Surah Ibrahim Qur’ān Karīm kī ek Sūrat hai. Yah Sūrat 52 āyātoṁ par mushtamil hai aur Makkan Sūrāt meṁ se hai.
Is Sūrat ke bāre meṁ kuchh aham bāteṁ:
- Is Sūrat kā nām Allāh ke Nabī Ibrāhīm (Alai-his-salām) ke nām par rakhā gayā hai.
- Is Sūrat meṁ Ibrāhīm (A.S) ke tajurboṁ aur un ke logoṁ ko Allāh kī taraf bulanē kī dāwat kā zikr hai.
- Sūrat meṁ aqīdah, towḥīd, risālat aur ākhirat par ḍhānī milāī gaī hai.
- Īmān lāne wāloṁ ke lie jazā aur munkiroṁ ke lie sazā kā bayān hai.
- Sūrat meṁ Allāh kī kudrat, qudrat aur ne’matoṁ par ḍhānī milāī gaī hai.
- Ākhir meṁ muttaqīn ke lie janat kī beshak khushkhabrī dī gaī hai.
Yah Allāh kī hidāyat kā bayān kartī hai aur īmāndāroṁ ko sabar aur istiqāmat par tāqīd kartī hai.
सूरह इब्राहीम को हिंदी में पढ़ें
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।
الٓر ۚ كِتَـٰبٌ أَنزَلْنَـٰهُ إِلَيْكَ لِتُخْرِجَ ٱلنَّاسَ مِنَ ٱلظُّلُمَـٰتِ إِلَى ٱلنُّورِ بِإِذْنِ رَبِّهِمْ إِلَىٰ صِرَٰطِ ٱلْعَزِيزِ ٱلْحَمِيدِ
अलिफ्-लाम्-रा, किताबुन् अन्ज़ल्नाहु इलै-क लितुख़्रिजन्ना-स मिनज़्ज़ुलुमाति इलन्-नूरि, बि-इज़्नि रब्बिहिम् इला सिरातिल् अ़ज़ीज़िल-हमीद
अलिफ़ लाम रा, ऐ रसूल! ये (क़ुरान वह) किताब है जिसकों हमने तुम्हारे पास इसलिए नाजि़ल किया है कि तुम लोगों को परवरदिगार के हुक्म से (कुफ्र की) तारीकी से (इमान की) रौशनी में निकाल लाओ ग़रज़ उसकी राह पर लाओ जो सब पर ग़ालिब और सज़ावार हम्द है।
ٱللَّهِ ٱلَّذِى لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۗ وَوَيْلٌۭ لِّلْكَـٰفِرِينَ مِنْ عَذَابٍۢ شَدِيدٍ
अल्लाहिल्लज़ी लहू मा फ़िस्समावाति वमा फिल्अर्ज़ि, व वैलुल्-लिल्-काफ़िरी-न मिन् अ़ज़ाबिन् शदीद
वह अल्लाह को कुछ आसमानों में और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है और (आखि़रत में) काफिरों को लिए जो सख़्त अज़ाब (मुहय्या किया गया) है अफसोस नाक है।
ٱلَّذِينَ يَسْتَحِبُّونَ ٱلْحَيَوٰةَ ٱلدُّنْيَا عَلَى ٱلْـَٔاخِرَةِ وَيَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ وَيَبْغُونَهَا عِوَجًا ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ فِى ضَلَـٰلٍۭ بَعِيدٍۢ
अल्लज़ी-न यस्तहिब्बूनल्-हयातद्दुन्या अ़लल्-आख़िरति व यसुद्दू-न अन् सबीलिल्लाहि व यब्ग़ूनहा अि-वजन्, उलाइ-क फ़ी ज़लालिम्-बईद
वह कुफ्फार जो दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी को आखि़रत पर तरजीह देते हैं और (लोगों) को अल्लाह की राह (पर चलने) से रोकते हैं और इसमें ख़्वाह मा ख़्वाह कज़ी पैदा करना चाहते हैं यही लोग बड़े पल्ले दर्जे की गुमराही में हैं।
وَمَآ أَرْسَلْنَا مِن رَّسُولٍ إِلَّا بِلِسَانِ قَوْمِهِۦ لِيُبَيِّنَ لَهُمْ ۖ فَيُضِلُّ ٱللَّهُ مَن يَشَآءُ وَيَهْدِى مَن يَشَآءُ ۚ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
व मा अरसल्ना मिर्रसूलिन् इल्ला बिलिसानि-क़ौमिही लियुबय्यि-न लहुम, फ़युज़िल्लुल्लाहु मंय्यशा-उ व यह्-दी मंय्यशा-उ, व हुवल् अ़ज़ीज़ुल हकीम
और हमने जब कभी कोई पैग़म्बर भेजा तो उसकी क़ौम की ज़बान में बातें करता हुआ (ताकि उसके सामने (हमारे एहक़ाम) बयान कर सके तो यही अल्लाह जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिस की चाहता है हिदायत करता है वही सब पर ग़ालिब हिकमत वाला है।
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مُوسَىٰ بِـَٔايَـٰتِنَآ أَنْ أَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ ٱلظُّلُمَـٰتِ إِلَى ٱلنُّورِ وَذَكِّرْهُم بِأَيَّىٰمِ ٱللَّهِ ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّكُلِّ صَبَّارٍۢ شَكُورٍۢ
व ल-क़द् अरसल्ना मूसा बिआयातिना अन् अख़्रिज् क़ौम-क मिनज़्ज़ुलुमाति इलन्नूरि, व ज़क्किरहुम् बिअय्यामिल्लाहि, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआयातिल् लिकुल्लि सब्बारिन् शकूर
और हमने मूसा को अपनी निशनियाँ देकर भेजा (और ये हुक्म दिया) कि अपनी क़ौम को (कुफ्र की) तारिकियों से (इमान की) रौशनी में निकाल लाओ और उन्हें अल्लाह के (वह) दिन याद दिलाओ (जिनमें अल्लाह की बड़ी बड़ी कुदरतें ज़ाहिर हुयी) इसमें शक नहीं इसमें तमाम सब्र शुक्र करने वालों के वास्ते (कुदरते अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं।
وَإِذْ قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِ ٱذْكُرُوا۟ نِعْمَةَ ٱللَّهِ عَلَيْكُمْ إِذْ أَنجَىٰكُم مِّنْ ءَالِ فِرْعَوْنَ يَسُومُونَكُمْ سُوٓءَ ٱلْعَذَابِ وَيُذَبِّحُونَ أَبْنَآءَكُمْ وَيَسْتَحْيُونَ نِسَآءَكُمْ ۚ وَفِى ذَٰلِكُم بَلَآءٌۭ مِّن رَّبِّكُمْ عَظِيمٌۭ
व इज़् क़ा-ल मूसा लिक़ौमिहिज़्कुरू निअ्म-तल्लाहि अलैकुम् इज़् अन्जाकुम् मिन् आलि फिरऔ-न यसूमूनकुम् सूअल्-अ़ज़ाबि व युज़ब्बिहू-न अब्ना अकुम व यस्तह्यू-न निसा-अकुम्, व फ़ी ज़ालिकुम् बलाउम्-मिर्रब्बिकुम् अ़ज़ीम
और वह (वक़्त याद दिलाओ) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि अल्लाह ने जो एहसान तुम पर किए हैं उनको याद करो जब अकेले तुमको फिरआऊन के लोगों (के ज़ुल्म) से नजात दी कि वह तुम को बहुत बड़े बड़े दुख दे के सताते थे तुम्हारा लड़कों को जबाह कर डालते थे और तुम्हारी औरतों को (अपनी खिदमत के वास्ते) जिन्दा रहने देते थे और इसमें तुम्हारा परवरदिगार की तरफ से (तुम्हारा सब्र की) बड़ी (सख़्त) आज़माइश थी।
وَإِذْ تَأَذَّنَ رَبُّكُمْ لَئِن شَكَرْتُمْ لَأَزِيدَنَّكُمْ ۖ وَلَئِن كَفَرْتُمْ إِنَّ عَذَابِى لَشَدِيدٌۭ
व इज़् त-अज़्ज़-न रब्बुकुम् ल इन् श कर्तुम् ल अज़ीदन्नकुम् व ल-इन् क-फ़र्तुम् इन्-न अ़ज़ाबी ल-शदीद
और (वह वक़्त याद दिलाओ) जब तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें जता दिया कि अगर (मेरा) शुक्र करोगें तो मै यक़ीनन तुम पर (नेअमत की) ज़्यादती करुँगा और अगर कहीं तुमने नाशुक्री की तो (याद रखो कि) यक़ीनन मेरा अज़ाब सख़्त है।
وَقَالَ مُوسَىٰٓ إِن تَكْفُرُوٓا۟ أَنتُمْ وَمَن فِى ٱلْأَرْضِ جَمِيعًۭا فَإِنَّ ٱللَّهَ لَغَنِىٌّ حَمِيدٌ
व क़ा-ल मूसा इन् तक्फ़ुरू अन्तुम व मन् फ़िलअर्ज़ि जमीअन्, फ़ इन्नल्ला-ह ल-ग़निय्युन हमीद
और मूसा ने (अपनी क़ौम से) कह दिया कि अगर और (तुम्हारे साथ) जितने रुए ज़मीन पर हैं सब के सब (मिलकर भी अल्लाह की) नाशुक्री करो तो अल्लाह (को ज़रा भी परवाह नहीं क्योंकि वह तो बिल्कुल) बे नियाज़ है।
أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَبَؤُا۟ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ قَوْمِ نُوحٍۢ وَعَادٍۢ وَثَمُودَ ۛ وَٱلَّذِينَ مِنۢ بَعْدِهِمْ ۛ لَا يَعْلَمُهُمْ إِلَّا ٱللَّهُ ۚ جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ فَرَدُّوٓا۟ أَيْدِيَهُمْ فِىٓ أَفْوَٰهِهِمْ وَقَالُوٓا۟ إِنَّا كَفَرْنَا بِمَآ أُرْسِلْتُم بِهِۦ وَإِنَّا لَفِى شَكٍّۢ مِّمَّا تَدْعُونَنَآ إِلَيْهِ مُرِيبٍۢ
अलम् यअ्ति कुम् न-बउल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिकुम् क़ौमि नूहिंव्-व आदिंव्-व समू-द, वल्लज़ी-न मिम्-बअ्दिहिम्, ला यअ्लमुहुम् इल्लल्लाहु, जाअत्हुम् रूसुलुहुम् बिल्बय्यिनाति फ़-रद्दू ऐदि-यहुम् फ़ी अफ़्वाहिहिम् व क़ालू इन्ना क-फर्ना बिमा उर्सिल्तुम् बिही व इन्ना लफ़ी शक्किम् मिम्मा तद्अूनना इलैहि मुरीब
और हम्द है क्या तुम्हारे पास उन लोगों की ख़बर नहीं पहुँची जो तुमसे पहले थे (जैसे) नूह की क़ौम और आद व समूद और (दूसरे लोग) जो उनके बाद हुए (क्योकर ख़बर होती) उनको अल्लाह के सिवा कोई जानता ही नहीं उनके पास उनके (वक़्त के) पैग़म्बर मौजिज़े लेकर आए (और समझाने लगे) तो उन लोगों ने उन पैग़म्बरों के हाथों को उनके मुँह पर उलटा मार दिया और कहने लगे कि जो (हुक्म लेकर) तुम अल्लाह की तरफ से भेजे गए हो हम तो उसको नहीं मानते और जिस (दीन) की तरफ तुम हमको बुलाते हो बड़े गहरे शक में पड़े है।
۞ قَالَتْ رُسُلُهُمْ أَفِى ٱللَّهِ شَكٌّۭ فَاطِرِ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ يَدْعُوكُمْ لِيَغْفِرَ لَكُم مِّن ذُنُوبِكُمْ وَيُؤَخِّرَكُمْ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى ۚ قَالُوٓا۟ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا تُرِيدُونَ أَن تَصُدُّونَا عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ ءَابَآؤُنَا فَأْتُونَا بِسُلْطَـٰنٍۢ مُّبِينٍۢ
क़ालत् रूसुलुहुम् अफ़िल्लाहि शक्कुन् फ़ातिरिस्समावाति वलअर्ज़ि, यद्अूकुम् लियग़्फि-र लकुम् मिन् ज़ुनूबिकुम् व यु-अख़्ख़ि-रकुम् इला अ- जलिम्-मुसम्मन्, क़ालू इन अन्तुम इल्ला ब शरूम्- मिस्लुना, तुरीदू-न अन् तसुद्दूना अम्मा का-न यअ्बुदु आबाउना फ़अ्तूना बिसुल्तानिम्-मुबीन
(तब) उनके पैग़म्बरों ने (उनसे) कहा क्या तुम को अल्लाह के बारे में शक है जो सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला (और) वह तुमको अपनी तरफ बुलाता भी है तो इसलिए कि तुम्हारे गुनाह माफ कर दे और एक वक़्त मुक़र्रर तक तुमको (दुनिया में चैन से) रहने दे वह लोग बोल उठे कि तुम भी बस हमारे ही से आदमी हो (अच्छा) अब समझे तुम ये चाहते हो कि जिन माबूदों की हमारे बाप दादा परसतिश करते थे तुम हमको उनसे बाज़ रखो अच्छा अगर तुम सच्चे हो तो कोई साफ खुला हुआ सरीही मौजिज़ा हमे ला दिखाओ।
قَالَتْ لَهُمْ رُسُلُهُمْ إِن نَّحْنُ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُكُمْ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ يَمُنُّ عَلَىٰ مَن يَشَآءُ مِنْ عِبَادِهِۦ ۖ وَمَا كَانَ لَنَآ أَن نَّأْتِيَكُم بِسُلْطَـٰنٍ إِلَّا بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۚ وَعَلَى ٱللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ ٱلْمُؤْمِنُونَ
क़ालत् लहुम् रूसुलुहुम् इन् नह्नु इल्ला ब-शरूम्-मिस्लुकुम् व लाकिन्नल्ला-ह यमुन्नु अ़ला मंय्यशा-उ मिन् अिबादिही, व मा का-न लना अन् नअ्ति-यकुम् बिसुल्तानिन् इल्ला बि-इज़्निल्लाहि, व अलल्लाहि फल्य तवक्कलिल्-मुअ्मिनून
उनके पैग़म्बरों ने उनके जवाब में कहा कि इसमें शक नहीं कि हम भी तुम्हारे ही से आदमी हैं मगर अल्लाह अपने बन्दों में जिस पर चाहता है अपना फज़ल (व करम) करता है (और) रिसालत अता करता है और हमारे एख़्तियार मे ये बात नही कि बे हुक्मे अल्लाह (तुम्हारी फरमाइश के मुवाफिक़) हम कोई मौजिज़ा तुम्हारे सामने ला सकें और अल्लाह ही पर सब इमानदारों को भरोसा रखना चाहिए।
وَمَا لَنَآ أَلَّا نَتَوَكَّلَ عَلَى ٱللَّهِ وَقَدْ هَدَىٰنَا سُبُلَنَا ۚ وَلَنَصْبِرَنَّ عَلَىٰ مَآ ءَاذَيْتُمُونَا ۚ وَعَلَى ٱللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ ٱلْمُتَوَكِّلُونَ
व मा लना अल्ला न-तवक्क-ल अ़लल्लाहि व क़द् हदाना सुबु-लना, व लनस्बिरन्-न अ़ला मा आज़ैतुमूना, व अ़लल्लाहि फल्य-तवक्कलिल् मुतवक्किलून
और हमें (आखि़र) क्या है कि हम उस पर भरोसा न करें हालाँकि हमे (निजात की) आसान राहें दिखाई और जो तूने अजि़यतें हमें पहुँचाइ (उन पर हमने सब्र किया और आइन्दा भी सब्र करेगें और तवक्कल भरोसा करने वालो को अल्लाह ही पर तवक्कल करना चाहिए।
وَقَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لِرُسُلِهِمْ لَنُخْرِجَنَّكُم مِّنْ أَرْضِنَآ أَوْ لَتَعُودُنَّ فِى مِلَّتِنَا ۖ فَأَوْحَىٰٓ إِلَيْهِمْ رَبُّهُمْ لَنُهْلِكَنَّ ٱلظَّـٰلِمِينَ
व क़ालल्लज़ी-न क-फरू लिरूसुलिहिम् लनुख़्रिजन्नकुम् मिन् अर्ज़िना औ-ल तअूदुन्-न फी मिल्लतिना, फ़-औहा इलैहिम् रब्बुहुम् लनुह़्लिकन्नज़्-ज़ालिमीन
और जिन लोगों नें कुफ्र एख़्तियार किया था अपने (वक़्त के) पैग़म्बरों से कहने लगे हम तो तुमको अपनी सरज़मीन से ज़रुर निकाल बाहर कर देगें यहाँ तक कि तुम फिर हमारे मज़हब की तरफ पलट आओ-तो उनके परवरदिगार ने उनकी तरफ वही भेजी कि तुम घबराओं नहीं हम उन सरकष लोगों को ज़रुर बर्बाद करेगें।
وَلَنُسْكِنَنَّكُمُ ٱلْأَرْضَ مِنۢ بَعْدِهِمْ ۚ ذَٰلِكَ لِمَنْ خَافَ مَقَامِى وَخَافَ وَعِيدِ ١٤
व लनुस्किनन्न-कुमुल् अर्-ज़ मिम्-बअ्दिहिम्, ज़ालि- क लिमन् ख़ा-फ मक़ामी व ख़ा-फ वईद
और उनकी हलाकत के बाद ज़रुर तुम्ही को इस सरज़मीन में बसाएगें ये (वायदा) महज़ उस शख़्स से जो हमारी बारगाह में (आमाल की जवाब देही में) खड़े होने से डरे।
وَٱسْتَفْتَحُوا۟ وَخَابَ كُلُّ جَبَّارٍ عَنِيدٍۢ
वस्तफ़्तहू व ख़ा-ब कुल्लु जब्बारिन् अ़नीद
और हमारे अज़ाब से ख़ौफ खाए और उन पैग़म्बरों हम से अपनी फतेह की दुआ माँगी (आखि़र वह पूरी हुयी)।
مِّن وَرَآئِهِۦ جَهَنَّمُ وَيُسْقَىٰ مِن مَّآءٍۢ صَدِيدٍۢ
मिंव्वराइही जहन्नमु व युस्क़ा मिम्-माइन् सदीद
और हर एक सरकश अदावत रखने वाला हलाक हुआ (ये तो उनकी सज़ा थी और उसके पीछे ही पीछे जहन्नुम है और उसमें) से पीप लहू भरा हुआ पानी पीने को दिया जाएगा।
يَتَجَرَّعُهُۥ وَلَا يَكَادُ يُسِيغُهُۥ وَيَأْتِيهِ ٱلْمَوْتُ مِن كُلِّ مَكَانٍۢ وَمَا هُوَ بِمَيِّتٍۢ ۖ وَمِن وَرَآئِهِۦ عَذَابٌ غَلِيظٌۭ
य-तजर्रअुहू व ला यकादु युसीग़ुहू व यअ्तीहिल्-मौतु मिन् कुल्लि मकानिंव्-व मा हु-व बि मय्यितिन्, व मिंव्वराइही अ़ज़ाबुन् ग़लीज़
(ज़बरदस्ती) उसे घूँट घूँट करके पीना पड़ेगा और उसे हलक़ से आसानी से न उतार सकेगा और (वह मुसीबत है कि) उसे हर तरफ से मौत ही मौत आती दिखाई देती है हालाँकि वह मारे न मर सकेगा-और फिर उसके पीछे अज़ाब सख़्त होगा।
مَّثَلُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِرَبِّهِمْ ۖ أَعْمَـٰلُهُمْ كَرَمَادٍ ٱشْتَدَّتْ بِهِ ٱلرِّيحُ فِى يَوْمٍ عَاصِفٍۢ ۖ لَّا يَقْدِرُونَ مِمَّا كَسَبُوا۟ عَلَىٰ شَىْءٍۢ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلضَّلَـٰلُ ٱلْبَعِيدُ
म सलुल्लज़ी-न क-फ़रू बिरब्बिहिम् अअ्मालुहुम् क- रमादि निश्तद्दत बिहिर्रीहु फी यौमिन् आ़सिफिन्, ला यक़्दिरू-न मिम्मा क-सबू अ़ला शैइन्, ज़ालि-क हुवज़्ज़लालुल्-बईद
जो लोग अपने परवरदिगार से काफिर हो बैठे हैं उनकी मसल ऐसी है कि उनकी कारस्तानियाँ गोया (राख का एक ढेर) है जिसे (अन्धड़ के रोज़ हवा का बड़े ज़ोरों का झोंका उड़ा लेगा जो कुछ उन लोगों ने (दुनिया में) किया कराया उसमें से कुछ भी उनके क़ाबू में न होगा यही तो पल्ले दर्जे की गुमराही है।
أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِٱلْحَقِّ ۚ إِن يَشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَأْتِ بِخَلْقٍۢ جَدِيدٍۢ
अलम् त-र अन्नल्ला-ह ख़-लक़स् समावाति वल् अर्ज़ बिल्-हक़्क़ि, इंय्यशअ् युज़्हिब्कुम् व यअ्ति बिख़ल्किन् जदीद
क्या तूने नहीं देखा कि अल्लाह ही ने सारे आसमान व ज़मीन ज़रुर मसलहत से पैदा किए अगर वह चाहे तो सबको मिटाकर एक नई खिलक़त (बस्ती) ला बसाए।
وَمَا ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ بِعَزِيزٍۢ
व मा ज़ालि-क अ़लल्लाहि बि अ़ज़ीज़
औ ये अल्लाह पर कुछ भी दुशवार नहीं।
وَبَرَزُوا۟ لِلَّهِ جَمِيعًۭا فَقَالَ ٱلضُّعَفَـٰٓؤُا۟ لِلَّذِينَ ٱسْتَكْبَرُوٓا۟ إِنَّا كُنَّا لَكُمْ تَبَعًۭا فَهَلْ أَنتُم مُّغْنُونَ عَنَّا مِنْ عَذَابِ ٱللَّهِ مِن شَىْءٍۢ ۚ قَالُوا۟ لَوْ هَدَىٰنَا ٱللَّهُ لَهَدَيْنَـٰكُمْ ۖ سَوَآءٌ عَلَيْنَآ أَجَزِعْنَآ أَمْ صَبَرْنَا مَا لَنَا مِن مَّحِيصٍۢ
व ब-रज़ू लिल्लाहि जमीअ़न् फ़क़ालज़्जु-अफ़ा-उ लिल्लज़ीनस् तक्बरू इन्ना कुन्ना लकुम् त-बअ़न् फ़-हल् अन्तुम् मुग़्-नू
न अन्ना मिन् अ़ज़ाबिल्लाहि मिन् शैइन्, क़ालू लौ हदानल्लाहु ल-हदैनाकुम् , सवाउन् अ़लैना अ-जज़िअ्ना अम् सबर्ना मा लना मिम् महीस
और (क़यामत के दिन) लोग सबके सब अल्लाह के सामने निकल खड़े होगें जो लोग (दुनिया में कमज़ोर थे बड़ी इज़्ज़त रखने वालो से (उस वक़्त) कहेंगें कि हम तो बस तुम्हारे क़दम ब क़दम चलने वाले थे तो क्या (आज) तुम अल्लाह के अज़ाब से कुछ भी हमारे आड़े आ सकते हो वह जवाब देगें काश अल्लाह हमारी हिदायत करता तो हम भी तुम्हारी हिदायत करते हम ख़्वाह बेक़रारी करें ख़्वाह सब्र करे (दोनो) हमारे लिए बराबर है (क्योंकि अज़ाब से) हमें तो अब छुटकारा नहीं।
وَقَالَ ٱلشَّيْطَـٰنُ لَمَّا قُضِىَ ٱلْأَمْرُ إِنَّ ٱللَّهَ وَعَدَكُمْ وَعْدَ ٱلْحَقِّ وَوَعَدتُّكُمْ فَأَخْلَفْتُكُمْ ۖ وَمَا كَانَ لِىَ عَلَيْكُم مِّن سُلْطَـٰنٍ إِلَّآ أَن دَعَوْتُكُمْ فَٱسْتَجَبْتُمْ لِى ۖ فَلَا تَلُومُونِى وَلُومُوٓا۟ أَنفُسَكُم ۖ مَّآ أَنَا۠ بِمُصْرِخِكُمْ وَمَآ أَنتُم بِمُصْرِخِىَّ ۖ إِنِّى كَفَرْتُ بِمَآ أَشْرَكْتُمُونِ مِن قَبْلُ ۗ إِنَّ ٱلظَّـٰلِمِينَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ
व क़ालश्शैतानु लम्मा कुज़ियल्-अम्रु इन्नल्ला-ह व-अ-दकुम् वअ्दल्-हक़्क़ि व व-अ़त्तुकुम् फ़-अख़्लफ़्तुकुम्, व मा का-न लि-य अ़लैकुम् मिन् सुल्तानिन् इल्ला अन् दऔ़तुकुम् फ़स्त-जब्तुम् ली, फ़ला तलूमूनी व लूमू अन्फु सकुम्, मा अ-ना
बिमुस्रिख़िकुम् व मा अन्तुम् बिमुस्रिख़िय् य, इन्नी क-फर्तु बिमा अश्रक्तुमूनि मिन् क़ब्लु, इन्नज़्ज़ालिमीन लहुम् अ़ज़ाबुन् अलीम
और जब (लोगों का) ख़ैर फैसला हो चुकेगा (और लोग शैतान को इल्ज़ाम देगें) तो शैतान कहेगा कि अल्लाह ने तुम से सच्चा वायदा किया था (तो वह पूरा हो गया) और मैने भी वायदा तो किया था फिर मैने वायदा खि़लाफ़ी की और मुझे कुछ तुम पर हुकूमत तो थी नहीं मगर इतनी बात थी कि मैने तुम को (बुरे कामों की तरफ) बुलाया और तुमने मेरा कहा मान लिया तो अब तुम मुझे बुंरा (भला) न कहो बल्कि (अगर कहना है तो) अपने नफ़्स को बुरा कहो (आज) न तो मैं तुम्हारी फरियाद को पहुँचा सकता हूँ और न तुम मेरी फरियाद कर सकते हो मै तो उससे पहले ही बेज़ार हूँ कि तुमने मुझे (अल्लाह का) शरीक बनाया बेशक जो लोग नाफरमान हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है।
وَأُدْخِلَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ جَنَّـٰتٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَا بِإِذْنِ رَبِّهِمْ ۖ تَحِيَّتُهُمْ فِيهَا سَلَـٰمٌ
व उद्ख़िलल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति जन्नातिन् तज्री मिन् तह़्तिहल्-अन्हारू ख़ालिदी-न फीहा बि-इज़्नि
रब्बिहिम्, तहिय्यतुहुम् फ़ीहा सलाम
और जिन लोगों ने (सदक़ दिल से) इमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए वह (बहिश्त के) उन बाग़ों में दाखि़ल किए जाएँगें जिनके नीचे नहरे जारी होगी और वह अपने परवरदिगार के हुक्म से हमेशा उसमें रहेगें वहाँ उन (की मुलाक़ात) का तोहफा सलाम का हो।
أَلَمْ تَرَ كَيْفَ ضَرَبَ ٱللَّهُ مَثَلًۭا كَلِمَةًۭ طَيِّبَةًۭ كَشَجَرَةٍۢ طَيِّبَةٍ أَصْلُهَا ثَابِتٌۭ وَفَرْعُهَا فِى ٱلسَّمَآءِ
अलम् त-र कै-फ़ ज़-रबल्लाहु म-सलन् कलि-मतन् तय्यि-बतन् क-श-ज-रतिन् तय्यि-बतिन् अस्लुहा साबितुंव-व फर्अुहा फिस्समा-इ
(ऐ रसूल) क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने अच्छी बात (मसलन कलमा तौहीद की) वैसी अच्छी मिसाल बयान की है कि (अच्छी बात) गोया एक पाकीज़ा दरख़्त है कि उसकी जड़ मज़बूत है और उसकी टहनियाँ आसमान में लगी हो।
تُؤْتِىٓ أُكُلَهَا كُلَّ حِينٍۭ بِإِذْنِ رَبِّهَا ۗ وَيَضْرِبُ ٱللَّهُ ٱلْأَمْثَالَ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
तुअ्ती उकु-लहा कुल्-ल हीनिम्-बि इज़्नि रब्बिहा, व यज़्रि बुल्लाहुल्-अम्सा-ल लिन्नासि लअ़ल्लहुम् य- तज़क्करून
अपने परवरदिगार के हुक्म से हर वक़्त फला (फूला) रहता है और अल्लाह लोगों के वास्ते (इसलिए) मिसालें बयान फरमाता है ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल करें।
وَمَثَلُ كَلِمَةٍ خَبِيثَةٍۢ كَشَجَرَةٍ خَبِيثَةٍ ٱجْتُثَّتْ مِن فَوْقِ ٱلْأَرْضِ مَا لَهَا مِن قَرَارٍۢ
व म-सलु कलि-मतिन् ख़बीसतिन् क-श-ज-रतिन् ख़बीसति-निज्तुस्सत् मिन् फौक़िल्अर्ज़ि मा लहा मिन् क़रार
और गन्दी बात (जैसे कलमाए शिर्क) की मिसाल गोया एक गन्दे दरख़्त की सी है (जिसकी जड़ ऐसी कमज़ोर हो) कि ज़मीन के ऊपर ही से उखाड़ फेंका जाए (क्योंकि) उसको कुछ ठहराओ तो है नहीं।
يُثَبِّتُ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ بِٱلْقَوْلِ ٱلثَّابِتِ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَفِى ٱلْـَٔاخِرَةِ ۖ وَيُضِلُّ ٱللَّهُ ٱلظَّـٰلِمِينَ ۚ وَيَفْعَلُ ٱللَّهُ مَا يَشَآءُ
युसब्बितुल्लाहुल्लज़ी-न आमनू बिल्क़ौलिस्-साबिति फिल्हयातिद्दुन्या व फिल्-आख़िरति, व युज़िल्लुल्लाहुज़्ज़ालिमी-न, व यफ़्अ़लुल्लाहु मा-यशा-उ
जो लोग पक्की बात (कलमा तौहीद) पर (सदक़ दिल से इमान ला चुके उनको अल्लाह दुनिया की जि़न्दगी में भी साबित क़दम रखता है और आख़िरत में भी साबित क़दम रखेगा (और) उन्हें सवाल व जवाब में कोई वक़्त न होगा और सरकशों को अल्लाह गुमराही में छोड़ देता है और अल्लाह जो चाहता है करता है।
۞ أَلَمْ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ بَدَّلُوا۟ نِعْمَتَ ٱللَّهِ كُفْرًۭا وَأَحَلُّوا۟ قَوْمَهُمْ دَارَ ٱلْبَوَارِ
अलम् त-र इलल्लज़ी-न बद्दलू निअ्-मतल्लाहि कुफ्रंव्-व अ-हल्लू क़ौमहुम् दारल्-बवार
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर ग़ौर नहीं किया जिन्होंने मेरे एहसान के बदले नाशुक्री की एख़्तियार की और अपनी क़ौम को हलाकत के घरवाहे (जहन्नुम) में झोंक दिया।
جَهَنَّمَ يَصْلَوْنَهَا ۖ وَبِئْسَ ٱلْقَرَارُ
जहन्न-म, यस्लौनहा, व बिअ्सल्क़रार
कि सबके सब जहन्नुम वासिल होगें और वह (क्या) बुरा ठिकाना है।
وَجَعَلُوا۟ لِلَّهِ أَندَادًۭا لِّيُضِلُّوا۟ عَن سَبِيلِهِۦ ۗ قُلْ تَمَتَّعُوا۟ فَإِنَّ مَصِيرَكُمْ إِلَى ٱلنَّارِ
व ज-अलू लिल्लाहि अन्दादल्-लियुज़िल्लू अन् सबीलिही, क़ुल त-मत्तअू फ़-इन्-न मसीरकुम् इलन्नार
और वह लोग दूसरो को अल्लाह का हमसर (बराबर) बनाने लगे ताकि (लोगों को) उसकी राह से बहका दे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (ख़ैर चन्द रोज़ तो) चैन कर लो फिर तो तुम्हें दोज़ख की तरफ लौट कर जाना ही है।
قُل لِّعِبَادِىَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ يُقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَيُنفِقُوا۟ مِمَّا رَزَقْنَـٰهُمْ سِرًّۭا وَعَلَانِيَةًۭ مِّن قَبْلِ أَن يَأْتِىَ يَوْمٌۭ لَّا بَيْعٌۭ فِيهِ وَلَا خِلَـٰلٌ
क़ुल लिअिबादियल्लज़ी-न आमनू युक़ीमुस्सला-त व युन्फ़िक़ू मिम्मा रज़क़्नाहुम् सिर्रंव्-व अलानि यतम् मिन् क़ब्लि अंय्यअ्ति-य यौमुल्-ला बैअुन् फ़ीहि व ला ख़िलाल
(ऐ रसूल) मेरे वह बन्दे जो इमान ला चुके उन से कह दो कि पाबन्दी से नमाज़ पढ़ा करें और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी है उसमें से (अल्लाह की राह में) छिपाकर या दिखा कर ख़र्च किया करे उस दिन (क़यामत) के आने से पहल जिसमें न तो (ख़रीदो) फरोख़्त ही (काम आएगी) न दोस्ती मोहब्बत काम (आएगी)।
ٱللَّهُ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَخْرَجَ بِهِۦ مِنَ ٱلثَّمَرَٰتِ رِزْقًۭا لَّكُمْ ۖ وَسَخَّرَ لَكُمُ ٱلْفُلْكَ لِتَجْرِىَ فِى ٱلْبَحْرِ بِأَمْرِهِۦ ۖ وَسَخَّرَ لَكُمُ ٱلْأَنْهَـٰرَ
अल्लाहुल्लज़ी ख़-लक़स्समावाति वल्अर्-ज़ व अन्ज़ -ल मिनस्समा-इ मा-अन् फ़-अख़्र-ज बिही मिनस्स-मराति-रिज़्क़ल्लकुम् व सख़्ख़-र लकुमुल्फुल् क लितज्रि-य फ़िल्-बह़रि बि अम्रिही, व सख़्ख़-र लकुमुल्-अन्हार
अल्लाह ही ऐसा (क़ादिर तवाना) है जिसने सारे आसमान व ज़मीन पैदा कर डाले और आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिए से (मुख़्तलिफ दरख़्तों से) तुम्हारी रोज़ा के वास्ते (तरह तरह) के फल पैदा किए और तुम्हारे वास्ते कश्तियाँ तुम्हारे बस में कर दी-ताकि उसके हुक्म से दरिया में चलें और तुम्हारे वास्ते नदियों को तुम्हारे एख़्तियार में कर दिया।
وَسَخَّرَ لَكُمُ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ دَآئِبَيْنِ ۖ وَسَخَّرَ لَكُمُ ٱلَّيْلَ وَٱلنَّهَارَ
व सख़्ख़-र लकुमुश्शम्-स वल्-क़-म-र दाइबैनि व सख़्ख़-र लकुमुल-लै-ल वन्नहार
और सूरज और चाँद को तुम्हारा ताबेदार बना दिया कि सदा फेरी किया करते हैं और रात और दिन को तुम्हारे क़ब्ज़े में कर दिया कि हमेशा हाजिर रहते हैं।
وَءَاتَىٰكُم مِّن كُلِّ مَا سَأَلْتُمُوهُ ۚ وَإِن تَعُدُّوا۟ نِعْمَتَ ٱللَّهِ لَا تُحْصُوهَآ ۗ إِنَّ ٱلْإِنسَـٰنَ لَظَلُومٌۭ كَفَّارٌۭ
व आताकुम् मिन् कुल्लि मा स-अल्तुमूहु, व इन् तअुद्दू निअ्-मतल्लाहि ला तुह़्सूहा, इन्नल्-इन्सा-न ल-ज़लूमुन् कफ़्फ़ार
(और अपनी ज़रुरत के मुवाफिक) जो कुछ तुमने उससे माँगा उसमें से (तुम्हारी ज़रूरत भर) तुम्हे दिया और तुम अल्लाह की नेमतो गिनती करना चाहते हो तो गिन नहीं सकते हो तू बड़ा बे इन्साफ नाशुक्रा है।
وَإِذْ قَالَ إِبْرَٰهِيمُ رَبِّ ٱجْعَلْ هَـٰذَا ٱلْبَلَدَ ءَامِنًۭا وَٱجْنُبْنِى وَبَنِىَّ أَن نَّعْبُدَ ٱلْأَصْنَامَ
व इज़् क़ा-ल इब्राहीमु रब्बिज्अल् हाज़ल-ब-ल-द आमिनंव्-वज्-नुब्-नि व बनिय्-य अन् नअ्बुदल्-अस्- नाम
और (वह वक़्त याद करो) जब इबराहीम ने (अल्लाह से) अजऱ् की थी कि परवरदिगार इस शहर (मक्के) को अमन व अमान की जगह बना दे और मुझे और मेरी औलाद को इस बात को बचा ले कि बुतों की परसतिश करने लगे।
رَبِّ إِنَّهُنَّ أَضْلَلْنَ كَثِيرًۭا مِّنَ ٱلنَّاسِ ۖ فَمَن تَبِعَنِى فَإِنَّهُۥ مِنِّى ۖ وَمَنْ عَصَانِى فَإِنَّكَ غَفُورٌۭ رَّحِيمٌۭ
रब्बि इन्नहुन्-न अज़्लल्-न कसीरम्-मिनन्नासि, फ़-मन् तबि-अ़नी फ़-इन्नहू मिन्नी, व मन् अ़सानी फ़इन्न-क ग़फूरूर रहीम
ऐ मेरे पालने वाले इसमें शक नहीं कि इन बुतों ने बहुतेरे लोगों को गुमराह बना छोड़ा तो जो शख़्स मेरी पैरवी करे तो वह मुझ से है और जिसने मेरी नाफ़रमानी की (तो तुझे एख़्तेयार है) तू तो बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है)।
رَّبَّنَآ إِنِّىٓ أَسْكَنتُ مِن ذُرِّيَّتِى بِوَادٍ غَيْرِ ذِى زَرْعٍ عِندَ بَيْتِكَ ٱلْمُحَرَّمِ رَبَّنَا لِيُقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ فَٱجْعَلْ أَفْـِٔدَةًۭ مِّنَ ٱلنَّاسِ تَهْوِىٓ إِلَيْهِمْ وَٱرْزُقْهُم مِّنَ ٱلثَّمَرَٰتِ لَعَلَّهُمْ يَشْكُرُونَ
रब्बना इन्नी अस्कन्तु मिन् जुर्रिय्यती बिवादिन् ग़ैरि ज़ी-जर्अिन् अिन् द बैतिकल् मुहर्रम, रब्बना लियुक़ीमुस्सला-त फ़ज्अल् अफ्इ-दतम् मिनन्नासि तह़्वी इलैहिम् वर्ज़ुक्हुम् मिनस्स-मराति लअ़ल्लहुम् यश्कुरून
ऐ हमारे पालने! वाले मैने तेरे मुअजि़ज़ (इज़्ज़त वाले) घर (काबे) के पास एक बेखेती के (वीरान) बियाबान (मक्का) में अपनी कुछ औलाद को (लाकर) बसाया है ताकि ऐ हमारे पालने वाले ये लोग बराबर यहाँ नमाज़ पढ़ा करें तो तू कुछ लोगों के दिलों को उनकी तरफ माएल कर (ताकि वह यहाँ आकर आबाद हों) और उन्हें तरह तरह के फलों से रोज़ी अता कर ताकि ये लोग (तेरा) शुक्र करें।
رَبَّنَآ إِنَّكَ تَعْلَمُ مَا نُخْفِى وَمَا نُعْلِنُ ۗ وَمَا يَخْفَىٰ عَلَى ٱللَّهِ مِن شَىْءٍۢ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا فِى ٱلسَّمَآءِ
रब्बना इन्न-क तअ्लमु मा नुख़्फी व मा नुअ्लिनु, व मा यख़्फा अ़लल्लाहि मिन् शैइन् फिल् अर्ज़ि व ला फिस्समा-इ
ऐ हमारे पालने! वाले जो कुछ हम छिपाते हैं और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं तू (सबसे) खूब वाकि़फ है और अल्लाह से तो कोई चीज़ छिपी नहीं (न) ज़मीन में और न आसमान में उस अल्लाह का (लाख लाख) शुक्र है।
ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِى وَهَبَ لِى عَلَى ٱلْكِبَرِ إِسْمَـٰعِيلَ وَإِسْحَـٰقَ ۚ إِنَّ رَبِّى لَسَمِيعُ ٱلدُّعَآءِ
अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी व-ह-ब ली अलल्-कि-बरि इस्माई-ल व इस्हा-क़, इन्-न रब्बी ल-समीअुद्-दुआ इ
जिसने मुझे बुढ़ापा आने पर इस्माईल व इसहाक़ (दो फरज़न्द) अता किए इसमें तो शक नहीं कि मेरा परवरदिगार दुआ का सुनने वाला है।
رَبِّ ٱجْعَلْنِى مُقِيمَ ٱلصَّلَوٰةِ وَمِن ذُرِّيَّتِى ۚ رَبَّنَا وَتَقَبَّلْ دُعَآءِ
रब्बिज्अ़ल्नी मुक़ीमस्सलाति व मिन् ज़ुर्रिय्यती, रब्बना व तक़ब्बल् दुआ-इ
(ऐ मेरे पालने वाले! मुझे और मेरी औलाद को (भी) नमाज़ का पाबन्द बना दे और ऐ मेरे पालने वाले मेरी दुआ क़ुबूल फरमा।
رَبَّنَا ٱغْفِرْ لِى وَلِوَٰلِدَىَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ ٱلْحِسَابُ
रब्बनग़्फिर् ली व लिवालिदय्-य व लिल्मुअ्मिनी न यौ-म यक़ूमुल्-हिसाब
ऐ हमारे पालने वाले! जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे इमानदारों को तू बख़्श दे।
وَلَا تَحْسَبَنَّ ٱللَّهَ غَـٰفِلًا عَمَّا يَعْمَلُ ٱلظَّـٰلِمُونَ ۚ إِنَّمَا يُؤَخِّرُهُمْ لِيَوْمٍۢ تَشْخَصُ فِيهِ ٱلْأَبْصَـٰرُ
व ला तह्स बन्नल्ला-ह ग़ाफ़िलन् अ़म्मा यअ्मलुज़्ज़ालिमू-न, इन्नमा युअख़्ख़िरूहुम् लियौमिन् तश्ख़सु फ़ीहिल्-अब्सार
और जो कुछ ये कुफ़्फ़ार (कुफ़्फ़ारे मक्का) किया करते हैं उनसे अल्लाह को ग़ाफिल न समझना (और उन पर फौरन अज़ाब न करने की) सिर्फ ये वजह है कि उस दिन तक की मोहलत देता है जिस दिन लोगों की आँखों के ढेले (ख़ौफ के मारे) पथरा जाएँगें।
مُهْطِعِينَ مُقْنِعِى رُءُوسِهِمْ لَا يَرْتَدُّ إِلَيْهِمْ طَرْفُهُمْ ۖ وَأَفْـِٔدَتُهُمْ هَوَآءٌۭ
मुह्तिईन मुक़्निई रूऊसिहिम् ला यरतद्दु इलैहिम् तरफुहुम्, व अफ्इ-दतुहुम् हवा-अ
(और अपने अपने सर उठाए भागे चले जा रहे हैं (टकटकी बँधी है कि) उनकी तरफ उनकी नज़र नहीं लौटती (जिधर देख रहे हैं) और उनके दिल हवा हवा हो रहे हैं।
وَأَنذِرِ ٱلنَّاسَ يَوْمَ يَأْتِيهِمُ ٱلْعَذَابُ فَيَقُولُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ رَبَّنَآ أَخِّرْنَآ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ قَرِيبٍۢ نُّجِبْ دَعْوَتَكَ وَنَتَّبِعِ ٱلرُّسُلَ ۗ أَوَلَمْ تَكُونُوٓا۟ أَقْسَمْتُم مِّن قَبْلُ مَا لَكُم مِّن زَوَالٍۢ
व अन्ज़िरिन्ना-स यौ-म यअ्तीहिमुल अ़ज़ाबु फ़- यक़ूलुल्लज़ी-न ज़-लमू रब्बना अख़्ख़िरना इला अ-जलिन् क़रीबिन्, नुजिब् दअ्व-त-क व नत्तबिअिर्रूसु-ल, अ-व-लम् तकूनू अक़्सम्तुम् मिन् क़ब्लु मा लकुम् मिन् ज़वाल
और (ऐ रसूल!) लोगों को उस दिन से डराओ (जिस दिन) उन पर अज़ाब नाजि़ल होगा तो जिन लोगों ने नाफरमानी की थी (गिड़गिड़ा कर) अज्र करेगें कि ऐ हमारे पालने वाले हम को थोड़ी सी मोहलत और दे दे (अबकी बार) हम तेरे बुलाने पर ज़रुर उठ खड़े होगें और सब रसूलों की पैरवी करेगें (तो उनको जवाब मिलेगा) क्या तुम वह लोग नहीं हो जो उसके पहले (उस पर) क़समें खाया करते थे कि तुम को किसी तरह का ज़व्वाल (नुक्सान) नहीं।
وَسَكَنتُمْ فِى مَسَـٰكِنِ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ وَتَبَيَّنَ لَكُمْ كَيْفَ فَعَلْنَا بِهِمْ وَضَرَبْنَا لَكُمُ ٱلْأَمْثَالَ
व सकन्तुम् फ़ी मसाकिनिल्लज़ी-न ज़-लमू अन्फु सहुम् व तबय्य-न लकुम् कै-फ़ फ़अ़ल्ना बिहिम् व ज़रब्-ना
लकुमुल्-अम्साल
(और क्या तुम वह लोग नहीं कि) जिन लोगों ने (हमारी नाफ़रमानी करके) आप अपने ऊपर जुल्म किया उन्हीं के घरों में तुम भी रहे हालाँकि तुम पर ये भी ज़ाहिर हो चुका था कि हमने उनके साथ क्या (बरताओ) किया और हमने (तुम्हारे समझाने के वास्ते) मसले भी बयान कर दी थीं।
وَقَدْ مَكَرُوا۟ مَكْرَهُمْ وَعِندَ ٱللَّهِ مَكْرُهُمْ وَإِن كَانَ مَكْرُهُمْ لِتَزُولَ مِنْهُ ٱلْجِبَالُ
व क़द् म-करू मक्रहुम् व अिन्दल्लाहि मक्रुहुम्, व इन् का-न मक्रुहुम् लि-तज़ू-ल मिन्हुल्-जिबाल
और वह लोग अपनी चालें चलते हैं (और कभी बाज़ न आए) हालाँकि उनकी सब हालतें अल्लाह की नज़र में थी और अगरचे उनकी मक्कारियाँ (उस गज़ब की) थीं कि उन से पहाड़ (अपनी जगह से) हट जाये।
فَلَا تَحْسَبَنَّ ٱللَّهَ مُخْلِفَ وَعْدِهِۦ رُسُلَهُۥٓ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِيزٌۭ ذُو ٱنتِقَامٍۢ
फला तह़्स-बन्नल्ला-ह मुख़्लि-फ़ वअ्दिही रूसु-लहू, इन्नल्ला-ह अ़ज़ीज़ुन ज़ुन्तिक़ाम
तो तुम ये ख़्याल (भी) न करना कि अल्लाह अपने रसूलों से खि़लाफ वायदा करेगा इसमें शक नहीं कि अल्लाह (सबसे) ज़बरदस्त बदला लेने वाला है।
يَوْمَ تُبَدَّلُ ٱلْأَرْضُ غَيْرَ ٱلْأَرْضِ وَٱلسَّمَـٰوَٰتُ ۖ وَبَرَزُوا۟ لِلَّهِ ٱلْوَٰحِدِ ٱلْقَهَّارِ
यौ-म तुबद्दलुल्-अर्ज़ु ग़ैरल्-अर्ज़ि वस्समावातु व ब-रज़ू लिल्लाहिल वाहिदिल्-क़ह्हार
(मगर कब) जिस दिन ये ज़मीन बदलकर दूसरी ज़मीन कर दी जाएगी और (इसी तरह) आसमान (भी बदल दिए जाएँगें) और सब लोग यकता क़हार (ज़बरदस्त) अल्लाह के रुबरु (अपनी अपनी जगह से) निकल खड़े होगें।
وَتَرَى ٱلْمُجْرِمِينَ يَوْمَئِذٍۢ مُّقَرَّنِينَ فِى ٱلْأَصْفَادِ
व तरल्मुज्रिमी-न यौ-मइज़िम् मुक़र्रनी-न फ़िल् – अस्फ़ाद
और तुम उस दिन गुनेहगारों को देखोगे कि ज़ज़ीरों मे जकड़े हुए होगें।
سَرَابِيلُهُم مِّن قَطِرَانٍۢ وَتَغْشَىٰ وُجُوهَهُمُ ٱلنَّارُ
सराबीलुहुम् मिन् क़तिरानिंव्-व तग़्शा वुजू-हहुमुन्नार
उनके (बदन के) कपड़े क़तरान (तारकोल) के होगे और उनके चेहरों को आग (हर तरफ से) ढाके होगी।
لِيَجْزِىَ ٱللَّهُ كُلَّ نَفْسٍۢ مَّا كَسَبَتْ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ
लियज्ज़ियल्लाहु कुल्-ल नफ्सिम् मा-क-सबत्, इन्नल्ला-ह सरीअुल-हिसाब
ताकि अल्लाह हर शख़्स को उसके किए का बदला दे (अच्छा तो अच्छा बुरा तो बुरा) बेशक अल्लाह बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है।
هَـٰذَا بَلَـٰغٌۭ لِّلنَّاسِ وَلِيُنذَرُوا۟ بِهِۦ وَلِيَعْلَمُوٓا۟ أَنَّمَا هُوَ إِلَـٰهٌۭ وَٰحِدٌۭ وَلِيَذَّكَّرَ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَـٰبِ
हाज़ा बलाग़ुल्-लिन्नासि व लियुन्ज़रू बिही व लि- यअ्लमू अन्नमा हु-व इलाहुंव्वाहिदुव्-व लि-यज़्ज़क्क-र उलुल अल्बाब
ये (क़ुरान) लोगों के लिए एक कि़स्म की इत्तेला (जानकारी) है ताकि लोग उसके ज़रिये से (अज़ाबे अल्लाह से) डराए जाए और ताकि ये भी ये यक़ीन जान लें कि बस वही (अल्लाह) एक माबूद है और ताकि जो लोग अक़्ल वाले हैं नसीहत व इबरत हासिल करें।