Surah Al Hajj In Hindi [22:1 – 22:78]

Surah Al Hajj Quran ki 22wi surah hai, jismein 78 ayat hain. Is surah ka naam “Hajj” hai, jiska matlab hai “pavitra yatra”.

Surah Al Hajj ke kuchh mukhya vishay hain:

  • Hajj ka ahmiyat: Surah Hajj me Hajj ke ahmiyat aur uski vidhiyon ke baare me tafsil se bayan kiya gaya hai.
  • Iman aur Taqwa ki ahmiyat: Surah Hajj me iman aur taqwa ki ahmiyat par bhi zor diya gaya hai.
  • Allah ki ibadat aur shukrguzari: Surah Hajj me Allah ki ibadat aur shukrguzari ki taqeed ki gai hai.
  • Insanon ki ekta: Surah Hajj me insanon ki ekta aur iqbalshiari ka bhi zikr kiya gaya hai.

सूरह अल हज हिंदी में पढ़ें

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

22:1

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱتَّقُوا۟ رَبَّكُمْ ۚ إِنَّ زَلْزَلَةَ ٱلسَّاعَةِ شَىْءٌ عَظِيمٌۭ

या अय्युहन्नासुत्तकू रब्बकुम् इन् – न जल्ज़ लतस्सा – अति शैउन् अ़ज़ीम
ऐ लोगों अपने परवरदिगार से डरते रहो (क्योंकि) क़यामत का ज़लज़ला (कोई मामूली नहीं) एक बड़ी (सख़्त) चीज़ है।

22:2

يَوْمَ تَرَوْنَهَا تَذْهَلُ كُلُّ مُرْضِعَةٍ عَمَّآ أَرْضَعَتْ وَتَضَعُ كُلُّ ذَاتِ حَمْلٍ حَمْلَهَا وَتَرَى ٱلنَّاسَ سُكَـٰرَىٰ وَمَا هُم بِسُكَـٰرَىٰ وَلَـٰكِنَّ عَذَابَ ٱللَّهِ شَدِيدٌۭ

यौ – म तरौनहा तज़्हलु कुल्लु मुर्जि – अ़तिन् अ़म्मा – अरज़ – अ़त् व त – ज़ अु कुल्लु ज़ाति – हम्लिन् हम्लहा व तरन्ना – स सुकारा व मा हुम् बिसुकारा व लाकिन् – न अ़ज़ाबल्लाहि शदीद
जिस दिन तुम उसे देख लोगे तो हर दूध पिलाने वाली (डर के मारे) अपने दूध पीते (बच्चे) को भूल जायेगी और सारी हामला औरते अपने-अपने हमल (दैहशत से) गिरा देगी और (घबराहट में) लोग तुझे मतवाले मालूम होंगे हालाँकि वह मतवाले नहीं हैं बल्कि अल्लाह का अज़ाब बहुत सख़्त है कि लोग बदहवास हो रहे हैं।

22:3

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن يُجَـٰدِلُ فِى ٱللَّهِ بِغَيْرِ عِلْمٍۢ وَيَتَّبِعُ كُلَّ شَيْطَـٰنٍۢ مَّرِيدٍۢ

व मिनन्नासि मंय्युजादिलु फ़िल्लाहि बिग़ैरि अिल्मिंव् – व यत्तबिअु कुल् – ल शैतानिम् – मरीद
और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बग़ैर जाने अल्लाह के बारे में (ख़्वाहम ख़्वाह) झगड़ते हैं और हर सरकश शैतान के पीछे हो लेते हैं।

22:4

كُتِبَ عَلَيْهِ أَنَّهُۥ مَن تَوَلَّاهُ فَأَنَّهُۥ يُضِلُّهُۥ وَيَهْدِيهِ إِلَىٰ عَذَابِ ٱلسَّعِيرِ

कुति – ब अ़लैहि अन्नहू मन् तवल्लाहु फ़ – अन्नहू युज़िल्लुहू व यह्दीहि इला अ़ज़ाबिस्स ईर
जिन (की पेशानी) के ऊपर (ख़ते तक़दीर से) लिखा जा चुका है कि जिसने उससे दोस्ती की हो तो ये यक़ीनन उसे गुमराह करके छोड़ेगा और दोज़क़ के अज़ाब तक पहुँचा देगा।

22:5

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِن كُنتُمْ فِى رَيْبٍۢ مِّنَ ٱلْبَعْثِ فَإِنَّا خَلَقْنَـٰكُم مِّن تُرَابٍۢ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍۢ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍۢ ثُمَّ مِن مُّضْغَةٍۢ مُّخَلَّقَةٍۢ وَغَيْرِ مُخَلَّقَةٍۢ لِّنُبَيِّنَ لَكُمْ ۚ وَنُقِرُّ فِى ٱلْأَرْحَامِ مَا نَشَآءُ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى ثُمَّ نُخْرِجُكُمْ طِفْلًۭا ثُمَّ لِتَبْلُغُوٓا۟ أَشُدَّكُمْ ۖ وَمِنكُم مَّن يُتَوَفَّىٰ وَمِنكُم مَّن يُرَدُّ إِلَىٰٓ أَرْذَلِ ٱلْعُمُرِ لِكَيْلَا يَعْلَمَ مِنۢ بَعْدِ عِلْمٍۢ شَيْـًۭٔا ۚ وَتَرَى ٱلْأَرْضَ هَامِدَةًۭ فَإِذَآ أَنزَلْنَا عَلَيْهَا ٱلْمَآءَ ٱهْتَزَّتْ وَرَبَتْ وَأَنۢبَتَتْ مِن كُلِّ زَوْجٍۭ بَهِيجٍۢ

या अय्युहन्नासु इन् कुन्तुम् फी रैबिम् मिनल – बअ्सि फ़ -इन्ना ख़लक़्नाकुम् मिन् तुराबिन् सुम् – म मिन् नुत्फ़तिन् सुम् – म मिन् अ – ल – क़तिन् सुम् – म मिम् मुज् – ग़तिम् मुख़ल्ल – क़तिंव् – व ग़ैरि मुख़ल्ल – क़तिल लिनुबय्यि – न लकुम्, व नुकिरू फिल् अरहामि मा नशा – उ इला अ – जलिम् – मुसम्मन् सुम् – म नुखरिजुकुम् तिफ़्लन् सुम्म लितब्लुगू अशुद्दकुम् व मिन्कुम् मंय्यु – तवफ़्फा व मिन्कुम् मंय्युरद्दु इला अरज़लिल् -अुमुरि लिकैला यअ्ल – म मिम् – बअ्दि अिल्मिन् शैअन्, व तरल् अर्-ज़ हामि-दतन् फ़-इज़ा अन्ज़ल्ना अ़लैहल् मा – अह्तज़्ज़त् व रबत् व अम्ब – तत् मिन् कुल्लि ज़ौजिम् बहीज
लोगों अगर तुमको (मरने के बाद) दोबारा जी उठने में किसी तरह का शक है तो इसमें शक नहीं कि हमने तुम्हें शुरू-शुरू मिट्टी से उसके बाद नुत्फे से उसके बाद जमे हुए ख़ून से फिर उस लोथड़े से जो पूरा (सूडौल) हो या अधूरा हो पैदा किया ताकि तुम पर (अपनी कु़दरत) ज़ाहिर करें (फिर तुम्हारा दोबारा जि़न्दा) करना क्या मुश्किल है और हम औरतों के पेट में जिस (नुत्फे) को चाहते हैं एक मुद्दत मुअय्यन तक ठहरा रखते हैं फिर तुमको बच्चा बनाकर निकालते हैं फिर (तुम्हें पालते हैं) ताकि तुम अपनी जवानी को पहुँचो और तुममें से कुछ लोग तो ऐसे हैं जो (क़ब्ल बुढ़ापे के) मर जाते हैं और तुम में से कुछ लोग ऐसे हैं जो नाकारा जि़न्दगी बुढ़ापे तक फेर लाए जाते हैं ताकि समझने के बाद सठिया के कुछ भी (ख़ाक) न समझ सकें और तो ज़मीन को मुर्दा (बेकार उफ़तदाह) देख रहा है फिर जब हम उस पर पानी बरसा देते हैं तो लहलहाने और उभरने लगती है और हर तरह की ख़ु़शनुमा चीज़ें उगती है तो ये क़ुदरत के तमाशे इसलिए दिखाते हैं ताकि तुम जानो।

22:6

ذَٰلِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلْحَقُّ وَأَنَّهُۥ يُحْىِ ٱلْمَوْتَىٰ وَأَنَّهُۥ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ

ज़ालि-क बिअन्नल्ला-ह हुवल्-हक़्कु व अन्नहू युह़्यिल्-मौता व अन्नहू अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर
कि बेशक अल्लाह बरहक़ है और (ये भी कि) बेशक वही मुर्दों को जिलाता है और वह यक़ीनन हर चीज़ पर क़ादिर है।

22:7

وَأَنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِيَةٌۭ لَّا رَيْبَ فِيهَا وَأَنَّ ٱللَّهَ يَبْعَثُ مَن فِى ٱلْقُبُورِ

व अन्नस्सा-अ़-त आति-यतुल्-ला रै-ब फ़ीहा व अन्नल्ला-ह यब् अ़सु मन फ़िल्कुबूर
और क़यामत यक़ीनन आने वाली है इसमें कोई शक नहीं और बेशक जो लोग क़ब्रों में हैं उनको अल्लाह दोबारा जि़न्दा करेगा।

22:8

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن يُجَـٰدِلُ فِى ٱللَّهِ بِغَيْرِ عِلْمٍۢ وَلَا هُدًۭى وَلَا كِتَـٰبٍۢ مُّنِيرٍۢ

व मिनन्नासि मंय्युजादिलु फ़िल्लाहि बिग़ैरि अिल्मिंव- व ला हुदंव्-व ला किताबिम्-मुनीर
और लोगों में से कुछ ऐसे भी है जो बेजाने बूझे बे हिदायत पाए बगै़र रौशन किताब के (जो उसे राह बताए) अल्लाह की आयतों से मुँह मोड़े।

22:9

ثَانِىَ عِطْفِهِۦ لِيُضِلَّ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ ۖ لَهُۥ فِى ٱلدُّنْيَا خِزْىٌۭ ۖ وَنُذِيقُهُۥ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ عَذَابَ ٱلْحَرِيقِ

सानि-य अित्फ़िही लियुज़िल्-ल अन् सबीलिल्लाहि, लहू फिद्दुन्या ख़िज्युंव- व नुज़ीकुहू यौमल कियामति अ़ज़ाबल-हरीक़
(ख़्वाहम ख़्वाह) अल्लाह के बारे में लड़ने मरने पर तैयार है ताकि (लोगों को) अल्लाह की राह से बहका दे ऐसे (ना बुकार) के लिए दुनिया में (भी) रूसवाई है और क़यामत के दिन (भी) हम उसे जहन्नुम के अज़ाब (का मज़ा) चखाएँगे।

22:10

ذَٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ يَدَاكَ وَأَنَّ ٱللَّهَ لَيْسَ بِظَلَّـٰمٍۢ لِّلْعَبِيدِ

ज़ालि- क बिमा कद्द-मत् यदा-क व अन्नल्ला-ह लै-स बिज़ल्लामिल लिल्अ़बीद
और उस वक़्त उससे कहा जाएगा कि ये उन आमाल की सज़ा है जो तेरे हाथों ने पहले से किए हैं और बेशक अल्लाह बन्दों पर हरगिज़ जु़ल्म नहीं करता।

22:11

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن يَعْبُدُ ٱللَّهَ عَلَىٰ حَرْفٍۢ ۖ فَإِنْ أَصَابَهُۥ خَيْرٌ ٱطْمَأَنَّ بِهِۦ ۖ وَإِنْ أَصَابَتْهُ فِتْنَةٌ ٱنقَلَبَ عَلَىٰ وَجْهِهِۦ خَسِرَ ٱلدُّنْيَا وَٱلْـَٔاخِرَةَ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلْخُسْرَانُ ٱلْمُبِينُ

व मिनन्नासि मंय्य अ्बुदुल्ला-ह अ़ला हरफिन् फ-इन् असा – बहू ख़ैरू नित्म अन् न बिही व इन् असाबत्हु फ़ितनतु – निन्क़ – ल – ब अ़ला वज्हिही, ख़सिरद् दुन्या वल्आख़िर-त, ज़ालि-क हुवल खुस्रानुल मुबीन
और लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं जो एक किनारे पर (खड़े होकर) अल्लाह की इबादत करता है तो अगर उसको कोई फायदा पहुँच गया तो उसकी वजह से मुतमईन हो गया और अगर कहीं उस कोई मुसीबत छू भी गयी तो (फौरन) मुँह फेर के (कुफ़्र की तरफ़) पलट पड़ा उसने दुनिया और आखे़रत (दोनों) का घाटा उठाया यही तो सरीही घाटा है।

22:12

يَدْعُوا۟ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا يَضُرُّهُۥ وَمَا لَا يَنفَعُهُۥ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلضَّلَـٰلُ ٱلْبَعِيدُ

यद्अूमिन् दूनिल्लाहि मा ला यजुर्रुहू व मा ला यन्फअहू, ज़ालि- क हुवज़्ज़लालुल – बईद
अल्लाह को छोड़कर उन चीज़ों को (हाजत के वक़्त) बुलाता है जो न उसको नुक़सान ही पहुँचा सकते हैं और न कुछ नफ़ा ही पहुँचा सकते हैं।

22:13

يَدْعُوا۟ لَمَن ضَرُّهُۥٓ أَقْرَبُ مِن نَّفْعِهِۦ ۚ لَبِئْسَ ٱلْمَوْلَىٰ وَلَبِئْسَ ٱلْعَشِيرُ

यद्अू ल – मन् ज़र्रूहू अक़रबु मिन् नफ़अिही, लबिअ्सल्- मौला व लबिअ्सल्- अ़शीर
यही तो पल्ले दर्जे की गुमराही है और उसको अपनी हाजत रवाई के लिए पुकारता है जिस का नुक़सान उसके नफ़े से ज़्यादा क़रीब है बेशक ऐसा मालिक भी बुरा और ऐसा रफीक़ भी बुरा।

22:14

إِنَّ ٱللَّهَ يُدْخِلُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ جَنَّـٰتٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ يَفْعَلُ مَا يُرِيدُ

इन्नल्ला-ह युद्खिलुल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति जन्नातिन् तज्री मिन् तह्तिहल – अन्हारू, इन्नल्ला-ह यफ़अलु मा युरीद
बेशक जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको (अल्लाह बेहश्त के) उन (हरे-भरे) बाग़ात में ले जाकर दाखि़ल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होगीं बेशक अल्लाह जो चाहता है करता है।

22:15

مَن كَانَ يَظُنُّ أَن لَّن يَنصُرَهُ ٱللَّهُ فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْـَٔاخِرَةِ فَلْيَمْدُدْ بِسَبَبٍ إِلَى ٱلسَّمَآءِ ثُمَّ لْيَقْطَعْ فَلْيَنظُرْ هَلْ يُذْهِبَنَّ كَيْدُهُۥ مَا يَغِيظُ

मन् का-न यजुन्नु अल्लंय्यन्सु – रहुल्लाहु फ़िद्दुन्या वल्-आख़िरति फ़ल्यम्दुद् बि-स-बबिन् इलस्समा-इ सुम्मल्-यक्त फ़ल्यन्जुर् हल् युज्हिबन्-न कैदुहू मा यगीज़
जो शख़्स (गु़स्से में) ये बदगुमानी करता है कि दुनिया और आख़ेरत में अल्लाह उसकी हरगि़ज मदद न करेगा तो उसे चाहिए कि आसमान तक रस्सी ताने (और अपने गले में फाँसी डाल दे) फिर उसे काट दे (ताकि घुट कर मर जाए) फिर देखिए कि जो चीज़ उसे गुस्से में ला रही थी उसे उसकी तदबीर दूर दफ़ा कर देती है।

22:16

وَكَذَٰلِكَ أَنزَلْنَـٰهُ ءَايَـٰتٍۭ بَيِّنَـٰتٍۢ وَأَنَّ ٱللَّهَ يَهْدِى مَن يُرِيدُ

व कज़ालि-क अन्ज़ल्नाहु आयातिम्-बय्यिनातिंव्-व अन्नल्ला ह यह्दी मंय्युरीद
(या नहीं) और हमने इस कु़रआन को यूँ ही वाजे़ए व रौशन निशानियाँ (बनाकर) नाजि़ल किया और बेशक अल्लाह जिसकी चाहता है हिदायत करता है।

22:17

إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَٱلَّذِينَ هَادُوا۟ وَٱلصَّـٰبِـِٔينَ وَٱلنَّصَـٰرَىٰ وَٱلْمَجُوسَ وَٱلَّذِينَ أَشْرَكُوٓا۟ إِنَّ ٱللَّهَ يَفْصِلُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ شَهِيدٌ

इन्नल्लज़ी-न आमनू वल्लज़ी-न हादू वस्साबिई-न वन्नसारा वल्मजू-स वल्लज़ी-न अश्रकू इन्नल्ला-ह यफ़्सिलु बैनहुम् यौमल् कियामति, इन्नल्ला-ह अ़ला कुल्लि शैइन्, शहीद
इसमें शक नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया (मुसलमान) और यहूदी और लामज़हब लोग और नुसैरा और मजूसी (आतिशपरस्त) और मुशरेकीन (कुफ़्फ़ार) यक़ीनन अल्लाह उन लोगों के दरमियान क़यामत के दिन (ठीक ठीक) फ़ैसला कर देगा इसमें शक नहीं कि अल्लाह हर चीज़ को देख रहा है।

22:18

أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ يَسْجُدُ لَهُۥ مَن فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَن فِى ٱلْأَرْضِ وَٱلشَّمْسُ وَٱلْقَمَرُ وَٱلنُّجُومُ وَٱلْجِبَالُ وَٱلشَّجَرُ وَٱلدَّوَآبُّ وَكَثِيرٌۭ مِّنَ ٱلنَّاسِ ۖ وَكَثِيرٌ حَقَّ عَلَيْهِ ٱلْعَذَابُ ۗ وَمَن يُهِنِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِن مُّكْرِمٍ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ يَفْعَلُ مَا يَشَآءُ ۩

अलम् त – र अन्नल्ला – ह यस्जुदु लहू मन् फ़िस्समावाति व मन् फ़िल्अर्ज़ि वश्शम्सु वल्क़ – मरू वन्नुजूमु वल्जिबालु वश्श-जरू वद्दवाब्बु व कसीरूम मिनन्-नासि, व कसीरून् हक् – क़ अलैहिल – अ़ज़ाबु, व मंय्युहिनिल्लाहु फ़मा लहू मिम्-मुक्रिमिन्, इन्नल्ला-ह यफ्अलु मा यशा-उ  *सज़्दा*
क्या तुमने इसको भी नहीं देखा कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं और आफताब और माहताब और सितारे और पहाड़ और दरख़्त और चारपाए (ग़रज़ कुल मख़लूक़ात) और आदमियों में से बहुत से लोग सब अल्लाह ही को सजदा करते हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जिन पर नाफ़रमानी की वजह से अज़ाब का (का आना) लाजि़म हो चुका है और जिसको अल्लाह ज़लील करे फिर उसका कोई इज़्ज़त देने वाला नहीं कुछ शक नहीं कि अल्लाह जो चाहता है करता है।

22:19

۞ هَـٰذَانِ خَصْمَانِ ٱخْتَصَمُوا۟ فِى رَبِّهِمْ ۖ فَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ قُطِّعَتْ لَهُمْ ثِيَابٌۭ مِّن نَّارٍۢ يُصَبُّ مِن فَوْقِ رُءُوسِهِمُ ٱلْحَمِيمُ

हाज़ानि ख़स्मानिख़्त समू फ़ी रब्बिहिम्, फ़ल्लज़ी-न क-फरू कुत्तिअ़त् लहुम् सियाबुम् – मिन् नारिन्, युसब्बु मिन् फ़ौकि-रूऊसिहिमुल- हमीम
ये दोनों (मोमिन व काफिर) दो फरीक़ हैं आपस में अपने परवरदिगार के बारे में लड़ते हैं ग़रज़ जो लोग काफि़र हो बैठे उनके लिए तो आग के कपड़े क़तअ किए गए हैं (वह उन्हें पहनाए जाएँगें और) उनके सरों पर खौलता हुआ पानी उँडेला जाएगा।

22:20

يُصْهَرُ بِهِۦ مَا فِى بُطُونِهِمْ وَٱلْجُلُودُ

युस्हरू बिही मा फी बुतूनिहिम् वल्जुलूद
जिस (की गर्मी) से जो कुछ उनके पेट में है (आँतें वग़ैरह) और खालें सब गल जाएँगी।

22:21

وَلَهُم مَّقَـٰمِعُ مِنْ حَدِيدٍۢ

व लहुम् मक़ामिअु मिन् हदीद
और उनके (मारने के) लिए लोहे के गुर्ज़ होंगे।

22:22

كُلَّمَآ أَرَادُوٓا۟ أَن يَخْرُجُوا۟ مِنْهَا مِنْ غَمٍّ أُعِيدُوا۟ فِيهَا وَذُوقُوا۟ عَذَابَ ٱلْحَرِيقِ

कुल्लमा अरादू अंय्यख़रूजू मिन्हा मिन् ग़म्मिन् उईदू फ़ीहा, व जूकू अ़ज़ाबल – हरीक़
कि जब सदमें के मारे चाहेंगे कि दोज़ख़ से निकल भागें तो (ग़ुर्ज़ मार के) फिर उसके अन्दर ढकेल दिए जाएँगे और (उनसे कहा जाएगा कि) जलाने वाले अज़ाब के मज़े चखो।

22:23

إِنَّ ٱللَّهَ يُدْخِلُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ جَنَّـٰتٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ يُحَلَّوْنَ فِيهَا مِنْ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٍۢ وَلُؤْلُؤًۭا ۖ وَلِبَاسُهُمْ فِيهَا حَرِيرٌۭ

इन्नल्ला – ह युद्खिलुल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस् – सालिहाति जन्नातिन् तज्री मिन् तह्तिहल् – अन्हारू युहल्लौ-न फ़ीहा मिन् असावि-र मिन् ज़ – हबिंव् व लुअ्लुअन्, व लिबासुहुम् फ़ीहा हरीर
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे अच्छे काम भी किए उनको अल्लाह बेहश्त के ऐसे हरे-भरे बाग़ों में दाखि़ल फरमाएगा जिनके नीचे नहरे जारी होगी उन्हें वहाँ सोने के कंगन और मोती (के हार) से सँवारा जाएगा और उनका लिबास वहाँ रेशमी होगा।

22:24

وَهُدُوٓا۟ إِلَى ٱلطَّيِّبِ مِنَ ٱلْقَوْلِ وَهُدُوٓا۟ إِلَىٰ صِرَٰطِ ٱلْحَمِيدِ

व हुदू इलत्तय्यिबि मिनल् – कौलि व हुदू इला सिरातिल् – हमीद
और (ये इस वजह से कि दुनिया में) उन्हें अच्छी बात (कलमा ए तौहीद) की हिदायत की गई और उन्हें सज़ावार हम्द (अल्लाह) का रास्ता दिखाया गया।

22:25

إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَيَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ ٱلَّذِى جَعَلْنَـٰهُ لِلنَّاسِ سَوَآءً ٱلْعَـٰكِفُ فِيهِ وَٱلْبَادِ ۚ وَمَن يُرِدْ فِيهِ بِإِلْحَادٍۭ بِظُلْمٍۢ نُّذِقْهُ مِنْ عَذَابٍ أَلِيمٍۢ

इन्नल्लज़ी -न क-फ़रू व यसुद्दू -न अ़न् सबीलिल्लाहि वल्मस्जिदिल् हरामिल्लज़ी जअ़ल्नाहु लिन्नासि सवा-अ-निल्-आ़किफु फ़ीहि वल्बादि, व मंय्युरिद् फ़ीहि बिअल्लाहइल्हादिम्-बिजुल्मिन् नुज़िक़्हु मिन् अ़ज़ाबिन् अलीम
बेशक जो लोग काफिर हो बैठे और अल्लाह की राह से और मस्जिदें मोहतरम (ख़ाना ए काबा) से जिसे हमने सब लोगों के लिए (मईद) बनाया है (और) इसमें शहरी और बैरूनी सबका हक़ बराबर है (लोगों को) रोकते हैं (उनको) और जो शख़्स इसमें शरारत से गुमराही करे उसको हम दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखा देंगे।

22:26

وَإِذْ بَوَّأْنَا لِإِبْرَٰهِيمَ مَكَانَ ٱلْبَيْتِ أَن لَّا تُشْرِكْ بِى شَيْـًۭٔا وَطَهِّرْ بَيْتِىَ لِلطَّآئِفِينَ وَٱلْقَآئِمِينَ وَٱلرُّكَّعِ ٱلسُّجُودِ

व इज् बव्वअ्ना लिइब्राही-म मकानल् बैति अल्ला तुश्रिक् बी शैअंव् – व तह्हिर बैति -य लित्ताइफ़ी – न वल्काइमी -न वर्रूक्कअिस् – सुजूद
और (ऐ रसूल! वह वक़्त याद करो) जब हमने इबराहीम के ज़रिये से इबराहीम के वास्ते ख़ानए काबा की जगह ज़ाहिर कर दी (और उनसे कहा कि) मेरा किसी चीज़ को शरीक न बनाना और मेरे घर केा तवाफ़ और क़याम और रूकू सुजूद करने वालों के वास्ते साफ सुथरा रखना।

22:27

وَأَذِّن فِى ٱلنَّاسِ بِٱلْحَجِّ يَأْتُوكَ رِجَالًۭا وَعَلَىٰ كُلِّ ضَامِرٍۢ يَأْتِينَ مِن كُلِّ فَجٍّ عَمِيقٍۢ

व अज्ज़िन् फ़िन्नासि बिल्हज्जि यअ्तू -क रिजालंव् -व अ़ला कुल्लि ज़ामिरिंय्यअ्ती – न मिन् कुल्लि फ़ज्जिन अ़मीक़
और लोगों को हज की ख़बर कर दो कि लोग तुम्हारे पास (ज़ूक दर ज़ूक) ज़्यादा और हर तरह की दुबली (सवारियों पर जो राह दूर दराज़ तय करके आयी होगी चढ़-चढ़ के) आ पहुँचेगें।

22:28

لِّيَشْهَدُوا۟ مَنَـٰفِعَ لَهُمْ وَيَذْكُرُوا۟ ٱسْمَ ٱللَّهِ فِىٓ أَيَّامٍۢ مَّعْلُومَـٰتٍ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِيمَةِ ٱلْأَنْعَـٰمِ ۖ فَكُلُوا۟ مِنْهَا وَأَطْعِمُوا۟ ٱلْبَآئِسَ ٱلْفَقِيرَ

लि – यश्हदू मनाफ़ि-अ़ लहुम् व यज़्कुरूस्मल्लाहि फ़ी अय्यामिम् मअ्लूमातिन् अला मा र-ज़-कहुम् मिम् – बहीमतिल-अन्आ़मि फ़कुलू मिन्हा व अत्अिमुल् – बाइसल् – फकीर
ताकि अपने (दुनिया व आखे़रत के) फायदो पर फायज़ हों और अल्लाह ने जो जानवर चारपाए उन्हें अता फ़रमाए उनपर (जि़बाह के वक़्त) चन्द मोअययन दिनों में अल्लाह का नाम लें तो तुम लोग कु़रबानी के गोश्त खु़द भी खाओ और भूखे मोहताज केा भी खिलाओ।

22:29

ثُمَّ لْيَقْضُوا۟ تَفَثَهُمْ وَلْيُوفُوا۟ نُذُورَهُمْ وَلْيَطَّوَّفُوا۟ بِٱلْبَيْتِ ٱلْعَتِيقِ

सुम्मल यक़्जू त-फ़ सहुम् वल्यूफू नुजूरहुम् वल्यत्तव्वफू बिल्बैतिल-अ़तीक
फिर लोगों को चाहिए कि अपनी-अपनी (बदन की) कशाफ्त दूर करें और अपनी नज़रें पूरी करें और क़दीम (इबादत) ख़ाना ए काबा का तवाफ़ करें यही हुक्म है।

22:30

ذَٰلِكَ وَمَن يُعَظِّمْ حُرُمَـٰتِ ٱللَّهِ فَهُوَ خَيْرٌۭ لَّهُۥ عِندَ رَبِّهِۦ ۗ وَأُحِلَّتْ لَكُمُ ٱلْأَنْعَـٰمُ إِلَّا مَا يُتْلَىٰ عَلَيْكُمْ ۖ فَٱجْتَنِبُوا۟ ٱلرِّجْسَ مِنَ ٱلْأَوْثَـٰنِ وَٱجْتَنِبُوا۟ قَوْلَ ٱلزُّورِ

ज़ालि- क व मंय्युअ़ज्ज़िम् हुरूमातिल्लाहि फहु व ख़ैरुल्लहू अिन्-द रब्बिही, व उहिल्लत् लकुमुल्-अन्आ़मु इल्ला-मा युत्ला अलैकुम् फ़ज तनिबुर्रिज् स मिनल्-औसानि वज्तनिबू क़ौलज़्जूर
और इसके अलावा जो शख़्स अल्लाह की हुरमत वाली चीज़ों की ताज़ीम करेगा तो ये उसके पवरदिगार के यहाँ उसके हक़ में बेहतर है और उन जानवरों के अलावा जो तुमसे बयान किए जाँएगे कुल चारपाए तुम्हारे वास्ते हलाल किए गए तो तुम नापाक बुतों से बचे रहो और लग़ो बातें गाने वग़ैरह से बचे रहो।

22:31

حُنَفَآءَ لِلَّهِ غَيْرَ مُشْرِكِينَ بِهِۦ ۚ وَمَن يُشْرِكْ بِٱللَّهِ فَكَأَنَّمَا خَرَّ مِنَ ٱلسَّمَآءِ فَتَخْطَفُهُ ٱلطَّيْرُ أَوْ تَهْوِى بِهِ ٱلرِّيحُ فِى مَكَانٍۢ سَحِيقٍۢ

हु – नफ़ा – अ लिल्लाहि गै-र मुश्रिकी – न बिही, व मंय्युश्रिक् बिल्लाहि फ़-कअन्नमा ख़र्-र मिनस्समा इ फ़ – तख़्तफूहुत्तैरू औ तह़्वी बिहिर्रीहु फ़ी मकानिन् सहीक़
निरे खुरे अल्लाह के होकर (रहो) उसका किसी को शरीक न बनाओ और जिस शख़्स ने (किसी को) अल्लाह का शरीक बनाया तो गोया कि वह आसमान से गिर पड़ा फिर उसको (या तो दरम्यिान ही से) कोई (मुरदा ख़्ववार) चिडि़या उचक ले गई या उसे हवा के झोंके ने बहुत दूर जा फेंका।

22:32

ذَٰلِكَ وَمَن يُعَظِّمْ شَعَـٰٓئِرَ ٱللَّهِ فَإِنَّهَا مِن تَقْوَى ٱلْقُلُوبِ

ज़ालि-क व मंय्युअज्ज़िम् शआ-इरल्लाहि फ़ -इन्नहा मिन् तक़्वल – कुलूब
ये (याद रखो) और जिस शख़्स ने अल्लाह की निशानियों की ताज़ीम की तो कुछ शक नहीं कि ये भी दिलों की परहेज़गारी से हासिल होती है।

22:33

لَكُمْ فِيهَا مَنَـٰفِعُ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى ثُمَّ مَحِلُّهَآ إِلَى ٱلْبَيْتِ ٱلْعَتِيقِ

लकुम् फ़ीहा मनाफ़िअु इला अ – जलिम् मुसम्मन् सुम् – म महिल्लुहा इलल्-बैतिल-अ़तीक़
और इन चार पायों में एक मईन मुद्दत तक तुम्हार लिये बहुत से फायदें हैं फिर उनके जि़बाह होने की जगह क़दीम (इबादत) ख़ाना ए काबा है।

22:34

وَلِكُلِّ أُمَّةٍۢ جَعَلْنَا مَنسَكًۭا لِّيَذْكُرُوا۟ ٱسْمَ ٱللَّهِ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِيمَةِ ٱلْأَنْعَـٰمِ ۗ فَإِلَـٰهُكُمْ إِلَـٰهٌۭ وَٰحِدٌۭ فَلَهُۥٓ أَسْلِمُوا۟ ۗ وَبَشِّرِ ٱلْمُخْبِتِينَ

व लिकुल्लि उम्मतिन् जअ्ल्ना मन् – सकल् लि – यज़्कुरूस्मल्लाहि अ़ला मा र-ज़ क़हुम् मिम् – बहीमतिल् – अन्आमि फ़- इलाहुकुम् इलाहुंव्वाहिदुन् फ़ – लहू अस्लिमु, व बश्शिरिल्- मुख्बितीन
और हमने तो हर उम्मत के वास्ते क़ुरबानी का तरीक़ा मुक़र्रर कर दिया है ताकि जो मवेशी चारपाए अल्लाह ने उन्हें अता किए हैं उन पर (जि़बाह के वक़्त) अल्लाह का नाम ले ग़रज़ तुम लोगों का माबूद (वही) यकता अल्लाह है तो उसी के फरमाबरदार बन जाओ।

22:35

ٱلَّذِينَ إِذَا ذُكِرَ ٱللَّهُ وَجِلَتْ قُلُوبُهُمْ وَٱلصَّـٰبِرِينَ عَلَىٰ مَآ أَصَابَهُمْ وَٱلْمُقِيمِى ٱلصَّلَوٰةِ وَمِمَّا رَزَقْنَـٰهُمْ يُنفِقُونَ

अल्लज़ी – न इज़ा जुकिरल्लाहु वजिलत् कुलूबुहुम् वस्साबिरी – न अ़ला मा असा – बहुम् वल्मुक़ीमिस्सलाति व मिम्मा रज़क़्नाहुम् युन्फ़िकून
और (ऐ रसूल! हमारे) गिड़गिड़ाने वाले बन्दों को (बेहश्त की) खु़शख़बरी दे दो ये वो हैं कि जब (उनके सामने) अल्लाह का नाम लिया जाता है तो उनके दिल सहम जाते हैं और जब उनपर कोई मुसीबत आ पड़े तो सब्र करते हैं और नमाज़ पाबन्दी से अदा करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दे रखा है उसमें से (राहे अल्लाह में) ख़र्च करते हैं।

22:36

وَٱلْبُدْنَ جَعَلْنَـٰهَا لَكُم مِّن شَعَـٰٓئِرِ ٱللَّهِ لَكُمْ فِيهَا خَيْرٌۭ ۖ فَٱذْكُرُوا۟ ٱسْمَ ٱللَّهِ عَلَيْهَا صَوَآفَّ ۖ فَإِذَا وَجَبَتْ جُنُوبُهَا فَكُلُوا۟ مِنْهَا وَأَطْعِمُوا۟ ٱلْقَانِعَ وَٱلْمُعْتَرَّ ۚ كَذَٰلِكَ سَخَّرْنَـٰهَا لَكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ

वल्बुद् – न जअ़ल्नाहा लकुम् मिन् शआ़ – इरिल्लाहि लकुम् फ़ीहा ख़ैरून् फ़ज़्कुरूस्मल्लाहि अ़लैहा सवाफ् -फ़ फ़ -इज़ा व -जबत् जुनूबुहा फ़कुलू मिन्हा व अत्अिमुल् – क़ानि – अ़ वल् – मुअतर्र, कज़ालि- क सख़्ख़रनाहा लकुम् लअ़ल्लकुम् तश्कुरून
और कु़रबानी (मोटे गदबदे) ऊँट भी हमने तुम्हारे वास्ते अल्लाह की निशानियों में से क़रार दिया है इसमें तुम्हारी बहुत सी भलाईयाँ हैं फिर उनका तांते का तांता बाँध कर हज करो और उस वक़्त उन पर अल्लाह का नाम लो फिर जब उनके दस्त व बाजू कटकर गिर पड़े तो उन्हीं से तुम खु़द भी खाओ और क़नाअत पेशा फ़क़ीरों और माँगने वाले मोहताजों (दोनों) को भी खिलाओ हमने यूँ इन जानवरों को तुम्हारा ताबेए कर दिया ताकि तुम शुक्रगुज़ार बनो।

22:37

لَن يَنَالَ ٱللَّهَ لُحُومُهَا وَلَا دِمَآؤُهَا وَلَـٰكِن يَنَالُهُ ٱلتَّقْوَىٰ مِنكُمْ ۚ كَذَٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا۟ ٱللَّهَ عَلَىٰ مَا هَدَىٰكُمْ ۗ وَبَشِّرِ ٱلْمُحْسِنِينَ

लंय्यनालल्ला – ह लुहूमुहा व ला दिमा-उहा व ला किंय्यनालुहुत् – तक़्वा मिन्कुम्, कज़ालि क सख़्ख़-रहा लकुम् लितुकब्बिरूल्ला -ह अ़ला मा हदाकुम्, व बश्शिरिल् – मुह्सिनीन
अल्लाह तक न तो हरगिज़ उनके गोश्त ही पहुँचेगे और न खू़न मगर (हाँ) उस तक तुम्हारी परहेज़गारी अलबत्ता पहुँचेगी अल्लाह ने जानवरों को (इसलिए) यूँ तुम्हारे क़ाबू में कर दिया है ताकि जिस तरह अल्लाह ने तुम्हें बनाया है उसी तरह उसकी बड़ाई करो।

22:38

۞ إِنَّ ٱللَّهَ يُدَٰفِعُ عَنِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُحِبُّ كُلَّ خَوَّانٍۢ كَفُورٍ

इन्नल्ला – ह युदाफिअु अ़निल्लज़ी – न आमनू, इन्नल्ला -ह ला युहिब्बु कुल्-ल ख़व्वानिन् कफूर
और (ऐ रसूल!) नेकी करने वालों को (हमेशा की) ख़ु़शख़बरी दे दो इसमें शक नहीं कि अल्लाह ईमानवालों से कुफ़्फ़ार को दूर दफा करता रहता है अल्लाह किसी बद दयानत नाशुक्रे को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता।

22:39

أُذِنَ لِلَّذِينَ يُقَـٰتَلُونَ بِأَنَّهُمْ ظُلِمُوا۟ ۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ نَصْرِهِمْ لَقَدِيرٌ

उज़ि-न लिल्लज़ी-न युक़ातलू-न बि-अन्नहुम् जुलिमू, व इन्नल्ला – ह अला नसरिहिम् ल – कदीर
जिन (मुसलमानों) से (कुफ़्फ़ार) लड़ते थे चूँकि वह (बहुत) सताए गए उस वजह से उन्हें भी (जिहाद) की इजाज़त दे दी गई और अल्लाह तो उन लोगों की मदद पर यक़ीनन क़ादिर (व तवाना) है।

22:40

ٱلَّذِينَ أُخْرِجُوا۟ مِن دِيَـٰرِهِم بِغَيْرِ حَقٍّ إِلَّآ أَن يَقُولُوا۟ رَبُّنَا ٱللَّهُ ۗ وَلَوْلَا دَفْعُ ٱللَّهِ ٱلنَّاسَ بَعْضَهُم بِبَعْضٍۢ لَّهُدِّمَتْ صَوَٰمِعُ وَبِيَعٌۭ وَصَلَوَٰتٌۭ وَمَسَـٰجِدُ يُذْكَرُ فِيهَا ٱسْمُ ٱللَّهِ كَثِيرًۭا ۗ وَلَيَنصُرَنَّ ٱللَّهُ مَن يَنصُرُهُۥٓ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَقَوِىٌّ عَزِيزٌ

अल्लज़ी-न उख़रिजू मिन् दियारिहिम् बिग़ैरि हक़्क़िन् इल्ला अंय्यकूलू रब्बुनल्लाहु, व लौ ला दफ़अुल्लाहिन्ना -स बअ्-ज़हुम् बिबअ्ज़िल्-लहुद्दिमत् सवामिअु व बि -यअुंव-व स-लवातुंव्- व मसाजिदु युज़्करू फ़ीहस्मुल्लाहि कसीरन्, व ल-यन्सुरन्नल्लाहु मंय्यन्सुरूहू, इन्नल्ला-ह ल-क़विय्युन अज़ीज़
ये वह (मज़लूम हैं जो बेचारे) सिर्फ इतनी बात कहने पर कि हमारा परवरदिगार अल्लाह है (नाहक़) अपने-अपने घरों से निकाल दिए गये और अगर अल्लाह लोगों को एक दूसरे से दूर दफ़ा न करता रहता तो गिरजे और यहूदियों के इबादत ख़ाने और मजूस के इबादतख़ाने और मस्जिद जिनमें कसरत से अल्लाह का नाम लिया जाता है कब के कब ढहा दिए गए होते और जो शख़्स अल्लाह की मदद करेगा अल्लाह भी अलबत्ता उसकी मदद ज़रूर करेगा बेशक अल्लाह ज़रूर ज़बरदस्त ग़ालिब है।

22:41

ٱلَّذِينَ إِن مَّكَّنَّـٰهُمْ فِى ٱلْأَرْضِ أَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتَوُا۟ ٱلزَّكَوٰةَ وَأَمَرُوا۟ بِٱلْمَعْرُوفِ وَنَهَوْا۟ عَنِ ٱلْمُنكَرِ ۗ وَلِلَّهِ عَـٰقِبَةُ ٱلْأُمُورِ

अल्लज़ी – न इम् – मक्कन्नाहुम् फिल्अर्जि अक़ामुस्सला – त व आ तवुज् – ज़का-त व अ-मरू बिल्-मअ्-रूफि व नहौ अ़निल् – मुन्करि, व लिल्लाहि आ़कि – बतुल् – उमूर
ये वह लोग हैं कि अगर हम इन्हें रूए ज़मीन पर क़ाबू दे दे तो भी यह लोग पाबन्दी से नमाजे अदा करेंगे और ज़कात देंगे और अच्छे-अच्छे काम का हुक्म करेंगे और बुरी बातों से (लोगों को) रोकेंगे और (यूँ तो) सब कामों का अन्जाम अल्लाह ही के एख़्तेयार में है।

22:42

وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍۢ وَعَادٌۭ وَثَمُودُ

व इंय्युकज़्ज़िबू -क फ़ -क़द् कज़्ज़ – बत् क़ब्लहुम् कौमु नूहिंव् – व आदुंव् – व समूद
और (ऐ रसूल!) अगर ये (कुफ़्फ़ार) तुमको झुठलाते हैं तो कोइ ताज्जुब की बात नहीं उनसे पहले नूह की क़ौम और (क़ौमे आद और समूद)।

22:43

وَقَوْمُ إِبْرَٰهِيمَ وَقَوْمُ لُوطٍۢ

व क़ौमु इब्राही-म व कौमु लूत
और इबराहीम की क़ौम और लूत की क़ौम।

22:44

وَأَصْحَـٰبُ مَدْيَنَ ۖ وَكُذِّبَ مُوسَىٰ فَأَمْلَيْتُ لِلْكَـٰفِرِينَ ثُمَّ أَخَذْتُهُمْ ۖ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ

व अस्हाबु मद य-न व कुज़्ज़ि-ब मूसा फ़- अम्लैतु लिल्काफ़िरी- न सुम् – म अ – खज़्तुहुम् फ़कै-फ़ का-न नकीर
और मदीने के रहने वाले (अपने-अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुके हैं और मूसा (भी) झुठलाए जा चुके हैं तो मैंने काफिरों को चन्द ढील दे दी फिर (आखि़र) उन्हें ले डाला तो तुमने देखा मेरा अज़ाब कैसा था।

22:45

فَكَأَيِّن مِّن قَرْيَةٍ أَهْلَكْنَـٰهَا وَهِىَ ظَالِمَةٌۭ فَهِىَ خَاوِيَةٌ عَلَىٰ عُرُوشِهَا وَبِئْرٍۢ مُّعَطَّلَةٍۢ وَقَصْرٍۢ مَّشِيدٍ

फ़- कअय्यिम् – मिन् कर् – यतिन् अह़्लक्नाहा व हि – य ज़ालि- मतुन् फ़हि-य ख़ावि – यतुन् अ़ला उरूशिहा व बिअ्-रिम् मु अ़त्त लतिंव् – व कस्रिम् – मशीद
ग़रज़ कितनी बस्तियाँ हैं कि हम ने उन्हें बरबाद कर दिया और वह सरकश थीं पस वह अपनी छतों पर ढही पड़ी हैं और कितने बेकार (उजडे़ कुएँ और कितने) मज़बूत बड़े-बड़े ऊँचे महल (वीरान हो गए)।

22:46

أَفَلَمْ يَسِيرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ فَتَكُونَ لَهُمْ قُلُوبٌۭ يَعْقِلُونَ بِهَآ أَوْ ءَاذَانٌۭ يَسْمَعُونَ بِهَا ۖ فَإِنَّهَا لَا تَعْمَى ٱلْأَبْصَـٰرُ وَلَـٰكِن تَعْمَى ٱلْقُلُوبُ ٱلَّتِى فِى ٱلصُّدُورِ

अ- फलम् यसीरू फ़िल्अर्ज़ि फ़-तकू-न लहुम् कुलूबुंय् – यअ्किलू – न बिहा औ आज़ानुंय्यस्मअू-न बिहा फ़ – इन्नहा ला तअ्मल्-अब्सारू व लाकिन् तअ्मल् – कुलूबुल्लती फ़िस्सुदूर
क्या ये लोग रूए ज़मीन पर चले फिरे नहीं ताकि उनके लिए ऐसे दिल होते हैं जैसे हक़ बातों को समझते या उनके ऐसे कान होते जिनके ज़रिए से (सच्ची बातों को) सुनते क्योंकि आँखें अंधी नहीं हुआ करती बल्कि दिल जो सीने में है वही अन्धे हो जाया करते हैं।

22:47

وَيَسْتَعْجِلُونَكَ بِٱلْعَذَابِ وَلَن يُخْلِفَ ٱللَّهُ وَعْدَهُۥ ۚ وَإِنَّ يَوْمًا عِندَ رَبِّكَ كَأَلْفِ سَنَةٍۢ مِّمَّا تَعُدُّونَ

व यस्तअ्जिलून – क बिल् – अ़ज़ाबि व लंय्युख्लिफ़ल्लाहु वअ्दहू व इन् – न यौमन् अिन्- द रब्बि-क क-अल्फ़ि स-नतिम् मिम्मा तअुददून
और (ऐ रसूल!) तुम से ये लोग अज़ाब के जल्द आने की तमन्ना रखते हैं और अल्लाह तो हरगिज़ अपने वायदे के खि़लाफ नहीं करेगा और बेशक (क़यामत का) एक दिन तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक तुम्हारी गिनती के हिसाब से एक हज़ार बरस के बराबर है।

22:48

وَكَأَيِّن مِّن قَرْيَةٍ أَمْلَيْتُ لَهَا وَهِىَ ظَالِمَةٌۭ ثُمَّ أَخَذْتُهَا وَإِلَىَّ ٱلْمَصِيرُ

व क – अय्यिम् मिन् कर् – यतिन् अम्लैतु लहा व हि – य ज़ालि – मतुन् सुम् – म अख़ज़्तुहा व इलय्यल् मसीर
और कितनी बस्तियाँ हैं कि मैंने उन्हें (चन्द) मोहलत दी हालाँकि वह सरकश थी फिर (आखि़र) मैंने उन्हें ले डाला और (सबको) मेरी तरफ लौटना है।

22:49

قُلْ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّمَآ أَنَا۠ لَكُمْ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌۭ

कुल या अय्युहन्नासु इन्नमा अ-न लकुम् नज़ीरूम् – मुबीन
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि लोगों में तो सिर्फ तुमको खुल्लम-खुल्ला (अज़ाब से) डराने वाला हूँ।

22:50

فَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ لَهُم مَّغْفِرَةٌۭ وَرِزْقٌۭ كَرِيمٌۭ

फ़ल्लज़ी – न आमनू व अमिलुस्सालिहाति लहुम् मग्फ़ि – रतुंव – व रिज्कुन करीम
पस जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए (आखि़रत में) उनके लिए बक़शिश है और बेहिश्त की बहुत उम्दा रोज़ी।

22:51

وَٱلَّذِينَ سَعَوْا۟ فِىٓ ءَايَـٰتِنَا مُعَـٰجِزِينَ أُو۟لَـٰٓئِكَ أَصْحَـٰبُ ٱلْجَحِيمِ

वल्लज़ी-न सऔ़ फ़ी आयातिना मुआ़जिज़ी – न उलाइ-क अस्हाबुल् – जहीम
और जिन लोगों ने हमारी आयतों (के झुठलाने में हमारे) आजिज़ करने के वास्ते कोशिश की यही लोग तो जहन्नुमी हैं।

22:52

وَمَآ أَرْسَلْنَا مِن قَبْلِكَ مِن رَّسُولٍۢ وَلَا نَبِىٍّ إِلَّآ إِذَا تَمَنَّىٰٓ أَلْقَى ٱلشَّيْطَـٰنُ فِىٓ أُمْنِيَّتِهِۦ فَيَنسَخُ ٱللَّهُ مَا يُلْقِى ٱلشَّيْطَـٰنُ ثُمَّ يُحْكِمُ ٱللَّهُ ءَايَـٰتِهِۦ ۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌۭ

व मा अरसल्ना मिन् कब्लि-क मिर्रसूलिंव् – व ला नबिय्यिन् इल्ला इज़ा तमन्ना अल्क़श्शैतानु फ़ी उम्निय्यतिही फ़ – यन्सखुल्लाहु मा युल्किश्शैतानु सुम् – म युह्किमुल्लाहु आयातिही, वल्लाहु अ़लीमुन् हकीम
और (ऐ रसूल!) हमने तो तुमसे पहले जब कभी कोई रसूल और नबी भेजा तो ये ज़रूर हुआ कि जिस वक़्त उसने (तबलीग़े एहकाम की) आरज़ू की तो शैतान ने उसकी आरज़ू में (लोगों को बहका कर) क़लल डाल दिया फिर जो वस वसा शैतान डालता है अल्लाह उसे मिटा देता है फिर अपने एहकाम को मज़बूत करता है और अल्लाह तो बड़ा वाकि़फकार दाना है।

22:53

لِّيَجْعَلَ مَا يُلْقِى ٱلشَّيْطَـٰنُ فِتْنَةًۭ لِّلَّذِينَ فِى قُلُوبِهِم مَّرَضٌۭ وَٱلْقَاسِيَةِ قُلُوبُهُمْ ۗ وَإِنَّ ٱلظَّـٰلِمِينَ لَفِى شِقَاقٍۭ بَعِيدٍۢ

लि – यज्अ़ – ल मा युल्किश्शैतानु फ़ित्न – तल् – लिल्लज़ी – न फ़ी कुलूबिहिम् म- रजुंव्वल – क़ासि – यति कुलूबुहुम्, व इन्नज़्ज़ालिमी न लफ़ी शिकाकिम्-बईद
और शैतान जो (वसवसा) डालता (भी) है तो इसलिए ताकि अल्लाह उसे उन लोगों के आज़माईश (का ज़रिया) क़रार दे जिनके दिलों में (कुफ़्र का) मर्ज़ है और जिनके दिल सख़्त हैं और बेशक (ये) ज़ालिम मुशरेकीन पल्ले दरजे की मुख़ालेफ़त में पड़े हैं।

22:54

وَلِيَعْلَمَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْعِلْمَ أَنَّهُ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكَ فَيُؤْمِنُوا۟ بِهِۦ فَتُخْبِتَ لَهُۥ قُلُوبُهُمْ ۗ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهَادِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِلَىٰ صِرَٰطٍۢ مُّسْتَقِيمٍۢ

व लियअ् ल-मल्लज़ी-न ऊतुल अिल्- म अन्नहुल् – हक़्कु मिर्रब्बि-क फयुअ्मिनू बिही फ़तुख़्बि-त लहू कुलूबुहुम्, व इन्नल्ला – ह लहादिल्लज़ी – न आमनू इला सिरातिम् – मुस्तक़ीम
और (इसलिए भी) ताकि जिन लोगों को (कुतूबे समादी का) इल्म अता हुआ है वह जान लें कि ये (वही) बेशक तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से ठीक ठीक (नाजि़ल) हुई है फिर (ये ख़्याल करके) इस पर वह लोग ईमान लाए फिर उनके दिल अल्लाह के सामने आजिज़ी करें और इसमें तो शक ही नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया उनको अल्लाह सीधी राह तक पहुँचा देता है।

22:55

وَلَا يَزَالُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فِى مِرْيَةٍۢ مِّنْهُ حَتَّىٰ تَأْتِيَهُمُ ٱلسَّاعَةُ بَغْتَةً أَوْ يَأْتِيَهُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَقِيمٍ

व ला यज़ालुल्लज़ी – न क-फरू फ़ी मिर् यतिम् मिन्हु हत्ता तअ्ति यहुमुस्सा- अ़तु बग्त – तन् औ यअ्ति – यहुम् अ़ज़ाबु यौमिन् अक़ीम
और जो लोग काफ़िर हो बैठे वह तो कु़राआन की तरफ से हमेशा शक ही में पड़े रहेंगे यहाँ तक कि क़यामत यकायक उनके सर पर आ मौजूद हो या (यूँ कहो कि) उनपर एक सख़्त मनहूस दिन का अज़ाब नाज़िल हुआ।

22:56

ٱلْمُلْكُ يَوْمَئِذٍۢ لِّلَّهِ يَحْكُمُ بَيْنَهُمْ ۚ فَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فِى جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ

अल्मुल्कु यौमइज़िल् लिल्लाहि, यह्कुमु बैनहुम्, फ़ल्लज़ी -न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति फी जन्नातिन् -नईम
उस दिन की हुकूमत तो ख़ास अल्लाह ही की होगी वह लोगों (के बाहमी एख़्तेलाफ) का फ़ैसला कर देगा तो जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे काम किए हैं वह नेअमतों के (भरे) हुए बाग़ात (बहिश्त) में रहेंगे।

22:57

وَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَكَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا فَأُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمْ عَذَابٌۭ مُّهِينٌۭ

वल्लज़ी -न क -फ़रू व कज़्ज़बू बिआयातिना फ़ – उलाइ – क लहुम् अ़ज़ाबुम् – मुहीन
और जिन लोगों ने कुफ्र इक़तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया तो यही वह (कम्बख़्त) लोग हैं।

22:58

وَٱلَّذِينَ هَاجَرُوا۟ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ ثُمَّ قُتِلُوٓا۟ أَوْ مَاتُوا۟ لَيَرْزُقَنَّهُمُ ٱللَّهُ رِزْقًا حَسَنًۭا ۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهُوَ خَيْرُ ٱلرَّٰزِقِينَ

वल्लज़ी न हाजरू फ़ी सबीलिल्लाहि सुम्म कुतिलू औ मातू ल यरजुकन्न – हुमुल्लाहु रिज़्कन् ह – सनन्, व इन्नल्ला – ह लहु – व ख़ैरूर्- राज़िक़ीन
जिनके लिए ज़लील करने वाला अज़ाब है जिन लोगों ने अल्लाह की राह में अपने देस छोडे़ फिर शहीद किए गए या (आप अपनी मौत से) मर गए अल्लाह उन्हें (आखि़रत में) ज़रूर उम्दा रोज़ी अता फ़रमाएगा।

22:59

لَيُدْخِلَنَّهُم مُّدْخَلًۭا يَرْضَوْنَهُۥ ۗ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَعَلِيمٌ حَلِيمٌۭ

लयुद्द्खिलन्नहुम् मुद् – ख़लंय् – यरज़ौनहू, व इन्नल्ला – ह ल – अ़लीमुन् हलीम
और बेशक तमाम रोज़ी देने वालों में अल्लाह ही सबसे बेहतर है वह उन्हें ज़रूर ऐसी जगह (बेहिश्त) पहुँचा देगा जिससे वह निहाल हो जाएँगे।

22:60

۞ ذَٰلِكَ وَمَنْ عَاقَبَ بِمِثْلِ مَا عُوقِبَ بِهِۦ ثُمَّ بُغِىَ عَلَيْهِ لَيَنصُرَنَّهُ ٱللَّهُ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَعَفُوٌّ غَفُورٌۭ

ज़ालि- क व मन् आ़क- ब बिमिस्लि मा अूकि-ब बिही सुम्म बुग़ि- य अ़लैहि ल-यन्सुरन्नहुल्लाहु, इन्नल्ला-ह ल-अ़फुव्वुन् ग़फूर
और अल्लाह तो बेशक बड़ा वाकि़फकार बुर्दवार है यही (ठीक) है और जो शख़्स (अपने दुश्मन को) उतना ही सताए जितना ये उसके हाथों से सताया गया था उसके बाद फिर (दोबारा दुशमन की तरफ़ से) उस पर ज़्यादती की जाए तो अल्लाह उस मज़लूम की ज़रूर मदद करेगा।

22:61

ذَٰلِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ يُولِجُ ٱلَّيْلَ فِى ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِى ٱلَّيْلِ وَأَنَّ ٱللَّهَ سَمِيعٌۢ بَصِيرٌۭ

ज़ालि-क बिअन्नल्ला-ह यूलिजुल्लै-ल फ़िन्नहारि व यूलिजुन्नहा-र फ़िल्लैलि व अन्नल्ला-ह समीअुम्-बसीर
बेशक अल्लाह बड़ा माफ करने वाला बख़शने वाला है ये (मदद) इस वजह से दी जाएगी कि अल्लाह (बड़ा क़ादिर है वही) तो रात को दिन में दाखि़ल करता है और दिन को रात में दाखि़ल करता है और इसमें भी शक नहीं कि अल्लाह सब कुछ जानता है।

22:62

ذَٰلِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلْحَقُّ وَأَنَّ مَا يَدْعُونَ مِن دُونِهِۦ هُوَ ٱلْبَـٰطِلُ وَأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلْعَلِىُّ ٱلْكَبِيرُ

ज़ालि-क बिअन्नल्ला-ह हुवल्-हक़्कु व अन्न मा यद्अू – न मिन् दूनिही हुवल्-बातिलु व अन्नल्ला-ह हुवल् – अ़लिय्युल्-कबीर
(और) इस वजह से (भी) कि यक़ीनन अल्लाह ही बरहक़ है और उसके सिवा जिनको लोग (वक़्ते मुसीबत) पुकारा करते हैं (सबके सब) बातिल हैं और (ये भी) यक़ीनी (है कि) अल्लाह ही (सबसे) बुलन्द मर्तबा बुज़ुर्ग है।

22:63

أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَتُصْبِحُ ٱلْأَرْضُ مُخْضَرَّةً ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَطِيفٌ خَبِيرٌۭ

अलम् त-र अन्नल्ला-ह अन्ज़-ल मिनस्समा इ मा-अन् फ़तुस्बिहुल्-अर्जु मुख़्ज़र्र तन्, इन्नल्ला-ह लतीफुन् ख़बीर
अरे क्या तूने इतना भी नहीं देखा कि अल्लाह ही आसमान से पानी बरसाता है तो ज़मीन सर सब्ज़ (व शादाब) हो जाती है बेशक अल्लाह (बन्दों के हाल पर) बड़ा मेहरबान वाकि़फ़कार है।

22:64

لَّهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۗ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهُوَ ٱلْغَنِىُّ ٱلْحَمِيدُ

लहू मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि व इन्नल्ला-ह लहुवल्-ग़निय्युल्-हमीद
जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है और इसमें तो शक ही नहीं कि अल्लाह (सबसे) बेपरवाह (और) सज़ावार हम्द है।

22:65

أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ سَخَّرَ لَكُم مَّا فِى ٱلْأَرْضِ وَٱلْفُلْكَ تَجْرِى فِى ٱلْبَحْرِ بِأَمْرِهِۦ وَيُمْسِكُ ٱلسَّمَآءَ أَن تَقَعَ عَلَى ٱلْأَرْضِ إِلَّا بِإِذْنِهِۦٓ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِٱلنَّاسِ لَرَءُوفٌۭ رَّحِيمٌۭ

अलम् त-र अन्नल्ला-ह सख़्ख़-र लकुम् मा फ़िल्अर्जि वल्फुल्-क तजरी फिल्बहरि बिअम्रिही, व युम्सिकुस्समा-अ अन् त-क़-अ अ़लल्-अर्जि इल्ला बि – इज्निही, इन्नल्ला-ह बिन्नासि ल रऊफुर्रहीम
क्या तूने उस पर भी नज़र न डाली कि जो कुछ रूए ज़मीन में है सबको अल्लाह ही ने तुम्हारे क़ाबू में कर दिया है और कश्ती को (भी) जो उसके हुक्म से दरिया में चलती है और वही तो आसमान को रोके हुए है कि ज़मीन पर न गिर पड़े मगर (जब) उसका हुक्म होगा (तो गिर पडे़गा) इसमें शक नहीं कि अल्लाह लोगों पर बड़ा मेहरबान व रहमवाला है।

22:66

وَهُوَ ٱلَّذِىٓ أَحْيَاكُمْ ثُمَّ يُمِيتُكُمْ ثُمَّ يُحْيِيكُمْ ۗ إِنَّ ٱلْإِنسَـٰنَ لَكَفُورٌۭ

व हुवल्लज़ी अह्याकुम् सुम्-म युमीतुकुम् सुम्-म युह़्यीकुम्, इन्नल्-इन्सा-न ल-कफूर
और वही तो क़ादिर मुत्तलिक़ है जिसने तुमको (पहली बार माँ के पेट में) जिला उठाया फिर वही तुमको मार डालेगा फिर वही तुमको दोबारा जि़न्दगी देगा।

22:67

لِّكُلِّ أُمَّةٍۢ جَعَلْنَا مَنسَكًا هُمْ نَاسِكُوهُ ۖ فَلَا يُنَـٰزِعُنَّكَ فِى ٱلْأَمْرِ ۚ وَٱدْعُ إِلَىٰ رَبِّكَ ۖ إِنَّكَ لَعَلَىٰ هُدًۭى مُّسْتَقِيمٍۢ

लिकुल्लि उम्मतिन् जअ़ल्ना मन्स-कन् हुम् नासिकूहु फ़ला युनाज़िअन्न-क फ़िल्अमरि वद्अु इला रब्बि-क, इन्न-क ल-अ़ला हुदम्-मुस्तक़ीम
इसमें शक नहीं कि इन्सान बड़ा ही नाशुक्रा है (ऐ रसूल) हमने हर उम्मत के वास्ते एक तरीक़ा मुक़र्रर कर दिया कि वह इस पर चलते हैं फिर तो उन्हें इस दीन (इस्लाम) में तुम से झगड़ा न करना चाहिए और तुम (लोगों को) अपने परवरदिगार की तरफ़ बुलाए जाओ।

22:68

وَإِن جَـٰدَلُوكَ فَقُلِ ٱللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ

व इन् जादलू-क फ़कुलिल्लाहु अअ्लमु बिमा तअ्मलून
बेशक तुम सीधे रास्ते पर हो और अगर (इस पर भी) लोग तुमसे झगड़ा करें तो तुम कह दो कि जो कुछ तुम कर रहे हो अल्लाह उससे खू़ब वाकि़फ़ है।

22:69

ٱللَّهُ يَحْكُمُ بَيْنَكُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ فِيمَا كُنتُمْ فِيهِ تَخْتَلِفُونَ

अल्लाहु यह्कुमु बैनकुम् यौमल्-क़ियामति फ़ीमा कुन्तुम् फ़ीहि तख़्तलिफून
जिन बातों में तुम बाहम झगड़ा करते थे क़यामत के दिन अल्लाह तुम लोगों के दरम्यिान (ठीक) फ़ैसला कर देगा।

22:70

أَلَمْ تَعْلَمْ أَنَّ ٱللَّهَ يَعْلَمُ مَا فِى ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ ۗ إِنَّ ذَٰلِكَ فِى كِتَـٰبٍ ۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٌۭ

अलम् तअ्लम् अन्नल्ला-ह यअ्लमु मा फिस्समा-इ वल्अर्जि इन्-न ज़ालि- क फ़ी किताबिन, इन्-न ज़ालि क अ़लल्लाहि यसीर
(ऐ रसूल!) क्या तुम नहीं जानते कि जो कुछ आसमान और ज़मीन में है अल्लाह यक़ीनन जानता है उसमें तो शक नहीं कि ये सब (बातें) किताब (लौहे महफूज़) में (लिखी हुई मौजूद) हैं।

22:71

وَيَعْبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهِۦ سُلْطَـٰنًۭا وَمَا لَيْسَ لَهُم بِهِۦ عِلْمٌۭ ۗ وَمَا لِلظَّـٰلِمِينَ مِن نَّصِيرٍۢ

व यअ्बुदू – न मिन् दूनिल्लाहि मा लम् युनज़्ज़िल् बिही सुल्तानंव् – व मा लै – स लहुम् बिही अिल्मुन्, व मा लिज़्ज़ालिमी – न मिन् नसीर
बेशक ये (सब कुछ) अल्लाह पर आसान है और ये लोग अल्लाह को छोड़कर उन लोगों की इबादत करते हैं जिनके लिए न तो अल्लाह ही ने कोई सनद नाजि़ल की है और न उस (के हक़ होने) का खु़द उन्हें इल्म है और क़यामत में तो ज़ालिमों का कोई मददगार भी नहीं होगा।

22:72

وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتُنَا بَيِّنَـٰتٍۢ تَعْرِفُ فِى وُجُوهِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ٱلْمُنكَرَ ۖ يَكَادُونَ يَسْطُونَ بِٱلَّذِينَ يَتْلُونَ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتِنَا ۗ قُلْ أَفَأُنَبِّئُكُم بِشَرٍّۢ مِّن ذَٰلِكُمُ ۗ ٱلنَّارُ وَعَدَهَا ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ۖ وَبِئْسَ ٱلْمَصِيرُ

व इज़ा तुत्ला अ़लैहिम् आयातुना बय्यिनातिन् तअ्-रिफु फ़ी वुजूहिल्लज़ी-न क-फ़रूल् – मुन्क-र यकादू – न यस्तू – न बिल्लज़ी – न यत्लू – न अ़लैहिम् आयातिना, कुल् अ – फ़- उनब्बिउकुम् बिशर्रिम् – मिन् ज़ालिकुम्, अन्नारू, व-अ़-दहल्लाहुल्लज़ी-न क-फरू, व बिअ्सल् – मसीर
और (ऐ रसूल!) जब हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें उनके सामने पढ़ कर सुनाई जाती हैं तो तुम (उन) काफ़िरों के चेहरों पर नाखु़शी के (आसार) देखते हो (यहाँ तक कि) क़रीब होता है कि जो लोग उनको हमारी आयातें पढ़कर सुनाते हैं उन पर ये लोग हमला कर बैठे (ऐ रसूल) तुम कह दो (कि) तो क्या मैं तुम्हें इससे भी कहीं बदतर चीज़ बता दूँ (अच्छा) तो सुन लो वह जहन्नुम है जिसमें झोंकने का वायदा अल्लाह ने काफि़रों से किया है।

22:73

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ضُرِبَ مَثَلٌۭ فَٱسْتَمِعُوا۟ لَهُۥٓ ۚ إِنَّ ٱلَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ لَن يَخْلُقُوا۟ ذُبَابًۭا وَلَوِ ٱجْتَمَعُوا۟ لَهُۥ ۖ وَإِن يَسْلُبْهُمُ ٱلذُّبَابُ شَيْـًۭٔا لَّا يَسْتَنقِذُوهُ مِنْهُ ۚ ضَعُفَ ٱلطَّالِبُ وَٱلْمَطْلُوبُ

या अय्युहन्नासु जुरि – ब म-सलुन् फ़स्तमिअू लहू, इन्नल्लज़ी – न तद्अू – न मिन् दूनिल्लाहि लंय्यख़्लुकू जुबाबंव् व लविज्त-मअू लहू, व इंय्यस्लुब्हुमुज् – जुबाबु शैअल् – ला यस्तन्किजूहु मिन्हु, ज़अुफ़त्तालिबु वल्मत्लूब
और वह क्या बुरा ठिकाना है लोगों एक मस्ल बयान की जाती है तो उसे कान लगा के सुनो कि अल्लाह को छोड़कर जिन लोगों को तुम पुकारते हो वह लोग अगरचे सब के सब इस काम के लिए इकट्ठे भी हो जाएँ तो भी एक मक्खी तक पैदा नहीं कर सकते और कहीं मक्खी कुछ उनसे छीन ले जाए तो उससे उसको छुड़ा नहीं सकते (अजब लुत्फ है) कि माँगने वाला (आबिद) और जिससे माँग लिया (माबूद) दोनों कमज़ोर हैं।

22:74

مَا قَدَرُوا۟ ٱللَّهَ حَقَّ قَدْرِهِۦٓ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَقَوِىٌّ عَزِيزٌ

मा क-दरूल्ला-ह हक्-क़ क़द्रिही, इन्नल्ला – ह ल – क़विय्युन् अ़ज़ीज़
अल्लाह की जैसे क़द्र करनी चाहिए उन लोगों ने न की इसमें शक नहीं कि अल्लाह तो बड़ा ज़बरदस्त ग़ालिब है।

22:75

ٱللَّهُ يَصْطَفِى مِنَ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ رُسُلًۭا وَمِنَ ٱلنَّاسِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ سَمِيعٌۢ بَصِيرٌۭ

अल्लाहु यस्तफ़ी मिनल् – मलाइ कति रूसुलंव् – व मिनन्नासि इन्नल्ला – ह समीअुम् – बसीर
अल्लाह फरिश्तों में से बाज़ को अपने एहकाम पहुँचाने के लिए मुन्तखि़ब कर लेता है।

22:76

يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ۗ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرْجَعُ ٱلْأُمُورُ

यअ्लमु मा बै- न ऐदीहिम् व मा ख़ल्क़हुम, व इलल्लाहि तुर्जअल- उमूर
और (इसी तरह) आदमियों में से भी बेशक अल्लाह (सबकी) सुनता देखता है जो कुछ उनके सामने है और जो कुछ उनके पीछे (हो चुका है) (अल्लाह सब कुछ) जानता है।

22:77

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱرْكَعُوا۟ وَٱسْجُدُوا۟ وَٱعْبُدُوا۟ رَبَّكُمْ وَٱفْعَلُوا۟ ٱلْخَيْرَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ ۩

या अय्युहल्लज़ी-न आमनुर्कअू वस्जुदू वअ्बुदू रब्बकुम् वफ़अ़लुल् – ख़ै-र लअ़ल्लकुम् तुफ्लिहून *सज़्दा*
और तमाम उमूर की रूजूअ अल्लाह ही की तरफ होती है ऐ ईमानवालों! रूकू करो और सजदे करो और अपने परवरदिगार की इबादत करो और नेकी करो।

22:78

وَجَـٰهِدُوا۟ فِى ٱللَّهِ حَقَّ جِهَادِهِۦ ۚ هُوَ ٱجْتَبَىٰكُمْ وَمَا جَعَلَ عَلَيْكُمْ فِى ٱلدِّينِ مِنْ حَرَجٍۢ ۚ مِّلَّةَ أَبِيكُمْ إِبْرَٰهِيمَ ۚ هُوَ سَمَّىٰكُمُ ٱلْمُسْلِمِينَ مِن قَبْلُ وَفِى هَـٰذَا لِيَكُونَ ٱلرَّسُولُ شَهِيدًا عَلَيْكُمْ وَتَكُونُوا۟ شُهَدَآءَ عَلَى ٱلنَّاسِ ۚ فَأَقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُوا۟ ٱلزَّكَوٰةَ وَٱعْتَصِمُوا۟ بِٱللَّهِ هُوَ مَوْلَىٰكُمْ ۖ فَنِعْمَ ٱلْمَوْلَىٰ وَنِعْمَ ٱلنَّصِيرُ

व जाहिदू फ़िल्लाहि हक् क जिहादिही, हुवज्तबाकुम् व माज- अ- ल अलैकुम् फ़िद्दीनि मिन् ह – रजिन्, मिल्ल त अबीकुम् इब्राहीम, हु- व सम्माकुमुल मुस्लिमीन मिन् क़ब्लु व फ़ी हाज़ा लि – यकूनर्रसूलु शहीदन् अलैकुम् व तकूनू शु – हदा – अ अलन्नासि फ़ अक़ीमुस्सला त व आतुज़्ज़कात वस्तसिमू बिल्लाहि हु – व मौलाकुम् फ़ – निअमल् – मौला व निमन् – नसीर
ताकि तुम कामयाब हो और जो हक़ जिहाद करने का है अल्लाह की राह में जिहाद करो उसी नें तुमको बरगुज़ीदा किया और उमूरे दीन में तुम पर किसी तरह की सख़्ती नहीं की तुम्हारे बाप इबराहीम के मजह़ब को (तुम्हारा मज़हब बना दिया उसी (अल्लाह) ने तुम्हारा पहले ही से मुसलमान (फरमाबरदार बन्दे) नाम रखा और कु़राआन में भी (तो जिहाद करो) ताकि रसूल तुम्हारे मुक़ाबले में गवाह बने और तुम पाबन्दी से नामज़ पढ़ा करो और ज़कात देते रहो और अल्लाह ही (के एहकाम) को मज़बूत पकड़ो वही तुम्हारा सरपरस्त है तेा क्या अच्छा सरपरस्त है और क्या अच्छा मददगार है।

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