यह कुरान की 20वीं सूरह है, जिसमें 135 आयतें हैं। इसे मक्का में बताया गया था, इसलिए इसे मक्की सूरह माना जाता है।
सूरा ताहा का नामकरण इसकी शुरुआत के अरबी अक्षरों “طه” (Ta-Ha) के नाम पर किया गया है, जिन्हें अल-हुरूफ-उल-ムقطعة (Al-Huruf Al-Muqatta’ah) के रूप में जाना जाता है। इन प्रारंभिक अक्षरों के अर्थ पर विभिन्न विद्वानों के बीच मतभेद हैं।
सूरह ताहा कई महत्वपूर्ण विषयों को संबोधित करती है, जिनमें शामिल हैं:
- हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) को उनका मिशन सौंपना और फिरौन को अल्लाह का संदेश पहुँचाने के लिए उनका चयन करना।
- हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) के चमत्कारों का वर्णन, जिसमें उनके भाई हारून (अलैहिस्सलाम) के साथ उनका समर्थन शामिल है।
- अल्लाह की एकता और उसके अस्तित्व के प्रमाणों का वर्णन।
- याद दिलाना कि कयामत का दिन आएगा और हर किसी को उसके اعمال का बदला दिया जाएगा।
सूरह ताहा हिन्दी में पढ़ें
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।
طه
तॉ-हा
ऐ ता हा (रसूलअल्लाह)।
مَآ أَنزَلْنَا عَلَيْكَ ٱلْقُرْءَانَ لِتَشْقَىٰٓ
मा अन्ज़ल्ना अ़लैकल् – कुरआ-न लितश्क़ा
हमने तुम पर कु़रान इसलिए नाजि़ल नहीं किया कि तुम (इस क़दर) मशक़्क़त उठाओ।
إِلَّا تَذْكِرَةًۭ لِّمَن يَخْشَىٰ
इल्ला तज्कि-रतल्-लिमंय्यख़्शा
मगर जो शख़्स अल्लाह से डरता है उसके लिए नसीहत (क़रार दिया है)।
تَنزِيلًۭا مِّمَّنْ خَلَقَ ٱلْأَرْضَ وَٱلسَّمَـٰوَٰتِ ٱلْعُلَى
तन्ज़ीलम्-मिम् मन् ख़-लक़ल्अर्-ज़ वस्समावातिल – अुला
(ये) उस शैह की तरफ़ से नाजि़ल हुआ है जिसने ज़मीन और ऊँचे-ऊँचे आसमानों को पैदा किया।
ٱلرَّحْمَـٰنُ عَلَى ٱلْعَرْشِ ٱسْتَوَىٰ
अर्रह्मानु अ़लल्-अ़रशिस्तवा
वही रहमान है जो अर्श पर (हुक्मरानी के लिए) आमादा व मुस्तईद है।
لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَمَا تَحْتَ ٱلثَّرَىٰ
लहू मा फ़िस्समावाति व मा फ़िल-अर्जि व मा बैनहुमा व मा तह्तस्सरा
जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है और जो कुछ दोनों के बीच में है और जो कुछ ज़मीन के नीचे है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है।
وَإِن تَجْهَرْ بِٱلْقَوْلِ فَإِنَّهُۥ يَعْلَمُ ٱلسِّرَّ وَأَخْفَى
व इन् तज्हर् बिल्क़ौलि फ-इन्नहू यल्मुस्सिर्-र व अख़्फ़ा
और अगर तू पुकार कर बात करे (तो भी आहिस्ता करे तो भी) वह यक़ीनन भेद और उससे ज़्यादा पोशीदा चीज़ को जानता है।
ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ لَهُ ٱلْأَسْمَآءُ ٱلْحُسْنَىٰ
अल्लाहु ला इला-ह इल्ला हु-व, लहुल अस्माउल-हुस्ना
अल्लाह (वह माबूद है कि) उसके सिवा कोइ माबूद नहीं है (अच्छे-अच्छे) उसी के नाम हैं।
وَهَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ
व हल अता-क हदीसु मूसा
और (ऐ रसूल) क्या तुम तक मूसा की ख़बर पहुँची है कि जब उन्होंने दूर से आग देखी।
إِذْ رَءَا نَارًۭا فَقَالَ لِأَهْلِهِ ٱمْكُثُوٓا۟ إِنِّىٓ ءَانَسْتُ نَارًۭا لَّعَلِّىٓ ءَاتِيكُم مِّنْهَا بِقَبَسٍ أَوْ أَجِدُ عَلَى ٱلنَّارِ هُدًۭى
इज् रआ नारन् फ़का-ल लिअह़्लिहिम्कुसू इन्नी आनस्तु नारल्-लअ़ल्ली आतीकुम् मिन्हा बि-क़-बसिन् औ अजिदु अ़लन्नारि हुदा
तो अपने घर के लोगों से कहने लगे कि तुम लोग (ज़रा यहीं) ठहरो मैंने आग देखी है क्या अजब है कि मैं वहाँ (जाकर) उसमें से एक अँगारा तुम्हारे पास ले आऊँ या आग के पास किसी राह का पता पा जाऊँ।
فَلَمَّآ أَتَىٰهَا نُودِىَ يَـٰمُوسَىٰٓ
फ़-लम्मा अताहा नूदि-य या मूसा
फिर जब मूसा आग के पास आए तो उन्हें आवाज आई।
إِنِّىٓ أَنَا۠ رَبُّكَ فَٱخْلَعْ نَعْلَيْكَ ۖ إِنَّكَ بِٱلْوَادِ ٱلْمُقَدَّسِ طُوًۭى
इन्नी अ-न रब्बु-क फ़ख़्लअ् नअ् लै-क इन्न-क बिल्वादिल्-मुक़द्दसि तुवा
कि ऐ मूसा बेशक मैं ही तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो तुम अपनी जूतियाँ उतार डालो क्योंकि तुम (इस वक़्त) तुआ (नामी) पाक़ीज़ा चटियल मैदान में हो।
وَأَنَا ٱخْتَرْتُكَ فَٱسْتَمِعْ لِمَا يُوحَىٰٓ
व अनख़्तरतु-क फ़स्तमिअ् लिमा यूहा
और मैंने तुमको पैग़म्बरी के वास्ते मुन्तखि़ब किया (चुन लिया) है तो जो कुछ तुम्हारी तरफ़ वही की जाती है उसे कान लगा कर सुनो।
إِنَّنِىٓ أَنَا ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّآ أَنَا۠ فَٱعْبُدْنِى وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِذِكْرِىٓ
इन्ननी अनल्लाहु ला इला-ह इल्ला अ-न फ़अ्बुद्नी व अक़िमिस्सला-त लिज़िक्री
इसमें शक नहीं कि मैं ही वह अल्लाह हूँ कि मेरे सिवा कोई माबूद नहीं तो मेरी ही इबादत करो और मेरी याद के लिए नमाज़ बराबर पढ़ा करो।
إِنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِيَةٌ أَكَادُ أُخْفِيهَا لِتُجْزَىٰ كُلُّ نَفْسٍۭ بِمَا تَسْعَىٰ
इन्नस्सा-अ़-त आति-यतुन् अकादु उख़्फीहा लितुज़्ज़ा कुल्लु नफ़्सिम्-बिमा तस्आ
(क्योंकि) क़यामत ज़रूर आने वाली है और मैं उसे लामहौला छिपाए रखूँगा ताकि हर शख़्स (उसके ख़ौफ से नेकी करे) और जैसी कोशिश की है उसका उसे बदला दिया जाए।
فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنْهَا مَن لَّا يُؤْمِنُ بِهَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَتَرْدَىٰ
फ़ला यसुद्दन्न – क अन्हा मल्ला युअ्मिनु बिहा वत्त-ब-अ़ हवाहु फ़-तरदा
तो (कहीं) ऐसा न हो कि जो शख़्स उसे दिल से नहीं मानता और अपनी नफ़सियानी ख़्वाहिश के पीछे पड़ा वह तुम्हें इस (फिक्र) से रोक दे तो तुम तबाह हो जाओगे।
وَمَا تِلْكَ بِيَمِينِكَ يَـٰمُوسَىٰ
व मा तिल-क बि-यमीनि-क या मूसा
और ऐ मूसा ये तुम्हारे दाहिने हाथ में क्या चीज़ है।
قَالَ هِىَ عَصَاىَ أَتَوَكَّؤُا۟ عَلَيْهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَىٰ غَنَمِى وَلِىَ فِيهَا مَـَٔارِبُ أُخْرَىٰ
का-ल हि-य अ़सा-य अ-तवक्क-उ अ़लैहा व अहुश्शु बिहा अ़ला-ग़-नमी व लि – य फ़ीहा मआरिबु उखरा
अर्ज़ की ये तो मेरी लाठी है मैं उस पर सहारा करता हूँ और इससे अपनी बकरियों पर (और दरख़्तों की) पत्तियाँ झाड़ता हूँ और उसमें मेरे और भी मतलब हैं।
قَالَ أَلْقِهَا يَـٰمُوسَىٰ
का – ल अल्क़िहा या मूसा
फ़रमाया ऐ मूसा उसको ज़रा ज़मीन पर डाल तो दो मूसा ने उसे डाल दिया।
فَأَلْقَىٰهَا فَإِذَا هِىَ حَيَّةٌۭ تَسْعَىٰ
फ़- अल्काहा फ़-इज़ा हि-य हय्यतुन् तस्आ
तो फ़ौरन वह साँप बनकर दौड़ने लगा (ये देखकर मूसा भागे)।
قَالَ خُذْهَا وَلَا تَخَفْ ۖ سَنُعِيدُهَا سِيرَتَهَا ٱلْأُولَىٰ
का-ल खुज्हा व ला त-ख़फू सनुईदुहा सी-र तहल्- ऊला
तो फ़रमाया कि तुम इसको पकड़ लो और डरो नहीं मैं अभी इसकी पहली सी सूरत फिर किए देता हूँ।
وَٱضْمُمْ يَدَكَ إِلَىٰ جَنَاحِكَ تَخْرُجْ بَيْضَآءَ مِنْ غَيْرِ سُوٓءٍ ءَايَةً أُخْرَىٰ
वज़्मुम् य-द-क इला जनाहि-क तख्रुज् बैज़ा-अ मिन् गैरि सूइन् आ-यतन् उख़रा
और अपने हाथ को समेंट कर अपने बग़ल में तो कर लो (फिर देखो कि) वह बग़ैर किसी बीमारी के सफे़द चमकता दमकता हुआ निकलेगा ये दूसरा मौजिज़ा है।
لِنُرِيَكَ مِنْ ءَايَـٰتِنَا ٱلْكُبْرَى
लिनुरि-य-क मिन् आयातिनल् कुब्रा
(ये) ताकि हम तुमको अपनी (कु़दरत की) बड़ी-बड़ी निशानियाँ दिखाएँ।
ٱذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
इज़्हब् इला फ़िरऔ़-न इन्नहू तग़ा
अब तुम फ़िरऔन के पास जाओ उसने बहुत सर उठाया है।
قَالَ رَبِّ ٱشْرَحْ لِى صَدْرِى
का-ल रब्बिश् रह ली सद्री
मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार (मैं जाता तो हूँ) मगर तू मेरे लिए मेरे सीने को कुशादा फरमा और दिलेर बना।
وَيَسِّرْ لِىٓ أَمْرِى
व यस्सिर ली अम्री
और मेरा काम मेरे लिए आसान कर दे।
وَٱحْلُلْ عُقْدَةًۭ مِّن لِّسَانِى
वह्लुल् अुक्द-तम् मिल्-लिसानी
और मेरी ज़बान से लुक़नत की गिरह खोल दे।
يَفْقَهُوا۟ قَوْلِى
यफ़्क़हू क़ौली
ताकि लोग मेरी बात अच्छी तरह समझें और।
وَٱجْعَل لِّى وَزِيرًۭا مِّنْ أَهْلِى
वज्अ़ल् ली वज़ीरम्-मिन् अह़्ली
मेरे कुनबे वालो में से मेरे भाई हारून।
هَـٰرُونَ أَخِى
हारू-न अखि
को मेरा वज़ीर बोझ बटाने वाला बना दे।
ٱشْدُدْ بِهِۦٓ أَزْرِى
शदुद् बिही अजूरी
उसके ज़रिए से मेरी पुश्त मज़बूत कर दे।
وَأَشْرِكْهُ فِىٓ أَمْرِى
व अश्रिक्हु फ़ी अमरी
और मेरे काम में उसको मेरा शरीक बना।
كَىْ نُسَبِّحَكَ كَثِيرًۭا
कै नुसब्बि-ह-क कसीरंव्
ताकि हम दोनों (मिलकर) कसरत से तेरी तसबीह करें।
وَنَذْكُرَكَ كَثِيرًا
व नज़्कु-र-क कसीरा
और कसरत से तेरी याद करें।
إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِيرًۭا
इन्न – क कुन्त बिना बसीरा
तू तो हमारी हालत देख ही रहा है।
قَالَ قَدْ أُوتِيتَ سُؤْلَكَ يَـٰمُوسَىٰ
का-ल क़द् ऊती-त सुअ्ल-क या मूसा
फ़रमाया ऐ मूसा तुम्हारी सब दरख़्वास्तें मंज़ूर की गई।
وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَيْكَ مَرَّةً أُخْرَىٰٓ
व ल-क़द् मनन्ना अ़लै-क मर्रतन् उख्रा
और हम तो तुम पर एक बार और एहसान कर चुके हैं।
إِذْ أَوْحَيْنَآ إِلَىٰٓ أُمِّكَ مَا يُوحَىٰٓ
इज़ औहैना इला उम्मि- क मा यूहा
जब हमने तुम्हारी माँ को इलहाम किया जो अब तुम्हें “वही” के ज़रिए से बताया जाता है।
أَنِ ٱقْذِفِيهِ فِى ٱلتَّابُوتِ فَٱقْذِفِيهِ فِى ٱلْيَمِّ فَلْيُلْقِهِ ٱلْيَمُّ بِٱلسَّاحِلِ يَأْخُذْهُ عَدُوٌّۭ لِّى وَعَدُوٌّۭ لَّهُۥ ۚ وَأَلْقَيْتُ عَلَيْكَ مَحَبَّةًۭ مِّنِّى وَلِتُصْنَعَ عَلَىٰ عَيْنِىٓ
अनिक्ज़ि फीहि फित्ताबूति फक्ज़ि फ़ीहि फ़िल्यम्मि फल्युल्किहिल्-यम्मु बिस्साहिलि यअ्खुज्हु अदुव्वुल्ली व अदुव्वुल्लहू, व अल्कैतु अ़लै-क म-हब्बतम्-मिन्नी व लितुस्न- अ़ अ़ला ऐनी
कि तुम इसे (मूसा को) सन्दूक़ में रखकर सन्दूक़ को दरिया में डाल दो फिर दरिया उसे ढकेल कर किनारे डाल देगा कि मूसा को मेरा दुशमन और मूसा का दुशमन (फ़िरऔन) उठा लेगा और मैंने तुम पर अपनी मोहब्बत को डाल दिया जो देखता (प्यार करता) ताकि तुम मेरी ख़ास निगरानी में पाले पोसे जाओ।
إِذْ تَمْشِىٓ أُخْتُكَ فَتَقُولُ هَلْ أَدُلُّكُمْ عَلَىٰ مَن يَكْفُلُهُۥ ۖ فَرَجَعْنَـٰكَ إِلَىٰٓ أُمِّكَ كَىْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ ۚ وَقَتَلْتَ نَفْسًۭا فَنَجَّيْنَـٰكَ مِنَ ٱلْغَمِّ وَفَتَنَّـٰكَ فُتُونًۭا ۚ فَلَبِثْتَ سِنِينَ فِىٓ أَهْلِ مَدْيَنَ ثُمَّ جِئْتَ عَلَىٰ قَدَرٍۢ يَـٰمُوسَىٰ
इज् तम्शी उख़्तु-क फ़-तकूलु हल् अदुल्लुकुम् अ़ला मंय्यक्फुलुहू फ़-रजअ्ना-क इला उम्मि-क कै तकर् र ऐनुहा व ला तहज़ न, व क़तल्-त नफ़्सन् फ़-नज्जैना क मिनल्-ग़म्मि व फ़तन्ना क फुतूनन्, फ़-लबिस् त सिनी-न फ़ी अह़्लि मद य-न सुम्-म जिअ् -त अला क़-दरिंय् या मूसा
(उस वक़्त) जब तुम्हारी बहन चली (और फिर उनके घर में आकर) कहने लगी कि कहो तो मैं तुम्हें ऐसी दाया बताऊँ कि जो इसे अच्छी तरह पाले तो(इस तदबीर से) हमने फिर तुमको तुम्हारी माँ के पास पहुँचा दिया ताकि उसकी आँखें ठन्डी रहें और तुम्हारी (जुदाई पर) कुढ़े नहीं और तुमने एक शख़्स (ख़बती) को मार डाला था और सख़्त परेशान थे तो हमने तुमको (इस) ग़म से नजात दी और हमने तुम्हारा अच्छी तरह इम्तिहान कर लिया फिर तुम कई बरस तक मदीने के लोगों में जाकर रहे ऐ मूसा फिर तुम (उम्र के) एक अन्दाजे़ पर आ गए नबूवत के क़ायल हुए।
وَٱصْطَنَعْتُكَ لِنَفْسِى
वस्त-नअ्तु-क लिनफ़्सी
और मैंने तुमको अपनी रिसालत के वास्ते मुन्तख़ब किया।
ٱذْهَبْ أَنتَ وَأَخُوكَ بِـَٔايَـٰتِى وَلَا تَنِيَا فِى ذِكْرِى
इज्हब् अन्-त व अखू क बिआयाती व ला तनिया फ़ी ज़िक्री
तुम अपने भाई समैत हमारे मौजिज़े लेकर जाओ और (देखो) मेरी याद में सुस्ती न करना।
ٱذْهَبَآ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
इज्हबा इला फ़िरऔ-न इन्नहू तग़ा
तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ बेशक वह बहुत सरकश हो गया है।
فَقُولَا لَهُۥ قَوْلًۭا لَّيِّنًۭا لَّعَلَّهُۥ يَتَذَكَّرُ أَوْ يَخْشَىٰ
फ़कूला लहू कौलल्-लय्यिनल्-लअ़ल्लहू य-तज़क्करू औ यख़्शा
फिर उससे (जाकर) नरमी से बातें करो ताकि वह नसीहत मान ले या डर जाए।
قَالَا رَبَّنَآ إِنَّنَا نَخَافُ أَن يَفْرُطَ عَلَيْنَآ أَوْ أَن يَطْغَىٰ
क़ाला रब्बना इन्नना नख़ाफु अंय्यफरू-त अ़लैना औ अंय्यत्ग़ा
दोनों ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले हम डरते हैं कि कहीं वह हम पर ज़्यादती (न) कर बैठे या और ज़्यादा सरकशी कर ले।
قَالَ لَا تَخَافَآ ۖ إِنَّنِى مَعَكُمَآ أَسْمَعُ وَأَرَىٰ
का-ल ला तख़ाफ़ा इन्ननी म अ़कुमा अस्मअु व अरा
फ़रमाया तुम डरो नहीं मैं तुम्हारे साथ हूँ (सब कुछ) सुनता और देखता हूँ।
فَأْتِيَاهُ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولَا رَبِّكَ فَأَرْسِلْ مَعَنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ وَلَا تُعَذِّبْهُمْ ۖ قَدْ جِئْنَـٰكَ بِـَٔايَةٍۢ مِّن رَّبِّكَ ۖ وَٱلسَّلَـٰمُ عَلَىٰ مَنِ ٱتَّبَعَ ٱلْهُدَىٰٓ
फ़अ्तियाहु फ़कूला इन्ना रसूला रब्बि-क फ़-अर्सिल् म- अ़ना बनी इस्राई-ल व ला तुअ्ज्जिब्हुम्, कद् जिअ्ना-क बिआयतिम् मिर्रब्बि-क, वस्सलामु अ़ला मनित्त-बअ़ल्-हुदा
ग़रज़ तुम दोनों उसके पास जाओ और कहो कि हम आप के परवरदिगार के रसूल हैं तो बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए और उन्हें सताइए नहीं हम आपके पास आपके परवरदिगार का मौजिज़ा लेकर आए हैं और जो राहे रास्त की पैरवी करे उसी के लिए सलामती है।
إِنَّا قَدْ أُوحِىَ إِلَيْنَآ أَنَّ ٱلْعَذَابَ عَلَىٰ مَن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ
इन्ना कद् ऊहि-य इलैना अन्नल अज़ा-ब अला मन् कज़्ज़ -ब व तवल्ला
हमारे पास अल्लाह की तरफ से ये “वही” नाजि़ल हुई है कि यक़ीनन अज़ाब उसी शख़्स पर है जो (अल्लाह की आयतों को) झुठलाए और उसके हुक्म से मुँह मोड़े।
قَالَ فَمَن رَّبُّكُمَا يَـٰمُوسَىٰ
का-ल फ़-मर्रब्बुकुमा या मूसा
(ग़रज़ गए और कहा) फ़िरऔन ने पूछा ऐ मूसा आखि़र तुम दोनों का परवरदिगार कौन है।
قَالَ رَبُّنَا ٱلَّذِىٓ أَعْطَىٰ كُلَّ شَىْءٍ خَلْقَهُۥ ثُمَّ هَدَىٰ
क़ा-ल रब्बुनल्लज़ी अअ्ता कुल् ल शैइन् ख़ल्क़हू सुम् -म हदा
मूसा ने कहा हमारा परवरदिगार वह है जिसने हर चीज़ को उसके (मुनासिब) सूरत अता फरमाई फिर उसी ने जि़न्दगी बसर करने के तरीक़े बताए।
قَالَ فَمَا بَالُ ٱلْقُرُونِ ٱلْأُولَىٰ
का-ल फ़मा बालुल्-कुरूनिल ऊला
फिरौन ने पूछा भला अगले लोगों का हाल (तो बताओ) कि क्या हुआ।
قَالَ عِلْمُهَا عِندَ رَبِّى فِى كِتَـٰبٍۢ ۖ لَّا يَضِلُّ رَبِّى وَلَا يَنسَى
काल अिल्मुहा अिन्-द रब्बी फ़ी किताबिन् ला यज़िल्लु रब्बी व ला यन्सा
मूसा ने कहा इन बातों का इल्म मेरे परवरदिगार के पास एक किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है मेरा परवरदिगार न बहकता है न भूलता है।
ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ مَهْدًۭا وَسَلَكَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًۭا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَخْرَجْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًۭا مِّن نَّبَاتٍۢ شَتَّىٰ
अल्लज़ी ज अ़-ल लकुमुल्-अर्-ज़ मह्दंव-व स-ल-क लकुम् फ़ीहा सुबुलंव्व अन्ज़-ल मिनस्समा-इ मा-अन्, फ़- अख़रज्ना बिही अज्वाजम् मिन् नबातिन् शत्ता
वह वही है जिसने तुम्हारे (फ़ायदे के) वास्ते ज़मीन को बिछौना बनाया और तुम्हारे लिए उसमें राहें निकाली और उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर (अल्लाह फरमाता है कि) हम ही ने उस पानी के ज़रिए से मुख़्तलिफ़ कि़स्मों की घासे निकाली।
كُلُوا۟ وَٱرْعَوْا۟ أَنْعَـٰمَكُمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّأُو۟لِى ٱلنُّهَىٰ
कुलू वरऔ़ अन्आ़-मकुम्, इन्- न फ़ी ज़ालि- क लआयातिल् लि – उलिन्नुहा
(ताकि) तुम खु़द भी खाओ और अपने चौपायों को भी चराओ कुछ शक नहीं कि इसमें अक़्लमन्दों के वास्ते (क़ुदरते अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं।
۞ مِنْهَا خَلَقْنَـٰكُمْ وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَىٰ
मिन्हा ख़लक़्नाकुम् व फ़ीहा नुअीदुकुम् व मिन्हा नुख्रिजुकुम् ता – रतन् उखरा
हमने इसी ज़मीन से तुम को पैदा किया और (मरने के बाद) इसमें लौटा कर लाएँगे और उसी से दूसरी बार (क़यामत के दिन) तुमको निकाल खड़ा करेंगे।
وَلَقَدْ أَرَيْنَـٰهُ ءَايَـٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَىٰ
व ल-कद् अरैनाहु आयातिना कुल्लहा फ़-कज़्ज़-ब व अबा
और मैंने फिरौन को अपनी सारी निशानियाँ दिखा दी इस पर भी उसने सबको झुठला दिया और न माना।
قَالَ أَجِئْتَنَا لِتُخْرِجَنَا مِنْ أَرْضِنَا بِسِحْرِكَ يَـٰمُوسَىٰ
का-ल अजिअ्तना लितुख़रि-जना मिन् अरज़िना बिसिहरि-क या मूसा
(और) कहने लगा ऐ मूसा क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि हम को हमारे मुल्क (मिस्र से) अपने जादू के ज़ोर से निकाल बाहर करो।
فَلَنَأْتِيَنَّكَ بِسِحْرٍۢ مِّثْلِهِۦ فَٱجْعَلْ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ مَوْعِدًۭا لَّا نُخْلِفُهُۥ نَحْنُ وَلَآ أَنتَ مَكَانًۭا سُوًۭى
फ-लनअ् तियन्न-क बिसिहरिम्-मिस्लिही फ़ज्अल् बैनना व बैन – क मौअिदल् ला नुख्लिफुहू नह्नु व ला अन्-त मकानन् सुवा
अच्छा तो (रहो) हम भी तुम्हारे सामने ऐसा जादू पेश करते हैं फिर तुम अपने और हमारे दरमियान एक वक़्त मुक़र्रर करो कि न हम उसके खि़लाफ करे और न तुम और मुक़ाबला एक साफ़ खुले मैदान में हो।
قَالَ مَوْعِدُكُمْ يَوْمُ ٱلزِّينَةِ وَأَن يُحْشَرَ ٱلنَّاسُ ضُحًۭى
काल मौअिदुकुम यौमुज़्ज़ीनति व अंय्युह्श रन्नासु जुहा
मूसा ने कहा तुम्हारे (मुक़ाबले) की मीयाद ज़ीनत (ईद) का दिन है और उस रोज़ सब लोग दिन चढ़े जमा किए जाँए।
فَتَوَلَّىٰ فِرْعَوْنُ فَجَمَعَ كَيْدَهُۥ ثُمَّ أَتَىٰ
फ़- तवल्ला फ़िरऔनु फ़-ज-म-अ़ कैदहू सुम्-म अता
उसके बाद फिरौन (अपनी जगह) लौट गया फिर अपने चलत्तर (जादू के सामान) जमा करने लगा फिर (मुक़ाबले को) आ मौजूद हुआ।
قَالَ لَهُم مُّوسَىٰ وَيْلَكُمْ لَا تَفْتَرُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًۭا فَيُسْحِتَكُم بِعَذَابٍۢ ۖ وَقَدْ خَابَ مَنِ ٱفْتَرَىٰ
का – ल लहुम् मूसा वै-लकुम ला तफ़्तरू अ़लल्लाहि कज़िबन् फ्युस्हि-तकुम् बि-अ़ज़ाबिन व क़द्ख़ा-ब मनिफ़्तरा
मूसा ने (फिरौनयो से) कहा तुम्हारा नास हो अल्लाह पर झूठी-झूठी इफ़्तेरा पर्वाज़ियाँ न करो वरना वह अज़ाब (नाजि़ल करके) इससे तुम्हारा मलया मेट कर छोड़ेगा और (याद रखो कि) जिसने इफ़्तेरा पर्वाज़ियाँ की वह यकी़नन नामुराद रहा।
فَتَنَـٰزَعُوٓا۟ أَمْرَهُم بَيْنَهُمْ وَأَسَرُّوا۟ ٱلنَّجْوَىٰ
फ़-तनाज़अू अम्-रहुम् बैनहुम् व अ-सर्रुन्नज्वा
इस पर वह लोग अपने काम में बाहम झगड़ने और सरगोशियाँ करने लगे।
قَالُوٓا۟ إِنْ هَـٰذَٰنِ لَسَـٰحِرَٰنِ يُرِيدَانِ أَن يُخْرِجَاكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِمَا وَيَذْهَبَا بِطَرِيقَتِكُمُ ٱلْمُثْلَىٰ
कालू इन् हाज़ानि लसाहिरानि युरीदानि अंय्युख्रिजाकुम् मिन् अर्जिकुम् बिसिहरिहिमा व यज़्हबा बि-तरी-क़ति-कुमुल्-मुस्ला
(आखि़र) वह लोग बोल उठे कि ये दोनों यक़ीनन जादूगर हैं और चाहते हैं कि अपने जादू (के ज़ोर) से तुम लोगों को तुम्हारे मुल्क से निकाल बाहर करें और तुम्हारे अच्छे ख़ासे मज़हब को मिटा छोड़ें।
فَأَجْمِعُوا۟ كَيْدَكُمْ ثُمَّ ٱئْتُوا۟ صَفًّۭا ۚ وَقَدْ أَفْلَحَ ٱلْيَوْمَ مَنِ ٱسْتَعْلَىٰ
फ़- अज्मिअू कैदकुम् सुम्मअ्तू सफ़्फ़न् व कद् अफ़्ल – हल्यौ – म मनिस्तअ्ला
तो तुम भी खू़ब अपने चलत्तर (जादू वग़ैरह) दुरूस्त कर लो फिर परा (सफ़) बाँध के (उनके मुक़ाबले में) आ पड़ो और जो आज डर रहा हो वही फायज़ुल मराम रहा।
قَالُوا۟ يَـٰمُوسَىٰٓ إِمَّآ أَن تُلْقِىَ وَإِمَّآ أَن نَّكُونَ أَوَّلَ مَنْ أَلْقَىٰ
क़ालू या मूसा इम्मा अन् तुल्कि – य व इम्मा अन् नकू न अव्व-ल मन् – अल्क़ा
ग़रज़ जादूगरों ने कहा (ऐ मूसा) या तो तुम ही (अपने जादू) फेंको और या ये कि पहले जो जादू फेंके वह हम ही हों।
قَالَ بَلْ أَلْقُوا۟ ۖ فَإِذَا حِبَالُهُمْ وَعِصِيُّهُمْ يُخَيَّلُ إِلَيْهِ مِن سِحْرِهِمْ أَنَّهَا تَسْعَىٰ
क़ा – ल बल् अल्कू फ़-इज़ा हिबालुहुम् व अिसिय्युहुम् युख़य्यलु इलैहि मिन् सिहरिहिम् अन्नहा तस्आ
मूसा ने कहा (मैं नहीं डालूँगा) बल्कि तुम ही पहले डालो (ग़रज़ उन्होंने अपने करतब दिखाए) तो बस मूसा को उनके जादू (के ज़ोर से) ऐसा मालूम हुआ कि उनकी रस्सियाँ और उनकी छडि़याँ दौड़ रही हैं।
فَأَوْجَسَ فِى نَفْسِهِۦ خِيفَةًۭ مُّوسَىٰ
फ़- औज – स फ़ी नफ्सिही ख़ी फ़तम् – मूसा
तो मूसा ने अपने दिल में कुछ दहशत सी पाई।
قُلْنَا لَا تَخَفْ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْأَعْلَىٰ
कुल्ना ला तख़फ् इन्न-क अन्तल्-अअ्ला
हमने कहा (मूसा) इस से डरो नहीं यक़ीनन तुम ही वर रहोगे।
وَأَلْقِ مَا فِى يَمِينِكَ تَلْقَفْ مَا صَنَعُوٓا۟ ۖ إِنَّمَا صَنَعُوا۟ كَيْدُ سَـٰحِرٍۢ ۖ وَلَا يُفْلِحُ ٱلسَّاحِرُ حَيْثُ أَتَىٰ
व अल्कि मा फ़ी यमीनि – क तल्क़फ् मा स-नअू, इन्नमा स-नअू कैदु साहिरिन्, व ला युफ्लिहुस्साहिरू हैसु अता
और तुम्हारे दाहिने हाथ में जो (लाठी) है उसे डाल तो दो कि जो करतब उन लोगों ने की है उसे हड़प कर जाए क्योंकि उन लोगों ने जो कुछ करतब की वह एक जादूगर की करतब है और जादूगर जहाँ जाए कामयाब नहीं हो सकता (ग़रज़ मूसा की लाठी ने) सब हड़प कर लिया (ये देखते ही)।
فَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سُجَّدًۭا قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ هَـٰرُونَ وَمُوسَىٰ
फ़- उल्कियस्स ह – रतु सुज्ज – दन् कालू आमन्ना बिरब्बि हारू – न व मूसा
वह सब जादूगर सजदे में गिर पड़े (और कहने लगे) कि हम मूसा और हारून के परवरदिगार पर ईमान ले आए।
قَالَ ءَامَنتُمْ لَهُۥ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِى عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحْرَ ۖ فَلَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَـٰفٍۢ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ فِى جُذُوعِ ٱلنَّخْلِ وَلَتَعْلَمُنَّ أَيُّنَآ أَشَدُّ عَذَابًۭا وَأَبْقَىٰ
का – ल आमन्तुम् लहू कब् – ल अन् आज़ – न लकुम् इन्नहू ल कबीरू कुमुल्लज़ी अल्ल म कुमुस्- सिह्-र फ़-ल – उक़त्तिअ़न् – न ऐदि यकुम् व अर्जु – लकुम् मिन् खिलाफिंव् – व ल – उसल्लिबन्नकुम् फी जुजूअिन्नखलि व ल – तअ्लमुन् न अय्युना अशद्दु अ़ज़ाबंव् – व अब्का
फ़िरऔन ने उन लोगों से कहा (हाए) इससे पहले कि हम तुमको इजाज़त दें तुम उस पर ईमान ले आए इसमें शक नहीं कि ये तुम सबका बड़ा (गुरू) है जिसने तुमको जादू सिखाया है तो मैं तुम्हारे एक तरफ़ के हाथ और दूसरी तरफ़ के पाँव ज़रूर काट डालूँगा और तुम्हें खु़रमों की शाख़ों पर सूली चढ़ा दूँगा और उस वक़्त तुमको (अच्छी तरह) मालूम हो जाएगा कि हम (दोनों) फरीक़ों से अज़ाब में ज़्यादा बढ़ा हुआ कौन और किसको क़याम ज़्यादा है।
قَالُوا۟ لَن نُّؤْثِرَكَ عَلَىٰ مَا جَآءَنَا مِنَ ٱلْبَيِّنَـٰتِ وَٱلَّذِى فَطَرَنَا ۖ فَٱقْضِ مَآ أَنتَ قَاضٍ ۖ إِنَّمَا تَقْضِى هَـٰذِهِ ٱلْحَيَوٰةَ ٱلدُّنْيَآ
कालू लन् नुअ्सि-र-क अ़ला मा जा अना मिनल् – बय्यिनाति वल्लज़ी फ़-त-रना फ़क्ज़ि मा अन्-त काज़िन्, इन्नमा तक़्ज़ी हाज़िहिल्- हयातद् – दुन्या
जादूगर बोले कि ऐसे वाजे़ए व रौशन मौजिज़ात जो हमारे सामने आए उन पर और जिस (अल्लाह) ने हमको पैदा किया उस पर तो हम तुमको किसी तरह तरजीह नहीं दे सकते तो जो तुझे करना हो कर गुज़र तू बस दुनिया की (इसी ज़रा)सी जि़न्दगी पर हुकूमत कर सकता है।
إِنَّآ ءَامَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغْفِرَ لَنَا خَطَـٰيَـٰنَا وَمَآ أَكْرَهْتَنَا عَلَيْهِ مِنَ ٱلسِّحْرِ ۗ وَٱللَّهُ خَيْرٌۭ وَأَبْقَىٰٓ
इन्ना आमन्ना बिरब्बिना लिय्गफ़ि-र लना ख़तायाना व मा अक्रह्तना अ़लैहि मिनस्सिहरि, वल्लाहु ख़ैरूंव्-व अब्का
(और कहा) हम तो अपने परवरदिगार पर इसलिए ईमान लाए हैं ताकि हमारे वास्ते सारे गुनाह माफ़ कर दे और (ख़ास कर) जिस पर तूने हमें मजबूर किया था और अल्लाह ही सबसे बेहतर है और (उसी को) सबसे ज़्यादा क़याम है।
إِنَّهُۥ مَن يَأْتِ رَبَّهُۥ مُجْرِمًۭا فَإِنَّ لَهُۥ جَهَنَّمَ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحْيَىٰ
इन्नहू मंय्यअ्ति रब्बहू मुजरिमन् फ़ – इन् – न लहू जहन्न-म, ला यमूतु फ़ीहा व ला यह़्या
इसमें शक नहीं कि जो शख़्स मुजरिम होकर अपने परवरदिगार के सामने हाजि़र होगा तो उसके लिए यक़ीनन जहन्नुम (धरा हुआ) है जिसमें न तो वह मरे ही गा और न जि़न्दा ही रहेगा।
وَمَن يَأْتِهِۦ مُؤْمِنًۭا قَدْ عَمِلَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمُ ٱلدَّرَجَـٰتُ ٱلْعُلَىٰ
व मंय्यअ्तिही मुअ्मिनन् कद् अ़मिलस्सालिहाति फ़ – उलाइ – क लहुमुद् द रजातुल अुला
(सिसकता रहेगा) और जो शख़्स उसके सामने ईमानदार हो कर हाजि़र होगा और उसने अच्छे-अच्छे काम भी किए होंगे तो ऐसे ही लोग हैं जिनके लिए बड़े-बड़े बुलन्द रूतबे हैं।
جَنَّـٰتُ عَدْنٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَا ۚ وَذَٰلِكَ جَزَآءُ مَن تَزَكَّىٰ
जन्नातु अद्निन् तज्री मिन् तह़्तिहल्-अन्हारू ख़ालिदी – न फ़ीहा, व ज़ालि क जज़ा-उ मन् तज़क्का
वह सदाबहार बाग़ात जिनके नीचे नहरें जारी हैं वह लोग उसमें हमेशा रहेंगे और जो गुनाह से पाक व पाकीज़ा रहे उस का यही सिला है।
وَلَقَدْ أَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِى فَٱضْرِبْ لَهُمْ طَرِيقًۭا فِى ٱلْبَحْرِ يَبَسًۭا لَّا تَخَـٰفُ دَرَكًۭا وَلَا تَخْشَىٰ
व ल – कद् औहैना इला मूसा अन् अस्रि बिअिबादी फ़ज़रिब लहुम् तरीक़न फ़िल्बहरि य – बसल् ला तख़ाफु द-रकंव् – व ला तख़्शा
और हमने मूसा के पास “वही” भेजी कि मेरे बन्दों (बनी इसराइल) को (मिस्र से) रातों रात निकाल ले जाओ फिर दरिया में (लाठी मारकर) उनके लिए एक सूखी राह निकालो और तुमको पीछा करने का न कोई खौ़फ रहेगा न (डूबने की) कोई दहशत।
فَأَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ بِجُنُودِهِۦ فَغَشِيَهُم مِّنَ ٱلْيَمِّ مَا غَشِيَهُمْ
फ़-अत्ब-अ़हुम् फ़िरऔ़नु बिजुनूदिही फ़- ग़शि – यहुम् मिनल्- यम्मि मा ग़शि – यहुम्
ग़रज़ फिरौन ने अपने लशकर समैत उनका पीछा किया फिर दरिया (के पानी का रेला) जैसा कुछ उन पर छाया गया वह छा गया।
وَأَضَلَّ فِرْعَوْنُ قَوْمَهُۥ وَمَا هَدَىٰ
व अज़ल्-ल फ़िरऔ़नु क़ौ-महू व मा हदा
और फिरौन ने अपनी क़ौम को गुमराह (करके हलाक) कर डाला और उनकी हिदायत न की।
يَـٰبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ قَدْ أَنجَيْنَـٰكُم مِّنْ عَدُوِّكُمْ وَوَٰعَدْنَـٰكُمْ جَانِبَ ٱلطُّورِ ٱلْأَيْمَنَ وَنَزَّلْنَا عَلَيْكُمُ ٱلْمَنَّ وَٱلسَّلْوَىٰ
या बनी इस्राई-ल क़द् अन्जैनाकुम् मिन् अ़दुव्विकुम् व वाअ़द्नाकुम् जानिबत्तूरिल्-ऐम-न व नज़्ज़ल्ना अ़लैकुमुल्-मन्-न वस्सल्वा
ऐ बनी इसराइल! हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाजि़ल किया।
كُلُوا۟ مِن طَيِّبَـٰتِ مَا رَزَقْنَـٰكُمْ وَلَا تَطْغَوْا۟ فِيهِ فَيَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبِى ۖ وَمَن يَحْلِلْ عَلَيْهِ غَضَبِى فَقَدْ هَوَىٰ
कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क़्नाकुम् व ला तत्ग़ौ फ़ीहि फ़-यहिल्-ल अ़लैकुम् ग़-ज़बी व मंय्यहलिल् अ़लैहि ग़-ज़बी फ़-क़द् हवा
और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी कि़स्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ।
وَإِنِّى لَغَفَّارٌۭ لِّمَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَـٰلِحًۭا ثُمَّ ٱهْتَدَىٰ
व इन्नी ल ग़फ़्फ़ारूल्-लिमन् ता-ब व आम-न व अ़मि-ल सालिहन् सुम्मह्-तदा
और जो शख़्स तौबा करे और ईमान लाए और अच्छे काम करे फिर साबित क़दम रहे तो हम उसको ज़रूर बख़्शने वाले हैं।
۞ وَمَآ أَعْجَلَكَ عَن قَوْمِكَ يَـٰمُوسَىٰ
व मा अअ्ज-ल क अ़न् क़ौमि-क या मूसा
फिर जब मूसा सत्तर आदमियों केा लेकर चले और खु़द आगे बढ़ आए तो हमने कहा कि (ऐ मूसा तुमने अपनी क़ौम से आगे चलने में क्यों जल्दी की)।
قَالَ هُمْ أُو۟لَآءِ عَلَىٰٓ أَثَرِى وَعَجِلْتُ إِلَيْكَ رَبِّ لِتَرْضَىٰ
क़ा-ल हुम् उला-इ अ़ला अ-सरी व अ़जिल्तु इलै-क रब्बि लितरज़ा
अर्ज़ की वह भी तो मेरे ही पीछे चले आ रहे हैं और इसी लिए मैं जल्दी करके तेरे पास इसलिए आगे बढ़ आया हूँ ताकि तू (मुझसे) खु़श रहे।
قَالَ فَإِنَّا قَدْ فَتَنَّا قَوْمَكَ مِنۢ بَعْدِكَ وَأَضَلَّهُمُ ٱلسَّامِرِىُّ
क़ा-ल फ़-इन्ना क़द् फ़तन्ना क़ौम-क मिम् बअ्दि-क व अज़ल्लहुमुस् – सामिरिय्यु
फ़रमाया तो हमने तुम्हारे (आने के बाद) तुम्हारी क़ौम का इम्तिहान लिया और सामरी ने उनको गुमराह कर छोड़ा।
فَرَجَعَ مُوسَىٰٓ إِلَىٰ قَوْمِهِۦ غَضْبَـٰنَ أَسِفًۭا ۚ قَالَ يَـٰقَوْمِ أَلَمْ يَعِدْكُمْ رَبُّكُمْ وَعْدًا حَسَنًا ۚ أَفَطَالَ عَلَيْكُمُ ٱلْعَهْدُ أَمْ أَرَدتُّمْ أَن يَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبٌۭ مِّن رَّبِّكُمْ فَأَخْلَفْتُم مَّوْعِدِى
फ़-र-ज-अ़ मूसा इला क़ौमिही ग़ज़्बा – न असिफ़न्, का – ल या क़ौमि अलम् यअिद्कुम् रब्बुकुम् वअ्दन् ह -सनन्, अ-फ़ता-ल अ़लैकुमुल्-अ़ह्दु अम् अरत्तुम् अंय्यहिल् – ल अ़लैकुम् ग़-ज़बुम् मिर्रब्बिकुम्फ़ – अख़्लफ़्तुम् मौअिदी
(तो मूसा) गुस्से में भरे पछताए हुए अपनी क़ौम की तरफ पलटे और आकर कहने लगे ऐ मेरी (कमबक़्त) क़ौम क्या तुमसे तुम्हारे परवरदिगार ने एक अच्छा वायदा (तौरेत देने का) न किया था तुम्हारे वायदे में अरसा लग गया या तुमने ये चाहा कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार का ग़ज़ब टूंट पड़े कि तुमने मेरे वायदे (खु़दा की परसतिश) के खि़लाफ किया।
قَالُوا۟ مَآ أَخْلَفْنَا مَوْعِدَكَ بِمَلْكِنَا وَلَـٰكِنَّا حُمِّلْنَآ أَوْزَارًۭا مِّن زِينَةِ ٱلْقَوْمِ فَقَذَفْنَـٰهَا فَكَذَٰلِكَ أَلْقَى ٱلسَّامِرِىُّ
कालू मा अख़्लफ्ना मौअि-द-क बिमल्किना व लाकिन्ना हुम्मिल्ना औज़ारम् मिन् ज़ीनतिल् -क़ौमि फ – क़ज़फ़्नाहा फ़- कज़ालि- क अल्क़स् – सामिरिय्यु
वह लोग कहने लगे हमने आपके वायदे के खिलाफ नहीं किया बल्कि (बात ये हुई कि फिरौन की) क़ौम के ज़ेवर के बोझे जो (मिस्र से निकलते वक़्त) हम पर लद गए थे उनको हम लोगों ने (सामरी के कहने से आग में) डाल दिया फिर सामरी ने भी डाल दिया।
فَأَخْرَجَ لَهُمْ عِجْلًۭا جَسَدًۭا لَّهُۥ خُوَارٌۭ فَقَالُوا۟ هَـٰذَآ إِلَـٰهُكُمْ وَإِلَـٰهُ مُوسَىٰ فَنَسِىَ
फ़- अख़्र – ज लहुम् अिज़्लन् ज – सदल् – लहू खुवारून् फ़क़ालू हाज़ा इलाहुकुम् व इलाहु मूसा फ़ – नसि – य
फिर सामरी ने उन लोगों के लिए (उसी जे़वर से) एक बछड़े की मूरत बनाई जिसकी आवाज़ भी बछड़े की सी थी उस पर बाज़ लोग कहने लगे यही तुम्हारा (भी) माबूद और मूसा का (भी) माबूद है मगर वह भूल गया है।
أَفَلَا يَرَوْنَ أَلَّا يَرْجِعُ إِلَيْهِمْ قَوْلًۭا وَلَا يَمْلِكُ لَهُمْ ضَرًّۭا وَلَا نَفْعًۭا
अ फ़ला यरौ-न अल्ला यरजिअु इलैहिम् कौलंव् – व ला यम्लिकु लहुम् ज़ररंव – व ला नफ्आ़
भला इनको इतनी भी न सूझी कि ये बछड़ा न तो उन लोगों को पलट कर उन की बात का जवाब ही देता है और न उनका ज़रर ही उस के हाथ में है और न नफ़ा।
وَلَقَدْ قَالَ لَهُمْ هَـٰرُونُ مِن قَبْلُ يَـٰقَوْمِ إِنَّمَا فُتِنتُم بِهِۦ ۖ وَإِنَّ رَبَّكُمُ ٱلرَّحْمَـٰنُ فَٱتَّبِعُونِى وَأَطِيعُوٓا۟ أَمْرِى
व ल – क़द् का – ल लहुम् हारूनु मिन् क़ब्लु या क़ौमि इन्नमा फुतिन्तुम् बिही व इन् – न रब्बकुमुर् रह़्मानु फत्तबिअूनी व अतीअू अम्री
और हारून ने उनसे पहले कहा भी था कि ऐ मेरी क़ौम तुम्हारा सिर्फ़ इसके ज़रिये से इम्तिहान किया जा रहा है और इसमें शक नहीं कि तम्हारा परवरदिगार (बस खु़दाए रहमान है) तो तुम मेरी पैरवी करो और मेरा कहा मानो।
قَالُوا۟ لَن نَّبْرَحَ عَلَيْهِ عَـٰكِفِينَ حَتَّىٰ يَرْجِعَ إِلَيْنَا مُوسَىٰ
कालू लन् नब्र – ह अ़लैहि आ़किफ़ी – न हत्ता यर्जि – अ़ इलैना मूसा
तो वह लोग कहने लगे जब तक मूसा हमारे पास पलट कर न आएँ हम तो बराबर इसकी परसतिश पर डटे बैठे रहेंगे।
قَالَ يَـٰهَـٰرُونُ مَا مَنَعَكَ إِذْ رَأَيْتَهُمْ ضَلُّوٓا۟
का-ल या हारूनु मा म-न अ़-क इज् रऐ – तहुम् जल्लू
मूसा ने हारून की तरफ खि़ताब करके कहा ऐ हारून जब तुमने उनको देख लिया था गमुराह हो गए हैं।
أَلَّا تَتَّبِعَنِ ۖ أَفَعَصَيْتَ أَمْرِى
अल्ला तत्तबि-अ़नि, अ-फ़ अ़सै-त अम्री
तो तुम्हें मेरी पैरवी (क़ता) करने को किसने मना किया तो क्या तुमने मेरे हुक्म की नाफ़रमानी की।
قَالَ يَبْنَؤُمَّ لَا تَأْخُذْ بِلِحْيَتِى وَلَا بِرَأْسِىٓ ۖ إِنِّى خَشِيتُ أَن تَقُولَ فَرَّقْتَ بَيْنَ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ وَلَمْ تَرْقُبْ قَوْلِى
का – ल यब्नउम् – म ला तअ्खुज् बिलिह़् यती व ला बिरअ्सी इन्नी ख़शीतु अन् तकू-ल फ़र्रक्-त बै-न बनी इस्राई-ल व लम् तरकुब् क़ौली
हारून ने कहा ऐ मेरे माँजाए (भाई) मेरी दाढ़ी न पकडिऐ और न मेरे सर (के बाल) मैं तो उससे डरा कि (कहीं) आप (वापस आकर) ये (न) कहिए कि तुमने बनी इसराईल में फूट डाल दी और मेरी बात का भी ख़्याल न रखा।
قَالَ فَمَا خَطْبُكَ يَـٰسَـٰمِرِىُّ
का-ल फ़मा ख़त्बु- क या सामिरिय्यु
तब सामरी से कहने लगे कि ओ सामरी तेरा क्या हाल है।
قَالَ بَصُرْتُ بِمَا لَمْ يَبْصُرُوا۟ بِهِۦ فَقَبَضْتُ قَبْضَةًۭ مِّنْ أَثَرِ ٱلرَّسُولِ فَنَبَذْتُهَا وَكَذَٰلِكَ سَوَّلَتْ لِى نَفْسِى
का – ल बसुरतु बिमा लम् यब्सुरू बिही फ़-क़बज्तु क़ब्ज़ – तम् मिन् अ- सरिर्रसूलि फ़- नबज्तुहा व कज़ालि- क सव्वलत् ली नफ़्सी
उसने (जवाब में) कहा मुझे वह चीज़ दिखाई दी जो औरों को न सूझी (जिबरील घोड़े पर सवार जा रहे थे) तो मैंने जिबरील फरिश्ते (के घोड़े) के निशाने क़दम की एक मुट्ठी (ख़ाक) की उठा ली फिर मैंने (बछड़े के क़ालिब में) डाल दी (तो वह बोलेने लगा और उस वक़्त मुझे मेरे नफ्स ने यही सुझाया।
قَالَ فَٱذْهَبْ فَإِنَّ لَكَ فِى ٱلْحَيَوٰةِ أَن تَقُولَ لَا مِسَاسَ ۖ وَإِنَّ لَكَ مَوْعِدًۭا لَّن تُخْلَفَهُۥ ۖ وَٱنظُرْ إِلَىٰٓ إِلَـٰهِكَ ٱلَّذِى ظَلْتَ عَلَيْهِ عَاكِفًۭا ۖ لَّنُحَرِّقَنَّهُۥ ثُمَّ لَنَنسِفَنَّهُۥ فِى ٱلْيَمِّ نَسْفًا
क़ा – ल फ़ज़्हब् फ़ – इन् – न ल-क फ़िल्हयाति अन् तकू – ल ला मिसा – स व इन् – न ल-क मौअिदल् लन् तुख़्ल – फ़हू वन्जुर इलाइलाहि – कल्लज़ी ज़ल्- त अ़लैहि आ़किफन्, लनु – हर्रिकन्नहू सुम् – म ल – नन्सिफ़न्नहू फ़िल्यम्मि नस्फ़ा
मूसा ने कहा चल (दूर हो) तेरे लिए (इस दुनिया की) जि़न्दगी में तो (ये सज़ा है) तू कहता फि़रेगा कि मुझे न छूना (वरना बुख़ार चढ़ जाएगा) और (आखि़रत में भी) यक़ीनी तेरे लिए (अज़ाब का) वायदा है कि हरगिज़ तुझसे खि़लाफ़ न किया जाएगा और तू अपने माबूद को तो देख जिस (की इबादत) पर तू डट बैठा था कि हम उसे यक़ीनन जलाकर (राख) कर डालेंगे फिर हम उसे तितिर बितिर करके दरिया में उड़ा देगें।
إِنَّمَآ إِلَـٰهُكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِى لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۚ وَسِعَ كُلَّ شَىْءٍ عِلْمًۭا
इन्नमा इलाहुकुमुल्लाहुल्लज़ी ला इला – ह इल्ला हु – व वसि – अ़ कुल् – ल शैइन् अिल्मा
तुम्हारा माबूद तो बस वही ख़ुदा है जिसके सिवा कोई और माबूद बरहक़ नहीं कि उसका इल्म हर चीज़ पर छा गया है।
كَذَٰلِكَ نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ أَنۢبَآءِ مَا قَدْ سَبَقَ ۚ وَقَدْ ءَاتَيْنَـٰكَ مِن لَّدُنَّا ذِكْرًۭا
कज़ालि- क नकुस्सु अ़लैक मिन् अम्बा – इ मा क़द् स-ब-क व कद् आतैना – क मिल्लदुन्ना ज़िक्रा
(ऐ रसूल!) हम तुम्हारे सामने यूँ वाक़ेयात बयान करते हैं जो गुज़र चुके और हमने ही तुम्हारे पास अपनी बारगाह से कु़रआन अता किया।
مَّنْ أَعْرَضَ عَنْهُ فَإِنَّهُۥ يَحْمِلُ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ وِزْرًا
मन् अअ्र – ज़ अन्हु फ़ – इन्नहू यह्मिलु यौमल् – क़ियामति विज़्रा
जिसने उससे मुँह फेरा वह क़यामत के दिन यक़ीनन (अपने बुरे आमाल का) बोझ उठाएंगे।
خَـٰلِدِينَ فِيهِ ۖ وَسَآءَ لَهُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ حِمْلًۭا
ख़ालिदी-न फ़ीहि व सा अ लहुम् यौमल क़ियामति हिम्ला
और उसी हाल में हमेशा रहेंगे और क्या ही बुरा बोझ है क़यामत के दिन ये लोग उठाए होंगे।
يَوْمَ يُنفَخُ فِى ٱلصُّورِ ۚ وَنَحْشُرُ ٱلْمُجْرِمِينَ يَوْمَئِذٍۢ زُرْقًۭا
यौ-म युन्फ़खु फिस्सूरि व नह्शुरूल् – मुज्रिमी – न यौमइज़िन् जुरका
जिस दिन सूर फूँका जाएगा और हम उस दिन गुनाहगारों को (उनकी) आँखें मैली (अन्धी) करके (आमने-सामने) जमा करेंगे।
يَتَخَـٰفَتُونَ بَيْنَهُمْ إِن لَّبِثْتُمْ إِلَّا عَشْرًۭا
य – तख़ाफ़तू – न बैनहुम् इल्लबिस्तुम् इल्ला अश्रा
(और) आपस में चुपके-चुपके कहते होंगे कि (दुनिया या क़ब्र में) हम लोग (बहुत से बहुत) नौ दस दिन ठहरे होंगे।
نَّحْنُ أَعْلَمُ بِمَا يَقُولُونَ إِذْ يَقُولُ أَمْثَلُهُمْ طَرِيقَةً إِن لَّبِثْتُمْ إِلَّا يَوْمًۭا
नह्नु अअ्लमु बिमा यकूलू – न इज् यकूलु अम्सलुहुम् तरी – कतन् इल्लबिस्तुम् इल्ला यौमा
जो कुछ ये लोग (उस दिन) कहेंगे हम खू़ब जानते हैं कि जो इनमें सबसे ज़्यादा होशियार होगा बोल उठेगा कि तुम बस (बहुत से बहुत) एक दिन ठहरे होगे।
وَيَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلْجِبَالِ فَقُلْ يَنسِفُهَا رَبِّى نَسْفًۭا
व यस् अलून – क अ़निल् – जिबालि फ़कुल यन्सिफुहा रब्बी नस्फ़ा
(और ऐ रसूल!) तुम से लोग पहाड़ों के बारे में पूछा करते हैं (कि क़यामत के रोज़ क्या होगा) तो तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार बिल्कुल रेज़ा रेज़ा करके उड़ा डालेगा।
فَيَذَرُهَا قَاعًۭا صَفْصَفًۭا
फ़ – य – ज़रूहा काअ़न् सफ़्सफ़ा
और ज़मीन को एक चटियल मैदान कर छोड़ेगा।
لَّا تَرَىٰ فِيهَا عِوَجًۭا وَلَآ أَمْتًۭا
ला तरा फ़ीहा अि – वजंव् व ला अम्ता
कि (ऐ शख़्स) न तो तू उसमें मोड़ देखेगा और न ऊँच-नीच।
يَوْمَئِذٍۢ يَتَّبِعُونَ ٱلدَّاعِىَ لَا عِوَجَ لَهُۥ ۖ وَخَشَعَتِ ٱلْأَصْوَاتُ لِلرَّحْمَـٰنِ فَلَا تَسْمَعُ إِلَّا هَمْسًۭا
यौमइजिंय् – यत्तबिअूनद्दाअि-य ला अि – व – ज लहू व ख़-श-अ़तिल् – अस्वातु लिर्रहमानि फ़ला तस्मअु इल्ला हम्सा
उस दिन लोग एक पुकारने वाले इसराफ़ील की आवाज़ के पीछे (इस तरह सीधे) दौड़ पड़ेगे कि उसमें कुछ भी कज़ी न होगी और आवाज़े उस दिन अल्लाह के सामने (इस तरह) घिघियाएगें कि तू घुनघुनाहट के सिवा और कुछ न सुनेगा।
يَوْمَئِذٍۢ لَّا تَنفَعُ ٱلشَّفَـٰعَةُ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحْمَـٰنُ وَرَضِىَ لَهُۥ قَوْلًۭا
यौमइज़िल् – ला तन्फ़अुश्शफ़ा- अतु इल्ला मन् अज़ि – न लहुर्रह्मानु व रज़ि – य लहू क़ौला
उस दिन किसी की सिफ़ारिश काम न आएगी मगर जिसको अल्लाह ने इजाज़त दी हो और उसका बोलना पसन्द करे।
يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيطُونَ بِهِۦ عِلْمًۭا
यअ्लमु मा बै-न ऐदीहिम् व मा ख़ल्क़हुम् व ला युहीतू-न बिही अिल्मा
जो कुछ उन लोगों के सामने है और जो कुछ उनके पीछे है (ग़रज़ सब कुछ) वह जानता है और ये लोग अपने इल्म से उसपर हावी नहीं हो सकते।
۞ وَعَنَتِ ٱلْوُجُوهُ لِلْحَىِّ ٱلْقَيُّومِ ۖ وَقَدْ خَابَ مَنْ حَمَلَ ظُلْمًۭا
व अ़-नतिल्-वुजूहु लिल्हय्यिल्-क़य्यूमि, व क़द्ख़ा -ब मन् ह-म ल जुल्मा
और (क़यामत में) सारी (खु़दाई के) मुँह जि़न्दा और बाक़ी रहने वाले अल्लाह के सामने झुक जाएँगे और जिसने जु़ल्म का बोझ (अपने सर पर) उठाया वह यक़ीनन नाकाम रहा।
وَمَن يَعْمَلْ مِنَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌۭ فَلَا يَخَافُ ظُلْمًۭا وَلَا هَضْمًۭا
व मंय्य अ्मल् मिनस्सालिहाति व हु-व मुअ् मिनुन् फला यख़ाफु जुल्मंव्-व ला हज़्मा
और जिसने अच्छे-अच्छे काम किए और वह मोमिन भी है तो उसको न किसी तरह की बेइन्साफ़ी का डर है और न किसी नुक़सान का।
وَكَذَٰلِكَ أَنزَلْنَـٰهُ قُرْءَانًا عَرَبِيًّۭا وَصَرَّفْنَا فِيهِ مِنَ ٱلْوَعِيدِ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ أَوْ يُحْدِثُ لَهُمْ ذِكْرًۭا
व कज़ालि क अन्ज़ल्लाहु कुरआनन् अ़-रबिय्यंव्-व सर्रफ़्ना फीहि मिनल्-वईदि लअ़ल्लहुम् यत्तकू-न औ युह्दिसु लहुम् ज़िक्रा
हमने उसको उसी तरह अरबी ज़बान का कु़रान नाजि़ल फ़रमाया और उसमें अज़ाब के तरह-तरह के वायदे बयान किए ताकि ये लोग परहेज़गार बनें या उनके मिज़ाज में इबरत पैदा कर दे।
فَتَعَـٰلَى ٱللَّهُ ٱلْمَلِكُ ٱلْحَقُّ ۗ وَلَا تَعْجَلْ بِٱلْقُرْءَانِ مِن قَبْلِ أَن يُقْضَىٰٓ إِلَيْكَ وَحْيُهُۥ ۖ وَقُل رَّبِّ زِدْنِى عِلْمًۭا
फ़-तआ़लल्लाहुल मलिकुल्-हक़्कु व ला तअ्जल् बिलकुरआनि मिन् क़ब्लि अंय्युक्ज़ा इलै-क वह़्युहू व कुर्रब्बि जिद्नी अिल्मा
पस (दो जहाँ का) सच्चा बादशाह अल्लाह बरतर व आला है और (ऐ रसूल) कु़रान के (पढ़ने) में उससे पहले कि तुम पर उसकी “वही” पूरी कर दी जाए जल्दी न करो और दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले मेरे इल्म को और ज़्यादा फ़रमा।
وَلَقَدْ عَهِدْنَآ إِلَىٰٓ ءَادَمَ مِن قَبْلُ فَنَسِىَ وَلَمْ نَجِدْ لَهُۥ عَزْمًۭا
वल – क़द् अहिद्ना इला आद-म मिन् क़ब्लु फ़-नसि – य व लम् नजिद् लहू अ़ज़्मा
और हमने आदम से पहले ही एहद ले लिया था कि उस दरख़्त के पास न जाना तो आदम ने उसे तर्क कर दिया और हमने उनमें सबात व इसतेक़लाल न पाया।
وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسْجُدُوا۟ لِـَٔادَمَ فَسَجَدُوٓا۟ إِلَّآ إِبْلِيسَ أَبَىٰ
व इज् कुल्ना लिल्मलाइ कतिस्जुदू लिआद-म फ़-स-जदू इल्ला इब्ली-स, अबा
और जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया मगर शैतान ने इन्कार किया।
فَقُلْنَا يَـٰٓـَٔادَمُ إِنَّ هَـٰذَا عَدُوٌّۭ لَّكَ وَلِزَوْجِكَ فَلَا يُخْرِجَنَّكُمَا مِنَ ٱلْجَنَّةِ فَتَشْقَىٰٓ
फ़कुल्ना या आदमु इन् – न हाज़ा अ़दुव्वुल- ल- क व लिज़ौजि-क फ़ला युख़्रिजन्नकुमा मिनल् – जन्नति फ़-तश्का
तो मैंने (आदम से कहा) कि ऐ आदम ये यक़ीनी तुम्हारा और तुम्हारी बीवी का दुशमन है तो कहीं तुम दोनों को बेहिश्त से निकलवा न छोड़े तो तुम (दुनिया की) मुसीबत में फँस जाओ।
إِنَّ لَكَ أَلَّا تَجُوعَ فِيهَا وَلَا تَعْرَىٰ
इन् – न ल – क अल्ला तजू – अ़ फ़ीहा व ला तअ्-रा
कुछ शक नहीं कि (बेहिश्त में) तुम्हें ये आराम है कि न तो तुम यहाँ भूके रहोगे और न नँगे।
وَأَنَّكَ لَا تَظْمَؤُا۟ فِيهَا وَلَا تَضْحَىٰ
व अन्न – क ला तज़्मउ फ़ीहा व ला तज़्हा
और न यहाँ प्यासे रहोगे और न धूप खाओगे।
فَوَسْوَسَ إِلَيْهِ ٱلشَّيْطَـٰنُ قَالَ يَـٰٓـَٔادَمُ هَلْ أَدُلُّكَ عَلَىٰ شَجَرَةِ ٱلْخُلْدِ وَمُلْكٍۢ لَّا يَبْلَىٰ
फ़- वस्व – स इलैहिश्शैतानु का – ल या आदमु हल अदुल्लु – क अ़ला श- ज-रतिल् – खुल्दि व मुल्किल् – ला यब्ला
तो शैतान ने उनके दिल में वसवसा डाला (और) कहा ऐ आदम क्या मैं तम्हें (हमेशगी की जि़न्दगी) का दरख़्त और वह सल्तनत जो कभी ज़ाएल न हो बता दूँ।
فَأَكَلَا مِنْهَا فَبَدَتْ لَهُمَا سَوْءَٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخْصِفَانِ عَلَيْهِمَا مِن وَرَقِ ٱلْجَنَّةِ ۚ وَعَصَىٰٓ ءَادَمُ رَبَّهُۥ فَغَوَىٰ
फ़ अ – कला मिन्हा फ़- बदत् लहुमा सौआतुहुमा व तफ़िक़ा यख़्सिफ़ानि अ़लैहिमा मिंव्व – रकिल्- जन्नति, व अ़सा आदमु रब्बहू फ़-ग़वा
चुनान्चे दोनों मियाँ बीबी ने उसी में से कुछ खाया तो उनका आगा पीछा उनपर ज़ाहिर हो गया और दोनों बेहिश्त के (दरख़्त के) पत्ते अपने आगे पीछे पर चिपकाने लगे और आदम ने अपने परवरदिगार की नाफ़रमानी की तो (राहे सवाब से) बेराह हो गए।
ثُمَّ ٱجْتَبَـٰهُ رَبُّهُۥ فَتَابَ عَلَيْهِ وَهَدَىٰ
सुम्मज्तबाहु रब्बहू फ़ता-ब अ़लैहि व हदा
इसके बाद उनके परवरदिगार ने बर गुज़ीदा किया फिर उनकी तौबा कु़बूल की और उनकी हिदायत की।
قَالَ ٱهْبِطَا مِنْهَا جَمِيعًۢا ۖ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّۭ ۖ فَإِمَّا يَأْتِيَنَّكُم مِّنِّى هُدًۭى فَمَنِ ٱتَّبَعَ هُدَاىَ فَلَا يَضِلُّ وَلَا يَشْقَىٰ
कालम्बिता मिन्हा जमीअ़म् बअ्जुकुम् लिबअ्ज़िन् अ़दुव्वुन् फ़- इम्मा यअ्ति – यन्नकुम् मिन्नी हुदन् फ़ – मनित्त – ब अ हुदा-य फ़ला यजिल्लु व ला यश्का
फरमाया कि तुम दोनों बेहिश्त से नीचे उतर जाओ तुम में से एक का एक दुशमन है फिर अगर तुम्हारे पास मेरी तरफ से हिदायत पहुँचे तो (तुम) उसकी पैरवी करना क्योंकि जो शख़्स मेरी हिदायत पर चलेगा न तो गुमराह होगा और न मुसीबत में फँसेगा।
وَمَنْ أَعْرَضَ عَن ذِكْرِى فَإِنَّ لَهُۥ مَعِيشَةًۭ ضَنكًۭا وَنَحْشُرُهُۥ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ أَعْمَىٰ
व मन् अअ्र – ज़ अ़न् ज़िक्री फ़ इन् – न लहू मई – शतन् ज़न्कंव् व नह्शुरूहू यौमल्-कियामति अअ्मा
और जिस शख़्स ने मेरी याद से मुँह फेरा तो उसकी जि़न्दगी बहुत तंगी में बसर होगी और हम उसको क़यामत के दिन अंधा बना के उठाएँगे।
قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرْتَنِىٓ أَعْمَىٰ وَقَدْ كُنتُ بَصِيرًۭا
व मन् अअ्र-ज़ अ़न् ज़िक्री फ़ इन्-न लहू मई-शतन् ज़न्कंव् व नह्शुरूहू यौमल्-कियामति अअ्मा
वह कहेगा इलाही मैं तो (दुनिया में) आँख वाला था तूने मुझे अन्धा करके क्यों उठाया।
قَالَ كَذَٰلِكَ أَتَتْكَ ءَايَـٰتُنَا فَنَسِيتَهَا ۖ وَكَذَٰلِكَ ٱلْيَوْمَ تُنسَىٰ
का-ल कज़ालि-क अतत् क आयातुना फ़-नसीतहा व कज़ालिकल्-यौ-म तुन्सा
अल्लाह फरमाएगा ऐसा ही (होना चाहिए) हमारी आयतें भी तो तेरे पास आई तो तू उन्हें भुला बैठा और इसी तरह आज तू भी भूला दिया जाएगा।
وَكَذَٰلِكَ نَجْزِى مَنْ أَسْرَفَ وَلَمْ يُؤْمِنۢ بِـَٔايَـٰتِ رَبِّهِۦ ۚ وَلَعَذَابُ ٱلْـَٔاخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبْقَىٰٓ
व कज़ालि-क नज्ज़ी मन् अस्-र-फ़ व लम् युअ्मिम् – बिआयाति रब्बिही, व ल-अ़ज़ाबुल आख़िरति अशद्दु व अब्का
और जिसने (हद से)तजावुज़ किया और अपने परवरदिगार की आयतों पर इमान न लाया उसको ऐसी ही बदला देगें और आखि़रत का अज़ाब तो यक़ीनी बहुत सख़्त और बहुत देर पा है।
أَفَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّنَ ٱلْقُرُونِ يَمْشُونَ فِى مَسَـٰكِنِهِمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّأُو۟لِى ٱلنُّهَىٰ
अ – फलम् यह्दि लहुम् कम् अह़्लक्ना क़ब्लहुम् मिनल् – कुरूनि यम्शू – न फ़ी मसाकिनिहिम्, इन् – न फ़ी ज़ालि- क लआयातिल् लिउलिन्नुहा
तो क्या उन (एहले मक्का) को उस (अल्लाह) ने ये नहीं बता दिया था कि हमने उनके पहले कितने लोगों को हलाक कर डाला जिनके घरों में ये लोग चलते फिरते हैं इसमें शक नहीं कि उसमें अक़्लमंदों के लिए (कु़दरते अल्लाह की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं।
وَلَوْلَا كَلِمَةٌۭ سَبَقَتْ مِن رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامًۭا وَأَجَلٌۭ مُّسَمًّۭى
व लौ ला कलि-मतुन् स-बक़त् मिर्-रब्बि-क लका-न लिज़ामंव्व अ-जलुम्-मुसम्मा
और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से पहले ही एक वायदा और अज़ाब का) एक वक़्त मुअय्यन न होता तो (उनकी हरकतों से) फ़िरऔन पर अज़ाब का आना लाज़मी बात थी।
فَٱصْبِرْ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوعِ ٱلشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوبِهَا ۖ وَمِنْ ءَانَآئِ ٱلَّيْلِ فَسَبِّحْ وَأَطْرَافَ ٱلنَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضَىٰ
फ़स्बिर् अ़ला मा यकूलू-न व सब्बिह् बि-हमिद रब्बि – क कब्-ल तुलूअिश्शम्सि व कब्-ल गुरूबिहा व मिन् आनाइल्लैलि फ़-सब्बिह् व अतराफन्नहारि लअ़ल्ल-क तरज़ा
(ऐ रसूल) जो कुछ ये कुफ़्फ़ार बका करते हैं तुम उस पर सब्र करो और आफ़ताब निकलने के क़ब्ल और उसके ग़ुरूब होने के क़ब्ल अपने परवरदिगार की हम्दोसना के साथ तसबीह किया करो और कुछ रात के वक़्तों में और दिन के किनारों में तस्बीह करो ताकि तुम निहाल हो जाओ।
وَلَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًۭا مِّنْهُمْ زَهْرَةَ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا لِنَفْتِنَهُمْ فِيهِ ۚ وَرِزْقُ رَبِّكَ خَيْرٌۭ وَأَبْقَىٰ
व ला तमुद्दन्-न ऐनै-क इला मा मत्तअ्ना बिही अज़्वाजम् मिन्हुम् ज़ह र-तल् हयातिद्दुन्या लि-नफ्ति नहुम् फ़ीहि, व रिज़्कु रब्बि-क ख़ैरूंव्-व अब्का
और (ऐ रसूल) जो उनमें से कुछ लोगों को दुनिया की इस ज़रा सी जि़न्दगी की रौनक़ से निहाल कर दिया है ताकि हम उनको उसमें आज़माएँ तुम अपनी नज़रें उधर न बढ़ाओ और (इससे) तुम्हारे परवरदिगार की रोज़ी (सवाब) कहीं बेहतर और ज़्यादा पाएदार है।
وَأْمُرْ أَهْلَكَ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱصْطَبِرْ عَلَيْهَا ۖ لَا نَسْـَٔلُكَ رِزْقًۭا ۖ نَّحْنُ نَرْزُقُكَ ۗ وَٱلْعَـٰقِبَةُ لِلتَّقْوَىٰ
वअमुर् अह़्ल-क बिस्सलाति वस्तबिर् अ़लैहा, ला नस् अलु-क रिज़्क़न्, नह्नु नरज़ुकु-क, वल्आ़कि बतु लित्तक़्वा
और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और तुम खु़द भी उसके पाबन्द रहो हम तुम से रोज़ी तो तलब करते नहीं (बल्कि) हम तो खु़द तुमको रोज़ी देते हैं और परहेज़गारी ही का तो अन्जाम बखै़र है।
وَقَالُوا۟ لَوْلَا يَأْتِينَا بِـَٔايَةٍۢ مِّن رَّبِّهِۦٓ ۚ أَوَلَمْ تَأْتِهِم بَيِّنَةُ مَا فِى ٱلصُّحُفِ ٱلْأُولَىٰ
वअमुर् अह़्ल-क बिस्सलाति वस्तबिर् अ़लैहा, ला नस् अलु – क रिज़्क़न्, नह्नु नरज़ुकु-क, वल्आ़कि बतु लित्तक़्वा
और (एहले मक्का) कहते हैं कि अपने परवरदिगार की तरफ से हमारे पास कोई मौजिज़ा हमारी मर्ज़ी के मुवाफिक़ क्यों नहीं लाते तो क्या जो (पेशीन गोइयाँ) अगली किताबों (तौरेत, इन्जील) में (इसकी) गवाह हैं वह भी उनके पास नहीं पहुँची।
وَلَوْ أَنَّآ أَهْلَكْنَـٰهُم بِعَذَابٍۢ مِّن قَبْلِهِۦ لَقَالُوا۟ رَبَّنَا لَوْلَآ أَرْسَلْتَ إِلَيْنَا رَسُولًۭا فَنَتَّبِعَ ءَايَـٰتِكَ مِن قَبْلِ أَن نَّذِلَّ وَنَخْزَىٰ
व लौ अन्ना अह़्लक्नाहुम् बि-अ़ज़ाबिम् मिन् क़ब्लिही लकालू रब्बना लौ ला अर्सल्-त इलैना रसूलन् फ़-नत्तबि-अ़ आयाति-क मिन् क़ब्लि अन् नज़िल-ल व नख़्ज़ा
और अगर हम उनको इस रसूल से पहले अज़ाब से हलाक कर डालते तो ज़रूर कहते कि ऐ हमारे पालने वाले तूने हमारे पास (अपना) रसूल क्यों न भेजा तो हम अपने ज़लील व रूसवा होने से पहले तेरी आयतों की पैरवी ज़रूर करते।
قُلْ كُلٌّۭ مُّتَرَبِّصٌۭ فَتَرَبَّصُوا۟ ۖ فَسَتَعْلَمُونَ مَنْ أَصْحَـٰبُ ٱلصِّرَٰطِ ٱلسَّوِىِّ وَمَنِ ٱهْتَدَىٰ
कुल कुल्लुम् मु-तरब्बिसुन फ़-तरब्बसू फ़ सतअ्लमू-न मन् अस्हाबुस्-सिरातिस्-सविय्यि व मनिह्तदा
रसूल तुम कह दो कि हर शख़्स (अपने अंजाम कार का) मुन्तिज़र है तो तुम भी इन्तिज़ार करो फिर तो तुम्हें बहुत जल्द मालूम हो जाएगा कि सीधी राह वाले कौन हैं (और कज़ी पर कौन हैं) हिदायत याफ़ता कौन है और गुमराह कौन है।