْعُونَ رَبَّهُم بِٱلْغَدَوٰةِ وَٱلْعَشِىِّ يُرِيدُونَ وَجْهَهُۥ ۖ وَلَا تَعْدُ عَيْنَاكَ عَنْهُمْ تُرِيدُ زِينَةَ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ وَلَا تُطِعْ مَنْ أَغْفَلْنَا قَلْبَهُۥ عَن ذِكْرِنَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ وَكَانَ أَمْرُهُۥ فُرُطًۭا ٢٨

वस्बिर् नफ़्स-क मअ़ल्लज़ी-न यद्अू-न रब्बहुम् बिल्ग़दाति वल्अ़शिय्यि युरीदू-न वज्हहू व ला तअ्दु अै़ना-क अ़न्हुम, तुरीदु ज़ी-नतल्-हयातिद्दुन्या, व ला तुतिअ् मन् अग़्फल्ना क़ल्बहू अन् ज़िक्रिना वत्त-ब-अ हवाहु व का-न अम्रुहू फुरूता
और (ऐ रसूल!) जो लोग अपने परवरदिगार को सुबह सवेरे और झटपट वक्त शाम को याद करते हैं और उसकी खुशनूदी के ख्वाहाँ हैं उनके उनके साथ तुम खुद (भी) अपने नफस पर जब्र करो और उनकी तरफ से अपनी नज़र (तवज्जो) न फेरो कि तुम दुनिया में ज़िन्दगी की आराइश चाहने लगो और जिसके दिल को हमने (गोया खुद) अपने ज़िक्र से ग़ाफिल कर दिया है और वह अपनी ख्वाहिशे नफसानी के पीछे पड़ा है और उसका काम सरासर ज्यादती है उसका कहना हरगिज़ न मानना।

18:29

وَقُلِ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكُمْ ۖ فَمَن شَآءَ فَلْيُؤْمِن وَمَن شَآءَ فَلْيَكْفُرْ ۚ إِنَّآ أَعْتَدْنَا لِلظَّـٰلِمِينَ نَارًا أَحَاطَ بِهِمْ سُرَادِقُهَا ۚ وَإِن يَسْتَغِيثُوا۟ يُغَاثُوا۟ بِمَآءٍۢ كَٱلْمُهْلِ يَشْوِى ٱلْوُجُوهَ ۚ بِئْسَ ٱلشَّرَابُ وَسَآءَتْ مُرْتَفَقًا

व क़ुलिल्-हक़्क़ु मिर्रब्बिकुम्, फ़-मन् शा-अ फ़ल्युअ्मिंव्-व मन् शा-अ फल्यक्फुर, इन्ना अअ्तद्-ना लिज़्जा़लिमी-न नारन्, अहा-त बिहिम् सुरादिक़ुहा, व इंय्यस्तगी़सू युगा़सू बिमाइन् कल्मुह़्लि यश्-विल्-वुजू-ह, बिअ्सश्शराबु, व साअत् मुर्-त-फक़ा
और (ऐ रसूल!) तुम कह दों कि सच्ची बात (कलमए तौहीद) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (नाज़िल हो चुकी है) बस जो चाहे माने और जो चाहे न माने (मगर) हमने ज़ालिमों के लिए वह आग (दहका के) तैयार कर रखी है जिसकी क़नातें उन्हें घेर लेगी और अगर वह लोग दोहाई करेगें तो उनकी फरियाद रसी खौलते हुए पानी से की जाएगी जो मसलन पिघले हुए ताबें की तरह होगा (और) वह मुँह को भून डालेगा क्या बुरा पानी है और (जहन्नुम भी) क्या बुरी जगह है।

18:30

إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ إِنَّا لَا نُضِيعُ أَجْرَ مَنْ أَحْسَنَ عَمَلًا

इन्नल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति इन्ना ला नुज़ीअु अज्-र मन् अह्स-न अ-मला
इसमें शक़ नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम करते रहे तो हम हरगिज़ अच्छे काम वालो के अज्र को अकारत नहीं करते।

18:31

أُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمْ جَنَّـٰتُ عَدْنٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهِمُ ٱلْأَنْهَـٰرُ يُحَلَّوْنَ فِيهَا مِنْ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٍۢ وَيَلْبَسُونَ ثِيَابًا خُضْرًۭا مِّن سُندُسٍۢ وَإِسْتَبْرَقٍۢ مُّتَّكِـِٔينَ فِيهَا عَلَى ٱلْأَرَآئِكِ ۚ نِعْمَ ٱلثَّوَابُ وَحَسُنَتْ مُرْتَفَقًۭا

उलाइ-क लहुम् जन्नातु अद्-निन् तज्री मिन् तह्तिहिमुल-अन्हारू युहल्लौ-न फ़ीहा मिन् असावि-र मिन् ज़-हबिंव्-व यल्बसू-न सियाबन् खु़ज़्र्म्-मिन् सुन्दुसिंव्-व इस्तब्रक़िम्-मुत्तकिई-न फ़ीहा अ़लल् अराइकि, निअ्मस्सवाबु, व हसुनत् मुर्-त-फ़क़ा
ये वही लोग हैं जिनके (रहने सहने के) लिए सदाबहार (बेहश्त के) बाग़ात हैं उनके (मकानात के) नीचे नहरें जारी होगीं वह उन बाग़ात में दमकते हुए कुन्दन के कंगन से सँवारे जाँएगें और उन्हें बारीक रेशम (क्रेब) और दबीज़ रेश्म (वाफते)के धानी जोड़े पहनाए जाएँगें और तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होगें क्या ही अच्छा बदला है और (बेहश्त भी आसाइश की) कैसी अच्छी जगह है।

18:32

۞ وَٱضْرِبْ لَهُم مَّثَلًۭا رَّجُلَيْنِ جَعَلْنَا لِأَحَدِهِمَا جَنَّتَيْنِ مِنْ أَعْنَـٰبٍۢ وَحَفَفْنَـٰهُمَا بِنَخْلٍۢ وَجَعَلْنَا بَيْنَهُمَا زَرْعًۭا

वज़्रिब् लहुम् म-सलर्-रजुलैनि जअ़ल्ना लि-अ-हदिहिमा जन्नतैनि मिन् अअ्नाबिंव्-व हफ़फ़्नाहुमा बिनख्लिंव्-व जअ़ल्ना बैनहुमा ज़रआ
और (ऐ रसूल!) इन लोगों से उन दो शख़्शों की मिसाल बयान करो कि उनमें से एक को हमने अंगूर के दो बाग़ दे रखे है और हमने चारो ओर खजूर के पेड़ लगा दिये है और उन दोनों बाग़ के दरमियान खेती भी लगाई है।

18:33

كِلْتَا ٱلْجَنَّتَيْنِ ءَاتَتْ أُكُلَهَا وَلَمْ تَظْلِم مِّنْهُ شَيْـًۭٔا ۚ وَفَجَّرْنَا خِلَـٰلَهُمَا نَهَرًۭا

किल्तल्-जन्नतैनि आतत् उकु-लहा व लम् तज़्लिम् मिन्हु शैअंव्-व फ़ज्जरना ख़िला-लहुमा न-हरा
वह दोनों बाग़ खूब फल लाए और फल लाने में कुछ कमी नहीं की और हमने उन दोनों बाग़ों के दरमियान नहर भी जारी कर दी है।

18:34

وَكَانَ لَهُۥ ثَمَرٌۭ فَقَالَ لِصَـٰحِبِهِۦ وَهُوَ يُحَاوِرُهُۥٓ أَنَا۠ أَكْثَرُ مِنكَ مَالًۭا وَأَعَزُّ نَفَرًۭا

व का-न लहू स-मरून् फ़क़ा-ल लिसाहिबिही व हु-व युहाविरूहू अ-ना अक्सरू मिन्-क मालंव्-व अ-अ़ज़्जु़ न-फ़रा
और उसे फल मिला तो अपने साथी से जो उससे बातें कर रहा था बोल उठा कि मै तो तुझसे माल में (भी) ज्यादा हूँ और जत्थे में भी बढ़ कर हूँ।

18:35

وَدَخَلَ جَنَّتَهُۥ وَهُوَ ظَالِمٌۭ لِّنَفْسِهِۦ قَالَ مَآ أَظُنُّ أَن تَبِيدَ هَـٰذِهِۦٓ أَبَدًۭا

व द-ख़-ल जन्नतहू व हु-व ज़ालिमुल लिनफ्सिही, क़ा-ल मा अज़ुन्नु अन् तबी-द हाज़िही अ-बदा
और ये बातें करता हुआ अपने बाग़ मे भी जा पहुँचा हालॉकि उसकी आदत ये थी कि (कुफ्र की वजह से) अपने ऊपर आप ज़ुल्म कर रहा था (ग़रज़ वह कह बैठा) कि मुझे तो इसका गुमान नहीं तो कि कभी भी ये बाग़ उजड़ जाए।

18:36

وَمَآ أَظُنُّ ٱلسَّاعَةَ قَآئِمَةًۭ وَلَئِن رُّدِدتُّ إِلَىٰ رَبِّى لَأَجِدَنَّ خَيْرًۭا مِّنْهَا مُنقَلَبًۭا

व मा अज़ुन्नुस्सा-अ-त क़ाइ-मतंव्-व ल-इर्रूदित्तु इला रब्बी ल-अजिदन्-न खै़रम्-मिन्हा मुन्क़-लबा
और मै तो ये भी नहीं ख्याल करता कि क़यामत क़ायम होगी और (बिलग़रज़ हुई भी तो) जब मै अपने परवरदिगार की तरफ लौटाया जाऊँगा तो यक़ीनन इससे कहीं अच्छी जगह पाऊँगा।

18:37

قَالَ لَهُۥ صَاحِبُهُۥ وَهُوَ يُحَاوِرُهُۥٓ أَكَفَرْتَ بِٱلَّذِى خَلَقَكَ مِن تُرَابٍۢ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍۢ ثُمَّ سَوَّىٰكَ رَجُلًۭا

क़ा-ल लहू साहिबुहू व हु-व युहाविरूहू अ-कफ़र्-त बिल्लज़ी ख़-ल-क़-क मिन् तुराबिन सुम्-म मिन् नुत्फ़तिन् सुम्-म सव्वा-क रजुला
उसका साथी जो उससे बातें कर रहा था कहने लगा कि क्या तू उस परवरदिगार का मुन्किर है जिसने (पहले) तुझे मिट्टी से पैदा किया फिर नुत्फे से फिर तुझे बिल्कुल ठीक मर्द (आदमी) बना दिया।

18:38

لَّـٰكِنَّا۠ هُوَ ٱللَّهُ رَبِّى وَلَآ أُشْرِكُ بِرَبِّىٓ أَحَدًۭا

लाकिन्-न हुवल्लाहु रब्बी व ला उश्रिकु बिरब्बी अ -हदा 
हम तो (कहते हैं कि) वही अल्लाह मेरा परवरदिगार है और मै तो अपने परवरदिगार का किसी को शरीक नहीं बनाता।

18:39

وَلَوْلَآ إِذْ دَخَلْتَ جَنَّتَكَ قُلْتَ مَا شَآءَ ٱللَّهُ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِٱللَّهِ ۚ إِن تَرَنِ أَنَا۠ أَقَلَّ مِنكَ مَالًۭا وَوَلَدًۭا

व लौ ला इज़् दख़ल्-त जन्न-त-क क़ुल्-त मा शा-अल्लाहु, ला क़ुव्व-त इल्ला बिल्लाहि, इन् तरनि अ-ना
 अक़ल्-ल मिन्-क मालंव्-व व-लदा
और जब तू अपने बाग़ में आया तो (ये) क्यों न कहा कि ये सब (माशा अल्लाह अल्लाह ही के चाहने से हुआ है (मेरा कुछ भी नहीं क्योंकि) बग़ैर अल्लाह की (मदद) के (किसी में) कुछ सकत नहीं अगर माल और औलाद की राह से तू मुझे कम समझता है।

18:40

فَعَسَىٰ رَبِّىٓ أَن يُؤْتِيَنِ خَيْرًۭا مِّن جَنَّتِكَ وَيُرْسِلَ عَلَيْهَا حُسْبَانًۭا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَتُصْبِحَ صَعِيدًۭا زَلَقًا

फ़-अ़सा रब्बी अंय्युअ्ति-यनि खै़रम्-मिन् जन्नति-क व युरसि-ल अ़लैहा हुस्बानम्-मिनस्समा-इ फतुस्बि-ह सअ़ीदन् ज़-लका
तो अनक़ीरब ही मेरा परवरदिगार मुझे वह बाग़ अता फरमाएगा जो तेरे बाग़ से कहीं बेहतर होगा और तेरे बाग़ पर कोई ऐसी आफत आसमान से नाजि़ल करे कि (ख़ाक सियाह) होकर चटियल चिकना सफ़ाचट मैदान हो जाए।

18:41

أَوْ يُصْبِحَ مَآؤُهَا غَوْرًۭا فَلَن تَسْتَطِيعَ لَهُۥ طَلَبًۭا ٤١

औ युस्बि-ह माउहा गौ़रन् फ़-लन् तस्तती-अ़ लहू त-लबा
उसका पानी नीचे उतर (के खुश्क) हो जाए फिर तो उसको किसी तरह तलब न कर सके।

18:42

وَأُحِيطَ بِثَمَرِهِۦ فَأَصْبَحَ يُقَلِّبُ كَفَّيْهِ عَلَىٰ مَآ أَنفَقَ فِيهَا وَهِىَ خَاوِيَةٌ عَلَىٰ عُرُوشِهَا وَيَقُولُ يَـٰلَيْتَنِى لَمْ أُشْرِكْ بِرَبِّىٓ أَحَدًۭا

व उही-त बि-स-मरिही फ़-अस्ब-ह युक़ल्लिबु कफ़्फै़हि अ़ला मा अन्फ़-क़ फ़ीहा व हि-य ख़ावि-यतुन् अ़ला अुरूशिहा व यकूलु यालैतनी लम् उशिरक् बिरब्बी अ-हदा
(चुनान्चे अज़ाब नाज़िल हुआ) और उसके (बाग़ के) फल (आफत में) घेर लिए गए तो उस माल पर जो बाग़ की तैयारी में सर्फ (ख़र्च) किया था (अफसोस से) हाथ मलने लगा और बाग़ की ये हालत थी कि अपनी टहनियों पर औंधा गिरा हुआ पड़ा था तो कहने लगा काश मै अपने परवरदिगार का किसी को शरीक न बनाता।

18:43

وَلَمْ تَكُن لَّهُۥ فِئَةٌۭ يَنصُرُونَهُۥ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَمَا كَانَ مُنتَصِرًا

व लम् तकुल्लहू फ़ि-अतुंय्यन्सुरूनहू मिन् दूनिल्लाहि व मा का-न मुन्तसिरा
और ख़ुदा के सिवा उसका कोई जत्था भी न था कि उसकी मदद करता और न वह बदला ले सकता था इसी जगह से (साबित हो गया।

18:44

هُنَالِكَ ٱلْوَلَـٰيَةُ لِلَّهِ ٱلْحَقِّ ۚ هُوَ خَيْرٌۭ ثَوَابًۭا وَخَيْرٌ عُقْبًۭا

हुना लिकल्-व ला-यतु लिल्लाहिल्-हक्कि, हु-व खै़रून् सवाबंव्-व खै़रून् अुक्बा
कि सरपरस्ती ख़ास ख़ुदा ही के लिए है जो सच्चा है वही बेहतर सवाब (देने) वाला है और अन्जाम के जंगल से भी वही बेहतर है।

18:45

وَٱضْرِبْ لَهُم مَّثَلَ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا كَمَآءٍ أَنزَلْنَـٰهُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ فَٱخْتَلَطَ بِهِۦ نَبَاتُ ٱلْأَرْضِ فَأَصْبَحَ هَشِيمًۭا تَذْرُوهُ ٱلرِّيَـٰحُ ۗ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ مُّقْتَدِرًا

वज्रिब् लहुम् म-सलल्-हयातिद्दुन्या कमाइन् अन्ज़ल्नाहु मिनस्समा-इ फ़ख़्त-ल-त बिही नबातुल्अर्ज़ि फ़अस्ब-ह हशीमन् तज्रूहुर्रियाहु , व कानल्लाहु अ़ला ” कुल्लि शैइम्-मुक्तदिरा
और (ऐ रसूल!) इनसे दुनिया की ज़िन्दगी की मसल भी बयान कर दो कि उसके हालत पानी की सी है जिसे हमने आसमान से बरसाया तो ज़मीन की उगाने की ताक़त उसमें मिल गई और (खूब फली फूली) फिर आख़िर रेज़ा रेज़ा (भूसा) हो गई कि उसको हवाएँ उड़ाए फिरती है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है।

18:46

ٱلْمَالُ وَٱلْبَنُونَ زِينَةُ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ وَٱلْبَـٰقِيَـٰتُ ٱلصَّـٰلِحَـٰتُ خَيْرٌ عِندَ رَبِّكَ ثَوَابًۭا وَخَيْرٌ أَمَلًۭا

अल्मालु वल्बनू-न जीनतुल-हयातिद्दुन्या वल्बाकियातुस्सालिहातु खैरून् अिन्-द रब्बि-क सवाबंव्-व खैरून् अ-मला
(ऐ रसूल!) माल और औलाद (इस ज़रा सी) दुनिया की ज़िन्दगी की ज़ीनत हैं और बाक़ी रहने वाली नेकियाँ तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक सवाब में उससे कही ज्यादा अच्छी हैं और तमन्नाएँ व आरजू की राह से (भी) बेहतर हैं।

18:47

وَيَوْمَ نُسَيِّرُ ٱلْجِبَالَ وَتَرَى ٱلْأَرْضَ بَارِزَةًۭ وَحَشَرْنَـٰهُمْ فَلَمْ نُغَادِرْ مِنْهُمْ أَحَدًۭا

व यौ-म नुसय्यिरूल्-जिबा-ल व तरल्-अर्-ज़ बारि-ज़तंव्-व हशरनाहुम् फ़-लम् नुग़ादिर् मिन्हुम् अ-हदा
और (उस दिन से डरो) जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगें और तुम ज़मीन को खुला मैदान (पहाड़ों से) खाली देखोगे और हम इन सभी को इकट्ठा करेगे तो उनमें से एक को न छोड़ेगें।

18:48

وَعُرِضُوا۟ عَلَىٰ رَبِّكَ صَفًّۭا لَّقَدْ جِئْتُمُونَا كَمَا خَلَقْنَـٰكُمْ أَوَّلَ مَرَّةٍۭ ۚ بَلْ زَعَمْتُمْ أَلَّن نَّجْعَلَ لَكُم مَّوْعِدًۭا

व अुरिजू अला रब्बि-क सफ़्फ़न्, ल-क़द् जिअ्तुमूना कमा ख़लक़्नाकुम् अव्व-ल मर्रतिम् बल् ज़अ़म्तुम् अल्-लन् नज्-अ़-ल लकुम् मौअिदा
सबके सब तुम्हारे परवरदिगार के सामने कतार पे क़तार पेश किए जाएँगें और (उस वक्त हम याद दिलाएँगे कि जिस तरह हमने तुमको पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) तुम लोगों को (आख़िर) हमारे पास आना पड़ा मगर तुम तो ये ख्याल करते थे कि हम तुम्हारे (दोबारा पैदा करने के) लिए कोई वक्त ही न ठहराएँगें।

18:49

وَوُضِعَ ٱلْكِتَـٰبُ فَتَرَى ٱلْمُجْرِمِينَ مُشْفِقِينَ مِمَّا فِيهِ وَيَقُولُونَ يَـٰوَيْلَتَنَا مَالِ هَـٰذَا ٱلْكِتَـٰبِ لَا يُغَادِرُ صَغِيرَةًۭ وَلَا كَبِيرَةً إِلَّآ أَحْصَىٰهَا ۚ وَوَجَدُوا۟ مَا عَمِلُوا۟ حَاضِرًۭا ۗ وَلَا يَظْلِمُ رَبُّكَ أَحَدًۭا

व वुज़िअ़ल्-किताबु फ़-तरल्-मुज्रिमी-न मुश्फिकी-न मिम्मा फीहि व यकूलू-न यावैल-तना मा लि-हाज़ल-किताबि ला युग़ादिरू सगी़-रतंव्-व ला कबी-रतन् इल्ला अह्साहा व व-जदू मा अ़मिलू हाज़िरन्, व ला यज्लिमु रब्बु-क अ-हदा
और लोगों के आमाल की किताब (सामने) रखी जाएँगी तो तुम गुनेहगारों को देखोगे कि जो कुछ उसमें (लिखा) है (देख देख कर) सहमे हुए हैं और कहते जाते हैं हाए हमारी यामत ये कैसी किताब है कि न छोटे ही गुनाह को बे क़लमबन्द किए छोड़ती है न बड़े गुनाह को और जो कुछ इन लोगों ने (दुनिया में) किया था वह सब (लिखा हुआ) मौजूद पाएँगें और तेरा परवरदिगार किसी पर (ज़र्रा बराबर) ज़ुल्म न करेगा।

18:50

وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسْجُدُوا۟ لِـَٔادَمَ فَسَجَدُوٓا۟ إِلَّآ إِبْلِيسَ كَانَ مِنَ ٱلْجِنِّ فَفَسَقَ عَنْ أَمْرِ رَبِّهِۦٓ ۗ أَفَتَتَّخِذُونَهُۥ وَذُرِّيَّتَهُۥٓ أَوْلِيَآءَ مِن دُونِى وَهُمْ لَكُمْ عَدُوٌّۢ ۚ بِئْسَ لِلظَّـٰلِمِينَ بَدَلًۭا

व इज् कुल्ना लिल्मलाइ-कतिस्जुदू लिआद-म फ़-स-जदू इल्ला इब्ली-स, का-न मिनल्-जिन्नि फ़-फ़-स-क अन् अम्रि रब्बिही, अ-फ़-तत्तखिजूनहू व जुर्रिय्य-तहू औलिया-अ मिन् दूनी व हुम् लकुम् अ़दुव्वुन् , बिअ्-स लिज़्जा़लिमी-न ब-दला
और (वह वक्त याद करो) जब हमने फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि आदम को सजदा करो तो इबलीस के सिवा सबने सजदा किया (ये इबलीस) जिन्नात से था तो अपने परवरदिगार के हुक्म से निकल भागा तो (लोगों) क्या मुझे छोड़कर उसको और उसकी औलाद को अपना दोस्त बनाते हो हालॉकि वह तुम्हारा (क़दीमी) दुश्मन हैं ज़ालिमों (ने ख़ुदा के बदले शैतान को अपना दोस्त बनाया ये उन) का क्या बुरा ऐवज़ है।

18:51

۞ مَّآ أَشْهَدتُّهُمْ خَلْقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَلَا خَلْقَ أَنفُسِهِمْ وَمَا كُنتُ مُتَّخِذَ ٱلْمُضِلِّينَ عَضُدًۭا

मा अश्हत्तुहुम् ख़ल्कस्-समावाति वल्अर्जि व ला ख़ल्-क अन्फुसिहिम् व मा कुन्तु मुत्तख़िज़ल्-मुज़िल्ली-न अ़जुदा
मैने न तो आसमान व ज़मीन के पैदा करने के वक्त उनको (मदद के लिए) बुलाया था और न खुद उनके पैदा करने के वक्त और मै (ऐसा गया गुज़रा) न था कि मै गुमराह करने वालों को मददगार बनाता।

18:52

وَيَوْمَ يَقُولُ نَادُوا۟ شُرَكَآءِىَ ٱلَّذِينَ زَعَمْتُمْ فَدَعَوْهُمْ فَلَمْ يَسْتَجِيبُوا۟ لَهُمْ وَجَعَلْنَا بَيْنَهُم مَّوْبِقًۭا

व यौ-म यकूलु नादू शु-रकाइ-यल्लजी-न ज़अ़म्तुम् फ़-दऔ़हुम् फ़-लम् यस्तजीबू लहुम् व जअ़ल्ना बैनहुम् मौबिका
और (उस दिन से डरो) जिस दिन ख़ुदा फरमाएगा कि अब तुम जिन लोगों को मेरा शरीक़ ख्याल करते थे उनको (मदद के लिए) पुकारो तो वह लोग उनको पुकारेगें मगर वह लोग उनकी कुछ न सुनेगें और हम उन दोनों के बीच में महलक (खतरनाक) आड़ बना देंगे।

18:53

وَرَءَا ٱلْمُجْرِمُونَ ٱلنَّارَ فَظَنُّوٓا۟ أَنَّهُم مُّوَاقِعُوهَا وَلَمْ يَجِدُوا۟ عَنْهَا مَصْرِفًۭا

व र-अल् मुज्रिमूनन्ना-र फ़-ज़न्नू अन्नहुम् मुवाकिअूहा व लम् यजिदू अन्हा मस्रिफ़ा
और गुनेहगार लोग (देखकर समझ जाएँगें कि ये इसमें सोके जाएँगे और उससे गरीज़ (बचने की) की राह न पाएँगें।

18:54

وَلَقَدْ صَرَّفْنَا فِى هَـٰذَا ٱلْقُرْءَانِ لِلنَّاسِ مِن كُلِّ مَثَلٍۢ ۚ وَكَانَ ٱلْإِنسَـٰنُ أَكْثَرَ شَىْءٍۢ جَدَلًۭا

व ल-कद् सर्रफ्ना फ़ी हाज़ल्-कुरआनि लिन्नासि मिन् कुल्लि म-सलिन्, व कानल्-इन्सानु अक्स-र शैइन् ज-दला
और हमने तो इस क़ुरान में लोगों (के समझाने) के वास्ते हर तरह की मिसालें फेर बदल कर बयान कर दी है मगर इन्सान तो तमाम मख़लूक़ात से ज्यादा झगड़ालू है।

18:55

وَمَا مَنَعَ ٱلنَّاسَ أَن يُؤْمِنُوٓا۟ إِذْ جَآءَهُمُ ٱلْهُدَىٰ وَيَسْتَغْفِرُوا۟ رَبَّهُمْ إِلَّآ أَن تَأْتِيَهُمْ سُنَّةُ ٱلْأَوَّلِينَ أَوْ يَأْتِيَهُمُ ٱلْعَذَابُ قُبُلًۭا

व मा म-नअ़न्-ना-स अंय्युअ्मिनू इज् जाअहुमुल्हुदा व यस्तग्फिरू रब्बहुम् इल्ला अन् तअ्ति-यहुम् सुन्नतुल-अव्वली-न औ यअ्ति-यहुमुल-अ़ज़ाबु कुबुला
और जब लोगों के पास हिदायत आ चुकी तो (फिर) उनको ईमान लाने और अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माँगने से (उसके सिवा और कौन) अम्र मायने है कि अगलों की सी रीत रस्म उनको भी पेश आई या हमारा अज़ाब उनके सामने से (मौजूद) हो।

18:56

وَمَا نُرْسِلُ ٱلْمُرْسَلِينَ إِلَّا مُبَشِّرِينَ وَمُنذِرِينَ ۚ وَيُجَـٰدِلُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِٱلْبَـٰطِلِ لِيُدْحِضُوا۟ بِهِ ٱلْحَقَّ ۖ وَٱتَّخَذُوٓا۟ ءَايَـٰتِى وَمَآ أُنذِرُوا۟ هُزُوًۭا

व मा नुर्सिलुल्-मुर्सली-न इल्ला मुबश्शिरी-न व मुन्ज़िरी-न व युजादिलुल्लज़ी-न क-फरू बिल्बातिलि लियुद्हिजू बिहिल्हक्-क वत्त-ख़जू आयाती व मा उन्ज़िरू हुजुवा
और हम तो पैग़म्बरों को सिर्फ इसलिए भेजते हैं कि (अच्छों को निजात की) खुशख़बरी सुनाएंऔर (बदों को अज़ाब से) डराएंऔर जो लोग काफिर हैं झूटी झूटी बातों का सहारा पकड़ के झगड़ा करते है ताकि उसकी बदौलत हक़ को (उसकी जगह से उखाड़ फेकें और उन लोगों ने मेरी आयतों को जिस (अज़ाब से) ये लोग डराए गए हॅसी ठ्ठ्ठा (मज़ाक) बना रखा है।

18:57

وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن ذُكِّرَ بِـَٔايَـٰتِ رَبِّهِۦ فَأَعْرَضَ عَنْهَا وَنَسِىَ مَا قَدَّمَتْ يَدَاهُ ۚ إِنَّا جَعَلْنَا عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ أَكِنَّةً أَن يَفْقَهُوهُ وَفِىٓ ءَاذَانِهِمْ وَقْرًۭا ۖ وَإِن تَدْعُهُمْ إِلَى ٱلْهُدَىٰ فَلَن يَهْتَدُوٓا۟ إِذًا أَبَدًۭا

व मन् अज़्लमु मिम्-मन् जुक्कि-र बिआयाति रब्बिही फ़-अअ्र-ज़ अन्हा व नसि-य मा क़द्दमत् यदाहु, इन्ना जअ़ल्ना अ़ला कुलूबिहिम् अकिन्न-तन् अंय्यफ़्क़हूहु व फी आज़ानिहिम् वक्रन्, व इन् तद्अुहुम् इलल्-हुदा फ़-लंय्यह्तदू इज़न् अ-बदा
और उससे बढ़कर और कौन ज़ालिम होगा जिसको ख़ुदा की आयतें याद दिलाई जाए और वह उनसे रद गिरदानी (मुँह फेर ले) करे और अपने पहले करतूतों को जो उसके हाथों ने किए हैं भूल बैठे (गोया) हमने खुद उनके दिलों पर परदे डाल दिए हैं कि वह (हक़ बात को) न समझ सकें और (गोया) उनके कानों में गिरानी पैदा कर दी है कि (सुन न सकें) और अगर तुम उनको राहे रास्त की तरफ़ बुलाओ भी तो ये हरगिज़ कभी रुबरु होने वाले नहीं हैं।

18:58

وَرَبُّكَ ٱلْغَفُورُ ذُو ٱلرَّحْمَةِ ۖ لَوْ يُؤَاخِذُهُم بِمَا كَسَبُوا۟ لَعَجَّلَ لَهُمُ ٱلْعَذَابَ ۚ بَل لَّهُم مَّوْعِدٌۭ لَّن يَجِدُوا۟ مِن دُونِهِۦ مَوْئِلًۭا

व रब्बुकल-ग़फूरू जुर्रह्मति, लौ युआखिजुहुम् बिमा क-सबू ल-अ़ज्ज-ल लहुमुल्-अज़ा-ब , बल्-लहुम् मौअिदुल्-लंय्यजिदू मिन् दूनिही मौअिला
और (ऐ रसूल!) तुम्हारा परवरदिगार तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है अगर उनकी करतूतों की सज़ा में धर पकड़ करता तो फौरन (दुनिया ही में) उन पर अज़ाब नाज़िल कर देता मगर उनके लिए तो एक मियाद (मुक़र्रर) है जिससे खुदा के सिवा कहीं पनाह की जगह न पाएंगें।

18:59

وَتِلْكَ ٱلْقُرَىٰٓ أَهْلَكْنَـٰهُمْ لَمَّا ظَلَمُوا۟ وَجَعَلْنَا لِمَهْلِكِهِم مَّوْعِدًۭا

व तिल्कल्-कुरा अह़्लक्नाहुम् लम्मा ज़-लमू व जअ़ल्ना लिमह़्लिकिहिम् मौअिदा
और ये बस्तियाँ (जिन्हें तुम अपनी ऑंखों से देखते हो) जब उन लोगों ने सरकशी तो हमने उन्हें हलाक कर मारा और हमने उनकी हलाकत की मियाद मुक़र्रर कर दी थी।

18:60

وَإِذْ قَالَ مُوسَىٰ لِفَتَىٰهُ لَآ أَبْرَحُ حَتَّىٰٓ أَبْلُغَ مَجْمَعَ ٱلْبَحْرَيْنِ أَوْ أَمْضِىَ حُقُبًۭا

व इज् का-ल मूसा लि-फ़ताहु ला अब्रहु हत्ता अब्लु-ग़ मज्म-अ़ल् बहरैनि औ अम्ज़ि-य हुकुबा
(ऐ रसूल!) वह वाक़या याद करो जब मूसा खिज़्र की मुलाक़ात को चले तो अपने जवान वसी यूशा से बोले कि जब तक में दोनों दरियाओं के मिलने की जगह न पहुँच जाऊँ (चलने से) बाज़ न आऊँगा।

18:61

فَلَمَّا بَلَغَا مَجْمَعَ بَيْنِهِمَا نَسِيَا حُوتَهُمَا فَٱتَّخَذَ سَبِيلَهُۥ فِى ٱلْبَحْرِ سَرَبًۭا

फ़ – लम्मा ब – लगा़ मज्म – अ़ बैनिहिमा नसिया हूतहुमा फत्त – ख – ज़ सबीलहू फ़िल्बहरि स – रबा 
ख्वाह (अगर मुलाक़ात न हो तो) बरसों यूँ ही चलता जाऊँगा फिर जब ये दोनों उन दोनों दरियाओं के मिलने की जगह पहुँचे तो अपनी (भुनी हुई) मछली छोड़ चले तो उसने दरिया में सुरंग बनाकर अपनी राह ली।

18:62

فَلَمَّا جَاوَزَا قَالَ لِفَتَىٰهُ ءَاتِنَا غَدَآءَنَا لَقَدْ لَقِينَا مِن سَفَرِنَا هَـٰذَا نَصَبًۭا

फ़ – लम्मा जा – वज़ा का – ल लि – फ़ताहु आतिना ग़दा – अना , ल – क़द् लकी़ना मिन् स – फ़रिना हाज़ा न – सबा
फिर जब कुछ और आगे बढ़ गए तो मूसा ने अपने जवान (वसी) से कहा (अजी हमारा नाश्ता तो हमें दे दो हमारे (आज के) इस सफर से तो हमको बड़ी थकन हो गई।

18:63

قَالَ أَرَءَيْتَ إِذْ أَوَيْنَآ إِلَى ٱلصَّخْرَةِ فَإِنِّى نَسِيتُ ٱلْحُوتَ وَمَآ أَنسَىٰنِيهُ إِلَّا ٱلشَّيْطَـٰنُ أَنْ أَذْكُرَهُۥ ۚ وَٱتَّخَذَ سَبِيلَهُۥ فِى ٱلْبَحْرِ عَجَبًۭا

का – ल अ – रऐ – त इज् अवैना इलस्सख़्रति फ़ – इन्नी नसीतुल – हू – त वमा अन्सानीहु इल्लश्शैतानु अन् अज़्कु – रहु वत्त – ख़ – ज़ सबी – लहू फ़िल्बहरि अ़ – जबा
(यूशा ने) कहा क्या आप ने देखा भी कि जब हम लोग (दरिया के किनारे) उस पत्थर के पास ठहरे तो मै (उसी जगह) मछली छोड़ आया और मुझे आप से उसका ज़िक्र करना शैतान ने भुला दिया और मछली ने अजीब तरह से दरिया में अपनी राह ली।

18:64

قَالَ ذَٰلِكَ مَا كُنَّا نَبْغِ ۚ فَٱرْتَدَّا عَلَىٰٓ ءَاثَارِهِمَا قَصَصًۭا

का – ल ज़ालि – क मा कुन्ना नब्गि फ़रतद्दा अ़ला आसारिहिमा क़ – ससा
मूसा ने कहा वही तो वह (जगह) है जिसकी हम जुस्तजू (तलाश) में थे फिर दोनों अपने क़दम के निशानों पर देखते देखते उलटे पॉव फिरे।

18:65

فَوَجَدَا عَبْدًۭا مِّنْ عِبَادِنَآ ءَاتَيْنَـٰهُ رَحْمَةًۭ مِّنْ عِندِنَا وَعَلَّمْنَـٰهُ مِن لَّدُنَّا عِلْمًۭا

फ़ – व – जदा अब्दम् – मिन् अिबादिना आतैनाहु रह़्म – तम् मिन् अिन्दिना व अ़ल्लम्नाहु मिल्लदुन्ना अिल्मा
तो (जहाँ मछली थी) दोनों ने हमारे बन्दों में से एक (ख़ास) बन्दा खिज्र को पाया जिसको हमने अपनी बारगाह से रहमत (विलायत) का हिस्सा अता किया था।

18:66

قَالَ لَهُۥ مُوسَىٰ هَلْ أَتَّبِعُكَ عَلَىٰٓ أَن تُعَلِّمَنِ مِمَّا عُلِّمْتَ رُشْدًۭا

का – ल लहू मूसा हल अत्तबिअु – क अ़ला अन् तुअ़ल्लि – मनि मिम्मा अुल्लिम् – त रूश्दा
और हमने उसे इल्म लदुन्नी (अपने ख़ास इल्म) में से कुछ सिखाया था मूसा ने उन (ख़िज्र) से कहा क्या (आपकी इजाज़त है कि) मै इस ग़रज़ से आपके साथ साथ रहूँ।

18:67

قَالَ إِنَّكَ لَن تَسْتَطِيعَ مَعِىَ صَبْرًۭا

का़ – ल इन्न – क लन् तस्तती – अ़ मअि – य सब्रा
कि जो रहनुमाई का इल्म आपको है (अल्लाह की तरफ से) सिखाया गया है उसमें से कुछ मुझे भी सिखा दीजिए खिज्र ने कहा (मै सिखा दूँगा मगर) आपसे मेरे साथ सब्र न हो सकेगा।

18:68

وَكَيْفَ تَصْبِرُ عَلَىٰ مَا لَمْ تُحِطْ بِهِۦ خُبْرًۭا

व कै – फ़ तस्बिरू अला मा लम् तुह्ति बिही खुब्रा
और (सच तो ये है) जो चीज़ आपके इल्मी अहाते से बाहर हो।

18:69

قَالَ سَتَجِدُنِىٓ إِن شَآءَ ٱللَّهُ صَابِرًۭا وَلَآ أَعْصِى لَكَ أَمْرًۭا

का – ल स – तजिदुनी इन्शा – अल्लाहु साबिरंव् – व ला अअ्सी ल – क अम्रा
उस पर आप सब्र क्योंकर कर सकते हैं मूसा ने कहा (आप इत्मिनान रखिए) अगर अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे साबिर आदमी पाएँगें।

18:70

قَالَ فَإِنِ ٱتَّبَعْتَنِى فَلَا تَسْـَٔلْنِى عَن شَىْءٍ حَتَّىٰٓ أُحْدِثَ لَكَ مِنْهُ ذِكْرًۭا

क़ाला फ़ इनित तबाअ’तनी फला तस अलनी अन शयइन हत्ता उह्दिसा लका मिन्हु ज़िकरा
उसने कहाः यदि तुम्हें मेरा अनुसरण करना है, तो मुझसे किसी चीज़ के बारे में प्रश्न न करना, जब तक मैं स्वयं तुमसे उसकी चर्चा न करूँ।

18:71

فَٱنطَلَقَا حَتَّىٰٓ إِذَا رَكِبَا فِى ٱلسَّفِينَةِ خَرَقَهَا ۖ قَالَ أَخَرَقْتَهَا لِتُغْرِقَ أَهْلَهَا لَقَدْ جِئْتَ شَيْـًٔا إِمْرًۭا

फन तलाका हत्ता इज़ा रकिबा फिस सफीनती खराक़हा, काला अखरक़ तहा लितुग रिक़ा अहलहा लक़द जीअ’ता शैअन इमरा
फिर दोनों चले, यहाँ तक कि जब दोनों नौका में सवार हुए, तो उस (ख़िज़्र) ने उसमें छेद कर दिया। मूसा ने कहाः क्या आपने इसमें छेदकर दिया, ताकि उसके सवारों को डुबो दें, आपने अनुचित काम कर दिया।

18:72

قَالَ أَلَمْ أَقُلْ إِنَّكَ لَن تَسْتَطِيعَ مَعِىَ صَبْرًۭا

क़ाला अलम अक़ुल इन्नका लन तसततीआ मइया सबरा
उसने कहाः क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम मेरे साथ सहन नहीं कर सकोगे?

18:73

قَالَ لَا تُؤَاخِذْنِى بِمَا نَسِيتُ وَلَا تُرْهِقْنِى مِنْ أَمْرِى عُسْرًۭا

क़ाला ला तुआखिज्नी बिमा नसीतु वला तुरहिकक़नी मिन अमरी उसरा
कहाः मुझे आप मेरी भूल पर न पकड़े और मेरी बात के कारण मुझे असुविधा में न डालें।

18:74

فَٱنطَلَقَا حَتَّىٰٓ إِذَا لَقِيَا غُلَـٰمًۭا فَقَتَلَهُۥ قَالَ أَقَتَلْتَ نَفْسًۭا زَكِيَّةًۢ بِغَيْرِ نَفْسٍۢ لَّقَدْ جِئْتَ شَيْـًۭٔا نُّكْرًۭا

फन तलाक़ा हत्ता इज़ा लकिया गुलामन फ़क़ातलहू क़ाला अक़ातलता नफ्सन ज़किय यतम बिगैरि नफ्स लक़द जिअ’ता शैअन नुकरा
फिर दोनों चले, यहाँ तक कि एक बालक से मिले, तो उस (ख़िज़्र) ने उसे वध कर दिया। मूसा ने कहाः क्या आपने एक निर्दोष प्राण ले लिया, वह भी किसी प्राण के बदले[1] नहीं? आपने बहुत ही बुरा काम किया।

18:75

۞ قَالَ أَلَمْ أَقُل لَّكَ إِنَّكَ لَن تَسْتَطِيعَ مَعِىَ صَبْرًۭا

क़ाला अलम अक़ुल लका इन्नका लन तसततीआ मइया सबरा
उसने कहाः क्या मैंने तुमसे नहीं कहा कि वास्तव में, तुम मेरे साथ धैर्य नहीं कर सकोगे?

18:76

قَالَ إِن سَأَلْتُكَ عَن شَىْءٍۭ بَعْدَهَا فَلَا تُصَـٰحِبْنِى ۖ قَدْ بَلَغْتَ مِن لَّدُنِّى عُذْرًۭا

क़ाला इन सअल्तुका अन शैइम बअ’दहा फला तुसाहिब्नी क़द बलग्ता मिल लदुन्नी उजरा
मूसा ने कहाः यदि मैं आपसे प्रश्न करूँ, किसी विषय में इसके पश्चात्, तो मुझे अपने साथ न रखें। निश्चय आप मेरी ओर से याचना को पहुँच[1] चुके।

18:77

فَٱنطَلَقَا حَتَّىٰٓ إِذَآ أَتَيَآ أَهْلَ قَرْيَةٍ ٱسْتَطْعَمَآ أَهْلَهَا فَأَبَوْا۟ أَن يُضَيِّفُوهُمَا فَوَجَدَا فِيهَا جِدَارًۭا يُرِيدُ أَن يَنقَضَّ فَأَقَامَهُۥ ۖ قَالَ لَوْ شِئْتَ لَتَّخَذْتَ عَلَيْهِ أَجْرًۭا

फ़न तलका हत्ता इज़ा अतया अहला क़र यतिनिस ततअमा अहलहा फ़अबव अय युज़य्यिफूहुमा फ़ वजदा फ़ीहा जिदारय युरीदु अय यन क़ज् फ़अक़ामह, क़ाला लौ शिअ’ता लत तखज्ता अलैहि अजरा
फिर दोनो चले, यहाँ तक कि जब एक गाँव के वासियों के पास आये, तो उनसे भोजन माँगा। उन्होंने उनका अतिथि सत्कार करने से इन्कार कर दिया। वहाँ उन्होंने एक दीवार पायी, जो गिरा चाहती थी। उसने उसे सीधा कर दिया। कहाः यदि आप चाहते, तो इसपर पारिश्रमिक ले लेते।

18:78

قَالَ هَـٰذَا فِرَاقُ بَيْنِى وَبَيْنِكَ ۚ سَأُنَبِّئُكَ بِتَأْوِيلِ مَا لَمْ تَسْتَطِع عَّلَيْهِ صَبْرًا

क़ाला हाज़ा फिराक़ु बैनी व बैनिक, सउनब बिउका बितअ’वीलि मालम तस ततिअ अलैहि सबरा
उसने कहाः ये मेरे तथा तुम्हारे बीच वियोग है। मैं तुम्हें उसकी वास्तविक्ता बताऊँगा, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।

18:79

أَمَّا ٱلسَّفِينَةُ فَكَانَتْ لِمَسَـٰكِينَ يَعْمَلُونَ فِى ٱلْبَحْرِ فَأَرَدتُّ أَنْ أَعِيبَهَا وَكَانَ وَرَآءَهُم مَّلِكٌۭ يَأْخُذُ كُلَّ سَفِينَةٍ غَصْبًۭا

अम्मस सफीनतु फ़कानत लि मसाकीना य’अमलूना फ़िल बहरि फ अरत्तु अन अईबहा वकाना वरा अहुम मलिकुय यअ’खुजु कुल्ला सफीनतिन गस्बा
रही नाव, तो वह कुछ निर्धनों की थी, जो सागर में काम करते थे। तो मैंने चाहा कि उसे छिद्रित[1] कर दूँ और उनके आगे एक राजा था, जो प्रत्येक (अच्छी) नाव का अपहरण कर लेता था।

18:80

وَأَمَّا ٱلْغُلَـٰمُ فَكَانَ أَبَوَاهُ مُؤْمِنَيْنِ فَخَشِينَآ أَن يُرْهِقَهُمَا طُغْيَـٰنًۭا وَكُفْرًۭا

व अम्मल गुलामु फ़काना अ बवाहू मु’अमिनैनि फ़ खशीना अय युर हिक़ाहुमा तुग्यानव व कुफरा
और रहा बालक, तो उसके माता-पिता ईमान वाले थे, अतः हम डरे कि उन्हें अपनी अवज्ञा और अधर्म से दुःख न पहुँचाये।

18:81

فَأَرَدْنَآ أَن يُبْدِلَهُمَا رَبُّهُمَا خَيْرًۭا مِّنْهُ زَكَوٰةًۭ وَأَقْرَبَ رُحْمًۭا

फ़ अरदना अय युब्दिलहुमा रब्बुहुमा खैरम मिन्हु ज़कातव व अक़राबा रूहमा
इसलिए हमने चाहा कि उन दोनों को उनका पालनहार, इसके बदले उससे अधिक पवित्र और अधिक प्रेमी प्रदान करे।

18:82

وَأَمَّا ٱلْجِدَارُ فَكَانَ لِغُلَـٰمَيْنِ يَتِيمَيْنِ فِى ٱلْمَدِينَةِ وَكَانَ تَحْتَهُۥ كَنزٌۭ لَّهُمَا وَكَانَ أَبُوهُمَا صَـٰلِحًۭا فَأَرَادَ رَبُّكَ أَن يَبْلُغَآ أَشُدَّهُمَا وَيَسْتَخْرِجَا كَنزَهُمَا رَحْمَةًۭ مِّن رَّبِّكَ ۚ وَمَا فَعَلْتُهُۥ عَنْ أَمْرِى ۚ ذَٰلِكَ تَأْوِيلُ مَا لَمْ تَسْطِع عَّلَيْهِ صَبْرًۭا

व अम्मल जिदारु फ़काना लि गुलामैनि यातीमैनि फ़िल मदीनती व काना तहतहु कंज़ुल लहुमा रहमतम मिर रब्बिक, वमा फ़ अल्तुहू मिन अमरी ज़ालिका त’अवीलु मा लम तस तातिअ अलैहि सबरा
और रही दीवार, तो वह दो अनाथ बालकों की थी और उसके भीतर उनका कोष था और उनके माता-पिता पुनीत थे, तो तेरे पालनहार ने चाहा कि वे दोनों अपनी युवा अवस्था को पहुँचें और अपना कोष निकालें, तेरे पालनहार की दया से और मैंने ये अपने विचार तथा अधिकार से नहीं किया[1]। ये उसकी वास्तविक्ता है, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।

18:83

وَيَسْـَٔلُونَكَ عَن ذِى ٱلْقَرْنَيْنِ ۖ قُلْ سَأَتْلُوا۟ عَلَيْكُم مِّنْهُ ذِكْرًا

व यस अलूनका अन ज़िल करनैन, क़ुल सअत्लू अलैकुम मिन्हु ज़िकरा
और (हे नबी!) वे आपसे ज़ुलक़रनैन[1] के विषय में प्रश्न करते हैं। आप कह दें कि मैं उनकी कुछ दशा तुम्हें पढ़कर सुना देता हूँ।

18:84

إِنَّا مَكَّنَّا لَهُۥ فِى ٱلْأَرْضِ وَءَاتَيْنَـٰهُ مِن كُلِّ شَىْءٍۢ سَبَبًۭا

इन्ना मक कन्ना लहू फ़िल अर दि व अतैना हु मिन कुल्लि शयइन सबबा
हमने उसे धरती में प्रभुत्व प्रदान किया तथा उसे प्रत्येक प्रकार का साधन दिया।

18:85

فَأَتْبَعَ سَبَبًا

फ़अत बआ सबबा
तो वह एक राह के पीछे लगा।

18:86

حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ مَغْرِبَ ٱلشَّمْسِ وَجَدَهَا تَغْرُبُ فِى عَيْنٍ حَمِئَةٍۢ وَوَجَدَ عِندَهَا قَوْمًۭا ۗ قُلْنَا يَـٰذَا ٱلْقَرْنَيْنِ إِمَّآ أَن تُعَذِّبَ وَإِمَّآ أَن تَتَّخِذَ فِيهِمْ حُسْنًۭا

हत्ता इज़ा बलाग़ा मग रिबश शम्सि व जदहा तगरुबू फ़ी ऐनिन हमिअतिव व वजदा इन्दहा क़ौमा, क़ुल्ना याज़ल क़रनैनि इम्मा अन तुअज्ज़िबा व इम्मा अन तत ताखिज़ा फीहिम हुस्ना
यहाँ तक कि जब सूर्यास्त के स्थान तक[1] पहुँचा, तो उसने पाया कि वह एक काली कीचड़ के स्रोत में डूब रहा है और वहाँ एक जाति को पाया। हमने कहाः हे ज़ुलक़रनैन! तू उन्हें यातना दे अथवा उनमें अच्छा व्यवहार बना।

18:87

قَالَ أَمَّا مَن ظَلَمَ فَسَوْفَ نُعَذِّبُهُۥ ثُمَّ يُرَدُّ إِلَىٰ رَبِّهِۦ فَيُعَذِّبُهُۥ عَذَابًۭا نُّكْرًۭا

क़ाला अम्मा मन ज़लामा फ़सौफ़ा नुअज्ज़िबुहू सुम्मा युरद्दु इला रब्बिही फ़ युअज़्ज़िबुहु अज़ाबन नुकरा
उसने कहाः जो अत्याचार करेगा, हम उसे दण्ड देंगे। फिर वह अपने पालनहार की ओर फेरा[1] जायेगा, तो वह उसे कड़ी यातना देगा।

18:88

وَأَمَّا مَنْ ءَامَنَ وَعَمِلَ صَـٰلِحًۭا فَلَهُۥ جَزَآءً ٱلْحُسْنَىٰ ۖ وَسَنَقُولُ لَهُۥ مِنْ أَمْرِنَا يُسْرًۭا

व अम्मा मन आमना व अमिला सालिहन फ़लहू जज़ा अनिल हुस्ना, व सनाकूलु लहू मिन अमरिना युसरा
परन्तु जो ईमान लाये तथा सदाचार करे, तो उसी के लिए अच्छा प्रतिफल (बदला) है और हम उसे अपना सरल आदेश देंगे।

18:89

ثُمَّ أَتْبَعَ سَبَبًا

सुम्मा अत अत बआ सबाबा
फिर वह एक (अन्य) राह की ओर लगा।

18:90

حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ مَطْلِعَ ٱلشَّمْسِ وَجَدَهَا تَطْلُعُ عَلَىٰ قَوْمٍۢ لَّمْ نَجْعَل لَّهُم مِّن دُونِهَا سِتْرًۭا

हत्ता इज़ा बलग़ा मतलिअश शम्सि व जदहा ततलुउ अला कौमिल लम नजअल लहुम मिन दूनिहा सितरा
यहाँ तक कि सूर्य़ोदय के स्थान तक पहुँचा। तो उसे पाया कि ऐसी जाति पर उदय हो रहा है, जिससे हमने उनके लिए कोई आड़ नहीं बनायी है।

18:91

كَذَٰلِكَ وَقَدْ أَحَطْنَا بِمَا لَدَيْهِ خُبْرًۭا

व कज़ालिका वक़द अहतना बिमा लदैहि खुबरा
उनकी दशा ऐसी ही थी और उस (ज़ुलक़रनैन) के पास जो कुछ था, हम उससे पूर्णतः सूचित हैं।

18:92

ثُمَّ أَتْبَعَ سَبَبًا

सुम्मा अत बआ सबाबा
फिर वह एक दूसरी राह की ओर लगा।

18:93

حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ بَيْنَ ٱلسَّدَّيْنِ وَجَدَ مِن دُونِهِمَا قَوْمًۭا لَّا يَكَادُونَ يَفْقَهُونَ قَوْلًۭا

हत्ता इज़ा बलाग़ा बैनस सददैनि वजदा मिन दूनिहिमा क़ौमल ला यकादूना यफ्क़हूना क़ौला
यहाँ तक कि जब दो पर्वतों के बीच पहुँचा, तो उन दोनों की उस ओर एक जाति को पाया, जो नहीं समीप थी कि किसी बात को समझे[1]

18:94

قَالُوا۟ يَـٰذَا ٱلْقَرْنَيْنِ إِنَّ يَأْجُوجَ وَمَأْجُوجَ مُفْسِدُونَ فِى ٱلْأَرْضِ فَهَلْ نَجْعَلُ لَكَ خَرْجًا عَلَىٰٓ أَن تَجْعَلَ بَيْنَنَا وَبَيْنَهُمْ سَدًّۭا

क़ालू या ज़ल क़रनैनि इन्ना यअजूजा व मअ’जूजा मुफसिदूना फ़िल अर्द, फ़हल नज अलु लका खरजन अला अन तजअला बैनना व बैनहुम सद्दा
उन्होंने कहाः हे ज़ुलक़रनैन! वास्तव में, याजूज तथा माजूज उपद्रवी हैं, इस देश में। तो क्या हम निर्धारित कर दें आपके लिए कुछ धन। इसलिए कि आप हमारे और उनके बीच कोई रोक (बन्ध) बना दें?

18:95

قَالَ مَا مَكَّنِّى فِيهِ رَبِّى خَيْرٌۭ فَأَعِينُونِى بِقُوَّةٍ أَجْعَلْ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ رَدْمًا

क़ाला मा मक्कन्नी फीहि रब्बी खैरुन फ़ अईनूनी बिक़ुव्वतिन अजअल बैनकुम व बैनहुम रदमा
उसने कहाः जो कुछ मुझे मेरे पालनहार ने प्रदान किया है, वह उत्तम है। तो तुम मेरी सहायता बल और शक्ति से करो, मैं बना दूँगा तुम्हारे और उनके मध्य एक दृढ़ भीत।

18:96

ءَاتُونِى زُبَرَ ٱلْحَدِيدِ ۖ حَتَّىٰٓ إِذَا سَاوَىٰ بَيْنَ ٱلصَّدَفَيْنِ قَالَ ٱنفُخُوا۟ ۖ حَتَّىٰٓ إِذَا جَعَلَهُۥ نَارًۭا قَالَ ءَاتُونِىٓ أُفْرِغْ عَلَيْهِ قِطْرًۭا

आतूनी ज़ुबरल हदीद, हत्ता इज़ा सावा बैनस सदफैनि क़ालन फुखू, हत्ता इज़ा जअलहु नारन क़ाला आतूनी उफरिग अलैहि कित्रा
मुझे लोहे की चादरें ला दो और जब दोनों पर्वतों के बीच दीवार तैयार कर दी, तो कहा कि आग दहकाओ, यहाँतक कि जब उस दीवार को आग (के समान लाल) कर दिया, तो कहाः मेरे पास लाओ, इसपर पिघला हुआ ताँबा उंडेल दूँ।

18:97

فَمَا ٱسْطَـٰعُوٓا۟ أَن يَظْهَرُوهُ وَمَا ٱسْتَطَـٰعُوا۟ لَهُۥ نَقْبًۭا

फ़मस ताऊ अय यजहरूहु वमस तताऊ लहू नक्बा
फिर वह उसपर चढ़ नहीं सकते थे और न उसमें कोई सेंध लगा सकते थे।

18:98

قَالَ هَـٰذَا رَحْمَةٌۭ مِّن رَّبِّى ۖ فَإِذَا جَآءَ وَعْدُ رَبِّى جَعَلَهُۥ دَكَّآءَ ۖ وَكَانَ وَعْدُ رَبِّى حَقًّۭا

क़ाला हाज़ा रहमतुम मिर रब्बी फ़इज़ा जाअ वअ’दु रब्बी जअलहु दककाअ, वकाना वअ’दू रब्बी हक्क़ा
उस (ज़ुलक़रनैन) ने कहाः ये मेरे पालनहार की दया है। फिर जब मेरे पालनहार का वचन[1] आयेगा, तो वह इसे खण्ड-खण्ड कर देगा और मेरे पालनहार का वचन सत्य है।

18:99

۞ وَتَرَكْنَا بَعْضَهُمْ يَوْمَئِذٍۢ يَمُوجُ فِى بَعْضٍۢ ۖ وَنُفِخَ فِى ٱلصُّورِ فَجَمَعْنَـٰهُمْ جَمْعًۭا

व तरकना ब अदहुम यौमइजिय यमूजु फ़ी बअ’दि व नुफ़िखा फिस सूरि फ़जमअ’नाहुम जमआ
और हम छोड़ देंगे उस[1] दिन लोगों को एक-दूसरे में लहरें लेते हुए तथा निरसिंघा में फूंक दिया जायेगा और हम सबको एकत्र कर देंगे।

18:100

وَعَرَضْنَا جَهَنَّمَ يَوْمَئِذٍۢ لِّلْكَـٰفِرِينَ عَرْضًا

व अरदना जहन्नमा यौम इज़िल लिल काफ़िरीना अरदा
और हम सामने कर देंगे उस दिन नरक को काफ़िरों के समक्ष।

18:101

ٱلَّذِينَ كَانَتْ أَعْيُنُهُمْ فِى غِطَآءٍ عَن ذِكْرِى وَكَانُوا۟ لَا يَسْتَطِيعُونَ سَمْعًا

अल्लज़ीना कानत अअ’युनुहुम फ़ी गिताइन अन ज़िकरी व कानू ला यसतती ऊना समआ
जिनकी आँखें मेरी याद से पर्दे में थीं और कोई बात सुन नहीं सकते थे।

18:102

أَفَحَسِبَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ أَن يَتَّخِذُوا۟ عِبَادِى مِن دُونِىٓ أَوْلِيَآءَ ۚ إِنَّآ أَعْتَدْنَا جَهَنَّمَ لِلْكَـٰفِرِينَ نُزُلًۭا

अ फ़हसिबल लज़ीना कफरू य यात्तखिजू इबादी मिन दूनी अवलियाअ, इन्ना अअ’तदना जहन्नमा लिल काफ़िरीना नुज़ुला
तो क्या उन्होंने सोचा है जो काफ़िर हो गये कि वे बना लेंगे मेरे दासों को मेरे सिवा सहायक? वास्तव में, हमने काफ़िरों के आतिथ्य के लिए नरक तैयार कर दी है।

18:103

قُلْ هَلْ نُنَبِّئُكُم بِٱلْأَخْسَرِينَ أَعْمَـٰلًا

क़ुल हल नुनब बिउकुम बिल अख्सरीना अअ’माला
आप कह दें कि क्या हम तुम्हें बता दें कि कौन अपने कर्मों में सबसे अधिक क्षतिग्रस्त हैं?

18:104

ٱلَّذِينَ ضَلَّ سَعْيُهُمْ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَهُمْ يَحْسَبُونَ أَنَّهُمْ يُحْسِنُونَ صُنْعًا

अल्लज़ीना दल्ला सअ’युहुम फ़िल हयातिद दुनिया वहुम यह्सबूना अन्नहुम युहसिनूना सुनआ
वह हैं, जिनके सांसारिक जीवन के सभी प्रयास व्यर्थ हो गये तथा वे समझते रहे कि वे अच्छे कर्म कर रहे हैं।

18:105

أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ رَبِّهِمْ وَلِقَآئِهِۦ فَحَبِطَتْ أَعْمَـٰلُهُمْ فَلَا نُقِيمُ لَهُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ وَزْنًۭا

उलाइकल लज़ीना कफरू बिआयाति रब्बिहिम व लिक़ाइही फ़ हबितत अअ’मालुहुम वला नुक़ीमु लहुम यौमल कियामति वज्ना
यही वे लोग हैं, जिन्होंने नहीं माना अपने पालनहार की आयतों तथा उससे मिलने को, अतः हम प्रलय के दिन उनका कोई भार निर्धारित नहीं करेंगे[1]

18:106

ذَٰلِكَ جَزَآؤُهُمْ جَهَنَّمُ بِمَا كَفَرُوا۟ وَٱتَّخَذُوٓا۟ ءَايَـٰتِى وَرُسُلِى هُزُوًا

ज़ालिका जज़ा उहुम जहन्नमु बिमा कफरू वत तखजू आयाती व रुसुली हुज़ुवा
उन्हीं का बदला नरक है, इस कारण कि उन्होंने कुफ़्र किया और मेरी आयतों और मेरे रसूलों का उपहास किया।

18:107

إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ كَانَتْ لَهُمْ جَنَّـٰتُ ٱلْفِرْدَوْسِ نُزُلًا

इन्नल लज़ीना आमनू व अमिलुस सालिहाति कानत लहुम जन्नातुल फिरदौसि नुज़ुला
निश्चय जो ईमान लाये और सदाचार किये, उन्हीं के आतिथ्य के लिए फ़िरदौस[1] के बाग़ होंगे।

18:108

خَـٰلِدِينَ فِيهَا لَا يَبْغُونَ عَنْهَا حِوَلًۭا

खालिदीना फ़ीहा ला यब्गूना अन्हा हिवला
उसमें वे सदावासी होंगे, उसे छोड़कर जाना नहीं चाहेंगे।

18:109

قُل لَّوْ كَانَ ٱلْبَحْرُ مِدَادًۭا لِّكَلِمَـٰتِ رَبِّى لَنَفِدَ ٱلْبَحْرُ قَبْلَ أَن تَنفَدَ كَلِمَـٰتُ رَبِّى وَلَوْ جِئْنَا بِمِثْلِهِۦ مَدَدًۭا

क़ुल लौ कानल बहरू मिदादल लि कलिमाति रब्बी ल नफिदल बहरू क़ब्ला अन तन्फदा कलिमातु रब्बी व लौ जिअ’ना बिमिसलिही मददा
(हे नबी!) आप कह दें कि यदि सागर मेरे पालनहार की बातें लिखने के लिए स्याही बन जायेँ, तो सागर समाप्त हो जायें इससे पहले कि मेरे पालनहार की बातें समाप्त हों, यद्यपि उतनी ही स्याही और ले आयें।

18:110

قُلْ إِنَّمَآ أَنَا۠ بَشَرٌۭ مِّثْلُكُمْ يُوحَىٰٓ إِلَىَّ أَنَّمَآ إِلَـٰهُكُمْ إِلَـٰهٌۭ وَٰحِدٌۭ ۖ فَمَن كَانَ يَرْجُوا۟ لِقَآءَ رَبِّهِۦ فَلْيَعْمَلْ عَمَلًۭا صَـٰلِحًۭا وَلَا يُشْرِكْ بِعِبَادَةِ رَبِّهِۦٓ أَحَدًۢا

क़ुल इन्नमा अना बशरुम मिस्लुकुम यूहा इलैया अन्नमा इलाहुकुम इलाहुव वाहिद, फ़मन काना यरजू लिकाअ रब्बिही फ़ल यअमल अमलन सालिहव वला युशरिक बि इबादति रब्बिही अहदा
आप कह देः मैंतो तुम जैसा एक मनुष्य पुरुष हूँ, मेरी ओर प्रकाशना (वह़्यी) की जाती है कि तुम्हारा पूज्य बस एक ही पूज्य है। अतः, जो अपने पालनहार से मिलने की आशा रखता हो, उसे चाहिए कि सदाचार करे और साझी न बनाये अपने पालनहार की इबादत (वंदना) में किसी को।

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