Surah Baqarah In Hindi 2:1-2:150

यह सूरह मदीना में उतरी थी, इसमें 286 आयतें हैं।

  • यह कुरान की सबसे बड़ी सूरह है। इसके एक हिस्से में “बकरह” (गाय) की चर्चा आई है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया।
  • आयत 1 से 21 तक इस किताब का परिचय देते हुए बताया गया है कि किस तरह के लोग इस मार्गदर्शन को स्वीकार करेंगे और किस तरह के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
  • आयत 22 से 29 तक सभी लोगों को अपने पालनहार की आज्ञा का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। और जो इसका विरोध करेंगे उनके बुरे जीवन और बुरे परिणामों को, और जो स्वीकार करेंगे उनके अच्छे जीवन और अच्छे परिणामों को बताया गया है।
  • आयत 30 से 39 तक पहले इंसान आदम (अलैहिस्सलाम) की उत्पत्ति और शैतान के विरोध की चर्चा करते हुए बताया गया है कि इंसान की रचना कैसे हुई, उसे क्यों पैदा किया गया, और उसकी सफलता का रास्ता क्या है?
  • आयत 40 से 123 तक, बनी इस्राईल को संबोधित किया गया है कि यह अंतिम किताब और अंतिम नबी वही है जिसकी भविष्यवाणी और ईमान लाने का वचन तुम्हारी किताब तौरेत में लिया गया है। इसलिए उस पर ईमान लाओ। और इस आधार पर उसका विरोध न करो कि वह तुम्हारे वंश से नहीं है, वह अरबों में पैदा हुआ है। साथ ही उनके बुरे कामों और अपराधों का भी वर्णन किया गया है।
  • आयत 124 से 167 तक आदरणीय इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के काबा के निर्माण तथा उनके धर्म को बताया गया है। वह बनी इस्राईल और बनी ईसमाईल (अरब) दोनों के परम पिता थे। वे न तो यहूदी थे, न ही ईसाई या किसी और धर्म के अनुयायी थे। उनका धर्म यही इस्लाम था। और उन्होंने ही काबा बनाते समय मक्का में एक नबी भेजने की प्रार्थना की थी जिसे अल्लाह ने पूरा किया और नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को धर्म पुस्तक कुरान के साथ भेजा।
  • आयत 168 से 242 तक बहुत से धार्मिक, सामाजिक और परिवारिक विधान व नियम बताए गए हैं जिनके कारण इंसान मार्गदर्शन पर स्थिर रह सकता है।
  • आयत 243 से 283 तक केंद्र काबा को मुशरिकों के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए जिहाद की प्रेरणा दी गई है तथा ब्याज को अवैध घोषित कर आपसी लेनदेन को उचित रखने के निर्देश दिए गए हैं।
  • आयत 284 से 286 तक अंतिम आयतों में उन लोगों के ईमान लाने की बात की गई है जिन्होंने किसी भेदभाव के बिना अल्लाह के रसूलों पर ईमान लाया। इसलिए अल्लाह ने उनके लिए सीधा रास्ता खोल दिया। और उन्होंने ऐसी दुआएं की जो उनके ईमान को उजागर करती हैं।
  • हदीस में कहा गया है कि “जिस घर में सूरह बकरह पढ़ी जाए, उससे शैतान भाग जाता है।” (सहीह मुस्लिम -780)

सुरह बक़रह हिंदी में पढ़े

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

2:1

الٓمٓ

अलिफ़-लाम्-मीम्
अलिफ़, लाम, मीम।

2:2

ذَٰلِكَ ٱلْكِتَـٰبُ لَا رَيْبَ ۛ فِيهِ ۛ هُدًۭى لِّلْمُتَّقِينَ

ज़ालिकल्किताबु ला रै-ब फीहि हुदल्-लिलमुत्तकीन
ये पुस्तक है, जिसमें कोई संशय (संदेह) नहीं, उन्हें सीधी डगर दिखाने के लिए है, जो (अल्लाह से) डरते हैं।

2:3

ٱلَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِٱلْغَيْبِ وَيُقِيمُونَ ٱلصَّلَوٰةَ وَمِمَّا رَزَقْنَـٰهُمْ يُنفِقُونَ

अल्लज़ी-न युमिनू-न बिल-गैबि व युकीमूनस्सला-त व मिम्मा रजनाहुम् युन्फिकून
जो ग़ैब (परोक्ष)[1] पर ईमान (विश्वास) रखते हैं तथा नमाज़ की स्थापना करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से दान करते हैं।

2:4

وَٱلَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْكَ وَمَآ أُنزِلَ مِن قَبْلِكَ وَبِٱلْـَٔاخِرَةِ هُمْ يُوقِنُونَ

वल्लज़ी-न युमिनू-न बिमा उन्जि-ल इलै-क व मा उन्ज़ि-ल मिन् कब्लि-क व बिल्-आखि-रति हुम् यूकिनून
तथा जो आप (हे नबी!) पर उतारी गयी (पुस्तक क़ुर्आन) तथा आपसे पूर्व उतारी गयी (पुस्तकों)[1] पर ईमान रखते हैं तथा आख़िरत (परलोक)[2] पर भी विश्वास रखते हैं।

2:5

أُو۟لَـٰٓئِكَ عَلَىٰ هُدًۭى مِّن رَّبِّهِمْ ۖ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ

उलाइ-क अला हुदम्-मिर्रब्बिहिम् व उलाइ-क हुमुल्-मुफ्लिहून
वही अपने पालनहार की बताई सीधी डगर पर हैं तथा वही सफल होंगे।

2:6

إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ سَوَآءٌ عَلَيْهِمْ ءَأَنذَرْتَهُمْ أَمْ لَمْ تُنذِرْهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ

इन्नल्लजी-न क-फरू सवाउन् अलैहिम् अ-अन्जर-तहुम् अम् लम् तुन्ज़िहुम् ला युमिनून
वास्तव[1] में, जो काफ़िर (विश्वासहीन) हो गये, (हे नबी!) उन्हें आप सावधान करें या न करें, वे ईमान नहीं लायेंगे।

2:7

خَتَمَ ٱللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ وَعَلَىٰ سَمْعِهِمْ ۖ وَعَلَىٰٓ أَبْصَـٰرِهِمْ غِشَـٰوَةٌۭ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌۭ

ख-तमल्लाहु अला कुलूबिहिम् व अला समिहिम् व अला अब्सारिहिम् गिशा-वतुंव- व लहुम् अजाबुन् अज़ीम
अल्लाह ने उनके दिलों तथा कानों पर मुहर लगा दी है और उनकी आंखों पर पर्दे पड़े हैं तथा उन्हीं के लिए घोर यातना है।

2:8

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن يَقُولُ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَبِٱلْيَوْمِ ٱلْـَٔاخِرِ وَمَا هُم بِمُؤْمِنِينَ

व मिनन्नासि मय्यकू लु आमन्ना बिल्लाहि व बिल्यौमिल्-आखिरि व मा हुम् बिमुग्मिनीन
और[1] कुछ लोग कहते हैं कि हम अल्लाह तथा आख़िरत (परलोक) पर ईमान ले आये, जबकि वे ईमान नहीं रखते।

2:9

يُخَـٰدِعُونَ ٱللَّهَ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَمَا يَخْدَعُونَ إِلَّآ أَنفُسَهُمْ وَمَا يَشْعُرُونَ

युखादिनल्ला-ह वल्लज़ी-न आमनू, व मा यख्दयू-न इल्ला अन्फुसहुम् व मा यश् रून
वे अल्लाह तथा जो ईमान लाये, उन्हें धोखा देते हैं। जबकि वे स्वयं अपने-आप को धोखा देते हैं, परन्तु वे इसे समझते नहीं।

2:10

فِى قُلُوبِهِم مَّرَضٌۭ فَزَادَهُمُ ٱللَّهُ مَرَضًۭا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۢ بِمَا كَانُوا۟ يَكْذِبُونَ

फी कुलू बिहिम् म-रजुन् फज़ा-दहुमुल्लाहु म-रजन् व लहुम् अज़ाबुन् अलीमुम् बिमा कानू यक्ज़िबून
उनके दिलों में रोग (दुविधा) है, जिसे अल्लाह ने और अधिक कर दिया और उनके लिए झूठ बोलने के कारण दुखदायी यातना है।

2:11

وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا تُفْسِدُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ قَالُوٓا۟ إِنَّمَا نَحْنُ مُصْلِحُونَ

व इज़ा की-ल लहुम् ला तुफिसदू फिल्अर्जि कालू इन्नमा ननु मुस्लिहून
और जब उनसे कहा जाता है कि धरती में उपद्रव न करो, तो कहते हैं कि हम तो केवल सुधार करने वाले हैं।

2:12

أَلَآ إِنَّهُمْ هُمُ ٱلْمُفْسِدُونَ وَلَـٰكِن لَّا يَشْعُرُونَ

अला इन्नहुम् हुमुल्-मुफ्सिदू-न व ला किल्ला यश्शुरून
सावधान! वही लोग उपद्रवी हैं, परन्तु उन्हें इसका बोध नहीं।

2:13

وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ ءَامِنُوا۟ كَمَآ ءَامَنَ ٱلنَّاسُ قَالُوٓا۟ أَنُؤْمِنُ كَمَآ ءَامَنَ ٱلسُّفَهَآءُ ۗ أَلَآ إِنَّهُمْ هُمُ ٱلسُّفَهَآءُ وَلَـٰكِن لَّا يَعْلَمُونَ

व इज़ा की-ल लहुभु आमिनू कमा आ-मनन्नासु कालू अनुभूमिनु कमा आ-मनस्सु-फ़हा-उ, अला इन्नहुम् हुमुस्सु-फहा-उ व लाकिल्ला यअलमून
और[1] जब उनसे कहा जाता है कि जैसे और लोग ईमान लाये, तुमभी ईमान लाओ, तो कहते हैं कि क्या मूर्खों के समान हमभी विश्वास कर लें? सावधान! वही मूर्ख हैं, परन्तु वे जानते नहीं।

2:14

وَإِذَا لَقُوا۟ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا وَإِذَا خَلَوْا۟ إِلَىٰ شَيَـٰطِينِهِمْ قَالُوٓا۟ إِنَّا مَعَكُمْ إِنَّمَا نَحْنُ مُسْتَهْزِءُونَ

व इजा लकुल्लज़ी-न आमनू कालू आमन्ना व इज़ा खलौ इला शयातीनिहिम् कालू इन्ना म-अकुम् इन्नमा नहनु मुस्तज़िऊन
तथा जब वे ईमान वालों से मिलते हैं, तो कहते हैं कि हम ईमान लाये और जब अकेले में अपने शैतानों (प्रमुखों) के साथ होते हैं, तो कहते हैं कि हम तुम्हारे साथ हैं। हम तो मात्र परिहास कर रहे हैं।

2:15

ٱللَّهُ يَسْتَهْزِئُ بِهِمْ وَيَمُدُّهُمْ فِى طُغْيَـٰنِهِمْ يَعْمَهُونَ

अल्लाहु यस्तजिउ बिहिम् व यमुद्बुहुम् फी तुयानिहिम् यञ्जमहून
अल्लाह उनसे परिहास कर रहा है तथा उन्हें, उनके कुकर्मों में बहकने का अवसर दे रहा है।

2:16

أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ ٱشْتَرَوُا۟ ٱلضَّلَـٰلَةَ بِٱلْهُدَىٰ فَمَا رَبِحَت تِّجَـٰرَتُهُمْ وَمَا كَانُوا۟ مُهْتَدِينَ

उला-इकल्लज़ीन- -श्त-रवुज्ज़ला-ल-त बिल्हुदा फमा रबिहत्-तिजारतुहुम् व मा कानू मुह्तदीन
ये वे लोग हैं, जिन्होंने सीधी डगर (सुपथ) के बदले गुमराही (कुपथ) खरीद ली। परन्तु उनके व्यापार में लाभ नहीं हुआ और न उन्होंने सीधी डगर पायी।

2:17

مَثَلُهُمْ كَمَثَلِ ٱلَّذِى ٱسْتَوْقَدَ نَارًۭا فَلَمَّآ أَضَآءَتْ مَا حَوْلَهُۥ ذَهَبَ ٱللَّهُ بِنُورِهِمْ وَتَرَكَهُمْ فِى ظُلُمَـٰتٍۢ لَّا يُبْصِرُونَ

म-सलुहुम् क-म-सलिलू-लज़िस्तौक-द नारन् फ-लम्मा अज़ा-अत् मा हौलहू ज़-हबल्लाहु बिनूरिहिम् व त-र-कहुम् फी जुलुमातिलू-ला युब्सिरून
उनकी[1] दशा उनके जैसी है, जिन्होंने अग्नि सुलगायी और जब उनके आस-पास उजाला हो गया, तो अल्लाह ने उनका उजाला छीन लिया तथा उन्हें ऐसे अन्धेरों में छोड़ दिया, जिनमें उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता।

2:18

صُمٌّۢ بُكْمٌ عُمْىٌۭ فَهُمْ لَا يَرْجِعُونَ

सम्मुम्-बुक्मुन् अम्युन् फहुम् ला यर्जिन
वे गूँगे, बहरे, अंधे हैं। अतः अब वे लौटने वाले नहीं।

2:19

أَوْ كَصَيِّبٍۢ مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فِيهِ ظُلُمَـٰتٌۭ وَرَعْدٌۭ وَبَرْقٌۭ يَجْعَلُونَ أَصَـٰبِعَهُمْ فِىٓ ءَاذَانِهِم مِّنَ ٱلصَّوَٰعِقِ حَذَرَ ٱلْمَوْتِ ۚ وَٱللَّهُ مُحِيطٌۢ بِٱلْكَـٰفِرِينَ

औ क-सय्यिबिम्मिनस्समा-इ फीहि जुलुमातु-व – र दुव्-व बर्कुन्, यअलू-न असाबि-अहुम् फी आजानिहिम् मिनस्सवाअिकि ह-ज़रल्मौति वल्लाहु मुहीतुम्-बिल्काफिरीन
अथवा[1] (उनकी दशा) आकाश की वर्षा के समान है, जिसमें अंधेरे और कड़क तथा विद्धुत हो, वे कड़क के कारण, मृत्यु के भय से, अपने कानों में उंगलियाँ डाल लेते हैं और अल्लाह, काफ़िरों को अपने नियंत्रण में लिए हुए है।

2:20

يَكَادُ ٱلْبَرْقُ يَخْطَفُ أَبْصَـٰرَهُمْ ۖ كُلَّمَآ أَضَآءَ لَهُم مَّشَوْا۟ فِيهِ وَإِذَآ أَظْلَمَ عَلَيْهِمْ قَامُوا۟ ۚ وَلَوْ شَآءَ ٱللَّهُ لَذَهَبَ بِسَمْعِهِمْ وَأَبْصَـٰرِهِمْ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ

यकादुल्ब यस्तफु अब्सा-रहुम्, कुल्लमा अज़ा-अ लहुम् मशौ फीहि व इज़ा अगल-म अलैहिम् काम, व लो शा-अल्लाहु ल-ज़-ह-ब बिसमिहिम् व अब्सारिहिम्, इन्नल्ला-हें अला कुल्लि शैइन् कदीर
विद्धुत उनकी आँखों को उचक लेने के समीप हो जाती है। जब उनके लिए चमकती है, तो उसके उजाले में चलने लगते हैं और जब अंधेरा हो जाता है, तो खड़े हो जाते हैं और यदि अल्लाह चाहे, तो उनके कानों को बहरा और उनकी आँखों का अंधा कर दे। निश्चय अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।

2:21

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱعْبُدُوا۟ رَبَّكُمُ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ

या अय्युहन्नासुबुदू रब्बकुमुल्लज़ी ख-ल-ककुम् वल्लज़ी-न मिन् कब्लिकुम् लअल्लकुम् तत्तकून
हे लोगो! केवल अपने उस पालनहार की इबादत (वंदना) करो, जिसने तुम्हें तथा तुमसे पहले वाले लोगों को पैदा किया, इसी में तुम्हारा बचाव[1] है।

2:22

ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ فِرَٰشًۭا وَٱلسَّمَآءَ بِنَآءًۭ وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَخْرَجَ بِهِۦ مِنَ ٱلثَّمَرَٰتِ رِزْقًۭا لَّكُمْ ۖ فَلَا تَجْعَلُوا۟ لِلَّهِ أَندَادًۭا وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ

अल्लज़ी ज-अ-ल लकुमुल्अर्-ज फिराशंव्- वस्समा-अ बिनाअंव्-व अन्ज्-ल मिनस्समा-इ माअन् फ-अखर-ज बिही मिनस्स-मराति रिज़्कल् लकुम् फला तज्अलू लिल्लाहि अन्दादंव्-व अन्तुम् तलमून
जिसने धरती को तुम्हारे लिए बिछौना तथा गगन को छत बनाया और आकाश से जल बरसाया, फिर उससे तुम्हारे लिए प्रत्येक प्रकार के खाद्य पदार्थ उपजाये, अतः, जानते हुए[1] भी उसके साझी न बनाओ।

2:23

وَإِن كُنتُمْ فِى رَيْبٍۢ مِّمَّا نَزَّلْنَا عَلَىٰ عَبْدِنَا فَأْتُوا۟ بِسُورَةٍۢ مِّن مِّثْلِهِۦ وَٱدْعُوا۟ شُهَدَآءَكُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ

व इन् कुन्तुम् फी रैबिम्-मिम्मा नज़्ज़ल्ना अला अब्दिना फअतू बिसूरतिम् मिम्-मिस्लिही वद्अू शु-हदाअकुम् मिन् दूनिल्लाहि इन् कुन्तुम् सादिकीन
और यदि तुम्हें उसमें कुछ संदेह हो, जो (अथवा क़ुर्आन) हमने अपने भक्त पर उतारा है, तो उसके समान कोई सूरह ले आओ? और अपने समर्थकों को भी, जो अल्लाह के सिवा हों, बुला लो, यदि तुम सच्चे[1] हो।

2:24

فَإِن لَّمْ تَفْعَلُوا۟ وَلَن تَفْعَلُوا۟ فَٱتَّقُوا۟ ٱلنَّارَ ٱلَّتِى وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ ۖ أُعِدَّتْ لِلْكَـٰفِرِينَ

फ-इल्लम तफ्अलू व लन् तफ्अलू फत्तकुन्- -नारल्लती व कूदुहन्नासु वल्हिजारतु उअिद्दत् लिल-काफिरीन
और यदि ये न कर सको तथा कर भी नहीं सकोगे, तो उस अग्नि (नरक) से बचो, जिसका ईंधन मानव तथा पत्थर होंगे।

2:25

وَبَشِّرِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ أَنَّ لَهُمْ جَنَّـٰتٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ ۖ كُلَّمَا رُزِقُوا۟ مِنْهَا مِن ثَمَرَةٍۢ رِّزْقًۭا ۙ قَالُوا۟ هَـٰذَا ٱلَّذِى رُزِقْنَا مِن قَبْلُ ۖ وَأُتُوا۟ بِهِۦ مُتَشَـٰبِهًۭا ۖ وَلَهُمْ فِيهَآ أَزْوَٰجٌۭ مُّطَهَّرَةٌۭ ۖ وَهُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ

व बश्शिरिल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति अन्-न लहुम् जन्नातिन तज्री मिन् तहतिहल्- अन्हारु, कुल्लमा रुज़िकू मिन्हा मिन् स-म-रतिर्-रिज़्क्न् कालू हाज़ल्लज़ी रुज़िक्ना मिन् कब्लु व उतू बिही मु-तशाबिहन्, व लहुम् फीहा अज़्वाजुम् मु-तहह-रतुंव्-व हुम् फीहा खालिदून
(हे नबी!) उन लोगों को शुभ सूचना दो, जो ईमान लाये तथा सदाचार किये कि उनके लिए ऐसे स्वर्ग हैं, जिनमें नहरें बह रही होंगी। जब उनका कोई भी फल उन्हें दिया जायेगा, तो कहेंगेः ये तो वही है, जो इससे पहले हमें दिया गया और उन्हें समरूप फल दिये जायेंगे तथा उनके लिए उनमें निर्मल पत्नियाँ होंगी और वे उनमें सदावासी होंगे।

2:26

إِنَّ اللَّـهَ لَا يَسْتَحْيِي أَن يَضْرِبَ مَثَلًا مَّا بَعُوضَةً فَمَا فَوْقَهَا ۚ فَأَمَّا الَّذِينَ آمَنُوا فَيَعْلَمُونَ أَنَّهُ الْحَقُّ مِن رَّبِّهِمْ ۖ وَأَمَّا الَّذِينَ كَفَرُوا فَيَقُولُونَ مَاذَا أَرَادَ اللَّـهُ بِهَـٰذَا مَثَلًا ۘ يُضِلُّ بِهِ كَثِيرًا وَيَهْدِي بِهِ كَثِيرًا ۚ وَمَا يُضِلُّ بِهِ إِلَّا الْفَاسِقِينَ

इन्नल्ला-ह ला यस्तह्यी अंय्यज़िर-ब म-सलम्-मा बअू -जतन् फमा फौ-कहा, फ्-अम्मल्लज़ी-न आमनू फ-यअलमू-न अन्नहुल्-हक्कु मिर्रब्बिहिम्, व अम्मल्लज़ी-न कफरु फ-यकूलू-न माज़ा अरादल्लाहु बिहाज़ा म-सलन् । युज़िल्लु बिही कसीरंव्-व यहदी बिही कसीरन्, व मा युज़िल्लु बिही इल्लल्-फासिकीन
अल्लाह,[1] मच्छर अथवा उससे तुच्छ चीज़ से उपमा (मिसाल) देने से नहीं लज्जाता। जो ईमान लाये, वे जानते हैं कि ये उनके पालनहार की ओर से उचित है और जो काफ़िर (विश्वासहीन) हो गये, वे कहते हैं कि अल्लाह ने इससे उपमा देकर क्या निश्चय किया है? अल्लाह इससे बहुतों को गुमराह (कुपथ) करता है और बहुतों को मार्गदर्शन देता है तथा जो अवज्ञाकारी हैं, उन्हीं को कुपथ करता है।

2:27

الَّذِيْنَ يَنْقُضُوْنَ عَهْدَ اللّٰهِ مِنْۢ بَعْدِ مِيْثَاقِهٖۖ وَيَقْطَعُوْنَ مَآ اَمَرَ اللّٰهُ بِهٖٓ اَنْ يُّوْصَلَ وَيُفْسِدُوْنَ فِى الْاَرْضِۗ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ

अल्लज़ी-न यन्कुज़ू-न अहदल्लाहि मिम्बअदि मीसाकिही व यक्तअू-न मा अ-मरल्लाहु बिही अंय्यूस-ल व युफ्सिदू-न फिल्-अर्जि, उलाइ-क हुमुल्-खासिरून
जो अल्लाह से पक्का वचन करने के बाद उसे भंग कर देते हैं तथा जिसे अल्लाह ने जोड़ने का आदेश दिया, उसे तोड़ते हैं और धरती में उपद्रव करते हैं, वही लोग क्षति में पड़ेंगे।

2:28

كَيْفَ تَكْفُرُوْنَ بِاللّٰهِ وَكُنْتُمْ اَمْوَاتًا فَاَحْيَاكُمْۚ ثُمَّ يُمِيْتُكُمْ ثُمَّ يُحْيِيْكُمْ ثُمَّ اِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ

कै-फ तक्फुरू-न बिल्लाहि व कुन्तुम् अम्वातन् फ्-अह्याकुम् सुम्-म युमीतुकुम् सुम्-म युह्यीकुम् सुम्-म इलैहि तुर्जअुन
तुम अल्लाह का इन्कार कैसे करते हो? जबकि पहले तुम निर्जीव थे, फिर उसने तुम्हें जीवन दिया, फिर तुम्हें मौत देगा, फिर तुम्हें (परलोक में) जीवन प्रदान करेगा, फिर तुम उसी की ओर लौटाये[1] जाओगे!

2:29

هُوَ الَّذِيْ خَلَقَ لَكُمْ مَّا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا ثُمَّ اسْتَوٰٓى اِلَى السَّمَاۤءِ فَسَوّٰىهُنَّ سَبْعَ سَمٰوٰتٍ ۗ وَهُوَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ࣖ

हुवल्लजी ख-ल-क लकुम् मा फिल्अर्जि जमीअन्, सुम्मस्तवा इलस्समा-इ फ-सव्वाहुन्-न सब्-अ समावातिन्, व हु-व बिकुल्लि शैइन् अलीम
वही है, जिसने धरती में जो भी है, सबको तुम्हारे लिए उत्पन्न किया, फिर आकाश की ओर आकृष्ट हुआ, तो बराबर सात आकाश बना दिये और वह प्रत्येक चीज़ का जानकार है।

2:30

وَاِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلٰۤىِٕكَةِ اِنِّيْ جَاعِلٌ فِى الْاَرْضِ خَلِيْفَةً ۗ قَالُوْٓا اَتَجْعَلُ فِيْهَا مَنْ يُّفْسِدُ فِيْهَا وَيَسْفِكُ الدِّمَاۤءَۚ وَنَحْنُ نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ ۗ قَالَ اِنِّيْٓ اَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ

व इज़ू का-ल रब्बु-क लिल्मलाइ कति इन्नी जाअिलुन् फिल् अर्जि खली-फतन्, कालू अ-तज्अलु फीहा मंय्युफ्सिदु फीहा व यस्फीकुदद्दिमा-अ व नह्नु नुसब्बिहु बिहमदि-क व नुकद्दिसु ल-क, का-ल इन्नी अअलमु मा ला तअलमून
और (हे नबी! याद करो) जब आपके पालनहार ने फ़रिश्तों से कहा कि मैं धरती में एक ख़लीफ़ा[1] बनाने जा रहा हूँ। वे बोलेः क्या तू उसमें उसे बनायेग, जो उसमें उपद्रव करेगा तथा रक्त बहायेगा? जबकि हम तेरी प्रशंसा के साथ तेरे गुण और पवित्रता का गान करते हैं! (अल्लाह) ने कहाः जो मैं जानता हूँ, वह तुम नहीं जानते।

2:31

وَعَلَّمَ ءَادَمَ ٱلْأَسْمَآءَ كُلَّهَا ثُمَّ عَرَضَهُمْ عَلَى ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ فَقَالَ أَنۢبِـُٔونِى بِأَسْمَآءِ هَـٰٓؤُلَآءِ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ

व अल्ल-म आ-दमलू-अस्मा-अ कुल्लहा सुम्-म अ-र-जहुम् अलल्-मलाइ-कति फका-ल अमबिऊनी बि-अस्मा-इ हा-उला-इ इन कुन्तुम् सादिकीन
और उसने आदम[1] को सभी नाम सिखा दिये, फिर उन्हें फ़रिश्तों के समक्ष प्रस्तुत किया और कहाः मुझे इनके नाम बताओ, यदि तुम सच्चे हो!

2:32

قَالُوا۟ سُبْحَـٰنَكَ لَا عِلْمَ لَنَآ إِلَّا مَا عَلَّمْتَنَآ ۖ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْعَلِيمُ ٱلْحَكِيمُ

कालू सुब्हा-न-क ला अिल्-म लना इल्ला मा अल्लम्तना इन्न-क अन्तलू-अलीमुल्-हकीम
सबने कहाः तू पवित्र है। हम तो उतना ही जानते हैं, जितना तूने हमें सिखाया है। वास्तव में, तू अति ज्ञानी तत्वज्ञ[1] है।

2:33

قَالَ يَـٰٓـَٔادَمُ أَنۢبِئْهُم بِأَسْمَآئِهِمْ ۖ فَلَمَّآ أَنۢبَأَهُم بِأَسْمَآئِهِمْ قَالَ أَلَمْ أَقُل لَّكُمْ إِنِّىٓ أَعْلَمُ غَيْبَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَأَعْلَمُ مَا تُبْدُونَ وَمَا كُنتُمْ تَكْتُمُونَ

का-ल या आदमु अ‌मबिअहुम् बिअस्माइहिम् फ-लम्मा अम्ब-अहुम् बिअस्माइहिम् का-ल अलम् अकुल्लकुम् इन्नी अअलमु गैबस्समावाति वल्अर्ज़ि व अअलमु मा तुब्दू-न व मा कुन्तुम् तक्तुमून
(अल्लाह ने) कहाः हे आदम! इन्हें इनके नाम बताओ और आदम ने जब उनके नाम बता दिये, तो (अल्लाह ने) कहाःक्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि मैं आकाशों तथा धरती की क्षिप्त बातों को जानता हूँ तथा तुम जो बोलते और मन में रखते हो, सब जानता हूँ?

2:34

وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسْجُدُوا۟ لِـَٔادَمَ فَسَجَدُوٓا۟ إِلَّآ إِبْلِيسَ أَبَىٰ وَٱسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ ٱلْكَـٰفِرِينَ

व इज़ू कुल्ना लिलमलाइ-कतिस्जुदू लिआद-म फ्-स-जदू इल्ला इब्लीस्, अबा वस्तक्ब-र व का-न मिनल्- काफिरीन
और जब हमने फ़रिश्तों से कहाः आदम को सज्दा करो, तो इब्लीस के सिवा सबने सज्दा किया, उसने इन्कार तथा अभिमान किया और काफ़िरों में से हो गया।

2:35

وَقُلْنَا يَـٰٓـَٔادَمُ ٱسْكُنْ أَنتَ وَزَوْجُكَ ٱلْجَنَّةَ وَكُلَا مِنْهَا رَغَدًا حَيْثُ شِئْتُمَا وَلَا تَقْرَبَا هَـٰذِهِ ٱلشَّجَرَةَ فَتَكُونَا مِنَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

व कुल्ना या आ-दमुस्कुन् अन्-त व ज़ौजुकल्-जन्न-त व कुला मिन्हा र-गदन् हैसु शिअतुमा व ला तकरबा हाज़िहिश्श-ज-र-त फ्-तकूना मिनज़- ज़ालिमीन
और हमने कहाः हे आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी स्वर्ग में रहो तथा इसमें से जिस स्थान से चाहो, मनमानी खाओ और इस वृक्ष के समीप न जाना, अन्यथा अत्याचारियों में से हो जाओगे।

2:36

فَأَزَلَّهُمَا ٱلشَّيْطَـٰنُ عَنْهَا فَأَخْرَجَهُمَا مِمَّا كَانَا فِيهِ ۖ وَقُلْنَا ٱهْبِطُوا۟ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّۭ ۖ وَلَكُمْ فِى ٱلْأَرْضِ مُسْتَقَرٌّۭ وَمَتَـٰعٌ إِلَىٰ حِينٍۢ

फ्-अज़ल्-लहुमश्- शैतानु अन्हा फ्-अखर-जहुमा मिम्मा काना फीही व कुल्नहबितू बअजुकुम् लि-बअ॒जिन् अदुव्वुन् व लकुम् फिल्अर्ज़ि मुस्तकररुंव्- व मताअुन् इला हीन
तो शैतान ने दोनों को उससे भटका दिया और जिस (सुख) में थे, उससे उन्हें निकाल दिया और हमने कहाः तुम सब उससे उतरो, तुम एक-दूसरे के शत्रु हो और तुम्हारे लिए धरती में रहना तथा एक निश्चित अवधि[1] तक उपभोग्य है।

2:37

فَتَلَقَّىٰٓ ءَادَمُ مِن رَّبِّهِۦ كَلِمَـٰتٍۢ فَتَابَ عَلَيْهِ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلتَّوَّابُ ٱلرَّحِيمُ

फ-तलक्का आदमु मिर्रब्बिही कलिमातिन् फता-ब अलैहि, इन्नहू हुवत्तव्वाबुर्रहीम
फिर आदम ने अपने पालनहार से कुछ शब्द सीखे, तो उसने उसे क्षमा कर दिया। वह बड़ा क्षमी दयावान्[1] है।

2:38

قُلْنَا ٱهْبِطُوا۟ مِنْهَا جَمِيعًۭا ۖ فَإِمَّا يَأْتِيَنَّكُم مِّنِّى هُدًۭى فَمَن تَبِعَ هُدَاىَ فَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ

कुल्नहबितू मिन्हा जमीअन् फ-इम्मा यअतियन्नकुम् मिन्नी हुदन् फ-मन् तबि-अ हुदा-य फला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यहज़नून
हमने कहाः इससे सब उतरो, फिर यदि तुम्हारे पास मेरा मार्गदर्शन आये, तो जो मेरे मार्गदर्शन का अनुसरण करेंगे, उनके लिए कोई डर नहीं होगा और न वे उदासीन होंगे।

2:39

وَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَكَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَآ أُو۟لَـٰٓئِكَ أَصْحَـٰبُ ٱلنَّارِ ۖ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ

वल्लजी-न क-फरु व कज़्ज़बू बिआयातिना उलाइ-क अस्हाबुन्नारि हुम् फीहा ख़ालिदून
तथा जो अस्वीकार करेंगे और हमारी आयतों को मिथ्या कहेंगे, तो वही नारकी हैं और वही उसमें सदावासी होंगे।

2:40

يَـٰبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٱذْكُرُوا۟ نِعْمَتِىَ ٱلَّتِىٓ أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَوْفُوا۟ بِعَهْدِىٓ أُوفِ بِعَهْدِكُمْ وَإِيَّـٰىَ فَٱرْهَبُونِ

या बनी इस्राईलज़्कुरू निअमतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व औफू बि-अहद्दी ऊफि बि-अहद्दिकुम् व इय्या-य फरहबून
हे बनी इस्राईल![1] मेरे उस पुरस्कार को याद करो, जो मैंने तुमपर किया तथा मुझसे किया गया वचन पूरा करो, मैं तुम्हें अपना दिया वचन पूरा करूँगा तथा मुझी से डरो।[2]

2:41

وَءَامِنُوا۟ بِمَآ أَنزَلْتُ مُصَدِّقًۭا لِّمَا مَعَكُمْ وَلَا تَكُونُوٓا۟ أَوَّلَ كَافِرٍۭ بِهِۦ ۖ وَلَا تَشْتَرُوا۟ بِـَٔايَـٰتِى ثَمَنًۭا قَلِيلًۭا وَإِيَّـٰىَ فَٱتَّقُونِ

व आमिनू बिमा अन्ज़ल्तु मुसद्दिकक्ल्लिमा म-अकुम् व ला तकूनू अव्व-ल काफ़िरिम् बिही व ला तश्तरू बिआयाती स-मनन् कलीलंव्-व इय्या-य फत्तकून
तथा उस (क़ुर्आन) पर ईमान लाओ, जो मैंने उतारा है, वह उसका प्रमाणकारी है, जो तुम्हारे पास[1] है और तुम, सबसे पहले इसके निवर्ती न बन जाओ तथा मेरी आयतों को तनिक मूल्य पर न बेचो और केवल मुझी से डरो।

2:42

وَلَا تَلْبِسُوا۟ ٱلْحَقَّ بِٱلْبَـٰطِلِ وَتَكْتُمُوا۟ ٱلْحَقَّ وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ

व ला तल्बिसुल्-हकू-क् बिल्बातिलि व तक्तुमुल्हकू-क व अन्तुम् तअलमून
तथा सत्य को असत्य से न मिलाओ और न सत्य को जानते हुए छुपाओ।[1]

2:43

وَأَقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُوا۟ ٱلزَّكَوٰةَ وَٱرْكَعُوا۟ مَعَ ٱلرَّٰكِعِينَ

व अकीमुस्सला-त व आतुज्जका-त वर्-कअू म-अर्राकिअीन
तथा नमाज़ की स्थापना करो और ज़कात दो तथा झुकने वालों के साथ झुको (रुकू करो)

2:44

۞ اَتَأْمُرُوْنَ النَّاسَ بِالْبِرِّ وَتَنْسَوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَاَنْتُمْ تَتْلُوْنَ الْكِتٰبَ ۗ اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ

अ-तअ्मुरूनन्ना-स बिल्बिर्रि वतन्सौ-न अन्फुसकुम् व अन्तुम् तत्लूनल-किता-ब , अ-फला तअ्किलून
क्या तुम, लोगों को सदाचार का आदेश देते हो और अपने-आपको भूल जाते हो? जबकि तुम पुस्तक (तौरात) का अध्ययन करते हो! क्या तुम समझ नहीं रखते?[1]

2:45

وَٱسْتَعِينُوا۟ بِٱلصَّبْرِ وَٱلصَّلَوٰةِ ۚ وَإِنَّهَا لَكَبِيرَةٌ إِلَّا عَلَى ٱلْخَـٰشِعِينَ

वस्तअीनू बिस्सबरि वस्सलाति , व इन्नहा ल-कबी-रतुन् इल्ला अलल-ख़ाशिअीन
तथा धैर्य और नमाज़ का सहारा लो, निश्चय नमाज़ भारी है, परन्तु विनीतों पर (भारी नहीं)।[1]

2:46

ٱلَّذِينَ يَظُنُّونَ أَنَّهُم مُّلَـٰقُوا۟ رَبِّهِمْ وَأَنَّهُمْ إِلَيْهِ رَٰجِعُونَ

अल्लज़ी-न यजुन्नू-न अन्नहुम-मुलाकू रब्बिहिम् व अन्नहुम् इलैहि राजिअून
जो समझते हैं कि उन्हें अपने पालनहार से मिलना है और उन्हें फिर उसी की ओर (अपने कर्मों का फल भोगने के लिए) जाना है।

2:47

يَـٰبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٱذْكُرُوا۟ نِعْمَتِىَ ٱلَّتِىٓ أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَنِّى فَضَّلْتُكُمْ عَلَى ٱلْعَـٰلَمِينَ

या बनी इस्राईलज्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व अन्नी फज्जल्तुकुम् अलल् आलमीन
हे बनी इस्राईल! मेरे उस पुरस्कार को याद करो, जो मैंने तुमपर किया और ये कि तुम्हें संसार वासियों पर प्रधानता दी थी।

2:48

وَٱتَّقُوا۟ يَوْمًۭا لَّا تَجْزِى نَفْسٌ عَن نَّفْسٍۢ شَيْـًۭٔا وَلَا يُقْبَلُ مِنْهَا شَفَـٰعَةٌۭ وَلَا يُؤْخَذُ مِنْهَا عَدْلٌۭ وَلَا هُمْ يُنصَرُونَ

वत्तकू यौमल्ला तज्ज़ी नफ्सुन् अन्नफ्सिन् शैअंव व ला युक्बलु मिन्हा शफ़ा-अतुंव – व ला युअ्-खजु मिन्हा अद्लुंव व ला हुम् युन्सरून
तथा उस दिन से डरो, जिस दिन कोई किसी के कुछ काम नहीं आयेगा और न उसकी कोई अनुशंसा (सिफ़ारिश) मानी जायेगी और न उससे कोई अर्थदण्ड लिया जायेगा और न उन्हें कोई सहायता मिल सकेगी।

2:49

وَإِذْ نَجَّيْنَـٰكُم مِّنْ ءَالِ فِرْعَوْنَ يَسُومُونَكُمْ سُوٓءَ ٱلْعَذَابِ يُذَبِّحُونَ أَبْنَآءَكُمْ وَيَسْتَحْيُونَ نِسَآءَكُمْ ۚ وَفِى ذَٰلِكُم بَلَآءٌۭ مِّن رَّبِّكُمْ عَظِيمٌۭ

व इज नज्जैनाकुम मिन् आलि फिरऔ-न यसूमू-नकुम् सूअल-अज़ाबि युज़ब्बिहू-न अब्ना-अकुम् व यस्तह्यू-न निसा-अकुम् व फी जालिकुम बलाउम् मिर्रब्बिकुम् अ़जी़म
तथा (वह समय याद करो) जब हमने तुम्हें फ़िरऔनियों[1] से मुक्ति दिलाई। वे तुम्हें कड़ी यातना दे रहे थे; वे तुम्हारे पुत्रों को वध कर रहे थे तथा तुम्हारी नारियों को जीवित रहने देते थे। इसमें तुम्हारे पालनहार की ओर से कड़ी परीक्षा थी।

2:50

وَإِذْ فَرَقْنَا بِكُمُ ٱلْبَحْرَ فَأَنجَيْنَـٰكُمْ وَأَغْرَقْنَآ ءَالَ فِرْعَوْنَ وَأَنتُمْ تَنظُرُونَ

व इज् फ़-रक्ना बिकुमुल्-बह्-र फ़-अन्जैनाकुम् व अग्-रक्ना आ-ल फ़िरऔ-न व अन्तुम् तन्जुरून
तथा (याद करो) जब हमने तुम्हारे लिए सागर को फाड़ दिया, फिर तुम्हें बचा लिया और तुम्हारे देखते-देखते फ़िरऔनियों को डुबो दिया।

2:51

وَإِذْ وَٰعَدْنَا مُوسَىٰٓ أَرْبَعِينَ لَيْلَةًۭ ثُمَّ ٱتَّخَذْتُمُ ٱلْعِجْلَ مِنۢ بَعْدِهِۦ وَأَنتُمْ ظَـٰلِمُونَ

व इज् वाअ़दना मूसा अर्-बअी़-न लै-लतन् सुम्मत्तखज्तुमुल्-अिज्-ल मिम्-बअ्दिही व अन्तुम् ज़ालिमून
तथा (याद करो) जब हमने मूसा को (तौरात प्रदान करने के लिए) चालीस रात्रि का वचन दिया, फिर उनके पीछे तुमने बछड़े को (पूज्य) बना लिया और तुम अत्याचारी थे।

2:52

ثُمَّ عَفَوْنَا عَنكُم مِّنۢ بَعْدِ ذَٰلِكَ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ

सुम्-म अ़फौना अ़न्कुम मिम्-बअदि ज़ालि-क लअल्लकुम् तश्कुरून
फिर हमने इसके पश्चात् तुम्हें क्षमा कर दिया, ताकि तुम कृतज्ञ बनो।

2:53

وَإِذْ ءَاتَيْنَا مُوسَى ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْفُرْقَانَ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ

व इज् आतैना मूसल-किता-ब वल्फुरका-न लअल्लकुम् तह्तदून
तथा (याद करो) जब हमने मूसा को पुस्तक (तौरात) तथा फ़ुर्क़ान[1] प्रदान किया, ताकि तुम सीधी डगर पा सको।

2:54

وَإِذْ قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِۦ يَـٰقَوْمِ إِنَّكُمْ ظَلَمْتُمْ أَنفُسَكُم بِٱتِّخَاذِكُمُ ٱلْعِجْلَ فَتُوبُوٓا۟ إِلَىٰ بَارِئِكُمْ فَٱقْتُلُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ ذَٰلِكُمْ خَيْرٌۭ لَّكُمْ عِندَ بَارِئِكُمْ فَتَابَ عَلَيْكُمْ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلتَّوَّابُ ٱلرَّحِيمُ

व इज् का-ल मूसा लिक़ौमिही या कौमि इन्नकुम् ज़-लम्तुम अन्फु-सकुम् बित्तिख़ाज़िकुमुल्-अिज्-ल फ़तूबू इला बारिइकुम् फक्-तुलू अन्फु-स-कुम् , जा़लिकुम् खैरूल्लकुम् अिन्-द बारिइकुम् , फ़ता – ब अलैकुम इन्नहू हुवत्तव्वाबुर्रहीम
तथा (याद करो) जब मूसा ने अपनी जाति से कहाः तुमने बछड़े को पूज्य बनाकर अपने ऊपर अत्याचार किया है, अतः तुम अपने उत्पत्तिकार के आगे क्षमा याचना करो, वो ये कि आपस में एक-दूसरे[1] को वध करो। इसी में तुम्हारे उत्पत्तिकार के समीप तुम्हारी भलाई है। फिर उसने तुम्हारी तौबा स्वीकार कर ली। वास्तव में, वह बड़ा क्षमाशील, दयावान् है।

2:55

وَإِذْ قُلْتُمْ يَـٰمُوسَىٰ لَن نُّؤْمِنَ لَكَ حَتَّىٰ نَرَى ٱللَّهَ جَهْرَةًۭ فَأَخَذَتْكُمُ ٱلصَّـٰعِقَةُ وَأَنتُمْ تَنظُرُونَ

व इज् कुल्तुम् या मूसा लन्-नुअ्-मिन-ल-क हत्ता नरल्ला-ह जह्-रतन् फ़-अ खज़त्कुमुस्साअि-कतु व अन्तुम् तन्जु़रून
तथा (याद करो) जब तुमने मूसा से कहाः हम तुम्हारा विश्वास नहीं करेंगे, जब तक हम अल्लाह को आँखों से देख नहीं लेंगे, फिर तुम्हारे देखते-देखते तुम्हें कड़क ने धर लिया (जिससे सब निर्जीव हो कर गिर गये)।

2:56

ثُمَّ بَعَثْنَـٰكُم مِّنۢ بَعْدِ مَوْتِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ

सुम्-म बअस्नाकुम् मिम्-बअ्दि मौतिकुम् लअ़ल्लकुम् तश्कुरून
फिर (निर्जीव होने के पश्चात्) हमने तुम्हें जीवित कर दिया, ताकि तुम हमारा उपकार मानो।

2:57

وَظَلَّلْنَا عَلَيْكُمُ ٱلْغَمَامَ وَأَنزَلْنَا عَلَيْكُمُ ٱلْمَنَّ وَٱلسَّلْوَىٰ ۖ كُلُوا۟ مِن طَيِّبَـٰتِ مَا رَزَقْنَـٰكُمْ ۖ وَمَا ظَلَمُونَا وَلَـٰكِن كَانُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ

व जल्लल्ना अलैकुमुल्-ग़मा-म व अन्ज़ल्ना अलैकुमुल्मन्-न वस्सल्वा , कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क्नाकुम् , व मा ज़-लमूना व लाकिन् कानू अन्फु-सहुम् यज्लिमून
और हमने तुमपर बादलों की छाँव[1] की तथा तुमपर ‘मन्न’[2] और ‘सलवा’ उतारा, तो उन स्वच्छ चीज़ों में से, जो हमने तुम्हें प्रदान की हैं, खाओ और उन्होंने हमपर अत्याचार नहीं किया, परन्तु वे स्वयं अपने ऊपर ही अत्याचार कर रहे थे।

2:58

وَإِذْ قُلْنَا ٱدْخُلُوا۟ هَـٰذِهِ ٱلْقَرْيَةَ فَكُلُوا۟ مِنْهَا حَيْثُ شِئْتُمْ رَغَدًۭا وَٱدْخُلُوا۟ ٱلْبَابَ سُجَّدًۭا وَقُولُوا۟ حِطَّةٌۭ نَّغْفِرْ لَكُمْ خَطَـٰيَـٰكُمْ ۚ وَسَنَزِيدُ ٱلْمُحْسِنِينَ

व इज् कुल्नद्ख़ुलू हाज़िहिल् कर-य-त फकुलू मिन्हा हैसू शिअ्तुम र-गदंव वद्खुलुल-बा-ब सुज्जदंव व-कूलू हित्ततुन् नगफिर लकुम ख़तायाकुम् , व स-नज़ीदुल् मुह्सिनीन
और (याद करो) जब हमने कहा कि इस बस्ती[1] में प्रवेश करो, फिर इसमें से जहाँ से चाहो, मनमानी खाओ और उसके द्वार में सज्दा करते (सिर झुकाये) हुए प्रवेश करो और क्षमा-क्षमा कहते जाओ, हम तुम्हारे पापों को क्षमा कर देंगे तथा सुकर्मियों को अधिक प्रदान करेंगे।

2:59

فَبَدَّلَ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ قَوْلًا غَيْرَ ٱلَّذِى قِيلَ لَهُمْ فَأَنزَلْنَا عَلَى ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ رِجْزًۭا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ بِمَا كَانُوا۟ يَفْسُقُونَ

फ-बद्-दल्-लज़ी-न ज़-लमू कौलन् गैरल्लज़ी की-ल लहुम् फ़-अन्ज़ल्ना अलल्लज़ी-न ज़लमू रिज्ज़म् – मिनस्-समा-इ बिमा कानू यफ्सुकून *
फिर इन अत्याचारियों ने जो बात इनसे कही गयी थी, उसे दूसरी बात से बदल दिया। तो हमने इन अत्याचारियों पर आकाश से इनकी अवज्ञा के कारण प्रकोप उतार दिया।

2:60

۞ وَاِذِ اسْتَسْقٰى مُوْسٰى لِقَوْمِهٖ فَقُلْنَا اضْرِبْ بِّعَصَاكَ الْحَجَرَۗ فَانْفَجَرَتْ مِنْهُ اثْنَتَا عَشْرَةَ عَيْنًا ۗ قَدْ عَلِمَ كُلُّ اُنَاسٍ مَّشْرَبَهُمْ ۗ كُلُوْا وَاشْرَبُوْا مِنْ رِّزْقِ اللّٰهِ وَلَا تَعْثَوْا فِى الْاَرْضِ مُفْسِدِيْنَ

व इज़िस्तस्का मूसा लिक़ौमिही फ़-कुल्नजरिब् बिअसाकल् ह-ज-र , फ़न्-फ़-जरत् मिन्हुस्-नता अश्र-त अैनन् , कद् अलि-म कुल्लु उनासिम् मश्र-बहुम् , कुलू वश्रबू मिर्रिज़किल्लाहि व ला तअ्सौ फिलअर्ज़ि मुफ्सिदीन
तथा (याद करो) जब मूसा ने अपनी जाति के लिए जल की प्रार्थना की, तो हमने कहाः अपनी लाठी पत्थर पर मारो। तो उससे बारह[1] सोते फूट पड़े और प्रत्येक परिवार ने अपने पीने के स्थान को पहचान लिया। अल्लाह का दिया खाओ और पिओ और धरती में उपद्रव करते न फिरो।

2:61

وَإِذْ قُلْتُمْ يَـٰمُوسَىٰ لَن نَّصْبِرَ عَلَىٰ طَعَامٍۢ وَٰحِدٍۢ فَٱدْعُ لَنَا رَبَّكَ يُخْرِجْ لَنَا مِمَّا تُنۢبِتُ ٱلْأَرْضُ مِنۢ بَقْلِهَا وَقِثَّآئِهَا وَفُومِهَا وَعَدَسِهَا وَبَصَلِهَا ۖ قَالَ أَتَسْتَبْدِلُونَ ٱلَّذِى هُوَ أَدْنَىٰ بِٱلَّذِى هُوَ خَيْرٌ ۚ ٱهْبِطُوا۟ مِصْرًۭا فَإِنَّ لَكُم مَّا سَأَلْتُمْ ۗ وَضُرِبَتْ عَلَيْهِمُ ٱلذِّلَّةُ وَٱلْمَسْكَنَةُ وَبَآءُو بِغَضَبٍۢ مِّنَ ٱللَّهِ ۗ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ كَانُوا۟ يَكْفُرُونَ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ وَيَقْتُلُونَ ٱلنَّبِيِّـۧنَ بِغَيْرِ ٱلْحَقِّ ۗ ذَٰلِكَ بِمَا عَصَوا۟ وَّكَانُوا۟ يَعْتَدُونَ

व इज् कुल्तुम् या मूसा लन्-नस्बि-र अला तआमिव्वाहिदिन् फ़द्अु लना रब्ब-क युख्रिज् लना मिम्मा तुम्बितुल अर्जु मिम्-बक्लिहा व किस्सा-इहा व फूमिहा व अ-द सिहा व ब-स-लिहा , का-ल अ-तस्तब्दिलूनल्लज़ी हु-व अद्ना बिल्लज़ी हु-व खैरून , इह्बितू मिस्रन् फ़-इन्-न लकुम मा सअल्तुम , व जुरिबत् अलैहिमुज्ज़िल्लतु वल्मस्-क-नतु व बाऊ बि-ग़-ज़-बिम् – मिनल्लाहि ,जालि-क बिअन्न-हुम् कानू यक्फुरू-न बिआयातिल्लाहि व यक्तुलूनन्-नबिय्यी-न बिगैरिल हक्कि , ज़ालि-क बिमा असव् वकानू यअतदून *
तथा (याद करो) जब तुमने कहाः हे मूसा! हम एक प्रकार का खाना सहन नहीं करेंगे। तुम अपने पालनहार से प्रार्थना करो कि हमारे लिए धरती की उपज; साग, ककड़ी, लहसुन, प्याज़, दाल आदि निकाले। (मूसा ने) कहाः क्या तुम उत्तम के बदले तुच्छ मांगते हो? तो किसी नगर में उतर पड़ो, जो तुमने मांगा है, वहाँ वह मिलेगा! और उनपर अपमान तथा दरिद्रता थोप दी गयी और वे अल्लाह के प्रकोप के साथ फिरे। ये इसलिए कि वे अल्लाह की आयतों के साथ कुफ़्र कर रहे थे और नबियों की अकारण हत्या कर रहे थे। ये इसलिए कि उन्होंने अवज्ञा की तथा (धर्म की) सीमा का उल्लंघन किया।

2:62

إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَٱلَّذِينَ هَادُوا۟ وَٱلنَّصَـٰرَىٰ وَٱلصَّـٰبِـِٔينَ مَنْ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَٱلْيَوْمِ ٱلْـَٔاخِرِ وَعَمِلَ صَـٰلِحًۭا فَلَهُمْ أَجْرُهُمْ عِندَ رَبِّهِمْ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ

इन्नल्लज़ी-न आमनू वल्लज़ी-न हादू वन्नसारा वस्साबिईन मन् आम-न बिल्लाहि वल्यौमिल्-आखिरि व अमि-ल सालिहन् फ़-लहुम् अजरुहुम अिन्-द रब्बिहिम वला खौफुन् अलैहिम वला हुम् यह्ज़नून
वस्तुतः, जो ईमान लाये तथा जो यहूदी हुए और नसारा (ईसाई) तथा साबी, जो भी अल्लाह तथा अन्तिम दिन (प्रलय) पर ईमान लायेगा और सत्कर्म करेगा, उनका प्रतिफल उनके पालनहार के पास है और उन्हें कोई डर नहीं होगा और न ही वे उदासीन होंगे।[1]

2:63

وَإِذْ أَخَذْنَا مِيثَـٰقَكُمْ وَرَفَعْنَا فَوْقَكُمُ ٱلطُّورَ خُذُوا۟ مَآ ءَاتَيْنَـٰكُم بِقُوَّةٍۢ وَٱذْكُرُوا۟ مَا فِيهِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ

व इज् अखज्ना मीसा-ककुम् व र-फअ्ना फौ-ककुमुत्तू-र खुजू मा आतैनाकुम् बिकुव्वातिंव्वज्कुरू मा फीहि लअल्लकुम् तत्तकून
और (याद करो) जब हमने तूर (पर्वत) को तुम्हारे ऊपर करके तुमसे वचन लिया कि जो हमने तुम्हें दिया है, उसे दृढ़ता से पकड़ लो और उसमें जो (आदेश-निर्देश) हैं, उन्हें याद रखो; ताकि तुम यातना से बच सको।

2:64

ثُمَّ تَوَلَّيْتُم مِّنۢ بَعْدِ ذَٰلِكَ ۖ فَلَوْلَا فَضْلُ ٱللَّهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهُۥ لَكُنتُم مِّنَ ٱلْخَـٰسِرِينَ

सुम्-म तवल्लैतुम् मिम्-बअ्दि ज़ालि-क फलौला फज्लुल्लाहि अलैकुम् व रहमतुहू लकुन्तुम् मिनल ख़ासिरीन
फिर उसके बाद तुम मुकर गये, तो यदि तुमपर अल्लाह की अनुग्रह और दया न होती, तो तुम क्षतिग्रस्तों में हो जाते।

2:65

وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ ٱلَّذِينَ ٱعْتَدَوْا۟ مِنكُمْ فِى ٱلسَّبْتِ فَقُلْنَا لَهُمْ كُونُوا۟ قِرَدَةً خَـٰسِـِٔينَ ٦٥

व लकद् अलिम्तुमुल्लज़ीनअ्-तदौ मिन्कुम् फिस्सब्ति फ़कुल्ना लहुम् कूनू कि-र-दतन् खासिईन
और तुम उन्हें जानते ही हो, जिन्होंने शनिवार के बारे में (धर्म की) सीमा का उल्लंघन किया, तो हमने कहा कि तुम तिरस्कृत बंदर[1] हो जाओ।

2:66

فَجَعَلْنَـٰهَا نَكَـٰلًۭا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهَا وَمَا خَلْفَهَا وَمَوْعِظَةًۭ لِّلْمُتَّقِينَ

फ-जअल्नाहा नकालल्-लिमा बै-न यदैहा व मा ख़ल्फहा व मौअि-जतल् लिल्मुत्तकीन
फिर हमने उसे, उस समय के तथा बाद के लोगों के लिए चेतावनी और अल्लाह से डरने वालों के लिए शिक्षा बना दिया।

2:67

وَإِذْ قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِۦٓ إِنَّ ٱللَّهَ يَأْمُرُكُمْ أَن تَذْبَحُوا۟ بَقَرَةًۭ ۖ قَالُوٓا۟ أَتَتَّخِذُنَا هُزُوًۭا ۖ قَالَ أَعُوذُ بِٱللَّهِ أَنْ أَكُونَ مِنَ ٱلْجَـٰهِلِينَ

व इज् का-ल मूसा लिकौमिही इन्नल्ला-ह यअ्मुरूकुम् अन् तज़्बहू ब-क-रतन् , कालू अ-तत्तखिजुना हुजुवन् , का-ल अअूजु बिल्लाहि अन् अकू-न मिनल्जाहिलीन
तथा (याद करो) जब मूसा ने अपनी जाति से कहाः अल्लाह तुम्हें एक गाय वध करने का आदेश देता है। उन्होंने कहाः क्या तुम हमसे उपहास कर रहे हो? (मूसा ने) कहाः मैं अल्लाह की शरण माँगता हूँ कि मूर्खों में से हो जाऊँ।

2:68

قَالُوا۟ ٱدْعُ لَنَا رَبَّكَ يُبَيِّن لَّنَا مَا هِىَ ۚ قَالَ إِنَّهُۥ يَقُولُ إِنَّهَا بَقَرَةٌۭ لَّا فَارِضٌۭ وَلَا بِكْرٌ عَوَانٌۢ بَيْنَ ذَٰلِكَ ۖ فَٱفْعَلُوا۟ مَا تُؤْمَرُونَ

कालुद् अु-लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा हि-य का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब-क-रतुल्ला-फ़ारिजुंव् वला बिकरून् , अवानुम् , बै-न ज़ालि-क , फ़फ्अलू मा तुअमरून
वह बोले कि अपने पालनहार से हमारे लिए निवेदन करो कि हमें बता दे कि वह गाय कैसी हो? (मूसा ने) कहाः वह (अर्थातःअल्लाह) कहता है कि वह न बूढ़ी हो और न बछिया हो, इसके बीच आयु की हो। अतः जो आदेश तुम्हें दिया जा रहा है, उसे पूरा करो।

2:69

قَالُوا۟ ٱدْعُ لَنَا رَبَّكَ يُبَيِّن لَّنَا مَا لَوْنُهَا ۚ قَالَ إِنَّهُۥ يَقُولُ إِنَّهَا بَقَرَةٌۭ صَفْرَآءُ فَاقِعٌۭ لَّوْنُهَا تَسُرُّ ٱلنَّـٰظِرِينَ

कालुद् अु-लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा लौनुहा , का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब-क-रतुन् सफ़रा-उ फ़ाकिअुल लौनुहा तसुर्रुन्नाज़िरीन
वे बोले कि अपने पालनहार से हमारे लिए निवेदन करो कि हमें उसका रंग बता दे। (मूसा ने) कहाः वह कहता है कि पीले गहरे रंग की गाय हो, जो देखने वालों को प्रसन्न कर दे।

2:70

قَالُوا۟ ٱدْعُ لَنَا رَبَّكَ يُبَيِّن لَّنَا مَا هِىَ إِنَّ ٱلْبَقَرَ تَشَـٰبَهَ عَلَيْنَا وَإِنَّآ إِن شَآءَ ٱللَّهُ لَمُهْتَدُونَ ٧٠

कालुद् अु-लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा हि-य इन्नल ब-क-र तशा-ब-ह अलैना , व इन्ना इन्श-अल्लाहु लमुह्तदून
वे बोले कि अपने पालनहार से हमारे लिए निवेदन करो कि हमें बताये कि वह किस प्रकार की हो? वास्तव में, हम गाय के बारे में दुविधा में पड़ गये हैं और यदि अल्लाह ने चाहा तो हम (उस गाय का) पता लगा लेंगे।

2:71

قَالَ إِنَّهُۥ يَقُولُ إِنَّهَا بَقَرَةٌۭ لَّا ذَلُولٌۭ تُثِيرُ ٱلْأَرْضَ وَلَا تَسْقِى ٱلْحَرْثَ مُسَلَّمَةٌۭ لَّا شِيَةَ فِيهَا ۚ قَالُوا۟ ٱلْـَٔـٰنَ جِئْتَ بِٱلْحَقِّ ۚ فَذَبَحُوهَا وَمَا كَادُوا۟ يَفْعَلُونَ

का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब-क-रतुल् ला ज़लूलुन् तुसीरूल्-अर्-ज़ वला तस्किल्-हर-स मुसल्-ल-म-तुल्लाशिय-त फ़ीहा , कालुल्आ-न जिअ्-त बिल्हक्कि , फ़-ज़-बहूहा वमा कादू यफ्अलून *
मूसा बोलेः वह कहता है कि वह ऐसी गाय हो, जो सेवा कार्य न करती हो, न खेत (भूमि) जोतती हो और न खेत सींचती हो, वह स्वस्थ हो और उसमें कोई धब्बा न हो। वे बोलेः अब तुमने उचित बात बताई है। फिर उन्होंने उसे वध कर दिया। जबकि वे समीप थे कि ये काम न करें।

2:72

وَإِذْ قَتَلْتُمْ نَفْسًۭا فَٱدَّٰرَْٰٔتُمْ فِيهَا ۖ وَٱللَّهُ مُخْرِجٌۭ مَّا كُنتُمْ تَكْتُمُونَ

व इज् कतल्तुम् नफ्सन् फ़द्दा-रअ्तुम् फ़ीहा , वल्लाहु मुख्रिजुम् मा कुन्तुम् तक्तुमून
और (याद करो) जब तुमने एक व्यक्ति की हत्या कर दी तथा एक-दूसरे पर (दोष) थोपने लगे और अल्लाह को उसे व्यक्त करना था, जिसे तुम छुपा रहे थे।

2:73

فَقُلْنَا ٱضْرِبُوهُ بِبَعْضِهَا ۚ كَذَٰلِكَ يُحْىِ ٱللَّهُ ٱلْمَوْتَىٰ وَيُرِيكُمْ ءَايَـٰتِهِۦ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ

फ़-कुल्नज्रिबूहु बि-बअ्ज़िहा , कज़ालि-क युह्यिल्लाहुल-मौता व युरीकुम् आयातिही लअल्लकुम् तअ्किलून
अतः हमने कहा कि उसे (निहत व्यक्ति के शव को) उस (गाय) के किसी भाग से मारो।[1] इसी प्रकार अल्लाह मुर्दों को जीवित करेगा और वह तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है; ताकि तुम समझो।

2:74

ثُمَّ قَسَتْ قُلُوبُكُم مِّنۢ بَعْدِ ذَٰلِكَ فَهِىَ كَٱلْحِجَارَةِ أَوْ أَشَدُّ قَسْوَةًۭ ۚ وَإِنَّ مِنَ ٱلْحِجَارَةِ لَمَا يَتَفَجَّرُ مِنْهُ ٱلْأَنْهَـٰرُ ۚ وَإِنَّ مِنْهَا لَمَا يَشَّقَّقُ فَيَخْرُجُ مِنْهُ ٱلْمَآءُ ۚ وَإِنَّ مِنْهَا لَمَا يَهْبِطُ مِنْ خَشْيَةِ ٱللَّهِ ۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَـٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ

सुम्-म क़सत् कुलूबुकुम् मिम्-बअ्दि जालि-क फहि-य कलहिजा-रति औ अशद्दू कस्वतन् , व इन्-न मिनल-हिजारति लमा य-तफज्जरू मिन्हुल-अन्हारू , व इन्-न मिन्हा लमा यश्शक्ककु फ़-यख् रूजु मिन्हुल्मा-उ , व इन्-न मिन्हा लमा यहबितु मिन् ख़श्यतिल्लाहि , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून
फिर ये (निशानियाँ देखने) के बाद तुम्हारे दिल पत्थरों के समान या उनसे भी अधिक कठोर हो गये; क्योंकि पत्थरों में कुछ ऐसे होते हैं, जिनसे नहरें फूट पड़ती हैं और कुछ फट जाते हैं और उनसे पानी निकल आता है और कुछ अल्लाह के डर से गिर पड़ते हैं और अल्लाह तुम्हारे करतूतों से निश्चेत नहीं है।

2:75

۞ أَفَتَطْمَعُونَ أَن يُؤْمِنُوا۟ لَكُمْ وَقَدْ كَانَ فَرِيقٌۭ مِّنْهُمْ يَسْمَعُونَ كَلَـٰمَ ٱللَّهِ ثُمَّ يُحَرِّفُونَهُۥ مِنۢ بَعْدِ مَا عَقَلُوهُ وَهُمْ يَعْلَمُونَ

अ-फ़-तत्मअू-न अंय्युअ्मिनू लकुम् व कद् का-न फ़रीकुम् मिन्हुम् यस्मअू-न कलामल्लाहि सुम्-म युहर्रिफूनहू मिम्-बअ्दि मा अ-क-लूहु व हुम् यअ्लमून
क्या तुम आशा रखते हो कि (यहूदी) तुम्हारी बात मान लेंगे, जबकि उनमें एक गिरोह ऐसा था, जो अल्लाह की वाणी (तौरात) को सुनता था और समझ जाने के बाद जान-बूझ कर उसमें परिवर्तण कर देता था?

2:76

وَإِذَا لَقُوا۟ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا وَإِذَا خَلَا بَعْضُهُمْ إِلَىٰ بَعْضٍۢ قَالُوٓا۟ أَتُحَدِّثُونَهُم بِمَا فَتَحَ ٱللَّهُ عَلَيْكُمْ لِيُحَآجُّوكُم بِهِۦ عِندَ رَبِّكُمْ ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ

व इज़ा लकुल्लज़ी-न आमनू कालू आमन्ना व इज़ा ख़ला बअ्जुहुम् इला बअ्जिन् कालूं अतुह्द्दिसू नहुम् बिमा फ़-तहल्लाहु अलैकुम् लियुहाज्जूकुम् बिही अिन्-द रब्बिकुम , अ-फ़ला तअ्किलून
तथा जब वे ईमान वालों से मिलते हैं, तो कहते हैं कि हम भी ईमान लाये और जब एकान्त में आपस में एक-दूसरे से मिलते हैं, तो कहते हैं कि तुम उन्हें वो बातें क्यों बताते हो, जो अल्लाह ने तुमपर खोली[1] हैं? इसलिए कि प्रलय के दिन तुम्हारे पालनहार के पास इसे तुम्हारे विरुध्द प्रमाण बनायें? क्या तुम समझते नहीं हो?

2:77

أَوَلَا يَعْلَمُونَ أَنَّ ٱللَّهَ يَعْلَمُ مَا يُسِرُّونَ وَمَا يُعْلِنُونَ

अ-वला यअ्लमू-न अन्नल्ला-ह यअलमु मा युसिर्रू-न वमा युअलिनून
क्या वे नहीं जानते कि वे जो कुछ छुपाते तथा व्यक्त करते हैं, वो सब अल्लाह जानता है?

2:78

وَمِنْهُمْ أُمِّيُّونَ لَا يَعْلَمُونَ ٱلْكِتَـٰبَ إِلَّآ أَمَانِىَّ وَإِنْ هُمْ إِلَّا يَظُنُّونَ

व मिन्हुम् उम्मिय्यू-न ला यअ्लमूनल किता-ब इल्ला अमानिय्-य व इन हुम् इल्ला यजुन्नून
तथा उनमें कुछ अनपढ़ हैं, वे पुस्तक (तौरात) का ज्ञान नहीं रखते, परन्तु निराधार कामनायें करते तथा केवल अनुमान लगाते हैं।

2:79

فَوَيْلٌۭ لِّلَّذِينَ يَكْتُبُونَ ٱلْكِتَـٰبَ بِأَيْدِيهِمْ ثُمَّ يَقُولُونَ هَـٰذَا مِنْ عِندِ ٱللَّهِ لِيَشْتَرُوا۟ بِهِۦ ثَمَنًۭا قَلِيلًۭا ۖ فَوَيْلٌۭ لَّهُم مِّمَّا كَتَبَتْ أَيْدِيهِمْ وَوَيْلٌۭ لَّهُم مِّمَّا يَكْسِبُونَ

फ वै लुल-लिल्लजी-न यक्तुबूनल-किता-ब बिऐदीहिम , सुम्-म यकूलू-न हाज़ा मिन् अिन्दिल्लाहि लियश्तरू बिही स-म-नन् कलीलन् , फवैलुल्लहुम् मिम्मा क-त-बत् ऐदीहिम व वैलुल्लहुम् मिम्मा यक्सिबून
तो विनाश है उनके लिए[1] जो अपने हाथों से पुस्तक लिखते हैं, फिर कहते हैं कि ये अल्लाह की ओर से है, ताकि उसके द्वारा तनिक मूल्य खरीदें! तो विनाश है उनके अपने हाथों के लेख के कारण! और विनाश है उनकी कमाई के कारण!

2:80

وَقَالُوا۟ لَن تَمَسَّنَا ٱلنَّارُ إِلَّآ أَيَّامًۭا مَّعْدُودَةًۭ ۚ قُلْ أَتَّخَذْتُمْ عِندَ ٱللَّهِ عَهْدًۭا فَلَن يُخْلِفَ ٱللَّهُ عَهْدَهُۥٓ ۖ أَمْ تَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ

व कालू लन् तमस्स-नन्नारू इल्ला अय्यामम् मअदू-दतन् , कुल अत्तखज्तुम् अिन्दल्लाहि अहदन फ़-लंय्-युख्लिफ़ल्लाहु अह्दहू अम् तकूलू-न अलल्लाहि मा ला तअ्लमून
तथा उन्होंने कहा कि हमें नरक की अग्नि गिनती के कुछ दिनों के सिवा स्पर्श नहीं करेगी। (हे नबी!) उनसे कहो कि क्या तुमने अल्लाह से कोई वचन ले लिया है कि अल्लाह अपना वचन भंग नहीं करेगा? बल्कि तुम अल्लाह के बारे में ऐसी बातें करते हो, जिनका तुम्हें ज्ञान नहीं।

2:81

بَلَىٰ مَن كَسَبَ سَيِّئَةًۭ وَأَحَـٰطَتْ بِهِۦ خَطِيٓـَٔتُهُۥ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ أَصْحَـٰبُ ٱلنَّارِ ۖ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ

बला मन् क-स-ब सय्यि-अतंव-व अहातत् बिही खतीअतु हू फ़-उलाइ-क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
क्यों[1] नहीं, जो भी बुराई कमायेगा तथा उसका पाप उसे घेर लेगा, तो वही नारकीय हैं और वही उसमें सदावासी होंगे।

2:82

وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ أُو۟لَـٰٓئِكَ أَصْحَـٰبُ ٱلْجَنَّةِ ۖ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ

वल्लजी-न आमनू व आमिलुस्सालिहाति उलाइ-क अस्हाबुल-जन्नति हुम् फ़ीम ख़ालिदून *
तथा जो ईमान लायें और सत्कर्म करें, वही स्वर्गीय हैं और वे उसमें सदावासी होंगे।

2:83

وَإِذْ أَخَذْنَا مِيثَـٰقَ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ لَا تَعْبُدُونَ إِلَّا ٱللَّهَ وَبِٱلْوَٰلِدَيْنِ إِحْسَانًۭا وَذِى ٱلْقُرْبَىٰ وَٱلْيَتَـٰمَىٰ وَٱلْمَسَـٰكِينِ وَقُولُوا۟ لِلنَّاسِ حُسْنًۭا وَأَقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُوا۟ ٱلزَّكَوٰةَ ثُمَّ تَوَلَّيْتُمْ إِلَّا قَلِيلًۭا مِّنكُمْ وَأَنتُم مُّعْرِضُونَ

व इज् अख़ज्ना मीसा-क बनी इस्-राई-ल ला तअबुदू-न इल्लल्ला-ह , व बिल्वालिदैनि इहसानंव वज़िल्कुरबा वल्यतामा वल्मसाकीनि व कूलू लिन्नासि हुस्नंव व-अकीमुस्सला-त व आतुज्ज़का-त , सुम्-म तवल्लैतुम् इल्ला क़लीलम्-मिन्कुम् व अन्तुम् मुअ्रिजून
और (याद करो) जब हमने बनी इस्राईल से दृढ़ वचन लिया कि अल्लाह के सिवा किसी की इबादत (वंदना) नहीं करोगे तथा माता-पिता के साथ उपकार करोगे और समीपवर्ती संबंधियों, अनाथों, दीन-दुखियों के साथ और लोगों से भली बात बोलोगे तथा नमाज़ की स्थापना करोगे और ज़कात दोगे, फिर तुममें से थोड़े के सिवा सबने मुँह फेर लिया और तुम (अभी भी) मुँह फेरे हुए हो।

2:84

وَإِذْ أَخَذْنَا مِيثَـٰقَكُمْ لَا تَسْفِكُونَ دِمَآءَكُمْ وَلَا تُخْرِجُونَ أَنفُسَكُم مِّن دِيَـٰرِكُمْ ثُمَّ أَقْرَرْتُمْ وَأَنتُمْ تَشْهَدُونَ

व इज् अख़ज्ना मीसा-ककुम्-ला तस्फिकू-न दिमा-अकुम् व ला तुख्रिजू-न अन्फु-सकुम् मिन् दियारिकुम् सुम्-म अक्ररतुम् व अन्तुम तश्हदून
तथा (याद करो) जब हमने तुमसे दृढ़ वचन लिया कि आपस में रक्तपात नहीं करोगे और न अपनों को अपने घरों से निकालोगे। फिर तुमने स्वीकार किया और तुम उसके साक्षी हो।

2:85

ثُمَّ أَنتُمْ هَـٰٓؤُلَآءِ تَقْتُلُونَ أَنفُسَكُمْ وَتُخْرِجُونَ فَرِيقًۭا مِّنكُم مِّن دِيَـٰرِهِمْ تَظَـٰهَرُونَ عَلَيْهِم بِٱلْإِثْمِ وَٱلْعُدْوَٰنِ وَإِن يَأْتُوكُمْ أُسَـٰرَىٰ تُفَـٰدُوهُمْ وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَيْكُمْ إِخْرَاجُهُمْ ۚ أَفَتُؤْمِنُونَ بِبَعْضِ ٱلْكِتَـٰبِ وَتَكْفُرُونَ بِبَعْضٍۢ ۚ فَمَا جَزَآءُ مَن يَفْعَلُ ذَٰلِكَ مِنكُمْ إِلَّا خِزْىٌۭ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ وَيَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ يُرَدُّونَ إِلَىٰٓ أَشَدِّ ٱلْعَذَابِ ۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَـٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ

सुम्-म अन्तुम् हा-उला-इ तक्तुलू-न अन्फु-सकुम् व तुख्रिजू-न फरीकम् मिन्कुम् मिन् दियारिहिम तज़ाहरू-न अलैहिम बिल्इस्मि वल्-अुद्वानि , व इंय्यअ्तूकुम् उसारा तुफादूहुम व हु-व मुहर्रमुन् अलैकुम् इख्राजुहुम , अ-फ़-तुअ्मिनू-न बिबअ्ज़िल-किताबि व तक्फुरू-न बिबअ्ज़िन् फ़मा जज़ा-उ मंय्यफ्अलु ज़ालि-क मिन्कुम् इल्ला खिज्युन् फ़िल्हयातिद्दुन्या व यौमलकियामति युरद्दू-न इला अशद्दिल-अज़ाबि , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून
फिर[1] तुम वही हो, जो अपनों की हत्या कर रहे हो तथा अपनों में से एक गिरोह को उनके घरों से निकाल रहे हो और पाप तथा अत्याचार के साथ उनके विरुध्द सहायता करते हो और यदि वे बंदी होकर तुम्हारे पास आयें, तो उनका अर्थदण्ड चुकाते हो, जबकि उन्हें निकालना ही तुमपर ह़राम (अवैध) था, तो क्या तुम पुस्तक के कुछ भाग पर ईमान रखते हो और कुछ का इन्कार करते हो? फिर तुममें से जो ऐसा करते हों, तो उनका दण्ड क्या है, इसके सिवा कि सांसारिक जीवन में अपमान तथा प्रलय के दिन अति कड़ी यातना की ओर फेरे जायें? और अल्लाह तुम्हारे करतूतों से निश्चेत नहीं है!

2:86

أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ ٱشْتَرَوُا۟ ٱلْحَيَوٰةَ ٱلدُّنْيَا بِٱلْـَٔاخِرَةِ ۖ فَلَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ ٱلْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنصَرُونَ

उला-इ-कल्लजीनश-त-र वुल्हयातद्दुन्या बिल्आख़िरति फ़ला युखफ्फफु अन्हुमुल अज़ाबु व ला हुम् युन्सरून
उन्होंने ही आख़िरत (परलोक) के बदले सांसारिक जीवन ख़रीद लिया। अतः उनसे यातना मंद नहीं की जायेगी और न उनकी सहायता की जायेगी।

2:87

وَلَقَدْ ءَاتَيْنَا مُوسَى ٱلْكِتَـٰبَ وَقَفَّيْنَا مِنۢ بَعْدِهِۦ بِٱلرُّسُلِ ۖ وَءَاتَيْنَا عِيسَى ٱبْنَ مَرْيَمَ ٱلْبَيِّنَـٰتِ وَأَيَّدْنَـٰهُ بِرُوحِ ٱلْقُدُسِ ۗ أَفَكُلَّمَا جَآءَكُمْ رَسُولٌۢ بِمَا لَا تَهْوَىٰٓ أَنفُسُكُمُ ٱسْتَكْبَرْتُمْ فَفَرِيقًۭا كَذَّبْتُمْ وَفَرِيقًۭا تَقْتُلُونَ

व लक़द् आतैना मूसल् किता-ब व कफ्फ़ैना मिम्-बअदिही बिर्रूसुलि व आतैना अीसब्-न मर्यमल्बय्यिनाति व अय्यद्नाहु बिरूहिल्कुदुसि , अ-फकुल्लमा जाअकुम् रसूलुम बिमा ला तहवा अन्फुसुकुमुस्तक्बरतुम् फ़-फरीकन् कज्जब्तुम् व फरीकन् तक्तुलून
तथा हमने मूसा को पुस्तक (तौरात) प्रदान की और उसके पश्चात् निरन्तर रसूल भेजे और हमने मर्यम के पुत्र ईसा को खुली निशानियाँ दीं और रूह़ुल क़ुदुस[1] द्वारा उसे समर्थन दिया, तो क्या जब भी कोई रसूल तुम्हारी अपनी मनमानी के विरुध्द कोई बात तुम्हारे पास लेकर आया, तो तुम अकड़ गये, अतः कुछ नबियों को झुठला दिया और कुछ की हत्या करने लगे?

2:88

وَقَالُوا۟ قُلُوبُنَا غُلْفٌۢ ۚ بَل لَّعَنَهُمُ ٱللَّهُ بِكُفْرِهِمْ فَقَلِيلًۭا مَّا يُؤْمِنُونَ

व कालू कुलूबुना गुल्फुन् , बल ल-अ नहुमुल्लाहु बिकुफ्रिहिम फ़-कलीलम्मा युअमिनून
तथा उन्होंने कहा कि हमारे दिल तो बंद[1] हैं। बल्कि उनके कुफ़्र (इन्कार) के कारण अल्लाह ने उन्हें धिक्कार दिया है। इसीलिए उनमें से बहुत थोड़े ही ईमान लाते हैं।

2:89

وَلَمَّا جَآءَهُمْ كِتَـٰبٌۭ مِّنْ عِندِ ٱللَّهِ مُصَدِّقٌۭ لِّمَا مَعَهُمْ وَكَانُوا۟ مِن قَبْلُ يَسْتَفْتِحُونَ عَلَى ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فَلَمَّا جَآءَهُم مَّا عَرَفُوا۟ كَفَرُوا۟ بِهِۦ ۚ فَلَعْنَةُ ٱللَّهِ عَلَى ٱلْكَـٰفِرِينَ

व लम्मा जाअहुम् किताबुम् मिन् अिन्दिल्लाहि मुसद्दिकुल्लिमा म-अहुम् व कानू मिन् कब्लु यस्तफ़्तिहू-न अलल्लजी-न क-फरू , फ़-लम्मा जा-अहुम् मा अ-रफू क-फ-रू बिही फ़-लअ्नतुल्लाहि अलल्-काफिरीन
और जब उनके पास अल्लाह की ओर से एक पुस्तक (क़ुर्आन) आ गयी, जो उनके साथ की पुस्तक का प्रमाणकारी है, जबकि इससे पूर्व वे स्वयं काफ़िरों पर विजय की प्रार्थना कर रहे थे, तो जब उनके पास वह चीज़ आ गयी, जिसे वे पहचान भी गये, फिर भी उसका इन्कार कर[1] दिया, तो काफ़िरों पर अल्लाह की धिक्कार है।

2:90

بِئْسَمَا ٱشْتَرَوْا۟ بِهِۦٓ أَنفُسَهُمْ أَن يَكْفُرُوا۟ بِمَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ بَغْيًا أَن يُنَزِّلَ ٱللَّهُ مِن فَضْلِهِۦ عَلَىٰ مَن يَشَآءُ مِنْ عِبَادِهِۦ ۖ فَبَآءُو بِغَضَبٍ عَلَىٰ غَضَبٍۢ ۚ وَلِلْكَـٰفِرِينَ عَذَابٌۭ مُّهِينٌۭ

बिअ-स-मश्तरौ बिही अन्फु-सहुम् अंय्यक्फुरू बिमा अन्जलल्लाहु बग्यन् अंय्युनज्जिलल्लाहु मिन् फ़ज्लिही अला मंय्यशा-उ-मिन् अिबादिही फ़-बाऊ बि-ग़-ज़-बिन् अला ग़-ज़-बिन् , व लिल्काफ़िरी-न अजाबुम् मुहीन
अल्लाह की उतारी हुई (पुस्तक)[1] का इन्कार करके बुरे बदले पर इन्होंने अपने प्राणों को बेच दिया, इस द्वेष के कारण कि अल्लाह ने अपना प्रदान (प्रकाशना), अपने जिस भक्त[1] पर चाहा, उतार दिया। अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी बन गये और ऐसे काफ़िरों के लिए अपमानकारी यातना है।

2:91

وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ ءَامِنُوا۟ بِمَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ قَالُوا۟ نُؤْمِنُ بِمَآ أُنزِلَ عَلَيْنَا وَيَكْفُرُونَ بِمَا وَرَآءَهُۥ وَهُوَ ٱلْحَقُّ مُصَدِّقًۭا لِّمَا مَعَهُمْ ۗ قُلْ فَلِمَ تَقْتُلُونَ أَنۢبِيَآءَ ٱللَّهِ مِن قَبْلُ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ

व इज़ा की-ल लहुम् आमिनू बिमा अन्जलल्लाहु कालू नुअमिनु बिमा उन्ज़ि-ल अलैना व यक्फुरू-न बिमा वरा-अहू , व हुवल-हक्कु मुसद्दिकल्-लिमा म-अहुम , कुल फ़लि-म तक्तुलू-न अम्बिया-अल्लाहि मिन् कब्लु इन् कुन्तुम् मुअमिनीन
और जब उनसे कहा जाता है कि अल्लाह ने जो उतारा[1] है, उसपर ईमन लाओ, तो कहते हैं: हम तो उसीपर ईमान रखते हैं, जो हमपर उतरा है और इसके सिवा जो कुछ है, उसका इन्कार करते हैं। जबकि वह सत्य है और उसका प्रमाण्कारी है, जो उनके पास है। कहो कि फिर इससे पूर्व अल्लाह के नबियों की हत्या क्यों करते थे, यदि तुम ईमान वाले थे तो?

2:92

 وَلَقَدْ جَاۤءَكُمْ مُّوْسٰى بِالْبَيِّنٰتِ ثُمَّ اتَّخَذْتُمُ الْعِجْلَ مِنْۢ بَعْدِهٖ وَاَنْتُمْ ظٰلِمُوْنَ

व लक़द् जाअकुम् मूसा बिल-बय्यिनाति सुम्मत्तखज्तुमुल-अिज्-ल मिम्-बअ्दिही व अन्तुम् ज़ालिमून
तथा मूसा तुम्हारे पास खुली निशानियाँ लेकर आये। फिर तुमने अत्याचार करते हुए बछड़े को पूज्य बना लिया।

2:93

وَإِذْ أَخَذْنَا مِيثَـٰقَكُمْ وَرَفَعْنَا فَوْقَكُمُ ٱلطُّورَ خُذُوا۟ مَآ ءَاتَيْنَـٰكُم بِقُوَّةٍۢ وَٱسْمَعُوا۟ ۖ قَالُوا۟ سَمِعْنَا وَعَصَيْنَا وَأُشْرِبُوا۟ فِى قُلُوبِهِمُ ٱلْعِجْلَ بِكُفْرِهِمْ ۚ قُلْ بِئْسَمَا يَأْمُرُكُم بِهِۦٓ إِيمَـٰنُكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ

व इज् अखज्ना मीसा-ककुम् व र-फ़अ्ना फ़ौ-ककुमुत्-तू-र ,खु़जू मा आतैनाकुम् बिकुव्वतिंव्-वस्मअू कालू समिअ्ना व असैना व उश्रिबू फ़ी कुलूबिहिमुल्-अिज्-ल बिकुफ्रिहिम , कुल् बिअ्समा यअ्मुरूकुम् बिही ईमानुकुम इन् कुनतुम् मुअ्मिनीन
फिर उस दृढ़ वचन को याद करो, जो हमने तुम्हारे ऊपर तूर (पर्वत) को उठाकर लिया। (हमने कहाः) पकड़ लो, जो हमने दिया है तुम्हें दृढ़ता से और सुनो। तो उन्होंने कहाः हमने सुना और अवज्ञा की। और उनके दिलों में बछड़े का प्रेम पिला दिया गया, उनकी अवज्ञा के कारण। (हे नबी!) आप कह दीजियेः बुरा है वह जिसका आदेश दे रहा है तुम्हें तुम्हारा ईमान, यदि तुम ईमान वाले हो।

2:94

قُلْ إِن كَانَتْ لَكُمُ ٱلدَّارُ ٱلْـَٔاخِرَةُ عِندَ ٱللَّهِ خَالِصَةًۭ مِّن دُونِ ٱلنَّاسِ فَتَمَنَّوُا۟ ٱلْمَوْتَ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ

कुल इन्-कानत् लकुमुद्-दारूल्-आख़िरतु अिन्दल्लाहि खालि-सतम् मिन् दुनिन्नासि फ-तमन्नवुल्मौ-त इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
(हे नबी!) आप कह दीजियेः यदि तुम्हारे लिये विशेष है परलोक का घर सारे लोगों को छोड़कर, तो तुम कामना करो मौत की, यदि तुम सत्यवादी हो।

2:95

وَلَن يَتَمَنَّوْهُ أَبَدًۢا بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ ۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌۢ بِٱلظَّـٰلِمِينَ

व लंय्य-तमन्नौहु अ-बदम् बिमा कद्द-मत् ऐदीहिम , वल्लाहु अलीमुम् बिज्जालिमीन
और वे कदापि उसकी कामना नहीं करेंगे, उनके कर्तूतों के कारण और अल्लाह अत्याचारियों से अधिक सूचित है।

2:96

وَلَتَجِدَنَّهُمْ أَحْرَصَ ٱلنَّاسِ عَلَىٰ حَيَوٰةٍۢ وَمِنَ ٱلَّذِينَ أَشْرَكُوا۟ ۚ يَوَدُّ أَحَدُهُمْ لَوْ يُعَمَّرُ أَلْفَ سَنَةٍۢ وَمَا هُوَ بِمُزَحْزِحِهِۦ مِنَ ٱلْعَذَابِ أَن يُعَمَّرَ ۗ وَٱللَّهُ بَصِيرٌۢ بِمَا يَعْمَلُونَ

व ल-तजिदन्नहुम् अहरसन्नासि अला हयातिन् , व मिनल्लज़ी-न अश्रकू यवद्दु अ-हदुहुम् लौ युअम्मरू अल्-फ़ स-नतिन् , वमा हु-व बिमुज़हज़िहिही मिनल-अज़ाबि अंय्युअम्म-र , वल्लाहु बसीरूम् बिमा यअमलून
तुम इन्हें, सबसे बढ़कर जीने का लोभी पाओगे और मिश्रणवादियों से (भी)। इनमें से प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे एक-एक हज़ार वर्ष की आयु मिल जाये। ह़ालाँकि ये (लम्बी) आयु भी उसे यातना से बचा नहीं सकती और अल्लाह देखने वाला है जो वे कर रहे हैं।

2:97

قُلْ مَن كَانَ عَدُوًّۭا لِّجِبْرِيلَ فَإِنَّهُۥ نَزَّلَهُۥ عَلَىٰ قَلْبِكَ بِإِذْنِ ٱللَّهِ مُصَدِّقًۭا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ وَهُدًۭى وَبُشْرَىٰ لِلْمُؤْمِنِينَ

कुल मन् का-न अदुव्वल्लिजिब्री-ल फ़-इन्नहू नज्ज-लहू अला कल्बि-क बि-इज्निल्लाहि मुसद्दिकल्लिमा बै-न यदैहि व हुदंव् व बुश्रा लिल्-मुअ्मिनीन
(हे नबी!)[1] कह दो कि जो व्यक्ति जिब्रील का शत्रु है, (तो रहे)। उसने तो अल्लाह की अनुमति से इस संदेश (क़ुर्आन) को आपके दिल पर उतारा है, जो इससे पूर्व की सभी पुस्तकों का प्रमाणकारी तथा ईमान वालों के लिए मार्गदर्शन एवं (सफलता) का शुभ समाचार है।

2:98

مَن كَانَ عَدُوًّۭا لِّلَّهِ وَمَلَـٰٓئِكَتِهِۦ وَرُسُلِهِۦ وَجِبْرِيلَ وَمِيكَىٰلَ فَإِنَّ ٱللَّهَ عَدُوٌّۭ لِّلْكَـٰفِرِينَ

मन् का-न अदुव्वल्लिल्लाहि व मला-इ-कतिही व रूसुलिही व जिब्री-ल व मीका-ल फ़-इन्नल्ला-ह अदुव्वुल-लिल्काफ़िरीन
जो अल्लाह तथा उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों और जिब्रील तथा मीकाईल का शत्रु हो, तो अल्लाह (उन) काफ़िरों का शत्रु है।[1]

2:99

وَلَقَدْ أَنزَلْنَآ إِلَيْكَ ءَايَـٰتٍۭ بَيِّنَـٰتٍۢ ۖ وَمَا يَكْفُرُ بِهَآ إِلَّا ٱلْفَـٰسِقُونَ

व लकद् अन्जल्ना इलै-क आयातिम् बय्यिनातिन् वमा यक्फुरू बिहा इल्लल्-फ़ासिकून
और (हे नबी!) हमने आप पर खुली आयतें उतारी हैं और इनका इन्कार केवल वही लोग[1] करेंगे, जो कुकर्मी हैं।

2:100

أَوَكُلَّمَا عَـٰهَدُوا۟ عَهْدًۭا نَّبَذَهُۥ فَرِيقٌۭ مِّنْهُم ۚ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ

अ-व कुल्लमा आ-हदू अह्दन् न-ब-ज़हू फ़रीकुम् मिन्हुम , बल अक्सरूहुम् ला युअ्मिनून
क्या ऐसा नहीं हुआ है कि जब कभी उन्होंने कोई वचन दिया, तो उनके एक गिरोह ने उसे भंग कर दिया? बल्कि इनमें बहुतेरे ऐसे हैं, जो ईमान नहीं रखते।

2:101

وَلَمَّا جَآءَهُمْ رَسُولٌۭ مِّنْ عِندِ ٱللَّهِ مُصَدِّقٌۭ لِّمَا مَعَهُمْ نَبَذَ فَرِيقٌۭ مِّنَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ كِتَـٰبَ ٱللَّهِ وَرَآءَ ظُهُورِهِمْ كَأَنَّهُمْ لَا يَعْلَمُونَ

व लम्मा जाअहुम् रसूलुम् मिन् अिन्दिल्लाहि मुसद्दिकुल-लिमा म-अहुम् न-ब-ज़ फरीकुम मिनल्लज़ी-न ऊतुल्-किता-ब किताबल्लाहि वरा-अ जुहूरिहिम् क-अन्नहुम् ला यअ्लमून
तथा जब उनके पास अल्लाह की ओर से एक रसूल, उस पुस्तक का समर्थन करते हुए, जो उनके पास है, आ गया,[1] तो उनके एक समुदाय ने जिनहें पुस्तक दी गयी, अल्लाह की पुस्तक को ऐसे पीछे डाल दिया, जैसे वे कुछ जानते ही न हों।

2:102

وَٱتَّبَعُوا۟ مَا تَتْلُوا۟ ٱلشَّيَـٰطِينُ عَلَىٰ مُلْكِ سُلَيْمَـٰنَ ۖ وَمَا كَفَرَ سُلَيْمَـٰنُ وَلَـٰكِنَّ ٱلشَّيَـٰطِينَ كَفَرُوا۟ يُعَلِّمُونَ ٱلنَّاسَ ٱلسِّحْرَ وَمَآ أُنزِلَ عَلَى ٱلْمَلَكَيْنِ بِبَابِلَ هَـٰرُوتَ وَمَـٰرُوتَ ۚ وَمَا يُعَلِّمَانِ مِنْ أَحَدٍ حَتَّىٰ يَقُولَآ إِنَّمَا نَحْنُ فِتْنَةٌۭ فَلَا تَكْفُرْ ۖ فَيَتَعَلَّمُونَ مِنْهُمَا مَا يُفَرِّقُونَ بِهِۦ بَيْنَ ٱلْمَرْءِ وَزَوْجِهِۦ ۚ وَمَا هُم بِضَآرِّينَ بِهِۦ مِنْ أَحَدٍ إِلَّا بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۚ وَيَتَعَلَّمُونَ مَا يَضُرُّهُمْ وَلَا يَنفَعُهُمْ ۚ وَلَقَدْ عَلِمُوا۟ لَمَنِ ٱشْتَرَىٰهُ مَا لَهُۥ فِى ٱلْـَٔاخِرَةِ مِنْ خَلَـٰقٍۢ ۚ وَلَبِئْسَ مَا شَرَوْا۟ بِهِۦٓ أَنفُسَهُمْ ۚ لَوْ كَانُوا۟ يَعْلَمُونَ

वत्त-बअू मा तत्लुश्शयातीनु अ़ला मुल्कि सुलैमा-न वमा क-फ़-र सुलैमानु व लाकिन्नश्शयाती-न क-फरू युअल्-लि-मूनन्-नासस्-सिह-र , वमा उन्ज़ि-ल अलल् म-ल-कैनि बिबाबि-ल हारू-त व मारू-त , वमा युअल्लिमानि मिन् अ-हदिन् हत्ता यकूला इन्नमा नह्नू फ़ित्नतुन् फ़ला तक्फुर , फ़-य-तअल्लमू-न मिन्हुमा मा युफ़र्रिकू-न बिही बैनल-मरइ व जौजिही , वमा हुम् बिज़ार्री-न बिही मिन् अ-हदिन इल्ला बि-इज्निल्लाहि , व य-तअल्लमू-न मा यजुर्रूहुम् वला यन्फ़अुहुम , व लकद् अलिमू ल-मनिश्तराहु मा लहू फ़िल्आख़िरति मिन् खलाकिन् , व लबिअ्-स मा शरौ बिही अन्फु-सहुम , लौ कानू यअलमून
तथा सुलैमान के राज्य में शैतान जो मिथ्या बातें बना रहे थे, उनका अनुसरण करने लगे। जबकि सुलैमान ने कभी कुफ़्र (जादू) नहीं किया, परन्तु कुफ़्र तो शैतानों ने किया, जो लोगों को जादू सिखा रहे थे तथा वे उन बातों का (अनुसरण करने लगे) जो बाबिल (नगर) के दो फ़रिश्तों; हारूत और मारूत पर उतारी गयीं, जबकि वे दोनों किसी को जादू नहीं सिखाते, जब तक ये न कह देते कि हम केवल एक परीक्षा हैं, अतः, तू कुफ़्र में न पड़। फिर भी वे उन दोनों से वो चीज़ सीखते, जिसके द्वारा वे पति और पत्नी के बीच जुदाई डाल दें और वे अल्लाह की अनुमति बिना इसके द्वारा किसी को कोई हानि नहीं पहुँचा सकते थे, परन्तु फिर भी ऐसी बातें सीखते थे, जो उनके लिए हानिकारक हों और लाभकारी न हों और वे भली-भाँति जानते थे कि जो इसका ख़रीदार बना, परलोक में उसका कोई भाग नहीं तथा कितना बुरा उपभोग्य है, जिसके बदले वे अपने प्राणों का सौदा कर रहे हैं[1], यदि वे जानते होते!

2:103

وَلَوْ أَنَّهُمْ ءَامَنُوا۟ وَٱتَّقَوْا۟ لَمَثُوبَةٌۭ مِّنْ عِندِ ٱللَّهِ خَيْرٌۭ ۖ لَّوْ كَانُوا۟ يَعْلَمُونَ

व लौ अन्नहुम् आमनू वत्तकौ ल-मसू-बतुम् मिन् अिन्दिल्लाहि खैरून् , लौ कानू यअ्लमून
और यदि वे ईमान लाते और अल्लाह से डरते, तो अल्लाह के पास इसका जो प्रतिकार (बदला) मिलता, वह उनके लिए उत्तम होता, यदि वे जानते होते।

2:104

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَا تَقُولُوا۟ رَٰعِنَا وَقُولُوا۟ ٱنظُرْنَا وَٱسْمَعُوا۟ ۗ وَلِلْكَـٰفِرِينَ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तकूलू राअिना व कूलुन्जुर्ना वस्मअू , व लिल्काफ़िरी-न अज़ाबुन अलीम
हे ईमान वालो! तुम ‘राइना’[1] न कहो, ‘उन्ज़ुरना’ कहो और ध्यान से बात सुनो तथा काफ़िरों के लिए दुखदायी यातना है।

2:105

مَّا يَوَدُّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ وَلَا ٱلْمُشْرِكِينَ أَن يُنَزَّلَ عَلَيْكُم مِّنْ خَيْرٍۢ مِّن رَّبِّكُمْ ۗ وَٱللَّهُ يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهِۦ مَن يَشَآءُ ۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلْفَضْلِ ٱلْعَظِيمِ

मा यवद्दुल्लज़ी-न क-फरू मिन अहलिल्-किताबि व ललमुश्रिकी-न अंय्यु नज्ज़-ल अलैकुम् मिन् खैरिम्-मिर्रब्बिकुम , वल्लाहु यख़्तस्सु बिरहमतिहि मंय्यशा-उ , वल्लाहु जुलफ़ज्लिल-अज़ीम
अह्ले किताब में से जो काफ़िर हो गये तथा जो मिश्रणवादी हो गये, वे नहीं चाहते कि तुम्हारे पालनहार की ओर से तुमपर कोई भलाई उतारी जाये और अल्लाह जिसपर चाहे, अपनी विशेष दया करता है और अल्लाह बड़ा दानशील है।

2:106

مَا نَنْسَخْ مِنْ اٰيَةٍ اَوْ نُنْسِهَا نَأْتِ بِخَيْرٍ مِّنْهَآ اَوْ مِثْلِهَا ۗ اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ

मा नन्सखू मिन् आयतिन् औ नुन्सिहा नअ्ति बिखैरिम् मिन्हा औ मिस्लिहा , अलम् तअ्लम् अन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन् क़दीर
हम अपनी कोई आयत निरस्त कर देते अथवा भुला देते हैं, तो उससे उत्तम अथवा उसके समान लाते हैं। क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह जो चाहे[1], कर सकता है?

2:107

أَلَمْ تَعْلَمْ أَنَّ ٱللَّهَ لَهُۥ مُلْكُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۗ وَمَا لَكُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ مِن وَلِىٍّۢ وَلَا نَصِيرٍ

अलम् तअ्लम् अन्नल्ला-ह लहू मुल्कुस्समावाति वल्अर्ज़ि , वमा लकुम् मिन् दुनिल्लाहि मिंव्वलिय्यिंव वला नसीर
क्या तुम ये नहीं जानते कि आकाशों तथा धरती का राज्य अल्लाह ही के लिए है और उसके सिवा तुम्हारा कोई रक्षक और सहायक नहीं है?

2:108

أَمْ تُرِيدُونَ أَن تَسْـَٔلُوا۟ رَسُولَكُمْ كَمَا سُئِلَ مُوسَىٰ مِن قَبْلُ ۗ وَمَن يَتَبَدَّلِ ٱلْكُفْرَ بِٱلْإِيمَـٰنِ فَقَدْ ضَلَّ سَوَآءَ ٱلسَّبِيلِ

अम् तुरीदू-न अन् तस्अलू रसूलकुम् कमा सुइ-ल मूसा मिन् कब्लु , वमंय्-य-तबद्दलिल-कुफ्-र बिल्ईमानि फ़-कद् ज़ल-ल सवाअस्सबील
क्या तुम चाहते हो कि अपने रसुल से उसी प्रकार प्रश्न करो, जैसे मूसा से प्रश्न किये जाते रहे? और जो व्यक्ति ईमान की नीति को कुफ़्र से बदल लेगा, तो वह सीधी डगर से विचलित हो गया।

2:109

وَدَّ كَثِيرٌۭ مِّنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ لَوْ يَرُدُّونَكُم مِّنۢ بَعْدِ إِيمَـٰنِكُمْ كُفَّارًا حَسَدًۭا مِّنْ عِندِ أَنفُسِهِم مِّنۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمُ ٱلْحَقُّ ۖ فَٱعْفُوا۟ وَٱصْفَحُوا۟ حَتَّىٰ يَأْتِىَ ٱللَّهُ بِأَمْرِهِۦٓ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ

वद्-द कसीरूम मिन् अहलिल-किताबि लौ यरूद्दूनकुम् मिम्-बअदि ईमानिकुम् कुफ्फारन् ह-सदम् मिन् अिन्दि अन्फुसिहिम् मिम्-बअ्दि मा तबय्य-न लहुमुल-हक्कु फ़अफू वस्फ़हू हत्ता यअ्तियल्लाहु बिअमरिही , इन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन् क़दीर 
अहले किताब में से बहुत-से चाहते हैं कि तुम्हारे ईमान लाने के पश्चात् अपने द्वेष के कारण तुम्हें कुफ़्र की ओर फेंक दें। जबकि सत्य उनके लिए उजागर हो गया। फिर भी तुम क्षमा से काम लो और जाने दो। यहाँ तक कि अल्लाह अपना निर्णय कर दे। निश्चय अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।

2:110

وَأَقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُوا۟ ٱلزَّكَوٰةَ ۚ وَمَا تُقَدِّمُوا۟ لِأَنفُسِكُم مِّنْ خَيْرٍۢ تَجِدُوهُ عِندَ ٱللَّهِ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌۭ

व अक़ीमुस्सला-त व आतुज्जका-त , वमा तुकद्दिमू लिअन्फुसिकुम मिन् खैरिन् तजिदूहु अिन्दल्लाहि , इन्नल्ला-ह बिमा तअ्मलू-न बसीर
तथा तुम नमाज़ की स्थापना करो और ज़कात दो और जो भी भलाई अपने लिए किये रहोगे, उसे अल्लाह के यहाँ पाओगे। तुम जो कुछ कर रहे हो, अल्लाह उसे देख रहा है।

2:111

وَقَالُوا۟ لَن يَدْخُلَ ٱلْجَنَّةَ إِلَّا مَن كَانَ هُودًا أَوْ نَصَـٰرَىٰ ۗ تِلْكَ أَمَانِيُّهُمْ ۗ قُلْ هَاتُوا۟ بُرْهَـٰنَكُمْ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ

व कालू लंय्यदखुलल जन्न-त इल्ला मन् का-न हूदन् औ नसारा , तिल-क अमानिय्युहुम , कुल हातू बुरहानकुम् इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
तथा उन्होंने कहा कि कोई स्वर्ग में कदापि नहीं जायेगा, जब तक यहूदी अथवा नसारा[1] (ईसाई) न हो। ये उनकी कामनायें हैं। उनसे कहो कि यदि तुम सत्यवादी हो, तो कोई प्रमाण प्रस्तुत करो।

2:112

بَلَىٰ مَنْ أَسْلَمَ وَجْهَهُۥ لِلَّهِ وَهُوَ مُحْسِنٌۭ فَلَهُۥٓ أَجْرُهُۥ عِندَ رَبِّهِۦ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ

बला , मन् अस्ल-म वज्हहू लिल्लाहि व हु-व मुह्सिनुन् फ़-लहू अज्रूहू अिन्-द रब्बिही वला ख़ौफुन अलैहिम व ला हुम् यह्ज़नून
क्यों नहीं?[1] जो भी स्वयं को अल्लाह की आज्ञा पालन के लिए समर्पित कर देगा तथा सदाचारी होगा, तो उसके पालनहार के पास उसका प्रतिफल है और उनपर कोई भय नहीं होगा और न वे उदासीन होंगे।

2:113

وَقَالَتِ ٱلْيَهُودُ لَيْسَتِ ٱلنَّصَـٰرَىٰ عَلَىٰ شَىْءٍۢ وَقَالَتِ ٱلنَّصَـٰرَىٰ لَيْسَتِ ٱلْيَهُودُ عَلَىٰ شَىْءٍۢ وَهُمْ يَتْلُونَ ٱلْكِتَـٰبَ ۗ كَذَٰلِكَ قَالَ ٱلَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ مِثْلَ قَوْلِهِمْ ۚ فَٱللَّهُ يَحْكُمُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ فِيمَا كَانُوا۟ فِيهِ يَخْتَلِفُونَ

व कालतिल यहूदु लैसतिन्नसारा अला शैइवं व कालतिन्नसारा लैसतिल यहूदु अला शैइंव व हुम् यतलूनल्किता-ब , कज़ालि-क कालल्लज़ी-न ला यअलमू-न मिस्-ल कौलिहिम् फ़ल्लाहु यह्कुमु बैनहुम् यौमल-कियामति फ़ीमा कानू फ़ीहि यख़्तलिफून
तथा यहूदियों ने कहा कि ईसाईयों के पास कुछ नहीं और ईसाईयों ने कहा कि यहूदियों के पास कुछ नहीं है। जबकि वे धर्म पुस्तक[1] पढ़ते हैं। इसी जैसी बात उन्होंने भी कही, जिनके पास धर्म पुस्तक का कोई ज्ञान[2] नहीं। ये जिस विषय में विभेद कर रहे हैं, उसका निर्णय अल्लाह प्रलय के दिन उनके बीच कर देगा।

2:114

وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن مَّنَعَ مَسَـٰجِدَ ٱللَّهِ أَن يُذْكَرَ فِيهَا ٱسْمُهُۥ وَسَعَىٰ فِى خَرَابِهَآ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ مَا كَانَ لَهُمْ أَن يَدْخُلُوهَآ إِلَّا خَآئِفِينَ ۚ لَهُمْ فِى ٱلدُّنْيَا خِزْىٌۭ وَلَهُمْ فِى ٱلْـَٔاخِرَةِ عَذَابٌ عَظِيمٌۭ

व मन् अज्लमु मिम्मम्-म-न-अ मसाजिदल्लाहि अंय्युज्क-र फ़ीहस्मुहू व-सआ फी खराबिहा , उलाइ-क मा-का-न लहुम् अय्यद्खुलूहा इल्ला ख़ा-इफ़ी-न , लहुम् फ़िद्दुन्या खिज्युंव व-लहुम् फ़िल् आखिरति अ़ज़ाबुन अज़ीम
और उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह की मस्जिदों में उसके नाम का वर्णन करने से रोके और उन्हें उजाड़ने का प्रयत्न करे?[1] उन्हीं के लिए योग्य है कि उसमें डरते हुए प्रवेश करें, उन्हीं के लिए संसार में अपमान है और उन्हीं के लिए आख़िरत (परलोक) में घोर यातना है।

2:115

وَلِلَّهِ ٱلْمَشْرِقُ وَٱلْمَغْرِبُ ۚ فَأَيْنَمَا تُوَلُّوا۟ فَثَمَّ وَجْهُ ٱللَّهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ وَٰسِعٌ عَلِيمٌۭ

व लिल्लाहिल् मश्रिकु वल्-मग्रिबु फ़-अैनमा तुवल्लू फ़-सम्-म वज्हुल्लाहि , इन्नल्ला-ह वासिअन् अलीम
तथा पूर्व और पश्चिम अल्लाह ही के हैं; तुम जिधर भी मुख करो[1], उधर ही अल्लाह का मुख है और अल्लाह विशाल अति ज्ञानी है।

2:116

وَقَالُوا۟ ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ وَلَدًۭا ۗ سُبْحَـٰنَهُۥ ۖ بَل لَّهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ كُلٌّۭ لَّهُۥ قَـٰنِتُونَ

व कालुत्-तख़ज़ल्लाहु व लदन सुब्हानहू , बल-लहू मा फिस्समावाति वल्अर्जि , कुल्लुल्लहू कानितून
तथा उन्होंने कहा[1] कि अल्लाह ने कोई संतान बना ली। वह इससे पवित्र है। आकाशों तथा धरती में जो भी है, वह उसी का है और सब उसी के आज्ञाकारी हैं।

2:117

بَدِيعُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ وَإِذَا قَضَىٰٓ أَمْرًۭا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ

बदीअुस्समावाति वलअर्जि , व इज़ा कज़ा अम्रन् फ़-इन्नमा यकूलु लहू कुन् फ़-यकून
वह आकाशों तथा धरती का अविष्कारक है। जब वह किसी बात का निर्णय कर लेता है, तो उसके लिए बस ये आदेश देता है कि “हो जा।” और वह हो जाती है।

2:118

وَقَالَ ٱلَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ لَوْلَا يُكَلِّمُنَا ٱللَّهُ أَوْ تَأْتِينَآ ءَايَةٌۭ ۗ كَذَٰلِكَ قَالَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِم مِّثْلَ قَوْلِهِمْ ۘ تَشَـٰبَهَتْ قُلُوبُهُمْ ۗ قَدْ بَيَّنَّا ٱلْـَٔايَـٰتِ لِقَوْمٍۢ يُوقِنُونَ

व कालल्लज़ी-न ला यअलमू-न लौ ला युकल्लिमुनल्लाहु औ तअतीना आयतुन् , कज़ालि-क कालल्लज़ी-न मिन् कब्लिहिम् मिस्-ल कौलिहिम् , तशा-बहत् कुलू बुहुम , कद् बय्यन्नल – आयाति लिकौमिंय्यूकिनून
तथा उन्होंने कहा जो ज्ञान[1] नहीं रखते कि अल्लाह हमसे बात क्यों नहीं करता या हमारे पास कोई आयत क्यों नहीं आती? इसी प्रकार की बात इनसे पूर्व के लोगों ने कही थी। इनके दिल एक समान हो गये। हमने उनके लिए निशानियाँ उजागर कर दी हैं, जो विश्वास रखते हैं।

2:119

إِنَّآ أَرْسَلْنَـٰكَ بِٱلْحَقِّ بَشِيرًۭا وَنَذِيرًۭا ۖ وَلَا تُسْـَٔلُ عَنْ أَصْحَـٰبِ ٱلْجَحِيمِ

इन्ना अरसल्ना-क बिल्हक्कि बशीरंव व-नज़ीरंव वला तुस्अलु अन् अस्हाबिल जहीम
(हे नबी!) हमने आपको सत्य के साथ शुभ सूचना देने तथा सावधान[1] करने वाला बनाकर भेजा है और आपसे नारकियों के विषय में प्रश्न नहीं किया जायेगा।

2:120

وَلَن تَرْضَىٰ عَنكَ ٱلْيَهُودُ وَلَا ٱلنَّصَـٰرَىٰ حَتَّىٰ تَتَّبِعَ مِلَّتَهُمْ ۗ قُلْ إِنَّ هُدَى ٱللَّهِ هُوَ ٱلْهُدَىٰ ۗ وَلَئِنِ ٱتَّبَعْتَ أَهْوَآءَهُم بَعْدَ ٱلَّذِى جَآءَكَ مِنَ ٱلْعِلْمِ ۙ مَا لَكَ مِنَ ٱللَّهِ مِن وَلِىٍّۢ وَلَا نَصِيرٍ

व लन् तर्जा अन्कल्-यहूदु व लन्-नसारा हत्ता तत्तबि-अ मिल्ल-तहुम , कुल इन्-न हुदल्लाहि हुवल्-हुदा , व-ल-इनित्त-बअ-त अहवा-अहुम् बअ्दल्लज़ी जाअ-क मिनल-अिल्मि मा ल-क मिनल्लाहि मिव्वलिय्यिंव वला नसीर
(हे नबी!) आपसे यहूदी तथा ईसाई सहमत (प्रसन्न) नहीं होंगे, जब तक आप उनकी रीति पर न चलें। कह दो कि सीधी डगर वही है, जो अल्लाह ने बताई है और यदि आपने उनकी आकांक्षाओं का अनुसरण किया, इसके पश्चात कि आपके पास ज्ञान आ गया, तो अल्लाह (की पकड़) से आपका कोई रक्षक और सहायक नहीं होगा।

2:121

ٱلَّذِينَ ءَاتَيْنَـٰهُمُ ٱلْكِتَـٰبَ يَتْلُونَهُۥ حَقَّ تِلَاوَتِهِۦٓ أُو۟لَـٰٓئِكَ يُؤْمِنُونَ بِهِۦ ۗ وَمَن يَكْفُرْ بِهِۦ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْخَـٰسِرُونَ

अल्लज़ी-न आतैनाहुमुल्-किता-ब यत्लूनहू हक्-क तिलावतिही , उलाइ-क युअ्मिनू-न बिही , व मंय्यक्फुर बिही फ़-उलाइ-क हुमुल ख़ासिरून
और हमने जिन्हें पुस्तक प्रदान की है और उसे वैसे पढ़ते हैं, जैसे पढ़ना चाहिये, वही उसपर ईमान रखते हैं और जो उसे नकारते हैं, वही क्षतिग्रस्तों में से हैं।

2:122

يَـٰبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٱذْكُرُوا۟ نِعْمَتِىَ ٱلَّتِىٓ أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَنِّى فَضَّلْتُكُمْ عَلَى ٱلْعَـٰلَمِينَ

या बनी इस्-राई लज्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व अन्नी फज्ज़ल्तुकुम् अलल आलमीन
हे बनी इस्राईल! मेरे उस पुरस्कार को याद करो, जो मैंने तुमपर किया है और ये कि तुम्हें (अपने युग के) संसार-वसियों पर प्रधानता दी थी।

2:123

وَٱتَّقُوا۟ يَوْمًۭا لَّا تَجْزِى نَفْسٌ عَن نَّفْسٍۢ شَيْـًۭٔا وَلَا يُقْبَلُ مِنْهَا عَدْلٌۭ وَلَا تَنفَعُهَا شَفَـٰعَةٌۭ وَلَا هُمْ يُنصَرُونَ

वत्तकू यौमल्ला-तज्ज़ी नफ़्सुन् अन्नफसिन् शैअंव वला युक्बलु मिन्हा अदलुंव वला तन्फ़अुहा शफाअतुंव वला हुम् युन्सरून
तथा उस दिन से डरो, जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के कुछ काम नहीं आयेगा और न उससे कोई अर्थदण्ड स्वीकार किया जायेगा और न उसे कोई अनुशंसा (सिफ़ारिश) लाभ पहुँचायेगी और न उनकी कोई सहायता की जायेगी।

2:124

وَاِذِ ابْتَلٰٓى اِبْرٰهٖمَ رَبُّهٗ بِكَلِمٰتٍ فَاَتَمَّهُنَّ ۗ قَالَ اِنِّيْ جَاعِلُكَ لِلنَّاسِ اِمَامًا ۗ قَالَ وَمِنْ ذُرِّيَّتِيْ ۗ قَالَ لَا يَنَالُ عَهْدِى الظّٰلِمِيْنَ

व इज़िब्तला इब्राही-म रब्बुहू बि-कलिमातिन् फ़-अ-तम्म- हुन्-न , का-ल इन्नी जाअिलु-क लिन्नासि इमामन् , का-ल व मिन् जुर्रिय्यती , का-ल ला यनालु अह्दिज्-ज़ालिमीन
और (याद करो) जब इब्राहीम की उसके पालनहार ने कुछ बातों से परीक्षा ली और वह उसमें पूरा उतरा, तो उसने कहा कि मैं तुम्हें सब इन्सानों का इमाम (धर्मगुरु) बनाने वाला हूँ। (इब्राहीम ने) कहाः तथा मेरी संतान से भी। (अल्लाह ने कहाः) मेरा वचन उनके लिए नहीं, जो अत्याचारी[1] हैं।

2:125

وَإِذْ جَعَلْنَا ٱلْبَيْتَ مَثَابَةًۭ لِّلنَّاسِ وَأَمْنًۭا وَٱتَّخِذُوا۟ مِن مَّقَامِ إِبْرَٰهِـۧمَ مُصَلًّۭى ۖ وَعَهِدْنَآ إِلَىٰٓ إِبْرَٰهِـۧمَ وَإِسْمَـٰعِيلَ أَن طَهِّرَا بَيْتِىَ لِلطَّآئِفِينَ وَٱلْعَـٰكِفِينَ وَٱلرُّكَّعِ ٱلسُّجُودِ

व इज् जअल्-नल्-बै-त मसा-बतल् लिन्नासि व अमनन् , वत्तखिजू मिम् मक़ामि इब्राही-म मुसल्लन् , व अहिद्ना इला इब्राही-म व इस्माअी-ल अन् तह्हिरा बैति-य लित्ता-इफ़ी-न वल् आकिफ़ी-न वर्रूक्क-अिस्सुजूद
और (याद करो) जब हमने इस घर (अर्थातःकाबा) को लोगों के लिए बार-बार आने का केंद्र तथा शांति स्थल निर्धारित कर दिया तथा ये आदेश दे दिया कि ‘मक़ामे इब्राहीम’ को नमाज़ का स्थान[1] बना लो तथा इब्राहीम और इस्माईल को आदेश दिया कि मेरे घर को तवाफ़ (परिक्रमा) तथा एतिकाफ़[2] करने वालों और सज्दा तथा रुकू करने वालों के लिए पवित्र रखो।

2:126

وَإِذْ قَالَ إِبْرَٰهِـۧمُ رَبِّ ٱجْعَلْ هَـٰذَا بَلَدًا ءَامِنًۭا وَٱرْزُقْ أَهْلَهُۥ مِنَ ٱلثَّمَرَٰتِ مَنْ ءَامَنَ مِنْهُم بِٱللَّهِ وَٱلْيَوْمِ ٱلْـَٔاخِرِ ۖ قَالَ وَمَن كَفَرَ فَأُمَتِّعُهُۥ قَلِيلًۭا ثُمَّ أَضْطَرُّهُۥٓ إِلَىٰ عَذَابِ ٱلنَّارِ ۖ وَبِئْسَ ٱلْمَصِيرُ

व इज् का-ल इब्राहीमु रब्बिज्अ़ल हाज़ा ब-लदन् आमिनंव्-वरज़ुक् अहलहू मिनस्-स-मराति मन् आम-न मिन्हुम् बिल्लाहि वलयौमिल आखिरि , का-ल वमन् क-फ-र फ़-उमत्तिअु़हू कलीलन सुम्-म अज्तरर्रूहू इला अज़ाबिन्नारि , व बिअसल्-मसीर
और (याद करो) जब इब्राहीम ने अपने पालनहार से प्रार्थना कीः हे मेरे पालनहार! इस छेत्र को शांति का नगर बना दे तथा इसके वासियों को, जो उनमें से अल्लाह और अंतिम दिन (प्रलय) पर ईमान रखे, विभिन्न प्रकार की उपज (फलों) से आजीविका प्रदान कर। (अल्लाह ने) कहाः तथा जो काफ़िर है, उसे भी मैं थोड़ा लाभ दूंगा, फिर उसे नरक की यातना की ओर बाध्य कर दूँगा और वह बहुत बुरा स्थान है।

2:127

وَإِذْ يَرْفَعُ إِبْرَٰهِـۧمُ ٱلْقَوَاعِدَ مِنَ ٱلْبَيْتِ وَإِسْمَـٰعِيلُ رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّآ ۖ إِنَّكَ أَنتَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ

व इज् यरफ़अु़ इब्राहीमुल् कवाअि-द् मिनल बैति व इस्माअीलु , रब्बना तकब्बल मिन्ना , इन्न-क अन्तस्समीअुल-अलीम
और (याद करो) जब इब्राहीम और इस्माईल इस घर की नींव ऊँची कर रहे थे तथा प्रार्थना कर रहे थेः हे हमारे पालनहार! हमसे ये सेवा स्वीकार कर ले। तू ही सब कुछ सुनता और जानता है।

2:128

رَبَّنَا وَٱجْعَلْنَا مُسْلِمَيْنِ لَكَ وَمِن ذُرِّيَّتِنَآ أُمَّةًۭ مُّسْلِمَةًۭ لَّكَ وَأَرِنَا مَنَاسِكَنَا وَتُبْ عَلَيْنَآ ۖ إِنَّكَ أَنتَ ٱلتَّوَّابُ ٱلرَّحِيمُ

रब्बना वज्अल्ना मुस्लिमैनि ल-क व मिन् जुर्रिय्यतिना उम्मतम् मुस्लि-मतल ल-क व अरिना मनासि-क-ना व तुब् अलैना इन्न-क अन्तत्तव्वाबुर्-रहीम
हे हमारे पालनहार! हम दोनों को अपना आज्ञाकारी बना तथा हमारी संतान से एक ऐसा समुदाय बना दे, जो तेरा आज्ञाकारी हो और हमें हमारे (हज्ज की) विधियाँ बता दे तथा हमें क्षमा कर। वास्तव में, तू अति क्षमी, दयावान् है।

2:129

رَبَّنَا وَٱبْعَثْ فِيهِمْ رَسُولًۭا مِّنْهُمْ يَتْلُوا۟ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتِكَ وَيُعَلِّمُهُمُ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْحِكْمَةَ وَيُزَكِّيهِمْ ۚ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ

रब्बना वब्अस् फ़ीहिम् रसूलम् मिन्हुम यत्लू अलैहिम् आयाति-क व युअल्लिमुहुमुल-किता-ब वल-हिक्म-त व-युज़क्कीहिम , इन्न-क अन्तल अज़ीजुल-हकीम
हे हमारे पालनहार! उनके बीच उन्हीं में से एक रसूल भेज, जो उन्हें तेरी आयतें सुनाये और उन्हें पुस्तक (क़ुर्आन) तथा ह़िक्मत (सुन्नत) की शिक्षा दे और उन्हें शुध्द तथा आज्ञाकारी बना दे। वास्तव में, तू ही प्रभुत्वशाली तत्वज्ञ[1] है।

2:130

وَمَن يَرْغَبُ عَن مِّلَّةِ إِبْرَٰهِـۧمَ إِلَّا مَن سَفِهَ نَفْسَهُۥ ۚ وَلَقَدِ ٱصْطَفَيْنَـٰهُ فِى ٱلدُّنْيَا ۖ وَإِنَّهُۥ فِى ٱلْـَٔاخِرَةِ لَمِنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ

व मंय्यरगबु अम्-मिल्लति इब्राही-म इल्ला मन् सफ़ि-ह नफ्सहू , व-ल-कदिस्तफैनाहु फिद्दुन्या व इन्नहू फ़िल-आखिरति लमिनस्सालिहीन
तथा कौन होगा, जो ईब्राहीम के धर्म से विमुख हो जाये, परन्तु वही जो स्वयं को मूर्ख बना ले? जबकि हमने उसे संसार में चुन[1] लिया तथा आख़िरत (परलोक) में उसकी गणना सदाचारियों में होगी।

2:131

إِذْ قَالَ لَهُۥ رَبُّهُۥٓ أَسْلِمْ ۖ قَالَ أَسْلَمْتُ لِرَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

इज़ का-ल लहू रब्बुहू असलिम् का-ल अस्लम्तु लि-रब्बिल् आलमीन
तथा (याद करो) जब उसके पालनहार ने उससे कहाः मेरा आज्ञाकारी हो जा। तो उसने तुरन्त कहाः मैं विश्व के पालनहार का आज्ञाकारी हो गया।

2:132

وَوَصَّىٰ بِهَآ إِبْرَٰهِـۧمُ بَنِيهِ وَيَعْقُوبُ يَـٰبَنِىَّ إِنَّ ٱللَّهَ ٱصْطَفَىٰ لَكُمُ ٱلدِّينَ فَلَا تَمُوتُنَّ إِلَّا وَأَنتُم مُّسْلِمُونَ

व वस्सा बिहा इब्राहीमु बनीहि व यअकूबु , या बनिय्-य इन्नल्लाहस्तफ़ा लकुमुद्दी-न फ़ला तमूतुन्-न इल्ला व अन्तुम् मुस्लिमून
तथा इब्राहीम ने अपने पुत्रों को तथा याक़ूब ने, इसी बात पर बल दिया कि हे मेरे पुत्रो! अल्लाह ने तुम्हारे लिए ये धर्म (इस्लाम) निर्वाचित कर दिया है। अतः मरते समय तक तुम इसी पर स्थिर रहना।

2:133

أَمْ كُنتُمْ شُهَدَآءَ إِذْ حَضَرَ يَعْقُوبَ ٱلْمَوْتُ إِذْ قَالَ لِبَنِيهِ مَا تَعْبُدُونَ مِنۢ بَعْدِى قَالُوا۟ نَعْبُدُ إِلَـٰهَكَ وَإِلَـٰهَ ءَابَآئِكَ إِبْرَٰهِـۧمَ وَإِسْمَـٰعِيلَ وَإِسْحَـٰقَ إِلَـٰهًۭا وَٰحِدًۭا وَنَحْنُ لَهُۥ مُسْلِمُونَ

अम् कुन्तुम् शु-हदा-अ इज् ह-ज़-र यअकूबल-मौतु इज़् का-ल लि-बनीहि मा तअबुदू-न मिम्-बअ्दी , कालू नअ्बुदु इलाह-क व इला-ह आबाइ-क इब्राही-म व इस्माअी़-ल व इसहा-क इलाहंव्-वाहिदंव-व नह्नु लहू मुस्लिमून
क्या तुम याक़ूब के मरने के समय उपस्थित थे; जब याक़ूब ने अपने पुत्रों से कहाः मेरी मृत्यु के पश्चात् तुम किसकी इबादत (वंदना) करोगे? उन्होंने कहाः हम तेरे तथा तेरे पिता इब्राहीम और इस्माईल तथा इस्ह़ाक़ के एकमात्र पूज्य की इबादत (वंदना) करेंगे और उसी के आज्ञाकारी रहेंगे।

2:134

تِلْكَ أُمَّةٌۭ قَدْ خَلَتْ ۖ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُم مَّا كَسَبْتُمْ ۖ وَلَا تُسْـَٔلُونَ عَمَّا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

तिल-क उम्मतुन् कद् ख़लत् लहा मा क-सबत् व लकुम् मा क-सब्तुम् व ला तुस्अ्लू-न अम्मा कानू यअ्मलून
ये एक समुदाय था, जो जा चुका। उन्होंने जो कर्म किये, वे उनके लिए हैं तथा जो तुमने किये, वे तुम्हारे लिए और उनके किये का प्रश्न तुमसे नहीं किया जायेगा।

2:135

وَقَالُوا۟ كُونُوا۟ هُودًا أَوْ نَصَـٰرَىٰ تَهْتَدُوا۟ ۗ قُلْ بَلْ مِلَّةَ إِبْرَٰهِـۧمَ حَنِيفًۭا ۖ وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ

व कालू कूनू हूदन् औ नसारा तह्तदू , कुल बल मिल्ल-त इब्राही-म हनीफ़न् , व मा का-न मिनल् – मुश्रिकीन
और वे कहते हैं कि यहूदी हो जाओ अथवा ईसाई हो जाओ, तुम्हें मार्गदर्शन मिल जायेगा। आप कह दें, नहीं! हम तो एकेश्वरवादी इब्राहीम के धर्म पर हैं और वह मिश्रणवादियों में से नहीं था।

2:136

قُولُوٓا۟ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَمَآ أُنزِلَ إِلَيْنَا وَمَآ أُنزِلَ إِلَىٰٓ إِبْرَٰهِـۧمَ وَإِسْمَـٰعِيلَ وَإِسْحَـٰقَ وَيَعْقُوبَ وَٱلْأَسْبَاطِ وَمَآ أُوتِىَ مُوسَىٰ وَعِيسَىٰ وَمَآ أُوتِىَ ٱلنَّبِيُّونَ مِن رَّبِّهِمْ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍۢ مِّنْهُمْ وَنَحْنُ لَهُۥ مُسْلِمُونَ

कूलू आमन्ना बिल्लाहि वमा उन्जि-ल इलैना वमा उन्ज़ि-ल इला इब्राही-म व इस्माअी-ल व इस्हा-क व यअकू-ब वल-अस्बाति वमा ऊति-य मूसा व अीसा वमा ऊतियन्नबिय्यू-न मिर्रब्बिहिम् ला नुफ़र्रिकु बै-न अ-हदिम्-मिन्हुम् व नह्नु लहू मुस्लिमून
(हे मुसलमानो!) तुम सब कहो कि हम अल्लाह पर ईमान लाये तथा उसपर जो (क़ुर्आन) हमारी ओर उतारा गया और उसपर जो इब्राहीम, इस्माईल, इस्ह़ाक़, याक़ूब तथा उनकी संतान की ओर उतारा गया और जो मूसा तथा ईसा को दिया गया तथा जो दूसरे नबियों को, उनके पालनहार की ओर से दिया गया। हम इनमें से किसी के बीच अन्तर नहीं करते और हम उसी के आज्ञाकारी हैं।

2:137

فَإِنْ ءَامَنُوا۟ بِمِثْلِ مَآ ءَامَنتُم بِهِۦ فَقَدِ ٱهْتَدَوا۟ ۖ وَّإِن تَوَلَّوْا۟ فَإِنَّمَا هُمْ فِى شِقَاقٍۢ ۖ فَسَيَكْفِيكَهُمُ ٱللَّهُ ۚ وَهُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ

फ़-इन् आमनू बिमिस्लि मा आमन्तुम् बिही फ़-कदिहतदौ व इन तवल्लौ फ-इन्नमा हुम् फ़ी शिकाकिन् फ़-स-यक्फी-कहुमुल्लाहु व-हुवस्समीअुल अलीम
तो यदि वे तुम्हारे ही समान ईमान ले आयें, तो वे मार्गदर्शन पा लेंगे और यदि विमुख हों, तो वे विरोध में लीन हैं। उनके विरुध्द तुम्हारे लिए अल्लाह बस है और वह सब सुनने वाला और जानने वाला है।

2:138

صِبْغَةَ ٱللَّهِ ۖ وَمَنْ أَحْسَنُ مِنَ ٱللَّهِ صِبْغَةًۭ ۖ وَنَحْنُ لَهُۥ عَـٰبِدُونَ

सिब-गतल्लाहि व मन् अहसनु मिनल्लाहि सिब-गतंव व नह्नु लहू आबिदून
तुम सब अल्लाह के रंग[1] (स्वभाविक धर्म) को ग्रहण कर लो और अल्लाह के रंग से अच्छा किसका रंग होगा? हम तो उसी की इबादत (वंदना) करते हैं।

2:139

قُلْ أَتُحَآجُّونَنَا فِى ٱللَّهِ وَهُوَ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ وَلَنَآ أَعْمَـٰلُنَا وَلَكُمْ أَعْمَـٰلُكُمْ وَنَحْنُ لَهُۥ مُخْلِصُونَ

कुल अतुहाज्जू-नना फ़िल्लाहि व हुव रब्बुना व रब्बुकुम् व लना अअ्मालुना व लकुम् अअ्मालुकुम व नह्नु लहू मुख़्लिसून
(हे नबी!) कह दो कि क्या तुम हमसे अल्लाह के (एक होने के) विषय में झगड़ते हो, जबकि वही हमारा तथा तुम्हारा पालनहार है?[1] फिर हमारे लिए हमारा कर्म है और तुम्हारे लिए तुम्हारा कर्म है और हम तो बस उसी की इबादत (वंदना) करने वाले हैं।

2:140

أَمْ تَقُولُونَ إِنَّ إِبْرَٰهِـۧمَ وَإِسْمَـٰعِيلَ وَإِسْحَـٰقَ وَيَعْقُوبَ وَٱلْأَسْبَاطَ كَانُوا۟ هُودًا أَوْ نَصَـٰرَىٰ ۗ قُلْ ءَأَنتُمْ أَعْلَمُ أَمِ ٱللَّهُ ۗ وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن كَتَمَ شَهَـٰدَةً عِندَهُۥ مِنَ ٱللَّهِ ۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَـٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ

अम् तकूलू-न इन्-न इब्राही-म व इस्माअी-ल व इस्हा-क व यअ्कू-ब वल्-अस्बा-त कानू हूदन औ नसारा , कुल अ-अन्तुम् अअ्लमु अमिल्लाहु व मन् अ़ज्लमु मिम्मन् क-त-म शहा-दतन् अिन्दहू मिनल्लाहि , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून
(हे अह्ले किताब!) क्या तुम कहते हो कि इब्राहीम, इस्माईल, इस्ह़ाक़, याक़ूब तथा उनकी संतान यहूदी या ईसाई थी? उनसे कह दो कि तुम अधिक जानते हो अथवा अल्लाह? और उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जिसके पास अल्लाह का साक्ष्य हो और उसे छुपा दे? और अल्लाह तुम्हारे करतूतों से अचेत तो नहीं है[1]

2:141

تِلْكَ أُمَّةٌۭ قَدْ خَلَتْ ۖ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُم مَّا كَسَبْتُمْ ۖ وَلَا تُسْـَٔلُونَ عَمَّا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ

तिल-क उम्मतुन् कद् ख़लत् लहा मा क-सबत् व लकुम् मा क-सब्तुम् वला तुस्अलू-न अम्मा कानू यअ्मलून
ये एक समुदाय था, जो जा चुका। उनके लिए उनका कर्म है तथा तुम्हारे लिए तुम्हारा कर्म है। तुमसे उनके कर्मों के बारे में प्रश्न नहीं किया जायेगा[1]

2:142

سَيَقُوْلُ السُّفَهَاۤءُ مِنَ النَّاسِ مَا وَلّٰىهُمْ عَنْ قِبْلَتِهِمُ الَّتِيْ كَانُوْا عَلَيْهَا ۗ قُلْ لِّلّٰهِ الْمَشْرِقُ وَالْمَغْرِبُۗ يَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ

सयकूलुस्-सुफहा-उ मिनन्नासि मा वल्लाहुम् अन् किब्लतिहिम मुल्लती कानू अलैहा , कुल लिल्लाहिल-मश्रिकु वल्मग्रिबु , यह्दी मंय्यशा-उ इला सिरातिम्-मुस्तकीम
शीघ्र ही मूर्ख लोग कहेंगे कि उन्हें जिस क़िबले[1] पर वे थे, उससे किस बात ने फेर दिया? (हे नबी!) उन्हें बता दो कि पूर्व और पश्चिम सब अल्लाह के हैं। वह जिसे चाहे, सीधी राह पर लगा देता है।

2:143

وَكَذَٰلِكَ جَعَلْنَـٰكُمْ أُمَّةًۭ وَسَطًۭا لِّتَكُونُوا۟ شُهَدَآءَ عَلَى ٱلنَّاسِ وَيَكُونَ ٱلرَّسُولُ عَلَيْكُمْ شَهِيدًۭا ۗ وَمَا جَعَلْنَا ٱلْقِبْلَةَ ٱلَّتِى كُنتَ عَلَيْهَآ إِلَّا لِنَعْلَمَ مَن يَتَّبِعُ ٱلرَّسُولَ مِمَّن يَنقَلِبُ عَلَىٰ عَقِبَيْهِ ۚ وَإِن كَانَتْ لَكَبِيرَةً إِلَّا عَلَى ٱلَّذِينَ هَدَى ٱللَّهُ ۗ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُضِيعَ إِيمَـٰنَكُمْ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ بِٱلنَّاسِ لَرَءُوفٌۭ رَّحِيمٌۭ

व कज़ालि-क जअ़ल्नाकुम् उम्मतंव व-स-तल्लितकूनू शु-हदा-अलन-नासि व यकूनर्रसूलु अलैकुम् शहीदन् , वमा जअल्नल-किब्लतल्लती कुन्-त अ़लैहा इल्ला लिनअ्ल-म मंय्यत्तबिअुर्रसू-ल मिम्-मंय्यन्कलिबु अला अकिबैहि , व इन् कानत् ल-कबी-रतन् इल्ला अलल्लज़ी-न हदल्लाहु वमा कानल्लाहु लियुजी-अ ईमानकुम , इन्नल्ला-ह बिन्नासि ल-रऊफु़र्रहीम
और इसी प्रकार हमने तुम्हें मध्यवर्ती उम्मत (समुदाय) बना दिया; ताकि तुम, सबपर साक्षी[1] बनो और रसूल तुमपर साक्षी हों और हमने वह क़िबला जिसपर तुम थे, इसीलिए बनाया था, ताकि ये बात खोल दें कि कौन (अपने धर्म से) फिर जाता है और ये बात बड़ी भारी थी, परन्तु उनके लिए नहीं, जिन्हें अल्लाह ने मार्गदर्शन दे दिया है और अल्लाह ऐसा नहीं कि तुम्हारे ईमान (अर्थात बैतुल मक़्दिस की दिशा में नमाज़ पढ़ने) को व्यर्थ कर दे[2], वास्तव में अल्लाह लोगों के लिए अत्यंत करुणामय तथा दयावान् है।

2:144

قَدْ نَرَىٰ تَقَلُّبَ وَجْهِكَ فِى ٱلسَّمَآءِ ۖ فَلَنُوَلِّيَنَّكَ قِبْلَةًۭ تَرْضَىٰهَا ۚ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ ۚ وَحَيْثُ مَا كُنتُمْ فَوَلُّوا۟ وُجُوهَكُمْ شَطْرَهُۥ ۗ وَإِنَّ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ لَيَعْلَمُونَ أَنَّهُ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّهِمْ ۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَـٰفِلٍ عَمَّا يَعْمَلُونَ

कद् नरा तक़ल्लु-ब वज्हि-क फ़िस्समा-इ फ़-ल-नुवल्लियन्न-क किब्लतन् तर्जा़हा फ़-वल्लि वज्ह-क शत्रल-मस्जिदिल्-हराम , व हैसु मा कुन्तुम् फ़-वल्लू वुजू-हकुम् शतरहू , व इन्नल्लज़ी-न ऊतुल्किता-ब ल-यअ्लमू-न अन्नहुल-हक्कु मिरब्बिहिम , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा यअ्मलून
(हे नबी!) हम आपके मुख को बार-बार आकाश की ओर फिरते देख रहे हैं। तो हम अवश्य आपको उस क़िबले (काबा) की ओर फेर देंगे, जिससे आप प्रसन्न हो जायें। तो (अब) अपने मुख मस्जिदे ह़राम की ओर फेर लो[1] तथा (हे मुसलमानों!) तुम भी जहाँ रहो, उसी की ओर मुख किया करो और निश्चय अह्ले किताब जानते हैं कि ये उनके पालनहार की ओर से सत्य है[2] और अल्लाह उनके कर्मों से असूचित नहीं है।

2:145

وَلَئِنْ أَتَيْتَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ بِكُلِّ ءَايَةٍۢ مَّا تَبِعُوا۟ قِبْلَتَكَ ۚ وَمَآ أَنتَ بِتَابِعٍۢ قِبْلَتَهُمْ ۚ وَمَا بَعْضُهُم بِتَابِعٍۢ قِبْلَةَ بَعْضٍۢ ۚ وَلَئِنِ ٱتَّبَعْتَ أَهْوَآءَهُم مِّنۢ بَعْدِ مَا جَآءَكَ مِنَ ٱلْعِلْمِ ۙ إِنَّكَ إِذًۭا لَّمِنَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

व लइन् अतै तल्लज़ी-न ऊतुल-किता-ब बिकुल्लि आ-यतिम्मा तबिअू किब्ल-त-क वमा अन्-त बिता-बिअिन् किब्ल-तहुम् वमा बअ्जुहुम् बिताबिअि़न् किब्ल-त बअ्ज़िन , व ल-इनित्तबअ्-त अहवा-अहुम् मिम्-बअदि मा जाअ-क मिनल्-अिल्मि इन्न क इज़ल् लमिनज्जालिमीन
और यदि आप अह्ले किताब के पास प्रत्येक प्रकार की निशानी ला दें, तब भी वे आपके क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और न आप उनके क़िबले का अनुसरण करेंगे और न उनमें से कोई दूसरे के क़िबले का अनुसरण करेगा और यदि ज्ञान आने के पश्चात् आपने उनकी आकांक्षाओं का अनुसरण किया, तो आप अत्याचारियों में से हो जायेंगे।

2:146

ٱلَّذِينَ ءَاتَيْنَـٰهُمُ ٱلْكِتَـٰبَ يَعْرِفُونَهُۥ كَمَا يَعْرِفُونَ أَبْنَآءَهُمْ ۖ وَإِنَّ فَرِيقًۭا مِّنْهُمْ لَيَكْتُمُونَ ٱلْحَقَّ وَهُمْ يَعْلَمُونَ

अल्लज़ी-न आतैनाहुमुल्-किता-ब यअ्रिफूनहू कमा यअरिफू-न अब्ना-अहुम , व इन्-न फ़रीकम्-मिन्हुम् ल-यक्तुमूनल-हक्क व हुम् यअ्लमून
जिन्हें हमने पुस्तक दी है, वे आपको ऐसे ही[1] पहचानते हैं, जैसे अपने पुत्रों को पहचानते हैं और उनका एक समुदाय जानते हुए भी सत्य को छुपा रहा है।

2:147

ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكَ ۖ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُمْتَرِينَ

अल्हक्कु मिर्रब्बि-क फला तकूनन्-न मिनल-मुम्तरीन
सत्य वही है, जो आपके पालनहार की ओर से उतारा गया। अतः, आप कदापि संदेह करने वालों में न हों।

2:148

وَلِكُلٍّۢ وِجْهَةٌ هُوَ مُوَلِّيهَا ۖ فَٱسْتَبِقُوا۟ ٱلْخَيْرَٰتِ ۚ أَيْنَ مَا تَكُونُوا۟ يَأْتِ بِكُمُ ٱللَّهُ جَمِيعًا ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ

व लिकुल्लिव्विज्हतुन हु-व मुवल्लीहा फ़स्तबिकुल-खैराति , ऐ-न मा तकूनू यअ्ति बिकुमुल्लाहु जमीअ़न् , इन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन् क़दीर
प्रत्येक के लिए एक दिशा है, जिसकी ओर वह मुख कर हा है। अतः तुम भलाईयों में अग्रसर बनो। तुम जहाँ भी रहोगे, अल्लाह तुम सभी को (प्रलय के दिन) ले आयेगा। निश्चय अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।

2:149

وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ ۖ وَإِنَّهُۥ لَلْحَقُّ مِن رَّبِّكَ ۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَـٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ

व मिन् हैसु ख़रज्-त फ़-वल्लि वज्ह-क शत्रल मस्जिदिल्-हराम , व इन्नहू लल्हक्कु मिर्रब्बि-क , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून
और आप जहाँ भी निकलें, अपना मुख मस्जिदे ह़राम की ओर फेरें। निःसंदेह ये आपके पालनहार की ओर से सत्य (आदेश) है और अल्लाह तुम्हारे कर्मों से असूचित नहीं है।

2:150

وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ ۚ وَحَيْثُ مَا كُنتُمْ فَوَلُّوا۟ وُجُوهَكُمْ شَطْرَهُۥ لِئَلَّا يَكُونَ لِلنَّاسِ عَلَيْكُمْ حُجَّةٌ إِلَّا ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مِنْهُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَٱخْشَوْنِى وَلِأُتِمَّ نِعْمَتِى عَلَيْكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ

व मिन् हैसु ख़रज्-त फ़-वल्लि वज्ह-क शत्रल् मस्जिदिल्-हराम , व हैसु मा कुन्तुम् फ़-वल्लू वुजूहकुम् शत्रहू लिअल्ला यकू-न लिन्नासि अलैकुम् , हुज्जतुन् , इल्लल्लज़ी-न ज़-लमू मिन्हुम् फला तख़शौहुम् वख़्शौनी , व लि-उतिम्-म निअ्मती अलैकुम् व लअल्लकुम् तह्तदून
और आप जहाँ से भी निकलें, अपना मुख मस्जिदे ह़राम की ओर फेरें और (हे मुसलमानों!) तुम जहाँ भी रहो, अपने मुखों को उसी की ओर फेरो; ताकि उन्हें तुम्हारे विरुध्द किसी विवाद का अवसर न मिले, मगर उन लोगों के अतिरिक्त, जो अत्याचार करें। अतः उनसे न डरो। मुझी से डरो और ताकि मैं तुमपर अपना पुरस्कार (धर्म विधान) पूरा कर दूँ और ताकि तुम सीधी डगर पाओ।

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