Surah Al Hijr In Hindi [15:1-15:99]

यह सूरह अल्लाह की कुदरत, उसकी निशानियों और पिछली कौमों के नसीहतों पर ज़ोर देती है। इसमें मुशरिकों को आगाह किया गया है और मोमिनों को जन्नत की खुशखबरी दी गई है। यह मक्का में नाज़िल हुई थी जब मुसलमान बहुत परेशानियों का सामना कर रहे थे। इसलिए इसमें सबर और हौसले की तलकीन की गई है। आखिर में बनी इसराईल की नेमतों का ज़िक्र किया गया है।

सूरह अल हिज्र को हिंदी में पढ़ें

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

15:1

الٓر ۚ تِلْكَ ءَايَـٰتُ ٱلْكِتَـٰبِ وَقُرْءَانٍۢ مُّبِينٍۢ

अलिफ लाम्-रा, तिल-क आयातुल्-किताबि व क़ुंरआनिम्-मुबीन
अलिफ़ लाम रा, ये किताब (अल्लाह) और वाजेए व रौशन क़ुरान की (चन्द) आयते हैं। (पारा 13 समाप्त)

15:2

رُّبَمَا يَوَدُّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَوْ كَانُوا۟ مُسْلِمِينَ

रू-बमा यवद्दुल्लज़ी-न क-फरू लौ कानू मुस्लिमीन
(एक दिन वह भी आने वाला है कि) जो लोग काफिर हो बैठे हैं अक्सर दिल से चाहेंगें।

15:3

ذَرْهُمْ يَأْكُلُوا۟ وَيَتَمَتَّعُوا۟ وَيُلْهِهِمُ ٱلْأَمَلُ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ

ज़र्-हुम् यअ्कुलू व य-त मत्तअू व युल्हिहिमुल्-अ-मलु फ़ सौ-फ यअ्लमून
काश (हम भी) मुसलमान होते (ऐ रसूल) उन्हें उनकी हालत पर रहने दो कि खा पी लें और (दुनिया के चन्द रोज़) चैन कर लें और उनकी तमन्नाएँ उन्हें खेल तमाशे में लगाए रहीं।

15:4

وَمَآ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا وَلَهَا كِتَابٌۭ مَّعْلُومٌۭ

व मा अह़्लक्ना मिन् क़र्यतिन् इल्ला व लहा किताबुम् -मअ्लूम
अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा और हमने कभी कोई बस्ती तबाह नहीं की मगर ये कि उसकी तबाही के लिए (पहले ही से) समझी बूझी मियाद मुक़र्रर लिखी हुयी थी।

15:5

مَّا تَسْبِقُ مِنْ أُمَّةٍ أَجَلَهَا وَمَا يَسْتَـْٔخِرُونَ

मा तस्बिक़ु मिन् उम्मतिन् अ-ज-लहा व मा यस्तख़िरून
कोई उम्मत अपने वक़्त से न आगे बढ़ सकती है न पीछे हट सकती है।

15:6

وَقَالُوا۟ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِى نُزِّلَ عَلَيْهِ ٱلذِّكْرُ إِنَّكَ لَمَجْنُونٌۭ

व क़ालू या अय्युहल्लज़ी नुज़्ज़ि-ल अलैहिज़्ज़िक्रु इन्न-क ल-मज्-नून
(ऐ रसूल कुफ़्फ़ारे मक्का तुमसे) कहते हैं कि ऐ शख़्स (जिसको ये भरम है) कि उस पर ‘वही’ व किताब नाज़िल हुई है तो (अच्छा ख़ासा) सिड़ी है।

15:7

لَّوْ مَا تَأْتِينَا بِٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

लौ मा तअ्तीना बिल्मलाइ-कति इन् कुन्-त मिनस्सादिक़ीन
अगर तू अपने दावे में सच्चा है तो फरिश्तों को हमारे सामने क्यों नहीं ला खड़ा करता।

15:8

مَا نُنَزِّلُ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةَ إِلَّا بِٱلْحَقِّ وَمَا كَانُوٓا۟ إِذًۭا مُّنظَرِينَ

मा नुनज़्ज़िलुल्-मलाइ-क-त इल्ला बिल्हक़्क़ि व मा कानू इज़म्-मुन्ज़रीन
(हालाँकि) हम फरिश्तों को खुल्लम खुल्ला (जिस अज़ाब के साथ) फैसले ही के लिए भेजा करते हैं और (अगर फरिश्ते नाज़िल हो जाए तो) फिर उनको (जान बचाने की) मोहलत भी न मिले।

15:9

إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا ٱلذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَـٰفِظُونَ

इन्ना नह्नु नज़्ज़ल्-नज़्ज़िक्र व इन्ना लहू लहाफिज़ून
बेशक हम ही ने क़ुरान नाजि़ल किया और हम ही तो उसके निगेहबान भी हैं।

15:10

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مِن قَبْلِكَ فِى شِيَعِ ٱلْأَوَّلِينَ

व ल-क़द् अर्सल्ना मिन् क़ब्लि-क फ़ी शि-यअिल्- अव्वलीन
(ऐ रसूल!) हमने तो तुमसे पहले भी अगली उम्मतों में (और भी बहुत से) रसूल भेजे।

15:11

وَمَا يَأْتِيهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ

व मा यअ्तीहिम् मिर्रसूलिन् इल्ला कानू बिही यस्तह्ज़िऊन
और (उनकी भी यही हालत थी कि) उनके पास कोई रसूल न आया मगर उन लोगों ने उसकी हँसी ज़रुर उड़ाई।

15:12

كَذَٰلِكَ نَسْلُكُهُۥ فِى قُلُوبِ ٱلْمُجْرِمِينَ

कज़ालि-क नस्लुकुहू फी क़ुलूबिल्-मुज्रिमीन
हम (गोया खुद) इसी तरह इस (गुमराही) को (उन) गुनाहगारों के दिल में डाल देते हैं।

15:13

لَا يُؤْمِنُونَ بِهِۦ ۖ وَقَدْ خَلَتْ سُنَّةُ ٱلْأَوَّلِينَ

ला युअ्मिनू-न बिही व क़द् ख़लत् सुन्नतुल् अव्वलीन
ये कुफ़्फ़ार इस (क़ुरान) पर इमान न लाएँगें और (ये कुछ अनोखी बात नहीं) अगलों के तरीक़े भी (ऐसे ही) रहें है।

15:14

وَلَوْ فَتَحْنَا عَلَيْهِم بَابًۭا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَظَلُّوا۟ فِيهِ يَعْرُجُونَ

व लौ फ़तह़्ना अलैहिम् बाबम्-मिनस्समा-इ फज़ल्लू फ़ीहि यअ्-रूजून
और अगर हम अपनी कुदरत से आसमान का एक दरवाज़ा भी खोल दें और ये लोग दिन दहाड़े उस दरवाज़े से (आसमान पर) चढ़ भी जाएँ।

15:15

لَقَالُوٓا۟ إِنَّمَا سُكِّرَتْ أَبْصَـٰرُنَا بَلْ نَحْنُ قَوْمٌۭ مَّسْحُورُونَ

लक़ालू इन्नमा सुक्किरत् अब्सारूना बल् नह्नु क़ौमुम् -मस्हूरून
तब भी यहीं कहेगें कि हो न हो हमारी आँखें (नज़र बन्दी से) मतवाली कर दी गई हैं या नहीं तो हम लोगों पर जादू किया गया है।

15:16

وَلَقَدْ جَعَلْنَا فِى ٱلسَّمَآءِ بُرُوجًۭا وَزَيَّنَّـٰهَا لِلنَّـٰظِرِينَ

वल-क़द् जअ़ल्ना फिस्समा-इ बुरूजंव्-व ज़य्यन्नाहा लिन्नाज़िरीन
और हम ही ने आसमान में बुर्ज बनाए और देखने वालों के वास्ते उनके (सितारों से) आरास्ता (सजाया) किया।

15:17

وَحَفِظْنَـٰهَا مِن كُلِّ شَيْطَـٰنٍۢ رَّجِيمٍ

व हफिज़्नाहा मिन् कुल्लि शैतानिर्रजीम
और हर शैतान मरदूद की आमद रफत (आने जाने) से उन्हें महफूज़ रखा।

15:18

إِلَّا مَنِ ٱسْتَرَقَ ٱلسَّمْعَ فَأَتْبَعَهُۥ شِهَابٌۭ مُّبِينٌۭ

इल्ला मनिस्त-रक़स्सम् अ फ़अत्ब-अहू शिहाबुम्- मुबीन
मगर जो शैतान चोरी छिपे (वहाँ की किसी बात पर) कान लगाए तो शहाब का दहकता हुआ शोला उसके (खदेड़ने को) पीछे पड़ जाता है।

15:19

وَٱلْأَرْضَ مَدَدْنَـٰهَا وَأَلْقَيْنَا فِيهَا رَوَٰسِىَ وَأَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ شَىْءٍۢ مَّوْزُونٍۢ

वल्अर्-ज़ मदद्-ना हा व अल्क़ैना फ़ीहा रवासि-य व अम्बत्-ना फ़ीहा मिन् कुल्लि शैइम्-मौज़ून
और ज़मीन को (भी अपने मख़लूक़ात के रहने सहने को) हम ही ने फैलाया और इसमें (कील की तरह) पहाड़ो
के लंगर डाल दिए और हमने उसमें हर किस्म की मुनासिब चीज़े उगाई।

15:20

وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِيهَا مَعَـٰيِشَ وَمَن لَّسْتُمْ لَهُۥ بِرَٰزِقِينَ

व जअ़ल्ना लकुम् फ़ीहा मआ़यि-श व मल्लस्तुम् लहू बिराज़िक़ीन
और हम ही ने उन्हें तुम्हारे वास्ते जि़न्दगी के साज़ों सामान बना दिए और उन जानवरों के लिए भी जिन्हें तुम रोज़ी नहीं देते।

15:21

وَإِن مِّن شَىْءٍ إِلَّا عِندَنَا خَزَآئِنُهُۥ وَمَا نُنَزِّلُهُۥٓ إِلَّا بِقَدَرٍۢ مَّعْلُومٍۢ

व इम्मिन् शैइन् इल्ला अिन्दना ख़ज़ाइनुहू, व मा नुनज़्ज़िलुहू इल्ला बि-क़-दरिम्-मअ्लूम
और हमारे यहाँ तो हर चीज़ के बेशुमार खज़ाने (भरे) पड़े हैं और हम (उसमें से) एक जची तली मिक़दार भेजते रहते है।

15:22

وَأَرْسَلْنَا ٱلرِّيَـٰحَ لَوَٰقِحَ فَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَسْقَيْنَـٰكُمُوهُ وَمَآ أَنتُمْ لَهُۥ بِخَـٰزِنِينَ

व अरसल्नर्रिया-ह लवाक़ि ह फ़ अन्ज़ल्ना मिनस्समा-इ माअन् फ़-अस्क़ैनाकुमूहु, व मा अन्तुम् लहू बिख़ाज़िनीन
और हम ही ने वह हवाएँ भेजी जो बादलों को पानी से (भरे हुए) है फिर हम ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने तुम लोगों को वह पानी पिलाया और तुम लोगों ने तो कुछ उसको जमा करके नहीं रखा था।

15:23

وَإِنَّا لَنَحْنُ نُحْىِۦ وَنُمِيتُ وَنَحْنُ ٱلْوَٰرِثُونَ

व इन्ना ल-नह्नु नुह़्यी व नुमीतु व नह़्नुल्-वारिसून
और इसमें शक नहीं कि हम ही (लोगों को) जिलाते और हम ही मार डालते हैं और (फिर) हम ही (सब के) वाली वारिस हैं।

15:24

وَلَقَدْ عَلِمْنَا ٱلْمُسْتَقْدِمِينَ مِنكُمْ وَلَقَدْ عَلِمْنَا ٱلْمُسْتَـْٔخِرِينَ

व ल-क़द् अ़लिम्-नल्-मुस्तक़्दिमी-न मिन्कुम् व ल-क़ द् अ़लिम्-नल्-मुस्तअ्ख़िरीन
और बेशक हम ही ने तुममें से उन लोगों को भी अच्छी तरह समझ लिया जो पहले हो गुज़रे और हमने उनको भी जान लिया जो बाद को आने वाले हैं।

15:25

وَإِنَّ رَبَّكَ هُوَ يَحْشُرُهُمْ ۚ إِنَّهُۥ حَكِيمٌ عَلِيمٌۭ

व इन्-न रब्ब-क हु-व यह्शुरूहुम्, इन्नहू हकीमुन् अलीम
और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार वही है जो उन सब को (क़यामत में कब्रों से) उठाएगा बेशक वह हिक़मत वाला वाक़िफ़कार है।

15:26

وَلَقَدْ خَلَقْنَا ٱلْإِنسَـٰنَ مِن صَلْصَـٰلٍۢ مِّنْ حَمَإٍۢ مَّسْنُونٍۢ

व ल-क़द् ख़लक़्नल्-इन्सा-न मिन् सल्सालिम् मिन् ह – मइम्-मस्-नू
और बेशक हम ही ने आदमी को ख़मीर (गुंधी) दी हुई सड़ी मिट्टी से जो (सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा किया।

15:27

وَٱلْجَآنَّ خَلَقْنَـٰهُ مِن قَبْلُ مِن نَّارِ ٱلسَّمُومِ

वल्जान्-न ख़लक़्नाहु मिन् क़ब्लु मिन्-नारिस्समूम
और हम ही ने जिन्नात को आदमी से (भी) पहले वे धुएँ की तेज़ आग से पैदा किया।

15:28

وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَـٰٓئِكَةِ إِنِّى خَـٰلِقٌۢ بَشَرًۭا مِّن صَلْصَـٰلٍۢ مِّنْ حَمَإٍۢ مَّسْنُونٍۢ

व इज़् क़ा-ल रब्बु-क लिल्मलाइ-कति इन्नी ख़ालिकुम् ब -शरम्-मिन् सल्सालिम् मिन् ह-मइम्-मस्-नून
और (ऐ रसूल! वह वक़्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने फरिष्तों से कहा कि मैं एक आदमी को खमीर दी हुयी मिट्टी से (जो सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा करने वाला हूँ।

15:29

فَإِذَا سَوَّيْتُهُۥ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِن رُّوحِى فَقَعُوا۟ لَهُۥ سَـٰجِدِينَ

फ़-इज़ा सव्वैतुहू व नफ़ख़्तु फ़ीहि मिर्रूही फ़-क़अू लहू साजिदीन
तो जिस वक़्त मै उसको हर तरह से दुरुस्त कर चुके और उसमें अपनी (तरफ से) रुह फूँक दूँ तो सब के सब उसके सामने सजदे में गिर पड़ना।

15:30

فَسَجَدَ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ

फ़-स-जदल्-मलाइ-कतु कुल्लुहुम् अज्मअून
ग़रज़ फरिश्ते तो सब के सब सर ब सजूद हो गए।

15:31

إِلَّآ إِبْلِيسَ أَبَىٰٓ أَن يَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ

इल्ला इब्ली-स, अबा अंय्यकू न मअ़स्साजिदीन
मगर इबलीस (मलऊन) की उसने सजदा करने वालों के साथ शामिल होने से इन्कार किया।

15:32

قَالَ يَـٰٓإِبْلِيسُ مَا لَكَ أَلَّا تَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ

क़ा-ल या इब्लीसु मा-ल-क अल्ला तकू-न मअस्साजिदीन
(इस पर अल्लाह ने) फरमाया आओ शैतान आखि़र तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करने वालों के साथ शामिल न हुआ।

15:33

قَالَ لَمْ أَكُن لِّأَسْجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقْتَهُۥ مِن صَلْصَـٰلٍۢ مِّنْ حَمَإٍۢ مَّسْنُونٍۢ

क़ा-ल लम् अकुल्-लिअस्जु-द लि-ब-शरिन् ख़लक़्तहू मिन् सल्सालिम्-मिन् ह-मइम्-मस्-नून
वह (ढिठाई से) कहने लगा मैं ऐसा गया गुज़रा तो हूँ नहीं कि ऐसे आदमी को सजदा कर बैठूँ जिसे तूने सड़ी हुयी खन खन बोलने वाली मिट्टी से पैदा किया है।

15:34

قَالَ فَٱخْرُجْ مِنْهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٌۭ

क़ा-ल फख़्-रूज् मिन्हा फ-इन्न-क रजीम
अल्लाह ने फरमाया (नहीं तू) तो बहिश्त से निकल जा (दूर हो) कि बेशक तू मरदूद है।

15:35

وَإِنَّ عَلَيْكَ ٱللَّعْنَةَ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلدِّينِ

व इन्-न अ़लैकल्लअ्-न-त इला यौमिद्दीन
और यक़ीनन तुझ पर रोज़े में जज़ा तक फिटकार बरसा करेगी।

15:36

قَالَ رَبِّ فَأَنظِرْنِىٓ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ

क़ा-ल रब्बि फ़-अन्ज़िरनी इला यौमि युब्अ़सून
शैतान ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार ख़ैर तू मुझे उस दिन तक की मोहलत दे जबकि (लोग दोबारा ज़िन्दा करके) उठाए जाएँगें।

15:37

قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ ٱلْمُنظَرِينَ

क़ा-ल फ़-इन्न-क मिनल-मुन्ज़रीन
अल्लाह ने फरमाया वक़्त मुक़र्रर।

15:38

إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْوَقْتِ ٱلْمَعْلُومِ

इला यौमिल् वक़्तिल्-मअ्लूम
के दिन तक तुझे मोहलत दी गई।

15:39

قَالَ رَبِّ بِمَآ أَغْوَيْتَنِى لَأُزَيِّنَنَّ لَهُمْ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَأُغْوِيَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ

क़ा-ल रब्बि बिमा अग़्वैतनी ल-उज़य्यिनन्-न लहुम् फ़िल्अर्ज़ि व ल-उग़्वियन्नहुम् अज्मईन
उन शैतान ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार चूंकि तूने मुझे रास्ते से अलग किया मैं भी उनके लिए दुनिया में (साज़ व सामान को) उम्दा कर दिखाऊँगा और सबको ज़रुर बहकाऊगा।

15:40

إِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ ٱلْمُخْلَصِينَ

इल्ला अिबाद-क मिन्हुमुल-मुख़्लसीन
मगर उनमें से तेरे निरे खुरे ख़ास बन्दे (कि वह मेरे बहकाने में न आएँगें)।

15:41

قَالَ هَـٰذَا صِرَٰطٌ عَلَىَّ مُسْتَقِيمٌ

क़ा-ल हाज़ा सिरातुन अ़लय्-य मुस्तक़ीम
अल्लाह ने फरमाया कि यही राह सीधी है कि मुझ तक (पहुँचती) है।

15:42

إِنَّ عِبَادِى لَيْسَ لَكَ عَلَيْهِمْ سُلْطَـٰنٌ إِلَّا مَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْغَاوِينَ

इन्-न अिबादी लै-स ल-क अ़लैहिम् सुल्तानुन् इल्ला मनित्त-ब-अ-क मिनल-ग़ावीन
जो मेरे मुख़लिस (ख़ास बन्दे) बन्दे हैं उन पर तुझसे किसी तरह की हुकूमत न होगी मगर हाँ गुमराहों में से जो तेरी पैरवी करे (उस पर तेरा वार चल जाएगा)।

15:43

وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمَوْعِدُهُمْ أَجْمَعِينَ

व इन्-न जहन्न-म लमौअिदुहुम् अज्मईन
और हाँ ये भी याद रहे कि उन सब के वास्ते (आखिरी) वायदा बस जहन्नम है जिसके सात दरवाजे़ होगे।

15:44

لَهَا سَبْعَةُ أَبْوَٰبٍۢ لِّكُلِّ بَابٍۢ مِّنْهُمْ جُزْءٌۭ مَّقْسُومٌ

लहा सब्-अतु अव्वाबिन्, लिकुल्लि बाबिम् मिन्हुम् जुज़् उम्-मक़्सूम
हर (दरवाज़े में जाने) के लिए उन गुमराहों की अलग अलग टोलियाँ होगीं।

15:45

إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى جَنَّـٰتٍۢ وَعُيُونٍ

इन्नल मुत्तक़ी-न फ़ी जन्नातिंव् व अुयून
और परहेज़गार तो बेहष्त के बाग़ों और चाश्मों मे यक़ीनन होंगे।

15:46

ٱدْخُلُوهَا بِسَلَـٰمٍ ءَامِنِينَ

उद्ख़ुलूहा बि-सलामिन् आमिनीन
(दाखि़ले के वक़्त फरिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो।

15:47

وَنَزَعْنَا مَا فِى صُدُورِهِم مِّنْ غِلٍّ إِخْوَٰنًا عَلَىٰ سُرُرٍۢ مُّتَقَـٰبِلِينَ

व नज़अ्ना मा फी सुदूरिहिम् मिन् गिल्लिन् इख़्वानन् अला सुरुरिम् मु-तक़ाबिलीन
और (दुनिया की तकलीफों से) जो कुछ उनके दिल में रंज था उसको भी हम निकाल देगें और ये बाहम एक दूसरे के आमने सामने तख़्तों पर इस तरह बैठे होगें जैसे भाई भाई।

15:48

لَا يَمَسُّهُمْ فِيهَا نَصَبٌۭ وَمَا هُم مِّنْهَا بِمُخْرَجِينَ

ला यमस्सुहुम् फ़ीहा न-सबुंव्व मा हुम् मिन्हा बिमुख़्रजीन
उनको बहिश्त में तकलीफ छुएगी भी तो नहीं और न कभी उसमें से निकाले जाएँगें।

15:49

۞ نَبِّئْ عِبَادِىٓ أَنِّىٓ أَنَا ٱلْغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ

नब्बिअ् अिबादी अन्नी अनल् ग़फूरुर्रहीम
(ऐ रसूल) मेरे बन्दों को आगाह करो कि बेशक मै बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान हूँ।

15:50

وَأَنَّ عَذَابِى هُوَ ٱلْعَذَابُ ٱلْأَلِيمُ

व अन्-न अ़ज़ाबी हुवल् अ़ज़ाबुल अलीम
मगर साथ ही इसके (ये भी याद रहे कि) बेशक मेरा अज़ाब भी बड़ा दर्दनाक अज़ाब है।

15:51

وَنَبِّئْهُمْ عَن ضَيْفِ إِبْرَٰهِيمَ

व नब्बिअ्हुम् अन् ज़ैफ़ि इब्राहीम
और उनको इब्राहीम के मेहमान का हाल सुना दो।

15:52

إِذْ دَخَلُوا۟ عَلَيْهِ فَقَالُوا۟ سَلَـٰمًۭا قَالَ إِنَّا مِنكُمْ وَجِلُونَ

इज़् द-खलू अ़लैहि फ़कालू सलामन्, क़ा-ल इन्ना मिन्कुम् वजिलून
कि जब ये इब्राहीम के पास आए तो (पहले) उन्होंने सलाम किया इब्राहीम ने (जवाब सलाम के बाद) कहा हमको तो तुम से डर मालूम होता है।

15:53

قَالُوا۟ لَا تَوْجَلْ إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَـٰمٍ عَلِيمٍۢ

क़ालू ला तौजल् इन्ना नुबश्शिरू-क बिग़ुलामिन् अ़लीम
उन्होंने कहा आप मुत्तलिक़ ख़ौफ न कीजिए (क्योंकि) हम तो आप को एक (दाना व बीना) फरज़न्द (के पैदाइश) की खुशख़बरी देते हैं।

15:54

قَالَ أَبَشَّرْتُمُونِى عَلَىٰٓ أَن مَّسَّنِىَ ٱلْكِبَرُ فَبِمَ تُبَشِّرُونَ

क़ा-ल अ-बश्शर् तुमूनी अला अम्मस्सनियल्-कि-बरू फबि-म तुबश्शिरून
इब्राहिम ने कहा क्या मुझे ख़ुशख़बरी (बेटा होने की) देते हो जब मुझे बुढ़ापा छा गया।

15:55

قَالُوا۟ بَشَّرْنَـٰكَ بِٱلْحَقِّ فَلَا تَكُن مِّنَ ٱلْقَـٰنِطِينَ

क़ालू बश्शरना-क बिल्हक़्क़ि फ़ला तकुम् मिनल क़ानितीन
तो फिर अब काहे की खुशख़बरी देते हो वह फरिश्ते बोले हमने आप को बिल्कुल ठीक खुशख़बरी दी है तो आप (बारगाह अल्लाह बन्दी से) ना उम्मीद न हो।

15:56

قَالَ وَمَن يَقْنَطُ مِن رَّحْمَةِ رَبِّهِۦٓ إِلَّا ٱلضَّآلُّونَ

क़ा-ल व मंय्यक़्नतु मिर्रह् मति रब्बिही इल्लज़्ज़ाल्लून
इब्राहीम ने कहा गुमराहों के सिवा और ऐसा कौन है जो अपने परवरदिगार की रहमत से ना उम्मीद हो।

15:57

قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا ٱلْمُرْسَلُونَ

क़ा-ल फ़मा ख़त्बुकुम् अय्युहल्-मुर्सलून
(फिर) इब्राहीम ने कहा ऐ (अल्लाह के) भेजे हुए (फरिश्तों) तुम्हें आखि़र क्या मुहिम दर पेश है।

15:58

قَالُوٓا۟ إِنَّآ أُرْسِلْنَآ إِلَىٰ قَوْمٍۢ مُّجْرِمِينَ

क़ालू इन्ना उर्सिल्ना इला क़ौमिम्-मुज्रिमीन
उन्होंने कहा कि हम तो एक गुनाहगार क़ौम की तरफ (अज़ाब नाजि़ल करने के लिए) भेजे गए हैं।

15:59

إِلَّآ ءَالَ لُوطٍ إِنَّا لَمُنَجُّوهُمْ أَجْمَعِينَ

इल्ला आ-ल लूतिन्, इन्ना लमुनज्जूहुम् अज्मईन
मगर लूत के लड़के वाले कि हम उन सबको ज़रुर बचा लेगें मगर उनकी बीबी जिसे हमने ताक लिया है।

15:60

إِلَّا ٱمْرَأَتَهُۥ قَدَّرْنَآ ۙ إِنَّهَا لَمِنَ ٱلْغَـٰبِرِينَ

इल्लम्-र-अ-तहू क़द्दरना इन्नहा लमिनल्-ग़ाबिरीन
कि वह ज़रुर (अपने लड़के बालों के) पीछे (अज़ाब में) रह जाएगी।

15:61

فَلَمَّا جَآءَ ءَالَ لُوطٍ ٱلْمُرْسَلُونَ

फ़-लम्मा जा-अ आ-ल लूति-निल्मुर्सलून
ग़रज़ जब (अल्लाह के) भेजे हुए (फरिश्ते) लूत के बाल बच्चों के पास आए तो लूत ने कहा कि तुम तो (कुछ) अजनबी लोग (मालूम होते हो)।

15:62

قَالَ إِنَّكُمْ قَوْمٌۭ مُّنكَرُونَ

क़ा-ल इन्नकुम् क़ौमुम्-मुन्करून
फरिश्तौं ने कहा (नहीं) बल्कि हम तो आपके पास वह (अज़ाब) लेकर आए हैं।

15:63

قَالُوا۟ بَلْ جِئْنَـٰكَ بِمَا كَانُوا۟ فِيهِ يَمْتَرُونَ

क़ालू बल् जिअ्ना-क बिमा कानू फ़ीहि यम्तरून
जिसके बारे में आपकी क़ौम के लोग शक रखते थे।

15:64

وَأَتَيْنَـٰكَ بِٱلْحَقِّ وَإِنَّا لَصَـٰدِقُونَ

व अतैना-क बिल्हक़्क़ि व इन्ना लसादिक़ून
(कि आए न आए) और हम आप के पास (अज़ाब का) कलई (सही) हुक्म लेकर आए हैं और हम बिल्कुल सच कहते हैं।

15:65

فَأَسْرِ بِأَهْلِكَ بِقِطْعٍۢ مِّنَ ٱلَّيْلِ وَٱتَّبِعْ أَدْبَـٰرَهُمْ وَلَا يَلْتَفِتْ مِنكُمْ أَحَدٌۭ وَٱمْضُوا۟ حَيْثُ تُؤْمَرُونَ

फ़-अस्रि बिअह़्लि-क बिक़ित्अिम् मिनल्लैलि वत्तबिअ् अद्-बा रहुम् व ला यल्तफित् मिन्कुम अ-हदुंव्वम्ज़ू हैसु तुअ्मरून
बस तो आप कुछ रात रहे अपने लड़के बालों को लेकर निकल जाइए और आप सब के सब पीछे रहिएगा और उन लोगों में से कोई मुड़कर पीछे न देखे और जिधर (जाने) का हुक्म दिया गया है (शाम) उधर (सीधे) चले जाओ और हमने लूत के पास इस अम्र का क़तई फैसला कहला भेजा।

15:66

وَقَضَيْنَآ إِلَيْهِ ذَٰلِكَ ٱلْأَمْرَ أَنَّ دَابِرَ هَـٰٓؤُلَآءِ مَقْطُوعٌۭ مُّصْبِحِينَ

व क़ज़ैना इलैहि ज़ालिकल्-अम्-र अन्-न दाबि-र हाउला-इ मक़्तूअुम्-मुस्बिहीन
कि बस सुबह होते होते उन लोगों की जड़ काट डाली जाएगी।

15:67

وَجَآءَ أَهْلُ ٱلْمَدِينَةِ يَسْتَبْشِرُونَ

व जा-अ अह़्लुल-मदीनति यस्तब्शिरून
और (ये बात हो रही थीं कि) शहर के लोग (मेहमानों की ख़बर सुन कर बुरी नीयत से) खुशियाँ मनाते हुए आ पहुँचे।

15:68

قَالَ إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ ضَيْفِى فَلَا تَفْضَحُونِ

क़ा-ल इन्-न हाउला-इ ज़ैफ़ी फ़ला तफ़्ज़हून
लूत ने (उनसे कहा) कि ये लोग मेरे मेहमान है तो तुम (इन्हें सताकर) मुझे रुसवा बदनाम न करो।

15:69

وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَلَا تُخْزُونِ

वत्तक़ुल्ला-ह व ला तुख़्ज़ून
और अल्लाह से डरो और मुझे ज़लील न करो।

15:70

قَالُوٓا۟ أَوَلَمْ نَنْهَكَ عَنِ ٱلْعَـٰلَمِينَ

क़ालू अ-व लम् नन्ह-क अनिल्-आ़लमीन
वह लोग कहने लगे क्यों जी हमने तुम को सारे जहाँन के लोगों (के आने) की मनाही नहीं कर दी थी।

15:71

قَالَ هَـٰٓؤُلَآءِ بَنَاتِىٓ إِن كُنتُمْ فَـٰعِلِينَ

क़ा-ल हाउला-इ बनाती इन् कुन्तुम् फ़ाअिलीन
लूत ने कहा अगर तुमको (ऐसा ही) करना है तो ये मेरी क़ौम की बेटियाँ मौजूद हैं।

15:72

لَعَمْرُكَ إِنَّهُمْ لَفِى سَكْرَتِهِمْ يَعْمَهُونَ

ल-अम्-रूक इन्नहुम् लफी सक् र-तिहिम् यअ्महून
(इनसे निकाह कर लो) ऐ रसूल तुम्हारी जान की कसम ये लोग (क़ौम लूत) अपनी मस्ती में मदहोश हो रहे थे।

15:73

فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّيْحَةُ مُشْرِقِينَ

फ़ अ ख़ज़त्हुमुस्सैहतु मुश्रिक़ीन
(लूत की सुनते काहे को) ग़रज़ सूरज निकलते निकलते उनको (बड़े ज़ोरो की) चिघाड़ न ले डाला।

15:74

فَجَعَلْنَا عَـٰلِيَهَا سَافِلَهَا وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ حِجَارَةًۭ مِّن سِجِّيلٍ

फ़-जअ़ल्ना आ़लि-यहा साफि-लहा व अम्तर्ना अ़लैहिम् हिजा रतम् मिन सिज्जील
फिर हमने उसी बस्ती को उलट कर उसके ऊपर के तबके़ को नीचे का तबक़ा बना दिया और उसके ऊपर उन पर खरन्जे के पत्थर बरसा दिए इसमें शक नहीं कि इसमें (असली बात के) ताड़ जाने वालों के लिए (कुदरते अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं।

15:75

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّلْمُتَوَسِّمِينَ

इन्-न फ़ी-ज़ालि-क लआयातिल् लिल्-मु-तवस्सिमीन
और वह उलटी हुयी बस्ती हमेशा (की आमदरफ्त)।

15:76

وَإِنَّهَا لَبِسَبِيلٍۢ مُّقِيمٍ

व इन्नहा लबि-सबीलिम् मुक़ीम
के रास्ते पर है।

15:77

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ لِّلْمُؤْمِنِينَ

इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआ-यतल् लिल्मुअ्मिनीन
इसमें तो शक हीं नहीं कि इसमें ईमानदारों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है।

15:78

وَإِن كَانَ أَصْحَـٰبُ ٱلْأَيْكَةِ لَظَـٰلِمِينَ ٧٨

व इन् का-न अस्हाबुल-ऐ कति लज़ालिमीन
और एैका के रहने वाले (क़ौमे शोएब की तरह बड़े सरकश थे)।

15:79

فَٱنتَقَمْنَا مِنْهُمْ وَإِنَّهُمَا لَبِإِمَامٍۢ مُّبِينٍۢ

फ़न्त-क़म्-ना मिन्हुम • व इन्नहुमा लबि-इमामिम्-मुबीन
तो उन से भी हमने (नाफरमानी का) बदला लिया और ये दो बस्तियाँ (क़ौमे लूत व शोएब की) एक खुली हुयी शह राह पर (अभी तक मौजूद) हैं।

15:80

وَلَقَدْ كَذَّبَ أَصْحَـٰبُ ٱلْحِجْرِ ٱلْمُرْسَلِينَ

व ल-क़द् कज़्ज़-ब अस्हाबुल हिज्रिल्-मुर्सलीन
और इसी तरह हिज्र के रहने वालों (क़ौम सालेह ने भी) पैग़म्बरों को झुठलाया।

15:81

وَءَاتَيْنَـٰهُمْ ءَايَـٰتِنَا فَكَانُوا۟ عَنْهَا مُعْرِضِينَ

व आतैनाहुम् आयातिना फ़कानू अ़न्हा मुअ्-रिज़ीन
और (बावजूद कि) हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दी उस पर भी वह लोग उनसे रद गिरदानी करते रहे।

15:82

وَكَانُوا۟ يَنْحِتُونَ مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًا ءَامِنِينَ

व कानू यन्हितू-न मिनल्-जिबालि बुयूतन् आमिनीन
और बहुत दिल जोई से पहाड़ों को तराश कर घर बनाते रहे।

15:83

فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّيْحَةُ مُصْبِحِينَ

फ़ अ ख़ज़त्हुमुस्सैहतु मुस्बिहीन
आखि़र उनके सुबह होते होते एक बड़ी (जोरों की) चिंघाड़ ने ले डाला।

15:84

فَمَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يَكْسِبُونَ

फ़मा अ़ग्-ना अ़न्हुम् मा कानू यक्सिबून
फिर जो कुछ वह अपनी हिफाज़त की तदबीर किया करते थे (अज़ाब ख़ुदा से बचाने में) कि कुछ भी काम न आयीं।

15:85

وَمَا خَلَقْنَا ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَآ إِلَّا بِٱلْحَقِّ ۗ وَإِنَّ ٱلسَّاعَةَ لَـَٔاتِيَةٌۭ ۖ فَٱصْفَحِ ٱلصَّفْحَ ٱلْجَمِيلَ

व मा ख़लक़्नस्समावाति वल्अर्-ज़ व मा बैनहुमा इल्ला बिल्हक़्क़ि, व इन्नस्सा-अ-त लआति-यतुन् फ़स्फ़हिस्सफ़्हल-जमील
और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उन दोनों के दरम्यिान में है हिकमत व मसलहत से पैदा किया है और क़यामत यक़ीनन ज़रुर आने वाली है तो तुम (ऐ रसूल) उन काफिरों से शाइस्ता उनवान (अच्छे बरताव) के साथ दर गुज़र करो।

15:86

إِنَّ رَبَّكَ هُوَ ٱلْخَلَّـٰقُ ٱلْعَلِيمُ

इन्-न रब्ब-क हुवल् ख़ल्लाक़ुल-अ़लीम 
इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बड़ा पैदा करने वाला है।

15:87

وَلَقَدْ ءَاتَيْنَـٰكَ سَبْعًۭا مِّنَ ٱلْمَثَانِى وَٱلْقُرْءَانَ ٱلْعَظِيمَ

व ल क़द् आतैना-क सब्अम् मिनल्-मसानी वल्क़ुर्आनल् अ़ज़ीम
(बड़ा दाना व बीना है) और हमने तुमको सबअे मसानी (सूरे हम्द) और क़ुरान अज़ीम अता किया है।

15:88

لَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًۭا مِّنْهُمْ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَٱخْفِضْ جَنَاحَكَ لِلْمُؤْمِنِينَ

ला तमुद्दन्-न ऐनै-क इला मा मत्तअ्ना बिही अज़्वाजम् मिन्हुम् व ला तह्ज़न् अ़लैहिम् वख़्फिज़् जनाह-क लिल्मुअ्मिनीन
और हमने जो उन कुफ्फारों में से कुछ लोगों को (दुनिया की) माल व दौलत से निहाल कर दिया है तुम उसकी तरफ हरगिज़ नज़र भी न उठाना और न उनकी (बेदीनी) पर कुछ अफसोस करना और इमानदारों से (अगरचे ग़रीब हो) झुककर मिला करो और कहा दो कि मै तो (अज़ाबे ख़ुदा से) सरीही तौर से डराने वाला हूँ।

15:89

وَقُلْ إِنِّىٓ أَنَا ٱلنَّذِيرُ ٱلْمُبِينُ

व क़ुल इन्नी अनन्नज़ीरूल मुबीन
(ऐ रसूल) उन कुफ्फारों पर इस तरह अज़ाब नाजि़ल करेगें जिस तरह हमने उन लोगों पर नाजि़ल किया।

15:90

كَمَآ أَنزَلْنَا عَلَى ٱلْمُقْتَسِمِينَ

कमा अन्ज़ल्ना अलल्-मुक़्तसिमीन
जिन्होंने क़ुरान को बाँट कर टुकडे़ टुकड़े कर डाला।

15:91

ٱلَّذِينَ جَعَلُوا۟ ٱلْقُرْءَانَ عِضِينَ

अल्लज़ी-न ज अ़लुल्-क़ुरआ-न अिज़ीन
(बाज़ को माना बाज को नहीं) तो ऐ रसूल तुम्हारे ही परवरदिगार की (अपनी) क़सम।

15:92

فَوَرَبِّكَ لَنَسْـَٔلَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ

फ़-वरब्बि-क लनस्-अलन्नहुम् अज्मईन
कि हम उनसे जो कुछ ये (दुनिया में) किया करते थे (बहुत सख़्ती से) ज़रुर बाज़ पुर्स (पुछताछ) करेंगे।

15:93

عَمَّا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

अ़म्मा कानू यअ्मलून
पस जिसका तुम्हें हुक्म दिया गया है उसे वाजेए करके सुना दो।

15:94

فَٱصْدَعْ بِمَا تُؤْمَرُ وَأَعْرِضْ عَنِ ٱلْمُشْرِكِينَ

फ़स्दअ् बिमा तुअ्मरू व अअ्-रिज़् अ़निल्-मुश्रिकीन
और मुश्रिकिन की तरफ से मुँह फेर लो।

15:95

إِنَّا كَفَيْنَـٰكَ ٱلْمُسْتَهْزِءِينَ

इन्ना कफ़ैनाकल्-मुस्तह़्ज़िईन
जो लोग तुम्हारी हँसी उड़ाते है।

15:96

ٱلَّذِينَ يَجْعَلُونَ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ ۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ

अल्लज़ी-न यज्अ़लू-न मअ़ल्लाहि इलाहन् आ-ख-र, फ़सौ-फ़ यअ्लमून
और ख़ुदा के साथ दूसरे परवरदिगार को (शरीक) ठहराते हैं हम तुम्हारी तरफ से उनके लिए काफी हैं तो अनक़रीब ही उन्हें मालूम हो जाएगा।

15:97

وَلَقَدْ نَعْلَمُ أَنَّكَ يَضِيقُ صَدْرُكَ بِمَا يَقُولُونَ

वल-क़द् नअ्लमु अन्न-क यज़ीक़ु सद्रू-क बिमा यक़ूलून
कि तुम जो इन (कुफ्फारों मुनाफिक़ीन) की बातों से दिल तंग होते हो उसको हम ज़रुर जानते हैं।

15:98

فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَكُن مِّنَ ٱلسَّـٰجِدِينَ

फ़-सब्बिह् बिहम्दि रब्बि-क व कुम् मिनस्-साजिदीन
तो तुम अपने परवरदिगार की हम्दो सना से उसकी तस्बीह करो और (उसकी बारगाह में) सजदा करने वालों में हो जाओ।

15:99

وَٱعْبُدْ رَبَّكَ حَتَّىٰ يَأْتِيَكَ ٱلْيَقِينُ

वअ्बुद् रब्ब-क हत्ता यअ्ति-यकल्-यक़ीन
और जब तक तुम्हारे पास मौत आए अपने परवरदिगार की इबादत में लगे रहो।

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