Surah Al Araf In Hindi [7:1-7:206]

यह सूरह मक्की है और इसमें 206 आयतें हैं। इसमें “आराफ़” की चर्चा की गई है, इसलिए इसे सूरह आराफ़ कहा जाता है। इसमें अल्लाह के भेजे हुए नबियों का अनुसरण करने पर जोर दिया गया है, जिसमें डराने और सावधान करने की भाषा अपनाई गई है। इसमें आदम (अलैहिस्सलाम) को शैतान के धोखा देने का वर्णन किया गया है ताकि मनुष्य उससे सावधान रहे। इसमें यह भी बताया गया है कि पिछले नबियों की जातियाँ नबियों के विरोध का दुष्परिणाम देख चुकी हैं। इसके बाद अहले किताब को संबोधित किया गया है और एक जगह पूरे संसार वासियों को भी संबोधित किया गया है।

इसमें बताया गया है कि सभी नबियों ने एक अल्लाह की वंदना की और उसी की ओर बुलाया, और सबका मूल धर्म एक है। इसमें यह भी बताया गया है कि ईमान लाने के बाद निफ़ाक़ (द्विधा) का क्या दुष्परिणाम होता है और वचन तोड़ने का परिणाम क्या होता है। सूरह के अंत में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और उनके साथियों को उपदेश देने के कुछ गुण बताए गए हैं और विरोधियों की बातों को सहन करने तथा उत्तेजित होकर ऐसा कार्य करने से रोका गया है जो इस्लाम के लिए हानिकारक हो।

सूरह अल-आराफ़ हिंदी में पढ़े

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

7:1

الٓمٓصٓ

अलिफ़ लाम मीम स्वाद

7:2

كِتَـٰبٌ أُنزِلَ إِلَيْكَ فَلَا يَكُن فِى صَدْرِكَ حَرَجٌۭ مِّنْهُ لِتُنذِرَ بِهِۦ وَذِكْرَىٰ لِلْمُؤْمِنِينَ

किताबुन उन्ज़ि-ल इलै-क फला यकुन् फ़ी सदरि-क ह-रजुम् मिन्हु लितुन्ज़ि-र बिही व ज़िक्रा लिल्मु अ्मिनीन
(ऐ रसूल!) ये किताब अल्लाह (क़ुरान) तुम पर इस ग़रज़ से नाजि़ल की गई है ताकि तुम उसके ज़रिये से लोगों को अज़ाबे अल्लाह से डराओ और ईमानदारों के लिए नसीहत का बायस हो।

7:3

ٱتَّبِعُوا۟ مَآ أُنزِلَ إِلَيْكُم مِّن رَّبِّكُمْ وَلَا تَتَّبِعُوا۟ مِن دُونِهِۦٓ أَوْلِيَآءَ ۗ قَلِيلًۭا مَّا تَذَكَّرُونَ

इत्तबिअू मा उन्ज़ि-ल इलैकुम् मिर्रब्बिकुम् वला तत्तबिअू मिन् दूनिही औलिया-अ, क़लीलम् मा तज़क्करून
तुम्हारे दिल में उसकी वजह से कोई न तंगी पैदा हो (लोगों) जो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाजि़ल किया गया है उसकी पैरवी करो और उसके सिवा दूसरे (फर्जी) बुतों (माबुदों) की पैरवी न करो।

7:4

وَكَم مِّن قَرْيَةٍ أَهْلَكْنَـٰهَا فَجَآءَهَا بَأْسُنَا بَيَـٰتًا أَوْ هُمْ قَآئِلُونَ

व कम् मिन् क़र् यतिन् अह़्लक्नाहा फ़जा-अहा बअ्सुना बयातन् औ हुम् क़ा-इलून
तुम लोग बहुत ही कम नसीहत क़ुबूल करते हो और क्या (तुम्हें) ख़बर नहीं कि ऐसी बहुत सी बस्तियाँ हैं जिन्हें हमने हलाक कर डाला तो हमारा अज़ाब (ऐसे वक्त) आ पहुचा।

7:5

فَمَا كَانَ دَعْوَىٰهُمْ إِذْ جَآءَهُم بَأْسُنَآ إِلَّآ أَن قَالُوٓا۟ إِنَّا كُنَّا ظَـٰلِمِينَ

फ़मा का-न दअ्वाहुम् इज़् जा-अहुम् बअ्सुना इल्ला अन् क़ालू इन्ना कुन्ना ज़ालिमीन
कि वह लोग या तो रात की नींद सो रहे थे या दिन को क़लीला (खाने के बाद का लेटना) कर रहे थे तब हमारा अज़ाब उन पर आ पड़ा तो उनसे सिवाए इसके और कुछ न कहते बन पड़ा कि हम बेशक ज़ालिम थे।

7:6

فَلَنَسْـَٔلَنَّ ٱلَّذِينَ أُرْسِلَ إِلَيْهِمْ وَلَنَسْـَٔلَنَّ ٱلْمُرْسَلِينَ

फ़-लनस्-अलन्नल्लज़ी-न उरसि-ल इलैहिम् व ल-नस्-अलन्नल् मुरसलीन
फिर हमने तो ज़रूर उन लोगों से जिनकी तरफ पैग़म्बर भेजे गये थे (हर चीज़ का) सवाल करेगें और ख़ुद पैग़म्बरों से भी ज़रूर पूछेगें।

7:7

فَلَنَقُصَّنَّ عَلَيْهِم بِعِلْمٍۢ ۖ وَمَا كُنَّا غَآئِبِينَ

फ-ल-नक़ु स्सन् न अलैहिम् बिअिल्मिंव्-व मा कुन्ना ग़ा-इबीन
फिर हम उनसे हक़ीक़त हाल ख़ूब समझ बूझ के (ज़रा ज़रा) दोहराएगें।

7:8

وَٱلْوَزْنُ يَوْمَئِذٍ ٱلْحَقُّ ۚ فَمَن ثَقُلَتْ مَوَٰزِينُهُۥ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ

वल्वज़्-नुयौमइज़ि-निल्हक़्क़ु फ़-मन् सक़ुलत् मवाज़ीनुहू फ़-उलाइ-क हुमुल्-मुफ्लिहून
और हम कुछ ग़ायब तो थे नहीं और उस दिन (आमाल का) तौला जाना बिल्कुल ठीक है फिर तो जिनके (नेक अमाल के) पल्ले भारी होगें तो वही लोग फायज़ुलहराम (नजात पाये हुए) होगें।

7:9

وَمَنْ خَفَّتْ مَوَٰزِينُهُۥ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ خَسِرُوٓا۟ أَنفُسَهُم بِمَا كَانُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا يَظْلِمُونَ

व मन् ख़फ्फत् मवाज़ीनुहू फ़-उला-इकल्लज़ी-न ख़सिरू अन्फु-सहुम् बिमा कानू बिआयातिना यज़्लिमून
(और जिनके नेक अमाल के) पल्ले हलके होगें तो उन्हीं लोगों ने हमारी आयत से नाफरमानी करने की वजह से यक़ीनन अपना आप नुक़सान किया।

7:10

وَلَقَدْ مَكَّنَّـٰكُمْ فِى ٱلْأَرْضِ وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِيهَا مَعَـٰيِشَ ۗ قَلِيلًۭا مَّا تَشْكُرُونَ

व-ल-क़द् मक्कन्नाकुम् फ़िलअर्ज़ि व जअ़ल्ना लकुम् फ़ीहा मआयि-श, क़लीलम् मा तश्कुरून 
और (ऐ बनी आदम!) हमने तो यक़ीनन तुमको ज़मीन में क़ुदरत व इख़तेदार दिया और उसमें तुम्हारे लिए असबाब ज़िन्दगी मुहय्या किए (मगर) तुम बहुत ही कम शुक्र करते हो।

7:11

وَلَقَدْ خَلَقْنَـٰكُمْ ثُمَّ صَوَّرْنَـٰكُمْ ثُمَّ قُلْنَا لِلْمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسْجُدُوا۟ لِـَٔادَمَ فَسَجَدُوٓا۟ إِلَّآ إِبْلِيسَ لَمْ يَكُن مِّنَ ٱلسَّـٰجِدِينَ

व ल-क़द् ख़लक़्नाकुम् सुम्-म सव्वर्नाकुम् सुम्-म क़ुल्ना लिल्मलाइ कतिस्जुदू लिआद-म, फ़-स-जदू इल्ला इब्ली-स, लम् यकुम् मिनस्साजिदीन
हालाकि इसमें तो शक ही नहीं कि हमने तुम्हारे बाप आदम को पैदा किया फिर तुम्हारी सूरते बनायीं फिर हमनें फ़रिश्तों से कहा कि तुम सब के सब आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक पड़े मगर शैतान कि वह सजदा करने वालों में शामिल न हुआ।

7:12

قَالَ مَا مَنَعَكَ أَلَّا تَسْجُدَ إِذْ أَمَرْتُكَ ۖ قَالَ أَنَا۠ خَيْرٌۭ مِّنْهُ خَلَقْتَنِى مِن نَّارٍۢ وَخَلَقْتَهُۥ مِن طِينٍۢ

क़ा-ल मा म-न-अ-क अल्ला तस्जु-द इज़् अमरतु-क, क़ा-ल अ-ना ख़ैरूम्-मिन्हु, ख़लक़्तनी मिन् नारिंव्-व ख़लक़्तहू मिन् तीन
अल्लाह ने (शैतान से) फरमाया जब मैनें तुझे हुक्म दिया कि तू फिर तुझे सजदा करने से किसी ने रोका कहने लगा मैं उससे अफ़ज़ल हूँ (क्योंकि) तूने मुझे आग (ऐसे लतीफ अनसर) से पैदा किया।

7:13

قَالَ فَٱهْبِطْ مِنْهَا فَمَا يَكُونُ لَكَ أَن تَتَكَبَّرَ فِيهَا فَٱخْرُجْ إِنَّكَ مِنَ ٱلصَّـٰغِرِينَ

क़ा-ल फ़ह़्बित् मिन्हा फ़मा यकूनु ल-क अन् त-तकब्ब -र फ़ीहा फख़्रुज् इन्न-क मिनस्साग़िरीन
और उसको मिटटी (ऐसी काशिफ अनसर) से पैदा किया अल्लाह ने फरमाया (तुझको ये ग़ुरूर है) तो बहिस्त से नीचे उतर जाओ क्योंकि तेरी ये मजाल नहीं कि तू यहाँ रहकर ग़ुरूर करे तो यहाँ से (बाहर) निकल बेशक तू ज़लील लोगों से है।

7:14

قَالَ أَنظِرْنِىٓ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ

क़ा-ल अन्ज़िरनी इला यौमि युब्अ़सून
कहने लगा तो (ख़ैर) हमें उस दिन तक की (मौत से) मोहलत दे।

7:15

قَالَ إِنَّكَ مِنَ ٱلْمُنظَرِينَ

क़ा-ल इन्न-क मिनल् मुन्ज़रीन
स दिन सारी ख़ुदाई के लोग दुबारा जलाकर उठा खड़े किये जाएगें।

7:16

قَالَ فَبِمَآ أَغْوَيْتَنِى لَأَقْعُدَنَّ لَهُمْ صِرَٰطَكَ ٱلْمُسْتَقِيمَ

क़ा-ल फबिमा अग़्वैतनी ल-अक़्अुदन्-न लहुम् सिरा-तकल् मुस्तक़ीम
फ़रमाया (अच्छा मंजूर) तुझे ज़रूर मोहलत दी गयी कहने लगा चूँकि तूने मेरी राह मारी तो मैं भी तेरी सीधी राह पर बनी आदम को (गुमराह करने के लिए) ताक में बैठूं तो सही।

7:17

ثُمَّ لَـَٔاتِيَنَّهُم مِّنۢ بَيْنِ أَيْدِيهِمْ وَمِنْ خَلْفِهِمْ وَعَنْ أَيْمَـٰنِهِمْ وَعَن شَمَآئِلِهِمْ ۖ وَلَا تَجِدُ أَكْثَرَهُمْ شَـٰكِرِينَ

सुम्-म लआतियन्नहुम् मिम्-बैनि ऐदीहिम् व मिन् ख़ल्फ़िहिम् व अन् ऐमानिहिम् व अन् शमा-इलिहिम्, व ला तजिदु अक्स-रहुम् शाकिरीन
फिर उन लोगों से और उनके पीछे से और उनके दाहिने से और उनके बाएं से (गरज़ हर तरफ से) उन पर आ पडॅ़ूगां और (उनको बहकाऊगा) और तू उन में से बहुतरों की शुक्रग़ुज़ार नहीं पायेगा।

7:18

قَالَ ٱخْرُجْ مِنْهَا مَذْءُومًۭا مَّدْحُورًۭا ۖ لَّمَن تَبِعَكَ مِنْهُمْ لَأَمْلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنكُمْ أَجْمَعِينَ

क़ालख़्रुज मिन्हा मज़्ऊ मम्-मद्हूरन्, ल-मन् तबि-अ-क मिन्हुम् लअम्-लअन्-न जहन्न-म मिन्कुम अज्मईन
अल्लाह ने फरमाया यहाँ से बुरे हाल में (राइन्दा होकर निकल) (दूर) जा उन लोगों से जो तेरा कहा मानेगा तो मैं यक़ीनन तुम (और उन) सबको जहन्नुम में भर दूंगा।

7:19

وَيَـٰٓـَٔادَمُ ٱسْكُنْ أَنتَ وَزَوْجُكَ ٱلْجَنَّةَ فَكُلَا مِنْ حَيْثُ شِئْتُمَا وَلَا تَقْرَبَا هَـٰذِهِ ٱلشَّجَرَةَ فَتَكُونَا مِنَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

व या आदमुस्कुन् अन्-त व ज़ौजुकल्जन्न-त फ़-कुला मिन् हैसु शिअ्तुमा व ला तक़्रबा हाज़िहिश्-श-ज-र-त फ़-तकूना मिनज़्-ज़ालिमीन
और (आदम से कहा) ऐ आदम! तुम और तुम्हारी बीबी (दोनों) बहिश्त में रहा सहा करो और जहाँ से चाहो खाओ (पियो) मगर (ख़बरदार) उस दरख़्त के करीब न जाना वरना तुम अपना आप नुक़सान करोगे।

7:20

فَوَسْوَسَ لَهُمَا ٱلشَّيْطَـٰنُ لِيُبْدِىَ لَهُمَا مَا وُۥرِىَ عَنْهُمَا مِن سَوْءَٰتِهِمَا وَقَالَ مَا نَهَىٰكُمَا رَبُّكُمَا عَنْ هَـٰذِهِ ٱلشَّجَرَةِ إِلَّآ أَن تَكُونَا مَلَكَيْنِ أَوْ تَكُونَا مِنَ ٱلْخَـٰلِدِينَ

फ़-वस्व-स लहुमश्-शैतानु लियुब्दि-य लहुमा मा वूरि-य अन्हुमा मिन् सौअतिहिमा व क़ा-ल मा नहाकुमा रब्बुकुमा अन् हाज़िहिश्श-ज-रति इल्ला अन् तकूना म-लकैनि औ तकूना मिनल्ख़ालिदीन
फिर शैतान ने उन दोनों को वसवसा (शक) दिलाया ताकि (नाफरमानी की वजह से) उनके अस्तर की चीज़े जो उनकी नज़र से बहिश्ती लिबास की वजह से पोशीदा थी खोल डाले कहने लगा कि तुम्हारे परवरदिगार ने दोनों को दरख़्त (के फल खाने) से सिर्फ इसलिए मना किया है (कि मुबादा) तुम दोनों फ़रिश्ते बन जाओ या हमेशा (ज़िन्दा) रह जाओ।

7:21

وَقَاسَمَهُمَآ إِنِّى لَكُمَا لَمِنَ ٱلنَّـٰصِحِينَ

व क़ा-स-महुमा इन्नी लकुमा लमिनन्नासिहीन
और उन दोनों के सामने क़समें खायीं कि मैं यक़ीनन तुम्हारा ख़ैर ख़्वाह हूँ।

7:22

فَدَلَّىٰهُمَا بِغُرُورٍۢ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا ٱلشَّجَرَةَ بَدَتْ لَهُمَا سَوْءَٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخْصِفَانِ عَلَيْهِمَا مِن وَرَقِ ٱلْجَنَّةِ ۖ وَنَادَىٰهُمَا رَبُّهُمَآ أَلَمْ أَنْهَكُمَا عَن تِلْكُمَا ٱلشَّجَرَةِ وَأَقُل لَّكُمَآ إِنَّ ٱلشَّيْطَـٰنَ لَكُمَا عَدُوٌّۭ مُّبِينٌۭ

फ़दल्लाहुमा बिग़ुरूरिन्, फ़-लम्मा ज़ाक़श्श-ज-र-त बदत् लहुमा सौआतुहुमा व तफ़िक़ा यख़्सिफ़ानि अलैहिमा मिंव्व-रक़िल्-जन्नति, व नादाहुमा रब्बुहुमा अलम् अन्हकुमा अन् तिल्कुमश्श-ज-रति व अक़ुल् – लकुमा इन्नश्शैता-न लकुमा अदुव्वुम् मुबीन
ग़रज़ धोखे से उन दोनों को उस (के खाने) की तरफ ले गया ग़रज़ जो ही उन दोनों ने इस दरख़्त (के फल) को चखा कि (बहिश्ती लिबास गिर गया और समझ पैदा हुयी) उन पर उनकी शर्मगाहें ज़ाहिर हो गयीं और बहिश्त के पत्ते (तोड़ जोड़ कर) अपने ऊपर ढापने लगे तब उनको परवरदिगार ने उनको आवाज़ दी कि क्यों मैंने तुम दोनों को इस दरख़्त के पास (जाने) से मना नहीं किया था और (क्या) ये न जता दिया था कि शैतान तुम्हारा यक़ीनन खुला हुआ दुश्मन है।

7:23

قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَآ اَنْفُسَنَا وَاِنْ لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ

क़ाला रब्बना ज़लम्-ना अन्फु-सना, व इल्लम् तग़फ़िर् लना व तरहम्-ना ल-नकूनन्-न मिनल् ख़ासिरीन
ये दोनों अर्ज़ करने लगे ऐ हमारे पालने वाले! हमने अपना आप नुकसान किया और अगर तू हमें माफ न फरमाएगा और हम पर रहम न करेगा तो हम बिल्कुल घाटे में ही रहेगें।

7:24

قَالَ ٱهْبِطُوا۟ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّۭ ۖ وَلَكُمْ فِى ٱلْأَرْضِ مُسْتَقَرٌّۭ وَمَتَـٰعٌ إِلَىٰ حِينٍۢ

क़ालह़्बितू बअ्ज़ुकुम् लि-बअ्ज़िन् अ़दुव्वुन्, व लकुम् फ़िलअर्ज़ि मुस्तक़र्रूंव्-व मताअुन् इला हीन
हुक्म हुआ तुम (मियां बीबी शैतान) सब के सब बहिश्त से नीचे उतरो तुममें से एक का एक दुश्मन है और (एक ख़ास) वक़्त तक तुम्हारा ज़मीन में ठहराव (ठिकाना) और जि़न्दगी का सामना है।

7:25

قَالَ فِيهَا تَحْيَوْنَ وَفِيهَا تَمُوتُونَ وَمِنْهَا تُخْرَجُونَ

क़ा-ल फ़ीहा तह़्यौ-न व फ़ीहा तमूतू-न व मिन्हा तुख़रजून
अल्लाह ने (ये भी) फरमाया कि तुम ज़मीन ही में जिन्दगी बसर करोगे और इसी में मरोगे।

7:26

يَـٰبَنِىٓ ءَادَمَ قَدْ أَنزَلْنَا عَلَيْكُمْ لِبَاسًۭا يُوَٰرِى سَوْءَٰتِكُمْ وَرِيشًۭا ۖ وَلِبَاسُ ٱلتَّقْوَىٰ ذَٰلِكَ خَيْرٌۭ ۚ ذَٰلِكَ مِنْ ءَايَـٰتِ ٱللَّهِ لَعَلَّهُمْ يَذَّكَّرُونَ

या बनी आद-म क़द् अन्ज़ल्ना अ़लैकुम् लिबासंय्युवारी सौआतिकुम् वरीशन्, व लिबासुत्तक़्वा,
 ज़ालि-क खैरून, ज़ालि-क मिन् आयातिल्लाहि लअल्लहुम यज़्ज़क्करून
और उसी में से (और) उसी में से फिर दोबारा तुम ज़िन्दा करके निकाले जाओगे ऐ आदम की औलाद हमने तुम्हारे लिए पोशाक नाजि़ल की जो तुम्हारे शर्मगाहों को छिपाती है और ज़ीनत के लिए कपड़े और इसके अलावा परहेज़गारी का लिबास है और ये सब (लिबासों) से बेहतर है ये (लिबास) भी अल्लाह (की कुदरत) की निशानियों से है।

7:27

يَـٰبَنِىٓ ءَادَمَ لَا يَفْتِنَنَّكُمُ ٱلشَّيْطَـٰنُ كَمَآ أَخْرَجَ أَبَوَيْكُم مِّنَ ٱلْجَنَّةِ يَنزِعُ عَنْهُمَا لِبَاسَهُمَا لِيُرِيَهُمَا سَوْءَٰتِهِمَآ ۗ إِنَّهُۥ يَرَىٰكُمْ هُوَ وَقَبِيلُهُۥ مِنْ حَيْثُ لَا تَرَوْنَهُمْ ۗ إِنَّا جَعَلْنَا ٱلشَّيَـٰطِينَ أَوْلِيَآءَ لِلَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ

या बनी आद-म ला यक्तिनन्नकुमुश्शैतानु कमा अख़्र-ज अ-बवैकुम् मिनल्जन्नति यन्ज़िअु अन्हुमा लिबा- सहुमा लियुरि-यहुमा सौआतिहिमा, इन्नहू यराकुम् हु- व वक़बीलुहू मिन्हैसु ला तरौनहुम्, इन्ना जअ़ल्नश्शयाती-न औलिया-अ लिल्लज़ी-न ला युअ्मिनून
ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल करें ऐ औलादे आदम! (होशियार रहो) कहीं तुम्हें शैतान बहका न दे जिस तरह उसने तुम्हारे बाप माँ आदम व हव्वा को बेहशत से निकलवा छोड़ा उसी ने उन दोनों से (बहश्ती) पोशाक उतरवाई ताकि उन दोनों को उनकी शर्मगाहें दिखा दे वह और उसका क़ुनबा ज़रूर तुम्हें इस तरह देखता रहता है कि तुम उन्हे नहीं देखने पाते हमने शैतानों को उन्हीं लोगों का रफीक़ क़रार दिया है।

7:28

وَإِذَا فَعَلُوا۟ فَـٰحِشَةًۭ قَالُوا۟ وَجَدْنَا عَلَيْهَآ ءَابَآءَنَا وَٱللَّهُ أَمَرَنَا بِهَا ۗ قُلْ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَأْمُرُ بِٱلْفَحْشَآءِ ۖ أَتَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ

व इज़ा फ़-अलू फ़ाहि-शतन् क़ालू वजद्-ना अ़लैहा आबा-अना वल्लाहु अ-म-रना बिहा, क़ुल इन्नल्ला-ह ला यअ्मुरू बिल्फह़्शा-इ, अ-तक़ूलू-न अलल्लाहि मा ला तअ्लमून
जो ईमान नही रखते और वह लोग जब कोई बुरा काम करते हैं कि हमने उस तरीके पर अपने बाप दादाओं को पाया और अल्लाह ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि अल्लाह ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि अल्लाह हरगिज़ बुरे काम का हुक्म नहीं देता क्या तुम लोग अल्लाह पर (इफ्तिरा करके) वह बातें कहते हो जो तुम नहीं जानते।

7:29

قُلْ أَمَرَ رَبِّى بِٱلْقِسْطِ ۖ وَأَقِيمُوا۟ وُجُوهَكُمْ عِندَ كُلِّ مَسْجِدٍۢ وَٱدْعُوهُ مُخْلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ ۚ كَمَا بَدَأَكُمْ تَعُودُونَ

क़ुल् अ-म-र रब्बी बिल्क़िस्ति, व अक़ीमू वुजूहकुम् अिन्-द कुल्लि मस्जिदिंव-वद्अुहु मुख़्लिसी-न लहुद्दी-न, कमा ब-द-अकुम् तअूदून
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरे परवरदिगार ने तो इन्साफ का हुक्म दिया है और (ये भी क़रार दिया है कि) हर नमाज़ के वक्त अपने अपने मुँह (कि़बले की तरफ़) सीधे कर लिया करो और इसके लिए निरी खरी इबादत करके उससे दुआ मांगो जिस तरह उसने तुम्हें शुरू शुरू पैदा किया था।

7:30

فَرِيقًا هَدَىٰ وَفَرِيقًا حَقَّ عَلَيْهِمُ ٱلضَّلَـٰلَةُ ۗ إِنَّهُمُ ٱتَّخَذُوا۟ ٱلشَّيَـٰطِينَ أَوْلِيَآءَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَيَحْسَبُونَ أَنَّهُم مُّهْتَدُونَ

फ़रीक़न् हदा व फ़रीक़न् हक़्-क़ अलैहिमुज़्ज़लालतु, इन्नहुमुत्त ख़ज़ुश्शयाती-न औलिया-अ मिन् दूनिल्लाहि व यह़्सबू-न अन्नहुम् मुह़्तदून
उसी तरह फिर (दोबारा) जि़न्दा किये जाओगे उसी ने एक फरीक़ की हिदायत की और एक गिरोह (के सर) पर गुमराही सवार हो गई उन लोगों ने अल्लाह को छोड़कर शैतानों को अपना सरपरस्त बना लिया और बावजूद उसके गुमराह करते हैं कि वह राह रास्ते पर है।

7:31

 يٰبَنِيْٓ اٰدَمَ خُذُوْا زِيْنَتَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّكُلُوْا وَاشْرَبُوْا وَلَا تُسْرِفُوْاۚ اِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْمُسْرِفِيْنَ ࣖ

या बनी आद-म ख़ुज़ू ज़ीन-तकुम् अिन्-द कुल्लि मस्जिदिंव्-व कुलू वश्रबू व ला तुस्रिफू, इन्नहू ला युहिब्बुल मुस्रिफीन
ऐ औलाद आदम हर नमाज़ के वक़्त बन सवर के निखर जाया करो और खाओ और पियो और फिज़ूल ख़र्ची मत करो (क्योंकि) अल्लाह फिज़ूल ख़र्च करने वालों को दोस्त नहीं रखता।

7:32

قُلْ مَنْ حَرَّمَ زِيْنَةَ اللّٰهِ الَّتِيْٓ اَخْرَجَ لِعِبَادِهٖ وَالطَّيِّبٰتِ مِنَ الرِّزْقِۗ قُلْ هِيَ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا خَالِصَةً يَّوْمَ الْقِيٰمَةِۗ كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ

क़ुल् मन् हर्र-म ज़ी-नतल्लाहिल्लती अख़्र-ज लिअिबादिही वत्तय्यिबाति मिनर्रिज़्क़ि, क़ुल् हि-य लिल्लज़ी-न आमनू फ़िल्हयातिद्दुन्या ख़ालि-सतंय्यौमल्-क़ियामति, कज़ालि-क नुफस्सिलुल् -आयाति लिकौमिंय्यअ्लमून
(ऐ रसूल से) पूछो तो कि जो ज़ीनत (के साज़ों सामान) और खाने की साफ सुथरी चीज़ें अल्लाह ने अपने बन्दो के वास्ते पैदा की हैं किसने हराम कर दी तुम ख़ुद कह दो कि सब पाक़ीज़ा चीज़े क़यामत के दिन उन लोगों के लिए ख़ास हैं जो दुनिया की (ज़रा सी) जि़न्दगी में ईमान लाते थे हम यूँ अपनी आयतें समझदार लोगों के वास्ते तफसीलदार बयान करतें हैं।

7:33

قُلْ اِنَّمَا حَرَّمَ رَبِّيَ الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ وَالْاِثْمَ وَالْبَغْيَ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَاَنْ تُشْرِكُوْا بِاللّٰهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهٖ سُلْطٰنًا وَّاَنْ تَقُوْلُوْا عَلَى اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ

क़ुल इन्नमा हर्र-म रब्बियल्-फवाहि-श मा ज़-ह-र मिन्हा वमा ब-त-न वल्इस्-म वल्बग्-य बिग़ैरिल्हक़्कि व अन् तुश्रिकू बिल्लाहि मा लम् युनज़्ज़िल् बिही सुल्तानंव्-व अन् तक़ूलू अलल्लाहि मा ला तअ्लमून
(ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि हमारे परवरदिगार ने तो तमाम बदकारियों को ख़्वाह (चाहे) ज़ाहिरी हो या बातिनी और गुनाह और नाहक़ ज़्यादती करने को हराम किया है और इस बात को कि तुम किसी को अल्लाह का शरीक बनाओ जिनकी उनसे कोई दलील न ही नाजि़ल फरमाई और ये भी कि बे समझे बूझे अल्लाह पर बोहतान बाधों।

7:34

وَلِكُلِّ اُمَّةٍ اَجَلٌۚ فَاِذَا جَاۤءَ اَجَلُهُمْ لَا يَسْتَأْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا يَسْتَقْدِمُوْنَ

व लिकुल्लि उम्मतिन् अ-जलुन् फ़-इज़ा जा-अ अ-जलुहुम् ला यस्तअ्खिरू-न सा-अतंव् व ला यस्तक़्दिमून
और हर गिरोह (के न पैदा होने) का एक ख़ास वक़्त है फिर जब उनका वक्त आ पहुंचता है तो न एक घड़ी पीछे रह सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं।

7:35

يٰبَنِيْٓ اٰدَمَ اِمَّا يَأْتِيَنَّكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ يَقُصُّوْنَ عَلَيْكُمْ اٰيٰتِيْۙ فَمَنِ اتَّقٰى وَاَصْلَحَ فَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ

या बनी आद-म इम्मा यअ्तियन्नकुम् रूसुलुम्-मिन्कुम् यक़ुस्सू-न अलैकुम् आयाती, फ-मनित्तक़ा व अस्ल-ह फला ख़ौ
फुन् अलैहिम् व ला हुम् यह़्ज़नून
ऐ औलादे आदम! जब तुम में के (हमारे) पैग़म्बर तुम्हारे पास आए और तुमसे हमारे एहकाम बयान करे तो (उनकी इताअत करना क्योंकि जो शख़्स परहेज़गारी और नेक काम करेगा तो ऐसे लोगों पर न तो (क़यामत में) कोई ख़ौफ़ होगा और न वह आजऱ्दा ख़ातिर (परेशान) होंगें।

7:36

وَالَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَاسْتَكْبَرُوْا عَنْهَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ

वल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना वस्तक्बरू अन्हा उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और उनसे सरताबी कर बैठे वह लोग जहन्नुमी हैं कि वह उसमें हमेशा रहेगें।

7:37

فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰيٰتِهٖۗ اُولٰۤىِٕكَ يَنَالُهُمْ نَصِيْبُهُمْ مِّنَ الْكِتٰبِۗ حَتّٰٓى اِذَا جَاۤءَتْهُمْ رُسُلُنَا يَتَوَفَّوْنَهُمْۙ قَالُوْٓا اَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۗقَالُوْا ضَلُّوْا عَنَّا وَشَهِدُوْا عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِيْنَ

फ-मन् अज़्लमु मिम्-मनिफ़्तरा अलल्लाहि कज़िबन् औ कज़्ज़-ब बिआयातिही, उलाइ-क यनालुहुम् नसीबुहुम् मिनल-किताबि, हत्ता इज़ा जाअत्हुम् रूसुलुना य-तवफ्फ़ौनहुम्, क़ालू ऐ-न मा कुन्तुम् तद्अू-न मिन् दूनिल्लाहि, क़ालू ज़ल्लू अन्ना व शहिदू अला अन्फुसिहिम् अन्नहुम् कानू काफ़िरीन
तो जो शख़्स अल्लाह पर झूठ बोहतान बाधे या उसकी आयतों को झुठलाए उससे बढ़कर ज़ालिम और कौन होगा फिर तो वह लोग हैं जिन्हें उनकी (तक़दीर) का लिखा हिस्सा (रिज़क) वग़ैरह मिलता रहेगा यहाँ तक कि जब हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) उनके पास आकर उनकी रूह कब्ज़ करेगें तो (उनसे) पूछेगें कि जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारा करते थे अब वह (कहाँ हैं तो वह कुफ्फार) जवाब देगें कि वह सब तो हमें छोड़ कर चल चंपत हुए और अपने खिलाफ आप गवाही देगें कि वह बेशक काफि़र थे।

7:38

قَالَ ٱدْخُلُوا۟ فِىٓ أُمَمٍ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِكُم مِّنَ ٱلْجِنِّ وَٱلْإِنسِ فِى ٱلنَّارِ كُلَّمَا دَخَلَتْ أُمَّةٌ لَّعَنَتْ أُخْتَهَا حَتَّىٰٓ إِذَا ٱدَّارَكُوا۟ فِيهَا جَمِيعًا قَالَتْ أُخْرَىٰهُمْ لِأُولَىٰهُمْ رَبَّنَا هَٰٓؤُلَآءِ أَضَلُّونَا فَـَٔاتِهِمْ عَذَابًا ضِعْفًا مِّنَ ٱلنَّارِ قَالَ لِكُلٍّ ضِعْفٌ وَلَٰكِن لَّا تَعْلَمُونَ

क़ालद्ख़ुलू फी उ-ममिन् क़द् ख़लत् मिन् क़ब्लिकुम् मिनल-जिन्नि वल्इन्सि फिन्नारि, कुल्लमा द-ख़लत् उम्मतुल्ल-अनत् उख़्तहा, हत्ता इज़द्दा-रकू फीहा जमीअन्, क़ालत् उख़्राहुम् लिऊलाहुम् रब्बना हा-उला-इ अज़ल्लूना फ़आ़तिहिम् अज़ाबन् ज़िअ्फम्- मिनन्नारि, क़ा-ल लिकुल्लिन् ज़िअ्फुंव्-व लाकिल्ला तअ्लमून
(तब अल्लाह उनसे) फरमाएगा कि जो लोग जिन व इन्स के तुम से पहले बसे हैं उन्हीं में मिलजुल कर तुम भी जहन्नुम वासिल हो जाओ (और ) एहले जहन्नुम का ये हाल होगा कि जब उसमें एक गिरोह दाखि़ल होगा तो अपने साथी दूसरे गिरोह पर लानत करेगा यहाँ तक कि जब सब के सब पहुँच जाएगें तो उनमें की पिछली जमात अपने से पहली जमाअत के वास्ते बदद्आ करेगी कि परवरदिगार उन्हीं लोगों ने हमें गुमराह किया था तो उन पर जहन्नुम का दोगुना अज़ाब फरमा (इस पर) अल्लाह फरमाएगा कि हर एक के वास्ते दो गुना अज़ाब है लेकिन (तुम पर) तुफ़ है तुम जानते नहीं।

7:39

وَقَالَتْ اُوْلٰىهُمْ لِاُخْرٰىهُمْ فَمَا كَانَ لَكُمْ عَلَيْنَا مِنْ فَضْلٍ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْسِبُوْنَ ࣖ

व क़ालत् ऊलाहुम् लिउख़राहुम् फमा का-न लकुम् अ़लैना मिन् फ़ज्लिन् फज़ूक़ुल्-अज़ा-ब बिमा कुन्तुम् तक्सिबून
और उनमें से पहली जमाअत पिछली जमाअत की तरफ मुख़ातिब होकर कहेगी कि अब तो तुमको हमपर कोई फज़ीलत न रही पस (हमारी तरह) तुम भी अपने करतूत की बदौलत अज़ाब (के मज़े) चखो बेशक जिन लोगों ने हमारे आयात को झुठलाया।

7:40

اِنَّ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَاسْتَكْبَرُوْا عَنْهَا لَا تُفَتَّحُ لَهُمْ اَبْوَابُ السَّمَاۤءِ وَلَا يَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ حَتّٰى يَلِجَ الْجَمَلُ فِيْ سَمِّ الْخِيَاطِ ۗ وَكَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُجْرِمِيْنَ

इन्नल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना वस्तक्बरू अ़न्हा ला तुफ़त्तहु लहुम् अब्वाबु स्समा-इ व ला यद्ख़ुलूनल् जन्न-त हत्ता यलिजल्-ज-मलु फी सम्मिल् ख़ियाति, व कज़ालि-क नज़्ज़िल्-मुज्रिमीन
और उनसे सरताबी की न उनके लिए आसमान के दरवाज़े खोले जाएंगें और वह बेहश्त्त ही में दाखिल होने पाएगें यहाँ तक कि ऊँट सूई के नाके में होकर निकल जाए (यानि जिस तरह ये मुहाल है) उसी तरह उनका बहिस्त में दाखिल होना मुहाल है और हम मुजरिमों को ऐसी ही सज़ा दिया करते हैं उनके लिए जहन्नुम (की आग) का बिछौना होगा।

7:41

لَهُمْ مِّنْ جَهَنَّمَ مِهَادٌ وَّمِنْ فَوْقِهِمْ غَوَاشٍۗ وَكَذٰلِكَ نَجْزِى الظّٰلِمِيْنَ

लहुम् मिन् जहन्न-म मिहादुंव्-व मिन् फौक़िहिम् ग़वाशिन्, व कज़ालि-क नज्ज़िज़्ज़ालिमीन
और उनके ऊपर से (आग ही का) ओढ़ना भी और हम ज़ालिमों को ऐसी ही सज़ा देते हैं और जिन लोगों ने ईमान कुबुल किया।

7:42

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ

वल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्-सालिहाति ला नुकल्लिफु नफ्सन् इल्ला वुस्अ़हा, उलाइ-क अस्हाबुल्-जन्नति, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
और अच्छे अच्छे काम किये और हम तो किसी शख़्स को उसकी ताकत से ज़्यादा तकलीफ देते ही नहीं यहीं लोग जन्नती हैं कि वह हमेशा जन्नत ही में रहा (सहा) करेगें।

7:43

وَنَزَعْنَا مَا فِيْ صُدُوْرِهِمْ مِّنْ غِلٍّ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْاَنْهٰرُۚ وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ هَدٰىنَا لِهٰذَاۗ وَمَا كُنَّا لِنَهْتَدِيَ لَوْلَآ اَنْ هَدٰىنَا اللّٰهُ ۚ لَقَدْ جَاۤءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّۗ وَنُوْدُوْٓا اَنْ تِلْكُمُ الْجَنَّةُ اُوْرِثْتُمُوْهَا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ

व नज़अ्ना मा फी सुदूरिहिम् मिन् ग़िल्लिन् तज्री मिन् तह़्तिहिमुल-अन्हारू, व क़ालुल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी हदाना लिहाज़ा, व मा कुन्ना लिनह्तदि-य लौ ला अन् हदानल्लाहु, ल-क़द् जाअत् रूसुलु रब्बिना बिल्हक़्क़ि, व नूदू अन् तिल्कुमुल्-जन्नतु ऊरिस्तुमूहा बिमा कुन्तुम् तअ्मलून
और उन लोगों के दिल में जो कुछ (बुग़ज़ व कीना) होगा वह सब हम निकाल (बाहर कर) देगे उनके महलों के नीचे नहरें जारी होगीं और कहते होगें शुक्र है उस अल्लाह का जिसने हमें इस (मंजि़ले मक़सूद) तक पहुंचाया और अगर अल्लाह हमें यहाँ न पहुंचाता तो हम किसी तरह यहाँ न पहुंच सकते बेशक हमारे परवरदिगार के पैग़म्बर दीने हक़ लेकर आये थे और उन लोगों से पुकार कर कह दिया जाएगा कि वह बेहिशत हैं जिसके तुम अपनी कारग़ुज़ारियों की जज़ा में वारिस व मालिक बनाए गये हों।

7:44

وَنَادٰٓى اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ اَصْحٰبَ النَّارِ اَنْ قَدْ وَجَدْنَا مَا وَعَدَنَا رَبُّنَا حَقًّا فَهَلْ وَجَدْتُّمْ مَّا وَعَدَ رَبُّكُمْ حَقًّا ۗقَالُوْا نَعَمْۚ فَاَذَّنَ مُؤَذِّنٌۢ بَيْنَهُمْ اَنْ لَّعْنَةُ اللّٰهِ عَلَى الظّٰلِمِيْنَ

व नादा अस्हाबुल्-जन्नति अस्हाबन्नारि अन् क़द् वजद्ना मा व-अ-दना रब्बुना हक़्क़न् फ़-हल् वजत्तुम् मा व- अ-द रब्बुकुम् हक़्क़न्, क़ालू न-अम्, फ़ अज़्ज़-न मुअज्ज़िनुम् बैनहुम् अल्लअ्-नतुल्लाहि अ़लज़्ज़ालिमीन
और जन्नती लोग जहन्नुमी वालों से पुकार कर कहेगें हमने तो बेशक जो हमारे परवरदिगार ने हमसे वायदा किया था ठीक ठीक पा लिया तो क्या तुमने भी जो तुमसे तम्हारे परवरदिगार ने वायदा किया था ठीक पाया (या नहीं) अहले जहन्नुम कहेगें हाँ (पाया) एक मुनादी उनके दरमियान निदा करेगा कि ज़ालिमों पर अल्लाह की लानत है।

7:45

اَلَّذِيْنَ يَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَيَبْغُوْنَهَا عِوَجًاۚ وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ كٰفِرُوْنَۘ

अल्लज़ी-न यसुद्दू-न अन् सबीलिल्लाहि व यब्ग़ूनहा अि-वजन्, व हुम् बिल्आख़ि-रति काफ़िरून
जो अल्लाह की राह से लोगों को रोकते थे और उसमें (ख़्वामख़्वाह) कज़ी (टेढ़ा पन) करना चाहते थे और वह रोज़े आख़ेरत से इन्कार करते थे।

7:46

وَبَيْنَهُمَا حِجَابٌۚ وَعَلَى الْاَعْرَافِ رِجَالٌ يَّعْرِفُوْنَ كُلًّا ۢ بِسِيْمٰىهُمْۚ وَنَادَوْا اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ سَلٰمٌ عَلَيْكُمْۗ لَمْ يَدْخُلُوْهَا وَهُمْ يَطْمَعُوْنَ

व बैनहुमा हिजाबुन्, व अलल्-अअ्-राफ़ि रिजालुंय्यअ्-रिफू-न कुल्लम्-बिसीमाहुम्, व नादौ अस्हाबल्-जन्नति अन् सलामुन् अलैकुम्, लम् यद्ख़ुलूहा व हुम् यत्मअू-न
और बहिश्त व दोज़ख के दरमियान एक हद फ़ासिल है और कुछ लोग आराफ़ पर होगें जो हर शख़्स को (बहिस्ती हो या जहन्नुमी) उनकी पेशानी से पहचान लेगें और वह जन्नत वालों को आवाज़ देगें कि तुम पर सलाम हो या (आराफ़ वाले) लोग अभी दाखि़ले जन्नत नहीं हुए हैं मगर वह तमन्ना ज़रूर रखते हैं।

7:47

 وَاِذَا صُرِفَتْ اَبْصَارُهُمْ تِلْقَاۤءَ اَصْحٰبِ النَّارِۙ قَالُوْا رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ࣖ

व इज़ा सुरिफ़त् अब्सारूहुम् तिल्क़ा-अ अस्हाबिन्नारि, क़ालू रब्बना ला तज्अल्ना मअ़ल् क़ौमिज़्ज़ालिमीन
और जब उनकी निगाहें पलटकर जहन्नुमी लोगों की तरफ जा पड़ेगीं (तो उनकी ख़राब हालत देखकर अल्लाह से अजऱ् करेगें) ऐ हमारे परवरदिगार हमें ज़ालिम लोगों का साथी न बनाना।

7:48

وَنَادٰٓى اَصْحٰبُ الْاَعْرَافِ رِجَالًا يَّعْرِفُوْنَهُمْ بِسِيْمٰىهُمْ قَالُوْا مَآ اَغْنٰى عَنْكُمْ جَمْعُكُمْ وَمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُوْنَ

व नादा अस्हाबुल्-अअ्-राफि रिजालंय्-यअ्-रिफूनहुम् बिसीमाहुम् क़ालू मा अग़्ना अ़न्कुम् जम्अुकुम् व मा कुन्तुम् तस्तक्बिरून
और आराफ वाले कुछ (जहन्नुमी) लोगों को जिन्हें उनका चेहरा देखकर पहचान लेगें आवाज़ देगें और और कहेगें अब न तो तुम्हारा जत्था ही तुम्हारे काम आया और न तुम्हारी शेखी बाज़ी ही (सूद मन्द हुयी)।

7:49

اَهٰٓؤُلَاۤءِ الَّذِيْنَ اَقْسَمْتُمْ لَا يَنَالُهُمُ اللّٰهُ بِرَحْمَةٍۗ اُدْخُلُوا الْجَنَّةَ لَا خَوْفٌ عَلَيْكُمْ وَلَآ اَنْتُمْ تَحْزَنُوْنَ

अहा-उला-इल्लज़ी-न अक़्सम्तुम् ला यनालुहुमुल्लाहु बिरह् मतिन्, उद्ख़ुलुल्-जन्न-त ला ख़ौ
फुन अलैकुम् व ला अन्तुम तह़्ज़नून
जो तुम दुनिया में किया करते थे यही लोग वह हैं जिनकी निस्बत तुम कसमें खाया करते थे कि उन पर अल्लाह (अपनी) रहमत न करेगा (देखो आज वही लोग हैं जिनसे कहा गया कि बेतकल्लुफ) बेहशत में चलो जाओ न तुम पर कोई खौफ है और न तुम किसी तरह आज़र्दा ख़ातिर परेशानी होगी।

7:50

وَنَادٰٓى اَصْحٰبُ النَّارِ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ اَفِيْضُوْا عَلَيْنَا مِنَ الْمَاۤءِ اَوْ مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ ۗقَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ حَرَّمَهُمَا عَلَى الْكٰفِرِيْنَۙ

व नादा अस्हाबुन्नारि अस्हाबल्-जन्नति अन् अफ़ीज़ू अलैना मिनल्मा-इ औ मिम्मा र-ज़-क़कुमुल्लाहु, क़ालू इन्नल्ला-ह हर्र-महुमा अ़लल्-काफ़िरीन
और दोज़ख वाले अहले बहिश्त को (लजाजत से) आवाज़ देगें कि हम पर थोड़ा सा पानी ही उंडेल दो या जो (नेअमतों) अल्लाह ने तुम्हें दी है उसमें से कुछ (दे डालो दो तो अहले बहिश्त जवाब में) कहेंगें कि अल्लाह ने तो जन्नत का खाना पानी काफिरों पर कतई हराम कर दिया है।

7:51

الَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا دِيْنَهُمْ لَهْوًا وَّلَعِبًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَاۚ فَالْيَوْمَ نَنْسٰىهُمْ كَمَا نَسُوْا لِقَاۤءَ يَوْمِهِمْ هٰذَاۙ وَمَا كَانُوْا بِاٰيٰتِنَا يَجْحَدُوْنَ

अल्लज़ीनत्त-ख़ज़ू दीनहुम् लह़्वंव्-व लअिबंव्-व ग़र्रत्हुमुल्-हयातुद्दुन्या, फ़ल्यौ-म नन्साहुम् कमा नसू लिक़ा-अ यौमिहिम् हाज़ा, व मा कानू बिआयातिना यज्हदून
जिन लोगों ने अपने दीन को खेल तमाशा बना लिया था और दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी ने उनको फरेब दिया था तो हम भी आज (क़यामत में) उन्हें (क़सदन) भूल जाएगें।

7:52

وَلَقَدْ جِئْنٰهُمْ بِكِتٰبٍ فَصَّلْنٰهُ عَلٰى عِلْمٍ هُدًى وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ

व ल-क़द् जिअ्नाहुम् बिकिताबिन् फ़स्सल्नाहु अ़ला अिल्मिन् हुदंव्-व रह़्मतल्-लिक़ौमिंय्-युअ्मिनून
जिस तरह यह लोग (हमारी) आज की हुज़ूरी को भूलें बैठे थे और हमारी आयतों से इन्कार करते थे हालांकि हमने उनके पास (रसूल की मारफत किताब भी भेज दी है)।

7:53

هَلْ يَنْظُرُوْنَ اِلَّا تَأْوِيْلَهٗۗ يَوْمَ يَأْتِيْ تَأْوِيْلُهٗ يَقُوْلُ الَّذِيْنَ نَسُوْهُ مِنْ قَبْلُ قَدْ جَاۤءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّۚ فَهَلْ لَّنَا مِنْ شُفَعَاۤءَ فَيَشْفَعُوْا لَنَآ اَوْ نُرَدُّ فَنَعْمَلَ غَيْرَ الَّذِيْ كُنَّا نَعْمَلُۗ قَدْ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ࣖ

हल् यन्ज़ुरू-न इल्ला तअ्वी-लहू, यौ-म यअ्ती तअ्वीलुहू यक़ूलुल्लज़ी-न नसूहु मिन् क़ब्लु क़द् जाअत् रूसुलु रब्बिना बिल्हक़्क़ि, फ़हल्-लना मिन् शु-फ़आ-अ फ़यश्फ़अू लना औ नुरद्दू फ़नअ्-म-ल ग़ैरल्लज़ी कुन्ना नअ्-मलु, क़द् ख़सिरू अन्फु-सहुम् व ज़ल्-ल अन्हुम् मा कानू यफ़्तरून
जिसे हर तरह समझ बूझ के तफसीलदार बयान कर दिया है (और वह) ईमानदार लोगों के लिए हिदायत और रहमत है क्या ये लोग बस सिर्फ अन्जाम (क़यामत ही) के मुन्तजि़र है (हालांकि) जिस दिन उसके अन्जाम का (वक़्त) आ जाएगा तो जो लोग उसके पहले भूले बैठे थे (बेसाख़्ता) बोल उठेगें कि बेशक हमारे परवरदिगार के सब रसूल हक़ लेकर आये थे तो क्या उस वक़्त हमारी भी सिफारिश करने वाले हैं जो हमारी सिफारिष करें या हम फिर (दुनिया में) लौटाएं जाएं तो जो जो काम हम करते थे उसको छोड़कर दूसरें काम करें।

7:54

اِنَّ رَبَّكُمُ اللّٰهُ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ فِيْ سِتَّةِ اَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰى عَلَى الْعَرْشِۗ يُغْشِى الَّيْلَ النَّهَارَ يَطْلُبُهٗ حَثِيْثًاۙ وَّالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ وَالنُّجُوْمَ مُسَخَّرٰتٍۢ بِاَمْرِهٖٓ ۙاَلَا لَهُ الْخَلْقُ وَالْاَمْرُۗ تَبٰرَكَ اللّٰهُ رَبُّ الْعٰلَمِيْنَ

इन्-न रब्बकुमुल्लाहुल्लज़ी ख-लक़स्समावाति वल्अर्-ज़ फ़ी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्-अर्शि, युग़्शिल्लैलन्नहा-र यत्लुबुहू हसीसंव् वश्शम्-स वल्क़-म-र वन्नुजू-म मुस्ख़्ख़रातिम्-बिअम्रिही, अला लहुल-ख़ल्क़ु वल्अम्रू, तबा-रकल्लाहु रब्बुल आलमीन
बेशक उन लोगों ने अपना सख़्त घाटा किया और जो इफ़तेरा परदाजि़या किया करते थे वह सब गायब़ (ग़ल्ला) हो गयीं बेशक तुम्हारा परवरदिगार अल्लाह ही है जिसके (सिर्फ) 6 दिनों में आसमान और ज़मीन को पैदा किया फिर अर्श के बनाने पर आमादा हुआ वही रात को दिन का लिबास पहनाता है तो (गोया) रात दिन को पीछे पीछे तेज़ी से ढूंढती फिरती है और उसी ने आफ़ताब और माहताब और सितारों को पैदा किया कि ये सब के सब उसी के हुक्म के ताबेदार हैं।

7:55

اُدْعُوْا رَبَّكُمْ تَضَرُّعًا وَّخُفْيَةً ۗاِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْمُعْتَدِيْنَۚ

उद्अू रब्बकुम् त-ज़र्रूअंव्-व ख़ुफ़्य-तन्, इन्नहू ला युहिब्बुल मुअ्तदीन
देखो हुकूमत और पैदा करना बस ख़ास उसी के लिए है वह अल्लाह जो सारे जहाँन का परवरदिगार बरक़त वाला है।

7:56

وَلَا تُفْسِدُوْا فِى الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَا وَادْعُوْهُ خَوْفًا وَّطَمَعًاۗ اِنَّ رَحْمَتَ اللّٰهِ قَرِيْبٌ مِّنَ الْمُحْسِنِيْنَ

व ला तुफ़्सीदू फ़िल्अर्ज़ि बअ्-द इस्लाहिहा वद्अूहु ख़ौफ़ूंव्-व त मअ़न्, इन्-न रह़्मतल्लाहि क़रीबुम् मिनल मुह़्सिनीन
(लोगों) अपने परवरदिगार से गिड़गिड़ाकर और चुपके – चुपके दुआ करो, वह हद से तजाविज़ करने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता और ज़मीन में असलाह के बाद फसाद न करते फिरो और (अज़ाब) के ख़ौफ से और (रहमत) की आस लगा के अल्लाह से दुआ मांगो।

7:57

وَهُوَ الَّذِيْ يُرْسِلُ الرِّيٰحَ بُشْرًاۢ بَيْنَ يَدَيْ رَحْمَتِهٖۗ حَتّٰٓى اِذَآ اَقَلَّتْ سَحَابًا ثِقَالًا سُقْنٰهُ لِبَلَدٍ مَّيِّتٍ فَاَنْزَلْنَا بِهِ الْمَاۤءَ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِۗ كَذٰلِكَ نُخْرِجُ الْمَوْتٰى لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ

व हुवल्लज़ी युर्सिलुर्रिया-ह बुश्रम् बै-न यदै रह़्मतिही, हत्ता इज़ा अक़ल्लत् सहाबन् सिक़ालन् सुक़्नाहु लि-ब-लदिम् मय्यितिन् फ़-अन्ज़ल्ना बिहिल्-मा-अ फ़अख़्-रज्-ना बिही मिन् कुल्लिस्स-मराति, कज़ालि-क नुख़रिजुल्मौता लअ़ल्लकुम् तज़क्करून
(क्योंकि) नेकी करने वालों से अल्लाह की रहमत यक़ीनन क़रीब है और वही तो (वह) अल्लाह है जो अपनी रहमत (अब्र) से पहले खुशखबरी देने वाली हवाओ को भेजता है यहाँ तक कि जब हवाएं (पानी से भरे) बोझल बादलों के ले उड़े तो हम उनको किसी शहर की की तरफ (जो पानी का नायाबी (कमी) से गोया) मर चुका था हॅका दिया फिर हमने उससे पानी बरसाया, फिर हमने उससे हर तरह के फल ज़मीन से निकाले।

7:58

وَالْبَلَدُ الطَّيِّبُ يَخْرُجُ نَبَاتُهٗ بِاِذْنِ رَبِّهٖۚ وَالَّذِيْ خَبُثَ لَا يَخْرُجُ اِلَّا نَكِدًاۗ كَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّشْكُرُوْنَ ࣖ

वल्ब-लदुत्तय्यिबु यख़्-रूजु नबातुहू बि-इज़् नि रब्बिही, वल्लज़ी ख़बु-स ला यख़्रुजु इल्ला नकिदन्, कज़ालि-क नुसर्रिफुल-आयाति लिक़ौमिंय्यश्कुरून
हम यूही (क़यामत के दिन ज़मीन से) मुर्दों को निकालेंगें ताकि तुम लोग नसीहत व इबरत हासिल करो और उम्दा ज़मीन उसके परवरदिगार के हुक्म से उस सब्ज़ा (अच्छा ही) है और जो ज़मीन बड़ी है उसकी पैदावार ख़राब ही होती है।

7:59

لَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰى قَوْمِهٖ فَقَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيْمٍ

ल-क़द् अरसल्ना नूहन् इला क़ौमिही फ़क़ा-ल या-क़ौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, इन्नी अख़ाफु अ़लैकुम् अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
हम यू अपनी आयतों को उलेटफेर कर शुक्रग़ुजार लोगों के वास्ते बयान करते हैं बेशक हमने नूह को उनकी क़ौम के पास (रसूल बनाकर) भेजा तो उन्होनें (लोगों से ) कहाकि ऐ मेरी क़ौम अल्लाह की ही इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है और मैं तुम्हारी निस्बत (क़यामत जैसे) बड़े ख़ौफनाक दिन के अज़ाब से डरता हूँ।

7:60

قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهٖٓ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ

क़ालल्म-लउ मिन् क़ौमिही इन्ना ल-नरा-क फी ज़लालिम्-मुबीन
तो उनकी क़ौम के चन्द सरदारों ने कहा हम तो यक़ीनन देखते हैं कि तुम खुल्लम खुल्ला गुमराही में (पड़े) हो।

7:61

قَالَ يٰقَوْمِ لَيْسَ بِيْ ضَلٰلَةٌ وَّلٰكِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ

क़ा-ल या क़ौमि लै-स बी ज़लालतुंव् व लाकिन्नी रसूलुम् मिर्रब्बिल्-आलमीन
तब नूह ने कहा कि ऐ मेरी क़ौम! मुझ में गुमराही (वैग़रह) तो कुछ नहीं बल्कि मैं तो परवरदिगारे आलम की तरफ से रसूल हूँ।

7:62

اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَاَنْصَحُ لَكُمْ وَاَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ

उबल्लिग़ुकुम् रिसालाति रब्बी व अन्सहु लकुम् व अअ्लमु मिनल्लाहि मा ला तअ्लमून
तुम तक अपने परवरदिगार के पैग़ामात पहुचाएं देता हूँ और तुम्हारे लिए तुम्हारी ख़ैर ख़्वाही करता हूँ और अल्लाह की तरफ से जो बातें मै जानता हूँ तुम नहीं जानते।

7:63

اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَاۤءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰى رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِيُنْذِرَكُمْ وَلِتَتَّقُوْا وَلَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ

अ-व अ़जिब्तुम् अन् जा-अकुम् ज़िक्रुम् मिर्रब्बिकुम् अ़ला रजुलिम्-मिन्कुम् लियुन्ज़ि-रकुम् व लि-तत्तक़ू व लअ़ल्लकुम् तुर्हमून
क्या तुम्हें उस बात पर ताअज्जुब है कि तुम्हारे पास तुम्ही में से एक मर्द (आदमी) के ज़रिए से तुम्हारे परवरदिगार का जि़क्र (हुक्म) आया है ताकि वह तुम्हें (अज़ाब से) डराए और ताकि तुम परहेज़गार बनों और ताकि तुम पर रहम किया जाए।

7:64

فَكَذَّبُوْهُ فَاَنْجَيْنٰهُ وَالَّذِيْنَ مَعَهٗ فِى الْفُلْكِ وَاَغْرَقْنَا الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَاۗ اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا عَمِيْنَ ࣖ

फ़-कज़्ज़बूहु फ़-अन्जैनाहु वल्लज़ी-न म-अहू फिल्फुल्कि व अग़्रक़्नल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना, इन्नहुम् कानू क़ौमन् अ़मीन
इस पर भी लोगों ने उनकों झुठला दिया तब हमने उनको और जो लोग उनके साथ कष्ती में थे बचा लिया और बाक़ी जितने लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था सबको डुबो मारा ये सब के सब यक़ीनन अन्धे लोग थे।

7:65

وَاِلٰى عَادٍ اَخَاهُمْ هُوْدًاۗ قَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ

व इला आदिन् अख़ाहुम हूदन्, क़ा-ल या क़ौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, अ-फला तत्तक़ून
और (हमने) क़ौम आद की तरफ उनके भाई हूद को (रसूल बनाकर भेजा) तो उन्होनें लोगों से कहा ऐ मेरी क़ौम अल्लाह ही की इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं तो क्या तुम (अल्लाह से) डरते नहीं हो।

7:66

قَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖٓ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِيْ سَفَاهَةٍ وَّاِنَّا لَنَظُنُّكَ مِنَ الْكٰذِبِيْنَ

क़ालल्-म-लउल्लज़ी-न क-फरू मिन् क़ौमिही इन्ना ल-नरा-क-फ़ी सफ़ाहतिंव्-व इन्ना ल-नज़ुन्नु-क मिनल्-काज़िबीन
(तो) उनकी क़ौम के चन्द सरदार जो काफिर थे कहने लगे हम तो बेशक तुमको हिमाक़त में (मुब्तिला) देखते हैं और हम यक़ीनी तुम को झूठा समझते हैं।

7:67

قَالَ يٰقَوْمِ لَيْسَ بِيْ سَفَاهَةٌ وَّلٰكِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ

क़ा-ल या क़ौमि लै-स बी सफ़ाहतुंव्-व लाकिन्नी रसूलुम् मिर्रब्बिल-आलमीन
हूद ने कहा ऐ मेरी क़ौम मुझमें में तो हिमाक़त की कोई बात नहीं बल्कि मैं तो परवरदिगार आलम का रसूल हूँ।

7:68

اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَاَنَا۠ لَكُمْ نَاصِحٌ اَمِيْنٌ

उबल्लिग़ुकुम् रिसालाति रब्बी व अ-ना लकुम् नासिहुन् अमीन
मैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार के पैग़ामात पहुचाये देता हूँ और मैं तुम्हारा सच्चा ख़ैरख़्वाह हूँ।

7:69

اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَاۤءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰى رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِيُنْذِرَكُمْۗ وَاذْكُرُوْٓا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَاۤءَ مِنْۢ بَعْدِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّزَادَكُمْ فِى الْخَلْقِ بَصْۣطَةً ۚفَاذْكُرُوْٓا اٰلَاۤءَ اللّٰهِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ

अ-व अ़जिब्तुम् अन् जा-अकुम् ज़िक्रुम्-मिर्रब्बिकुम् अला रजुलिम्-मिन्कुम् लियुन्ज़ि-रकुम्, वज़्कुरू इज़् ज -अ-लकुम् ख़ु-लफा-अ मिम् बअ्दि क़ौमि नूहिंव्-व ज़ादकुम् फिल्ख़ल्क़ि बस्त-तन्, फज़्कुरू आला-अल्लाहि लअ़ल्लकुम् तुफ़्लिहून
क्या तुम्हें इस पर ताअज्जुब है कि तुम्हारे परवरदिगार का हुक्म तुम्हारे पास तुम्ही में एक मर्द (आदमी) के ज़रिए से (आया) कि तुम्हें (अजा़ब से) डराए और (वह वक़्त) याद करो जब उसने तुमको क़ौम नूह के बाद ख़लीफा (व जानषीन) बनाया और तुम्हारी खि़लाफ़त में भी बहुत ज़्यादती कर दी तो अल्लाह की नेअमतों को याद करो ताकि तुम दिली मुरादे पाओ।

7:70

قَالُوْٓا اَجِئْتَنَا لِنَعْبُدَ اللّٰهَ وَحْدَهٗ وَنَذَرَ مَا كَانَ يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُنَاۚ فَأْتِنَا بِمَا تَعِدُنَآ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ

क़ालू अजिअ्तना लिनअ्बुदल्ला-ह वह्दहू व न-ज़-र मा का-न यअ्बुदु आबाउना, फअ्तिना बिमा तअिदुना इन् कुन्-त मिनस्-सादिक़ीन
तो वह लोग कहने लगे क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि सिर्फ अल्लाह की तो इबादत करें और जिनको हमारे बाप दादा पूजते चले आए छोड़ बैठें पस अगर तुम सच्चे हो तो जिससे तुम हमको डराते हो हमारे पास लाओ।

7:71

قَالَ قَدْ وَقَعَ عَلَيْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ رِجْسٌ وَّغَضَبٌۗ اَتُجَادِلُوْنَنِيْ فِيْٓ اَسْمَاۤءٍ سَمَّيْتُمُوْهَآ اَنْتُمْ وَاٰبَاۤؤُكُمْ مَّا نَزَّلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍۗ فَانْتَظِرُوْٓا اِنِّيْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِيْنَ

क़ा-ल क़द् व-क़-अ अलैकुम् मिर्रब्बिकुम् रिज्सुंव्-व ग़-ज़बुन्, अतुजादिलू-ननी फी अस्माइन् सम्मैतुमूहा अन्तुम् व आबाउकुम् मा नज़्ज़लल्लाहु बिहा मिन् सुल्तानिन्, फ़न्तज़िरू इन्नी म-अ़कुम् मिनल मुन्तज़िरीन
हूद ने जवाब दिया (कि बस समझ लो) कि तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर अज़ाब और ग़ज़ब नाजि़ल हो चुका क्या तुम मुझसे चन्द (बुतो के फर्जी) नामों के बारे में झगड़ते हो जिनको तुमने और तुम्हारे बाप दादाओं ने (ख़्वाहमख़्वाह) गढ़ लिए हैं हालाकि अल्लाह ने उनके लिए कोई सनद नहीं नाजि़ल की पस तुम ( अज़ाबे अल्लाह का) इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ मुन्तिज़र हूँ।

7:72

فَاَنْجَيْنٰهُ وَالَّذِيْنَ مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّا وَقَطَعْنَا دَابِرَ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَمَا كَانُوْا مُؤْمِنِيْنَ ࣖ

फ़-अन्जैनाहु वल्लज़ी-न म-अ़हू बिरह़्मतिम्-मिन्ना व क़तअ्ना दाबिरल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना व मा कानू मुअ्मिनीन
आख़िर हमने उनको और जो लोग उनके साथ थे उनको अपनी रहमत से नजात दी और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था हमने उनकी जड़ काट दी और वह लोग ईमान लाने वाले थे भी नहीं।

7:73

وَاِلٰى ثَمُوْدَ اَخَاهُمْ صٰلِحًاۘ قَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ قَدْ جَاۤءَتْكُمْ بَيِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْۗ هٰذِهٖ نَاقَةُ اللّٰهِ لَكُمْ اٰيَةً فَذَرُوْهَا تَأْكُلْ فِيْٓ اَرْضِ اللّٰهِ وَلَا تَمَسُّوْهَا بِسُوْۤءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ

व इला समू-द अख़ाहुम् सालिहन् • क़ा-ल या क़ौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, क़द् जाअत्कुम् बय्यि-नतुम् मिर्रब्बिकुम्, हाज़िही नाक़तुल्लाहि लकुम् आ-यतन् फ़ -ज़रूहा तअ्कुल् फी अरज़िल्लाहि व ला तमस्सूहा बिसूइन् फ़-यअ्ख़ु- ज़कुम् अज़ाबुन् अलीम
और (हमने क़ौम) समूद की तरफ उनके भाई सालेह को रसूल बनाकर भेजा तो उन्होनें (उन लोगों से कहा) ऐ मेरी क़ौम अल्लाह ही की इबादत करो और उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं है तुम्हारे पास तो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वाज़ेए और रौषन दलील आ चुकी है ये अल्लाह की भेजी हुयी ऊँटनी तुम्हारे वास्ते एक मौजिज़ा है तो तुम लोग उसको छोड़ दो कि अल्लाह की ज़मीन में जहाँ चाहे चरती फिरे और उसे कोई तकलीफ़ ना पहुचाओ वरना तुम दर्दनाक अज़ाब में गिरफ़्तार हो जाआगे।

7:74

وَاذْكُرُوْٓا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَاۤءَ مِنْۢ بَعْدِ عَادٍ وَّبَوَّاَكُمْ فِى الْاَرْضِ تَتَّخِذُوْنَ مِنْ سُهُوْلِهَا قُصُوْرًا وَّتَنْحِتُوْنَ الْجِبَالَ بُيُوْتًا ۚفَاذْكُرُوْٓا اٰلَاۤءَ اللّٰهِ وَلَا تَعْثَوْا فِى الْاَرْضِ مُفْسِدِيْنَ

वज़्कुरू इज़् ज-अ-लकुम् ख़ु-लफा-अ मिम् बअ्दि आदिंव्-व बव्व-अकुम् फ़िल्अर्ज़ि तत्तख़िज़ू-न मिन् सुहूलिहा क़ुसूरंव्-व तन्हितूनल जिबा-ल बुयूतन् फ़ज़्कुरू आलाअल्लाहि व ला तअ्सौ फिल्अर्ज़ि मुफ्सिदीन
और वह वक़्त याद करो जब उसने तुमको क़ौम आद के बाद (ज़मीन में) ख़लीफा (व जानशीन) बनाया और तुम्हें ज़मीन में इस तरह बसाया कि तुम हमवार व नरम ज़मीन में (बड़े-बड़े) महल उठाते हो और पहाड़ों को तराश के घर बनाते हो तो अल्लाह की नेअमतों को याद करो और रूए ज़मीन में फसाद न करते फिरो।

7:75

قَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لِلَّذِيْنَ اسْتُضْعِفُوْا لِمَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ اَتَعْلَمُوْنَ اَنَّ صٰلِحًا مُّرْسَلٌ مِّنْ رَّبِّهٖۗ قَالُوْٓا اِنَّا بِمَآ اُرْسِلَ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ

क़ालल्-म-लउल्लज़ीनस्तक्बरू मिन् क़ौमिही लिल्लज़ीनस्-तुज़्अिफू लिमन् आम-न मिन्हुम् अ-तअ्लमू-न अन्-न सालिहम् मुर्सलुम्-मिर्रब्बिही, क़ालू इन्ना बिमा उर्सि-ल बिही मुअ्मिनून
तो उसकी क़ौम के बड़े बड़े लोगों ने बेचारें ग़रीबों से उनमें से जो ईमान लाए थे कहा क्या तुम्हें मालूम है कि सालेह (हक़ीकतन) अपने परवरदिगार के सच्चे रसूल हैं – उन बेचारों ने जवाब दिया कि जिन बातों का वह पैग़ाम लाए हैं हमारा तो उस पर ईमान है।

7:76

قَالَ الَّذِيْنَ اسْتَكْبَرُوْٓا اِنَّا بِالَّذِيْٓ اٰمَنْتُمْ بِهٖ كٰفِرُوْنَ

क़ालल्लज़ीनस्तक्बरू इन्ना बिल्लज़ी आमन्तुम् बिही काफिरून
तब जिन लोगों को (अपनी दौलत दुनिया पर) घमन्ड था कहने लगे हम तो जिस पर तुम ईमान लाए हो उसे नहीं मानते।

7:77

فَعَقَرُوا النَّاقَةَ وَعَتَوْا عَنْ اَمْرِ رَبِّهِمْ وَقَالُوْا يٰصٰلِحُ ائْتِنَا بِمَا تَعِدُنَآ اِنْ كُنْتَ مِنَ الْمُرْسَلِيْنَ

फ़-अ-क़रूनाक़-त व अ़तौ अ़न् अम्रि रब्बिहिम् व क़ालू या सालिहुअ्तिना बिमा तअिदुना इन् कुन्-त मिनल्-मुर्सलीन
ग़रज़ उन लोगों ने ऊँटनी के कूचें और पैर काट डाले और अपने परवरदिगार के हुक्म से सरताबी की और (बेबाकी से) कहने लगे अगर तुम सच्चे रसूल हो तो जिस (अज़ाब) से हम लोगों को डराते थे अब लाओ।

7:78

فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِيْ دَارِهِمْ جٰثِمِيْنَ

फ़-अ-ख़ज़त्हुमुर्रज्फतु फ़ अस्बहू फी दारिहिम् जासिमीन
तब उन्हें ज़लज़ले ने ले डाला और वह लोग ज़ानू पर सर किए (जिस तरह) बैठे थे बैठे के बैठे रह गए।

7:79

فَتَوَلّٰى عَنْهُمْ وَقَالَ يٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسَالَةَ رَبِّيْ وَنَصَحْتُ لَكُمْ وَلٰكِنْ لَّا تُحِبُّوْنَ النّٰصِحِيْنَ

फ़-तवल्ला अ़न्हुम् व क़ा-ल या क़ौमि ल-क़द् अब्ल़ग़्तुकुम् रिसाल-त रब्बी व नसह्तु लकुम् व लाकिल्ला तुहिब्बूनन्नासिहीन
उसके बाद सालेह उनसे टल गए और (उनसे मुख़ातिब होकर) कहा मेरी क़ौम (आह) मैनें तो अपने परवरदिगार के पैग़ाम तुम तक पहुचा दिए थे और तुम्हारे ख़ैरख़्वाही की थी (और ऊँच नीच समझा दिया था) मगर अफसोस तुम (ख़ैरख़्वाह) समझाने वालों को अपना दोस्त ही नहीं समझते।

7:80

وَلُوْطًا اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖٓ اَتَأْتُوْنَ الْفَاحِشَةَ مَا سَبَقَكُمْ بِهَا مِنْ اَحَدٍ مِّنَ الْعٰلَمِيْنَ

व लूतन् इज़् क़ा-ल लिक़ौमिही अ-तअ्तूनल्-फ़ाहि-श-त मा स-ब-क़कुम् बिहा मिन् अ-हदिम् मिनल-आलमीन
और (लूत को हमने रसूल बनाकर भेजा था) जब उन्होनें अपनी क़ौम से कहा कि (अफसोस) तुम ऐसी बदकारी (अग़लाम) करते हो कि तुमसे पहले सारी ख़़ुदाई में किसी ने ऐसी बदकारी नहीं की थी।

7:81

اِنَّكُمْ لَتَأْتُوْنَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِّنْ دُوْنِ النِّسَاۤءِۗ بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ مُّسْرِفُوْنَ

इन्नकुम ल-तअ्तूनर्रिजा-ल शह़्व-तम् मिन् दूनिन्निसा-इ, बल् अन्तुम् क़ौमुम्-मुस्रिफून
हाँ तुम औरतों को छोड़कर शहवत परस्ती के वास्ते मर्दों की तरफ माएल होते हो (हालाकि उसकी ज़रूरत नहीं) मगर तुम लोग कुछ हो ही बेहूदा।

7:82

وَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖٓ اِلَّآ اَنْ قَالُوْٓا اَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ قَرْيَتِكُمْۚ اِنَّهُمْ اُنَاسٌ يَّتَطَهَّرُوْنَ

व मा का-न जवा-ब क़ौमिही इल्ला अन् क़ालू अख्रीजूहुम् मिन् क़र् यतिकुम्, इन्नहुम् उनासुंय्य-ततह़्हरून
सिर्फ करनें वालों (को नुत्फे को ज़ाए करते हो उस पर उसकी क़ौम का उसके सिवा और कुछ जवाब नहीं था कि वह आपस में कहने लगे कि उन लोगों को अपनी बस्ती से निकाल बाहर करो क्योंकि ये तो वह लोग हैं जो पाक साफ बनना चाहते हैं)।

7:83

فَاَنْجَيْنٰهُ وَاَهْلَهٗٓ اِلَّا امْرَاَتَهٗ كَانَتْ مِنَ الْغٰبِرِيْنَ

फ-अन्जैनाहु व अह़्लहू इल्लम् र-अ-तहू, कानत् मिनल ग़ाबिरीन
तब हमने उनको और उनके घर वालों को नजात दी मगर सिर्फ (एक) उनकी बीबी को कि वह (अपनी बदआमाली से) पीछे रह जाने वालों में थी।

7:84

وَاَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَّطَرًاۗ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُجْرِمِيْنَ ࣖ

व अम्तरना अ़लैहिम् म-तरन्, फ़न्ज़ुर कै-फ़ का-न आक़ि-बतुल्-मुज्रिमीन
और हमने उन लोगों पर (पत्थर का) मेह बरसाया-पस ज़रा ग़ौर तो करो कि गुनाहगारों का अन्जाम आखिर क्या हुआ।

7:85

وَاِلٰى مَدْيَنَ اَخَاهُمْ شُعَيْبًاۗ قَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ قَدْ جَاۤءَتْكُمْ بَيِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَوْفُوا الْكَيْلَ وَالْمِيْزَانَ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْيَاۤءَهُمْ وَلَا تُفْسِدُوْا فِى الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَاۗ ذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَۚ

व इला मद् य-न अख़ाहुम् शुऐबन्, क़ा-ल या क़ौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, क़द् जाअत्कुम् बय्यि-नतुम् मिर्रब्बिकुम् फ़-औफुल्कै-ल वल्मीज़ा-न व ला तब्ख़ सुन्ना-स अश्या-अहुम् व ला तुफ्सिदू फ़िल्अर्ज़ि बअ्-द इस्लाहिहा, ज़ालिकुम् ख़ैरूल्लकुम् इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन
र (हमने) मदयन (वालों के) पास उनके भाई शुएब को (रसूल बनाकर भेजा) तो उन्होंने (उन लोगों से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की इबादत करो उसके सिवा कोई दूसरा माबूद नहीं (और) तुम्हारे पास तो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक वाजे़ए व रौषन मौजिज़ा (भी) आ चुका तो नाप और तौल पूरी किया करो और लोगों को उनकी (ख़रीदी हुयी) चीज़ में कम न दिया करो और ज़मीन में उसकी असलाह व दुरूस्ती के बाद फसाद न करते फिरो अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है।

7:86

وَلَا تَقْعُدُوْا بِكُلِّ صِرَاطٍ تُوْعِدُوْنَ وَتَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِهٖ وَتَبْغُوْنَهَا عِوَجًاۚ وَاذْكُرُوْٓا اِذْ كُنْتُمْ قَلِيْلًا فَكَثَّرَكُمْۖ وَانْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِيْنَ

व ला तक़अुदू बिकुल्लि सिरातिन् तूअिदू-न व तसुद्दू -न अन् सबीलिल्लाही मन् आम-न बिही व तब्ग़ूनहा अि-वजन् वज़्क़ुरू इज़् कुन्तुम् क़लीलन् फ़-कस्स-रकुम्, वन्ज़ुरू कै-फ़ का-न आक़ि-बतुल् मुफ्सिदीन
और तुम लोग जो रास्तों पर (बैठकर) जो ख़़ुदा पर ईमान लाया है उसको डराते हो और ख़़ुदा की राह से रोकते हो और उसकी राह में (ख़्वाहमाख़्वाह) कज़ी ढूँढ निकालते हो अब न बैठा करो और उसको तो याद करो कि जब तुम (शुमार में) कम थे तो ख़ुदा ही ने तुमको बढ़ाया, और ज़रा ग़ौर तो करो कि (आखि़र) फसाद फैलाने वालों का अन्जाम क्या हुआ।

7:87

وَاِنْ كَانَ طَاۤىِٕفَةٌ مِّنْكُمْ اٰمَنُوْا بِالَّذِيْٓ اُرْسِلْتُ بِهٖ وَطَاۤىِٕفَةٌ لَّمْ يُؤْمِنُوْا فَاصْبِرُوْا حَتّٰى يَحْكُمَ اللّٰهُ بَيْنَنَاۚ وَهُوَ خَيْرُ الْحٰكِمِيْنَ ۔

व इन् का-न ताइ-फ़तुम् मिन्कुम् आमनू बिल्लज़ी उर्सिल्तु बिही व ताइ-फतुल-लम् युअ्मिनू फ़स्बिरू हत्ता यह्कुमल्लाहु बैनना, व हु-व ख़ैरूल् हाकिमीन
और जिन बातों का मै पैग़ाम लेकर आया हूँ अगर तुममें से एक गिरोह ने उनको मान लिया और एक गिरोह ने नहीं माना तो (कुछ परवाह नहीं) तो तुम सब्र से बैठे (देखते) रहो यहाँ तक कि ख़ुदा (खुद) हमारे दरम्यिान फैसला कर दे, वह तो सबसे बेहतर फैसला करने वाला है।

7:88

قَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَنُخْرِجَنَّكَ يٰشُعَيْبُ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَكَ مِنْ قَرْيَتِنَآ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِيْ مِلَّتِنَاۗ قَالَ اَوَلَوْ كُنَّا كٰرِهِيْنَ

क़ालल् म-लउल्लज़ीनस्तक्बरू मिन् क़ौमिही लनुख़् रि जन्न-क या शुऐबु वल्लज़ी-न आमनू म-अ-क मिन् क़र् यतिना औ ल-तअूदुन्-न फ़ी मिल्लतिना, क़ा-ल अ-व लौ कुन्ना कारिहीन
तो उनकी क़ौम में से जिन लोगों को (अपनी हशमत(दुनिया पर) बड़ा घमण्ड था कहने लगे कि ऐ शुएब हम तुम्हारे साथ इमान लाने वालों को अपनी बस्ती से निकाल बाहर कर देगें मगर जबकि तुम भी हमारे उसी मज़हब मिल्लत में लौट कर आ जाओ।

7:89

قَدِ افْتَرَيْنَا عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اِنْ عُدْنَا فِيْ مِلَّتِكُمْ بَعْدَ اِذْ نَجّٰىنَا اللّٰهُ مِنْهَاۗ وَمَا يَكُوْنُ لَنَآ اَنْ نَّعُوْدَ فِيْهَآ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ رَبُّنَاۗ وَسِعَ رَبُّنَا كُلَّ شَيْءٍ عِلْمًاۗ عَلَى اللّٰهِ تَوَكَّلْنَاۗ رَبَّنَا افْتَحْ بَيْنَنَا وَبَيْنَ قَوْمِنَا بِالْحَقِّ وَاَنْتَ خَيْرُ الْفٰتِحِيْنَ

क़दिफ़्तरैना अलल्लाहि कज़िबन इन् उद्-ना फी मिल्लतिकुम् बअ्-द इज़् नज्जानल्लाहु मिन्हा, व मा यकूनु लना अन्-नअू-द फ़ीहा इल्ला अंय्यशा-अल्लाहु रब्बुना, वसि-अ रब्बुना कुल्-ल शैइन् अिल्मन्, अलल्लाहि तवक्कल्ना, रब्बनफ़्तह् बैनना व बै-न क़ौमिना बिल्-हक़्क़ि व अन्-त ख़ैरूल्-फ़ातिहीन
हम अगरचे तुम्हारे मज़हब से नफरत ही रखते हों (तब भी लौट जाए माज़अल्लाह) जब तुम्हारे बातिल दीन से ख़ुदा ने मुझे नजात दी उसके बाद भी अब अगर हम तुम्हारे मज़हब मे लौट जाए तब हमने ख़ुदा पर बड़ा झूठा बोहतान बाधा (ना) और हमारे वास्ते तो किसी तरह जायज़ नहीं कि हम तुम्हारे मज़हब की तरफ लौट जाएँ मगर हाँ जब मेरा परवरदिगार अल्लाह चाहे तो हमारा परवरदिगार तो (अपने) इल्म से तमाम (आलम की) चीज़ों को घेरे हुए है हमने तो ख़ुदा ही पर भरोसा कर लिया ऐ हमारे परवरदिगार तू ही हमारे और हमारी क़ौम के दरमियान ठीक ठीक फैसला कर दे और तू सबसे बेहतर फ़ैसला करने वाला है।

7:90

وَقَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَىِٕنِ اتَّبَعْتُمْ شُعَيْبًا اِنَّكُمْ اِذًا لَّخٰسِرُوْنَ

व क़ालल् म-लउल्लज़ी-न क-फरू मिन् क़ौमिही ल-इनित्तबअ्तुम् शुऐबन् इन्नकुम् इज़ल्-लख़ासिरून
और उनकी क़ौम के चन्द सरदार जो काफिर थे (लोगों से) कहने लगे कि अगर तुम लोगों ने शुएब की पैरवी की तो उसमें शक ही नहीं कि तुम सख़्त घाटे में रहोगे।

7:91

فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِيْ دَارِهِمْ جٰثِمِيْنَۙ

फ़-अ-ख़ज़त्हुमुर्रज्फतु फ़अस्बहू फ़ी दारिहिम् जासिमीन
ग़रज़ उन लोगों को ज़लज़ले ने ले डाला बस तो वह अपने घरों में औन्धे पड़े रह गए।

7:92

الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا شُعَيْبًا كَاَنْ لَّمْ يَغْنَوْا فِيْهَاۚ اَلَّذِيْنَ كَذَّبُوْا شُعَيْبًا كَانُوْا هُمُ الْخٰسِرِيْنَ

अल्लज़ी-न कज़्ज़बू शुऐबन कअल्लम् यग़्नौ फ़ीहा, अल्लज़ी-न कज़्ज़बू शुऐबन् कानू हुमुल ख़ासिरीन
जिन लोगों ने शुएब को झुठलाया था वह (ऐसे मर मिटे कि) गोया उन बस्तियों में कभी आबाद ही न थे जिन लोगों ने शुएब को झुठलाया वही लोग घाटे में रहे।

7:93

فَتَوَلّٰى عَنْهُمْ وَقَالَ يٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَنَصَحْتُ لَكُمْۚ فَكَيْفَ اٰسٰى عَلٰى قَوْمٍ كٰفِرِيْنَ ࣖ

फ़-तवल्ला अन्हुम् व क़ा-ल या क़ौमि ल-क़द् अब्लग़्तुकुम् रिसालाति रब्बी व नसह्तु लकुम्, फ़कै-फ़ आसा अला क़ौमिन् काफ़िरीन
तब शुएब उन लोगों के सर से टल गए और (उनसे मुख़ातिब हो के) कहा ऐ मेरी क़ौम मैं ने तो अपने परवरदिगार के पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिए और तुम्हारी ख़ैर ख़्वाही की थी, फिर अब मैं काफिरों पर क्यों कर अफसोस करूँ।

7:94

وَمَآ اَرْسَلْنَا فِيْ قَرْيَةٍ مِّنْ نَّبِيٍّ اِلَّآ اَخَذْنَآ اَهْلَهَا بِالْبَأْسَاۤءِ وَالضَّرَّاۤءِ لَعَلَّهُمْ يَضَّرَّعُوْنَ

व मा अरसल्ना फी क़र यतिम् मिन् नबिय्यिन् इल्ला अख़ज़्ना अह़्लहा बिल्बअ्सा-इ वज़्ज़र्रा-इ लअ़ल्लहुम् यज़्ज़र्रअून
और हमने किसी बस्ती में कोई नबी नही भेजा मगर वहाँ के रहने वालों को (कहना न मानने पर) सख़्ती और मुसीबत में मुब्तिला किया ताकि वह लोग (हमारी बारगाह में) गिड़गिड़ाए।

7:95

ثُمَّ بَدَّلْنَا مَكَانَ السَّيِّئَةِ الْحَسَنَةَ حَتّٰى عَفَوْا وَّقَالُوْا قَدْ مَسَّ اٰبَاۤءَنَا الضَّرَّاۤءُ وَالسَّرَّاۤءُ فَاَخَذْنٰهُمْ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ

सुम्-म बद्दल्ना मकानस्सय्यि-अतिल् ह-स-न-त हत्ता अफ़ौ व क़ालू क़द् मस्-स आबा अनज़्ज़र्रा उ वस्सर्रा- उ फ़-अख़ज़्ना
 हुम् ब़ग़्त-तंव् व हुम् ला यश्अुरून
फिर हमने तकलीफ़ की जगह आराम को बदल दिया यहाँ तक कि वह लोग बढ़ निकले और कहने लगे कि इस तरह की तकलीफ़ व आराम तो हमारे बाप दादाओं को पहुँच चुका है तब हमने (उस बढ़ाने के की सज़ा में (अचानक उनको अज़ाब में) गिरफ्तार किया।

7:96

وَلَوْ اَنَّ اَهْلَ الْقُرٰٓى اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَفَتَحْنَا عَلَيْهِمْ بَرَكٰتٍ مِّنَ السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِ وَلٰكِنْ كَذَّبُوْا فَاَخَذْنٰهُمْ بِمَا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ

व लौ अन्-न अह़्लल्क़ुरा आमनू वत्तक़ौ ल-फ़तह़्ना अलैहिम् ब-रकातिम् मिनस्समा-इ वल्अर्ज़ि व लाकिन् कज़्ज़बू फ़-अख़ज़्नाहुम् बिमा कानू यक्सिबून
और वह बिल्कुल बेख़बर थे और अगर उन बस्तियों के रहने वाले इमान लाते और परहेज़गार बनते तो हम उन पर आसमान व ज़मीन की बरकतों (के दरवाजे़) खोल देते मगर (अफसोस) उन लोगों ने (हमारे पैग़म्बरों को) झूठलाया तो हमने भी उनके करतूतो की बदौलत उन को (अज़ाब में) गिरफ्तार किया।

7:97

اَفَاَمِنَ اَهْلُ الْقُرٰٓى اَنْ يَّأْتِيَهُمْ بَأْسُنَا بَيَاتًا وَّهُمْ نَاۤىِٕمُوْنَۗ

अ-फ़ अमि-न अह़्लुल्क़ुरा अंय्यअ्ति-यहुम् बअ्सुना बयातंव्-व हुम् ना इमून
(उन) बस्तियों के रहने वाले उस बात से बेख़ौफ हैं कि उन पर हमारा अज़ाब रातों रात आ जाए जब कि वह पड़े बेख़बर सोते हों।

7:98

اَوَاَمِنَ اَهْلُ الْقُرٰٓى اَنْ يَّأْتِيَهُمْ بَأْسُنَا ضُحًى وَّهُمْ يَلْعَبُوْنَ

अ-व अमि-न अह़्लुल्क़ुरा अंय्यअ्ति-यहुम् बअ्सुना जुहंव्वहुम् यल्अ़बून
या उन बस्तियों वाले इससे बेख़ौफ हैं कि उन पर दिन दहाड़े हमारा अज़ाब आ पहुँचे जब वह खेल कूद (में मशग़ूल हो)।

7:99

اَفَاَمِنُوْا مَكْرَ اللّٰهِۚ فَلَا يَأْمَنُ مَكْرَ اللّٰهِ اِلَّا الْقَوْمُ الْخٰسِرُوْنَ ࣖ

अ-फ़अमिनू मक्रल्लाहि, फ़ला यअ्मनु मक्रल्लाहि इल्लल् क़ौमुल-खासिरून
तो क्या ये लोग ख़ुदा की तद्बीर से ढीट हो गए हैं तो (याद रहे कि) ख़ुदा के दाव से घाटा उठाने वाले ही निडर हो बैठे हैं।

7:100

اَوَلَمْ يَهْدِ لِلَّذِيْنَ يَرِثُوْنَ الْاَرْضَ مِنْۢ بَعْدِ اَهْلِهَآ اَنْ لَّوْ نَشَاۤءُ اَصَبْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْۚ وَنَطْبَعُ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا يَسْمَعُوْنَ

अ-व लम् यह़्दि लिल्लज़ी-न यरिसूनल्-अर्-ज़ मिम् -बअ्दि अह़्लिहा अल्लौ नशा-उ असब्नाहुम् बिज़ुनूबिहिम्, व नत्बअु अला क़ुलूबिहिम् फ़हुम् ला यस्मअून
क्या जो लोग एहले ज़मीन के बाद ज़मीन के वारिस (व मालिक) होते हैं उन्हें ये मालूम नहीं कि अगर हम चाहते तो उनके गुनाहों की बदौलत उनको मुसीबत में फँसा देते (मगर ये लोग ऐसे नासमझ हैं कि गोया) उनके दिलों पर हम ख़ुद (मोहर कर देते हैं कि ये लोग कुछ सुनते ही नहीं।

7:101

تِلْكَ ٱلْقُرَىٰ نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ أَنۢبَآئِهَا وَلَقَدْ جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ فَمَا كَانُوا۟ لِيُؤْمِنُوا۟ بِمَا كَذَّبُوا۟ مِن قَبْلُ كَذَٰلِكَ يَطْبَعُ ٱللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِ ٱلْكَٰفِرِينَ

तिल्कल्कुरा नकुस्सु अ़लै-क मिन् अम्बा-इहा व ल-कद् जाअत्हुम् रूसुलूहुम् बिल्बय्यिनाति फ़मा कानू लियुअ्मिनू बिमा कज़्ज़बू मिन् कब्लु, कज़ालि-क यत्बअुल्लाहु अला कुलूबिल् काफ़िरीन
(ऐ रसूल) ये चन्द बस्तियाँ हैं जिन के हालात हम तुमसे बयान करते हैं और इसमें तो शक ही नहीं कि उनके पैग़म्बर उनके पास वाजे़ए व रौशन मौजिज़े लेकर आए मगर ये लोग जिसके पहले झुठला चुके थे उस पर भला काहे को इमान लाने वाले थे ख़ुदा यू काफिरों के दिलों पर अलामत मुकर्रर कर देता है (कि ये इमान न लाएँगें)।

7:102

وَمَا وَجَدْنَا لِأَكْثَرِهِم مِّنْ عَهْدٍ وَإِن وَجَدْنَآ أَكْثَرَهُمْ لَفَٰسِقِينَ

व मा वजद्ना लिअक्सरिहिम् मिन् अह़्दिन व इंव् -वजद्ना अक्स – रहुम् लफ़ासिक़ीन
और हमने तो उसमें से अक्सरों का एहद (ठीक) न पाया और हमने उनमें से अक्सरों को बदकार ही पाया।

7:103

ثُمَّ بَعَثْنَا مِنۢ بَعْدِهِم مُّوسَىٰ بِـَٔايَٰتِنَآ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَإِي۟هِۦ فَظَلَمُوا۟ بِهَا فَٱنظُرْ كَيْفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلْمُفْسِدِينَ

सुम् -म बअ़स्ना मिम् -बअ्दिहिम् मूसा बिआयातिना इला फ़िरऔ-न व म-ल इही फ़-ज़-लमू बिहा फन्जुर् कै-फ़ का-न आकि – बतुल मुफ्सिदीन
फिर हमने (उन पैग़म्बरान मज़कूरीन के बाद) मूसा को फिरौन और उसके सरदारों के पास मौजिज़े अता करके (रसूल बनाकर) भेजा तो उन लोगों ने उन मौजिज़ात के साथ (बड़ी बड़ी) शरारते की पस ज़रा ग़ौर तो करो कि आख़िर फसादियों का अन्जाम क्या हुआ।

7:104

وَقَالَ مُوسَىٰ يَٰفِرْعَوْنُ إِنِّى رَسُولٌ مِّن رَّبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ

व का -ल मूसा या फ़िरऔनु इन्नी रसूलुम् मिर्रब्बिल – आलमीन
और मूसा ने (फिरौन से) कहा ऐ फिरौन! में यक़ीनन परवरदिगारे आलम का रसूल हूँ।

7:105

حَقِيقٌ عَلَىٰٓ أَن لَّآ أَقُولَ عَلَى ٱللَّهِ إِلَّا ٱلْحَقَّ قَدْ جِئْتُكُم بِبَيِّنَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ فَأَرْسِلْ مَعِىَ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ

हक़ीकुन् अला अल्ला अकू-ल अ़लल्लाहि इल्लल्हक् -क, कद् जिअ्तुकुम् बिबय्यि -नतिम् मिर्रब्बिकुम् फ़-अरसिल् मअि-य बनी इस्राईल
मुझ पर वाजिब है कि ख़ुदा पर सच के सिवा (एक हुरमत भी झूठ) न कहूँ मै यक़ीनन तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वाजेए व रोशन मौजिज़े लेकर आया हूँ।

7:106

قَالَ إِن كُنتَ جِئْتَ بِـَٔايَةٍ فَأْتِ بِهَآ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ

का -ल इन् कुन् -त जिअ् -त बिआयतिन् फ़अ्ति बिहा इन् कुन्-त मिनस्सादिक़ीन
तो तू बनी ईसराइल को मेरे हमराह करे दे फिरौन कहने लगा अगर तुम सच्चे हो और वाक़ई कोई मौजिज़ा लेकर आए हो तो उसे दिखाओ।

7:107

فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ ثُعْبَانٌ مُّبِينٌ

फ़अल्क़ा अ़साहु फ़-इज़ा हि-य सुअ्बानुम् मुबीन
(ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी पस वह यकायक (अच्छा खासा) ज़ाहिर बज़ाहिर अजदहा बन गई।

7:108

وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِىَ بَيْضَآءُ لِلنَّٰظِرِينَ

व न -ज़ –अ य- दहू-फ़ इज़ा हि-य बैज़ा -उ लिन्नाज़िरीन
और अपना हाथ बाहर निकाला तो क्या देखते है कि वह हर शख़्स की नज़र मे जगमगा रहा है।

7:109

قَالَ ٱلْمَلَأُ مِن قَوْمِ فِرْعَوْنَ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٌ عَلِيمٌ

कालल्म – लउ मिन् कौमि फिरऔ़-न इन्- न हाज़ा लसाहिरून् अ़लीम
तब फिरौन के क़ौम के चन्द सरदारों ने कहा ये तो अलबत्ता बड़ा माहिर जादूगर है।

7:110

يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُمْ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ

युरीदु अंय्युखरि जकुम् मिन् अर्जिकुम् फ़-माज़ा तअ्मुरून
ये चाहता है कि तुम्हें तुम्हारें मुल्क से निकाल बाहर कर दे तो अब तुम लोग उसके बारे में क्या सलाह देते हो।

7:111

قَالُوٓا۟ أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَأَرْسِلْ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ

कालू अरजिह् व अख़ाहु व अरसिल फ़िल्मदाइनि हाशिरीन
(आखि़र) सबने मुत्तफिक़ अलफाज़ (एक ज़बान होकर) कहा कि (ऐ फिरौन) उनको और उनके भाई (हारून) को चन्द दिन कै़द में रखिए और (एतराफ़ के) शहरों में हरकारों को भेजिए।

7:112

يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَٰحِرٍ عَلِيمٍ

यअ्तू – क बिकुल्लि साहिरिन् अलीम
कि तमाम बड़े बड़े जादूगरों का जमा करके अपके पास दरबार में हाजि़र करें।

7:113

وَجَآءَ ٱلسَّحَرَةُ فِرْعَوْنَ قَالُوٓا۟ إِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ ٱلْغَٰلِبِينَ

व जाअस्स- ह-रतु फ़िरऔ-न कालू इन -न लना लअज्रन् इन् कुन्ना नह़्नुल् गालिबीन
ग़रज़ जादूगर सब फिरौन के पास हाजि़र होकर कहने लगे कि अगर हम (मूसा से) जीत जाए तो हमको बड़ा भारी इनाम ज़रुर मिलना चाहिए।

7:114

قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ لَمِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ

का -ल न -अम् व इन्नकुम् लमिन्ल मुकर्रबीन
फिरौन ने कहा (हा इनाम ही नहीं) बल्कि फिर तो तुम हमारे दरबार के मुक़र्रेबीन में से होगें।

7:115

قَالُوا۟ يَٰمُوسَىٰٓ إِمَّآ أَن تُلْقِىَ وَإِمَّآ أَن نَّكُونَ نَحْنُ ٱلْمُلْقِينَ

कालू या मूसा इम्मा अन् तुल्कि -य व इम्मा अन्नकू – न नह़्नुल – मुल्क़ीन
और मुक़र्रर वक़्त पर सब जमा हुए तो बोल उठे कि ऐ मूसा या तो तुम्हें (अपने मुन्तसिर (मंत्र)) या हम ही (अपने अपने मंत्र फेके)।

7:116

قَالَ أَلْقُوا۟ فَلَمَّآ أَلْقَوْا۟ سَحَرُوٓا۟ أَعْيُنَ ٱلنَّاسِ وَٱسْتَرْهَبُوهُمْ وَجَآءُو بِسِحْرٍ عَظِيمٍ

का-ल अल्कू फ़-लम्मा अल्कौ स-हरू अअ्युनन्नासि वस्तर हबूहुम् व जाऊ बिसिह़रिन अ़ज़ीम
मूसा ने कहा (अच्छा पहले) तुम ही फेक (के अपना हौसला निकालो) तो तब जो ही उन लोगों ने (अपनी रस्सियाँ) डाली तो लोगों की नज़र बन्दी कर दी (कि सब सापँ मालूम होने लगे) और लोगों को डरा दिया।

7:117

وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَلْقِ عَصَاكَ فَإِذَا هِىَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ

व औहैना इला मूसा अन् अल्कि असा-क फ़-इज़ा हि- य तल्कफु मा यअ्फिकून
और उन लोगों ने बड़ा (भारी जादू दिखा दिया और हमने मूसा के पास वही भेजी कि (बैठे क्या हो) तुम भी अपनी छड़ी डाल दो तो क्या देखते हैं कि वह छड़ी उनके बनाए हुए (झूठे साँपों को) एक एक करके निगल रही है।

7:118

فَوَقَعَ ٱلْحَقُّ وَبَطَلَ مَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

फ़-व-क़अ़ल-हक्कु व ब-त-ल मा कानू यअ्मलून
अल किस्सा हक़ बात तो जम के बैठी और उनकी सारी कारस्तानी मटियामेट हो गई।

7:119

فَغُلِبُوا۟ هُنَالِكَ وَٱنقَلَبُوا۟ صَٰغِرِينَ

फ़गुलिबू हुनालि-क वन्क-लबू साग़िरीन
पस फिरौन और उसके तरफदार सब के सब इस अखाड़े मे हारे और ज़लील व रूसवा हो के पलटे।

7:120

وَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سَٰجِدِينَ

व उल्कियस्स-ह-रतु साजिदीन
और जादूगर सब मूसा के सामने सजदे में गिर पड़े।

7:121

قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ

कालू आमन्ना बिरब्बिल्-आ़लमीन
और (आजिज़ी से) बोले हम सारे जहाँन के परवरदिगार पर ईमान लाए।

7:122

رَبِّ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ

रब्बि मूसा व हारून
जो मूसा व हारून का परवरदिगार है।

7:123

قَالَ فِرْعَوْنُ ءَامَنتُم بِهِۦ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ إِنَّ هَٰذَا لَمَكْرٌ مَّكَرْتُمُوهُ فِى ٱلْمَدِينَةِ لِتُخْرِجُوا۟ مِنْهَآ أَهْلَهَا فَسَوْفَ تَعْلَمُونَ

क़ा-ल फ़िरऔनु आमन्तुम् बिही क़ब्-ल अन् आज़-न लकुम्, इन्-न हाज़ा लमक़रूम्-मकर तुमू हु फ़िल्मदीनति लितुख़रिजू मिन्हा अह़्लहा, फ़सौ-फ़ तअ्लमून
फिरौन ने कहा (हाए) तुम लोग मेरी इजाज़त के क़ब्ल (पहले) उस पर ईमान ले आए ये ज़रूर तुम लोगों की मक्कारी है जो तुम लोगों ने उस शहर में फैला रखी है ताकि उसके बाशिंदों को यहाँ से निकाल कर बाहर करो पस तुम्हें अन क़रीब ही उस शरारत का मज़ा मालूम हो जाएगा।

7:124

لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَٰفٍ ثُمَّ لَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ

ल-उक़त्तिअ़न् न ऐदियकुम् व अर्जु-लकुम् मिन् ख़िलाफ़िन सुम्-म ल-उसल्लिबन्नकुम् अज्मईन
मै तो यक़ीनन तुम्हारे (एक तरफ के) हाथ और दूसरी तरफ के पाव कटवा डालूगा फिर तुम सबके सब को सूली दे दूगा।

7:125

قَالُوٓا۟ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ

क़ालू इन्ना इला रब्बिना मुन्क़लिबून
जादूगर कहने लगे हम को तो (आखि़र एक रोज़) अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना (मर जाना) है।

7:126

وَمَا تَنقِمُ مِنَّآ إِلَّآ أَنْ ءَامَنَّا بِـَٔايَٰتِ رَبِّنَا لَمَّا جَآءَتْنَا رَبَّنَآ أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَتَوَفَّنَا مُسْلِمِينَ

व मा तन्क़िमु मिन्ना इल्ला अन् आमन्ना बिआयाति रब्बिना लम्मा जाअत्-ना, रब्बना अफ्-रिग़ अलैना सब् –रंव्-व तवफ्फ़ना मुस्लिमीन
तू हमसे उसके सिवा और काहे की अदावत रखता है कि जब हमारे पास ख़ुदा की निशानियाँ आयी तो हम उन पर ईमान लाए (और अब तो हमारी ये दुआ है कि) ऐ हमारे परवरदिगार हम पर सब्र (का मेंह बरसा)।

7:127

وَقَالَ ٱلْمَلَأُ مِن قَوْمِ فِرْعَوْنَ أَتَذَرُ مُوسَىٰ وَقَوْمَهُۥ لِيُفْسِدُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ وَيَذَرَكَ وَءَالِهَتَكَ قَالَ سَنُقَتِّلُ أَبْنَآءَهُمْ وَنَسْتَحْىِۦ نِسَآءَهُمْ وَإِنَّا فَوْقَهُمْ قَٰهِرُونَ

व क़ालल्म-लउ मिन् क़ौमि फिरऔ-न अ-त-ज़रू मूसा व क़ौमहू लियुफ्सिदू फिल्अर्ज़ि व य-ज़-र-क व आलि-ह-त-क, क़ा-ल सनुक़त्तिलु अब्-ना-अहुम् व नस्तह़्यी निसा-अहुम्, व इन्ना फ़ौक़हुम् क़ाहिरून
और हमने अपनी फरमाबरदारी की हालत में दुनिया से उठा ले और फिरौन की क़ौम के चन्द सरदारों ने (फिरौन) से कहा कि क्या आप मूसा और उसकी क़ौम को उनकी हालत पर छोड़ देंगे कि मुल्क में फ़साद करते फिरे और आपके और आपके ख़ुदाओं (की परसतिश) को छोड़ बैठें- फिरौन कहने लगा (तुम घबराओ नहीं) हम अनक़रीब ही उनके बेटों की क़त्ल करते हैं और उनकी औरतों को (लौन्डिया बनाने के वास्ते) जिन्दा रखते हैं और हम तो उन पर हर तरह क़ाबू रखते हैं।

7:128

قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِ ٱسْتَعِينُوا۟ بِٱللَّهِ وَٱصْبِرُوٓا۟ إِنَّ ٱلْأَرْضَ لِلَّهِ يُورِثُهَا مَن يَشَآءُ مِنْ عِبَادِهِۦ وَٱلْعَٰقِبَةُ لِلْمُتَّقِينَ

क़ा-ल मूसा लिक़ौमिहिस्तईनू बिल्लाहि वस्बिरू, इन्नल्-अर्-ज़ लिल्लाहि, यूरिसुहा मंय्यशा -उ मिन् अिबादिही, वल्आक़ि-बतु लिल्मुत्तक़ीन
(ये सुनकर) मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि (भाइयों) ख़ुदा से मदद माँगों और सब्र करो सारी ज़मीन तो ख़ुदा ही की है वह अपने बन्दों में जिसकी चाहे उसका वारिस (व मालिक) बनाए और ख़ातमा बिल ख़ैर तो सब परहेज़गार ही का है।

7:129

قَالُوٓا۟ أُوذِينَا مِن قَبْلِ أَن تَأْتِيَنَا وَمِنۢ بَعْدِ مَا جِئْتَنَا قَالَ عَسَىٰ رَبُّكُمْ أَن يُهْلِكَ عَدُوَّكُمْ وَيَسْتَخْلِفَكُمْ فِى ٱلْأَرْضِ فَيَنظُرَ كَيْفَ تَعْمَلُونَ

क़ालू ऊज़ीना मिन् क़ब्लि अन् तअ्ति-यना व मिम्-बअ्दि मा जिअ्तना, क़ा-ल अ़सा रब्बुकुम् अंय्युह़्लि-क अदुव्वकुम् व यस्तख़्लि-फकुम् फ़िल्अर्ज़ि फ़-यन्ज़ु-र कै-फ़ तअ्मलून
वह लोग कहने लगे कि (ऐ मूसा) तुम्हारे आने के क़ब्ल (पहले) ही से और तुम्हारे आने के बाद भी हम को तो बराबर तकलीफ ही पहुँच रही है (आखि़र कहाँ तक सब्र करें) मूसा ने कहा अनकरीब ही तुम्हारा परवरदिगार तुम्हारे दुश्मन को हलाक़ करेगा और तुम्हें (उसका जानशीन) बनाएगा फिर देखेगा कि तुम कैसा काम करते हो।

7:130

وَلَقَدْ أَخَذْنَآ ءَالَ فِرْعَوْنَ بِٱلسِّنِينَ وَنَقْصٍ مِّنَ ٱلثَّمَرَٰتِ لَعَلَّهُمْ يَذَّكَّرُونَ

व ल-क़द् अख़ज्-ना आ-ल फ़िरऔ-न बिस्सिनी-न व नक़्सिम् मिनस्स-मराति लअ़ल्लहुम् यज़्ज़क्करून
और बेशक हमने फिरौन के लोगों को बरसों से कहत और फलों की कम पैदावार (के अज़ाब) में गिरफ्तार किया ताकि वह इबरत हासिल करें।

7:131

فَإِذَا جَآءَتْهُمُ ٱلْحَسَنَةُ قَالُوا۟ لَنَا هَٰذِهِۦ وَإِن تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ يَطَّيَّرُوا۟ بِمُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَلَآ إِنَّمَا طَٰٓئِرُهُمْ عِندَ ٱللَّهِ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ

फ़-इज़ा जाअत्हुमुल ह-स-नतु क़ालू लना हाज़िही, व इन् तुसिब्हुम् सय्यि-अतुंय्यत्तय्यरू बिमूसा व मम्-म-अ़हू, अला इन्नमा ताइरूहुम् अिन्दल्लाहि व लाकिन्-न अक्स-रहुम् ला यअ्लमून
तो जब उन्हें कोई राहत मिलती तो कहने लगते कि ये तो हमारे लिए सज़ावार ही है और जब उन्हें कोई मुसीबत पहुँचती तो मूसा और उनके साथियों की बदशुगूनी समझते देखो उनकी बदशुगूनी तो ख़ुदा के हा (लिखी जा चुकी) थी मगर बहुतेरे लोग नही जानते हैं।

7:132

وَقَالُوا۟ مَهْمَا تَأْتِنَا بِهِۦ مِنْ ءَايَةٍ لِّتَسْحَرَنَا بِهَا فَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِينَ

व क़ालू मह़्मा तअ्तिना बिही मिन् आयतिल्-लितस्ह-रना बिहा, फ़मा नह़्नु ल-क बिमुअ्मिनीन
और फिरौन के लोग मूसा से एक मरतबा कहने लगे कि तुम हम पर जादू करने के लिए चाहे जितनी निशानियाँ लाओ मगर हम तुम पर किसी तरह ईमान नहीं लाएँगें।

7:133

فَأَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ ٱلطُّوفَانَ وَٱلْجَرَادَ وَٱلْقُمَّلَ وَٱلضَّفَادِعَ وَٱلدَّمَ ءَايَٰتٍ مُّفَصَّلَٰتٍ فَٱسْتَكْبَرُوا۟ وَكَانُوا۟ قَوْمًا مُّجْرِمِينَ

फ़-अरसल्ना अलैहिमुत्तूफा-न वल्जरा-द वल्क़ुम्म-ल वज़्ज़फ़ादि-अ वद्द-म आयातिम् मुफ़स्सलातिन्, फ़स्तक्बरू व कानू क़ौमम् मुज्रिमीन
तब हमने उन पर (पानी को) तूफान और टिड़डियाँ और जुए और मेंढ़कों और खून (का अज़ाब भेजा कि सब जुदा जुदा (हमारी कुदरत की) निशानियाँ थी उस पर भी वह लोग तकब्बुर ही करते रहें और वह लोग गुनहगार तो थे ही।

7:134

وَلَمَّا وَقَعَ عَلَيْهِمُ ٱلرِّجْزُ قَالُوا۟ يَٰمُوسَى ٱدْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِندَكَ لَئِن كَشَفْتَ عَنَّا ٱلرِّجْزَ لَنُؤْمِنَنَّ لَكَ وَلَنُرْسِلَنَّ مَعَكَ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ

व लम्मा व-क़-अ अलैहिमुर्रिज्ज़ु क़ालू या मूसद्अु लना रब्ब-क बिमा अहि-द अिन्द-क, ल-इन् कशफ्-त अन्नर्रिज्-ज़ लनुअ्मिनन्-न ल-क व लनुर्सिलन्-न म-अ-क बनी इस्राईल
(और जब उन पर अज़ाब आ पड़ता तो कहने लगते कि ऐ मूसा तुम से जो ख़ुदा ने (क़बूल दुआ का) अहद किया है उसी की उम्मीद पर अपने ख़ुदा से दुआ माँगों और अगर तुमने हम से अज़ाब को टाल दिया तो हम ज़रूर भेज देगें।

7:135

فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ ٱلرِّجْزَ إِلَىٰٓ أَجَلٍ هُم بَٰلِغُوهُ إِذَا هُمْ يَنكُثُونَ

फ़-लम्मा कशफ़्ना अ़न्हुमुर्रिज् ज़ इला अ-जलिन् हुम् बालिग़ूहु इज़ा हुम् यन्कुसून
फिर जब हम उनसे उस वक़्त के वास्ते जिस तक वह ज़रूर पहुँचते अज़ाब को हटा लेते तो फिर फौरन बद अहदी करने लगते।

7:136

فَٱنتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَأَغْرَقْنَٰهُمْ فِى ٱلْيَمِّ بِأَنَّهُمْ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَٰتِنَا وَكَانُوا۟ عَنْهَا غَٰفِلِينَ

फ़न्तक़म्-ना मिन्हुम् फ़-अग़्-र-क़्नाहुम् फिल्यम्मि बिअन्नहुम् कज़्ज़बू बिआयातिना व कानू अ़न्हा ग़ाफ़िलीन
तब आख़िर हमने उनसे (उनकी शरारत का) बदला लिया तो चूकि वह लोग हमारी आयतों को झुटलाते थे और उनसे ग़ाफिल रहते थे हमने उन्हें दरिया में डुबो दिया।

7:137

وَأَوْرَثْنَا ٱلْقَوْمَ ٱلَّذِينَ كَانُوا۟ يُسْتَضْعَفُونَ مَشَٰرِقَ ٱلْأَرْضِ وَمَغَٰرِبَهَا ٱلَّتِى بَٰرَكْنَا فِيهَا وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ ٱلْحُسْنَىٰ عَلَىٰ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ بِمَا صَبَرُوا۟ وَدَمَّرْنَا مَا كَانَ يَصْنَعُ فِرْعَوْنُ وَقَوْمُهُۥ وَمَا كَانُوا۟ يَعْرِشُونَ

व औरस् नल् क़ौमल्लज़ी-न कानू युस्तज़्-अफू-न मशारिक़ल् अर्ज़ि व मग़ारि-बहल्लती बारक्ना फ़ीहा, व तम्मत् कलि-मतु रब्बिकल् हुस्-ना अला बनी इस्राई-ल, बिमा स-बरू, व दम्मरना मा का-न यस्बअु फिरऔनु व क़ौमुहू व मा कानू यअ्-रिशून
और जिन बेचारों को ये लोग कमज़ोर समझते थे उन्हीं को (मुल्क कयाम की) ज़मीन का जिसमें हमने (ज़रखेज़ होने की) बरकत दी थी उसके पूरब पच्छिम (सब) का वारिस (मालिक) बना दिया और चूकि बनी इसराईल नें (फिरौन के ज़ालिमों) पर सब्र किया था इसलिए तुम्हारे परवरदिगार का नेक वायदा (जो उसने बनी इसराइल से किया था) पूरा हो गया और जो कुछ फिरौन और उसकी क़ौम के लोग करते थे और जो ऊँची ऊँची इमारते बनाते थे सब हमने बरबाद कर दी।

7:138

وَجَٰوَزْنَا بِبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٱلْبَحْرَ فَأَتَوْا۟ عَلَىٰ قَوْمٍ يَعْكُفُونَ عَلَىٰٓ أَصْنَامٍ لَّهُمْ قَالُوا۟ يَٰمُوسَى ٱجْعَل لَّنَآ إِلَٰهًا كَمَا لَهُمْ ءَالِهَةٌ قَالَ إِنَّكُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُونَ

व जावज़्ना बि-बनी इस्राईलल्-बह़्-र फ-अतौ अ़ला कौमिंय्यअ्कुफू-न अ़ला अस्-ना मिल्लहुम्, क़ालू या मूसज् अल्-लना इलाहन् कमा लहुम् आलि-हतुन्, क़ा-ल इन्नकुम् क़ौमुन् तज्हलून
और हमने बनी ईसराइल को दरिया के उस पार उतार दिया तो एक ऐसे लोगों पर से गुज़रे जो अपने (हाथों से बनाए हुए) बुतों की परसतिश पर जमा बैठे थे (तो उनको देख कर बनी ईसराइल से) कहने लगे ऐ मूसा जैसे उन लोगों के माबूद (बुत) हैं वैसे ही हमारे लिए भी एक माबूद बनाओ मूसा ने जवाब दिया कि तुम लोग जाहिल लोग हो।

7:139

إِنَّ هَٰٓؤُلَآءِ مُتَبَّرٌ مَّا هُمْ فِيهِ وَبَٰطِلٌ مَّا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

इन्-न हाउला-इ मुतब्बरूम् मा हुम् फ़ीहि व बातिलुम् मा कानू यअ्मलून
(अरे कमबख़्तो!) ये लोग जिस मज़हब पर हैं (वह यक़ीनी बरबाद होकर रहेगा) और जो अमल ये लोग कर रहे हैं (वह सब मिटिया मेट हो जाएगा)।

7:140

قَالَ أَغَيْرَ ٱللَّهِ أَبْغِيكُمْ إِلَٰهًا وَهُوَ فَضَّلَكُمْ عَلَى ٱلْعَٰلَمِينَ

क़ा-ल अग़ैरल्लाहि अब्ग़ीकुम् इलाहंव्-व हु-व फज़्ज़-लकुम् अलल्-आलमीन
(मूसा ने ये भी) कहा क्या तुम्हारा ये मतलब है कि ख़ुदा को छोड़कर मै दूसरे को तुम्हारा माबूद तलाश करू।

7:141

وَإِذْ أَنجَيْنَٰكُم مِّنْ ءَالِ فِرْعَوْنَ يَسُومُونَكُمْ سُوٓءَ ٱلْعَذَابِ يُقَتِّلُونَ أَبْنَآءَكُمْ وَيَسْتَحْيُونَ نِسَآءَكُمْ وَفِى ذَٰلِكُم بَلَآءٌ مِّن رَّبِّكُمْ عَظِيمٌ

व इज़् अन्जैनाकुम् मिन् आलि फ़िरऔ-न यसूमूनकुम् सूअल्-अ़ज़ाबि, युक़त्तिलू-न अब्-ना-अकुम् व यस्तह्यू-न निसा-अकुम्, व फ़ी जालिकुम् बलाउम् मिर्रब्बिकुम् अज़ीम
हालाकि उसने तुमको सारी खुदाई पर फज़ीलत दी है (ऐ बनी इसराइल वह वक़्त याद करो) जब हमने तुमको फिरौन के लोगों से नजात दी जब वह लोग तुम्हें बड़ी बड़ी तकलीफें पहुचाते थे तुम्हारे बेटों को तो (चुन चुन कर) क़त्ल कर डालते थे और तुम्हारी औरतों को (लौन्डिया बनाने के वास्ते जि़न्दा रख छोड़ते) और उसमें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे (सब्र की) सख़्त आज़माइश थी।

7:142

وَوَٰعَدْنَا مُوسَىٰ ثَلَٰثِينَ لَيْلَةً وَأَتْمَمْنَٰهَا بِعَشْرٍ فَتَمَّ مِيقَٰتُ رَبِّهِۦٓ أَرْبَعِينَ لَيْلَةً وَقَالَ مُوسَىٰ لِأَخِيهِ هَٰرُونَ ٱخْلُفْنِى فِى قَوْمِى وَأَصْلِحْ وَلَا تَتَّبِعْ سَبِيلَ ٱلْمُفْسِدِينَ

व वाअ़द्-ना मूसा सलासी-न लै-लतंव्-व अत्मम्-ना हा बिअ़श्रिन् फ-तम्-म मीक़ातु रब्बिही अरबई-न लै-लतन्, व क़ा-ल मूसा लिअख़ीहि हारूनख़्लुफ़्नी फ़ी क़ौमी व अस्लिह् व ला तत्तबिज् सबीलल्-मुफ्सिदीन
और हमने मूसा से तौरैत देने के लिए तीस रातों का वायदा किया और हमने उसमें दस रोज़ बढ़ाकर पूरा कर दिया ग़रज़ उसके परवरदिगार का वायदा चालीस रात में पूरा हो गया और (चलते वक़्त) मूसा ने अपने भाई हारून कहा कि तुम मेरी क़ौम में मेरे जानशीन रहो और उनकी इसलाह करना और फसाद करने वालों के तरीक़े पर न चलना।

7:143

وَلَمَّا جَآءَ مُوسَىٰ لِمِيقَٰتِنَا وَكَلَّمَهُۥ رَبُّهُۥ قَالَ رَبِّ أَرِنِىٓ أَنظُرْ إِلَيْكَ قَالَ لَن تَرَىٰنِى وَلَٰكِنِ ٱنظُرْ إِلَى ٱلْجَبَلِ فَإِنِ ٱسْتَقَرَّ مَكَانَهُۥ فَسَوْفَ تَرَىٰنِى فَلَمَّا تَجَلَّىٰ رَبُّهُۥ لِلْجَبَلِ جَعَلَهُۥ دَكًّا وَخَرَّ مُوسَىٰ صَعِقًا فَلَمَّآ أَفَاقَ قَالَ سُبْحَٰنَكَ تُبْتُ إِلَيْكَ وَأَنَا۠ أَوَّلُ ٱلْمُؤْمِنِينَ

व लम्मा जा-अ मूसा लिमीक़ातिना व कल्ल-महू रब्बुहु, क़ा-ल रब्बि अरिनी अन्ज़ुर् इलै-क, क़ा-ल लन् तरानी व लाकिनिन्ज़ुर् इलल्-ज-बलि फ़-इनिस्त-क़र्-र मकानहू फ़सौ-फ तरानी, फ़-लम्मा तजल्ला रब्बुहू लिल्जबलि ज-अ़-लहू दक्कंव्-व खर्-र मूसा सअिकन्, फ़-लम्मा अफ़ा-क़ क़ा-ल सुब्हान-क तुब्तु इलै-क व अ-ना अव्वलुल-मुअ्मिनीन
और जब मूसा हमारा वायदा पूरा करते (कोहेतूर पर) आए और उनका परवरदिगार उनसे हम कलाम हुआ तो मूसा ने अर्ज किया कि ख़ुदाया तू मेझे अपनी एक झलक दिखला दे कि मैं तूझे देखूँ, ख़ुदा ने फरमाया तुम मुझे हरगिज़ नहीं देख सकते मगर हा उस पहाड़ की तरफ देखो (हम उस पर अपनी तजल्ली डालते हैं) पस अगर (पहाड़) अपनी जगह पर क़ायम रहे तो समझना कि अनक़रीब मुझे भी देख लोगे (वरना नहीं) फिर जब उनके परवरदिगार ने पहाड़ पर तजल्ली डाली तो उसको चकनाचूर कर दिया और मूसा बेहोश होकर गिर पड़े फिर जब होश में आए तो कहने लगे ख़़ुदा वन्दा तू (देखने दिखाने से) पाक व पाकीज़ा है-मैने तेरी बारगाह में तौबा की और मै सब से पहले तेरी अदम रवायत का यक़ीन करता हूँ।

7:144

قَالَ يَٰمُوسَىٰٓ إِنِّى ٱصْطَفَيْتُكَ عَلَى ٱلنَّاسِ بِرِسَٰلَٰتِى وَبِكَلَٰمِى فَخُذْ مَآ ءَاتَيْتُكَ وَكُن مِّنَ ٱلشَّٰكِرِينَ

क़ा-ल या मूसा इन्निस्तफैतु-क अलन्नासि बिरिसालाती व बि-कलामी, फख़ुज़् मा आतैतुक व कुम् मिनश्शाकिरीन
ख़ुदा ने फरमाया ऐ मूसा! मैने तुमको तमाम लोगों पर अपनी पैग़म्बरी और हम कलामी (का दरजा देकर) बरगूज़ीदा किया है तब जो (किताब तौरैत) हमने तुमको अता की है उसे लो और शुक्रगुज़ार रहो।

7:145

وَكَتَبْنَا لَهُۥ فِى ٱلْأَلْوَاحِ مِن كُلِّ شَىْءٍ مَّوْعِظَةً وَتَفْصِيلًا لِّكُلِّ شَىْءٍ فَخُذْهَا بِقُوَّةٍ وَأْمُرْ قَوْمَكَ يَأْخُذُوا۟ بِأَحْسَنِهَا سَأُو۟رِيكُمْ دَارَ ٱلْفَٰسِقِينَ

व कतब्-ना लहू फ़िल्-अल्वाहि मिन् कुल्लि शैइम् मौअि-ज़तंव् व तफ्सीलल्-लिकुल्लि शैइन्, फ़ख़ुज्हा बिक़ुव्वतिंव् वअ्मुर् क़ौम-क यअ्ख़ुज़ू बिअह़्सनिहा, सउरीकुम् दारल्फ़ासिक़ीन
और हमने (तौरैत की) तख़्तियों में मूसा के लिए हर तरह की नसीहत और हर चीज़ का तफसीलदार बयान लिख दिया था तो (ऐ मूसा) तुम उसे मज़बूती से तो (अमल करो) और अपनी क़ौम को हुक्म दे दो कि उसमें की अच्छी बातों पर अमल करें और बहुत जल्द तुम्हें बदकिरदारों का घर दिखा दूँगा (कि कैसे उजड़ते हैं)।

7:146

سَأَصْرِفُ عَنْ ءَايَٰتِىَ ٱلَّذِينَ يَتَكَبَّرُونَ فِى ٱلْأَرْضِ بِغَيْرِ ٱلْحَقِّ وَإِن يَرَوْا۟ كُلَّ ءَايَةٍ لَّا يُؤْمِنُوا۟ بِهَا وَإِن يَرَوْا۟ سَبِيلَ ٱلرُّشْدِ لَا يَتَّخِذُوهُ سَبِيلًا وَإِن يَرَوْا۟ سَبِيلَ ٱلْغَىِّ يَتَّخِذُوهُ سَبِيلًا ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَٰتِنَا وَكَانُوا۟ عَنْهَا غَٰفِلِينَ

सअस् रिफु अन् आयातियल्लज़ी-न य-तकब्बरू-न फिल्अर्ज़ि बिग़ैरिल्-हक़्क़ि, व इंय्यरौ कुल-ल आयतिल् ला युअ्मिनू बिहा, व इंय्यरौ सबीलर्रुश्दि ला यत्तख़िज़ूहु सबीलन्, व इंय्यरौ सबीलल्-ग़य्यि यत्तख़िज़ूहु सबीलन्, ज़ालि-क बिअन्नहुम् कज़्ज़बू बिआयातिना व कानू अन्हा ग़ाफ़िलीन
जो लोग (ख़ुदा की) ज़मीन पर नाहक़ अकड़ते फिरते हैं उनको अपनी आयतों से बहुत जल्द फेर दूगा और मै क्या फेरूगा ख़ुदा (उसका दिल ऐसा सख़्त है कि) अगर दुनिया जहान के सारे मौजिज़े भी देखते तो भी ये उन पर इमान न लाएगें और (अगर) सीधा रास्ता भी देख पाए तो भी अपनी राह न जाएगें और अगर गुमराही की राह देख लेगें तो झटपट उसको अपना तरीक़ा बना लेगें ये कजरवी इस सबब से हुयी कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया और उनसे ग़फलत करते रहे।

7:147

وَٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَٰتِنَا وَلِقَآءِ ٱلْءَاخِرَةِ حَبِطَتْ أَعْمَٰلُهُمْ هَلْ يُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

वल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना व लिक़ाइल आख़ि-रति हबितत् अअ्मालुहुम्, हल युज्ज़ौ-न इल्ला-मा कानू यअ्मलून
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को और आखि़रत की हुज़ूरी को झूठलाया उनका सब किया कराया अकारत हो गया, उनको बस उन्हीं आमाल की जज़ा या सज़ा दी जाएगी जो वह करते थे।

7:148

وَٱتَّخَذَ قَوْمُ مُوسَىٰ مِنۢ بَعْدِهِۦ مِنْ حُلِيِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهُۥ خُوَارٌ أَلَمْ يَرَوْا۟ أَنَّهُۥ لَا يُكَلِّمُهُمْ وَلَا يَهْدِيهِمْ سَبِيلًا ٱتَّخَذُوهُ وَكَانُوا۟ ظَٰلِمِينَ

वत्त-ख़-ज़ क़ौमु मूसा मिम्-बअ्दिही मिन् हुलिय्यिहिम् अिज्लन् ज-सदल्लहू खुवारून्, अलम् यरौ अन्नहू ला युकल्लिमुहुम् व ला यह्दीहिम सबीला • इत्त ख़ज़ूहु व कानू ज़ालिमीन
और मूसा की क़ौम ने (कोहेतूर पर) उनके जाने के बाद अपने जे़वरों को (गलाकर) एक बछड़े की मूरत बनाई (यानि) एक जिस्म जिसमें गाए की सी आवाज़ थी (अफसोस) क्या उन लोगों ने इतना भी न देखा कि वह न तो उनसे बात ही कर सकता और न किसी तरह की हिदायत ही कर सकता है (खुलासा) उन लोगों ने उसे (अपनी माबूद बना लिया)।

7:149

وَلَمَّا سُقِطَ فِىٓ أَيْدِيهِمْ وَرَأَوْا۟ أَنَّهُمْ قَدْ ضَلُّوا۟ قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ يَرْحَمْنَا رَبُّنَا وَيَغْفِرْ لَنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ ٱلْخَٰسِرِينَ

व लम्मा सुक़ि-त फ़ी ऐदीहिम् व रऔ अन्नहुम् क़द् ज़ल्लू, क़ालू ल-इल्लम् यर्हम्-ना रब्बुना व यग़्फिर लना ल-नकूनन्-न मिनल्ख़ासिरीन
और आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते थे और जब वह पछताए और उन्होने अपने को यक़ीनी गुमराह देख लिया तब कहने लगे कि अगर हमारा परदिगार हम पर रहम नहीं करेगा और हमारा कुसूर न माफ़ करेगा तो हम यक़ीनी घाटा उठाने वालों में हो जाएगें।

7:150

وَلَمَّا رَجَعَ مُوسَىٰٓ إِلَىٰ قَوْمِهِۦ غَضْبَٰنَ أَسِفًا قَالَ بِئْسَمَا خَلَفْتُمُونِى مِنۢ بَعْدِىٓ أَعَجِلْتُمْ أَمْرَ رَبِّكُمْ وَأَلْقَى ٱلْأَلْوَاحَ وَأَخَذَ بِرَأْسِ أَخِيهِ يَجُرُّهُۥٓ إِلَيْهِ قَالَ ٱبْنَ أُمَّ إِنَّ ٱلْقَوْمَ ٱسْتَضْعَفُونِى وَكَادُوا۟ يَقْتُلُونَنِى فَلَا تُشْمِتْ بِىَ ٱلْأَعْدَآءَ وَلَا تَجْعَلْنِى مَعَ ٱلْقَوْمِ ٱلظَّٰلِمِينَ

व लम्मा र-ज-अ मूसा इला क़ौमिही ग़ज़्बा-न असिफ़न्, क़ा-ल बिअ्-समा ख़लफ्तुमूनी मिम् बअ्दी, अ-अ़जिल्तुम् अम्-र रब्बिकुम्, व अल्क़ल्-अल्वा-ह व अ-ख़-ज़ बिरअ्सि अख़ीहि यजुर्रूहू इलैहि, क़ालब्-न उम्-म इन्नल् क़ौमस्तज़्अ़ फूनी व कादू यक़्तुलू-ननी, फला तुश्मित् बियल्-अअ्दा-अ व ला तज्अ़ल्नी मअ़ल् क़ौमिज़्-ज़ालिमीन
और जब मूसा पलट कर अपनी क़ौम की तरफ आए तो (ये हालत देखकर) रंज व गुस्से में (अपनी क़ौम से) कहने लगे कि तुम लोगों ने मेरे बाद बहुत बुरी हरकत की-तुम लोग अपने परवरदिगार के हुक्म (मेरे आने में) किस कदर जल्दी कर बैठे और (तौरैत की) तख़्तियों को फेंक दिया और अपने भाई (हारून) के सर (के बालों को पकड़ कर अपनी तर फ खींचने लगे) उस पर हारून ने कहा ऐ मेरे मांजाए (भाई) मै क्या करता क़ौम ने मुझे हक़ीर समझा और (मेरा कहना न माना) बल्कि क़रीब था कि मुझे मार डाले तो मुझ पर दुश्मनों को न हॅसवाइए और मुझे उन ज़ालिम लोगों के साथ न करार दीजिए।

7:151

قَالَ رَبِّ ٱغْفِرْ لِى وَلِأَخِى وَأَدْخِلْنَا فِى رَحْمَتِكَ وَأَنتَ أَرْحَمُ ٱلرَّٰحِمِينَ

क़ा-ल रब्बिग़्फ़िर ली व लि-अख़ी व अद्खिल्ना फी रह़्मति-क, व अन्-त अर्हमुर्-राहिमीन
तब मूसा ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार! मुझे और मेरे भाई को बख़्श दे और हमें अपनी रहमत में दाखि़ल कर और तू सबसे बढ़के रहम करने वाला है।

7:152

إِنَّ ٱلَّذِينَ ٱتَّخَذُوا۟ ٱلْعِجْلَ سَيَنَالُهُمْ غَضَبٌ مِّن رَّبِّهِمْ وَذِلَّةٌ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَكَذَٰلِكَ نَجْزِى ٱلْمُفْتَرِينَ

इन्नल्लज़ीनत्त-ख़ज़ुल्-अिज्-ल स-यनालुहुम् ग़-ज़बुम् मिर्रब्बिहिम् व ज़िल्लतुन् फ़िल्-हयातिद्दुन्या, व कज़ालि-क नजज़िल मुफ़्तरीन
बेशक जिन लोगों ने बछड़े को (अपना माबूद) बना लिया उन पर अनक़रीब ही उनके परवरदिगार की तरफ से अज़ाब नाज़िल होगा और दुनियावी ज़िन्दगी में ज़िल्लत (उसके अलावा) और हम बोहतान बाधने वालों की ऐसी ही सज़ा करते हैं।

7:153

وَٱلَّذِينَ عَمِلُوا۟ ٱلسَّيِّـَٔاتِ ثُمَّ تَابُوا۟ مِنۢ بَعْدِهَا وَءَامَنُوٓا۟ إِنَّ رَبَّكَ مِنۢ بَعْدِهَا لَغَفُورٌ رَّحِيمٌ

वल्लज़ी-न अमिलुस्सय्यिआति सुम्-म ताबू मिम् – बअ्दिहा व आमनू, इन्-न रब्ब-क मिम्-बअ़दिहा ल-ग़फूरुर्रहीम
और जिन लोगों ने बुरे काम किए फिर उसके बाद तौबा कर ली और इमान लाए तो बेशक तुम्हारा परवरदिगार तौबा के बाद ज़रूर बख़्शने वाला मेहरबान है।

7:154

وَلَمَّا سَكَتَ عَن مُّوسَى ٱلْغَضَبُ أَخَذَ ٱلْأَلْوَاحَ وَفِى نُسْخَتِهَا هُدًى وَرَحْمَةٌ لِّلَّذِينَ هُمْ لِرَبِّهِمْ يَرْهَبُونَ

व लम्मा स-क-त अम्मूसल-ग़-ज़बु अ-ख़ज़ल्-अल्वा-ह, व फी नुस्ख़तिहा हुदंव्-व रहमतुल्लिल्लज़ी-न हुम् लिरब्बिहिम् यर्हबून
और जब मूसा का गुस्सा ठण्डा हुआ तो (तौरैत) की तख़्तियों को (ज़मीन से) उठा लिया और तौरैत के नुस्खे में जो लोग अपने परवरदिगार से डरते है उनके लिए हिदायत और रहमत है।

7:155

وَٱخْتَارَ مُوسَىٰ قَوْمَهُۥ سَبْعِينَ رَجُلًا لِّمِيقَٰتِنَا فَلَمَّآ أَخَذَتْهُمُ ٱلرَّجْفَةُ قَالَ رَبِّ لَوْ شِئْتَ أَهْلَكْتَهُم مِّن قَبْلُ وَإِيَّٰىَ أَتُهْلِكُنَا بِمَا فَعَلَ ٱلسُّفَهَآءُ مِنَّآ إِنْ هِىَ إِلَّا فِتْنَتُكَ تُضِلُّ بِهَا مَن تَشَآءُ وَتَهْدِى مَن تَشَآءُ أَنتَ وَلِيُّنَا فَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَا وَأَنتَ خَيْرُ ٱلْغَٰفِرِينَ

वख़्ता-र मूसा क़ौमहू सब्ई-न रजुलल् लिमीक़ातिना, फ़-लम्मा अ-ख़ज़त्हुमुर्रज्-फतु क़ा-ल रब्बि लौ शिअ्-त अह़्लक्तहुम् मिन् क़ब्लु व इय्या-य, अतुह़्लिकुना बिमा फ़-अलस्सु फ़हा-उ मिन्ना, इन् हि-य इल्ला फ़ित् नतु-क, तुज़िल्लु बिहा मन् तशा-उ व तह्दी मन् तशा-उ, अन्-त वलिय्युना फ़ग़्फ़िर लना वरहम्-ना व अन्-त खैरुल्ग़ाफ़िरीन
और मूसा ने अपनी क़ौम से हमारा वायदा पूरा करने को (कोहतूर पर ले जाने के वास्ते) सत्तर आदमियों को चुना फिर जब उनको ज़लज़ले ने आ पकड़ा तो हज़रत मूसा ने अर्ज किया परवरदिगार अगर तू चाहता तो मुझको और उन सबको पहले ही हलाक़ कर डालता क्या हम में से चन्द बेवकूफों की करनी की सज़ा में हमको हलाक़ करता है ये तो सिर्फ तेरी आज़माइश थी तू जिसे चाहे उसे गुमराही में छोड़ दे और जिसको चाहे हिदायत दे तू ही हमारा मालिक है तू ही हमारे कुसूर को माफ कर और हम पर रहम कर और तू तो तमाम बख्शने वालों से कहीं बेहतर है।

7:156

وَٱكْتُبْ لَنَا فِى هَٰذِهِ ٱلدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِى ٱلْءَاخِرَةِ إِنَّا هُدْنَآ إِلَيْكَ قَالَ عَذَابِىٓ أُصِيبُ بِهِۦ مَنْ أَشَآءُ وَرَحْمَتِى وَسِعَتْ كُلَّ شَىْءٍ فَسَأَكْتُبُهَا لِلَّذِينَ يَتَّقُونَ وَيُؤْتُونَ ٱلزَّكَوٰةَ وَٱلَّذِينَ هُم بِـَٔايَٰتِنَا يُؤْمِنُونَ

वक्तुब् लना फी हाज़िहिद्दुन्या ह-स नतंव्-व फिल्आख़ि-रति इन्ना हुद्-ना इलै-क, क़ा-ल अज़ाबी उसीबु बिही मन् अशा-उ, व रह़्मती वसि अ़त् कुल-ल शैइन्, फ़-सअक्तुबुहा लिल्लज़ी-न यत्तक़ू-न व युअ्तूनज़्ज़का-त वल्लज़ी-न हुम् बिआयातिना युअ्मिनून
और तू ही इस दुनिया (फ़ानी) और आखि़रत में हमारे वास्ते भलाई के लिए लिख ले हम तेरी ही तरफ रूझू करते हैं ख़ुदा ने फरमाया जिसको मैं चाहता हूँ (मुस्तहक़ समझकर) अपना अज़ाब पहुँचा देता हूँ और मेरी रहमत हर चीज़ पर छाई हैं मै तो उसे बहुत जल्द ख़ास उन लोगों के लिए लिख दूँगा (जो बुरी बातों से) बचते रहेंगे और ज़कात दिया करेंगे और जो हमारी बातों पर ईमान रखा करेंगे।

7:157

ٱلَّذِينَ يَتَّبِعُونَ ٱلرَّسُولَ ٱلنَّبِىَّ ٱلْأُمِّىَّ ٱلَّذِى يَجِدُونَهُۥ مَكْتُوبًا عِندَهُمْ فِى ٱلتَّوْرَىٰةِ وَٱلْإِنجِيلِ يَأْمُرُهُم بِٱلْمَعْرُوفِ وَيَنْهَىٰهُمْ عَنِ ٱلْمُنكَرِ وَيُحِلُّ لَهُمُ ٱلطَّيِّبَٰتِ وَيُحَرِّمُ عَلَيْهِمُ ٱلْخَبَٰٓئِثَ وَيَضَعُ عَنْهُمْ إِصْرَهُمْ وَٱلْأَغْلَٰلَ ٱلَّتِى كَانَتْ عَلَيْهِمْ فَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ بِهِۦ وَعَزَّرُوهُ وَنَصَرُوهُ وَٱتَّبَعُوا۟ ٱلنُّورَ ٱلَّذِىٓ أُنزِلَ مَعَهُۥٓ أُو۟لَٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ

अल्लज़ी-न यत्तबिअूनर्रसूलन्नबिय्यल् उम्मिय्यल्लज़ी यजिदूनहू मक्तूबन् अिन्दहुम् फ़ित्तौराति वल्-इन्जीलि, यअ्मुरुहुम् बिल्-मअ्-रूफ़ि व यन्हाहुम् अनिल-मुन्करि व युहिल्लु लहुमुत्तय्यिबाति व युहर्रिमु अलैहिमुल् ख़बाइ-स व य-ज़अु अन्हुम् इस्रहुम् वल्अग़्लालल्लती कानत् अलैहिम्, फ़ल्लज़ी-न आमनू बिही व अ़ज़्ज़रूहु व न-सरूहु वत्त-बअुन्-नूरल्लज़ी उन्ज़ि-ल म-अहू, उलाइ-क हुमुल्-मुफ्लिहून
(यानि) जो लोग हमारे बनी उल उम्मी पैग़म्बर के क़दम बा क़दम चलते हैं जिस (की बशारत) को अपने हा तौरैत और इन्जील में लिखा हुआ पाते है (वह नबी) जो अच्छे काम का हुक्म देता है और बुरे काम से रोकता है और जो पाक व पाकीज़ा चीजे़ तो उन पर हलाल और नापाक गन्दी चीजे़ उन पर हराम कर देता है और (सख़्त एहकाम का) बोझ जो उनकी गर्दन पर था और वह फन्दे जो उन पर (पड़े हुए) थे उनसे हटा देता है पस (याद रखो कि) जो लोग (नबी मोहम्मद) पर इमान लाए और उसकी इज़्ज़त की और उसकी मदद की और उस नूर (क़ुरान) की पैरवी की जो उसके साथ नाजि़ल हुआ है तो यही लोग अपनी दिली मुरादे पाएगें।

7:158

قُلْ يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنِّى رَسُولُ ٱللَّهِ إِلَيْكُمْ جَمِيعًا ٱلَّذِى لَهُۥ مُلْكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ يُحْىِۦ وَيُمِيتُ فَـَٔامِنُوا۟ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِ ٱلنَّبِىِّ ٱلْأُمِّىِّ ٱلَّذِى يُؤْمِنُ بِٱللَّهِ وَكَلِمَٰتِهِۦ وَٱتَّبِعُوهُ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ

क़ुल या अय्युहन्नासु इन्नी रसूलुल्लाहि इलैकुम् जमी-अ़निल्लज़ी लहू मुल्कुस्समावाति वल्अर्ज़ि, ला इला-ह इल्ला हु-व युह़्यी व युमीतु, फ़आमिनू बिल्लाहि व रसूलिहिन्-नबिय्यिल् उम्मिय्यिल्लज़ी युअ्मिनु बिल्लाहि व कलिमातिही वत्तबिअुहु लअ़ल्लकुम् तह्तदून
(ऐ रसूल!) तुम (उन लोगों से) कह दो कि लोगों में तुम सब लोगों के पास उस ख़ुदा का भेजा हुआ (पैग़म्बर) हूँ जिसके लिए ख़ास सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत (हुकूमत) है उसके सिवा और कोई माबूद नहीं वही जि़न्दा करता है वही मार डालता है पस (लोगों) ख़ुदा और उसके रसूल नबी उल उम्मी पर ईमान लाओ जो (ख़ुद भी) ख़़ुदा पर और उसकी बातों पर (दिल से) ईमान रखता है और उसी के क़दम बा क़दम चलो ताकि तुम हिदायत पाओ।

7:159

وَمِن قَوْمِ مُوسَىٰٓ أُمَّةٌ يَهْدُونَ بِٱلْحَقِّ وَبِهِۦ يَعْدِلُونَ

व मिन् क़ौमि मूसा उम्मतुंय्यह़्दू-न बिल्हक़्क़ि व बिही यअ्दिलून
और मूसा की क़ौम के कुछ लोग ऐसे भी है जो हक़ बात की हिदायत भी करते हैं और हक़ के (मामलात में) इन्साफ़ भी करते हैं।

7:160

وَقَطَّعْنَٰهُمُ ٱثْنَتَىْ عَشْرَةَ أَسْبَاطًا أُمَمًا وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ إِذِ ٱسْتَسْقَىٰهُ قَوْمُهُۥٓ أَنِ ٱضْرِب بِّعَصَاكَ ٱلْحَجَرَ فَٱنۢبَجَسَتْ مِنْهُ ٱثْنَتَا عَشْرَةَ عَيْنًا قَدْ عَلِمَ كُلُّ أُنَاسٍ مَّشْرَبَهُمْ وَظَلَّلْنَا عَلَيْهِمُ ٱلْغَمَٰمَ وَأَنزَلْنَا عَلَيْهِمُ ٱلْمَنَّ وَٱلسَّلْوَىٰ كُلُوا۟ مِن طَيِّبَٰتِ مَا رَزَقْنَٰكُمْ وَمَا ظَلَمُونَا وَلَٰكِن كَانُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ

व क़त्तअ्नाहुमुस् नती अश्र-त अस्बातन् उ-ममन्, व औहैना इला मूसा इज़िस्तस्क़ाहु क़ौमुहू अनिज़्-रिब बिअ़साकल् ह-ज-र, फम्ब-जसत् मिन्हुस्नता अश्र-त ऐनन्, क़द् अलि-म कुल्लु उनासिम् मश्र-बहुम्, व ज़ल्लल्ना अलैहिमुल् ग़मा-म व अन्ज़ल्ना अलैहिमुल मन्-न वस्सल्वा, कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क़्नाकुम्, व मा ज़-लमूना व लाकिन् कानू अन्फु-सहुम् यज़्लिमून
और हमने बनी ईसराइल के एक एक दादा की औलाद को जुदा जुदा बारह गिरोह बना दिए और जब मूसा की क़ौम ने उनसे पानी मागा तो हमने उनके पास वही भेजी कि तुम अपनी छड़ी पत्थर पर मारो (छड़ी मारना था) कि उस पत्थर से पानी के बारह चश्मे फूट निकले और ऐसे साफ साफ अलग अलग कि हर क़बीले ने अपना अपना घाट मालूम कर लिया और हमने बनी ईसराइल पर अब्र (बादल) का साया किया और उन पर मन व सलवा (सी नेअमत) नाजि़ल की (लोगों) जो पाक (पाकीज़ा) चीज़े तुम्हें दी हैं उन्हें (शौक से खाओ पियो) और उन लोगों ने (नाफरमानी करके) कुछ हमारा नहीं बिगाड़ा बल्कि अपना आप ही बिगाड़ते हैं।

7:161

وَإِذْ قِيلَ لَهُمُ ٱسْكُنُوا۟ هَٰذِهِ ٱلْقَرْيَةَ وَكُلُوا۟ مِنْهَا حَيْثُ شِئْتُمْ وَقُولُوا۟ حِطَّةٌ وَٱدْخُلُوا۟ ٱلْبَابَ سُجَّدًا نَّغْفِرْ لَكُمْ خَطِيٓـَٰٔتِكُمْ سَنَزِيدُ ٱلْمُحْسِنِينَ

व इज़् क़ी-ल लहु मुस्कुनू हाज़िहिल्क़र्य-त व कुलू मिन्हा हैसु शिअ्तुम् व क़ूलू हित्ततुंव्-वद्ख़ुलुल्-बा-ब सुज्जदन् नग़्फ़िर् लकुम् ख़तिआतिकुम्, स-नज़ीदुल् मुह़्सिनीन
और जब उनसे कहा गया कि उस गाँव में जाकर रहो सहो और उसके मेवों से जहाँ तुम्हारा जी चाहे (शौक से) खाओ (पियो) और मुँह से हुतमा कहते और सजदा करते हुए दरवाजे़ में दाखिल हो तो हम तुम्हारी ख़ताए बख़्श देगें और नेकी करने वालों को हम कुछ ज़्यादा ही देगें।

7:162

فَبَدَّلَ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مِنْهُمْ قَوْلًا غَيْرَ ٱلَّذِى قِيلَ لَهُمْ فَأَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ رِجْزًا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ بِمَا كَانُوا۟ يَظْلِمُونَ

फ़-बद्दलल्लज़ी-न ज़-लमू मिन्हुम् क़ौलन् ग़ैरल्लज़ी क़ी-ल लहुम् फ-अर्सल्ना अलैहिम् रिज्ज़म्-मिनस्-समा-इ बिमा कानू यज़्लिमून
तो ज़ालिमों ने जो बात उनसे कही गई थी उसे बदल कर कुछ और कहना शुरू किया तो हमने उनकी शरारतों की बदौलत उन पर आसमान से अज़ाब भेज दिया।

7:163

وَسْـَٔلْهُمْ عَنِ ٱلْقَرْيَةِ ٱلَّتِى كَانَتْ حَاضِرَةَ ٱلْبَحْرِ إِذْ يَعْدُونَ فِى ٱلسَّبْتِ إِذْ تَأْتِيهِمْ حِيتَانُهُمْ يَوْمَ سَبْتِهِمْ شُرَّعًا وَيَوْمَ لَا يَسْبِتُونَ لَا تَأْتِيهِمْ كَذَٰلِكَ نَبْلُوهُم بِمَا كَانُوا۟ يَفْسُقُونَ

वस्अल्हुम् अनिल्क़र्यतिल्लती कानत् हाज़ि-रतल्-बहरि • इज़् यअ्दू-न फिस्सब्ति इज़् तअ्तीहिम् हीतानुहुम् यौ-म सब्तिहिम् शुर्रअंव्-व यौ-म ला यस्बितू-न, ला तअ्तीहिम् कज़ालि-क, नब्लूहुम् बिमा कानू यफ्सुक़ून
और (ऐ रसूल!) उनसे ज़रा उस गाँव का हाल तो पूछो जो दरिया के किनारे वाक़ऐ था जब ये लोग उनके बुज़र्ग शुम्बे (सनीचर) के दिन ज़्यादती करने लगे कि जब उनका शुम्बा (वाला इबादत का) दिन होता तब तो मछलियाँ सिमट कर उनके सामने पानी पर उभर के आ जाती और जब उनका शुम्बा (वाला इबादत का) दिन न होता तो मछलिया उनके पास ही न फटकतीं और चॅूकि ये लोग बदचलन थे उस दरजे से हम भी उनकी यूही आज़माइश किया करते थे।

7:164

وَإِذْ قَالَتْ أُمَّةٌ مِّنْهُمْ لِمَ تَعِظُونَ قَوْمًا ٱللَّهُ مُهْلِكُهُمْ أَوْ مُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِيدًا قَالُوا۟ مَعْذِرَةً إِلَىٰ رَبِّكُمْ وَلَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ

व इज़् क़ालत् उम्मतुम्-मिन्हुम् लि-म तअिज़ू-न क़ौ- मनिल्लाहु मुह़्लिकुहुम् औ मुअ़ज़्ज़िबुहुम् अ़ज़ाबन् शदीदन्, क़ालू मअ्ज़ि-रतन् इला रब्बिकुम् व लअ़ल्लहुम् यत्तक़ून
और जब उनमें से एक जमाअत ने (उन लोगों में से जो शुम्बे के दिन शिकार को मना करते थे) कहा कि जिन्हें ख़ुदा हलाक़ करना या सख़्त अज़ाब में मुब्तिला करना चाहता है उन्हें (बेफायदे) क्यो नसीहत करते हो तो वह कहने लगे कि फक़त तुम्हारे परवरदिगार में (अपने को) इल्ज़ाम से बचाने के लिए शायद इसलिए कि ये लोग परहेज़गारी एखि़्तयार करें।

7:165

فَلَمَّا نَسُوا۟ مَا ذُكِّرُوا۟ بِهِۦٓ أَنجَيْنَا ٱلَّذِينَ يَنْهَوْنَ عَنِ ٱلسُّوٓءِ وَأَخَذْنَا ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ بِعَذَابٍۭ بَـِٔيسٍۭ بِمَا كَانُوا۟ يَفْسُقُونَ

फ़-लम्मा नसू मा ज़ुक्किरू बिही अन्जैनल्लज़ी-न यन्हौ-न अनिस्सू-इ व अख़ज़्नल्लज़ी-न ज़-लमू बिअज़ाबिम् बईसिम्-बिमा कानू यफ़्सुक़ून
फिर जब वह लोग जिस चीज़ की उन्हें नसीहत की गई थी उसे भूल गए तो हमने उनको तो तजावीज़ (नजात) दे दी जो बुरे काम से लोगों को रोकते थे और जो लोग ज़ालिम थे उनको उनकी बद चलनी की वजह से बड़े अज़ाब में गिरफ्तार किया।

7:166

فَلَمَّا عَتَوْا۟ عَن مَّا نُهُوا۟ عَنْهُ قُلْنَا لَهُمْ كُونُوا۟ قِرَدَةً خَٰسِـِٔينَ

फ़-लम्मा अ़तौ अम्मा नुहू अन्हु क़ुल्ना लहुम् कूनू क़ि-र-दतन् ख़ासिईन
फिर जिस बात की उन्हें मुमानिअत (रोक) की गई थी जब उन लोगों ने उसमें सरकशी की तो हमने हुक्म दिया कि तुम ज़लील और राएन्दे (धुत्कारे) हुए बन्दर बन जाओ (और वह बन गए)।

7:167

وَإِذْ تَأَذَّنَ رَبُّكَ لَيَبْعَثَنَّ عَلَيْهِمْ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْقِيَٰمَةِ مَن يَسُومُهُمْ سُوٓءَ ٱلْعَذَابِ إِنَّ رَبَّكَ لَسَرِيعُ ٱلْعِقَابِ وَإِنَّهُۥ لَغَفُورٌ رَّحِيمٌ

व इज़् त-अज़्ज़-न रब्बु-क लयब्अ-सन्-न अलैहिम् इला यौमिल्-क़ियामति मंय्यसूमुहुम् सूअल्-अ़ज़ाबि, इन्-न रब्ब-क ल-सरीअुल-अिक़ाबि, व इन्नहू ल-ग़फूरुर्रहीम
(ऐ रसूल! वह वक़्त याद दिलाओ) जब तुम्हारे परवरदिगार ने पुकार पुकार के (बनी ईसराइल से कह दिया था कि वह क़यामत तक उन पर ऐसे हाकि़म को मुसल्लत देखेगा जो उन्हें बुरी बुरी तकलीफें देता रहे क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बहुत जल्द अज़ाब करने वाला है और इसमें भी शक नहीं कि वह बड़ा बख़्शने वाला (मेहरबान) भी है।

7:168

وَقَطَّعْنَٰهُمْ فِى ٱلْأَرْضِ أُمَمًا مِّنْهُمُ ٱلصَّٰلِحُونَ وَمِنْهُمْ دُونَ ذَٰلِكَ وَبَلَوْنَٰهُم بِٱلْحَسَنَٰتِ وَٱلسَّيِّـَٔاتِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ

व क़त्तअ्नाहुम् फ़िल्अर्ज़ि उ-ममन् मिन्हुमुस्सालिहू-न व मिन्हुम् दू-न जालि-क, व बलौनाहुम् बिल्ह-सनाति वस्सय्यिआति लअ़ल्लहुम् यर्जिअून
और हमने उनको रूए ज़मीन में गिरोह-गिरोह तितिर- बितिर कर दिया उनमें के कुछ लोग तो नेक हैं और कुछ लोग और तरह के (बदकार) हैं और हमने उन्हें सुख और दुख (दोनो तरह) से आज़माया ताकि वह (शरारत से) बाज़ आए।

7:169

فَخَلَفَ مِنۢ بَعْدِهِمْ خَلْفٌ وَرِثُوا۟ ٱلْكِتَٰبَ يَأْخُذُونَ عَرَضَ هَٰذَا ٱلْأَدْنَىٰ وَيَقُولُونَ سَيُغْفَرُ لَنَا وَإِن يَأْتِهِمْ عَرَضٌ مِّثْلُهُۥ يَأْخُذُوهُ أَلَمْ يُؤْخَذْ عَلَيْهِم مِّيثَٰقُ ٱلْكِتَٰبِ أَن لَّا يَقُولُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ إِلَّا ٱلْحَقَّ وَدَرَسُوا۟ مَا فِيهِ وَٱلدَّارُ ٱلْءَاخِرَةُ خَيْرٌ لِّلَّذِينَ يَتَّقُونَ أَفَلَا تَعْقِلُونَ

फ़-ख़-ल-फ़ मिम्-बअ्दिहिम् ख़ल्फुंव्वरिसुल-किता-ब यअ्ख़ुज़ू-न अ-र-ज़ हाज़ल्-अद्-ना व यक़ूलू-न सयुग़्फ़रू लना, व इंय्यअ्तिहिम् अ-रज़ुम् मिस्लुहू यअ्ख़ुज़ूहु, अलम् युअ्ख़ज़् अलैहिम् मीसाक़ुल-किताबि अल्ला यक़ूलू अलल्लाहि इल्लल्हक़्क़ व द-रसू मा फ़ीहि, वद्दारूल् आख़िरतु ख़ैरुलल्लिल्लज़ी-न यत्तक़ू-न, अ-फला तअ्क़िलून
फिर उनके बाद कुछ जानशीन हुए जो किताब (ख़़ुदा तौरैत) के तो वारिस बने (मगर लोगों के कहने से एहकामे ख़ुदा को बदलकर (उसके ऐवज़) नापाक कमीनी दुनिया के सामान ले लेते हैं (और लुत्फ तो ये है) कहते हैं कि हम तो अनक़रीब बख़्श दिए जाएगें (और जो लोग उन पर तान करते हैं) अगर उनके पास भी वैसा ही (दूसरा सामान आ जाए तो उसे ये भी न छोड़े और) ले ही लें क्या उनसे किताब (ख़ुदा तौरैत) का एहदो पैमान नहीं लिया गया था कि ख़ुदा पर सच के सिवा (झूठ कभी) नहीं कहेगें और जो कुछ उस किताब में है उन्होंने (अच्छी तरह) पढ़ लिया है और आखि़र का घर तो उन्हीं लोगों के वास्ते ख़ास है जो परहेज़गार हैं तो क्या तुम (इतना भी नहीं समझते)।

7:170

وَٱلَّذِينَ يُمَسِّكُونَ بِٱلْكِتَٰبِ وَأَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ إِنَّا لَا نُضِيعُ أَجْرَ ٱلْمُصْلِحِينَ

वल्लज़ी-न युमस्सिकू-न बिल्किताबि व अक़ामुस्सला-त, इन्ना ला नुज़ीअु अज्रल् मुस्लिहीन
और जो लोग किताब (ख़़ुदा) को मज़बूती से पकड़े हुए हैं और पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं (उन्हें उसका सवाब ज़रूर मिलेगा क्योंकि) हम हरगिज़ नेकोकारो का सवाब बरबाद नहीं करते।

7:171

وَإِذْ نَتَقْنَا ٱلْجَبَلَ فَوْقَهُمْ كَأَنَّهُۥ ظُلَّةٌ وَظَنُّوٓا۟ أَنَّهُۥ وَاقِعٌۢ بِهِمْ خُذُوا۟ مَآ ءَاتَيْنَٰكُم بِقُوَّةٍ وَٱذْكُرُوا۟ مَا فِيهِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ

व इज़् न-तक़्नल् ज-ब-ल फौक़हुम् क-अन्नहू ज़ुल्लतुंव् -व ज़न्नू अन्नहू वाक़िअुम् बिहिम्, ख़ुज़ू मा आतैनाकुम् बिक़ुव्वतिंव्वज़्कुरू मा फ़ीहि लअ़ल्लकुम् तत्तक़ून
तो (ऐ रसूल! यहूद को याद दिलाओ) जब हम ने उन (के सरों) पर पहाड़ को इस तरह लटका दिया कि गोया साएबान (छप्पर) था और वह लोग समझ चुके थे कि उन पर अब गिरा और हमने उनको हुक्म दिया कि जो कुछ हमने तुम्हें अता किया है उसे मज़बूती से पकड़ लो और जो कुछ उसमें लिखा है याद रखो ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ।

7:172

وَإِذْ أَخَذَ رَبُّكَ مِنۢ بَنِىٓ ءَادَمَ مِن ظُهُورِهِمْ ذُرِّيَّتَهُمْ وَأَشْهَدَهُمْ عَلَىٰٓ أَنفُسِهِمْ أَلَسْتُ بِرَبِّكُمْ قَالُوا۟ بَلَىٰ شَهِدْنَآ أَن تَقُولُوا۟ يَوْمَ ٱلْقِيَٰمَةِ إِنَّا كُنَّا عَنْ هَٰذَا غَٰفِلِينَ

व इज़् अ-ख़-ज़ रब्बु-क मिम्-बनी आद-म मिन् ज़ुहूरिहिम् ज़ुर्रिय्य-तहुम् व अश्ह-दहुम् अला अन्फुसिहिम्, अलस्तु बिरब्बिकुम्, क़ालू बला, शहिद्-ना, अन् तक़ूलू यौमल्-क़ियामति इन्ना कुन्ना अन् हाज़ा ग़ाफ़िलीन
और उसे रसूल वह वक़्त भी याद (दिलाओ) जब तुम्हारे परवरदिगार ने आदम की औलाद से बस्तियों से (बाहर निकाल कर) उनकी औलाद से खुद उनके मुक़ाबले में एक़रार कर लिया (पूछा) कि क्या मैं तुम्हारा परवरदिगार नहीं हूँ तो सब के सब बोले हाँ हम उसके गवाह हैं ये हमने इसलिए कहा कि ऐसा न हो कहीं तुम क़यामत के दिन बोल उठो कि हम तो उससे बिल्कुल बे ख़बर थे।

7:173

أَوْ تَقُولُوٓا۟ إِنَّمَآ أَشْرَكَ ءَابَآؤُنَا مِن قَبْلُ وَكُنَّا ذُرِّيَّةً مِّنۢ بَعْدِهِمْ أَفَتُهْلِكُنَا بِمَا فَعَلَ ٱلْمُبْطِلُونَ

औ तक़ूलू इन्नमा अश्र-क आबाउना मिन् क़ब्लु व कुन्ना जुर्रिय्यतम्-मिम्-बअ्दिहिम्, अ-फ़तुह् लिकुना बिमा फ़-अलल् मुब्तिलून
या ये कह बैठो कि (हम क्या करें) हमारे तो बाप दादाओं ही ने पहले शिर्क किया था और हम तो उनकी औलाद थे (कि) उनके बाद दुनिया में आए तो क्या हमें उन लेागों के ज़ुर्म की सज़ा में हलाक करेगा जो पहले ही बातिल कर चुके।

7:174

وَكَذَٰلِكَ نُفَصِّلُ ٱلْءَايَٰتِ وَلَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ

व कज़ालि-क नुफस्सिलुल आयाति व लअ़ल्लहुम् यर्ज़िअून
और हम यूँ अपनी आयतों को तफसीलदार बयान करते हैं और ताकि वह लोग (अपनी ग़लती से) बाज़ आए।

7:175

وَٱتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ ٱلَّذِىٓ ءَاتَيْنَٰهُ ءَايَٰتِنَا فَٱنسَلَخَ مِنْهَا فَأَتْبَعَهُ ٱلشَّيْطَٰنُ فَكَانَ مِنَ ٱلْغَاوِينَ

वत्लु अलैहिम् न-बअल्लज़ी आतैनाहु आयातिना फन्स -ल-ख़ मिन्हा फ़-अत्ब-अहुश्शैतानु फ़का-न मिनल् -ग़ावीन
और (ऐ रसूल!) तुम उन लोगों को उस शख़्स का हाल पढ़ कर सुना दो जिसे हमने अपनी आयतें अता की थी फिर वह उनसे निकल भागा तो शैतान ने उसका पीछा पकड़ा और आखि़रकार वह गुमराह हो गया।

7:176

وَلَوْ شِئْنَا لَرَفَعْنَٰهُ بِهَا وَلَٰكِنَّهُۥٓ أَخْلَدَ إِلَى ٱلْأَرْضِ وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَمَثَلُهُۥ كَمَثَلِ ٱلْكَلْبِ إِن تَحْمِلْ عَلَيْهِ يَلْهَثْ أَوْ تَتْرُكْهُ يَلْهَث ذَّٰلِكَ مَثَلُ ٱلْقَوْمِ ٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَٰتِنَا فَٱقْصُصِ ٱلْقَصَصَ لَعَلَّهُمْ يَتَفَكَّرُونَ

व लौ शिअ्ना ल-रफ़अ्नाहु बिहा व लाकिन्नहू अख़्ल-द इलल् अर्ज़ि वत्त-ब-अ हवाहु, फ़-म-सलुहू क-म- सलिल्कल्बि, इन तह़्मिल अ़लैहि यल्हस् औ तत्रूक्हु यल्हस्, ज़ालि-क म-सलुल-क़ौमिल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना, फ़क़्सुसिल् क़-स-स लअ़ल्लहुम् य- तफ़क्करून
और अगर हम चाहें तो हम उसे उन्हें आयतों की बदौलत बुलन्द मरतबा कर देते मगर वह तो ख़ुद ही पस्ती (नीचे) की तरफ झुक पड़ा और अपनी नफसानी ख़्वाहिश का ताबेदार बन बैठा तो उसकी मसल है कि अगर उसको धुत्कार दो तो भी ज़बान निकाले रहे और उसको छोड़ दो तो भी ज़बान निकले रहे ये मसल उन लोगों की है जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया तो (ऐ रसूल) ये कि़स्से उन लोगों से बयान कर दो ताकि ये लोग खुद भी ग़ौर करें।

7:177

سَآءَ مَثَلًا ٱلْقَوْمُ ٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَٰتِنَا وَأَنفُسَهُمْ كَانُوا۟ يَظْلِمُونَ

सा-अ म-स-ल-निल्क़ौमुल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना व अन्फु-सहुम् कानू यज़्लिमून
जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया है उनकी भी क्या बुरी मसल है और अपनी ही जानों पर सितम ढाते रहे।

7:178

مَن يَهْدِ ٱللَّهُ فَهُوَ ٱلْمُهْتَدِى وَمَن يُضْلِلْ فَأُو۟لَٰٓئِكَ هُمُ ٱلْخَٰسِرُونَ

मंय्यह़्दिल्लाहु फ़हुवल्-मुह़्तदी, व मंय्युज़्लिल् फ़उलाइ-क हुमुल ख़ासिरून
राह पर बस वही शख़्स है जिसकी ख़ुदा हिदायत करे और जिनको गुमराही में छोड़ दे तो वही लोग घाटे में हैं।

7:179

وَلَقَدْ ذَرَأْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِيرًا مِّنَ ٱلْجِنِّ وَٱلْإِنسِ لَهُمْ قُلُوبٌ لَّا يَفْقَهُونَ بِهَا وَلَهُمْ أَعْيُنٌ لَّا يُبْصِرُونَ بِهَا وَلَهُمْ ءَاذَانٌ لَّا يَسْمَعُونَ بِهَآ أُو۟لَٰٓئِكَ كَٱلْأَنْعَٰمِ بَلْ هُمْ أَضَلُّ أُو۟لَٰٓئِكَ هُمُ ٱلْغَٰفِلُونَ

वल-क़द् ज़रअ्ना लि-जहन्न-म कसीरम् मिनल्-जिन्नि वल्इन्सि, लहुम् क़ुलूबुल् ला यफ़्क़हू-न बिहा, व लहुम् अअ्युनुल-ला युब्सिरू-न बिहा, व लहुम् आज़ानुल्-ला यस्मअू-न बिहा, उलाइ-क कल्अन् आमि बल् हुम् अज़ल्लु, उलाइ-क हुमुल् ग़ाफ़िलून
और गोया हमने (ख़ुदा) बहुतेरे जिन्नात और आदमियों को जहन्नुम के वास्ते पैदा किया और उनके दिल तो हैं (मगर कसदन) उन से देखते ही नहीं और उनके कान भी है (मगर) उनसे सुनने का काम ही नहीं लेते (खुलासा) ये लोग गोया जानवर हैं बल्कि उनसे भी कहीं गए गुज़रे हुए यही लोग (अमूर हक़) से बिल्कुल बेख़बर हैं।

7:180

وَلِلَّهِ ٱلْأَسْمَآءُ ٱلْحُسْنَىٰ فَٱدْعُوهُ بِهَا وَذَرُوا۟ ٱلَّذِينَ يُلْحِدُونَ فِىٓ أَسْمَٰٓئِهِۦ سَيُجْزَوْنَ مَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

व लिल्लाहिल्-अस्माउल-हुस्-ना फ़द्अूहु बिहा, व ज़रूल्लज़ी-न युल्हिदू-न फ़ी अस्माइही, सयुज्ज़ौ-न मा कानू यअ्मलून
और अच्छे (अच्छे) नाम ख़ुदा ही के ख़ास हैं तो उसे उन्हीं नामों में पुकारो और जो लेाग उसके नामों में कुफ्र करते हैं उन्हें (उनके हाल पर) छोड़ दो और वह बहुत जल्द अपने करतूत की सज़ाए पाएगें।

7:181

وَمِمَّنْ خَلَقْنَآ أُمَّةٌ يَهْدُونَ بِٱلْحَقِّ وَبِهِۦ يَعْدِلُونَ

व मिम्-मन् ख़लक़्ना उम्मतुंय्-यह् दू-न बिल्हक़्क़ि व बिही यअ्दिलून
और हमारी मख़लूक़ात से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दीने हक़ की हिदायत करते हैं और हक़ से इन्साफ़ भी करते हैं।

7:182

وَٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَٰتِنَا سَنَسْتَدْرِجُهُم مِّنْ حَيْثُ لَا يَعْلَمُونَ

वल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना सनस् तद् रिजुहुम् मिन् हैसु ला यअ्लमून
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया हम उन्हें बहुत जल्द इस तरह आहिस्ता आहिस्ता (जहन्नुम में) ले जाएगें कि उन्हें ख़बर भी न होगी।

7:183

وَأُمْلِى لَهُمْ إِنَّ كَيْدِى مَتِينٌ

व उम्ली लहुम्, इन्-न कैदी मतीन
और मैं उन्हें (दुनिया में) ढील दूगा बेशक मेरी तद्बीर (पुख़्ता और) मज़बूत है।

7:184

أَوَلَمْ يَتَفَكَّرُوا۟ مَا بِصَاحِبِهِم مِّن جِنَّةٍ إِنْ هُوَ إِلَّا نَذِيرٌ مُّبِينٌ

अ-व लम् य-तफ़क्करू, मा बिसाहिबिहिम् मिन् जिन्नतिन्, इन् हु-व इल्ला नज़ीरूम्-मुबीन
क्या उन लोगों ने इतना भी ख़्याल न किया कि आखि़र उनके रफीक़ (मोहम्मद ) को कुछ जुनून तो नहीं वह तो बस खुल्लम खुल्ला (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाले हैं।

7:185

أَوَلَمْ يَنظُرُوا۟ فِى مَلَكُوتِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا خَلَقَ ٱللَّهُ مِن شَىْءٍ وَأَنْ عَسَىٰٓ أَن يَكُونَ قَدِ ٱقْتَرَبَ أَجَلُهُمْ فَبِأَىِّ حَدِيثٍۭ بَعْدَهُۥ يُؤْمِنُونَ

अ-व लम् यन्ज़ुरू फ़ी म-लकूतिस्समावाति वल्अर्ज़ि व मा ख़-लक़ल्लाहु मिन् शैइंव्-व अन् अ़सा अंय्यकू-न क़दिक़्त-र-ब अजलुहुम्, फबिअय्यि हदीसिम्-बअ्दहू युअ्मिनून
क्या उन लोगों ने आसमान व ज़मीन की हुकूमत और ख़ुदा की पैदा की हुयी चीज़ों में ग़ौर नहीं किया और न इस बात में कि शायद उनकी मौत क़रीब आ गई हो फिर इतना समझाने के बाद (भला) किस बात पर ईमान लाएगें।

7:186

مَن يُضْلِلِ ٱللَّهُ فَلَا هَادِىَ لَهُۥ وَيَذَرُهُمْ فِى طُغْيَٰنِهِمْ يَعْمَهُونَ

मंय्युज़्लिलिल्लाहु फ़ला हादि-य लहू, व य-ज़रूहुम् फी तुग़्यानिहिम् यअ्महून
जिसे ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे फिर उसका कोई राहबर नहीं और उन्हीं की सरकशी (व शरारत) में छोड़ देगा कि सरगरदा रहें।

7:187

يَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلسَّاعَةِ أَيَّانَ مُرْسَىٰهَا قُلْ إِنَّمَا عِلْمُهَا عِندَ رَبِّى لَا يُجَلِّيهَا لِوَقْتِهَآ إِلَّا هُوَ ثَقُلَتْ فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ لَا تَأْتِيكُمْ إِلَّا بَغْتَةً يَسْـَٔلُونَكَ كَأَنَّكَ حَفِىٌّ عَنْهَا قُلْ إِنَّمَا عِلْمُهَا عِندَ ٱللَّهِ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ

यस् अलू न-क अनिस्सा-अति अय्या-न मुरसाहा, क़ुल इन्नमा अिल्मुहा अिन्-द रब्बी, ला युज़ल्लीहा लिवक़्तिहा इल्ला हु-व• सक़ुलत् फ़िस्समावाति वल्अर्ज़ि, ला तअ्तीकुम् इल्ला बग़्त-तन्, यस्अलून-क कअन्न-क हफ़िय्युन् अन्हा, क़ुल् इन्नमा अिल्मुहा अिन्दल्लाहि व लाकिन्-न अक्सरन्नासि ला यअ्लमून
(ऐ रसूल) तुमसे लोग क़यामत के बारे में पूछा करते हैं कि कहीं उसका कोई वक़्त भी तय है तुम कह दो कि उसका इल्म बस फक़त पररवदिगार ही को है वही उसके वक़्त मुअय्युन पर उसको ज़ाहिर कर देगा। वह सारे आसमान व ज़मीन में एक कठिन वक़्त होगा वह तुम्हारे पास पस अचानक आ जाएगी तुमसे लोग इस तरह पूछते हैं गोया तुम उनसे बखूबी वाकि़फ हो तुम (साफ) कह दो कि उसका इल्म बस ख़ुदा ही को है मगर बहुतेरे लोग नहीं जानते।

7:188

قُل لَّآ أَمْلِكُ لِنَفْسِى نَفْعًا وَلَا ضَرًّا إِلَّا مَا شَآءَ ٱللَّهُ وَلَوْ كُنتُ أَعْلَمُ ٱلْغَيْبَ لَٱسْتَكْثَرْتُ مِنَ ٱلْخَيْرِ وَمَا مَسَّنِىَ ٱلسُّوٓءُ إِنْ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٌ وَبَشِيرٌ لِّقَوْمٍ يُؤْمِنُونَ

क़ुल् ला अम्लिकु लिनफ़्सी नफ्अंव-व ला ज़र्रन् इल्ला मा शाअल्लाहु, वलौ कुन्तु अअ्-लमुल-ग़ै-ब लस् तक् सरतु मिनल्-ख़ैरि, व मा मस्सनियस्-सू-उ, इन् अ-ना इल्ला नज़ीरूंव्-व बशीरूल्-लिकौमिंय्युअ्मिनून
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै ख़ुद अपना आप तो एख़तियार रखता ही नहीं न नफे़ का न ज़रर का मगर बस वही ख़ुदा जो चाहे और अगर (बग़ैर ख़ुदा के बताए) गै़ब को जानता होता तो यक़ीनन मै अपना बहुत सा फ़ायदा कर लेता और मुझे कभी कोई तकलीफ़ भी न पहुँचती मै तो सिर्फ ईमानदारों को (अज़ाब से डराने वाला) और वेहशत की खुशख़बरी देने वाला हूँ।

7:189

هُوَ ٱلَّذِى خَلَقَكُم مِّن نَّفْسٍ وَٰحِدَةٍ وَجَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا لِيَسْكُنَ إِلَيْهَا فَلَمَّا تَغَشَّىٰهَا حَمَلَتْ حَمْلًا خَفِيفًا فَمَرَّتْ بِهِۦ فَلَمَّآ أَثْقَلَت دَّعَوَا ٱللَّهَ رَبَّهُمَا لَئِنْ ءَاتَيْتَنَا صَٰلِحًا لَّنَكُونَنَّ مِنَ ٱلشَّٰكِرِينَ

हुवल्लज़ी ख़-ल-क़कुम् मिन् नफ़्सिंव्वाहि-दतिंव्-व ज-अ-ल मिन्हा ज़ौजहा लियस्कु-न इलैहा, फ़-लम्मा तग़श्शाहा ह-मलत् हम्लन् ख़फ़ीफ़न् फ़-मर्रत् बिही, फ़-लम्मा अस्-क़लद्द-अवल्ला-ह रब्बहुमा ल-इन् आतैतना सालिहल् ल-नकूनन्-न मिनश्-शाकिरीन
वह ख़ुदा ही तो है जिसने तुमको एक शख़्स (आदम) से पैदा किया और उसकी बची हुयी मिट्टी से उसका जोड़ा भी बना डाला ताकि उसके साथ रहे सहे फिर जब इन्सान अपनी बीबी से हम बिस्तरी करता है तो बीबी एक हलके से हमल से हमला हो जाती है फिर उसे लिए चलती फिरती है फिर जब वह (ज़्यादा दिन होने से बोझल हो जाती है तो दोनो (मिया बीबी) अपने परवरदिगार ख़ुदा से दुआ करने लगे कि अगर तो हमें नेक फरज़न्द अता फरमा तो हम ज़रूर तेरे शुक्रगुज़ार होंगे।

7:190

فَلَمَّآ ءَاتَىٰهُمَا صَٰلِحًا جَعَلَا لَهُۥ شُرَكَآءَ فِيمَآ ءَاتَىٰهُمَا فَتَعَٰلَى ٱللَّهُ عَمَّا يُشْرِكُونَ

फ़-लम्मा आताहुमा सालिहन् ज-अला लहू शु-रका अ फ़ीमा आताहुमा, क़-तआलल्लाहु अम्मा युश्रिकून
फिर जब ख़़ुदा ने उनको नेक (फरज़न्द) अता फ़रमा दिया तो जो (औलाद) ख़ुदा ने उन्हें अता किया था लगे उसमें ख़़ुदा का शरीक बनाने तो ख़़ुदा (की शान) शिर्क से बहुत ऊँची है।

7:191

أَيُشْرِكُونَ مَا لَا يَخْلُقُ شَيْـًٔا وَهُمْ يُخْلَقُونَ

अयुश्रिकू-न मा ला यख़लुक़ु शैअंव-व हुम् युख़्लक़ून
क्या वह लोग ख़़ुदा का शरीक ऐसों को बनाते हैं जो कुछ भी पैदा नहीं कर सकते बल्कि वह ख़ुद (ख़़ुदा के) पैदा किए हुए हैं।

7:192

وَلَا يَسْتَطِيعُونَ لَهُمْ نَصْرًا وَلَآ أَنفُسَهُمْ يَنصُرُونَ

व ला यस्ततीअू-न लहुम् नस्रंव्-व ला अन्फु-सहुम् यन्सुरून
और न उनकी मदद की कुदरत रखते हैं और न आप अपनी मदद कर सकते हैं।

7:193

وَإِن تَدْعُوهُمْ إِلَى ٱلْهُدَىٰ لَا يَتَّبِعُوكُمْ سَوَآءٌ عَلَيْكُمْ أَدَعَوْتُمُوهُمْ أَمْ أَنتُمْ صَٰمِتُونَ

व इन् तद्अूहुम् इलल्हुदा ला यत्तबिअूकुम्, सवाउन् अलैकुम् अ-दऔतुमूहम् अम् अन्तुम् सामितून
और अगर तुम उन्हें हिदायत की तरफ बुलाओंगे भी तो ये तुम्हारी पैरवी नहीं करने के तुम्हारे वास्ते बराबर है ख़्वाह (चाहे) तुम उनको बुलाओ या तुम चुपचाप बैठे रहो।

7:194

إِنَّ ٱلَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ عِبَادٌ أَمْثَالُكُمْ فَٱدْعُوهُمْ فَلْيَسْتَجِيبُوا۟ لَكُمْ إِن كُنتُمْ صَٰدِقِينَ

इन्नल्लज़ी-न तद्अू-न मिन् दूनिल्लाहि अिबादुन् अम्सालुकुम् फ़द्अूहुम् फ़ल्यस्तजीबू लकुम् इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
बेशक वह लोग जिनकी तुम ख़़ुदा को छोड़कर हाजत करते हो वह (भी) तुम्हारी तरह (ख़ुदा के) बन्दे हैं भला तुम उन्हें पुकार के देखो तो अगर तुम सच्चे हो तो वह तुम्हारी कुछ सुन लें।

7:195

أَلَهُمْ أَرْجُلٌ يَمْشُونَ بِهَآ أَمْ لَهُمْ أَيْدٍ يَبْطِشُونَ بِهَآ أَمْ لَهُمْ أَعْيُنٌ يُبْصِرُونَ بِهَآ أَمْ لَهُمْ ءَاذَانٌ يَسْمَعُونَ بِهَا قُلِ ٱدْعُوا۟ شُرَكَآءَكُمْ ثُمَّ كِيدُونِ فَلَا تُنظِرُونِ

अ-लहुम् अर्जुलुंय्यम्शू-न बिहा, अम् लहुम् ऐदिंय्यब्तिशू-न बिहा, अम् लहुम् अअ्युनुंय्युब्सिरू-न बिहा, अम् लहुम् आज़ानुंय्यस्मअू-न बिहा, क़ुलिद्अू शु-रका-अकुम् सुम्-म कीदूनि फ़ला तुन्ज़िरून
क्या उनके ऐसे पाव भी हैं जिनसे चल सकें या उनके ऐसे हाथ भी हैं जिनसे (किसी चीज़ को) पकड़ सके या उनकी ऐसी आँखे भी है जिनसे देख सकें या उनके ऐसे कान हैं जिनसे सुन सकें (ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि तुम अपने बनाए हुए शरीको को बुलाओ फिर सब मिलकर मुझ पर दाव चले फिर (मुझे) मोहलत न दो।

7:196

إِنَّ وَلِۦِّىَ ٱللَّهُ ٱلَّذِى نَزَّلَ ٱلْكِتَٰبَ وَهُوَ يَتَوَلَّى ٱلصَّٰلِحِينَ

इन्-न वलिय्यि-यल्लाहुल्लज़ी नज़् ज़लल्-किता-ब, व हु-व य-तवल्लस्सालिहीन
(फिर देखो मेरा क्या बना सकते हो) बेशक मेरा मालिक व मुमताज़ तो बस ख़ुदा है जिस ने किताब क़ुरान को नाजि़ल फरमाया और वही (अपने) नेक बन्दों का हाली (मददगार) है।

7:197

وَٱلَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِهِۦ لَا يَسْتَطِيعُونَ نَصْرَكُمْ وَلَآ أَنفُسَهُمْ يَنصُرُونَ

वल्लज़ी-न तद्अू-न मिन् दूनिही ला यस्ततीअू-न नस्रकुम् व ला अन्फु-सहुम् यन्सुरून
और वह लोग (बुत) जिन्हें तुम ख़ुदा के सिवा (अपनी मदद को) पुकारते हो न तो वह तुम्हारी मदद की कुदरत रखते हैं और न ही अपनी मदद कर सकते हैं।

7:198

وَإِن تَدْعُوهُمْ إِلَى ٱلْهُدَىٰ لَا يَسْمَعُوا۟ وَتَرَىٰهُمْ يَنظُرُونَ إِلَيْكَ وَهُمْ لَا يُبْصِرُونَ

व इन् तद्अूहुम् इलल्हुदा ला यस्मअू, व तराहुम् यन्ज़ुरू-न इलै-क व हुम् ला युब्सिरून
और अगर उन्हें हिदायत की तरफ बुलाएगा भी तो ये सुन ही नहीं सकते और तू तो समझता है कि वह तुझे (आँखें खोले) देख रहे हैं हालाकि वह देखते नहीं।

7:199

خُذِ ٱلْعَفْوَ وَأْمُرْ بِٱلْعُرْفِ وَأَعْرِضْ عَنِ ٱلْجَٰهِلِينَ

ख़ुज़िल्-अफ्-व वअ्मुर् बिल्अुर्फि व अअ्-रिज़ अ़निल् जाहिलीन
(ऐ रसूल) तुम दरगुज़र करना एख़्तियार करो और अच्छे काम का हुक्म दो और जाहिलों की तरफ से मुह फेर लो।

7:200

وَإِمَّا يَنزَغَنَّكَ مِنَ ٱلشَّيْطَٰنِ نَزْغٌ فَٱسْتَعِذْ بِٱللَّهِ إِنَّهُۥ سَمِيعٌ عَلِيمٌ

व इम्मा यन्ज़ग़न्न-क मिनश्शैतानि नज़्ग़ुन फ़स्तअिज़् बिल्लाहि, इन्नहू समीअुन् अलीम
अगर शैतान की तरफ से तुम्हारी (उम्मत के) दिल में किसी तरह का (वसवसा (शक) पैदा हो तो ख़ुदा से पनाह मागों (क्यूंकि) उसमें तो शक ही नहीं कि वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है।

7:201

إِنَّ ٱلَّذِينَ ٱتَّقَوْا۟ إِذَا مَسَّهُمْ طَٰٓئِفٌ مِّنَ ٱلشَّيْطَٰنِ تَذَكَّرُوا۟ فَإِذَا هُم مُّبْصِرُونَ

इन्नल्लज़ीनत्तक़ौ इज़ा मस्सहुम् ताइ-फुम्-मिनश्शैतानि तज़क्करू फ़-इज़ा हुम् मुब्सिरून
बेशक लोग परहेज़गार हैं जब भी उन्हें शैतान का ख़्याल छू भी गया तो चैक पड़ते हैं फिर फौरन उनकी आँखें खुल जाती हैं।

7:202

وَإِخْوَٰنُهُمْ يَمُدُّونَهُمْ فِى ٱلْغَىِّ ثُمَّ لَا يُقْصِرُونَ

व इख़्वानुहुम् यमुद्दूनहुम् फ़िल्-ग़य्यि सुम्-म ला युक़्सिरून
उन काफिरों के भाई बन्द शैतान उनको (धर पकड़) गुमराही के तरफ घसीटे जाते हैं फिर किसी तरह की कोताही (भी) नहीं करते।

7:203

وَإِذَا لَمْ تَأْتِهِم بِـَٔايَةٍ قَالُوا۟ لَوْلَا ٱجْتَبَيْتَهَا قُلْ إِنَّمَآ أَتَّبِعُ مَا يُوحَىٰٓ إِلَىَّ مِن رَّبِّى هَٰذَا بَصَآئِرُ مِن رَّبِّكُمْ وَهُدًى وَرَحْمَةٌ لِّقَوْمٍ يُؤْمِنُونَ

व इज़ा लम् तअ्तिहिम् बिआयतिन् क़ालू लौलज्तबै- तहा, क़ुल् इन्नमा अत्तबिअु मा यूहा इलय्-य मिर्रब्बी, हाज़ा बसा-इरू मिर्रब्बिकुम् व हुदंव्-व रह़्मतुल्- लिक़ौमिंय्युअ्मिनून
और जब तुम उनके पास कोई (ख़ास) मौजिज़ा नहीं लाते तो कहते हैं कि तुमने उसे क्यों नहीं बना लिया (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै तो बस इसी वही का पाबन्द हूँ जो मेरे परवरदिगार की तरफ से मेरे पास आती है ये (क़ुरान) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (हक़ीकत) की दलीलें हैं।

7:204

وَإِذَا قُرِئَ ٱلْقُرْءَانُ فَٱسْتَمِعُوا۟ لَهُۥ وَأَنصِتُوا۟ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُونَ

व इज़ा क़ुरिअल् क़ुरआनु फस्तमिअु लहू व अन्सितू लअल्लकुम् तुर्हमून
और इमानदार लोगों के वास्ते हिदायत और रहमत हैं (लोगों) जब क़ुरान पढ़ा जाए तो कान लगाकर सुनो और चुपचाप रहो ताकि (इसी बहाने) तुम पर रहम किया जाए।

7:205

وَٱذْكُر رَّبَّكَ فِى نَفْسِكَ تَضَرُّعًا وَخِيفَةً وَدُونَ ٱلْجَهْرِ مِنَ ٱلْقَوْلِ بِٱلْغُدُوِّ وَٱلْءَاصَالِ وَلَا تَكُن مِّنَ ٱلْغَٰفِلِينَ

वज़्क़ुर् रब्ब-क फी नफ्सि-क तज़र्रूअंव्-व ख़ी-फ़तंव् -व दूनल्जह़रि मिनल्क़ौलि बिलग़ुदुव्वि वल्-आसालि व ला तकुम् मिनल्-ग़ाफ़िलीन
और अपने परवरदिगार को अपने जी ही में गिड़गिड़ा के और डर के और बहुत चीख़ के नहीं (धीमी) आवाज़ से सुबह व श्याम याद किया करो और (उसकी याद से) ग़ाफिल बिल्कुल न हो जाओ।

7:206

إِنَّ ٱلَّذِينَ عِندَ رَبِّكَ لَا يَسْتَكْبِرُونَ عَنْ عِبَادَتِهِۦ وَيُسَبِّحُونَهُۥ وَلَهُۥ يَسْجُدُونَ

इन्नल्लज़ी न अिन्-द रब्बि-क ला यस्तक्बिरू-न अन् अिबा दतिही व युसब्बिहूनहू व लहू यस्जुदून *सजदा*
बेशक जो लोग (फरिशते बग़ैरह) तुम्हारे परवरदिगार के पास मुक़र्रिब हैं और वह उसकी इबादत से सर कशी नही करते और उनकी तसबीह करते हैं और उसका सजदा करते हैं।

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